तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 अप्रैल 2012
कोटा सहित देश की कोंग्रेस पर सत्ता हावी
सी बी आई का नेता की गिरफ्तारी के लियें अलग रुख और लेट लतीफी से नाराज़ है हाईकोर्ट
कब्र में जैसे ही मृत बच्ची को लिटाया, हो गया चमत्कार
हालांकि, प्री-मैच्योर होने के कारण उसका स्वास्थ्य खराब है। जिस नर्सिग होम में यह लापरवाही बरती गई, वह महापौर डॉ. रत्ना जैन का है। वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की केंद्रीय समिति की सदस्य भी हैं। इस घटना को लेकर परिजनों में आक्रोश है, लेकिन वे फिलहाल इसलिए चुप हैं, क्योंकि जच्च की तबीयत खराब है और वह नर्सिग होम में भर्ती है।
दूसरी ओर, नवजात बेटी का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है। फिलहाल परिजन किसी कानूनी पचड़े में उलझने की बजाय इलाज पर ध्यान दे रहे हैं। नवजात के पिता अमित का कहना है कि इस बारे में बाद में विचार किया जाएगा।
नांता के विकास नगर में रहने वाले अमित मीणा की पत्नी रेणु को शुक्रवार सुबह प्रसव पीड़ा हुई थी। परिजन उसे महापौर के नयापुरा स्थित रत्ना नर्सिग होम ले गए। रेणु को प्री मैच्योर (5 माह) डिलीवरी हुई और बेटी को जन्म दिया। करीब ढाई घंटे बाद डॉक्टर ने बच्ची को जीवित नहीं बताते हुए उसे अमित को सौंप दिया। अमित अन्य परिजनों के साथ उसे दफनाने के लिए नयापुरा मुक्तिधाम पहुंच गए। कब्र खोद दी गई।
नवजात के शव उसमें रखा ही जा रहा था कि अमित के सीने से चिपकी बच्ची के शरीर में कुछ हरकत हुई। अमित चौंक गया। उसे हिलाया-डुलाया तो बच्ची जीवित निकली। गम के आंसू खुशी में तबदील हो गए। बच्ची को सीधे नर्सिग होम लाया गया। डॉ. रत्ना जैन ने जांच की तो वे भी चौंक गई।
ढाई घंटे पहले मृत घोषित बच्ची जीवित घोषित कर दी गई। इसके बाद डॉ. जैन ने उसे अपने पति डॉ. अशोक जैन की पार्टनरशिप वाले तलवंडी स्थित निजी अस्पताल में रैफर कर दिया। उधर, बेटी के गम में सुध-बुध खोकर बैठी रेणु को भी उसके जीवित होने का पता लगा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
महापाप से बच गया : अमित
अगर मेरी बेटी के शरीर में हरकत का अहसास होने में जरा सी भी देर हो जाती तो मैं उसे अपने हाथों से जिंदा दफन कर चुका होता। महापाप हो जाता। मैं इस महापाप से बच गया।
छाती से चिपके रहने से लौट आई धड़कनें : डॉक्टर
नर्सिग होम संचालक डॉ. रत्ना जैन का कहना है कि रेणु की प्री-मैच्योर (५ माह) डिलीवरी थी। बच्ची का वजन ५६क् ग्राम था। शरीर नीला पड़ चुका था, धड़कन भी नहीं थी। इसकी जानकारी परिजनों को दे दी गई। हम रेणु को संभालने में जुट गए। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने बेटी परिजनों को सौंप दी। काफी देर सीने से चिपकाए रखने से उसकी धड़कन लौट आई। मेडिकल साइंस के अनुसार 5 माह का शिशु भ्रूण के बराबर ही होता है। ऐसे बच्चे कम ही बच पाते हैं।
बच जाते हैं पांच माह में जन्मे बच्चे
सबसे छोटा प्रीमेच्योर बच्चा जर्मनी की फ्रीडा है। इसका जन्म गर्भधारण के पांच माह में हो गया था। वजन 460 ग्राम और लंबाई 11 इंच थी। यह जीवित रही। दिल्ली के शालीमार बाग में भी पिछले साल फरवरी में एक बच्ची का जन्म गर्भधारण के 5 माह में हुआ था। जन्म के वक्त उसका वजन 600 ग्राम था।
जरा गौर से देखिए.. ये है सोने की 300 साल पुरानी कुरान!
परिवार के मुखिया साजिद हमीद (55) ने कहा कि हमें आज फक्र है कि हमारी अनोखी सुनहरी कुरान को सरकार की तरफ से भी अहिमयत मिली है। हमारे जिले में ये तो पहले से ही सालों से ही चर्चा का विषय बनी रही है।
इस कुरान का आकर्षण उसकी सोने की जिल्द है। 1756 पन्नों वाली कुरान में जहां जिल्द सोने की बारीक कलाकृतियों से गढ़ी हुई है, वहीं इसके पन्ने सोने के पत्ती के रूप में हैं। हामिद परिवार के मुताबिक पांच पीढ़ियों से उन्होंने यह कुरान संजोकर रखी है। साजिद के दादा वाजिद अली को यह उनके दादा से मिली थी और तब से पीढ़ी दर पीढ़ी हम लोग इसे संजोते आ रहे हैं।
मन्नत पूरी होने पर बनवाई थी
साजिद के अनुसार उनके परिवार की कोई एक मन्नत पूरी होने पर उनके पूर्वजों ने अल्लाह के लिए अपनी मोहब्बत जाहिर करने के लिए विशेष कारीगरों द्वारा ये कुरान बनवाई थी। अपने पूर्वजों से मिली कुरान का रखरखाव के लिए साजिद खास ध्यान देते हैं। सिर्फ इसी कुरान के लिए एक पारदर्शी आलमारी बनवाई है, जिसमें इसको रखा है। पढ़ने के लिए वो इसको नहीं निकालते क्योंकि उनका मानना है कि रोज खोलकर पढ़ने से इस कुरान के पन्नों को नुकसान पहुंच सकता है।
वह कहते हैं कि मैं इसको किसी भी हाल में खोना नहीं चाहता है। यह मेरे पूर्वजों की पहचान है। मैंने अभी से अपने बेटे को सख्त हिदायत दे दी है कि मेरे न रहने पर इस कुरान को मेरी याद सझकर उसी तरह संजोकर मिसाल कायम करेगा, जो हमारा परिवार वर्षो से करता आ रहा है।
साजिद के मुताबिक कुछ समय पहले केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने जिला प्रशासन से संप साधा जिसके बाद कुछ अधिकारी मुझसे मिलने आए। उस समय मुझे बताया गया कि सरकार ने इसकी पहचान महत्वपूर्ण पांडुलुपि के रूप में की है और वह जब चाहेगी इस धरोहर को अपने संरक्षण में ले सकती है।
अनोखी सुनहरी कुरान को रखने के लिए हामिद परिवार की वर्षों से केवल मुहल्ले ही नहीं पूरे जौनपुर में चर्चा होती है। उसे देखने के लिए लोगों को तांता लगा रहता है। पड़ोसी तौफीक अहमद कहते हैं कि हम लोगों को इस बात का फक्र है कि ऐसी नायाब चीज हमारे शहर में मौजूद है।
इस रहस्यमयी तालाब में डुबकी लगाते ही होता है चमत्कार!
बूढ़े बाबा के मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु भारी संख्या में आते हैं। इसी दौरान रोगी खासकर जिन्हे चर्म रोग हुआ होता है, इस तालाब में स्नान करते हैं।
मान्यता है कि यहां के तालाब में स्नान के बाद चर्म रोग दूर हो जाते हैं। मेले में आए प्रत्यक्षदर्शी रामप्रताप के मुताबिक, उनके भतीजे को पिछले 5 साल से चर्मरोग था। उन्होंने इसका इलाज कई जगह कराया, लेकिन रोग ठीक नहीं हो सका। उनको किसी ने इस तालाब के बारे में बताया। उन्होंने भतीजे को इस तालाब में स्नान कराया। इसके कुछ दिन बाद ही चर्मरोग ठीक हो गया।
21वीं सदी में इस तरह के चमत्कारों को अंधविश्वास माना जाता है, लेकिन लोगों की आस्था और फायदे ने विज्ञान के तर्क को झुठला दिया है। एक स्थानीय शिक्षक के मुताबिक, तालाब से कुछ इस तरह के रसायन निकलते हैं, जो इन बिमारियों के लिए फायदेमंद होते हैं। इसलिए चर्मरोग आदि ठीक हो जाते हैं।
वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री ने यह क्या बोल डाला
इसका मुझे दुख है और मैं इसकी निंदा करता हूं। गहलोत शुक्रवार को यहां सिरसी रोड पर बिंदायका में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। गहलोत ने कहा कि लोग कहते हैं कि अकेले राजेंद्र राठौड़ के कहने से एडीजी रैंक के अफसर और अन्य अधिकारी फर्जी एनकाउंटर कैसे कर सकते हैं, तब तक कि और कोई बड़े लोगों का हाथ उसमें नहीं हो।
ऐसी चर्चाएं चलती रहती हैं, इसी से घबराकर कि कहीं खुद से पूछताछ न हो जाए, नेता प्रतिपक्ष ने आगे बढ़कर राजेंद्र राठौड़ के साथ होने की बात कही है। गहलोत ने कहा कि जिस भाषा में नेता प्रतिपक्ष बोल रही थीं, उससे लगता है कि सब जातियों को जेल के अंदर डालने का काम यही सरकार कर रही हो।
इससे जाहिर है कि वे सब जातियों को भड़का रही हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने शासन में यही काम करती रहीं। गुर्जरों और मीणाओं को लड़ा दिया, किसानों पर गोलियां चलवा दीं, लोग मर गए, कट गए। गहलोत ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि कोई तफ्तीश हो, उसमें कोई हस्तक्षेप होना ही नहीं चाहिए।
न्याय व्यवस्था में भी और तफ्तीश करने वाली एजेंसी सीबीआई में भी। किसी पर शक करना पाप होता है, जब तक कि आपके पास कोई सबूत न हो। गहलोत ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि निदरेष होकर लौटने वालों को लेने के लिए लोगों को जाते देखा, लेकिन जेल जाने वालों को छोड़ने जाने की परंपरा पहली बार देखी। इससे क्या संदेश देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह सब वोटों की राजनीति के लिए किया जा रहा है।
एक सवाल पर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि हमारी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगे तो तत्काल कार्रवाई कर दी थी। अब इनकी पार्टी पर निर्भर है कि ये क्या कार्रवाई करते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जब केंद्रीय मंत्री और सांसद जेल में बंद हैं तो इनको लगता है कि सीबीआई ठीक काम कर रही है और गुजरात या राजस्थान में एनकाउंटर के मामले में किसी को अभियुक्त बनाया जाता है तो इनको सूट नहीं करता। उन्होंने कहा कि आम जनता इनके रवैये का ही खंडन करेगी। जातिवाद को इश्यू बनाना ठीक नहीं है।
इनेलो प्रवक्ता को जड़ा थप्पड़ ..लट्ठ नहीं था इसलिए मारा थप्पड़
हिसार.भिवानी .ताऊ देवीलाल की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने देवीलाल प्रतिमा पर इकट्ठा हुए कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को अलग ही नजारा देखा।
वक्ताओं में नाम नहीं लेने से गुस्साई इनेलो महिला शहरी प्रधान कांता श्योराण आपा खो बैठीं। कांता ने अपना गुस्सा कार्यक्रम का मंच संभाल रहे इनेलो प्रवक्ता रमेश बंसल पर निकाला।
कार्यक्रम खत्म होने के बाद बंसल जी जब स्टेज से नीचे खड़े होकर कार्यकर्ताओं से बात कर रहे थे तो कांता श्योराण ने उनकी पीठ पीछे से थप्पड़ दे मारा। थप्पड़ से रमेश बंसल का चश्मा नीचे गिर गया और दूसरे कार्यकर्ताओं ने कांता श्योराण को पकड़कर उन्हें फटकार लगाई।
रमेश बंसल इसके बाद कार्यक्रम से निकल गए और मामले की सूचना पार्टी हाईकमान को दी। शाम को पार्टी हाईकमान ने कांता श्योराण को पार्टी से निष्कासित कर दिया। अजय चौटाला को इसकी जानकारी मिलते ही उन्होंने पार्टी कई आला नेताओं को भी फटकार लगाई और भविष्य में इस तरह की घटना नहीं होने देने की चेतावनी दी।
अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं
ये पार्टी का मामला है और अनुशासनहीनता पार्टी आलाकमान को कतई बर्दाश्त नहीं। सभी जानते हैं कौन कैसा है, कांता श्योराण के बारे में मैं कुछ नहीं बोलना चाहता। कांता ने जब मुझ पर हमला किया तब उसकी तरफ मेरी पीठ थी। मैं तो खुद एक छोटा सा कार्यकर्ता हूं और सबको सम्मान देना अपना फर्ज समझता हूं।
मुझे लगता है कि कांता या तो मानसिक रूप से परेशान है या फिर सस्ती लोकप्रियता के लिए उन्होंने ऐसा किया है। मैंने इसकी सूचना पार्टी नेताओं को दे दी थी और उन्होंने कांता श्योराण को निष्कासित कर दिया है। रही बात गाली देने की तो मैं महिला तो दूर किसी आदमी के साथ भी इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकता। पार्टी में चाहे महिला और या पुरुष सबको सम्मानित नजर से ही देखा जाता है। --रमेश बंसल, इनेलो प्रवक्ता, भिवानी
इससे पार्टी का नाम खराब
कांता श्योराण का व्यवहार बेतुका और घोर अनुशासनहीनता का था। उनकी इस हरकत से पार्टी का नाम खराब हुआ है और इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पार्टी महासचिव अजय चौटाला के आदेश पर कांता श्योराण को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। यह निष्कासन उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो पार्टी के अनुशासन को नहीं जानते। पार्टी आलाकमान के साफ आदेश हैं कि अनुशासन सवरेपरि है। --धर्मपाल ओबरा, जिला प्रधान, इनेलो
..लट्ठ नहीं था इसलिए थप्पड़ मारा
ताऊ देवीलाल को श्रद्धांजलि देने हम सैकड़ों महिलाएं पहुंची थीं। मैंने उनसे (रमेश बंसल) आग्रह किया था कि इनेलो महिला इकाई की शहर अध्यक्ष होने के नाते दो मिनट मुझे भी बोलने का मौका दिया जाए। कार्यक्रम खत्म हो गया उन्होंने बोलने का मौका देना तो दूर मेरा नाम तक नहीं लिया।
कार्यक्रम खत्म होने के बाद मैंने उनसे बात की। उन्होंने कहा कि किसको बोलने देना है किसको नहीं यह उन्हें देखना है तो मुझे गुस्सा आ गया। मुझे गाली भी दी। मेरे पास उस वक्त लट्ठ तो था नहीं मैंने थप्पड़ ही मार दिया।
अब बता रहे हैं कि मुझे पार्टी से निष्कासित कर दिया है तो कोई बात नहीं। उन्होंने हरियाणवीं में कहा कि मेरी कोणसी इंक्रीमेंट रूक जावैगी। बंसल और ओबरा जैसे आदिमयों की वजह से तो पार्टी का यह हाल हो चुका है। एक दिन यह आएगा कि इन जैसे दो चार चापलूस ही पार्टी में रहेंगे। -कांता श्योराण, इनेलो महिला इकाई की शहरी प्रधान (निष्कासित)
'नेताओं को सलाम करती है सीबीआई, क्यों न इसे बंद कर दें'
जयपुर.दारा सिंह एनकाउंटर केस में आरोपियों को लेकर दोहरा चरित्र अपनाने पर हाईकोर्ट ने सीबीआई की जमकर खिंचाई की। हाईकोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीबीआई राजनीतिज्ञों को सलाम करती है..नाश्ता कराती है और बिना पूछताछ जेल तक छोड़कर आती है।
एक ही मामले में एक आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने का आग्रह करती है तो दूसरे आरोपी को लंबे पुलिस रिमांड पर भेजने की मांग करती है। न्यायाधीश महेश चंद्र शर्मा ने यह टिप्पणी शुक्रवार को दारा सिंह एनकाउंटर केस के आरोपी तत्कालीन हैड कांस्टेबल जगराम की आपराधिक विविध याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
न्यायाधीश ने जिला व सेशन न्यायालय जयपुर जिला में इस केस की सुनवाई धीमी गति से होने पर सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक एसके सक्सेना को निर्देश दिए कि वे 9 तारीख को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हों।
गौरतलब है कि इस केस में सीबीआई ने पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ को गुरुवार को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ अदालत में चालान पेश किया था और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने की गुहार की थी।
जगराम ने याचिका में यह कहा
आरोपी जगराम ने याचिका में कहा कि वह पिछले 10 महीनों से जेल में है। जिला व सेशन न्यायालय जयपुर जिला में केस की सुनवाई धीमी हो रही है जबकि 3 जून 11 को चालान पेश होकर 25 अगस्त 11 को आरोप भी तय हो चुके हैं। केस में 254 गवाह हैं और पहली गवाही 31 अक्टूबर 11 को हुई थी लेकिन 18 गवाहों के ही बयान हुए हैं।
उसने अदालत में 17 अक्टूबर 11 को दैनिक सुनवाई के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया। लेकिन सीबीआई ने इसका यह कहते हुए विरोध किया कि उनके विशेष लोक अभियोजक सक्सेना दिल्ली में अपने निजी मुकदमों में व्यस्त हैं। प्रार्थना पत्र पर अदालत ने कोई आदेश नहीं दिया है इसलिए केस में दैनिक सुनवाई नहीं हो रही है। सीबीआई केस की दैनिक सुनवाई नहीं चाहती, जबकि अदालत में 25 से 30 ही सेशन केस हैं, लिहाजा जल्द सुनवाई का निर्देश दिया जाए।
राजनीतिज्ञों को नाश्ता कराती है
>गोपालगढ़ से लेकर जोधपुर तक सीबीआई की दोहरी भूमिका है और ऐसे में इस जांच एजेंसी को बंद कर देना चाहिए।
>जिस उद्देश्य के लिए सीबीआई बनी है उसके स्थान पर यह स्वार्थ पूर्ण उद्देश्य में लग गई है। सीबीआई गैर मानवीयता से काम कर रही है और केस की ट्रायल धीमी गति से चला रही है।
>अदालत किसी भी आरोपी को निष्पक्ष व जल्द न्याय दिलवाने से इंकार नहीं कर सकता।
>विशेष लोक अभियोजक दो-तीन दिन ही आते हैं तो ऐसे में उनकी सेवाओं को खत्म कर अन्य अधिवक्ता की नियुक्ति किया जाए।
कभी बूढे नहीं होना चाहते???.... तो इस तरह खाएं चुकंदर
चुकंदर प्राकृतिक शुगर का स्त्रोत होता है। इसमें सोडियम पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, आयरन और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाए जाते हैं। चुकंदर से खून बढ़ता है। इसके नियमित सेवन से थकान नहीं होती और इंसान बुढ़ापे में भी जवान बना रहता है। अधिक उम्र के लोगों के लिए: उम्र के साथ ऊर्जा व शक्ति कम होने लगती है, चुकंदर का सेवन अधिक उम्र वालों में भी ऊर्जा का संचार करता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो हमेशा जवान बनाएं रखते हैं, अधिक उम्र के लोगों में व्यायाम के दौरान अधिक आक्सीजन की आवश्यकता होती है।ऐसे मे व्यायाम से पूव भी चुकंदर का रस लें।
एनीमिया के लिए फायदेमंद- चुकंदर एनीमिया के उपचार में बहुत उपयोगी माना जाता है। यह शरीर में रक्त बनाने की प्रक्रिया में सहायक होता है। आयरन की प्रचुरता के कारण यह लाल रक्त कोशिकाओं को सक्रिय रखने की क्षमता को बढ़ा देता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और घाव भरने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
पाचन क्रिया- चुकंदर का जूस उल्टी, पीलिया, हैपेटाइटिस आदि के उपचार में लाभदायक होता है। इन बीमारियों में चुकंदर के जूस के साथ एक चमच नीबू का रस मिलाकर तरल भोजन के रूप में दिया जा सकता है। साथ ही गैसटिक व अल्सर के उपचार के दौरान नाश्ते से पहले एक गिलास चुकंदर के जूस में एक चमच शहद मिलाकर पीने से छुटकारा होता है।
कब्ज और बवासीर- - चुकंदर का नियमित सेवन करेंगे, तो कब्ज की शिकायत नहीं होगी। बवासीर के रोगियों के लिए भी यह काफी फायदेमंद होता है। रात में सोने से पहले एक गिलास या आधा गिलास जूस दवा का काम करता है।
रूप निखारेगा - रूसी हो जाए छूमंतर चुकंदर के रस (काढ़े) में थोड़ा-सा सिरका मिलाकर सिर में लगाएं। या फिर चुकंदर के पानी में अदरक के टुकड़े को भिगोकर रात में सिर की मालिश करें। सुबहबाल धो लें। रूसी से निजात मिलेगा।
त्वचा के लिए- चकुंदर की तासीर ठंडी होती है इसलिए यह त्वचा के लिए अच्छा है। सफेद चुकंदर को पानी में उबाल कर छान लें। इस पानी को मुहांसों, फोड़- फुंसियों और जलन पर लगाएं, फायदा होगा। त्वचा की रौनक खो गई हो, तो इसका जूस और सलाद का सेवन त्वचा निखारने में मदद करेगा।
धर्म की राह पर विश्वास से बढ़ कर कुछ भी नहीं...
हमारे देश में बात-बात पर धर्म की दुहाई दी जाती है। धर्म पर बात करना आसान है, धर्म को समझना सरल नहीं है, धर्म को समझ कर पचा लेना उससे भी अधिक मुश्किल है, लेकिन सबसे कठिन है धर्म में जी लेना। धर्म में जी लेना जितना कठिन है, जीने के बाद उतना ही आसान भी है। बिल्कुल इसी तरह है कि जब कोई पहली बार साइकिल सीखने जाता है।
तब उसे ऐसा लगता है कि दुनिया में इससे असंभव काम कोई नहीं, क्योंकि जैसे ही वह दोपहिया वाहन पर बैठता है, वह लडख़ड़ाता है, गिर जाता है। सीखने वाला आदमी जब दूसरे को साइकिल मस्ती में चलाते हुए देखता है तो उसे बड़ा अजीब लगता है। यह कैसे मुमकिन है मैं तो पूरे ध्यान से चला रहा हूं फिर भी गिर जाता हूं और वह बड़ी मस्ती में चला रहा है।
जब एक बार आदमी साइकिल चलाना सीख जाता है तो वह भी मस्ती से साइकिल चला लेता है। धर्म का मामला कुछ इसी तरह का है, जब तक उसे जिया न जाए यह बहुत खतरनाक, परेशानी में डालने वाला, लडख़ड़ाकर गिर जाने वाला लगता है। लेकिन एक बार यदि धर्म को हम जी लें तो फिर हम उस मस्त साइकिल सवार की तरह हैं जो अपनी मर्जी से लहराते हुए चलाता है, अपनी मर्जी से रोक लेता है, अपनी मर्जी से उतर जाता है और बिना लडख़ड़ाहट के चला लेता है।
जीवन में धर्म बेश कीमती हीरे की तरह है। जिसे हीरे का पता नहीं वो जिंदगीभर कंकर-पत्थर ही बीनेगा। पहले तो हमारी तैयारी यह हो कि हम जौहरी की तरह ऐसी नजर बना लें कि धर्म को हीरे की तरह तराश लें। वरना, हम हीरे को भी कंकर-पत्थर बनाकर छोड़ेंगे।