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04 अप्रैल 2012

कुरान का संदेश


यह रोचक किस्सा भी था हनुमान की पूंछ से लंका जलने की वजह!

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श्री हनुमान रामायण रूपी माला के रत्न पुकारे गए हैं, क्योंकि श्री हनुमान की लीला और किए गए कार्य अतुलनीय और कल्याणकारी रहे। श्री हनुमान ने जहां राम और माता सीता की सेवा कर भक्ति के आदर्श स्थापित किए, वहीं राक्षसों का मर्दन किया, लक्ष्मण के प्राणदाता बने, देवताओं के भी संकटमोचक बने और भक्तों के लिए कल्याणकारी बने। रामायण में आए श्री हनुमान से जुड़े ऐसे ही अद्भुत संकटमोचन करने वाले प्रसंगों में लंकादहन भी प्रसिद्ध है।

सामान्यत: लंकादहन के संबंध में यही माना जाता है कि सीता की खोज करते हुए लंका पहुंचे और रावण के पुत्र सहित अनेक राक्षसों का अंत कर दिया। तब रावण के पुत्र मेघनाद ने श्री हनुमान को ब्रह्मास्त्र छोड़कर काबू किया और रावण ने श्री हनुमान की पूंछ में आग लगाने का दण्ड दिया। तब उसी जलती पूंछ से श्री हनुमान ने लंका में आग लगा रावण का दंभ चूर किया। किंतु पुराणों में लंकादहन के पीछे भी एक और रोचक बात जुड़ी है, जिसके कारण श्री हनुमान ने पूंछ से लंका में आग लगाई। जानते हैं वह रोचक बात -

दरअसल, श्री हनुमान शिव अवतार है। शिव से ही जुड़ा है यह रोचक प्रसंग। एक बार माता पार्वती की इच्छा पर शिव ने कुबेर से सोने का सुंदर महल का निर्माण करवाया। किंतु रावण इस महल की सुंदरता पर मोहित हो गया। वह ब्राह्मण का वेश रखकर शिव के पास गया। उसने महल में प्रवेश के लिए शिव-पार्वती से पूजा कराकर दक्षिणा के रूप में वह महल ही मांग लिया। भक्त को पहचान शिव ने प्रसन्न होकर वह महल दान दे दिया।

दान में महल प्राप्त करने के बाद रावण के मन में विचार आया कि यह महल असल में माता पार्वती के कहने पर बनाया गया। इसलिए उनकी सहमति के बिना यह शुभ नहीं होगा। तब उसने शिवजी से माता पार्वती को भी मांग लिया और भोलेभंडारी शिव ने इसे भी स्वीकार कर लिया। जब रावण उस सोने के महल सहित मां पार्वती को ले जाना लगा। तब अचंभित और दु:खी माता पार्वती ने विष्णु को स्मरण किया और उन्होंने आकर माता की रक्षा की।

जब माता पार्वती अप्रसन्न हो गई तो शिव ने अपनी गलती को मानते हुए मां पार्वती को वचन दिया कि त्रेतायुग में मैं वानर रूप हनुमान का अवतार लूंगा उस समय तुम मेरी पूंछ बन जाना। जब मैं माता सीता की खोज में इसी सोने के महल यानी लंका जाऊंगा तो तुम पूंछ के रूप में लंका को आग लगाकर रावण को दण्डित करना।

यही प्रसंग भी शिव के श्री हनुमान अवतार और लंकादहन का एक कारण माना जाता है।

गहलोत का कोटा में जबर्दस्त स्वागत ..लेकिन एयपोर्ट पर कार्यकर्ताओं की व्यवस्था मामले में प्रशासन फेल

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कोटा सम्भाग दौर के दोरान सभी कोंग्रेसियों ने जय घोष के नारे के साथ स्वागत किया ..अशोक गहलोत ने भी एयरपोर्ट पर उपस्थित सभी कोंग्रेसियों का विनम्रता से अभिवादन किया ..अशोक गहलोत का कोटा सम्भाग दोरा यूँ तो कोटा एयरपोर्ट का इस्तेमाल और फिर यहाँ से हेलिकोप्टर से मनोहर थाना और फिर केशोराय पाटन जाने तक का था ....गहलोत ने अपनी इस यात्रा के दोरान सरकार की उपलब्धियां भी गिनायीं तो विपक्षियों के कान भी उमेठे ..........गहलोत की कोटा यात्रा को लेकर स्थानीय प्रशासनिक प्रबंधन की पोल खुल गयी और सत्ता पक्ष के कई लोग प्रशासन से नाराज़ हो गये ..............कोटा एयपोर्ट पर पुलिस की सुरक्षा इन्तिज़ाम थे आने जाने वालों के लियें दो पास एक हरा एक लाल बनाया गया था हरे पास वाले को अन्दर वी आई पी लोबी में जाने की इजाज़त थी जबकि लाल पास वालों को चारदीवारी के पहले ही रोक दिया था .लाल पास वालो की संख्या ज्यादा थी ...नगर निगम को प्रशासन ने वहां कार्यकर्ताओं को बिठाने के लियें कुर्सियों और धुप से बचने के लियें टेंट की व्यवस्था करना थी ..गर्मी ज्यादा थी इसलियें लोगों के पीने के लियें पानी की व्यवस्था का भी इन्तिज़ाम था ..लेकिन इस मामले में प्रशासन को कोंग्रेस के कार्यकर्ताओं ने एक दम फेल साबित कर दिया ..सेकड़ों की तादाद में कार्यकर्ता और गिनती की कुर्सियां टेंट भी आनन् फानन में उल्टा सीधा लगाया गया था और पीने के पानी के लियें टेंकर की व्यवस्था की गयी थी ..प्यासे कार्यकर्ता टेंकर की तरफ जाते थे और गरम पानी देख कर वापस आ जाते थे ..कार्यकर्ता कहते थे के टेंकर का पानी जो ठेकेदारों द्वारा भवन निर्माण में काम में लिया जाता है अगर वोह कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं को पिलाने के लियें रखा है तो इससे बेशर्मी की बात क्या हो सकती है कुछ कार्यकर्ता कह रहे थे के अगर हमे कहते तो हम पानी की हेम्पर और डिस्पोज़ल गिलास की व्यवस्था कर देते ताकि कार्यकर्ता प्यासे तड़पते तो नहीं .......कोंग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक दो अखबार वालों को भी यह समस्या बताई उनका कहना था के आप जिंदाबाद और मुर्दाबाद की तो खबरें बहुत बनाते हो लेकिन यह खबरें आप शायद ना तो छापोगे और न ही टी वी पर बताओगे जबकि ज़मीं से जुडी यही खबर है ताकि भविष्य में ऐसे वक्त पर कार्यकर्ताओं के लियें पीने के पानी और बेठने का इन्तिज़ाम तो सही हो सके ..में सोचता रहा के यह खबर अख़बार में पत्रकारों को बताने के बाद भी छप पाएगी या नहीं लेकिन में तो अपने ब्लॉग और फेसबुक पर अपने साथियों से शेयर कर ही लूँ ताकि कोई अगर इसे पढ़े देखे तो भविष्य में मुख्यमंत्री और वी आई पी यात्राओं के दोरान इन कमियों को सुधारे और कार्यकर्ताओं को तकलीफ न हो इसका ध्यान वोह लोग रख सकें ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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