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16 अप्रैल 2012

विधायिका-कार्यपालिका पर प्रहार कर रही है न्यायपालिका'


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जयपुर.सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश हों या हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश, इन्हें विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेने का समय नहीं है। लेकिन प्रशासन और कार्यपालिका में दखल का तो पूरा समय है। हमारे तीन सदस्य ऐसे हैं जो ज्यूडिशियल एक्टिविजम से प्रभावित होकर हमारे बीच में नहीं है।

यह कहना है भाजपा विधायक राव राजेन्द्रसिंह का। वे सोमवार को विधानसभा में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर संशोधन विधेयक पर हुई बहस में भाग ले रहे थे। विधायक राव ने कहा कि आज बार-बार न्यायपालिका का विधायिका व कार्यपालिका पर प्रहार हो रहा है। अति न्यायिक सक्रियता बढ़ती ही जा रही है। यह मीडिया के माध्यम से ग्लैमराइज कर शोहरत प्राप्त करने का जरिया तो बनकर नहीं रह गया है? हम पर तो नियमों की बाध्यता है लेकिन न्यायपालिका के लिए भी तो कुछ नियम होने चाहिए। उन्होंने कहा कि एक सर्वे में राजस्व, पुलिस और अधीनस्थ न्यायालयों को सबसे भ्रष्ट बताया है।

आज स्थिति यह हो गई कि जमानत तक के अधिकार पर अतिक्रमण हो रहा है। मेरा भी एक साथी ऐसी जगह है जहां जमानत मिलने का ट्रायल हो रहा है। उन्होंने कहा कि न्यायालय में आज ज्यूरी का कोई सिस्टम नहीं रह गया है।


पश्चिमी देशों और अमेरिका में अकेला जज फैसला नहीं करता वहां ज्यूरी फैसला करती है। न्यायालयों में हमारे यहां भी ज्यूरी सिस्टम होना चाहिए। विधि विश्वविद्यालय ज्यूरी तैयार करने के लिए प्रयास करें।

राज्य सरकार के अधीन हो नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी : तिवाड़ी

बहस में भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण ही नहीं है। फिर संशोधन लाने का कोई औचित्य ही नहीं है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह केंद्र को पत्र लिखे कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को राज्य सरकार के अधीन किया जाए। संशोधन विधेयक विधि विभाग के जरिए आना चाहिए था, जबकि उच्च शिक्षा विभाग यह संशोधन लेकर आ रहा है। देश भर में विधि की शिक्षा में एकरूपता आनी चाहिए। बहस में भाजपा के गुलाबचंद कटारिया, ओम बिरला, अनिता बधेल और माकपा के अमरा राम ने हिस्सा लिया।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बन सकेंगे नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलाध्यक्ष

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बजाए अब वहां के न्यायाधीश भी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर के कुलाध्यक्ष बन सकेंगे। विधानसभा में सोमवार को राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर संशोधन विधेयक 2012 को पारित कर दिया है। अब तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ही इस यूनिवर्सिटी के कुलाध्यक्ष थे। अब सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ उनके द्वारा नामांकित कोई भी सुप्रीम कोर्ट का जज भी कुलाध्यक्ष बन सकेगा। कुलाध्यक्ष ही दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करेंगे।

विधायक ने मंत्री को दी सरेआम गालियां, मारने को दौड़े!


जयपुर.विधानसभा में सोमवार को एक शर्मनाक अध्याय जुड़ गया। भाजपा के निलंबित विधायक हनुमान बेनीवाल ने सदन में सरेआम चिकित्सा राज्यमंत्री राजकुमार शर्मा को गालियां दीं। राजकुमार शर्मा अपनी सीट से उठकर बेनीवाल की तरफ बढ़े। उधर से बेनीवाल भी आगे बढ़े, लेकिन विधायकों ने दोनों को पकड़ लिया। वाकया अनुदान मांगों पर बहस के दौरान हुआ।

इस घटना पर भाजपा ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर कार्रवाई करने की मांग की। ऐसा नहीं होने पर भाजपा ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। आसन की ओर से इस पूरी घटना और गाली-गलौज को कार्यवाही से निकाल दिया गया।

सदन में हुई शर्मनाक घटना पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई। भाजपा विधायक दल के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर सभी दलों के प्रमुख विधायकों को बुलाकर इस घटना पर कार्रवाई करने को कहा। इस पर सभापति सुरेंद्र जाड़ावत ने कहा कि सदन ऑर्डर में आ गया है। जो भी घटना हुई है, जो अपशब्द बोले गए हैं, उन्हें सदन की कार्यवाही से निकाल दिया है। यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, इस पर जो भी कार्रवाई करनी होगी सब देखकर बाद में उचित और निष्पक्ष कार्रवाई होगी। इसी बीच उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा आसन पर आ गए। विपक्ष ने फिर सदन की कार्यवाही स्थगित करने की मांग दोहराई।

भाजपा की ओर से सदन की कार्यवाही स्थगित करने की मांग के बाद सरकारी मुख्य सचेतक रघु शर्मा ने कहा कि जो भी घटना हुई है वह दुर्भाग्यपूर्ण है,। इस घटना और बाद में जो ये सारी बातें हुई हैं उसे सदन की कार्यवाही से निकालना चाहिए। इसके बाद उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा सदन में आ गए।

भाजपा के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने पूरी घटना का वृतांत सुनाते हुए उपाध्यक्ष से सदन की कार्यवाही स्थगित करने को कहा। तिवाड़ी ने कहा कि इस घटना की जितनी निंदा की जाए वह कम है। अगर आपने हमारे प्रस्ताव पर विचार नहीं किया तो यह सदन की गरिमा के खिलाफ होगा और हम सदन की गरिमा गिराना नहीं चाहते, इसलिए हमें मजबूरन बहिष्कार करना होगा। उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं की।

इस तरह हुई शुरूआत

बेनीवाल ने कहा- नेता प्रतिपक्ष की डांट को भी आशीर्वाद मानते हैं चिकित्सा मंत्री
विवाद की शुरुआत अनुदान मांगों पर बहस के दौरान बेनीवाल के बोलने से हुई। बेनीवाल ने कहा कि चिकित्सा मंत्री अपने विभाग का सवाल लग जाता है तो दावत देकर येन केन प्रकारेण उसे रुकवाने का जतन करते हैं। चिकित्सा मंत्री तो नेता प्रतिपक्ष की डांट को भी आशीर्वाद मानते हैं। इस पर राजकुमार शर्मा ने आपत्ति की। बेनीवाल ने झिड़क दिया। बेनीवाल करीब दो मिनट गालियां देते रहे।

बाद में कहा- मैंने अपशब्द नहीं कहे

मैंने अपशब्द नहीं कहा। राजकुमार शर्मा ने ही गलत बोलने की शुरुआत की थी। मैं तो चिकित्सा विभाग की अनुदान मांगों पर बोल रहा था। तभी मंत्री अपनी सीट से उठकर मुझ पर हमला करने के लिए बढ़ने लगे।यह तो रूपा राम डूडी और गोविंद सिंह डोटासरा ने रोक लिया, नहीं तो मुझ पर हमला कर देते। मंत्री राजेंद्र पारीक उकसा रहे थे।

हनुमान बेनीवाल, विधायक खींवसर (नागौर)

मैं यहां गाली सुनने नहीं आया हूं, मेरे सचेतक ही उस सदस्य को बचा रहे हैं : शर्मा

चिकित्सा राज्य मंत्री राजकुमार शर्मा ने कहा कि मैं आज शर्मिदगी महसूस कर रहा हूं कि मैं इस सदन का सदस्य हूं। मैं मां की गाली सुनने सदन में नहीं आया हूं। अगर मुझे पहले पता होता कि सदन में इस तरह होता है और इस तरह के लोग यहां बैठते हैं तो मैं कभी भी राजनीति को अपना कॅरिअर नहीं चुनता। मुझे दुख है कि मेरे सचेतक ही इस घटना में उस सदस्य का बचाव कर रहे हैं।

प्रस्ताव आया तो कार्रवाई करेंगे : उपाध्यक्ष

जो हुआ वो दुखद है। पक्ष एवं विपक्ष के लोगों में सबकी राय लेकर परंपराओं के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। अभी तक कार्रवाई के लिए कोई प्रस्ताव नहीं आया है।

-रामनारायण मीणा, उपाध्यक्ष, विधानसभा.

टिप्पणी: हे! शिशुपाल..

भरी विधानसभा में एक सदस्य, मंत्री को गालियां दे रहा है और हम सुन रहे हैं। क्यों? वोट डालने वाले निपट निरीह लोग सवाल कर रहे हैं कि हमारे मत का ऐसा अपमान क्यों? बोलने और सुनने से पहले कान फटे क्यों नहीं? कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जब कृष्ण ने शिशुपाल को नहीं बख्शा, हम क्यों चुप बैठे हैं?

आखिर इसी समाज ने महिलाओं को भी चुनकर सदन में भेजा है। उनका क्या कुसूर है? क्या वे गालियां सुनने सदन में आई हैं? जवाब कौन देगा? आखिर हर जवाब के लिए प्रश्नों-प्रस्तावों की विवशता क्यों होती है? पवित्र सदन और गरिमामयी आसंदी इस मामले पर जो भी निर्णय करे, सभी को स्वीकार्य होगा, लेकिन इतना तय है कि शिशुपालों की माफी हमें सच के कृष्ण से दूर कर देगी।

कुरान का संदेश ..सुरे अम्बिया

गोपलागढ़ का भूत सरकार का पीछा नहीं छोड़ रहा है

राजस्थान के भरतपुर जिले के कस्बे गोपालगढ़ का नरसंहार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पीछा नहीं छोड़ रहा है ..हाला ही में जमीयतुल उलेमा इ हिंद की चीफ ने इस मामले को फिर से गरमा दिया है उनका कहना है के अगर गोपालगढ़ में दोषी मुख्यमंत्री और मंत्री को नहीं हटाया तो कोंग्रेस को इसके परिणाम भुगतने को तय्यार रहना चाहिए ...कहने को तो यह एक मोलाना की एक राजनितिक धमकी थी ..जिसका जवाब राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक ने अपने अल्फाजों में दे दिया है लेकिन राजनितिक विश्लेष्ण की द्रष्टि से अगर इसे देखा जाए तो यह गोपालगढ़ का बहुत कोंग्रेस का पीछा छोड़ता नहीं दिख रहा है ..मेने कुछ बाहर के मोलानाओं और गोपलागढ़ के लोगों को समझाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने जो मुझे समझाया वोह वाजिब बात थी ...उनका कहना था के मान लिया जाए मुख्यमंत्री और मंत्री जी का इस मामले में कोई हाथ नहीं था केवल उनकी जुबान ही फिसली थी लेकिन अब सी बी आई जांच में भी कोंग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के इशारे पर निर्दोष लोगों को परेशान क्या जा रहा है उन्हें डराया धमकाया जा रहा है ..उनका कहना था के हालत यह है के उनकी पेरवी करने के लियें कोई ढंग के वकील तय्यार नहीं है ...जिसको कहते है चाहे नेता हो चाहे मोलाना हो चाहे समाज सेवक हो सभी सरकार से सोदेबाज़ी कर कुछ ना कुछ पद हथिया कर सरकार के पैरोकार बन जाते हैं ..पीड़ितों का कहना है के घटना के तुरंत बाद कलेक्टर और एस पी को भी निलम्बित किया गया लेकिन उन्हें सी बी आई ने आज तक गिरफ्तार नहीं किया है ..उनका कहना है के गोपालगढ़ मामले में सरकार ने पीड़ितों के जख्मों पर मलहम लगाने की जगह उन्हें कुरेदना और उन पर नमक मिर्च छिड़कने का काम किया है ..अब ऐसे हालातों में यह गोपलागढ़ के लोगों का दर्द जब तक जिंदा रहेगा उनके जख्म जब तक रिश्ते रहेंगे तब तक यह मामला तो बहुत बन कर सरकार के पीछे पढ़ा ही रहेगा इसलियें अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है एक निष्पक्ष फार्मूला जिसकी जांचे में चाहे कलेक्टर एस पी हो चाहे कोई भी हो चाहे हत्यारी पुलिस हो अगर उसे पकड़ा नहीं गया जेल नहीं भेजा गया तो फिर तो यह सिलसिला बंद नहीं होगा क्योंकि लोगों का यह दर्द है के सरकार हत्यारी पुलिस को सजा देने की जगह उसकी पैरोकार बनी है और बचाने को सभी कोशिशें कर उलटे निर्दोष मरने वालों और उनके परिजनों पेरोकारों को फंसाने के प्रयास कर रही है ऐसे में तो खून सर चढ़ कर बोलता है और एक दिन सरकार को इसका दंड भुगतना ही पढ़ेगा ....खेर सरकार को इस मामले को गम्भीरता से लेकर एक बार फिर पीड़ितों के जख्मों पर मलहम लगाना चाहिए और उन्हें यह विश्वास दिलाना चाहिए के दोषी कोई भी अधिकारी या पुलिसिया हो किसी भी कीमत पर नहीं बचेगा और निर्दोष को फंसने नहीं दिया जाएगा तब यह भूत यह गोपालगढ़ का जिन बोतल में बंद हो सकेगा ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इन पांच चीजों को ज्यादा खाएंगे तो कभी टॉनिक नहीं लेना पड़ेगा क्योंकि....




हमारी रोजाना कि खाने-पीने की चीजों में ऐसी कई चीजे होती हैं जो हमें ताकत देती हैं। लेकिन समस्या यह है कि अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता की कौन सा भोजन अधिक ताकत देता है, तो आइए आज हम आपको ऐसी पांच चीजों की जानकारी देते हैं जिन्हें आप अपने भोजन में शामिल करके ताकतवर बन सकते हैं।
अमरुद-अमरुद को दिन का हीरा कहते हैं क्योंकि दिल की बीमारियों को दूर रखने और कब्ज जैसी सामान्य समस्या को खत्म करने में इसका कोई जोड़ नही है। शुगर यानि मधुमेह की रोकथाम के लिए भी इस फल को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
हरी फूल गोभी- जन्म के साथ होने वाली बीमारियों से लडऩे में ये गोभी बेहद कारगर होती है। ये न सिर्फ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है बल्कि, हड्डियों को मजबूत करने की इसमें गजब की क्षमता होती है।
पालक- इसमें कई विटामिन एक साथ पाए जाते हैं। पालक में स्कीन और ब्रेस्ट कैंसर से लडऩे की सबसे ज्यादा ताकत होती है। मजे की बात है कि इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता।

गाजर- रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाने में गाजर का कोई मुकाबला नही है। एक कप कतरे हुए गाजर में 52 कैलोरी होती है इसके बावजूद इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता। बच्चों के विकास में ये सबसे ज्यादा मददगार होता है। फेफड़े, स्कीन और मुंह के कैंसर से बचाने के लिए इसे रामबाण माना जाता है।

गोभी- शरीर में बनने वाले विषैलें पदार्थ को रोकने में इस गोभी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सब्जियों की किसी भी किस्म की तुलना में इसमें पौष्टिकता सबसे अधिक होती है।

खुद को भगवान कहने वाले निर्मल बाबा हैं कैमिकल लोचे के शिकार


लुधियाना. निर्मल बाबा बीमार हैं! खुद को भगवान कहने वाले कैमिकल लोचे का शिकार होते हैं। शहर के मनोचिकित्सकों के लिए हर चौथे दिन की बात हो गई है, जब कोई न कोई भगवान इलाज कराने के लिए आते हैं। डाक्टरों का कहना है कि मेनिया सिंड्रॉम एक तरह दिमागी रोग है, जिसमें इंसान खुद को पावरफुल मानने लग जाता है।

मानस केंद्र के डा.राजीव गुप्ता के मुताबिक मेनिया सिंड्रॉम के केस रूटीन में आते हैं। हाल ही में एक 25 साल के युवक को परिवार वाले इलाज के लिए लाए। इस युवक का कहना था कि वह भगवान है, और दुनिया का विनाश कर देगा। कई बार ऐसे मरीज भी आते हैं, तो खुद के प्रधानमंत्री बनने तक की बात कहने लग जाते हैं।

रविवार को इंडियन साइकेट्रिक एसोसिएशन नार्थ जोन की कांफ्रेंस में पहुंचे मनोचिकित्सकों में आए इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलायड साइंस नई दिल्ली के डायरेक्टर डॉ.निमेश देसाई के मुताबिक मेनिया सिंड्राम बड़ी सामान्य सी बीमारी है। इसमें इंसान खुद को क्षमता से अधिक मानने लग जाता है। उधर, निर्मल बाबा के थर्ड आई के दावे को मनोचिकित्सक सिरे से खारिज कर रहे हैं।

डा.राजीव गुप्ता के मुताबिक किसी व्यक्ति द्वारा तीसरी आंख का दावा करना लोगों को गुमराह करना है। यकीनन कई बार ऐसे लोग आकर ये दावा करते हैं कि कई बार उन्हें संकट का पहले ही आभास हो गया। वे इसे चमत्कार मानते रहते हैं, लेकिन असल में ये इंट्यूशनल पावर होती है।

इंसान में कई बार इतना अनुभव आ जाता है, वह किसी मामले में कदम उठाने से पहले सही गलत का आंकलन कर गलत कदम के संकट का पता लगा लेता है। यह चमत्कार नहीं बल्कि अनुभव आधारित आंकलन होता है। सीएमसी में साइकेट्रिक डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.संदीप गोयल के मुताबिक विज्ञान चमत्कार के दावे को नहीं मानता, जब तक वह साबित न हो।

रिसर्च होनी चाहिए : डॉ.देसाई

डॉ. निमेश देसाई के मुताबिक विश्वास व विज्ञान दो अलग-अलग क्षेत्र हैं, जिनके अपने ढांचे बने हुए हैं। इमोशनल या विश्वास आधारित तथ्यों को विज्ञान मान्यता नहीं देता, पर फिर भी समाज में उनकी मान्यता खत्म नहीं होती। विज्ञान में पुनर्जन्म व टेलीपैथी पर रिसर्च चल रही है। थर्ड आई पर भी रिसर्च होनी चाहिए लेकिन रिसर्च के नतीजे आने तक वैज्ञानिक तौर पर थर्ड आई, छठी इंद्री, भविष्यवाणी जैसे दावों को नहीं माना जा सकता।

मनोचिकित्सकों का तर्क है कि देश में कई तरह के बाबा व तांत्रिकों के चमत्कारों के दावों के बीच सभी लोग तो उनके पास नहीं जाते। डॉ.निमेश देसाई के मुताबिक देखा गया है कि परेशान, मानसिक तौर पर कमजोर व परेशानी का आसान हल ढूंढने वालों में गैर वैज्ञानिक दावों पर जल्द विश्वास करने की मानसिकता होती है।

निर्मल बाबा को खुला चैलेंज

तर्कशील सोसायटी ने 28 साल से खुला चैलेंज किया हुआ है कि वैज्ञानिक मान्यताओं से अलग कुछ भी साबित करने वाले को इनाम दिया जाएगा। पहले इनाम एक लाख था, अब बढ़ाकर पांच लाख कर दिया है। इतने सालों में सिर्फ बस्सी पठानां के एक ज्योतिषि ने चैलेंज कबूल किया। उसने भी पांच हजार रुपये की सिक्योरिटी राशि जमा कराई पर बाद में पीछे हट गया। ये चैलेंज निर्मल बाबा के लिए भी खुला है। -दलबीर कटाणी, जोन ऑर्गेनाइजर तर्कशील सोसायटी

कानून सिर्फ उन्हीं चीजों को मान्यता देता है, जो वैज्ञानिक तौर पर साबित हो चुकी हों। जिस शक्ति का निर्मल बाबा दावा कर रहे हैं, वह कानूनी पहलू से तब तक मान्य नहीं है, जब तक उसका कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं आ जाता। कोई शिकायतकर्ता सामने आकर दावा कर दे कि उसको गैर वैज्ञानिक दावे करके गुमराह किया गया है, तभी धारा 420 की कार्रवाई की जा सकती है। -परोपकार सिंह घुम्मण, पूर्व प्रधान जिला बार संघ

गर्मियों में चीकू खाएं और बचें इन प्रॉब्लम्स से....



गर्मियों में चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फुर्ती आती है। इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यह खून में घुलकर ताजगी देती है। चीकू खाने से आंतों की शक्ति बढती है और आंतें अधिक मजबूत होती हैं। चीकू की छाल बुखार नाशक होती है। इस छाल में टैनिन होता है। चीकू के फल में थोड़ी सी मात्रा में संपोटिन नामक तत्व रहता है। चीकू के बीज मृदुरेचक और मूत्रकारक माने जाते हैं। चीकू के बीज में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है।

चीकू के फल में 71 प्रतिशत पानी, 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत चर्बी और साढ़े पच्चीस प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है। इसमे विटामिन ए अच्छी मात्रा में तथा विटामिन सी कम मात्रा में है। चीकू के फल में 14 प्रतिशत शर्करा भी होती है। तथा इसमें फस्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है एवं क्षार का भी कुछ अंश होता है।

चीकू शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू हमारे ह्रदय और रक्तवाहिकाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है। चीकू कब्ज और दस्त की बीमारी को ठीक करने बहुत सहायक होता है।चीकू खाने से के होने का खतरा कम होता है।

चीकू में होता है जो की फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।चीकू एनिमिया होने से भी रोकता है।यह हृदय रोगों और गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है।यह ऊर्जा का एक अच्छा स्त्रोत है, क्योंकि इसके गूदे में 14 प्रतिशत मात्रा शर्करा की होती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कैरोटिन और अल्प मात्रा में आयरन व विटामिन भी पाया जाता है। डायबिटीज के रोगी इसे न सेवन करें तो ठीक है।

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