तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
08 अप्रैल 2012
जो साम्प्रदायी है वोह कभी राष्ट्र प्रेमी और जो राष्ट्रप्रेमी है वोह कभी साम्प्रदायिक नहीं हो सकता आप और आपके नेता किस श्रेणी में हैं जनाब
जो साम्प्रदायी है वोह कभी राष्ट्र प्रेमी और जो राष्ट्रप्रेमी है वोह कभी साम्प्रदायिक नहीं हो सकता आप और आपके नेता किस श्रेणी में हैं जनाब
जब भूगर्म में समा गया हनुमान मंदिर, लोगों ने कहा चमत्कार
देखें तस्वीरों में... (फोटोग्राफर : प्रणय शाह)
कुख्यातों की सूची में भी नंबर-1 हैं नरेंद्र मोदी...!
मैग्जीन के सर्वे के अनुसार प्रभावशाली लोगांे की सूची में मोदी पहले नंबर से खिसककर तीसरे पायदान पर आ चुके हैं। लेकिन उनके खिलाफ निगेटिव वोटिंग इतनी हुई कि अब वे नापसंद लोगांे की सूची में नंबर-1 पर हैं। इस मामले में वे सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद को भी बहुत पीछे छोड़ चुके हैं।
रविवार शाम तक के मौजूद आंकड़ों के अनुसार मोदी को अब तक पॉजीटिव वोटिंग में 256792, जबकि निगेटिव में 266684 मत मिले हैं।
वहीं सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद को पॉजीटिव वोटिंग में 91632, जबकि निगेटिव में 98387 मत मिले हैं। इस तरह बशर नापसंद किए जाने वाले लोगांे में मोदी के बाद दूसरे नंबर की पोजीशन पर हैं।
दरगाह को पहली बार मिला करोड़ों का नजराना,
जरदारी द्वारा मौके पर किसी प्रकार की राशि नहीं दी गई। इसे देखते हुए विभिन्न प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं। एक बड़े तबके में यह चर्चा रही कि जरदारी ने इस राशि की घोषणा दरगाह विकास के लिए की है। इधर खादिमों का यही मानना है कि राशि नजराने के तौर पर दी गई है और जरदारी के दुआगो व वकील सैयद इकबाल कप्तान चिश्ती को ही मिलेगी।
स्वयं इकबाल कप्तान चिश्ती ने भी बताया कि जो भी राशि की घोषणा की गई है उस पर उनका और अंजुमन का हक है। अंजुमन पदाधिकारी सैयद वाहिद हुसैन अंगाराशाह और सैयद मुशीर हुसैन चिश्ती भी राशि पर खादिम का ही हक बता रहे हैं। परिसर में स्थित विभिन्न हुजरों और खादिम मोहल्ला में भी इस राशि को लेकर चर्चाएं चलती रहीं।
-जिस जगह पर दिया है, वहां दीवान और दरगाह कमेटी का कोई हक ही नहीं है। जरदारी ने साफ तौर पर नजराने का ऐलान किया है, किसी प्रकार के डवलपमेंट की कोई बात नहीं हुई। नजराने पर कानूनी व शरई तौर पर खादिम व अंजुमन का ही हक है। अब यह देखा जाएगा कि नजराने की राशि किस प्रकार की आती है।
वाहिद हुसैन अंगारा शाह, सचिव, अंजुमन सैयदजादगान
-पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की घोषणा सुनी है। लेकिन यह राशि किसे मिलेगी, इसके बारे में नहीं मालूम।
प्रो. सोहेल अहमद, सदर, दरगाह कमेटी
करोड़ों में पहली बार नजराना
अब तक दरगाह में लाखों रुपए तक ही नजराना दिया जाता रहा है। लेकिन पहली बार यह राशि करोड़ों तक पहुंची है।
ख्वाजा की जियारत करने वाले चौथे पाकिस्तानी शासक हैं जरदारी
बिलावल का ट्वीट, हम भारत पहुंच गए हैं..
जरदारी के साथ आए उनके 23 वर्षीय बेटे बिलावल भुट्टो ने भारत पर पहुंचने पर सबसे पहले कहा - ‘एओए भारत आपके साथ शांति हो’। गहरे रंग का पठानी सूट पहने बिलावल ने ट्वीट कर अपने 14 हजार से अधिक ऑनलाइन प्रशंसकों को भारत की धरती पर कदम रखने की जानकारी दी। ऑक्सफोर्ड से पढ़े और पाकिस्तान की सत्ताधारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल ने ट्वीट किया कि ओ भारत आपके साथ शांति हो। मैं अभी-अभी दिल्ली पहुंचा हूं। मेरी पहली यात्रा।
एओए के मायने संभवत:
‘अल्लाह हो अकबर’ है। बिलाल ने मुस्कुराते हुए स्वागत के लिए आए भारतीय अधिकारियों से गर्मजोशी से हाथ मिलाया और मीडिया की ओर भी हाथ हिलाकर अभिवादन किया। पालम हवाई अडडे पर उतरने के कुछ ही मिनट में वह अपने पिता के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आवास की ओर रवाना हो गए जहां उनके सम्मान में दोपहर भोज का आयोजन था।
शव यात्रा में महिलाएं, बेटियों ने दिया कांधा, पोती ने दी मुखाग्नि!
अर्थी को कांधा देने का काम हजारीलाल की बेटियों कमला देवी, कांता, बीना तथा शीला ने किया। इस काम में उनके भाइयों अनिल, राकेश एवं मुकेश ने भी उनका साथ देने की बात कही। मुखाग्नि पौत्री यीशु से दिलाई गई। घर के सदस्यों ने मृत्यु भोज भी नहीं करने का निर्णय लिया है।
परिवार की महिलाओं का कहना है कि अर्थी को कांधा देने के लिए हर किसी को बेटे की चाहत होती है। इसी धारणा को बदलने के लिए हमने यह पहल की। मृतक के बेटे अनिल की पत्नी रेखा सांवरिया करौली में मजिस्ट्रेट हैं। बेटियों की इस पहल की लोगों में चर्चा रही और सभी ने इसकी प्रशंसा की। बेटियों को कांधा देते हुए देखने के लिए काफी ग्रामीण एकत्र हुए।
139 करोड़ में नीलाम हुआ मिट्टी का कटोरा
लगभग 900 साल पुराना ये सिरेमिक यानी चीनी मिट्टी का कटोरा सौंग वंश का था और इसे हॉंगकॉंग में सूदबीज ने नीलाम किया। फूल के आकार में ढला ये कटोरा बेहद दुर्लभ है। इसे जापान के खरीददार ने लिया जिसने अपनी पहचान नहीं बताई और फोन पर बोली लगाई।
सूदबीज एशिया के उप चेयरमैन निकोलस चाउ ने कहा, "शायद ये चीज़ सौंग वंश की सबसे महान कलाकृति है जिसे हमने हॉंगकॉंग में नीलाम किया है।"
ऐसा अनुमान है कि दुनिया में अब केवल 79 पूरी तरह से सुरक्षित सिरेमिक की कलाकृतियाँ मौजूद है जिसमें सिर्फ पांच निजी हाथों में हैं।
नीलामी के अधिकारियों को इस कलाकृति से मिली राशि पर हैरानी हुई है। बिक्री से पहले इसकी जितनी कीमत लगाई गई थी, ये उससे तीन गुणा कीमत में बिकी।
न्यूयॉर्क और लंदन के बाद हॉंग कॉंग एक मशहूर नीलामी केंद्र के रूप में उभरा है। इसकी कीमत यह बताती कि एशिया का कला बाजार कितना मजबूत है और इसमें पिछले दस सालों में बड़ा विकास देखा गया है।
हेंडराईटिंग देखें और बच के रहे ऐसे लोगों से वरना...
किसी की हेंड राइटिंग और हस्ताक्षर को देखकर सबकुछ पता किया जा सकता है। अगर आप किसी की भी हेंड राईटिंग पर ध्यान दे तो ऐसे लोगों से बच सकते हैं जिनसे आपको खतरा है या, जो आपको बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हस्ताक्षर और हेंड राइटिंग से किसी के भी जीवन के प्रति विचार, चरित्र, सफ़लता, उसकी मानसिकता और कार्य करने की शैली के बारे में पता लगाया जा सकता है। हस्ताक्षर व्यक्ति की संपुर्ण मानसिक स्थिति को प्रकट करते हैं। साइन करते समय व्यक्ति अपने अंर्तमन के साथ होता है। साइन अंर्तमन को प्रकट करने वाले होते हैं।
कैसे साइन करने वाले कैसे होते हैं?
- जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर अस्पष्ट तथा जल्दी-जल्दी में करते हो या जिनकी लिखावट अव्यवस्थित हो ऐसे लोग विश्वास करने लायक नहीं होते हैं।
- ये लोग अपने मन कि बात किसी को नही बताते हैं।
- जिन लोगों की लिखावट में शव्दों की बनावट कुछ ज्यादा ही घुमावदार हो तो समझना चाहिए कि इस तरह के लोग कभी अपने मन की बात किसी को नहीं बताते।
- ऐसे साइन करने वाले लोग लापरवाह होते हैं ऐसे लोग कोई्र काम जिम्मेदारी से नहीं करतें।
- जिन लोगों के अक्षर ज्यादा ही कड़क हाथों से लिखे हुए हो तो ऐसे लोग अपनी इच्छा पूरी करवाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इस तरह के लोगों के मन में हर समय दूसरो के लिये नारजगी बनी रहती हैं।
- दिमाग में हर समय कुछ ऐसा सोचते रहते हैं जो जल्द से जल्द कामयाबी के शिखर पर पहुंचा दें लेकिन ज्यादा तर इनकी सोच असफ़ल ही रहती है।
- हर काम को अव्यवस्थित तरीके से करने की इनकी आदत कभी नहीं छुटती।
गर्मियों में रोज ऐसे पीएं एक ग्लास छाछ, पीएंगे तो मिलेंगे ये गजब के रिजल्ट
माना जाता है कि दूध से ज्यादा उपयोगी उससे बने दूसरे पदार्थ है। दही, पनीर, मठ्ठा, आदि तो उपयोगी हैं ही लेकिन उनसे भी ज्यादा लाभदायक छाछ है। गर्मियों मे रोजाना छाछ का सेवन अमृत के समान है। इससे चेहरा चमकने लगता है। खाने के साथ छाछ पीने से जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।छाछ कैल्शियम से भरी होती है।
इसका रोजाना सेवन करने वाले को कभी भी पाचन सबंधी समस्याएं प्रभावित नहीं करती हैं। खाना खाने के बाद पेट भारी हो जाना अरूचि आदि दूर करने के लिए गर्मियों में छाछ जरुर पीना चाहिए। रोजाना छाछ पीने के ढेरों फायदे हैं उन्हीं में से कुछ आज हम आपको बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं छाछ पीने के लाभ....
खाना न पचने की शिकायत- जिन लोगों को खाना ठीक से न पचने की शिकायत होती है। उन्हें रोजाना छाछ में भुने जीरे का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर धीरे-धीरे पीना चाहिए। इससे पाचक अग्रि तेज हो जाएगी।
दस्त- गर्मी के कारण अगर दस्त हो रही हो तो बरगद की जटा को पीसकर और छानकर छाछ में मिलाकर पीएं।
एसीडिटी- छाछ में मिश्री, काली मिर्च और सेंधा नमक मिलाकर रोजाना पीने से एसीडिटी जड़ से साफ हो जाती है।
कब्ज- अगर कब्ज की शिकायत बनी रहती हो तो अजवाइन मिलाकर छाछा पीएं। पेट की सफाई के लिए गर्मियों में पुदीना मिलाकर लस्सी बनाकर पीएं।
इनकी हिम्मत और जज्बात, मुर्दे में फूंक देंगे जान!
अहमदाबाद. जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए रोज नए प्रयोग किए जा रहे हैं। आईआईएम अहमदाबाद में आयोजित प्रतियोगिता में 35 कॉलेजों के 5 हजार छात्रों ने अपने इनोवेशन प्रदर्शित किए। जानिए इनमें से सबसे खास इनोवेशन्स के बारे में।
कहीं नहीं अटकती यह व्हील चेयर
विकलांग लोगों के लिए महज 3 हजार रुपए की लागत से बनाई गई यह व्हील चेयर बैटरी से चलती है। इसे सिर्फ एक जॉयस्टिक की मदद से ऑपरेट किया जा सकता है। यह सीढिय़ां भी चढ़ सकती हैं। बुजुर्गों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसका बैटरी से चलने वाला मॉडल भी तैयार किया जा रहा है। किसने बनाया: आईआईटी कानपुर की शानु शर्मा।
एलपीजी से चलेगा फ्रिज
बिजली न होने पर भी यह फ्रीज आपके घर में पानी ठंडा रखेगा। एलपीजी गैस से चलने वाले इस फ्रिज में गर्मी नियंत्रित करने वाला यंत्र लगा है। जिसमें कई पाइप हैं। इन पाइप में अंदर गैस है और बाहर की ओर कई छोटे-छोटे पंख। ये पंख पाइप की गर्माहट को कम करते हुए फ्रिज में रखा सामान ज्यादा समय तक ताजा और ठंडा रखते हैं। किसने बनाया: एलसीआईटी, मेहसाणा के छात्र मयंक पटेल, विरेन पटेल और चिंतन पटेल।
आसानी से बनाएं अगरबत्ती
अगरबत्ती बनाने वालों के हाथ छिल जाते हैं और कमर में दर्द हो जाता है। इनसे राहत देगी यह मशीन। इसे हाथ से चलाया जाएगा। इससे कम समय में ज्यादा अगरबत्तियां बनाई जा सकेगी। एक दिन में लगभग 6 हजार। इस मशीन में अगरबत्ती का पेस्ट रख दिया जाता है। कटिंग रोलर से गुजरने के बाद वुडन रोलर से अगरबत्ती स्टिक बनकर बाहर निकलती है।
किसने बनाया: आईआईटी-गांधीनगर के छात्र केशव ने 6 हजार की लागत से ।
फिल्टर हैंड पम्प- जीवनधारा
इस मशीन को सीधा हैंड पम्प के अंदर ही फिट किया जाता है, जिससे कि पानी फिल्टर हो कर ही बाहर निकलता है। हैंड पम्प के तीन मॉडलों के हिसाब से तीन प्रकार के फिल्टर बनाए गए हैं। इनकी कीमत 12 हजार से 20 हजार रूपए तक है। अभी इस पर और शोधकार्य हो रहा है जिससे कि उसकी कीमत कम हो सके।
किसने बनाया: आईआईटी, खडगपुर के छात्र कीर्ति रंजन, संखिया मोहती और सुसान्त संची।
इशारों को बदलें आवाज में
जो लोग सुन नहीं सकते, उनके लिए यह मशीन बहुत उपयोगी है। यह आवाजों को लिखित संदेश में बदल देती है। साथ ही जो लोग बोल नहीं सकते वे भी इसके जरिए अपनी बात लोगों को समझा सकते हैं क्योंकि यह उनके हाथों के इशारों को आवाज में बदल देती है। हालांकि इसे बनाने की लागत अभी कुछ ज्यादा है - ढाई लाख रुपए।
किसने बनाया: भुट्टा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्र सौरभ साकेत, राहुल रंजन।
इन हैरतअंगेज तस्वीरों को देख खड़े हो जाएंगे रोंगटे
नई दिल्ली. धार्मिक लिहाज से दक्षिण भारत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां हिन्दू धर्म के अनुयायी बहुसंख्यक मिल जाते हैं। यह लोग अपनी धार्मिकता के लिए जाने जाते हैं। तमिलनाडु में इनकी धार्मिक आस्था प्रदर्शित करता है पांगुनी उथिरम त्योहार।
मार्च और अप्रैल महिने के बीच मनाए जाने वाला यह त्योहार काफी प्रसिद्ध है। पूर्णिमा के मौके पर लोग देवता के विवाह की खुशी में जश्न मनाते हैं। अपने शरीर को नुकीले वस्तुओं के जरिए साधते हैं।
तस्वीरें देखिए तमिल लोगों का हैरतअंगेज जश्न...
बिलावल के न्यौते पर पाकिस्तान जाएंगे राहुल गांधी!
नई दिल्ली. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी एक दिन के भारत दौरे पर हैं। जरदारी के साथ भारत दौरे पर आए उनके बेटे बिलावल ने ट्वीट किया, 'राहुल गांधी और पीएम सिंह के साथ लंच किया। शानदार लंच था जिसका मैंने आनंद लिया। एक दूसरे से बहुत कुछ सीखने को मिला।' जियो टीवी के मुताबिक लंच के दौरान बिलावल ने राहुल गांधी को भी पाकिस्तान आने का न्यौता दिया जिसे कांग्रेस महासचिव ने कबूल कर लिया है।
जियारत के लिए अजमेर जाने से पहले जरदारी पीएम मनमोहन सिंह के बुलावे पर सात रेस कोर्स पहुंचे और मनमोहन सिंह से मुलाकात की। करीब 40 मिनट तक चली इस बैठक के बाद मनमोहन और जरदारी मीडिया के सामने आए और अपनी बात रखी।
पीएम मनमोहन सिंह ने जरदारी के जरिये अपनी तरफ से मन्नतों की चादर ख्वाजा के दरबार में चढ़ाने के लिए भेजी। दिल्ली से जयपुर के रास्ते अजमेर दौरे के लिए केंद्रीय मंत्री पी के बंसल पीएम के दूत के तौर पर जरदारी के साथ हैं।
साझा बयान के दौरान मनमोहन सिंह ने कहा, 'पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी के साथ तमाम द्विपक्षीय मुद्दों पर दोस्ताना माहौल में बातचीत हुई। मैं बातचीत से संतुष्ट हूं। हमारी बैठक सकारात्मक रही। जरदारी ने मुझे पाकिस्तान जाने का न्यौता दिया और मैं सुविधा के मुताबिक पाकिस्तान जाउंगा।'
वहीं, जरदारी ने कहा कि वह भारत से बेहतरीन रिश्ते चाहते हैं। उम्मीद है कि पाकिस्तान में मनमोहन सिंह से जल्द मुलाकात होगी। सूत्रों के मुताबिक मनमोहन सिंह सितंबर में पाकिस्तान जा सकते हैं। आज की बैठक में मनमोहन सिंह ने मुंबई हमले के गुनहगार हाफिज सईद का भी मुद्दा उठाया। बैठक में आतंकवाद, मुंबई हमले, कश्मीर, सर क्रीक सहित तमाम मसलों पर बात हुई। पीएम मनमोहन सिंह ने सियाचिन में बर्फबारी में फंसे पाकिस्तानी फौजियों की मदद की जरदारी से पेशकश की है।
मीडिया में सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक जरदारी जानबूझकर देरी से भारत पहुंचे हैं। उनके पहले से तय कार्यक्रम में करीब घंटे भर की देर हुई है। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी जरदारी के सम्मान में पीएम मनमोहन सिंह के आयोजित भोज में शामिल नहीं हुईं। भोज में 20 लोगों के बैठने के लिए विशाल टेबल सजाया गया। उस पर मटमैले रंग की मेजपोश बिछी थी, जिसपर फूलदान और चांदी के बरतन सजे हुए थे। लंच में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, पी चिदंबरम, लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज सहित तमाम नेता शामिल हुए।
दंगे के समय हाफिज सईद के पुरखों से छीन ली गई थी हरियाणा की जमीन!
इनसे पूंछो इन्हें बेगुनाहों को मारने का हक किसने दिया .......................
नई दिल्ली. हाल में अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा के प्रमुख और मुंबई आतंकी हमले के आरोपी हाफिज सईद पर 50 करोड़ रुपये के इनाम की घोषणा की है। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक सईद भारत की मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल है। मुंबई में 26/11 को हुए हमले में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे। उस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सईद को सौंपने को कहा था। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी आज भारत के एक दिन के दौरे पर हैं। ऐसे में जरदारी के दौरे पर हाफिज सईद का मसला पूरी तरह छाए रहने की उम्मीद है।
सईद ने कराची से प्रकाशित होने वाले उर्दू अखबार Roznama Ummat को दिए इंटरव्यू में हाफिज ने अपनी कहानी खुद अपनी जुबानी कही। सईद ने अपने शुरुआती जीवन से लेकर लश्कर और जमात उद दावा के गठन तक की कहानी बयां की। सईद के पूर्वजों का ताल्लुक हरियाणा के गुज्जर परिवार से था। सईद के पिता कमाल-उद-दीन एक साधारण किसान थे। विभाजन के बाद हाफिज के पूर्वज हरियाणा से माइग्रेट कर पाकिस्तान जा बसे।
सईद का दावा है कि बंटवारे के बाद जब उसके परिवार के लोग पाकिस्तान पहुंचे तो उनमें से 36 लोगों को मार दिया गया था। सईद ने अपने पिता, मां और परिवार के अन्य सदस्यों से बंटवारे के वक्त हुए हादसों की कहानी सुनी। उसने कहा कि उसके परिवार के लोगों के साथ भारत में बहुत जुल्म हुआ और उन्हें हरियाणा स्थित पैतृक घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।
सईद का कहना है कि जब उसके परिवार के लोगों ने हरियाणा छोड़कर पाकिस्तान का रुख किया तो कारवां में करीब 800 लोग थे। इनमें अधिकतर सईद के परिवार के ही थे। उनका सफर ट्रेन से शुरू हुआ लेकिन पता चला कि सीमा पर हिंसा पर उतारू लोग ट्रेनों को रोककर उसमें बैठे मुसलमानों का कत्ले-आम कर रहे हैं, तो इन्होंने पैदल ही सफर करना मुनासिब समझा। मार्च 1948 में यह कारवां पाकिस्तान की सरहद पर पहुंचा।
सईद के मुताबिक उसकी मां ने उसे बताया कि जब यह कारवां फैसलाबाद के जरांवाला तहसील पहुंचा तो उन्होंने सईद को जन्म दिया। यदि वह दो-तीन महीने पैदा हुआ होता तो उसे भी परिवार के अन्य सदस्यों की तरह मार दिया गया होता। 1947 के दंगों में हरियाणा स्थित सईद के पुरखों की जमीन छीन ली गई। माइग्रेशन के बाद सईद का परिवार पाकिस्तान के सरगोधा में शिफ्ट हुआ। वहां सईद के परिवार के पास एक इंच भी जमीन नहीं थी। यहां तक कि रहने के लिए एक झोंपड़ी भी नहीं थी।