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27 मार्च 2012

शिक्षा माफिया देश को लुटेरे उत्पाद कर दे रहा है ...........लाखों की फ़ीस वसूली के चक्कर में मामला बिगड़ रहा है

दोस्तों और छोटे बढ़े बच्चों के अभिभावकों आपका दर्द सरकार नहीं जानती ..सुप्रीमकोर्ट और देश की संसद नहीं जानती ...देश के पूंजीपति नहीं जानते सब देखते है लेकिन कोई मानता ही नहीं ..एक तरफ तो संविधान की भावना और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत बच्चों पर स्कुल के बसते का बोझ है दूसरी तरफ अभिभावकों पर हजारों हजार की फ़ीस का बेमतलब का बोझ है ......स्कूलों के खुलने का वक्त आया ..परिक्षाए खत्म हुईं ..नये एडमिशन शुरू हुए और शिक्षा माफिया की आर्थिक लूट शुरू हो गयी है ...सब जानते है के देश में निजी शिक्षा के नाम पर यह स्कुल करोड़ों अरबों की सरकारी ज़मीं पर सुविधाएँ लेकर करोड़ों अरबों की बिल्डिंग बना कर बेठे है ..बच्चों की फ़ीस से ही यह लोग बिल्डिंग बनाते है ....लाखों करोड़ों के अपने वातानुकूलित चेम्बर बनाते है और बेमतलब की बच्चों से मनमानी फ़ीस वसूलते है .सी बी एस सी के स्कुल जिन को नियंत्रित करने के लियें स्थानीय स्तर पर जिला अधिअकरी नहीं है वहां तो यह लूट चरम सीमा पर है ...सी बी एस सी स्कूलों की लूट से सभी दुखी है ..कई लोग तो ऐसे है के दर्जनों जगह अपने स्कूल खोल कर बेठे है और स्कूलों में शिक्षा स्तर का जरा भी ध्यान नहीं है हो भी क्यूँ दसवी तक पास होना जरूरी नहीं बाद में कोचिंग के नाम पर शिक्षा का भार हो जाता है स्कुल में तो सिर्फ हाजरी हां फर्जी हाजरी लगाने के पचास हजार से एक लाख रूपये फ़ीस के लियें जाते है ..यह घोटाला यह गबन स्कूलों में लगातार चल रहा है ......बच्चा कोचिंग में हाजरी स्कुल में है .....फ़ीस में ..बस में ..किताबों के कमीशन में .....विशेष शुल्क में ...एनवल फंक्शन में ....युनिफोर्म में ..पिकनिक में ..कार्यक्रमों में सभी में तो स्कूलों की लूट है जो कल कंगाल था निजी स्कुल खोल कर आज करोड़ पति है ..इतनी फ़ीस लेने के बाद भी स्कुल में अप्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा पढाई ..बच्चों के साथ दुर्व्यवहार ..उन्हें पीने के पानी ..आवश्यक सुविधाओं का अभाव .....स्कूलों में रंगरेलियों की शिकायतें आम है और जनाब दो कोडी के लोग जो स्कुल के संचालक बने है वोह अभिभावकों को घंटो वातानुकूलित चेम्बर में बेठ कर इन्तिज़ार करवाते है टीचरों का व्यवहार सही नहीं है ..............यह हाल केवल कोटा ..राजस्थान ..दिल्ली ..मुम्बई के स्कूलों का नहीं देश के हर स्कुल का हर गली मोहल्ले के स्कूलों की हालत यही बंटी जा रही है ..सरकार ने काभी भी स्कूलों के इन हालातों पर शिकंजा नहीं कसा है कभी जनता ..अभिभावक और बच्चों के दर्द को नहीं समझा है ऐसे में इस देश की काय कल्प केसे होगी इस देश में तो बच्चा अगर लूट कर पढ़ेगा बच्चे को शिक्षा माफिया शिक्षा देगा तो घोटालेबाज डोक्टर .....घोतालेबाज़ इंजीनियर ...घोतालेबाज़ अधिकारी कर्मचारी ..घोतालेबाज़ नेता ही देश को मिलेंगे क्योंकि जिस बच्चे और अभिभावक का स्कूलों ने खून चूस चूस कर पीया है उसके बदले वोह जनता से ही तो निकालेंगे ,,,,श्री श्री रविन्द्र जी महाराज का क्या कहना वोह तो इस शिक्षा माफिया के दलाल निकले आज डोक्टर मरीज़ को लुटता है ...आज न्यायालयों में इन्साफ नहीं मिलने की शिकायते हैं ..संसद में रिश्वतखोरी है ...सेना में रिश्वत खोरी भ्रष्टाचार .....सडकों पर लूट ....जो भी अराजकता है वोह सब इसी शिक्षा व्यवस्था की लूट हा पहले स्कूलों में नेतिक शिक्षा मिलती थी आज स्कूलों में व्यापारीकरण का पाठ पढाया जाता है लेकिन इस सच को सब जानकार भी इस देश का बेड़ा गर्क होने से बचा नहीं पा रहे हैं खुदा खेर करे और अल्लाह देश की संसद में बेठे लोगों को इस मामले पर विचार कर इसे सूधारने की नेक हिदायत दे .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इस तीर्थ स्थान पर गिरी थी देवी सती के हाथों की अंगुलियां!



हिंदू धर्म के अनुसार देवी सती के अंग जहां-जहां गिरे वहां शक्तिपीठ के रूप में उनकी आराधना की जाती है। ऐसी ही एक प्रमुख शक्तिपीठ है ललिता देवी। यह शक्तिपीठ इलाहाबाद के प्रयाग में है। वैसे तो अलोपीदेवी स्थित ललितादेवी ही शक्तिपीठ है लेकिन अक्षयवट के पास कल्याणी या ललिता देवी का मंदिर है, इसे भी शक्तिपीठ माना जाता है।

कुछ लोग मीरापुर के ललितादेवी मंदिर को भी शक्तिपीठ मानते हैं लेकिन इतना तय है कि देवी सती के शरीर के अंग प्रयाग में गिरे थे। देवी का यह मंदिर बड़ा ही मनोरम है। मुख्य प्रतिमा के पास अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं। पुराणों के अनुसार प्रयाग में भगवती ललिता का स्थान अक्षयवट प्रांगण से वायव्यकोण यानी उत्तर-पश्चिम कोने में यमुना नदी के किनारे पर है। प्रयाग माहात्मय के अनुसार ललिता और कल्याणी दोनों एक ही हैं।

त्रिवेणी संगम से थोड़ी दूर किले के अंदर अक्षयवट है। किले के यमुना किनारे वाले भाग में अक्षयवट का दर्शन सप्ताह में दो दिन सबके लिए खुला रहता है। कहते हैं कि इस स्थान की भूमि के नीचे कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। प्रयाग के तीर्थ स्थानों में अक्षयवट का बड़ा महत्व है। जैन समाज के लोग भी इसे पवित्र स्थान मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसके नीचे ऋषभदेवजी ने तपस्या की थी। ऐसा माना जाता है कि प्रयाग में देवी सती के हाथों की अंगुलियां गिरी थीं।

कैसे जाएं - प्रयाग केंद्र स्थान होने के कारण वहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इलाहाबाद तक रेल द्वारा पहुंच सकते हैं। इसके बाद बस या अन्य लोक परिवहन के साधनों द्वारा पहुंच सकते हैं।

आलू से हो सकती है आपकी कायापलट....ये पढ़ेंगें तो जान जाएंगें




वैसे तो आलू का चरबी बढ़ाने वाला वाला माना जाता है,लेकिन आलू के फायदे बहुत कम लोग जानते हैं। हम बताते हैं आपको आलू के कुछ ऐसे ही गुण जो शायद आप नहीं जानते होंगे। आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा आयरन , कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्त्व होते हैं। आलू के प्रति 100 ग्राम में 1.6 प्रतिशत प्रोटीन, 22.6 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 0.1 प्रतिशत वसा, 0.4 प्रतिशत खनिज और 97 प्रतिशत कैलोरी ऊर्जा पाई जाती है।

- आलू उबालने के बाद बचे पानी में एक आलू मसलकर बाल धोने से आश्चर्यजनक रूप से बाल चमकीले, मुलायम और जड़ों से मजबूत होंगे। सिर में खाज, सफेद होना व गंजापन तत्काल रुक जाता है।

- जलने पर कच्चा आलू कुचलकर जले भाग पर तुरंत लगा देने से आराम मिल जाता है। - आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा।

- आलू के रस में नींबू रस की कुछ बूंदें मिलाकर लगाने से धब्बे हल्के हो जाते हैं।

- आलू के टुकड़ों को गर्दन, कुहनियों आदि सख्त स्थानों पर रगडऩे से वहां की त्वचा साफ एवं कोमल हो जाती है।

- आलू भूनकर नमक के साथ खाने से चर्बी की मात्रा में कमी होती है।

- झाइयों तथा झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए आलू के रस में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर झाइयों और झुर्रियों पर लगाएं। बीस मिनट बाद चेहरा पानी से साफ कर लें।

- भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।

- चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर खाएँ। इससे गठिया ठीक हो जाता है।

- उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।

- कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5 से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है।

इस आदमी के जिंदा रहने की कहानी सुन आप भी दहल जाएंगे

मुरैना-अंबाह. 65 फीट गहरे कुएं में साढ़े सात घंटे तक रेत व मिट्टी में दबे रहने के बाद भी कोई यदि जिंदा निकले तो इसे चमत्कार ही कहा जाएगा। लेकिन सोमवार को अंबाह के मिल्हेड़ा गांव में ऐसा ही हुआ।

जितनी रेत हटाते, उतनी रेत आ जाती

एक विकलांग युवक कुएं में सफाई के दौरान रेत व मिट्टी से दब गया। उसके साथी जितनी रेत हटाते, उतनी रेत आ जाती। आखिर साथियों की साढ़े सात घंटे की मेहनत के बाद युवक को बचा लिया गया। हालांकि मौके पर टीआई से लेकर एसपी तक व एसडीएम से लेकर कलेक्टर भी पहुंच गए थे।

कुआं 65 फीट गहरा , गले तक हरेन्द्र दब गया

हुआ यूं कि अंबाह के मिल्हेड़ा निवासी सुरेन्द्र सिंह तोमर के खेत पर स्थित कुएं की सफाई का काम सोमवार को सुबह शुरू हुआ। टेहरीपुरा निवासी हरेन्द्र पुत्र गजाधर गुर्जर कुएं में सफाई के लिए उतरा। कुआं करीब 65 फीट गहरा था। जैसे ही हरेन्द्र ने सफाई शुरू की, वैसे ही कुएं में रेत की परत खुल गई। जिससे गले तक हरेन्द्र दब गया। यह घटना उसके साथियों ने देख ली। तब करीब सुबह के आठ बजे थे। घटना की सूचना पुलिस को दी। नौ बजे टीआई आरकेएस राठौर पहुंच गए। साथ ही एसडीएम भी पहुंच गए। इस दौरान लोगों ने हरेन्द्र को बचाने का प्रयास किया। लेकिन जितना रेत हटाते उतना रेत निकल आता।

तीन बजे जिंदा निकाल लिया

करीब दो बजे जान की बाजी लगाकर हरेन्द्र के साथी विशंभर ङ्क्षसह, सोनू सिंह भूपेन्द्र, रामदयाल, संजू, कुएं में उतरे। काफी प्रयास के बाद हरेन्द्र को आखिर तीन बजे जिंदा निकाल लिया। घटना की सूचना मिलते ही कलेक्टर डीडी अग्रवाल व एसपी संजय कुमार मौके पर पहुंच गए। हरेन्द्र को गंभीर हालत में अंबाह अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

फेसबुक पर शुरू हुआ दुश्‍मन बनाने का नया ऐप

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फेसबुक पर अभी तक आप दोस्त बनाते थे और अपनी पसंदीदा जगहों, चीजों, स्टार्स से जुड़े पेज को लाइक कर अपनी पसंद ही जाहिर करते थे लेकिन अब एक ऐसी एप्लीकेशन भी आ गई है जिसके जरिए आप अपनी दुश्मनी या चीजों के प्रति नाराजगी भी खुल कर जाहिर कर सकते हैं। एनिमीग्राफ नाम की नई एप्लीकेशन आपको फेसबुक पर दुश्मन बनाने का मौका देती है। इस एप्लीकेशन के जरिए आप सबको यह बता सकेंगे कि किन चीजों का आप नापसंद करते हैं और किन्हें आप दुश्मन मानते हैं। यहां आप किसी भी चीज के प्रति अपने मन में छुपी नफरत या नाराजगी सबको बता सकते हैं।
इस एप्लीकेशन को टेक्सास यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर और दो छात्रों ने विकसित किया है। यूनिवर्सिटी में इमर्जिंग मीडिया प्रोग्राम के निदेशक डीन टैरी ने इस एप्लीकेशन का कांसेप्ट दिया और इसे ब्रेडले ग्रिफिन और हैरिसन मैसी नाम के छात्रों ने विकसित किया। ग्रिफिन के मुताबिक इस एप्लीकेशन से अभी तक करीब 400 लोग जुड़ चुके हैं। ग्रिफिन का कहना है कि मीडिया कवरेज के जरिए उनकी टीम का मूल उद्देश्य जो कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर बहस शुरु करना था, पूरा होता दिख रहा है। टैरी कहते हैं कि हमारे ऊपर भद्रता थोप दी जाती है। यही चीज मुझे हर वक्त चुभती रहती थी। हम लोगों को नाराजगी जाहिर करने का भी मौका देना चाहते थे। हम दुश्मन शब्द का इस्तेमाल उसी तरह कर रहे हैं जिस तरह फेसबुक दोस्त शब्द का करता है। यदि आप किसी से दोस्ती को सार्वजनिक कर सकते हैं तो आप दुश्मनी या अपनी नापसंद को भी सार्वजनिक कर सकते हैं।

टैरी का मानना है कि बाजार पर नजर रखने वाले लोग भी उनकी एप्लीकेशन के जरिए फायदा उठा सकते हैं। लोगों की पसंद तो आसानी से पता चल जाती है लेकिन यह भी मायने रखता है कि किस चीज को लेकर लोगों में नाराजगी है। हालांकि टैरी यह भी मानते हैं कि उनकी एप्लीकेशन फेसबुक को नागवार गुजर सकती है। इससे पहले उन्होंने ट्विटर पर भी एक एप्लीकेशन शुरु किया था जो किसी व्यक्ति की डिलीट की गई ट्वीट्स को उसकी मौत के बाद रीकवर कर सकता था। इस एप्लीकेशन को ट्विटर ने बंद करवा दिया था। टैरी को लगता है कि उनकी फेसबुक एप्लीकेशन एनिमीग्राफ का भी यही असर हो सकता है क्योंकि यह फेसबुक के सोशल नेटवर्किंग के सिद्धांतों और पॉलिसी के खिलाफ है। आप टैरी और उनके छात्रों द्वारा विकसित इस एप्लीकेशन को यहां क्लिक करके ट्राई कर सकते हैं।

'खतरे में देश, गोला-बारूद खत्म हवाई सुरक्षा बेकार'

नई दिल्ली.सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने देश की सुरक्षा को खतरे में बताया है। उन्होंने इस बाबत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गोपनीय चिट्ठी लिखी है। पत्र में कहा गया है कि सेना के टैंक का गोला-बारूद खत्म हो चुका है। हवाई सुरक्षा के उपकरण अपनी ताकत खो चुके हैं। इतना ही नहीं पैदल सेना के पास हथियारों तक की कमी है।

31 मई को रिटायर होने जा रहे सेना प्रमुख जनरल सिंह उम्र विवाद के बाद 14 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश मामले से विवादों में हैं। जनरल सिंह ने सेना की खस्ता हालत के बारे में 12 मार्च को प्रधानमंत्री को पांच पन्ने की चिट्ठी लिखी। चिट्ठी मंगलवार को सामने आई है। सिंह ने पत्र में लिखा, ‘हमारे सभी प्रयासों और रक्षा मंत्रालय के निर्देशों के बावजूद तैयारियां नहीं दिख रही है। मैं यह सूचित करने को विवश हूं कि सेना की मौजूदा हालत संतोषजनक से कोसों दूर है। ‘खोखलेपन’ की स्थिति से बहुत ज्यादा स्पष्ट अंतर नहीं दिख रहा।

सेना की खामियां तुरंत दूर करने की जरूरत

दो विरोधी पड़ोसियों से देश की सुरक्षा सेना की क्षमताओं से जुड़ी है। इस वजह से सेना की खामियों को तत्काल प्रभाव से दूर करने की जरूरत है। देश के प्रमुख हथियारों की हालत भयावह है। इनमें मैकेनाइज्ड फोर्सेस, तोपखाने, हवाई सुरक्षा, पैदल सेना और विशेष फोर्सेस के साथ ही इंजीनियर्स और सिग्नल्स शामिल हैं।’

चिट्ठी में और भी कुछ मुद्दों को उठाया है, आईटीबीपी के संचालन का अधिकार सेना को चाहिए। सेना में हवाई बेड़े की जरूरतों को पूरा किया जाए। चीन उत्तरी सीमा पर बड़ी तेजी से विकास कार्य कर रहा है। ऐसे में राज्यों से सिंगल विंडो क्लीयरेंस के तहत बुनियादी विकास की अनुमति दिलवाई जाए।

कुरान का संदेश

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