आपका-अख्तर खान

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11 अप्रैल 2012

हथियार कोई से भी हों ....अल्फाजों की मधुरता के आगे उनकी सुरक्षा बेकार है और हथियार कितने ही खतरनाक हो अल्फाजों की ज्वाला के आगे सभी बेकार है



दोस्तों यकीन मानना में पहले भी जानता था के शस्त्र ..हथियारों से ज़्यादा ताकत शास्त्रों में और शब्दों के नश्तर में होती है ..जिस तरह से हथियार सरहदों की हिफाज़त कर सुख शान्ति और सुरखा का काम करते है उसी तरह से यही हथियार गलत लोगों के हाथों में पढ़ जाने पर ..सरहदों की सुख शान्ति और सुरक्षा भी छीन लेते है ..एम्रिका का आतंकवाद इसका उदाहरण है ..अमेरिका को ना तो शस्त्रों की जरूरत है ना ही खुदकी सरहदों की हिफाजत की लेकिन यही अमेरिका दूसरों की सरहदों पर जाकर अपने हथियार आजमाता है और धीरे धीरे विश्व को गुलाम बनाकर अपनी चोदराहट दिखा रहा है ...दोस्तों मेने आर एस एस के शस्त्र पूजन के एक चित्र को केवल शस्त्रों के लाइसेसं के मुद्दे को उठाते हुए फेसबुक पर शेयर किया था ..में कहना चाहता था के राष्ट्रभक्त संगठन तो देह के संविधान और कानून के रक्षक है तो कानून के तहत इनके पास लाइसेंस है या नहीं ...दोस्तों मुझे यह तो पता चल नहीं सका के इन हथियारों के लाइसेंस है या नहीं लेकिन मेरे इस शेयर पर शब्दों के जो बाण चले उसने मुझे झकझोर दिया ....... पहली बात तो में शुक्रगुज़ार हूँ इस मुद्दे पर जिन लोगों ने अपने विचार मर्यादित आचरण निभाते हुए पेश किये उन सभी भाइयों का जिन्होंने गंदगी फेलाए बगेर मुझे यह साबित कर दिखाया के हिन्दू हो चाहे मुसलमान कोंग्रेस हो चाहे भाजपा अमीर हो चाहे गरीब सभी में देश के लियें जज्बा है और सभी देश की तरफ आँख उठाकर देखने वालों को चीर देने की तमन्ना रखते है ...........दोस्तों में समझ गया के हथियार तो एक जरिया है लेकिन अलफ़ाज़ उससे भी ज्यादा ताकतवर है क्योंकि अल्फाजों की मिठास ही सरहदों को खुबसूरत और मजबूत बनाती है और अल्फाजों की कडवाहट ही सरहदों पर खोफ का माहोल पैदा करती है ..हमारे अलफ़ाज़ हमारी जिंदगी का एक आयना है ..हमारा भविष्य संवारने का एक जरिया हैं अगर मीठे अलफ़ाज़ हो तो हमें हथियारों की जरूरत नहीं ऐसा मेरा व्यक्तिगत मन्ना है लेकिन दोस्तों कुछ लोगों ने कहा है के अल्फाज़ों की मिठास वालो पर हिंसक घटनाएँ नहीं होती तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या नहीं होती कुछ लोग योजनाबद्ध तरीके से उनके खिलाफ नफरत का माहोल नहीं बनाते ..नेल्सन मंडेला जेल; में नहीं होते ........कुल मिलाकर मेरे एक बात तो समझ में आ गयी है जेसे सांप से ज्यादा खतरनाक ..शज़र से ज्यादा आदमखोर इस धरती पर महिला को बनाया गया है और इसी महिला को स्वर्ग का सुख देने वाली मेनका उर्वशी भी बनाया है उसी तरह से हथियार हिफाज़त और आतंकवाद के लियें है इसका स्तेमाल सही होना चाहिए ..किसी ने कहा सोचो अगर हम ऐसे गेर लाइसेंस हथियारों को जमा कर अपनी आस्थाएं बताये तो क्या हमे आप बर्दाश्त कर लेंगे ..लेकिन दोस्तों सच तो यह है के हथियार कोई से भी हों ....अल्फाजों की मधुरता के आगे उनकी सुरक्षा बेकार है और हथियार कितने ही खतरनाक हो अल्फाजों की ज्वाला के आगे सभी बेकार है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
यह कौनसी जंग के लिए हथियारो की पूजा हो रही है ? यह हथियार आए कहाँ से ओर क्यो ? क्या इनके लाइसेन्स हें ? इन पर कार्रवाई क्यो नहीं होती ? बक़ौल राहत इंदौरी
जिधर से गुजरो धुवा उड़ा दो जहां भी जाओ कमाल कर दो
तुम्हें सियासत ने हक़ दिया है हरी ज़मीनों को लाल कर दो
अपील भी तुम दलील भी तुम गवाह भी तुम दलील भी तुम
जिसे भी चाहे हलाल लिख दो जिसे भी चाहे हराम कर दो
यह कौनसी जंग के लिए हथियारो की पूजा हो रही है ? यह हथियार आए कहाँ से ओर क्यो ? क्या इनके लाइसेन्स हें ? इन पर कार्रवाई क्यो नहीं होती ? बक़ौल राहत इंदौरी
जिधर से गुजरो धुवा उड़ा दो जहां भी जाओ कमाल कर दो
तुम्हें सियासत ने हक़ दिया है हरी ज़मीनों को लाल कर दो
अपील भी तुम दलील भी तुम गवाह भी तुम दलील भी तुम
जिसे भी चाहे हलाल लिख दो जिसे भी चाहे हराम कर दो
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