मुंबई.पश्चिमी देशों में हर साल दो प्रतिशत की दर से पुरूषों में मौजूद शुक्राणुओं की संख्या में कमी आ रही है और अगर यही प्रवृत्ति बनी रही तो आने वाले 40 से 50 सालों में बाप बन पाना पुरुषों के लिए मुश्किल हो जाएगा।
प्रजनन की तकनीकों पर भारतीय दिशानिर्देशों पर काम करने वाले डा पी एम भार्गव के अनुसार 90 के दशक के मध्य से ही शुक्राणुओं की संख्या में कमी देखी गयी और कुछ भारतीय डाक्टरों का मानना है कि यहां भी यही ट्रेंड बना हुआ है। यह दिशानिर्देश जल्द ही कानून की शक्ल लेने वाले हैं।
प्रजनन की प्रकिया का आधा अहम हिस्सा शुक्राणु या स्पर्म काउंट में कमी आने की मुख्य वजह काम का बढ़ता तनाव . मोटापा. और प्रदूषित वायु है ।ये कारक पुरूषों में बनने वाले शुक्राणुओं की संख्या में कमी ला रहे हैं। इस वजह से पिछले 50 सालों में कुल स्पर्म काउंट 50 प्रतिशत तक घट गया है। यदि यह इसी दर से घटता रहा तो अगले 40-50 सालों में संतान पैदा करने लायक शुक्राणु भी पुरुषों के वीर्य में नहीं रहेंगे। हालात ऐसे हो जाएंगे कि पुरुषों के लिए बाप बनना ही मुश्किल हो जाएगा।
पुरूष के शुक्राणु और स्त्री का अंडाणु के मिलन से ही संतान का जन्म होता है। पुरूष के सीमेन या वीर्य में शुक्राणु की काफी बड़ी तादाद होती है लेकिन इसमें कोई एक ही महिला के मासिक चक्र में बनने वाले अंडाणु को भेद पाने में सफल हो पाता है। इसी के साथ नये मनुष्य के निर्माण की प्रकिया प्रारंभ हो जाती है।
कुछ साल पहले स्काटलैंड में एक प्रजनन केंद्र में साढ़े सात पुरूषों पर हुए अध्ययन में पाया गया कि 1989 और 2002 के बीच औसत स्पर्म कंस्ट्रेशन या शुक्राणु सांद्रण में तीस फीसदी की गिरावट आई है
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 अप्रैल 2012
40 साल बाद बाप नहीं बन पाएंगे पुरुष ?
अक्षय तृतीया को क्यों कहते हैं सौभाग्य दिवस, जानिए
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 24 अप्रैल, मंगलवार को है। इसे सौभाग्य दिवस भी कहते हैं। इसका कारण है कि पूरे वर्ष में कोई भी तिथि क्षय हो सकती है लेकिन यह तिथि अर्थात वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया कभी भी क्षय नहीं होती। इसी कारण इस दिन किए गए हवन, दान, जप या साधना का फल अक्षय(संपूर्ण) होता है।
यह सौभाग्य दिवस है, इस कारण स्त्रियां अपने परिवार की समृद्धि के लिए विशेष व्रत आदि इस दिन करती हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद एवं पुण्यात्माओं से परिवार वृद्धि की कामना करती हैं। अक्षय तृतीया लक्ष्मी सिद्धि दिवस है, इस कारण इस दिन लक्ष्मी संबंधित साधनाएं विशेष रूप से की जाती हैं। हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य मुहूर्त देखकर किया जाता है लेकिन अक्षय तृतीया ऐसा पर्व है जो सभी मांगलिक कार्यों के लिए सर्वाधिक श्रेष्ठ सिद्ध माना गया है।
शाक्त प्रमोद में लिखा है कि जो साधक अक्षय तृतीया के महत्व को जानते हुए भी पूजा साधना नहीं करता वह दुर्भाग्यशाली है। बृहद् रस सिद्धांत महाग्रंथ में अक्षय तृतीया के संबंध में लिखा है कि यह दिवस जीवन रस की अक्षय खान है, उसमें से जितना प्राप्त कर सको, उतना ही यह रस बढ़ता जाता है। इस दिन किसी भी प्रकार की साधना प्रारंभ की जा सकती है। उपयुक्त वर-वधु की प्राप्ति के लिए और विवाह बाधा दोष निवारण के लिए भी अक्षय तृतीया श्रेष्ठ दिवस है। यही कारण है अक्षय तृतीया को सौभाग्य दिवस भी कहते हैं।
परशुराम जयंती 24 को, जानिए कौन थे भगवान परशुराम
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक थे। भगवान परशुराम का जन्म वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ था। प्रतिवर्ष भगवान परशुराम की जयंती हिंदू धर्मावलंबियों द्वारा बड़ी धूम-धाम से मनाई जाती है। इस बार परशुराम जयंती 24 अप्रैल, मंगलवार को है। भगवान परशुराम के जन्म के संबंध में दो कथाएं प्रचलित हैं। हरिवंशपुराण के अनुसार उन्हीं में से एक कथा इस प्रकार है-
प्राचीन समय में महिष्मती नगरी पर शक्तिशाली हैययवंशी क्षत्रिय कार्तवीर्य अर्जुन(सहस्त्रबाहु) का शासन था। वह बहुत अभिमानी था और अत्याचारी भी। एक बार अग्निदेव ने उससे भोजन कराने का आग्रह किया। तब सहस्त्रबाहु ने घमंड में आकर कहा कि आप जहां से चाहें, भोजन प्राप्त कर सकते हैं, सभी ओर मेरा ही राज है। तब अग्निदेव ने वनों को जलाना शुरु किया। एक वन में ऋषि आपव तपस्या कर रहे थे। अग्नि ने उनके आश्रम को भी जला डाला। इससे क्रोधित होकर ऋषि ने सहस्त्रबाहु को श्राप दिया कि भगवान विष्णु, परशुराम के रूप में जन्म लेंगे और न सिर्फ सहस्त्रबाहु का नहीं बल्कि समस्त क्षत्रियों का सर्वनाश करेंगे। इसी श्राप के फलस्वरूप भगवान विष्णु ने भार्गव कुल में महर्षि जमदग्नि के पांचवें पुत्र के रूप में जन्म लिया।
एक अन्य कथा के अनुसार जब क्षत्रिय राजाओं का अत्याचार बहुत बढ़ गया तो पृथ्वी माता गाय के रूप में भगवान विष्णु के पास गई और अत्याचारियों का नाश करने का आग्रह किया। तब भगवान विष्णु ने उन्हें पृथ्वी को वचन दिया कि वे धर्म की स्थापना के लिए महर्षि जमदग्नि के पुत्र में रूप में अवतार लेकर अत्याचारियों का सर्वनाश करेंगे
फेसबुक पर बढ़ा भारतीयों का दबाव, अब बदलेगी भाषा भी
नागपुर. सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक की जुबान अब और भी आसान हो जाएगी। फेसबुक के प्रति बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए अब सात क्षेत्रीय भाषाओं में कमेंट्स किए जा सकेंगे, साथ ही फेसबुक के फीचर को भी आसानी से समझ सकेंगे।
हर व्यक्ति अपने अनुभवों को साझा कर सके इसके लिए कंपनी ने यह कदम इसे हिंदी भाषा में लांच कर उठाया है। इसके अलावा कंपनी जल्द ही सात अन्य भाषाओं की सुविधा भी उपलब्ध कराएगी।
हिंदी के ज्यादा जानकार
अमेरिका के बाद फेसबुक के सबसे ज्यादा यूजर्स भारत में ही हैं, इस लिहाज से कंपनी ने यह कदम उठाया है। बाजार से जुड़े जानकार कहते हैं कि मोबाइल पर इंटरनेट का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनमें हिंदी भाषी लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है।
इसी संभावना का आंकलन कर फेसबुक ने हिंदी एप प्रस्तुत किया है जबकि अन्य भाषाओं के एप के लिए कुछ इंतजार करना होगा। फेसबुक का ये एप्लीकेशन कई मोबाइल फोन में उपलब्ध रहेगा जबकि अन्य कंपनियों के फोन पर इसे डाउनलोड करना होगा
अन्य भाषाओं में जल्द शुरुआत
हिंदी के बाद फेसबुक गुजराती, तमिल, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, बंगाली व मराठी में भी उपलब्ध होगी। इन सभी भाषाओं में फेसबुक की सेवाओं को अगले कुछ हफ्तों के भीतर शुरू किया जाएगा।
डाउनलोड करने का तरीका
यूजर्स एम.फेसबुक.कॉम पर जाकर महज डाउनलोड लिंक को सलेक्ट करना है। इसके अलावा यूजर्स सीधे ही अपने मोबाइल हैंडसेट से फेसबुक.कॉम/इन्सटॉल को भी एंटर कर इस एप्लीकेशन को डाउनलोड कर सकते हैं। यह एप्लीकेशन नोकिया स्टोर, गेटजार, एप्पिया व मोबाइल वीवर पर भी उपलब्ध है।
चमत्कारः राजस्थान में पुरुष भी बनते हैं मां!
गिनीज बुक के विश्व रिकार्ड को तोड़ देने वाले इन आंकड़ों से साफ जाहिर है कि यह हकीकत नहीं बल्कि एक नया घोटाला है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि कोटड़ा कस्बे के गोगुंडा सामुदायिक केंद्र में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को इस घोटाले का पता लगाया।
इस केंद्र की गर्भावस्था सहायिकाओं ने केंद्र सरकार की जननी सुरक्षा योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे की गर्भवती महिलाओं के लिए निर्धारित सहायता राशि को हड़पने के लिए गलत रिपोर्ट पेश की।
जननी सुरक्षा योजना के तहत पहले दो बच्चों के जन्म के लिए गरीबी रेखा से नीचे की महिला को 1700 रुपये और प्रत्येक प्रसव पर मिडवाइफ को इसके लिए 200 रुपये मिलते हैं। योजना का मकसद प्रसव के दौरान जच्चे और बच्चे की होने वाली मृत्यु को रोकना है। योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव से पहले कई तरह की सेवाएं और सुविधाएं दी जाती हैं।
अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र के रिकार्ड में ऐसे 32 पुरुषों के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने संतान को जन्म दिया। इनमें से कुछ के नाम कई बार दर्ज हैं।
रिकार्ड के अनुसार 60 साल की महिला ने साल में दो बार संतान उत्पन्न किया और सीता नाम की महिला ने तो साल में 24 संतान उत्पन्न किए।
अधिकारी ने बताया कि गर्भवास्था वार्ड की प्रमुख ने खुद भी एक साल में 11 बार संतान उत्पन्न किये।
अधिकारी ने बताया कि घोटालों के उजागर होने के बाद वार्ड प्रमुख को पद से हटा दिया गया है और वह इस समय फरार है।
उसने बताया कि विभागीय जांच के बाद शिकायत दर्ज कराई जाएगी। जांच के लिए तीन वरिष्ठ चिकित्सकों का दल गठित कर दिया गया है।
नक्सलियों का दुस्साहसः कलेक्टर को किया अगवा, दो बॉडीगार्ड शहीद
कलेक्टर मेनन सुबह 11 बजे सुकमा से ग्राम सुराज अभियान का जायजा लेने के लिए निकले थे। बड़े सेट्टी और केरलापाल में ग्राम सुराज की चौपाल आयोजित की गई थी। कलेक्टर ने अमले को अपने वाहन से रवाना कर दिया और वे कुछ अधिकारियों के साथ एनएच 30 के बजाय दूसरे रास्ते से मोटरसाइकिल से शाम 4 बजे केरलापाल के मांझीपारा पहुंचे। चौपाल में करीब 200 ग्रामीण मौजूद थे। कलेक्टर का एक सुरक्षा गार्ड अमजद खान मंच के आगे और दूसरा किसुन कुजूर पीछे तैनात हो गया।
इसी बीच ग्रामीणों की वेशभूषा में एक नक्सली मंच के पीछे पहुंचा और कुजूर को दबोच कर चाकू से हमला कर दिया। इसके बाद नक्सली ने गार्ड की राइफल छिनकर उस पर गोलियां दाग दीं। इससे वहां अफरातफरी मच गई। इस बीच मंच के सामने तैनात सुरक्षा गार्ड खान ने हमलावर को अपनी 9 एमएम की पिस्टल से नजदीक से गोली मारकर ढेर कर दिया। तब तक और भी हथियारबंद नक्सली वहां पहुंच गए और हवाई फायर करने लगे। खान तालाब की ओर भागा। नक्सलियों ने पीछा करते हुए उसे गोली मार दी। उन्होंने दोनों गार्डो के हथियार एके 47 राइफल और 9 एमएम की पिस्टल भी लूट ली।
इस बीच ग्रामीणों की वेशभूषा में चार-पांच नक्सली मंच पर आकर कलेक्टर कौन है चिल्लाने लगे। उस समय मेनन स्कॉर्पियो पर सवार होकर वहां से निकल रहे थे। जींस और आसमानी हाफ शर्ट पहने मेनन पर नक्सलियों की नजर पड़ गई और उन्होंने वाहन को चारों ओर से घेर लिया। इसके बाद महिला नक्सलियों ने गाली-गलौच करते हथियार की नोक पर कलेक्टर को कोयाबेकुर के जंगलों की ओर ले गए। वे अपने साथी की लाश भी साथ ले गए। घटना के वक्त कलेक्टर मेनन के साथ डिप्टी कलेक्टर एसपी वैद्य, तहसीलदार टीजे अजापाल समेत अन्य अधिकारी भी थे।
सुकमा के पहले कलेक्टर
कलेक्टर अलेक्स पाल मेनन 2006 बैच के आईएएस हैं। इसी साल 1 जनवरी को सुकमा जिले के अस्तित्व में आने के बाद वे यहां के पहले कलेक्टर बने। कलेक्टर के रूप में यहां उनकी पहली पदस्थापना थी। इससे पहले वे बीजापुर के सीईओ थे। तमिलनाडु के तिरूनीलवेली के रहने वाले मेनन आरवीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी डिंडिगुलसे स्नातक हैं। 24 अक्टूबर 2011 को उनकी शादी आशा अलेक्स से हुई।
शबरी पार से भी ओडिशा कलेक्टर का अपहरण
इलाके की शबरी नदी के पार ओडिशा का मलकानगिरी जिला लगता है। जहां के कुड़मुलगुम्मा ब्लॉक के पापड़मेटला से 16 फरवरी 2011 को माओवादियों ने कलेक्टर आर विनील कृष्णा का अपहरण कर लिया था। 8 दिनों बाद जन अदालत में पेश करने के बाद उनकी रिहाई हो पाई थी।
24 घंटे पहले हुई घटना से सबक नहीं
माओवादियों ने शुक्रवार की शाम बीजापुर जिले के मद्देड़ के करीब बारूदी सुरंग विस्फोट कर ग्राम सुराज दल के काफिले के एक वाहन को उड़ा दिया था। इसमें जिला पंचायत सदस्य समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी। माओवादियों ने विधायक महेश गागड़ा को निशाना बनाया था, लेकिन दूसरे वाहन में होने के कारण वे बाल-बाल बच गए।
केरलापाल की घटना, ग्रामीणों की वेशभूषा में ग्राम सुराज के चौपाल में थे नक्सली
अपहरण की वजह
- अबूझमाड़ में संयुक्त बलों का ऑपरेशन। - पतझड़ की वजह से अगले दो महीने नक्सलियों को भारी पड़ सकते हैं। जंगल में विजिबिलिटी अच्छी हो जाती है। फोर्स रात में भी मूवमेंट पकड़ा जा सकता था।
- पुलिस में शामिल किए गए एसपीओ की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। वह भी एक से सवा महीने में अपने इलाकों में लौट आएंगे। इसके बाद नक्सलियों के लिए सुरक्षा बलों के साथ लड़ाई मुश्किल हो जाती।
- फोर्स का प्रेशर घटाने के लिए किसी नेता या बड़े अफसर का अपहरण नक्सलियों की रणनीति रही है।
- आंध्रप्रदेश में उन्होंने कई बार ऐसा किया। उड़ीसा में पहले कलेक्टर और अब विधायक के अपहरण का फायदा भी उन्होंने लिया।
- नक्सली चाहते हैं कि अगले एक से डेढ़ महीने तक फोर्स जंगल से बाहर रहे। खासकर अबूझमाड़ और साउथ बस्तर से।
यह हो सकती हैं मांगें
बस्तर और अन्य इलाकों से फोर्स को बाहर किया जाए। नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन बंद किए जाएं। नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी के सदस्य नारायण सान्याल समेत कई नेता इस समय राज्य की जेलों में बंद हैं। उनको भी छुड़ाने की कोशिश की जा सकती है।
फोर्स क्या कर रही
बेगमपेठ से यूएवी की मदद लेने का प्रयास किया जा रहा है। आसपास के इलाके से फोर्स को रवाना किया गया है। सर्च ऑपरेशन जारी है।
आगे क्या
विशेषज्ञों के अनुसार नक्सलियों की लोकल टीम ने ही इस वारदात को अंजाम दिया। जहां से पाल को अगवा किया गया, वहां एक दिन पहले ही कार्यक्रम तय हुआ था। उनका वहां जाने का भी कार्यक्रम नहीं था। अपहरण करने के बाद नक्सलियों की पहली कोशिश तो यही होगी कि कलेक्टर को लेकर वह किसी सुरक्षित इलाके में पहुंच जाएं। इस बीच सीपीआई माओवादी के बड़े नेताओं से संपर्क कर रणनीति बनाई जाएगी। इसके बाद का सारा काम बड़े नेता ही देखेंगे। अफसरों को उम्मीद है कि रविवार की शाम या रात तक नक्सलियों की तरफ से कोई संदेश आ सकता है।
पहले किया था अलर्ट
ओडिशा में इटालियन पर्यटकों और बीजद के विधायक के अपहरण के बाद से ही इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पूरे राज्य के संवेदनशील इलाकों के अफसरों, विधायकों, सांसदों को अलर्ट किया था। चार दिन पहले भी खुफिया एजेंसियों ने दोबारा एक अलर्ट जारी किया था। पुलिस के पास इस बात की पुख्ता जानकारी थी कि नक्सली बड़े नेताओं को अगवा कर सकते हैं।
नक्सली मेरे पति को छोड़ दें : आशा
अगवा कलेक्टर की पत्नी आशा एलेक्स ने नक्सलियों से अपने पति को छोड़ने की अपील की है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके पति की तबीयत ठीक नहीं है। नक्सलियों ने अब तक कोई मांग नहीं रखी है।
कलेक्टर को रिहा करें : रमन
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने नक्सलियों ने अपील की है कि वह सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन को रिहा कर दें। उन्होंने कहा कि मेनन को छुड़वाने के लिए सरकार की ओर से सभी प्रयास किए जाएंगे।