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28 अप्रैल 2012

वक्फ सम्पत्तियों के दुश्मन कमरुद्दीन एस डी एम तो गोपालगढ़ काण्ड के हीरो निकल रहे हैं

राजस्थान का गोपालगढ़ जहां मस्जिद में निर्दोषों की हत्या का हव्वा और जिन सरकार को चेन और सुकून नहीं लेने दे रहा है कल वहन सी बी आई ने जान एक मुस्लिम अधिकारी कमरुद्दीन के दफ्तर को खंगाला ..तलाशी ली तो सारे राजस्थान में ख़ुशी की लहर दोड़ गयी वक्फ संपत्तियों के दुश्मन बने यह अधिकारी कमरुद्दीन वक्फ संपत्तियों को खुर्द बुर्द करने के आदतन अपराधी रहे है ......कहते हैं खुद सर चढ़ कर बोलता है और बेईमानी अगर खुदा की राह में समर्पित संपत्ति यानी वक्फ सम्पाती के साथ की जाए तो खुदा ऐसे शख्स को यहीं इसी सरजमीं पर सजा देता है ...कमरुद्दीन राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होने के नाते राजस्थान वक्फ बोर्ड जयपुर में सम्पद्दा अधिकारी यानि स्टेट ऑफिसर थे ,,,इन्होने राजस्थान की वक्फ संपत्तियों के साथ कहाँ क्या करा यह तो खुदा ही जाने लेकिन कोटा की प्राइम लोकेशन की अरबों रूपये की संपत्ति जिसे जंगली शाह बाबा के नाम से जाना जाता है वहां कोंग्रेस के दिग्गज कब्जेदार है ..उन्हें वक्फ ने पहले भाजपा शासन में बेदखल करवा दिया था ..दोस्तों ज़मीं तो है करोड़ों अरबों की मुख्यमार्ग पर है जिसका किराया सेकड़ों में देकर वोह लोग ज़मीं हड़पना चाहते थे ..वक्फ कमेटी ने जब उन्हें किरायेदार नहीं माना तो वोह सम्पद्दा अधिकारी के यहाँ गए उन्होंने कमरुद्दीन के पद पर आते है कोंग्रेस की सरकार में अपना डंडा घुमाया और इन जनाब वक्फ संपत्ति के दुश्मन बने कमरुद्दीन साहब ने जयपुर की अदालत को कोटा केम्प कोर्ट के रूप में बदला कोटा आये मोका नजरी देखा ना बहस ..ना कानून बस मजे ही मजे वक्फ कमेटी को सुनवाई का अवसर बंद किया और कब्जेदारों को रसमलाई खिलने के लियें अरबों रूपये की ज़मीं पर सेकड़ों रूपये में किरायेदार बनाने का आदेश दे डाला ..इसकी प्रशासनिक अपील तो चल रही है ......इनकी जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दस्तावेजी शिकायत की तो यकीन मानिये इनका बिगड़ा तो कुछ नहीं हां इन्हें वक्फ बोर्ड से हटाकर भरतपुर कुम्हेर एस डी एम लगा दिया अब वक्फ संपत्ति और मुसलमानों की हिफाज़त केसे हो सकती थी ..नतीजा गोपालगढ़ रहा जिसने सारी सरकार और कोंग्रेस पार्टी को हिला कर रख दिया है उनके खून के छींटे साफ़ होने का नाम नहीं ले रहे है ....लेकिन जब सी बी आई ने कमरुद्दीन एस डी एम के कार्यालय की तलाशी ली तो निश्चित तोर पर मानना के इस गोपालगढ़ काण्ड के महत्वपूर्ण सुबूत सी बी आई को जरुर मिलेंगे और गोपलागढ़ हिंसा मारकाट के मुख्य ज़िम्मेदार भी यही जनाब निकल सकते है ऐसे आदमी के साथ सी बी आई और देश के कानून को केसा सुलूक करना चाहिए सभी जानते है ................................................

गोपालगढ़ मामलाः एसडीएम कार्यालय पर सीबीआई छापा

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डीग (भरतपुर). गोपालगढ़ में हुई हिंसा के मामले में शनिवार को सीबीआई के दल ने एसडीएम कार्यालय और एसडीएम के घर छापा मारा। माना जा रहा है कि सीबीआई ने यह कार्रवाई उस सीडी की तलाश में की, जिसमें 14 सितंबर 2011 को हुई इस घटना से जुड़े तथ्य हैं।

दल ने एसडीएम कमरुद्दीन खान से पूछताछ की और कार्यालय से तीन सीपीयू सहित अन्य दस्तावेज अपने साथ ले गया। दल के अधिकारियों ने कस्बे के विभिन्न फोटो, वीडियोग्राफर व सीडी बनाने वालों से भी पूछताछ की। सीबीआई का दल सुबह 10 बजे यहां पहुंचा था और दस्तावेज जुटाकर 12.10 बजे रवाना हो गया।

राज्यपाल अगर राजस्थान में जनसुनवाई करें तो नोकरशाह और नेताओं पर अंकुश लगेगा और सियासी तोर पर तपता रेगिस्तान स्वर्ग बन सकेगा

राजस्थान की किस्मत खुली और इस बेचारे रेगिस्तान की आग में ताप रहे ..राजनीतिज्ञों की लूट से तड़प रहे राजस्थान को एक अदद संवेधानिक पद वाला फूल टाइमर राज्यपाल मिल गया ...वेसे तो राजस्थान को राज्यपाल मिलना यूँ भी ख़ुशी की बात है के राज्यपाल ही सरकार का रक्षक और पथ प्रदर्शक नीगराकर होता है ..हमारे राजस्थान के इतिहास में एक मिस्टर रेड्डी कर्नाटक से राज्यपाल बनकर आये थे जिन्होंने हर गली मोहल्लों और बस्तियों में जाकर राजस्थान से जिवंत रु बरु होकर यहाँ के हालात सूधारने की कोशिश की थी और इस दोरान नोकरशाह इनकी नजरों को भांप कर जान हित में काम करने लागे थे .....उस के बाद से अब तक राजस्थान में राज्यपाल न जाने कितने आये कितने चले गए कोई नहीं जानता ..यहाँ तक के जनता के हित में किसी राज्यपाल ने कोई कदम उठाया हो इसका भी कोई सुबूत नहीं मिलता ............मेरा अपना स्वभाव है के रोज़ जनहित के मुद्दों पर दस चिट्ठी कम से कम संबधित लोगों को लिखता हूँ जिसमे से कई चित्थियें इन दिनों सम्बंधित राज्यपालों को भी लिखी हैं लेकिन नतीजा सिफर रहा है ......हाँ पहले रेड्डी साहब के टाइम पर चिट्ठी पहुंची और कम शुरू हो जाता था ....बढ़ी ख़ुशी की बात है के देर स्वर सही राजस्थान को एक अदद फूल फ्लेश राज्यपाल तो मिला ही है ..खुदा उन्हें लम्बी उम्र दे सह्त्याब करे लेकिन राजस्थान के होसलों को वोह समझें और राजस्थान के नेताओं को उनकी ओकात याद दिलाने के लियें जनता को उनका हक दिलाने की वोह पहल करे ..अधिकारीयों की नाक में नकेल डालें और फिर हर सम्भाग हर जिले में खुद जाकर जनसुनवाई करें और सरकार तक जनता की बात पहुंचाएं उनकी समस्याएं बताएं उन्हें इंसाफ दिलवाएं और जो निकम्मे मंत्री विधायक संसद है उनकी रिपोर्ट सरकार तक पहुंचा कर उन्हें घर बिठाएं ..जो अधिकारी कर्मचारी घुस लेते है ..निठल्ले रहते है कोई काम नहीं करते उन पर निगरानी रखे जनता की आवाज़ सुने और खुद जनता की आवाज़ बने तो ही यहाँ राज्यपाल उनका होना सार्थक है वरना यह बीमारू राज्य राजनितिक तोर पर जनता के साथ बलात्कार करने के लियें मशहूर सा हो गया है राजनितिक रूप से बलात्कार ही नहीं सामूहिक बलात्कार कहा जाए तो कम है क्योंकि नोकरशाह भी जनता के साथ ऐसा ही सुल्लुक करते नज़र आते है ....अगर राज्यपाल खुद राजभवन से निकल कर जिलों और सम्भागों में जाएँ आम जनता से फरियाद सुने तो निश्चित तोर पर यही राजस्थान स्वर्ग होगा और नेता जो जनता को जुटी की नोक पर रखते है जनता को माई बाप समझने लगेने और लोक सेवक जो जानता की सेवा करने के स्थान पर सरकार के इशारे पर नाचते है और लोकसेवक के स्थान पर खुद गवर्मेंट सर्वेंट हो जाते है वोह उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने लगेंगे ..काश ऐसा हो जाए अल्लाह ...खुदा,,,गोड,,भगवान मेरी यह मुराद पूरी करे आमीन ... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मारग्रेट अल्वा राजस्थान की राज्यपाल
जयपुर. मारग्रेट अल्वा राजस्थान की राज्यपाल होंगी। केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्य सरकार को सूचित कर दिया है। अल्वा 10 मई को जयपुर आ सकती हैं और 12 मई को शपथ ले सकती हैं। अल्वा अभी उत्तराखंड की राज्यपाल हैं। उनका कार्यकाल दो साल बचा है। वे इतने समय राजस्थान की राज्यपाल रहेंगी।

अल्वा राजस्थान की 36वीं और तीसरी महिला राज्यपाल होंगी। इससे पहले प्रतिभा पाटील और प्रभा राव इस पद पर रह चुकी हैं। शिवराज पाटील पंजाब के राज्यपाल हैं और 28 अप्रैल 2010 से राजस्थान का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे। राष्ट्रपति भवन से जारी सूचना के मुताबिक मप्र के पूर्व मंत्री अजीज कुरैशी को उत्तराखंड, एसपीजी के पूर्व प्रमुख बीवी वांचू को गोवा, ईएसएल नरसिम्हन को आंध्र और शंकर नारायणन को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया है।

चार बार राज्यसभा सांसद रही हैं अल्वा

1974 में पहली बार राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं। उन्होंने छह-छह साल के चार कार्यकाल लगातार पूरे किए। 1999 में वे लोकसभा के लिए चुनी गईं। उन्हें 1984 में संसदीय कार्य राज्यमंत्री और बाद में युवा मामलात और खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी का दायित्व दिया गया था। 1991 में उन्हें कार्मिक, पेंशन, जन अभाव अभियोग और प्रशासनिक सुधार राज्यमंत्री का जिम्मा दिया गया था।

कुछ समय के लिए उन्होंने विज्ञान और तकनीकी मंत्री के रूप में भी सेवाएं दीं। वे अपने तीस साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण समितियों में शामिल रही और नेतृत्व भी किया। वे जुलाई, 2009 से उत्तराखंड की राज्यपाल हैं।

कांग्रेस में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय में समन्वयक और 2004-09 के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व भी दिया गया था। उन्होंने महिला कांग्रेस की समन्वयक के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।

विवादों में भी

मारग्रेट अल्वा 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान विवादों में भी आ गई थीं। उस समय उन्होंने अपने बेटे के लिए टिकट मांगा था, लेकिन टिकट नहीं मिला तो उन्होंने आरोप लगाया था कि पैसे लेकर टिकट दिए जा रहे हैं। इसे लेकर उन्हें कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव पद से हटा दिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बना दिया गया।

मारग्रेट अल्वा का जीवन परिचय

नाम : मारग्रेट अल्वा
जन्म : कर्नाटक में साउथ कनारा के मंगलौर में
जन्म तिथि : 14 अप्रैल, 1942
पिता का नाम : पी.ए. नजारेथ
माता का नाम : ई.एल. नजारेथ
पति का नाम : निरंजन अल्वा
संतान : तीन पुत्र और एक पुत्री
शिक्षा : बीए, बीएल, मानद डॉक्टरेट एजुकेटेड एट मा. केरेमल कॉलेज और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज बेंगलुरू
विशेष : ऑयल पेंटिंग और इंटीरियर डेकोरेशन में विशेष डिग्री
पेशा : वकालत, सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियनिस्ट

बिस्मिल्ला हिर्राह्मा निर्रहीम .........कुरान का संदेश

कुदरत का करिश्मा: बकरी ने दिया दो टांगों वाले मेमने को जन्म!


जोधपुर.शहर से 20 किलोमीटर दूर बींजवाड़िया गांव में एक पशुपालक के यहां दो टांगों वाले मेमने ने जन्म लिया। बकरी ने तीन मेमनों को जन्म दिया, इसमें से एक के दो पांव ही हैं।

एक दिन के इस मेमने के केवल पीछे वाले ही दो पांव हैं, आगे वाले पांव नहीं है। वेटरनेरी डॉ. अरविंद पंवार ने बताया कि यह जन्मजात विकृति है। हजारों में एक ऐसा मामला पाया जाता है।

राहुल को भी नहीं था अंदाजा कि कोई पूछ बैठेगा ऐसा सवाल!



मुंबई. मिशन-2014 के मद्देनजर दो दिवसीय महाराष्ट्र दौरे पर आये कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को कांग्रेस की ओर देखने और अन्य पार्टियों की ओर ध्यान न देने की अपील की है।



दरअसल तिलक भवन में शुक्रवार की दोपहर जब राहुल पार्टी के जिला, ब्लॉक अध्यक्षों व प्रदेश पदाधिकारियों से रू-ब-रू हुए, तो बहुत से कार्यकताओं ने मुख्यमंत्री की कार्यशैली की खुलकर निंदा की और उन्हें बताया कि किस तरह राकांपा कार्यकर्ताओं का काम होने की वजह से वह सूबे में नंबर-वन बनती जा रही है और सत्ता में होने के बावजूद कांग्रेस पिछड़ते जा रही है।

राहुल गांधी पर सवालों की बौछार

राहुल गांधी पर सुबह भाईदास हॉल में एनएसयूआई व यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने और दोपहर को तिलक भवन में पार्टी के पदाधिकारियों ने जिस तरह से सवालों की बौछार की। उसके बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस का मुख्यमंत्री होने के बावजूद वह क्यों राकांपा से पिछड़ती जा रही है?

इसका अंदाजा राहुल गांधी को आ गया होगा! तिलक भवन में एक पदाधिकारी ने कांग्रेस महासचिव से मुखातिब होते हुए मंत्रिमंडल में वही के वही पुराने चेहरों को स्थान दिये जाने का मुद्दा उठाया। उसने राहुल से सवाल पूछा कि आखिर अन्य लोगों को कब मौका मिलेगा?

एक अन्य कार्यकर्ता ने लंबे अर्से से महामंडलों के अध्यक्ष व पदाधिकारियों की नियुक्ति न होने का मुद्दा उनके सामने उठाया। राहुल गांधी से रू-ब-रू होने का कारवां जब आगे बढ़ा, तो संगठन के एक नेता ने उन्हें बताया कि किस तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस से गठबंधन करने का फायदा राकांपा उठा रही है और उसके कार्यकर्ताओं के काम हो रहे हैं। जबकि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हाथिये पर डाल दिया गया है।

एक नेता ने तो सीधे-सीधे मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की कार्यशैली की पोल खोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री संगठन के लोगों को मिलने तक का समय नहीं देते हैं? कुल मिलाकर तिलक भवन में कांग्रेस पदाधिकारियों ने राहुल गांधी के समक्ष महाराष्ट्र में अपने बल पर चुनाव लड़ने की बात साफ शब्दों में रखी।

सब्र रखो, कांग्रेस की ओर देखो : राहुल

पार्टी कार्यकर्ताओं की बातें सुनने के बाद राहुल गांधी ने सभी को सब्र रखने की सलाह दी। जिन लोगों ने काम न होने की शिकायत की थी। उन्हें राहुल ने कांग्रेस की ओर देखने और अन्य पार्टियों के कार्यकर्ताओं के हो रहे कामों को नजरअंदाज करने की सलाह दी।

कांग्रेस महासचिव ने इस मौके पर मुंबई को देश का इंजन बताया और युवाओं से ज्यादा से ज्यादा संख्या में कांग्रेस से जुड़ने की अपनी अपील दोहराई। राहुल ने कहा कि वे देश में मुंबई जैसा कई और शहरों का निर्माण करना चाहते हैं। जिसके लिए उन्हें युवाओं के साथ की जरूरत है।


राहुल को भी नहीं था अंदाजा कि कोई पूछ बैठेगा ऐसा सवाल!



मुंबई. मिशन-2014 के मद्देनजर दो दिवसीय महाराष्ट्र दौरे पर आये कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने पार्टी के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को कांग्रेस की ओर देखने और अन्य पार्टियों की ओर ध्यान न देने की अपील की है।



दरअसल तिलक भवन में शुक्रवार की दोपहर जब राहुल पार्टी के जिला, ब्लॉक अध्यक्षों व प्रदेश पदाधिकारियों से रू-ब-रू हुए, तो बहुत से कार्यकताओं ने मुख्यमंत्री की कार्यशैली की खुलकर निंदा की और उन्हें बताया कि किस तरह राकांपा कार्यकर्ताओं का काम होने की वजह से वह सूबे में नंबर-वन बनती जा रही है और सत्ता में होने के बावजूद कांग्रेस पिछड़ते जा रही है।

राहुल गांधी पर सवालों की बौछार

राहुल गांधी पर सुबह भाईदास हॉल में एनएसयूआई व यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने और दोपहर को तिलक भवन में पार्टी के पदाधिकारियों ने जिस तरह से सवालों की बौछार की। उसके बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस का मुख्यमंत्री होने के बावजूद वह क्यों राकांपा से पिछड़ती जा रही है?

इसका अंदाजा राहुल गांधी को आ गया होगा! तिलक भवन में एक पदाधिकारी ने कांग्रेस महासचिव से मुखातिब होते हुए मंत्रिमंडल में वही के वही पुराने चेहरों को स्थान दिये जाने का मुद्दा उठाया। उसने राहुल से सवाल पूछा कि आखिर अन्य लोगों को कब मौका मिलेगा?

एक अन्य कार्यकर्ता ने लंबे अर्से से महामंडलों के अध्यक्ष व पदाधिकारियों की नियुक्ति न होने का मुद्दा उनके सामने उठाया। राहुल गांधी से रू-ब-रू होने का कारवां जब आगे बढ़ा, तो संगठन के एक नेता ने उन्हें बताया कि किस तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस से गठबंधन करने का फायदा राकांपा उठा रही है और उसके कार्यकर्ताओं के काम हो रहे हैं। जबकि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हाथिये पर डाल दिया गया है।

एक नेता ने तो सीधे-सीधे मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की कार्यशैली की पोल खोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री संगठन के लोगों को मिलने तक का समय नहीं देते हैं? कुल मिलाकर तिलक भवन में कांग्रेस पदाधिकारियों ने राहुल गांधी के समक्ष महाराष्ट्र में अपने बल पर चुनाव लड़ने की बात साफ शब्दों में रखी।

सब्र रखो, कांग्रेस की ओर देखो : राहुल

पार्टी कार्यकर्ताओं की बातें सुनने के बाद राहुल गांधी ने सभी को सब्र रखने की सलाह दी। जिन लोगों ने काम न होने की शिकायत की थी। उन्हें राहुल ने कांग्रेस की ओर देखने और अन्य पार्टियों के कार्यकर्ताओं के हो रहे कामों को नजरअंदाज करने की सलाह दी।

कांग्रेस महासचिव ने इस मौके पर मुंबई को देश का इंजन बताया और युवाओं से ज्यादा से ज्यादा संख्या में कांग्रेस से जुड़ने की अपनी अपील दोहराई। राहुल ने कहा कि वे देश में मुंबई जैसा कई और शहरों का निर्माण करना चाहते हैं। जिसके लिए उन्हें युवाओं के साथ की जरूरत है।


पांच लाख बच्चों को सुनाया रिजल्ट, मार्कशीट के लिए करना होगा इंतजार

कई स्कूलों में बच्चों और अभिभावकों ने मार्कशीट नहीं मिलने पर किया हंगामा, जिले की सरकारी स्कूलों में परिणाम घोषित

जयपुर. सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले पहली से नवीं और ग्यारहवीं के छात्रों का परिणाम शनिवार को जारी कर दिया गया। हालांकि करीब 5 लाख छात्रों को मार्कशीट के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। इस बात को लेकर कई स्कूलों में हंगामे की स्थिति भी बनी। कई बच्चे अपने अभिभावकों को लेकर स्कूल पहुंच गए। लेकिन संस्था प्रधानों ने उनको भी मार्कशीट देने से इंकार कर दिया।

इस बार शिक्षा का अधिकार कानून के तहत आठवीं तक किसी भी बच्चे को अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता था। शिक्षकों ने कानून का पालन करते हुए सभी बच्चों को पास तो कर दिया, लेकिन उनके सामने मार्कशीट में क्या लिखना है। इस संबंध में कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं थे। लिहाजा जब यह परेशानी बीकानेर निदेशालय पहुंची, तो वहां से मार्कशीट रोकने के निर्देश आ गए।

संस्था प्रधानों ने बच्चों और अभिभावकों को कह दिया कि अगले तीन चार दिन में मार्कशीट दे दी जाएगी। उधर, परिणाम ऑनलाइन करने के निर्देश भी धरे रह गए। छठीं से नवीं और ग्यारहवीं का परिणाम ऑनलाइन किया जाना था। लेकिन यह व्यवस्था भी फेल हो गई। परिणाम मैन्युअली ही जारी करना पड़ा।

अगर ये पांच चीजे खाएंगे...तो याददाश्त कमजोर नहीं रहेगी

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भूलना मनुष्य का सामान्य स्वभाव है। कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जिन्हें भूल जाने में ही हमारी भलाई है, लेकिन याददाश्त इतनी भी कमजोर नहीं होनी चाहिए कि हम सामान्य बातें भी भूल जाएं। बढ़ती उम्र के साथ अधिकांश लोगों की याददाश्त कमजोर होने लगती है। किसी भी चीज को रखने के बाद उसे ढंूढने के लिए दिमाग पर जोर डालना पड़ता है। अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो नीचे लिखी चीजों को अपने आहार में शामिल करें और पाएं गजब की याददाश्त।

चाय- दिन में कम से कम दो कप चाय जरूर पीएं। चाय में भरपूर मात्रा में एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसमें पाया जाने वाला पॉलीफिनॉल मस्तिष्क को संतुलित करने के साथ ही दिमाग को तेज बनाता है।

मछली- मछली का सेवन अधिक करें क्योंकि इसके तेल में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है जो दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

हर्ब- मेंहदी के पत्तों में इतनी ताकत होती है कि यह खोई हुई याददाश्त को भी वापस ले आए। इसकी खुशबू में कारनोसिक एसिड पाया जाता है जो दिमाग की मांसपेशियों को उत्तेजित करता है।

फल- लाल और नीले रंगों के फलों का सेवन भी याद्दाशत बढ़ाने में मददगार होता है। जैसे सेब और ब्लूबैरी खाने से भूलने की बीमारी दूर होगी।

सब्जियां- बैगन का प्रयोग करें। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व मस्तिष्क के टिशू को स्वस्थ्य रखने में मददगार होते हैं। चुकंदर और प्याज भी दिमाग बढाऩे में अनोखा काम करते हैं।

ये 2 कमियां कर लें दूर!..तो न दिमाग होगा खाली, न बनेगा शैतान का घर


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जीवन में हमेशा बुरा वक्त ही दु:ख, असंतोष या पीड़ा का कारण नहीं होता। बल्कि सच यह है कि इंसान की सोच ही उसके सुख-दु:ख को काफी हद तक नियत करते हैं। दरअसल, सही सोच सही दिशा और सही नतीजे तक पहुंचाने में मददगार होती है। वहीं गलत नजरिया भटकाव, अपयश, कलह व असफलता का मुंह दिखाता है। ऐसी कर्महीनता या दरिद्रता के बुरे नतीजों की ओर इशारा करता एक जुमला कहा भी जाता है कि 'खाली दिमाग शैतान का घर'

ऐसे मानसिक दोषों से बचने और अच्छे विचार, व्यवहार और कर्म की राह जानने के लिए धर्मग्रंथों की बातें श्रेष्ठ उपाय है। क्योंकि इनमें जीवन से जुड़े वही सूत्र हैं, जिनसे अनजान होने पर इंसान ठोकरें खाता है। हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत की विदुर नीति में भी यशस्वी व सफल जीवन के लिये सही सोच और आदतों की अहमियत बताते हुए कुछ खास सूत्र बताए गए हैं।

ऐसे ही एक सूत्र में सुखी जीवन के लिये दो गलत सोच या आदतों को छोडऩे के संकेत दिए गए हैं। जिससे जीवन में हमेशा सुखी भी रहा जा सकता है। जानिए, क्या हैं ये सूत्र -

लिखा गया है कि -

द्वावम्भसि निवेष्टव्यौ गले बध्वा दृढां शिलाम्।

धनवन्तमदातारं दरिद्रं चातस्विनम्।।

इस श्लोक के संकेत को सरल शब्दों में समझें तो नीचे बताई दो आदतें या विचार जीवन में दु:ख का सबब बन जाती हैं। यहां तक कि ऐसे दोषी मुनष्य को पत्थर बांधकर पानी में डूबो देने की बात कही गई है। जिसमें गूढ़ता यही है कि गलत सोच का इंसान निजी और दूसरों के जीवन में कलह घोलता है। ये 2 गलत सोच हैं -

धनवान होने पर भी दान न देना - धर्म पालन का अहम अंग दान माना गया है। दान स्वार्थ, अहं जैसे दोष दूर कर परोपकार, दया व प्रेम के भाव पैदा करता है। किंतु सक्षम होने पर भी ऐसा न करना विचार से लेकर व्यवहार तक दोषों को जन्म देते हैं, जो उपेक्षा, अपयश का कारण भी बनते हैं।

दरिद्रता में दु:ख न सह सके - अगर कर्महीनता या वक्त की मार से दरिद्रता या अभाव देखना पड़े तो उसे पूरी सहनशीलता और सकारात्मक सोच से स्वीकार करना चाहिए। किंतु ऐसा न करने वाले मनुष्य के जीवन में व्यर्थ अंसतोष, बेचैनी व मुश्किलें पैदा होती है। इसलिए कर्मप्रधान जीवन ही श्रेष्ठ बताया गया है।

सार यही है कि उदारता, धैर्य व सहनशीलता में यश व सफलता के नायाब सूत्र छुपे हैं। किंतु संपन्नता या अभाव के चलते इन बातों को दरकिनार करना मुसीबतों को बुलावा है।

ये दवा कड़वी जरूर है, लेकिन इन जानलेवा बीमारियों में अचूक रामबाण है




नीम को सारे रोगों का हकीम माना जाता है। नीम की पत्तियों से अनगिनत रोगों के इलाज संभव है। नीम का प्रयोग घाव, दाद, रक्तशोधन में लाभकारी होता है। नीम का पूरा पेड़ ही बहुत उपयोगी है। इसकी पत्तियों का रस भी बहुत गुणकारी माना जाता है। गर्मियों में इसका ज्यूस विशेष रूप से लाभकारी होता है।

- नीम जूस शरीर की रंगत निखारने में असरदार है।

- प्रेगनेंसी के दौरान नीम का रस योनि के दर्द को कम करता है। कई प्रेगनेंट औरते लेबर पेन से मुक्ती पाने के लिये नीम के रस से मसाज करती हैं। गर्भाशय और उसके आस-पास के अंगों का सूजन उतर जाता है, भूख लगती है, दस्त साफ होता है, ज्वर नहीं आता, यदि आता भी है तो उसका वेग अधिक नहीं होता।

- नीम की पत्तियों के रस और शहद को 2:1 के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है, और इसको कान में डालने से कान के विकारों में भी फायदा होता है।

- नीम जूस पीने से, शरीर की गंदगी निकल जाती है। जिससे बालों की क्वालिटी, त्वचा और डायजेशन अच्छा हो जाता है।

- इसके अलावा नीम जूस मधुमेह रोगियों के लिये भी फायदेमंद है। अगर आप रोजाना नीम जूस पीएंगे तो आपका ब्लड़ शुगर लेवल बिल्कुल कंट्रोल में हो जाएगा।

- नीम के रस की दो बूंदे आंखो में डालने से आंखो की रौशनी बढ़ती है और अगर कन्जंगक्टवाइटिस हो गया है, तो वह भी जल्द ठीक हो जाता है।

- यह बुरे कैलेस्ट्रोल को कम या नष्ट करता है। नीम का महीने में 10 दिन तक सेवन करते रहने से हार्ट अटैक की बीमारी दूर हो सकती है।

- नीम के रस का फायदा मलेरिया रोग में किया जाता है। नीम वाइरस के विकास को रोकता है और लीवर की कार्यक्षमता को मजबूत करता है।

देश के इतिहास में पहली बार सत्ता पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष को रिश्वत मामले में सजा हुई है ..अब तो हम खुद की सोच बदलें .खुद को बदलें

भाजपा के तात्कालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्ता में होते हुए खुलेआम रक्षा सोदों के घोटाले में रिश्वत लेने के दोषी रहे है और उन्हें अदालत ने कड़ा रुख अपना कर सजा दी है ..दोस्तों बंगारू लक्ष्मण को अदालत ने जो सज़ा दी है उसका सभी को स्वागत करना चाहिए ..दुनिया में कई तरह के लोग है एक तो वोह जो गिरोह बना कर देश को लूट रहे है उसमे ना जाती है ना धर्म है ना पार्टी पोलिटिक्स है उनका बस देश को लूटना प्रथम कर्तव्य है एक पक्ष वोह है जो किसी भी भ्रष्टाचार बेईमानी घटना को राजनीति और पार्टीबाजी से जोड़ कर देखता है ...राजनीति भी ऐसी के कोंग्रेस का आदमी पकड़ा गया तो पूरी कोंग्रेस चोर है भाजपा का आदमी पकड़ा गया तो पूरी भाजपा चोर है कोई भी पार्टी कोई भी समाज कोई भी जाती कोई भी धर्म पूरी चोर बेईमान भ्रष्ट नहीं होते है कुछ लोग होते हैं जिनकी वजह से देश बर्बाद और बदनाम है ऐसे लोग कहीं भी हो किसी भी धर्म किसी भी जाती किसी भी समाज किसी भी पार्टी में हैं उन्हें निकाल कर बाहर फेंकने का निष्पक्ष मन और निष्पक्ष मंच जब तक हम नहीं मनाएंगे इस पर राजनीति करते रहेंगे तो दोस्तों यकीन मानो एक दिन मेरे इस भारत महान को अपनी नजरे नीची करना पढ़ जायेंगी .इसलियें दोस्तों निष्पक्ष बनो और चोरों और बेईमानों के मुंह काले करो उन्हें बाहर निकालो ...आपको बंगारू लक्ष्मण का मामला याद होगा बेचारे तहलका जी जिन्होंने यह मामला उजागर किया था ..भाजपा ने इसे फ्रोड बताया इसकी कोई जांच नहीं करवाई और जांच हुई तो तहलका के तरुण तेजपाल के खातों की ..उनके घर में हिरन पालने की ..हिरन की खला बरामद होने की ..भाजपा ने उलटा चोर कोतवाल को डांटे के सिद्धांत पर तरुण तेजपाल तहलका सम्पादक का जीना दुश्वार कर दिया उससे चुन चुन कर बदला लिया ..बाद में सत्ता बदली जांच हुई और अब नतीजा सामने है भारत के इतिहास में पहला वाकया है जब किसी राजनितिक पार्टी वोह भी जिसने ईमानदारी और राष्ट्रभक्ति का ठेका ले रखा हो उसका शीर्ष नेता सत्ता के दोरान खुलेआम रिश्वत लेते हुए पकड़ा आज्ञा हो और फिर सभी सबूत उसके खिलाफ होने की वजह से उसे सजा मिली हो .........मध्यप्रदेश में जूदेव का मामला सभी को पता है खुलेआम रिश्वत लेते हुए टी वी पर मामला टेलीकास्ट हुआ लेकिन यह बेईमान है कोई पार्टी का आदमी मानने को तय्यार नहीं था नतीजा वोह सांसद बने पार्टी में बने रहे ..दूसरी तरफ कोंग्रेस पार्टी जिसके नेता जिससे जुड़े क्षेत्रीय दलों के नेता भ्रष्टाचार से खुलेआम जुड़े है .....क्रिकेट मामले में ललित मोदी फरार है ...शरद पंवार शक्कर सहित ना जाने कितने घोटाले करने के बाद भी सीना ताने घूम रहे है ..लेकिन कोंग्रेस जिसे पता चला के कोणी मोझी चोर है उनका मंत्री ऐ राजा चोर है तो उसे पकड़ा और जेल में डाल दिया खुद कोंग्रेस के सांसद पूर्व मंत्री खेल मामले में दोषी थे उन्हें पकड़ा जेल में डाल दिया पार्टी से निकाल दिया ..ऐसे ना जाने कितने उदाहरण है के कोंग्रेस ने जिन के खिलाफ भी आरोप साबित हुए उन्हें पकड़ा और जेल डाल दिया ..कोंग्रेस के राजस्थान के महिपाल मदेरणा हो ..चाहे दुसरे विधायक ..संसद हो उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में कभी नहीं बख्शा गया उन्हें पार्टी में भी नहीं रखा गया उन्हें अछूत सा पार्टी से निकाल दिया गया ..आज सभी भ्रष्ट लोग पार्टी से बाहर है ...तो दोस्तों एक तरफ तो वोह पार्टी वोह लोग है जो रंगे हाथो टी वी पर रिश्वत मामले का खुला प्रदर्शन होने पर भी किसी नेता के खिलाफ कोई कारवाही नहीं करते है उलटे शिकायतकर्ता को कटघरे में खडा कर उसे बेईज्ज़त करते है फिर सिद्धांतों की बातें करते है एक तरफ वोह लोग है जो कोंग्रेस में भ्रष्टाचार की पोल खुलती है तो खुद कोंग्रेस उनके अपने राज में उन्हें गिरफ्तार करवाती है सजा दिलवाती है और पार्टी से ऐसे लोगों को निकाल कर एक अनूठा उदाहरण पेश करती है फिर भी वोह पार्टी चोर बेईमानों की पार्टी कहलाती है तो भाइयों अप अपनी सोच बदलो .इरादे बदलो .पहले राष्ट्र के प्रति खुद ईमानदार बनो अगर कोंग्रेस का नेता चोर है तो वोह जेल जाना चाहिए अगर भाजपा या राष्ट्रवादी कोंग्रेस या सपा ..बसपा जनता दल का नेता चोर है तो वोह जेल जाना चहिये फिर इन दिनों तो अदालतों की सक्रियता है कोई नहीं सुनता है तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाओ निष्पक्ष होकर दोषी लोगों को सजा दिलवाओ जेल भिजवाओ ......अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है एजेंट शिप छोडो ..पार्टी बाज़ी छोड़ो सिर्फ एक ही इरादा एक ही लक्ष भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने का रखो और जब चुनाव आयें तो अगर कोंग्रेस बेईमान भ्रष्ट नेता को टिकिट देती है तो उसे पटखनी दे दो भाजपा अगर चोर को टिकिट देती है तो उसकी जमानत जब्त करा दो ..लेकिन अगर किसी छोटी पार्टी का नेता या कोई निर्दलीय भी ईमानदार नेतिकता वाला है तो उसे वोट डालकर संसद में पहुंचा कर तो देखो और केवल संसद में पहुंचा कर अपनी ज़िम्मेदारी मत भूल जाओ जब वोह संसद में आपकी बात नहीं रखे ...बेईमानी करता हुए दिखे तो उसका चमचा बनकर उसके पीछे दुम मत हिलाओ ......उसे संसदीय क्षेत्र में घुसने मत दो ..जहाँ मिले वहीँ घेरो उसकी नीन्द हराम कर दो या तो उसे सुधार दो या फिर उसे इस्तीफा देने को मजबूर करदो तब कहीं यह भारत महान बन्ने की तरफ अग्रसर हो सकेगा ..देश की समस्याओं और भ्रष्टाचार के मुद्दों को राजनीति से मत जोड़ो बस मुलजिम और सजा के बिंदु पर सोचो क्योंकि यह देश एक समाज है यह पार्टियाँ एक समाज है सभी पार्टियों में चोर भी है बेईमान भी है लुटेरे भी है तो कई लोग अच्छे आदर्शवादी भी है इसलियें गलती हमारी है हम गलत लोगों को छांट कर आगे बढ़ाते है ..अगर हम गेहूं और कंकर की तमीज़ समझने लागे तो यूँ गेहूं के साथ घुन की तरह नहीं पिसेंगे दोस्तों तो आप संकल्प लें आज से सिर्फ एक ही पार्टी इमानदारी ..नेतिकता ..निष्पक्षता और ऐसे लोग किसी भी पार्टी में हो वोह हमारे नेता है ना दल है ..ना जाट है ..ना पात है ..न धर्म है ..ना पार्टी पोलिटिक्स है बस ईमानदार काबिल व्यक्ति जहां कहीं भी किसी भी पार्टी में है वोह हमारा नेता है संकल्प ले और इसे कामयाब भी बनाएं .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान


लक्ष्‍मण को 4 साल की जेल, 1 लाख का जुर्माना





नई दिल्‍ली. तहलका कांड में दोषी करार दिए गए भाजपा के पूर्व अध्‍यक्ष बंगारू लक्ष्‍मण को आज सीबीआई की विशेष अदालत ने 4 साल के सश्रम कारावास के साथ ही एक लाख रुपये के जुर्माना की सज़ा सुनाई है। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि समाज में 'सब चलता है' के रवैये के चलते भ्रष्टाचार फैलता जा रहा है। बंगारू लक्ष्मण के वकील ने अदालत के फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि वे इसके खिलाफ अपील करेंगे।

इससे पहले सीबीआई ने अदालत से लक्ष्मण को पांच साल की सजा देने का आग्रह किया था। वहीं, लक्ष्‍मण ने अदालत से गुहार लगाई कि उन्‍होंने पहली बार कोई अपराध किया है और उनकी दो बाईपास सर्जरी हो चुकी हैं। उनके स्‍वास्‍थ्‍य और उम्र को देखते हुए नरमी का रूख अपनाया जाए। लेकिन अदालत ने लगता है कि उनकी यह दलील नहीं मानी है।

अदालत ने शुक्रवार को दोषी ठहराया था। 11 साल पुराने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के तत्‍कालीन अध्‍यक्ष पर आरोप था कि उन्‍होंने एक फर्जी रक्षा सौदे में हथियारों के नकली सौदागरों से रिश्‍वत ली। चार अप्रैल को एडीशनल सेशन जज कंवलजीत अरोड़ा ने सीबीआई के वकीलों और अभियुक्‍त पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था।

सीबीआई के अनुसार बंगारू 2001 में एक न्‍यूज पोर्टल तहलका के स्टिंग 'ऑपरेशन वेस्टएंड' में कैमरे में रिश्‍वत लेते हुए पकड़े गए। इसमें पत्रकारों ने ब्रिटेन की एक हथियार कंपनी के एजेंट बन कर उनसे मुलाकात की और भारतीय सेना के लिए थर्मल इमेजर्स की खरीद के बदले रिश्‍वत देने की पेशकश की। इन वीडियो सीडी को 13 मार्च 2001 में जारी किया गया था।

स्टिंग ऑपरेशन की मदद से पत्रकारिता को नया आयाम देने वाले इस मामले के सामने आने के बाद बंगारू लक्ष्‍मण को तत्‍कालीन सत्‍तारूढ़ पार्टी भाजपा के अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा देना पड़ा था। हालांकि, लक्ष्मण आज भी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं।

सचिन, रेखा पर रामदेव का हमला, भड़की भाजपा

नई दिल्ली. योग गुरु बाबा रामदेव ने स्टार क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर के बहाने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया। मीडिया को संबोधित करते हुए योग गुरु ने इस मुद्दे पर कहा, 'सचिन को राज्यसभा सांसद बनाने और उन्हें भारत रत्न न देने के पीछे वजह कांग्रेस की राजनीति है। मुझे सचिन के संसद जाने पर एतराज नहीं। लेकिन सवाल यह है कि सचिन काले धन पर क्या बोलेंगे? सचिन राज्यसभा में आएं और हमारे साथ काले धन के मुद्दे को उठाएं। कांग्रेस असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। एक दो नहीं सभी क्रिकेटरों को राज्यसभा भेज दो, लेकिन काला धन लेकर आओ।'

बाबा रामदेव ने फिल्‍म अभिनेत्री रेखा को राज्‍यसभा सांसद मनोनीत किए जाने के लिए भी कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्‍होंने कहा, 'क्रिकेटर-एक्‍टर जिनकी साख है देश में, उन्‍हें अपने साथ जोड़ कर अपनी साख बढ़ाने की कांग्रेस की चाल है। सचिन का सम्‍मान कर लो, एक रेखा ही ऐसी खींच लो ताकि विरोधियों के तीर उसके बाहर ही रुक जाएं। यह घटिया हथकंडा है।'

योग गुरु ने आगे कहा, 'सचिन पर बीसीसीआई के राजनैतिक दबाव की बातें बेबुनियाद नहीं लगती हैं। कांग्रेस डूबता जहाज और अगर वे इसे बचाने जाएंगे तो उनके दामन पर दाग लग सकते हैं। इसलिए मुझे विश्वास है कि वे सोच समझ कर निर्णय लेंगे।'

अन्ना हजारे के साथ सहयोग करने के मुद्दे पर योग गुरु ने कहा, 'अन्ना और मेरे गठजोड़ से कुछ नेताओं और कुछ उद्योगपतियों को परेशानी है। जरूरत पड़ी तो मैं और अन्ना-दोनों साथ खड़े होंगे। टीम अन्ना में मेरा कोई विरोध नहीं कर रहा है। अन्ना और मेरे आंदोलन का विलय नहीं हो रहा है।'

रामदेव के बयान पर भाजपा भड़क गई है। पार्टी के प्रवक्‍ता मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने कहा, 'रामदेव हर चीज पर बोलने लगते हैं। कुछ चीजें उन्‍हें छोड़ देनी चाहिए।'

राजस्थान के गाँधी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक नज़र में

अशोक गहलोत
मुख्यमंत्री, राजस्थान

व्‍यक्तिगत परिचय

जन्म तिथि: 3 मई, 1951
पार्टी:इण्डियन नेशनल कांग्रेस(INC)

अपनी सादगी और गांधीवादी मूल्‍यों के लिए पहचाने जाने वाले श्री अशोक गहलोत का जन्‍म 3 मई 1951 को जोधपुर राजस्‍थान में हुआ । स्‍व. श्री लक्ष्‍मण सिंह गहलोत के घर जन्‍मे श्री अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्‍नातक डिग्री प्राप्‍त की तथा अर्थशास्‍त्र विषय लेकर स्‍नातकोत्‍तर डिग्री प्राप्‍त की। श्री गहलोत का विवाह 27 नवम्‍बर, 1977 को श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ हुआ। श्री गहलोत के एक पुत्र (वैभव गहलोत) और एक पुत्री (सोनिया गहलोत) हैं। श्री गहलोत को जादू तथा घूमना-फिरना पसन्‍द हैं। श्री गहलोत सच्‍चे धरती पुत्र हैं। उन्‍हें फिजूलखर्ची पसन्‍द नहीं है। वे लोगों की पीड़ा और दु:ख- दर्द जानने के लिए उनसे सीधी मुलाकात करते हैं।

राजनीतिक पृष्‍ठभूमि

विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे श्री गहलोत 7वीं लोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। श्री गहलोत एक करिश्‍माई नेता हैं तथा उन्‍होंने जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा (1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999) में प्रतिनिधित्‍व किया।

सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद श्री गहलोत फरवरी, 1999 में 11वीं राजस्‍थान विधानसभा के सदस्‍य बने । प्रदेश की जनता में लोकप्रिय श्री गहलोत पुन: इसी विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए 04/12/2003 को निर्वाचित हुए तथा 13वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए 08/12/2008 को सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही पुन: निर्वाचित हुए ।

केन्‍द्रीय मंत्री

श्री गहलोत एक सच्‍चे राजनेता हैं जिन्‍होंने अपना ध्‍यान गरीबों के सर्वांगीण विकास पर केन्द्रित रखा। उन्‍होंने स्‍व. श्रीमती इन्दिरा गांधी, स्‍व. श्री राजीव गांधी तथा स्‍व. श्री पी.वी.नरसिम्‍हा राव के मंत्रीमण्‍डल में केन्‍द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया । वे तीन बार केन्‍द्रीय मंत्री बने । जब स्‍व. श्रीमती इन्दिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं उस समय अशोक गहलोत 2 सितम्‍बर, 1982 से 7 फरवरी, 1984 की अवधि में श्रीमती इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्‍डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे । इसके बाद श्री गहलोत खेल उपमंत्री बनें । उन्‍होंने 7 फरवरी, 1984 से 31 अक्‍टूबर 1984 की अवधि में खेल मंत्रालय में कार्य किया तथा पुन: 12 नवम्‍बर, 1984 से 31 दिसम्‍बर, 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय में कार्य किया । उनकी पारदर्शी कार्यशैली तथा प्रत्‍येक विषय-वस्‍तु को गहराई से जानने की लगन के कारण स्‍व. श्रीमती इन्दिरा गांधी और स्‍व. श्री राजीव गांधी जैसे नेता उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते थे । उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्‍हें केन्‍द्र सरकार में राज्‍य मंत्री बनाया गया । 31 दिसम्‍बर, 1984 से 26 सितम्‍बर, 1985 की अवधि में श्री गहलोत ने केन्‍द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री के रूप में कार्य किया । इसके पश्‍चात् उन्‍हें केन्‍द्रीय कपड़ा राज्‍य मंत्री बनाया गया । यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था तथा श्री गहलोत को इसका स्‍वतंत्र प्रभार दिया गया । श्री गहलोत इस मंत्रालय के 21 जून, 1991 से 18 जनवरी, 1993 तक मंत्री रहे ।

राजस्‍थान सरकार में मंत्री

जून, 1989 से नवम्‍बर, 1989 की अल्‍प अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्‍थान सरकार में गृह तथा जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियां‍त्रिकी विभाग के मंत्री रहे ।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी / कांग्रेस कार्यकारी कमेटी में भूमिका

जनवरी, 2004 से 16 जुलाई, 2004 तक श्री गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्‍य के रूप में कार्य किया और इस पद पर रहते हुए हिमाचल प्रदेश व छत्‍तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी के रूप में सफलता पूर्वक जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया। 17 जुलाई, 2004 से 18 फरवरी, 2009 तक श्री गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया इस दौरान श्री गहलोत ने उत्‍तरप्रदेश, दिल्‍ली, समस्‍त फ्रन्‍टल इकाईयों व सेवादल के प्रभारी के रूप में अपनी जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया।

महात्‍मा गांधी के ऐतिहासिक ढाडी मार्च के 75 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस एवं महात्‍मा गांधी फाउण्‍डेशन की ओर से आयोजित ढाडी यात्रा के समन्‍वयक के रूप में कार्य करते हुए सफलता पूर्वक सम्‍पन्‍न कराया।

राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष के रूप में कार्यकाल

श्री गहलोत को 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्‍यक्ष रहने का गौरव प्राप्‍त हुआ है। पहली बार श्री गहलोत 34 वर्ष की युवा अवस्‍था में ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष बन गये थे । राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष के रूप में उनका पहला कार्यकाल सितम्‍बर, 1985 से जून, 1989 की अवधि के बीच में रहा । 1 दिसम्‍बर, 1994 से जून, 1997 तक द्वितीय बार व जून, 1997 से 14 अप्रैल, 1999 तक तृतीय बार वे पुन: राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष पद पर रहे ।

वर्ष 1973 से 1979 की अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्‍थान NSUI के अध्‍यक्ष रहे और उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी की इस यूथ विंग को मजबूती प्रदान की । श्री गहलोत वर्ष 1979 से 1982 के बीच जोधपुर शहर की जिला कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष रहे । इसके अलावा वर्ष 1982 में श्री गहलोत राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (इन्दिरा) के महासचिव भी रहे ।

सामाजिक पृष्‍ठभूमि

गरीबों और पिछड़े वर्ग की सेवा को तत्‍पर श्री गहलोत ने पश्चिम बंगाल के बंगांव और 24 परगना जिलों में वर्ष 1971 में बांग्लादेश युद्ध के दौरान आयोजित शरणार्थी शिविरों में काम किया । समाज सेवा में गहरी रूचि रखने वाले श्री गहलोत ने तरूण शान्ति सेना द्वारा सेवाग्राम, वर्धा, औरंगाबाद, इन्‍दौर तथा अनेक जगहों पर आयोजित शिविरों में सक्रिय रूप से कार्य किया तथा कच्‍ची बस्‍ती और झुग्‍गी क्षेत्रों के विकास के लिए अपनी सेवाएं दी । नेहरू युवा केन्‍द्र के माध्‍यम से उन्‍होंने प्रौढ शिक्षा के विस्‍तार में उन्‍होंने अपना महत्‍वपूर्ण योगदान दिया । श्री गहलोत सक्रिय रूप से कुमार साहित्‍य परिषद और राजीव गांधी मेमोरियल बुक-बैंक से जुड़े हुए है ।

श्री गहलोत भारत सेवा संस्‍थान के संस्‍थापक अध्‍यक्ष भी हैं । यह संस्‍थान समाज सेवा को समर्पित हैं तथा एम्‍बूलेन्‍स सेवा प्रदान करती है । इसके अलावा यह संस्‍थान राजीव गांधी मेमोरियल बुक बैंक के माध्‍यम से गरीब छात्रों के लिए नि:शुल्‍क पुस्‍तकें उपलब्‍ध करवाती है । संस्‍थान ने जोधपुर में राजीव गांधी सेवा सदन में एक वाचनालय भी स्‍थापित किया है ।

श्री गहलोत राजीव गांधी स्‍टडी सर्किल, नई दिल्‍ली के भी अध्‍यक्ष हैं । यह संस्‍था देशभर के विश्‍वविद्यालय/महाविद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों के हितों की देखभाल करती है ।

विदेश यात्रा

श्री गहलोत ने भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य के रूप में विदेशों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है । उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य के रूप में जनवरी, 1994 में चीन की यात्रा की । श्री गहलोत ने कॉमनवैल्थ यूथ अफेयर्स काउन्सिल के भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के नेता के रूप में साइप्रस की यात्रा की । उन्होंने बुल्गारिया जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमण्डल का भी नेतृत्व किया । श्री गहलोत ने बैंकॉक, आयरलैण्डह, फ्रेंकफर्ट, अमेरीका, कनाडा, हांगकांग, यूके, इटली तथा फ्रांस देशों की यात्रा की । मुख्यमंत्री राजस्थान, श्री गहलोत ने 5 कैबीनेट मंत्रियों व 5 अधिकारियों के प्रतिनिधिमण्डल के साथ 1-5 जुलाई 2010 के दौरान यू. एस. ए. में अप्रवासी राजस्थानियों की ओर से आयोजित राना कोन्क्लेव में भाग लिया। उन्होने भारत वापसी के समय दिनांक 6-9 जुलाई 2010 के मध्य इंग्लैण्ड का अल्पावधि का दौरा किया। वहाँ इंग्लैण्ड में रह रहे राजस्थानियों से भेंट करी और उद्योगपति श्री एल. एन. मित्त्ल व श्री अनिल अग्रवाल से विचार विमर्श किया। इन यात्राओं से उन्हें अन्त‍रराष्ट्रीय सम्बन्धों तथा इन देशों के विकास कार्यों को जानने का अवसर मिला ।

सदस्‍यता

श्री अशोक गहलोत स्‍वयं को हमेशा जनता के धन ओर सम्‍पत्ति का ट्रस्‍टी मानते हैं । वर्ष 1980 से 1982 के बीच श्री गहलोत पब्लिक एकाउण्‍ट्स कमेटी (लोकसभा) के सदस्‍य रहे । श्री गहलोत संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति (10वीं लोकसभा) के सदस्‍य भी रह चुके हैं । उन्‍होंने रेल मंत्रालय की स्‍थाई समिति (10वीं और 11वीं लोकसभा) के सदस्‍य के रूप में कार्य किया । इसके अलावा श्री गहलोत विदेश मंत्रालय से सम्‍बद्ध सलाहकार समिति (11वीं लोकसभा) के सदस्‍य भी रहे हैं ।

मुख्‍यमंत्री राजस्‍थान

श्री अशोक गहलोत 01/12/1998 से 08/12/2003 तक राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री रहे । उनका यह कार्यकाल अन्‍य महत्‍वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा प्रबन्‍धन, विद्युत उत्‍पादन, संसाधनों का विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक और पर्यटन विकास, कुशल वित्‍तीय प्रबन्‍धन और सुशासन के लिए जाना जाता है ।

मुख्‍यमंत्री के रूप में श्री गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान राजस्‍थान में इस सदी का भयंकार अकाल पड़ा । उन्‍होंने अत्‍यन्‍त ही प्रभावी और कुशल ढ़ंग से अकाल प्रबन्‍धन का कार्य किया । उस समय अकाल प्रभावित लोगों के पास इतना अनाज पहुंचाया गया था जितना अनाज ये लोग शायद अपनी फसलों से भी प्राप्‍त नहीं कर सकते थे । प्रतिपक्ष भी खाद्यान्‍न और चारे की अनुपलब्‍धता के सम्‍बन्‍ध में सरकार की तरफ अंगुली तक नहीं उठा सके क्‍योंकि श्री गहलोत ने व्‍यक्तिगत रूप से अकाल राहत कार्यों की मॉनिटरिंग की थी । श्री गहलोत को गरीब की पीड़ा और उसके दु:ख दर्द की अनुभूति करने वाले राजनेता के रूप में जाना जाता है ।

उन्‍होंने 'पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ' का नारा दिया जिसे राज्‍य की जनता ने पूर्ण मनोयोग से अंगीकार किया ।

श्री अशोक गहलोत को 13 दिसम्‍बर, 2008 को दूसरी बार राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई ।

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