आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

22 अप्रैल 2012

ये है जादुई मिट्टी, इससे दूर होते हैं असाध्य रोग!


हिसार. टोहाना .पहले बच्चे मिट्टी में खेलते थे, जिससे उनके शरीर में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास होता था, परंतु अब बच्चे मिट्टी मंे नहीं खेलते। इस कारण वे रोगों के शिकार हो रहे हैं। मिट्टी से दूर रहने से ही कई तरह के रोगों ने बच्चों को घेर लिया है। ऐसे में अब मिट्टी से ही इलाज किया जा रहा है। प्राकृतिक चिकित्सकों का कहना है कि मिट्टी उपचार से आम रोगों के अलावा कई असाध्य रोग दूर होते हैं।

मिट्टी उपचार से कब्ज, बवासीर, मोटापा, चर्म रोग, सोजिश, सिर दर्द, बुखार, शरीर में गर्मी, नकसीर, पेशाब की रूकावट व पेट के अनेक रोग दूर होते हैं। यदि नियमित रूप से उपचार लिया जाए तो इससे कैंसर, पीलिया, अल्सर, गठिया, आंतांे की सूजन व गुर्दे के रोग भी ठीक हो जाते हैं।

ऐसे होता है उपचार

इस विधि के दौरान पेट, सिर, माथे व आंखों पर मिट्टी लगाई जाती है। रोगी को नंगे पांव मिट्टी पर घूमाया जाता है। सर्वाग मिट्टी लेप में रोगी के पूरे शरीर पर मिट्टी का लेप किया जाता है। लेप के बाद उसे मिट्टी के स्वत: सूखने तक छाया में खड़ा किया जाता है। रोगी को सूखी मिट्टी भरे गड्ढे में लिटाकर गड्ढा स्नान करवाया जाता है। साथ में रेत मालिश भी करवाई जाती है। इसके अलावा कुछ रोगों में रोगी को समुद्र की मिट्टी खिलाई भी जाती है।

क्या कहते हैं चिकित्सक

योगधाम के चिकित्सक हरीश यादव ने बताया कि मिट्टी चिकित्सा के द्वारा रोगी के शरीर में स्थित विजातीय द्रव्यों का निष्कासन होता है। इसके बाद रोगी स्वस्थ व काया निर्मल हो जाती है। उन्होंने कहा कि कम से कम महीने में एक बार मिट्टी चिकित्सा अवश्य लेनी चाहिए।

एक गांव, जहां बारात लेट हुई तो दूल्हा चुकाता है जुर्माना!


जोधपुर.विवाहस्थल पर बारात पहुंचने में थोड़ा-सा लेट हो जाए तो यहां दुल्हे को बतौर जुर्माना 11 सौ रुपए अदा करने पड़ते हैं। यह व्यवस्था है जोधपुर जिले के लांबा गांव में। समय पर विवाह व आशीर्वाद समारोह पूरा कराने के लिए यहां विश्नोई समाज के लोगों ने बारात पहुंचने का समय निर्धारित कर रखा है। सभी रिश्तेदार भी इन नियमों से अवगत हैं। रात आठ से दस बजे के बीच बारात पहुंचनी जरूरी है।

जुर्माने से जमा पैसा वन्यजीवों व पक्षियों के लिए चुग्गे-चारे व पानी की व्यवस्था में खर्च होता है। हाल ही में ग्रामवासियों ने आम सहमति से समाज सुधार के लिए 29 निर्णय लिए हैं। गांव में डीजे नहीं बजेगा। देर रात तक शोरशराबा नहीं होगा। शादी के प्रीतिभोज में शुद्ध घी का इस्तेमाल करना जरूरी है। गांव के स्वामी भावप्रकाश महाराज कहते हैं कि ग्रामवासियों ने अब संकल्प लिया है कि वे न कुरीतियों को बढ़ावा देंगे और न दिखावा करेंगे।

गांव में नशीले पदार्थो के सेवन पर प्रतिबंध है। चाय पर भी रोक है। शोक के मौकों पर व्यंजन नहीं बनाते। गांव की सभा में नेताओं या अन्य मेहमानों को साफा नहीं पहनाते। ईंधन के रूप में गीली लकड़ी काम में लेने पर भी 1100 रुपए जुर्माना है।

दूसरे गांवों में भी करते हैं अपने नियमों का पालन:

लांबा गांव के लोगों द्वारा लिए गए ये निर्णय क्षेत्र में एक नई मिसाल बन गए हैं। यहां के लोग जब दूसरे गांवों में जाते हैं तो वे उन सभी नियमों का पालन करते हैं, जो उन्होंने अपने गांव में लागू कर रखे हैं।

अन्ना ऐसा क्या करते हैं जो उन्हें जासूसी का डर लगता है ..क्या वोह राष्ट्रविरोधी हरकतों से जुड़े हैं..क्या वोह कानून तोड़ रहे हैं

दोस्तों आखिर वही हुआ जिसकी पेशन गोई पहले ही कर दी गयी थी ....अन्ना और उनके साथी कुछ ना कुछ ऐसा गलत कर रहे थे जो या तो जनता के खिलाफ था या फिर वोह कानून की मर्यादाओं के खिलाफ कुछ किया जा रहा था और शायद इसीलियें अन्ना और उनकी टीम को कथित वीडियो रिकोर्डिंग से दर लगा और उन्होंने मुफ्ती काज़मी पर जासूसी का आरोप लगा डाला ..........अन्ना और उनकी टीम की चाल ढाल और हार से साभी वाकिफ है .उनके पास धन कहाँ से आ रहा है ..उन्हें सपोर्ट किस पार्टी और संगठन से मिल रहा है ..अन्ना अपनी वाली क्यूँ चलाना चाहते है ..मुंबई अनशन से अन्ना क्यूँ रन छोड़ कर भागे ..उत्तर प्रदेश चुनाव में अन्ना और उनकी टीम कहा गायब थी ......बाबा रामदेव के पुराने आन्दोलन का अन्ना और समर्थकों ने मजाक क्यूँ उढ़ाया और जब अन्ना को भरी जनसमर्थन था तब अन्ना ने बाबा रामदेव के सहयोग का प्रस्ताव क्यूँ ठुकराया ..अब ऐसा क्या बदलाव आ गया था के अन्ना बाबा रामदेव के साथ आन्दोलन करने को तय्यार थे और फिर अचानक अन्ना और उनके समर्थकों ने बाबा रामदेव का साथ छोड़ दिया ........तो दोस्तों यह ऐसे सवाल हैं जिनसे अन्ना और उनके समर्थकों के कारनामों को शक की निगाह से देखा जाता है और फिर अन्ना और उनकी टीम को एक मुफ्ती जो उन्हीं की टीम के हैं उनके द्वारा वीडियो रिकोर्डिंग करने पर उन्हें आपात्ति ऐसा लगता है के अन्ना और उनकी टीम भारत के खिलाफ बम बनाने की तय्यारी कर रही हो या कोई ऐसा गेर कानूनी षड्यंत्र रच रही हो जिसकी पोल खुलने का डर उन्हें सता रहा हो ..दोस्तों अन्ना तो ईमानदार है ..अन्ना तो पारदर्शी हैं ..अन्ना तो कानून का सम्मान करते है फिर आखिर बंद कमरों में मीटिंगों में ऐसा क्या होता है जिसे वोह जनता से छुपाना चाहते है और केवल एक मोबाइल क्लिपिंग से वोह डर गये है ..ऐसे में हम तो यही कह सकते है के अन्ना का आंदोलन आन्दोलन नहीं बलके दाल में कुछ काला है ... क्योंकि एक मुफ्ती काज़मी जो आन्दोलन के वक्त जब रमजानों में इबादत के वक्त वन्दे मातरम् पर इमाम बुखारी का फतवा अन्ना के खिलाफ था अन्ना पर घोर साम्प्रदायिक होने का आरोप था तब काज़मी अपनी कोम से गद्दारी कर अन्ना के साथ खड़े नज़र आये थे ..मुफ्ती काज़मी को तो बे आबरू होकर निकाला जाएगा यह तो उसी वक्त पता था जब उन्होंने खुद के मज़हब से राजनितिक और निजी स्वार्थों के लियें गद्दारी की थी ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...