गर्मी का मौसम शुरू हो गया है, इस मौसम में अधिकांश लोगों को त्वचा संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तेज धूप त्वचा को झुलसा देती है, चेहरा काला पड़ जाता है और चमक गायब हो जाती है। इस मौसम में बेफिक्र रहना हो और चिलचिलाती धूप को बेअसर करना हो तो अपनाइएं ये घरेलु नुस्खे-
इस मौसम में पसीना अधिक आता है जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इससे निपटने के लिए पर्याप्त पानी पीएं। पर्याप्त मात्रा में पानी से आपकी त्वचा चमकदार बनी रहेगी।
पेट का हाजमा ठीक न हो तो चेहरे पर कील-मुंहासे हो सकते हैं। ऐसे में प्रतिदिन सुबह-सुबह कुनकुने पानी में शहद की कुछ बूंदे डालकर पीएं। इससे कील-मुंहासे की समस्या समाप्त हो जाएगी।
बार-बार ठंडे पानी से चेहरा धोते रहें। साबुन या फेसवॉश का प्रयोग कम से कम ही करें।
यदि आपके चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ गए हैं तो नींबू के छिलके पर थोड़ी सी शकर डालें और फिर छिलके को दाग-धब्बे वाले स्थान पर धीरे-धीरे रगड़ें।
चेहरे की गंदगी और धूल-मिट्टी साफ करने के लिए टमाटर के टुकड़े चेहरे पर धीरे-धीरे रगड़ें।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 मार्च 2012
घरेलु टिप्स- चिलचिलाती धूप में भी चेहरे पर नहीं पड़ेंगे दाग, धब्बे
.तो दारू पीने के बाद इसलिए बहक जाते हैं लोग!
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया शोधकर्ता के मुताबिक कुछ लोगों का ब्रेन बहुत जल्द ही किसी वस्तु के प्रभाव में आ जाता है। एल्कोहल मस्तिष्क में एक रासायनिक स्विच की तरह व्यवहार करता है, जो हमारी स्मरणशक्ति को इनकोड करता है जिसके संपर्क में आते ही इंसान अपनी बातों को रिकॉल करता है और उसकी जुबान पर वो सबकुछ आ जाता है जो शायद अपने दिल में छुपा कर रखता है।
हालांकि यह बात सब पर लागू नहीं होती है। 100 में से 40 प्रतिशत लोगों पर यह बातें लागू होती है। शोध में कहा गया है कि शराब पीने के बाद कुछ लोग दूसरों की अपेक्षा बिल्कुल ही असामान्य व्यवहार करते हैं, क्योंकि दारू उनके मस्तिष्क को अधिक प्रभावित करता है। जबकि कुछ लोग सामान्य दिनों की ही तरह व्यवहार करते हैं, क्योंकि यह सब कुछ स्वत: नियंत्रण, ध्यान और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर निर्भर करता है।
ऐसे लोग अक्सर दारू पीने के बाद गहरी नींद में सो जाते हैं। लेकिन जो लोग नशे में ऊंट-पटांग हरकत करते हैं वो जब सोकर उठते हैं तो वो यह याद कर पाने में असक्षम होते हैं कि उन्होंने नशे में क्या कहा था।
आतंक के गढ़ में जब राजा ने रोके कदम तो रुकी देवी और बना सिद्ध मंदिर
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का दंतेवाड़ा यूं तो नक्सलियों के आतंक का पर्याय बन चुका है, लेकिन दूसरी चीज भी है, जो इसे खास बनाती है। यहां का सिद्ध दंतेश्वरी माता मंदिर भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी चालुक्य वंश के राजाओं ने करवाया था।
मान्यता है कि भगवान शिव की पत्नी माता सती का दांत के गिरने पर यहां का नाम दंतेवाड़ा पड़ा और देवी का नाम दंतेश्वरी देवी कहलाया। कहा जाता है कि यहां चौरासी गांवों के देव विराजमान हैं, जिसमें मां दंतेश्वरी प्रमुख देवी के रूप में पूजी जाती हैं।
एक समय की बात है कि काकातिया वंश के राजा अन्नम देव यहां आए, तब मां दंतेश्वरी ने उन्हें दर्शन दिए थे। अन्नम देव को माता ने वरदान दिया, जहां तक भी राजा जाएगा, वह भी उनके पीछे-पीछे चलती रहेंगी और वहां तक की धरती पर राजा राज करेगा।
शर्मसार: यहां के मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते दलित क्योंकि...
न्यूली गांव के सोना सिंहासन देवता के मंदिर में टंगे इस बोर्ड पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए जिला मजिस्ट्रेट देवेश कुमार से मांग की है कि इस बोर्ड को तत्काल हटाया जाए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। इप्टा संस्था के संयोजक लवण ठाकुर ने इस संदर्भ में तमाम दस्तावेज भी जिला मजिस्ट्रेट और जिला पुलिस प्रमुख अभिषेक दुल्लर को सौंपे हैं।
छुआछूत को बढ़ावा
संविधान समानता का अधिकार देता है, जिसके मुताबिक, लिंग, जाति व धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता, लेकिन मंदिर में टंगा बोर्ड संविधान की धज्जियां उड़ा रहा है। सख्त कानून होने के बावजूद सरेआम छुआछूत को बढ़ावा दिया जा रहा है।
एसपी ने तलब की रिपोर्ट
इप्टा की ओर से साक्ष्यों सहित मिली शिकायत के बाद एसपी मंडी अभिषेक दुल्लर ने अधीनस्थ अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं। उनके अनुसार इस कृत्य के लिए जिम्मेदार मंदिर कमेटी के सदस्यों के लिए एसटी/एससी प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट 1989 के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है। रिपोर्ट आने के बाद इस बारे में कार्रवाई होगी।
सरकारी स्कूलों में आदर्शों की कमी, बंद कर देने चाहिए'
उन्होंने कहा कि जीवन की धारा के लिए लक्ष्य ही आदर्श की धारा है। यही आदर्श हमारे पूर्वजों ने हमें दे रखा है, जिसमें मजबूती हो। ऐसी शिक्षण संस्थाएं और बढ़नी चाहिए। इंसान में 25% संस्कार ईश्वर की देन होते हैं, 25% अध्यापक देता है, 25% माता-पिता और 25% दोस्तों द्वारा दिए होते हैं। जिनके पास विद्या है, उनका हर जगह सम्मान होता है।
इससे पहले समारोह की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। इस मौके पर भामाशाह राकेश खंडेलवाल, निरंजन लाल गुप्ता, रामावतार, रघुनाथ, राम निवास शर्मा, हनुमान प्रसाद, शंकरलाल खूंटेटा, श्याम लाल जींदगर और कबड्डी में अंतर्राष्ट्रीय स्वर्णपदक विजेता शालिनी पाठक को सम्मानित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि एआरजी ग्रुप के चेयरमैन आत्माराम गुप्ता, विशिष्ट अतिथि यतींद्र कुमार शर्मा, भारतीय शिक्षा समिति अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद खंडेलवाल व डॉ. बनवारी लाल नाटिया ने श्रीश्री का सम्मान किया।
गार्ड ने की यात्री पर पेशाब, सांसद ने कहा-मामूली बात
कोलकाता. कोलकाता से दिल्ली आ रही राजधानी एक्सप्रेस में तृणमूल कांग्रेस की सासंद काकोली घोष दस्तीदार के सुरक्षा गार्ड ने एक यात्री के ऊपर पेशाब कर दिया। वह शराब के नशे में धुत था। जब यात्रियों ने विरोध किया तो गार्ड ने अपने रिवॉल्वर से उन्हें डरा-धमका दिया।
वहीं इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए काकोली घोष ने कहा कि उनके यात्री ने कोई बदतमीजी नहीं की है, यह एक मामूली घटना है जिस पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद काकोली घोष दस्तीदार राजधानी एक्सप्रेस के फर्स्ट क्लास बोगी में अपने कुत्ते के साथ यात्रा कर रही थीं। उनका सुरक्षा गार्ड इसी ट्रेन में एसी सेकेंड क्लास में यात्रा कर रहा था। जिस बोगी में दस्तीदार का सुरक्षा गार्ड बर्थ नंबर 19 पर सफर कर रहा था, उसी बोगी में इलाहाबाद जा रहे कलकत्ता हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकील आर्यक दत्ता भी अपने मुवक्किल के साथ मौजूद थे।
दत्ता के मुवक्किल की तरफ से दर्ज शिकायत के मुताबिक रात में दो बजे दस्तीदार का सुरक्षा गार्ड उनके मुवक्किल के ऊपर पेशाब करने लगा। दत्ता के मुताबिक इसके बाद उन्होंने अपने मुवक्किल के साथ इसका विरोध किया तो दस्तीदार के गार्ड ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर उन पर तान दी और डराने धमकाने लगा। पीड़ित यात्री ने इलाहाबाद स्टेशन पर उसके खिलाफ मामला दर्ज करा दिया है। रेलवे पुलिस मामले की जांच कर रही है।
आर्यक दत्ता का कहना है कि सांसद के गार्ड का नाम शिकायत में इसलिए नहीं है क्योंकि वह सांसद के अटेंडेंट के तौर पर सफर कर रहा था। वहीं, रेलवे अधिकारियों का कहना है कि जिसके खिलाफ शिकायत की गई है, वह पुलिस वाला था या नहीं, साफ नहीं है।
कोलकाता में रेलवे के एक अधिकारी ने इस बारे में कहा, 'ट्रेन दिल्ली से अभी नहीं लौटी है, इसलिए हमने अभी शिकायत देखी नहीं है। लेकिन ट्रेन के स्टाफ से हमारी बात हुई है और उन्होंने पुष्टि की है कि इस बारे में शिकायत की गई है। जिस शख्स के बारे में शिकायत की गई है, वह सांसद के अटेंडेंट के तौर पर रेलवे के रिकॉर्ड में दर्ज है।'
हालांकि, जीआरपी, इलाहाबाद के सूत्रों ने एसी सेकेंड क्लास के बर्थ नंबर 19 पर यात्रा कर रहे व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज होने की पुष्टि की है। जब कुछ टीवी चैनलों ने दस्तीदार को फोन कर घटना के बारे में जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। हालांकि, एक चैनल का दावा है कि दस्तीदार ने एसएमएस का जवाब देते हुए कहा कि ट्रेन में कुछ नहीं हुआ था।
सोशल वेबसाइटों पर हलचल
इस खबर के सामने आने के बाद सोशल वेबसाइटों पर भी हलचल है। टीएमसी एमपी ट्विटर पर भारत में यह आठवें नंबर ट्रेंड कर रहा है। लोग लगातार ट्विटर टिप्पणियां कर टीएमसी सांसद और उनकी गार्ड के बर्ताव की आलोचना कर रहे हैं। निर्मल्या ने ट्वीट किया, 'तृणमूल कांग्रेस की ही ओर से नए रेल मंत्री भी बने हैं। अब आगे क्या होगा?' ट्विटर पर कई लोग यह भी कह रहे हैं कि क्या तृणमूल ने मां, माटी और मानुष का अपना नारा बदल लिया है?
सरकार! जरा आंखें खोलिए और बताइए कहां घटी गरीबी!
इंदौर। सोमवार को जारी योजना आयोग के आंकड़ों के अनुसार देश में गरीबी घट गई है। पहले जिस व्यक्ति का 32 रुपए प्रतिदिन खर्च हो रहा था, अब मात्र 28 रुपए में उसका काम हो रहा है। मगर हकीकत यह है कि न तो पहले 32 रुपए में जीवन चल पा रहा था और न ही अब 28 रुपए में चल पा रहा है। महंगाई मुंह फाड़ रही है और गरीबी आंकड़ों में उलझी पड़ी है। इन दोनों के बीच गरीब कराह रहा है। आइए जानें क्या है सरकार का दावा और क्या है जीवन की हकीकत..
गरीबी की नई परिभाषा
ग्रामीण इलाकों में 672.80 रु. मासिक (यानी 22.42 रु. रोज) जबकि शहरी इलाकों में 859.60 मासिक (यानी 28.65) से कम आय वाला व्यक्ति ही गरीब है। आंकड़ा प्रति व्यक्ति के हिसाब से है।
सितंबर 2011 में कहा था
योजना आयोग ने गरीबी रेखा को परिभाषित करते हुए कहा था कि शहरों में जो व्यक्तिहर महीने 965 रु. मासिक (यानी 32.16 रु. रोज) व गांवों में 781 रु. मासिक (यानी 26.03 रु. रोज) खर्च करता है वो गरीब नहीं माना जाएगा।
सरकार का हिसाब (रु .में)
दूध--2.33
दाल--1.02
चावल-गेहूं--5.50
सब्जी--1.95
फल--0.44
चीनी--0.70
मसाले--0.78
तेल--1.55
ईंधन--3.74
मकान किराया--1.65
स्वास्थ्य--1.32
शिक्षा--0.99
कपड़े--2.04
जूते-चप्पल--0.32
साजो सिंगार--0.96
अन्य निजी खर्च--6.70
कुल खर्च--32.00 रु.
हकीकत का जवाब
वस्तु-------मात्रा-------वर्तमान भाव-------लागत (रु .में)
गेहूं-------250 ग्राम-----18 रु.किलो--------4.50
दाल-------50 ग्राम------78 रु. किलो-------3.90
चावल------100 ग्राम-----30 रु. किलो-------3.00
तेल-------20 मिली.-------78 रु. लीटर-------1.56
शकर-------30 ग्राम-------32 रु. किलो-------0.96
दूध-------200 मिली.-------32 रु. लीटर-------6.40
फल-केला----1 नग-------24 रु. दर्जन-------2.00
मिश्रित सब्जी--150 ग्राम-------30 रु. किलो-------4.50
ईंधन-------------------455 रु. सिलेंडर-------3.80
यानी खाने का कुल खर्च-------32.32
गरीबी मापने का पैमाना
योजना आयोग ने दिसंबर 2005 में तेंडुलकर समिति का गठन किया था। समिति के सुझाए पैमानों के आधार पर आयोग किसी परिवार की गरीबी का आकलन करता है। पैमाने में स्वास्थ्य, शिक्षा पर किए जा रहे खर्च और भोजन में कैलोरी की गणना भी की जाती है।