हिसार. टोहाना .पहले बच्चे मिट्टी में खेलते थे, जिससे उनके शरीर में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास होता था, परंतु अब बच्चे मिट्टी मंे नहीं खेलते। इस कारण वे रोगों के शिकार हो रहे हैं। मिट्टी से दूर रहने से ही कई तरह के रोगों ने बच्चों को घेर लिया है। ऐसे में अब मिट्टी से ही इलाज किया जा रहा है। प्राकृतिक चिकित्सकों का कहना है कि मिट्टी उपचार से आम रोगों के अलावा कई असाध्य रोग दूर होते हैं।
मिट्टी उपचार से कब्ज, बवासीर, मोटापा, चर्म रोग, सोजिश, सिर दर्द, बुखार, शरीर में गर्मी, नकसीर, पेशाब की रूकावट व पेट के अनेक रोग दूर होते हैं। यदि नियमित रूप से उपचार लिया जाए तो इससे कैंसर, पीलिया, अल्सर, गठिया, आंतांे की सूजन व गुर्दे के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
ऐसे होता है उपचार
इस विधि के दौरान पेट, सिर, माथे व आंखों पर मिट्टी लगाई जाती है। रोगी को नंगे पांव मिट्टी पर घूमाया जाता है। सर्वाग मिट्टी लेप में रोगी के पूरे शरीर पर मिट्टी का लेप किया जाता है। लेप के बाद उसे मिट्टी के स्वत: सूखने तक छाया में खड़ा किया जाता है। रोगी को सूखी मिट्टी भरे गड्ढे में लिटाकर गड्ढा स्नान करवाया जाता है। साथ में रेत मालिश भी करवाई जाती है। इसके अलावा कुछ रोगों में रोगी को समुद्र की मिट्टी खिलाई भी जाती है।
क्या कहते हैं चिकित्सक
योगधाम के चिकित्सक हरीश यादव ने बताया कि मिट्टी चिकित्सा के द्वारा रोगी के शरीर में स्थित विजातीय द्रव्यों का निष्कासन होता है। इसके बाद रोगी स्वस्थ व काया निर्मल हो जाती है। उन्होंने कहा कि कम से कम महीने में एक बार मिट्टी चिकित्सा अवश्य लेनी चाहिए।