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25 मार्च 2012

जानिए, क्यों मनाते हैं चैत्र नवरात्रि और इसका क्या महत्व है




हिंदू धर्म में विभिन्न अवसरों में मां शक्ति की आराधना की जाती है। मां शक्ति की आराधना के लिए नवरात्रि बहुत ही विशेष अवसर होता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि होती है। इनमें से दो गुप्त न दो प्रकट नवरात्रि होती है। गुप्त नवरात्रि आषाढ़ व माघ मास में आती है वहीं प्रकट नवरात्रि चैत्र तथा आश्विन मास में। इनमें से हर नवरात्रि का अपना विशेष महत्व है। इन दिनों (23 मार्च से 1 अप्रैल तक) चैत्र नवरात्रि चल रही है, जानिए चैत्र नवरात्रि क्यों मनाते हैं और ये क्यों खास है-

1 - ऋतुविज्ञान के अनुसार चैत्र मास से मौसम परिवर्तन होता है। चैत्र मास से ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। इस समय कार्य करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो नौ दिनों तक माता की आराधना करने से भक्तों को प्राप्त होती है।

2 - चैत्र प्रतिपदा से नवरात्रि का प्रारंभ होता है इसी दिन से हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ भी माना जाता है। नव शब्द नवीन और नौ संख्या का वाचक है। अत: नूतन संवत्सर के प्रारंभिक दिन होने के कारण उक्त दिनों को नव कहना सुसंगत है तथा दुर्गाओं की संख्या भी नौ होने से नौ दिन तक उपासना होती है।

3 - कृषि प्रधान देश भारत में फसलों की दृष्टि से भी चैत्र मास का विशेष महत्व है। चैत्र में आषाढ़ी फसल अर्थात गेहूं, जौं आदि फसल तैयार होकर घरों में आने लगती है। अत: इस अवसर पर नौ दिनों तक माता की आराधना की जाती है।

इसलिए खास है चैत्र नवरात्रि

1- धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र में विष्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था।

2- युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ भी इसी तिथि से माना जाता है।

3- मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी तिथि को हुआ था।

4- युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरम्भ इसी तिथि को माना जाता है।

5- उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् का प्रारम्भ भी इसी तिथि को किया गया था।

6- महर्षि दयानंद द्वारा आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की थी।

इन देवियों की होती है पूजा

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा-पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है। माता का यह स्वरूप हमें सीखाता है कि किस तरह विषम परिस्थितियों में भी हम हिमालय की तरह दृढ़ता से खड़े रहे।

चैत्र शुक्ल द्वितीया- दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन होता है। मां ब्रह्मचारिणी संदेश देती है कि तप शक्ति से हम किसी भी परिस्थिति पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

चैत्र शुक्ल तृतीया-तीसरे दिन मां चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की जाती है। इनकी कृपा से भक्त अपने शत्रु (बुराइयों) पर विजय प्राप्त कर सकता है।

चैत्र शुक्ल चतुर्थी- चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा की जाती है। मां कूष्माण्डा की उपासना से समस्त रोग-शोक का विनाश होकर आयु, यश व बल की वृद्धि होती है तथा अंधकार दूर होता है।

चैत्र शुक्ल पंचमी-पांचवें दिन पूजा होती है स्कंदमाता की। मां स्कंदमाता हमें सीखाती हैं कि किस तरह हम अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करें।

चैत्र शुक्ल षष्ठी-छठें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी संदेश देती हैं कि कठोर तपस्या से हर सुख प्राप्त हो जाता है।

चैत्र शुक्ल सप्तमी- मां दुर्गा की सातवीं शक्ति का नाम है कालरात्रि। मां कालरात्रि हमें सीखाती हैं कि चाहे जैसी भी विषम परिस्थिति हो हमें जीवन में भयमुक्त रहना चाहिए।

चैत्र शुक्ल अष्टमी-आठवां दिन माता महागौरी का है। देवी बताती हैं कि बिना आत्मबल के कुछ भी संभव नहीं है। अत: इस शक्ति की उपासना असंभव कार्य को भी संभव कर देती है।

चैत्र शुक्ल नवमी-इस दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। शिवजी इस ब्रह्मांड के पालनकर्ता है और मां सिद्धिदात्री उनके साथ इस ब्रह्मांड का संचालन करती हैं। इसी वजह से दुर्गा का यह रूप कार्य कुशलता का संदेश देता है।

कुरान का सनदेश

राजस्थान के गोपेन्द्रनाथ भट्ट को मिला 'कलम का सिपाही' पुरस्कार

चार अन्य प्रतिष्ठित पत्रकारों को भी मिला यह प्रतिष्ठित अवार्ड


जयपुर. नई दिल्ली स्थित राजस्थान सूचना केंद्र के संयुक्त निदेशक गोपेंद्र नाथ भट्ट को जनसंपर्क के क्षेत्र में प्रतिष्ठित भंवर सुराणा पत्रकारिता अवार्ड 'कलम का सिपाही पुरस्कार' प्रदान कर सम्मानित किया गया है।
अवार्ड समिति द्वारा भट्ट का चयन राजस्थान के आदिवासी अंचल, प्रदेश और राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विगत तीन दशकों में पहचान बनाने और उच्च मानदंड स्थापित करने के लिए दिया गया है। इस पुरस्कार की शुरूआत राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार दिवंगत भंवर सुराणा की स्मृति में की गई है। इस वर्ष चार अन्य प्रतिष्ठित पत्रकारों को भी यह अवार्ड प्रदान किया गया है।
भंवर सुराणा स्मृति समारोह की संयोजक श्रीमती शकुंतला सरूपरिया ने बताया कि स्वर्गीय भंवर सुराणा की स्मृति में 'वर्तमान समय में पत्रकारिता की चुनौतियों' विषयक व्याख्यान माला का आयोजन भी किया गया। जिसमें देश-प्रदेश के प्रतिष्ठित वरिष्ठ पत्रकारों ने शिरकत किया।

लोकपाल बिल लाओ या फिर जाओ: अन्ना

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नई दिल्ली. जनलोकपाल और अब मजबूत व्हिसल ब्लोअर बिल की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर टीम अन्ना का एक दिवसीय अनशन समाप्त हो गया। अन्ना ने समापन भाषण में अनशन के दौरान शामिल हुए पूरे देश के लोगों को धन्यवाद दिया।
अन्ना ने कहा, '' केंद्र सरकार बहरी हो चुकी है। इसका खामियाजा उसे 2014 के लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़ेगा। हमारा नारा है लोकपाल बिल लाओ या फिर जाओ। अब हम सरकार को चिठ्ठी नहीं लिखेंगे। सरकार के पीछे नहीं घूमेंगे। सरकार को राइट टू रिजेक्ट बिल लाना ही होगा। काननू इंग्लैंड में नहीं बनता, यही बनता है। सरकार को भी इस कानून को पास करना ही होगा।'
उन्होंने कहा, ''भ्रष्टाचारा मिटाने के लिए सरकार के मन में खोट है। यदि वह चाहती तो लोकपाल बिल अभी तक पास हो चुका होता। विधान सभा से बड़ी ग्राम सभा है। चंदा लेने के बहाने काले धन की हेराफेरी होती है। सभी राजनीतिक पार्टियां उद्योगपतियों से चंदा लेती हैं। डोनेशन के लिए एक-एक पैसों का हिसाब होना चाहिए।''
उन्होंने कहा, ''मैंने छह कैबिनेट मंत्रियों का विकेट लिया है। अभी कई मंत्रियों का लेना बाकी है। जल्द ही देश भर में घूमूंगा। राज्यों में जाउंगा। अभी नहीं तो कभी नहीं। देश को बदलना ही होगा।''
लालू पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, '' 10-12 बच्चे पैदा करने वाले क्या जाने ब्रह्मचर्य की ताकत। मैंने ब्रह्मचर्य का पालन किया है। अगस्त तक सभी आरोपी मंत्रियों पर केस दर्ज होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम फिर रामलीला मैदान में एक बड़ा आंदोलन करेंगे। अभी तक हम अकेले थे। अब पूरा देश एक साथ है।''
रामदेव-अन्ना साथ-साथ
अन्ना हजारे ने कहा है कि उनके साथ रामदेव जुड़ गए हैं। रामदेव के अनुयायी अब अन्ना आंदोलन में सहभागी बनेंगे। एक साथ एक शक्ति बनकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन करेंगे।
गांधी के सपने को मिट्टी में मिला दिया
अन्‍ना ने कहा कि आज भ्रष्‍टाचार के चलते साधारण लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। भ्रष्‍टाचारियों ने महात्‍मा गांधी के सपने को मिट्टी में मिला दिया है। टीम अन्ना के अनुसार भ्रष्टाचार उजागर करने की कोशिश में जान गंवा बैठे व्हिसल ब्लोअर्स के परिवार वाले इस दौरान अपनी पीड़ा सबके सामने रखेंगे।
गूंगी-बहरी सरकार

उन्‍होंने कहा, ‘देश में पिछले 10 साल में करीब 25 सच के सिपाहियों (व्हिसल ब्लोअर्स) की हत्‍या हुई है, उनके लिए लड़ने जा रहे हैं। सरकार संवेदनशील नहीं है। उसे इन सिपाहियों के परिवारवालों के आंसुओं से फर्क नहीं पड़ता। सरकार गूंगी-बहरी बन कर बैठी है। जब बड़ा आंदोलन होगा तब सरकार को सुनाई देगा।

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