तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 मार्च 2012
अन्ना रामदेव सपा मिलकर सरकार गिराने की कोशिशों में ......
थाने में सजा शादी का मंडप, पति ने कहा-जाओ खुश रहो प्रेमी संग
यह है मामला
बूटी बस्ती की रहने वाली 19 वर्षीय रूमा की शादी बीते 10 फरवरी को मांडू थाना क्षेत्र के ओरला करीमटी गांव के प्रेमलाल से हुई। रूमा के पिता रामलाल महतो हैं। विदाई के बाद ससुराल पहुंची रूमा कुछ ही दिन बाद वहां से भाग निकली। वह सीधे अपने आशिक अतुल कुमार दास के पास पहुंची। बीते 15 मार्च को दोनों ने खूंटी के एक मंदिर में शादी कर ली।
इस बीच रूमा के घरवालों ने तीन दिन पहले उसकी गुमशुदगी को लेकर सदर थाने में सनहा दर्ज करा दिया। सदर थाना में रूमा ने कहा कि वह बालिग है और अपनी मर्जी से अतुल के साथ रहना चाहती है। उसने कहा कि उसे अपने माता-पिता की संपत्ति में भी कोई हक नहीं चाहिए। उसने पति प्रेमलाल महतो के साथ रहने से पुलिस के सामने स्पष्ट इनकार कर दिया। यह सुनकर प्रेमलाल ने रूमा और अतुल की शादी कराने का फैसला किया।
रूमा की खुशी के लिए कराई शादी
प्रेमलाल महतो ने कहा कि जब उसे इस बात का आभास हुआ कि रूमा किसी और से प्रेम करती है, तभी उसने दोनों की शादी का निर्णय ले लिया था। इसीलिए रूमा को मुंह दिखाई में प्रेमलाल ने डेढ़ लाख रुपए के जेवरात दिए और कन्यादान किया। प्रेमलाल ने कहा कि उसने ठान लिया था कि वह रूमा को सारी खुशियां देगा, जो एक बाप अपनी बेटी को देता है।
एक मुस्लिम शासक की इच्छा से हुआ था माँ के इस मंदिर का निर्माण!
माँ के महान शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है, इस शक्तिपीठ को भद्रकाली के नाम से जाना जाता है, यहाँ माँ अपने तामसी स्वरुप में विराजमान है और अपने भक्तों का लगातार कल्याण कर रही है।प्रति शनिवार माँ के इस मंदिर में भक्तों की लम्बी कतारें देखना आम बात है, लेकिन चैत्र नवरात की अष्टमी और नवमी तिथि को इस मंदिर में राजस्थान के साथ-साथ हजारों की संख्या में हरियाणा, पंजाब के भक्तों का भी तांता लगा रहता है।
इस मंदिर का निर्माण लगभग 600 वर्षों पूर्व हुआ था, बीकानेर के छठवें महाराज राम सिंह के अनुसार यह मंदिर सम्राट अकबर की इच्छा से बनवाया गया था। यह मंदिर हनुमानगढ़ से 7 किमी की दूरी पर स्थित है
भारत की सीमा में 7 किमी तक घुसे चीनी हेलीकॉप्टर
नई दिल्ली. चीनी सेना ने एक बार फिर से भारतीय सीमा में घुसपैठ की है। पड़ोसी देश के आर्मी हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसीमा का उल्लंघन करते हुए हिमाचल के लाहौल-स्पीति वैली में सात किलोमीटर तक घुस आए। ये हेलीकॉप्टर देश की सीमा में 15 मिनट तक घूमते रहे। कौरिक क्षेत्र में हुई इस घटना के बारे में आईटीबीपी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंप दी है।
वाकया बीते 16 मार्च का बताया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने ऐसी घटनाओं के लिए केंद्र की यूपीए सरकार को निशाने पर लिया है। यह मामला गुरुवार को राज्य विधानसभा में भी खूब गूंजा। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार चीनी सैनिकों की लेह-लद्दाख में घुसपैठ और तिब्बत में उनकी गतिविधियों की अनदेखी कर रही है, इसलिए ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।
हिमाचल सरकार ने चीन के कब्जे वाले तिब्बत में 100 किलोमीटर दूरी पर हवाई अड्डा और रेल नेटवर्क बना लेने पर चिंता जाहिर की। सीएम धूमल ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण मामला है। उन्होंने कहा कि चीनी हेलीकॉप्टरों से जुड़े मामले पर प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। धूमल आज दिल्ली में ही हैं। उम्मीद है कि वो इस मामले को यहां भी केंद्र सरकार के सामने उठाएं।
पिछले साल भी चीनी हेलीकॉप्टर प्रदेश की सीमा में दाखिल हो गया था। स्पीति के गज्जू गांव में चीन का झंडा लगाया गया था। देश के सीमावर्ती स्पीति क्षेत्र में सुरक्षा देने के लिए एयर फोर्स को अंबाला एयर बेस कैंप से यहां पहुंचने में आधा घंटा से अधिक समय लग जाएगा।
चीनी युवक की चुप्पी से सुरक्षा एजेंसियां सकते में
आईपीएल सीजन-5 के धर्मशाला में आयोजित होने वाले मैचों से पहले मैक्लोडगंज में बिना वैध वीजा व दस्तावेजों के चीनी युवक की गिरफ्तारी से सुरक्षा एजेंसियां सकते में हैं। मैक्लोडगंज के जैडकेएल बौद्ध मठ के गेस्ट हाउस से जासूसी के आरोप में गिरफ्तार चीनी युवक ली चिंगसे की चुप्पी और इसके जांच में सहयोग न करने से केंद्रीय सुरक्षा एजंसियों के अधिकारियों को पूछताछ में परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है।
छमत्रुल रिम्पोछे के बौद्ध मठ के गेस्ट हाउस में कमरा लेकर रह रहा ली चिंगसे तिब्बती बौद्ध तांत्रिक विद्या में रुचि दिखा रहा था। छमत्रुल रिम्पोछे तिब्बती बौद्ध धर्म में तंत्र विद्या के बहुत बड़े ज्ञाता हैं तथा वर्तमान में उनके पास 37 देशों के बौद्ध अनुयायी स्टूडेंटस तंत्र विद्या का अध्ययन कर रहे हैं। ली चिंगसे ने तंत्र विद्या के प्रति रुचि दिखाते हुए तिब्बतियों के सर्वोज्च धर्मगुरु दलाईलामा से मिलने की इज्छा भी जताई थी।