आपका-अख्तर खान

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13 अप्रैल 2012

.मुफ्ती शमीम अशरफ हिन्दुस्तान के सबसे कम उम्र के पहले मुफ्ती हैं जो अपने कार्य को बा खूबी अंजाम दे रहे है ................


जी हाँ जनाब आप हैं मुफ्ती शमीम अशरफ ..कोटा में दारुल उलूम रिजविया विज्ञाननगर के संचालक भी आप ही है ...उक्त दारुल उलूम में मुफ्ती शमीम अशरफ के नेतृत्व और प्रबंधन में बच्चों को धार्मिक और दुनियावी शिक्षा दी जाती है ......कोटा विज्ञाननगर छतरपुरा स्थित यह दारुल उलूम दिन बा दिन अपनी लोकप्रियता के सोपान अपर चढ़ता जा रहा है ..इस दारुल उलूम में मोलवी ..आलिम ..फ़ाज़िल ..कारी ...के कोर्स तो होते ही हैं साथ ही यहाँ दुनियावी शिक्षा में दसवीं से बी ऐ बी एस सी की भी तालीम दी जाती है .....दारुल उलूम में होसल सुविधा भी है ...यहाँ मोलाना आज़ाद फौन्डेशन सहित कई दुसरे कोर्स जेसे अरबी ..उर्दू ..फारसी लर्निंग कोर्स भी चलाए जा रहे हैं ....मुफ्ती शमीम अशरफ ने अपनी यह तरबियत इनके वालिद मरहूम मुफ्ती अख्तर हुसेन से प्राप्त की थी ..मरहूम मुफ्ती अख्तर हुसेन ने कथुन में रहकर दारुल उलूम संचालित कर कोम की दिनी और दुनियावी खिदमत की फिर कोटा आकर उन्होंने छतरपुरा विज्ञाननगर में दारुल उलूम रिजविया का पोधा लगाया जिसे उनके विसाल के बाद उनके पुत्र मुफ्ती शमीम अशरफ ने अपने सामजिक सरोकार और कुशल प्रबंधन से सींचा और आज यह पोधा एक वट वृक्ष बन गया है जिसकी छावों में हजारों लोग ठहरते हैं आराम करते है और ठंडी हवा खाकर लोगों में प्यार ..विश्वास.. भाईचारा.. सद्भावना ..और ज्ञान ...खासकर इस्लामिक ज्ञान ..वोह भी सुन्नी इदारे ..का जहां सिर्फ प्यार ही प्यार ..मोहबबत की ही शिक्षा दी जाती है और इस शिक्षा को यह बांटते जाते है ................मुफ्ती शमीम अशरफ सामाजिक कार्यों से भी जुड़े है और कई बार मजहबी मसलों पर इनकी राय समाज के लियें महत्वपूर्ण साबित होती है .....मुफ्ती शमीम अशरफ ने मदरसों का दर्द देखा है ..मदरसों का दर्द जाना है और मदरसों का आधुनिकीकरण केसे किया जाए इसकी उनके पास एक कार्य योजना है जिसे लेकर यह देश भर में प्रयासरत है और एक सपना सजोकर बेठे है के हर मदरसा मोडर्न हो और इसके लियें मुफ्ती शमीम अशरफ ने अपने खुद के दारुल उलूम को कम्प्यूटर शिक्षा से जोड़ा है यहाँ उन्होंने कम्यूटर लर्निंग कोर्स चालु कर आधुनिक शिक्षा की शुरुआत भी की है जो कई सालों से लगातार जारी है ..मुफ्ती शमीम अशरफ का संकल्प है के मदरसों में पढाने वाले शिक्षकों कोर मुदार्रिसों मोलानाओं को उनका वाजिब हक सरकार दे ..केंद्र और राज्य सरकारे मदरसों में मज़हबी शिक्षा देने वाले मोलानाओं को मानदेय दें जबकि मस्जिदों में इमामों को भी उनका सम्मान बराबरी का हक और इन्साफ के साथ उचित मान दे मिले ताकि वोह लोग भी अपने परिवार का पालन पोषण बेहतर तरीके से कर सकें ..अपने इस सपने को साकार करने के लियें मुफ्ती शमीम अशरफ ने केंद्र और राज्य सरकार में संघर्ष का बिगुल बजा रखा है और इंशा अल्लाह इनकी कार्ययोजना अब कामयाबी की तरफ है ....मुफ्ती शमीम अशरफ हिन्दुस्तान के सबसे कम उम्र के पहले मुफ्ती हैं जो अपने कार्य को बा खूबी अंजाम दे रहे है .................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अब पानी से भी चार्ज हो सकेगा मोबाइल


फ्यूल सेल तकनीक को भविष्य की तकनीक कहा जा रहा है, क्योंकि आने वाले दिनों में इसकी मदद से साधारण बैटरी के मुकाबले लंबा बैटरी बैकअप मिल सकेगा। यही नहीं, वैज्ञानिकों ने फ्यूल सेल तकनीक का प्रयोग करके एक अनोखा चार्जर भी बना लिया है, जो पानी की मदद से सेलफोन को चार्ज करने में सक्षम है।
अनोखा है चार्जर : पावरट्रैक नाम के इस अनोखे चार्जर में एक यूएसबी कनेक्टर दिया गया है। इसकी मदद से आप अपने मोबाइल फोन को कनेक्ट कर सकते हैं। पावरट्रैक में पैसिव फ्यूल तकनीक का प्रयोग किया गया है। इसे प्रयोग में लाने के लिए दो चीजों की जरूरत पड़ती है पहली पानी और दूसरी खुली हवा। यह न सिर्फ हर लिहाज से सुरक्षित तकनीक है, बल्कि इको-फ्रेंडली भी है।
तेजी से करता है पावर जेनरेट : वैसे तो बाजार में इस तरह के कई अन्य प्रोडक्ट भी उपलब्ध हैं, लेकिन उनके मुकाबले पावरट्रैक कहीं ज्यादा तेजी से पावर जेनरेट करता है।
कीमत: बाजार में पावरट्रैक डिवाइस लगभग 11,560 रुपए की कीमत पर उपलब्ध है।

जहरीले सांपों के गढ़ में सबसे 'दबंग सांप', काटो तो खून नहीं!


कहते हैं सांप का डंसा पानी तक नहीं मांगता, इसलिए इसका नाम सुनते ही लोग दहशत से कांप उठते हैं। इतना ही नहीं भारतीय घरों में तो रात में इसका नाम लेने से भी डरते हैं। सांप से यह डर लाजमी है, क्योंकि भारत जैसे गर्म जलवायु वाले देश में हर साल सांप के डंसने से हजारों लोगों की मौत हो जाती है।

हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि सांप के जहर से कई बार मौत नहीं होती बल्कि उसकी दहशत से ही लोग प्राण त्याग देते हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ मनुष्य को ही इससे नुकसान है, इस प्रजाति के लिए भी मानव किसी भय से कम नहीं है। लोग जहां भी सांप देखते हैं उसके बाद उसे मारकर ही दम लेते हैं। कुछ जलरीले प्रजाति के सांपों के खौफ के कारण बेचारे वे सांप भी मारे जाते हैं जिनके पास जहर नहीं होता।

हमारे देश में एक तरफ लोग सांप के पीछे डंडे लिए पड़े रहते हैं कि न रहोगे और न डंसोगे, वहीं दूसरी तरफ वे सांपों की पूजा भी करते हैं और उन्हें दूध-लावा चढ़ाते हैं। सांप के प्रति हमारा यह व्यवहार जानकारी की कमी और डर के कारण है। आईए हम आपको लिए चलते हैं सांपों की दुनिया में..

हर सांप जहरीला नहीं होता

भारत में करीब 270 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं और इनमें से 4 प्रजाती के सांप ही जहरीले होते हैं और इनके काटने से लोगों की जान जाती है। ये सांप हैं- कोर्बा (नाग), करैत, रस्सेल्स वायपर और सॉव स्केल्ड वायपर। ये चार प्रजाती के सांप ही डंसने के अधिकतर मामलों के प्रति जिम्मेदार होते हैं। इनके अलावा किंग कोर्बा, हम्प नोज्ड पिट वायपर और बैंडेड करैत भी जहरीले सांप हैं, परंतु ये काफी कम संख्या में हैं और इनके कारण बहुत कम आदमी मारे जाते हैं।

सांप का डंसना खतरनाक है परंतु इससे बचा भी जा सकता है

अमेरिकन सोसायटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एण्ड हायजिन के अनुसार भारत में हर साल 46,000 लोग सांप के डंसने से मारे जाते हैं। वहीं भारत के अधिकारिक आकड़े के अनुसार 2,000 लोग सांप के जहर से मारे जाते हैं। इसके साथ ही वर्ष भर में 2.5 लाख से ज्यादा लोगों को सांप काटने की बात सामने आती है।

क्यों डंसता है सांप

सांप के पास जहर है और पैने नुकीले दांत तो वह डंसेगा ही यह सही नहीं है। हम सांप से जिनता डरते हैं उससे ज्यादा सांप हमसे डरते हैं और इसी कारण वे छिपे रहते हैं। सांप के दांत और जहर शिकार में सहायता और आत्मरक्षा के लिए होते हैं। भोजन की तलाश में निकला सांप शिकार के शरीर पर दांत गड़ा देता है और उसके शरीर में जहर डाल देता है। जहर के कारण शिकार कुछ दूर जाकर बेहोश हो जाता है और सांप अपने जहर को सुंघता हुआ उसके पास पहुंच जाता है। इसके अलावा सांप अपने जहर का इस्तेमाल दुश्मनों से खुद की रक्षा के लिए भी करता है। यही कारण है कि जब इंसानों से इनका सामना होता है तो उन्हें साक्षात मृत्यु नजर आती है और ये अपनी रक्षा के लिए अपने ताकतवर हथियार का इस्तेमाल कर देते हैं।

कौन हैं धरती के सबसे जहरीले सांप

1. इनलैंड ताइपान

यह धरती पर पाए जाने वाले सांपों में सबसे जहरीला होता है। यह सांप अपने एक डंस में 110 मिलीग्राम जहर इंजेक्ट कर सकता है, जिससे १क्क् इंसान और 250,000 चुहे मर सकते हैं। इसका जहर रैटलस्नेक से दस गुणा और समान्य कोब्रा के जहर से 50 गुणा ज्यादा खतरनाक होता है।

2 इस्टर्न ब्राउन स्नेक

ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला यह सांप बेहद जहरीला होता है। इसके जहर का 14 हजारवां भाग एक इंसान के मौत के लिए पर्याप्त होता है। यह आमतौर पर हिलते-डूलते चीज पर हमला करता है इसलिए इसका सामना होने पर अपने को स्थिर कर लेना चाहिए।

3 ब्लू करैत

यह सांप दक्षिणपूर्व एशिया और इंडोनेशिया में पाया जाता है। इसका जहर कोब्रा से 12 गुणा ज्यादा खतरनाक होता है। इसका मुख्य शिकार दूसरे सांप होते हैं। यह सांप अपने से छोटे आकर के करैत को भी निगलने से परहेज नहीं करता।

4 टाइपान

ऑट्रेलिया में पाया जाने वाला या सांप अपने डंस के साथ शिकार के शरीर में इतना जहर छोड़ सकता है जिससे 12000 गिनी पिग की मौत हो जाए। रंग-रूप में यह अफ्रीका के ब्लैक माम्बा के समान होता है।

5 ब्लैक माम्बा

ब्लैक माम्बा का घर सांपों की टोकड़ी कहा जाने वाला अफ्रीका महादेश है। 20 किलोमीटर प्रतिघंटे की तेज रफ्तार से सड़कने की क्षमता वाला यह बेहद गुस्सैल सांप शिकार को लगातार कई बार डंसता है। यह अपने एक डंस में इतना जहर शरीर में डाल देता है जिससे 10-25 वयस्कों की जान जा सकती है। इसके डंसने पर आदमी 15 मिनट से लेकर 3 घंटे के अंदर मर जाता है।

6 टाइपर स्नेक

ऑट्रेलिया के इस सांप का जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है। समान्यत: इसके शिकार को मौत तक पहुंचने में 6-24 घंटे लगते हैं, लेकिन कई जान बचाने के लिए सिर्फ 30 मिनट ही मिलते हैं।

7 फिलीपीन कोब्रा

कोब्रा की प्रजातियों में यह सबसे खतरनाक होता है। यह अपना विष तीन मीटर की दूरी से शिकार पर फेंक सकता है। इसका बेहद तेज न्यूरोटॉक्सिक जहर शिकार को 30 मिनट में मौत के घाट उतार सकता है।

8 वाइपर

वाइपर लगभग पूरी दुनिया में पाया जाता है। सॉव स्केल्ड वाइपर और चैन वाइपर बेहद जहरीले होते हैं। ये सांप मध्यपूर्व और मध्य एशिया विशेषकर भारत, चीन, और दक्षिणपूर्ण एशिया में पाया जाता है।

9 देथ एडेर

यह सांप ऑस्ट्रेलिया और न्यू गिनी में पाया जाता है। इसका मुख्य शिकार सांप ही होते हैं और यह उनके खिलाफ अपने जहर का इस्तेमाल करता है। इंसानों पर इसका हमला आत्मरक्षा के लिए होता है। यह बेहद तेज रफ्तार हमला करता है और बड़ी मात्रा में अपने जहर को शिकार के शरीर में उड़ेल देता है। इसका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जिसके कारण तंत्रिका तंत्र कमजोर पड़ने लगता है, लकवे के लक्षण दिखने लगते हैं और इंसान 6 घंटे से कम समय में मौत के आगोस में चला जाता है।

10 रैटलस्नेक

अमेरिकी महाद्वीप में पाया जाने वाला यह सांप बेहद जहरीला होता है। बड़ी विष ग्रंथी और लंबे दांतों से यह जहर की बड़ी मात्रा शिकार के शरीर में पहुंचा देता है जो उसके लिए खतरनाक होता है। इसके पूंछ के अंतिम हिस्से में झुनझुने जैसी रचना होती है, जिसे बजाकर यह अपने करीब आने वाले को चेतावनी देता है और इसके बाद भी अगर कोई इसके करीब पहुंचता है तो उसपर यह हमला करने से नहीं चूकता।

समुद्र के जहरीले सांप

बेलचरस सी स्नेक

यह दुनिया का सबसे जहरीला सांप है। इसका कुछ मिलीग्राम जहर हजार लोगों को मार सकता है। इसका शिकार ज्यादातर मछुआरे होते हैं, जिनके जाल में ये सांप फंस जाते हैं।

कुरान का संदेश सुरे ता हां

एक तरफ ममता का कार्टून बनाने पर अपराधी गिरफ्तार यहाँ राहुल ..मनमोहन..चिदम्बरम का अपमान करने वालों के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज नहीं जबकि सरकार कोंग्रेस की

पश्चिमी बंगाल की शेरनी ममता बनर्जी ने इंटरनेट का दुरूपयोग कर किसी का अभी मान मर्दन करने वालों को सबक सिखाने का जो तरीका देश को बताया है उससे देश की पुलिस और अपराधियों को सबक लेना चाहिए ......दोस्तों आप भी जानते है और दुनिया भी जानती है के देश में एक कानून नाम की चीज़ है जिसमे किसी का भी मान मर्दन ..अपमान ..अश्लील प्रदर्शन अपराध है और भारतीय दंड संहिता के आलावा इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट के विशिष्ठ प्रावधानों में तो यह खतरनाक अपराध है जिसमे बिना किसी वारंट के गिरफ्तारी ..जेल और लाखों का जुर्माना प्रथक से है ..इस कानून के बावजूद भी देश में इंटरनेट और सोशल साइटों पर रोज़ दिन प्रतिदिन कोंग्रेस की सोनिया गाँधी ..राहुल गाँधी ....पी चिदम्बरम .....मनमोहन सिंह .....सहित सभी बढ़े नेताओं का मान मर्दन एक योजनाबद्ध तरीके से क्या जा रहा है ...जहाँ कोंग्रेस की सरकार नहीं है वहां ऐसा प्रदर्शन तो समझ में आता है लेकिन जिन राज्यों में कोंग्रेस की सरकार है वहां खोले जाने वाली सोशल साइटों पर यह अपराध खुलेआम है और पुलिस और कोंग्रेस शासित सरकारें यह सब तमाशा देख रही है ...कानून है के जहां अपराध हुआ है और जहां अपराध का परिणाम निकला है वहन ऐसे अपराधियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जायेगी ........अजमेर से बने एकाउंट से एक सज्जन ने राहुल गाँधी ..पी चिदम्बरम .. मनमोहन सिंह का अपमान करने वाली एक तस्वीर कूटरचित की और भेज दी सोशल साईट पर इस अपराध का प्रकाशन कोटा मेरी फेसबुक अपर भी हुआ दोस्तों मेने सोचा सरकार कोंग्रेस की पुलिस कोंग्रेस के शासन में लगाई गयी है ..केंद्र के नेता जो कोंग्रेस के वरिष्ठ और इज्ज़तदार हैं उनका अपमान हुआ है शिकायत होगी तो कोटा पुलिस ऐसे अपराधी को तुरंत गिरफ्तार करेगी लेकिन यकीन मानिए दिसम्बर २०११ से आज तक सेकड़ों पात्र लिखने पर भी कोटा पुलिस ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं क्या है हाँ अलबत्ता अपराधी जी को भागने का मोका मिल गया ....मजेदार बात तो यह है के इसकी जानकारी राजस्थान के प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष ...मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत और कई वरिष्ठ नेताओं को है जो भी पुलिस में कार्यवाही हो इसके प्रयासों में पत्रव्यवहार कर रहे है लेकिन पुलिस है के मानती ही नहीं कहती है अपराध कोटा का नहीं अजमेर का है और नतीजा यह है के सरकार कोंग्रेस की मान मर्दन कोंग्रेस के नेताओं को कोटा में लगाई गयी पुलिस कोंग्रेस सरकार की लेकिन कोंग्रेस के नेताओं का अपमान करने वालों के खिलाफ संग्ये अपराध होने पर भी कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है और शिकायत कभी प्रदेश कोंग्रेस कार्यालय तो कभी ..जनभाव अभियोग कार्यालय तो कभी मुख्यमंत्री कार्यालय में ही चक्कर काट रही है ..एक तरफ तो ममता की सरकार है जिसने एक पल एक क्षण में ऐसे अपराधी को सबक सिखाकर यह साबित कर दिया है के किसी भी अपराधी को अपराध करने पर दबोचना आसान है और एक हमारी राजस्थान पुलिस जो राहुल गाँधी मनमोहन सिंह पी चिदम्बरम जेसे नेताओं का मानमर्दन करने वाले अपराधी को पकड़ने की जगह अपनी सारी ताकत इस मामले में झोंक रही है के मुकदमा केसे दर्ज करने से बचा जाए और हमारी सरकार हमारे राजस्थान के कोंग्रेसी नेता ऐसे भोले हैं के जो कोटा पुलिस ने कहा उसे गेर्क़नुनी कथन होने पर भी सच मानकर सब्र करके बेठ गए है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जानिए, 1699 की वैशाखी क्यों है इतनी खास


वैशाखी का त्योहार मन में हर्ष और उल्लास भर देता है। वैशाखी मनाने के पीछे कई कारण भी है। यह पर्व सालों से मनाया जा रहा है फिर भी सन् 1699 में वैशाखी के दिन जो हुआ उसने भारतीय इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया।

गुरु तेगबहादुर सिंह जी की हत्या के बाद उनके बेटे गुरु गोविंद सिंह दसवें गुरु कहलाए। इन्होंने लोगों में बलिदान देने और संघर्ष की भावना बढ़ाने के लिए 3 मार्च, 1699 को वैशाखी के दिन केशगढ़ साहिब के पास आनंदपुर में एक सभा बुलाई। इस सभा में हजारों लोग इकट्ठा हुए। गुरु गोविंद सिंह ने यहां पर लोगों के मन में साहस पैदा करने के लिए लोगों से जोश और हिम्मत की बातें कीं। उन्होंने लोगों से कहा कि जो लोग इस कार्य के लिए अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार हैं, वे ही आगे आएं।

इस सभा में गुरु गोविंद जी अपने हाथ में एक तलवार लेकर आए थे। उनके बार-बार आह्वान करने पर भीड़ में से एक जवान लड़का बाहर आया। गुरु जी उसे अपने साथ तंबू के अंदर ले गए और खून से सनी तलवार लेकर बाहर आए। उन्होंने लोगों से कहा कि जो बलिदान के लिए तैयार है, वह आगे आए। एक लड़का फिर आगे बढ़ा। गुरु उसे भी अंदर ले गए और खून से सनी तलवार के साथ बाहर आए। उन्होंने ऐसा पांच बार किया। आखिर में वे उन पांचों को लेकर बाहर आए। उन्होंने सफेद पगड़ी और केसरिया रंग के कपड़े पहने हुए थे। यही पांच युवक उस दिन से 'पंच प्यारे' कहलाए।

इन पंच प्यारों को गुरु जी ने अमृत (अमृत यानि पवित्र जल जो सिख धर्म धारण करने के लिए लिया जाता है) चखाया। इसके बाद इसे बाकी सभी लोगों को भी पिलाया गया। इस सभा में मौजूद हर धर्म के अनुयायी ने अमृत चखा और खालसा पंथ का सदस्य बन गया।

अंगूर से होगा कायाकल्प: मोटापा घटाने के लिए इसे खाएं इस तरह

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अंगूर में ग्लूकोज और डेक्स्ट्रोज पाए जाते है, जो शरीर के अंदर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। शरीर को अच्छी मात्रा में फाइबर उपलब्ध कराते हैं और सुपाच्य होते हैं। कुछ नए शोधों से पता चला है कि अंगूर, विशेषकर काले अंगूर दिल से संबंधित रोगों को रोकने में सहायक होता है।

अंगूर में ऐसा पदार्थ भी पाया जाता है जो कि शरीर के विषाक्त द्रव्यों को शरीर से बाहर वमन और मूत्र के रूप में निकाल देता है। इसके लिए कई लोग अंगूर कल्प या फलाहार में सिर्फ अंगूर कल्प या फलाहार में अंगूर का सेवन करते हैं, जिससे शरीर की शुद्धि होती है। अंगूर कल्प 100 ग्राम अंगूर से शुरू करें। जब भी भूख लगे, सिर्फ अंगूर का ही सेवन करें। हर तीसरे दिन 100+100 = 200 ग्राम मात्रा बढ़ा लें। जब-जब भूख हो, 100-100 ग्राम की मात्रा में इसे खाएं।

फिर तीसरे दिन 200-200 ग्राम फिर 3 दिन तीन-तीन सौ ग्राम, फिर एक माह तक 500 ग्राम तक आ जाएं। फिर इसी क्रम में 100-100 ग्राम मात्रा में घटाते जाएं। बीच में अन्न न लें।यह क्रिया मोटापा भी घटाती है और शरीर की विषाक्तता को नष्ट कर मूत्र के रूप में बाहर निकलती है। यदि शरीर पर बुखार या पित्त का असर हो तो घबराएं नहीं इस क्रिया को 2-3 दिन रोककर जब आराम आ जाए तो दोबारा शुरू कर लें। इस बीच आप अन्य फल या हल्का आहार लें।

.जब छह ग्रहों का एकसाथ जमावड़ा, आसमान से बरसेगी आग

भोपाल। आगामी 20 से 22 मई के बीच तीन दिन भीषण गर्मी पड़ेगी। इसका कारण छह ग्रहों का वृष राशि में एक साथ होना रहेगा। ये ग्रह हैं सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र व केतु। इसे खडग्रही योग कहते हैं, जो गर्मी में इजाफा करेगा। पं. भंवर लाल शर्मा का कहना है कि सूर्य जब वृष राशि में होता है, तब वह खूब तपता है। पं. प्रहलाद पंड्या बताते हैं कि सूर्य के वृषभ राशि में होने से उसकी किरणों पृथ्वी पर लम्बवत होती हैं, जो गर्मी का कारण बनती हैं। ग्रहों के राशि परिवर्तन का असर किसी न किसी रूप में मौसम पर जरूर दिखाई देता है।

वहीं, एक-दूसरे के परस्पर विरोधी सूर्य व शनि ग्रह का शुक्रवार शाम को आमना-सामना होगा, परंतु जिन लोगों को इन ग्रहों के कुप्रभाव से अनिष्ट की आशंका है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। बृहस्पति (गुरु) ग्रह की मेष राशि में रहते हुए शनि पर पूर्ण दृष्टि पड़ने वाली है, जो शनि के कुप्रभाव को खत्म कर देगी। यह कहना है शहर के कई ज्योतिषियों का।

उनके अनुसार कुछ पंडितों ने सूर्य व शनि के एक-दूसरे के सामने आने पर इन राशियों से प्रभावित जातकों को कष्ट होने व पिता-पुत्र के रिश्तों में दरार आने की संभावनाएं जताई है, जिससे लोग इन ग्रहों के कुप्रभाव से बचने पंडितों से उपाय पूछ रहे हैं। पं. धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार शनि अपनी उच्च राशि तुला में हैं और अब सूर्य जो शनि के पिता हैं, वे भी अपनी उच्च राशि मेष में 13 अप्रैल को प्रवेश करेंगे। इस कारण सूर्य व शनि का अपनी-अपनी उच्च राशि में 29 वर्ष बाद आमना-सामना होगा। दोनों एक-दूसरे को पूर्ण दृष्टि से देखेंगे। सूर्य प्रकाश व शनि अंधकार का स्वामी है। दोनों परस्पर विरोधी ग्रह हैं।

खास कर वे लोग प्रभावित होंगे, जो शनि की ढैया और साढ़े साती से ग्रसित हैं। वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या तुला व मकर राशि के जातक सबसे अधिक प्रभावित होंगे। पं. भंवर लाल शर्मा का कहना है कि गुरु ग्रह के मेष राशि में रहने से इसकी पूर्ण दृष्टि शनि पर रहेगी, जो शनि के कुप्रभाव को कम करेगी।

ओषधि चमत्कारिक उपचार प्रतिषेध अधिनयम में बाबा निर्मल और टी वी पत्रकारों और अख़बार के पत्रकारों को बंद कर इस अद्न्विश्वास को रोकना जरूरी है

दोस्तों निर्मल बाबा का क्या कहना एक इंट भट्टे से निर्मल बाबा की उपाधि और करोड़ों करोड़ नहीं अरबों रूपये की कमाई ने देश में अंधविश्वास का एक नया रास्ता निकाल दिया है निर्मल बाबा के इस रवय्ये के खिलाफ के काले पर्स खरीदों उसमे दस रूपये की गड्डी रखो मंदिर में शराब की बोतल चडाओ जेसे सुझावों ने उनेह विवादों में डाल दिया है .........दोस्तों इस मामले में हमारे देश की सरकार और पत्रकारों को निर्मल बाबा को देश की जनता को ठगने में पूरा पूरा सहयोग है .............सभी जानते है के देश में ड्रग मेजिक एक्ट बना हुआ है जिसमे तन्त्र मन्त्र से इलाज करना और इस तरह से धर्म के नाम पर लोगों के विशवास से खेलना अपराध माना गया है इस कानून में ऐसे अपराधी को बिना किसी वारंट के जेल भेजने का प्रावधान है ....निर्मल बाबा ने अपना विज्ञापन जिन टी वी चेनलों के माध्यम से जनता तक पहुंचा कर अपना तन्त्र बढाया है उससे देश की परेशान जनता जिस तरह से ठगी गयी है वोह सब सामने है ...आज अगर सरकार देश में बने कानून के तहत निर्मल बाबा को ऐसे विज्ञापन प्रोग्राम देने को लेकर पहले ही गिरफ्तार कर लेते और ऐसे टीवी और अख़बार के पत्रकारों को ऐसे प्रचार करने पर पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज देते तो शायद आज भारत में अंधविश्वास और सद विश्वास मामले में जो हाहा कार जो धार्मिक जंग छिड़ गयी है ..जिसे असत्य और अन्धविश्वास अपर सत्य की जीत की लड़ाई कहा जा सकता है इस जंग में देश दो हिस्सों में बंट चुका है एक निर्मल बाबा के एजेंटों के रूप में दुसरे उनसे ठगे गए लोगों या फिर देश को अन्धविश्वास से बचाने का संकल्प लेने वाले लोगों में बंट गया है अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है देश में सुप्रीम कोर्ट है ..राष्ट्रपति जी है ..प्रधानमन्त्री जी है थानों और छोटी पुलिस पर तो क्या भरोसा करना लेकिन कानून जिसका उलन्न्घन कर यह अपराध किया जा रहा है उस ड्रग मेजिक एक्ट चमत्कारिक ओषधि उपचार अधिनियम निरोधित कानून के तहत टी वी और निर्मल बाबा को जेल अगर भेज दिया जाए तो बात बन जाएगी लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा या फिर जनता यूँ ही विश्वास और अन्धविश्वास की लड़ाई लडती रहेगी ..और सरकार मज़े करती रहेगी यह वक्त ही बताएगा ...................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

टीवी के जरिए घर-घर पहुंच चुके निर्मल बाबा के बारे में गूगल टूल्स के जरिए रिसर्च करने पर पता चला कि उनके बारे में लोगों की दिलचस्पी में पिछले तीन माह में जबरदस्त इजाफा हुआ है। तीन साल पहले तक वह लगभग गुमनाम थे। अगस्त 2009 में गूगल में सबसे पहले निर्मल बाबा को सर्च किया गया।

साल 2010 के अंत तक भी उनमें लोगों की कोई खास रुचि नहीं थी और गिने चुने लोग ही इंटरनेट पर उनके बारे में जानकारी तलाशने की कोशिश करते थे। सितंबर 2011 से लोगों ने इंटरनेट पर निर्मल बाबा के बारे में जानने में दिलचस्पी दिखाई और तब से यह ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। निर्मल बाबा इंटरनेट जगत पर सबसे ज्यादा चर्चित साल 2012 में ही हुए।

खुद पर बने इसी कार्टून से खफा हुईं ममता, प्रोफेसर को भिजवाया जेल, फिर रिहा

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कोलकाता. ममता बनर्जी के खिलाफ कार्टून (तस्‍वीर में देखें) बनाकर इंटरनेट पर डालने के आरोप में एक प्रोफेसर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बाद में उन्हें जमानत दे दी गई। महापात्रा को शुक्रवार की सुबह ममता बनर्जी को 'बदनाम' करने के लिए गिरफ्तार किया गया। महापात्रा को गुरुवार की रात पूछताछ के लिए बुलाया गया था।

प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा जादवपुर विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान पढ़ाते हैं। महापात्रा पर आरोप है कि उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक विवादास्पद कार्टून बनाकर इंटरनेट पर डाला है।

अंबिकेश महापात्रा का कार्टून सत्यजीत रे की फिल्म 'सोनार केला' पर आधारित बताया जा रहा है, जिसमें कथित तौर पर दिनेश त्रिवेदी को हटाने के लिए ममता बनर्जी और मुकुल रॉय को आपस में बातचीत करते हुए दिखाया गया है। महापात्रा की गिरफ्तारी पर जादवपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले उनके साथी प्रोफेसरों ने नाराजगी जाहिर की है।

सुप्रीम कोर्ट से तीस्ता को राहत, गुजरात सरकार को फटकार

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को राहत दी और साथ ही गुजरात सरकार को एक मामले में फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता को राहत देते हुए शुक्रवार को उनके खिलाफ 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित एक मामले में सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी। यह मामला राज्य के लूनावाड़ा में दफन अज्ञात शवों को खोद कर निकाले जाने से संबंधित है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वास्तव में मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए मुकदमा गुजरात सरकार के खिलाफ चलाया जाना चाहिए। जस्टिस आफताब आलम और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने गुजरात सरकार के वकील से कहा, 'आप एफआईआर पढ़िए। आरोपी दूसरा पक्ष (राज्य सरकार) होना चाहिए था। राज्य के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघनों का मुकदमा चलाया जाना चाहिए था।' कोर्ट ने कहा, 'हम बहुत असंतुष्ट हैं। मामला प्रशासन के खिलाफ बनता है। अगर समग्र दृष्टिकोण से देखा जाए, तो एफआईआर प्रशासन के खिलाफ होना चाहिए था।' इस मामले में गुजरात सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया था। सरकार ने आरोप लगाया था कि 2002 के गुजरात दंगों में मारे गए लोगों के शव सीतलवाड़ के कहने पर कब्र से खोदे गए थे।

सीतलवाड़ के खिलाफ पूरा मामला एक आदमी रईस खान के बयान पर आधारित था। खान, सीतलवाड़ की संस्था, कमिटी फॉर जस्टिस ऐंड पीस (सीजेपी) में काम करते थे। कोर्ट ने कहा कि तीस्ता के खिलाफ पूरा मामला गलत इरादे से बनाया गया है। पीठ ने कहा, 'यह गलत इरादे से बनाया हुआ मामला है।' सामूहिक कब्र खोदने का मामला 27 दिसम्बर, 2005 को घटी उस घटना से संबंधित है, जिसके तहत सीजेपी के तत्कालीन स्थानीय समन्वयक, रईस खान पठान के नेतृत्व में 6 लोगों ने गुजरात में पंचमहाल जिले के लूनावाड़ा में पनाम नदी की तलहटी के पास 28 अज्ञात शवों की कब्र खोद डाली थी। कब्र खोदने वालों ने दावा किया था कि वे शव पंधरवाड़ा नरसंहार के लापता पीड़ितों के थे और वे उनके रिश्तेदार थे।

शवों की पहचान के लिए उनके डीएनए परीक्षण हुए थे और उसके बाद कब्र खोदने वालों ने इस्लामिक रीति-रिवाज के मुताबिक, शवों को वापस दफना दिया था। उस समय पठान ने कहा था कि उन्होंने सीतलवाड़ के कहने पर शवों को खोदकर निकाला था। पंचमहाल जिले के पंधरवाड़ा के रहने वाले कुल 32 लोगों को पहली मार्च, 2002 को, राज्यभर में भड़के साम्प्रदायिक दंगों के दौरान मार डाला गया था। लेकिन इनमें से 28 शवों के बारे में पता नहीं चल पाया था।

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