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29 अप्रैल 2012

प्याज का प्रयोग...टाल पर बाल उग आएंगे और सफेद बाल काले हो जाएंगे





कुछ चीजें ऐसी है जो हम अंजाने में खाते हैं पर वह हमारे शरीर के लिये फायदेमंद होती है। सामान्यत: हम प्याज का प्रयोग खाने को टेस्टी बनाने के लिए करते हैं। लेकिन ये बहुत कम लोग जानते हैं कि प्याज गर्म प्रकृति का होता है। यह कई तरह की स्वास्थ्य परेशानियों से दूर रखता है। हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि प्याज के कुछ ऐसे ही प्रयोगों के बारे में....

- रक्त विकार को दूर करने के लिए 50 ग्राम प्याज के रस में 10 ग्राम मिश्री तथा 1 ग्राम भूना हुआ सफेद जीरा मिला लें। यदि अजीर्ण की शिकायत हो तो प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर उसमें एक नीबू निचोड़ लें या सिरका डाल लें तथा भोजन के साथ इसका सेवन करें।

- बच्चों को बदहजमी होने पर उन्हें प्याज के रस की तीन-चार बूंदें चटाने से लाभ होता है।

- अतिकेलिसिन और रायबोफ्लेविन (विटामिन बी) पर्याप्त मात्रा में होता है। इसकी गंध एन-प्रोपाइल-डाय सल्फाइड के कारण आती है। यह पदार्थ पानी में घुलनशील अमीनों अम्लों पर एन्जाइम की क्रिया के कारण बनता है। यही कारण है कि प्याज को काटने पर आंख से पानी आता हैं।

- यह आंख के लिये एक बेहतरीन औषधि भी है यह आंख साफ करता है। इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है।

- गर्मियों में रोज प्याज जरूर खाएं। जब भी आप खाना खाएं। आपको लू लगने से बचायेगा। अगर लू लग गई हो तो प्याज का रस दो चार चम्मच पीएं। रस कनपटी व छाती पर मलें। एक छोटा सा प्याज अपने पॉकेट में रखे रहें।

- प्याज पीसकर बालों पर लेप करने से बाल काले रंग के उगने लगेंगे। प्याज का रस रगड़े सर पर जहां के बाल उड़ गये हैं। बाल दुबारा पैदा होने लगेंगे। गिरने बंद भी हो जायेंगे।

बकरे के पोस्टमार्टम से होगा कांग्रेस नेता की कथित हत्या का फैसला!


जोधपुर/पीपाड़.कांग्रेस के बावड़ी ब्लॉक उपाध्यक्ष रवि मेघवाल की हत्या हुई या नहीं, यह फैसला एक बकरे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से होगा। पांच दिन पहले पड़ोसी के घर टांके में डूबे बकरे को निकालते वक्त रवि भी डूब गए थे। घरवालों ने बकरे के बहाने उनकी हत्या करने का आरोप लगाया तो पीपाड़ पुलिस ने शनिवार को बकरे का भी पोस्टमार्टम करवाया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसे टांके में गिरने से पहले मरा हुआ बताया गया तो मामला हत्या में बदल सकता है, नहीं तो यह हादसा ही माना जाएगा।


'रवि के परिजनों ने रिपोर्ट दी थी कि उनकी साजिश के तहत हत्या की गई है। बकरा गिरने की घटना नहीं हुई थी। अब तक की जांच में हालांकि कोई रंजिश अथवा वजह सामने नहीं आई है। फिर भी बकरे का पोस्टमार्टम करवाया है।'

बिस्मिल्ला हिर्राह्मा निर्रहीम.,,, कुरान का संदेश

जानिए, हिन्दू धर्म की वे 6 आसान परंपराएं, जिनमें हैं जीवन से जुड़े सारे फायदे..




ईश्वर और धर्म में गहरा विश्वास रखने वाला हर इंसान पाप-पुण्य पर विचार कर उसके मुताबिक अच्छे कर्मों को करने और बुरे कर्म से बचने की कोशिश करता है। जिसके लिए वह धार्मिक कर्म, धर्म ज्ञान, अध्ययन, सत्संग आदि में रुचि रखता है। शास्त्रों में ऐसे ही लोगों की पुण्य और मोक्ष पाने की भावना को सफल बनाकर पापमुक्त जीवन के लिए ही धर्म से जुड़ी 6 विशेष परंपराएं बहुत ही प्रसिद्ध हैं। जिनसे आस्था से जुडऩा न केवल मानसिक, शारीरिक, व्यावहारिक व आध्यात्मिक शांति देने वाली है बल्कि धर्म दृष्टि से मुक्तिदायक है।

जानते हैं पुराणों में बताई ये पुण्यदायी 6 बातें। लिखा है -

विष्णुरेकादशी गीता तुलसी विप्रधेनव:।

असारे दुर्गसंसारे षट्पदी मुक्तिदायिनी।।

जिसका सरल शब्दों में अर्थ है कि भगवान विष्णु, एकादशी व्रत, गीता, तुलसी, ब्राह्मण और गौ ये 6 इस नाशवान संसार में लोगों के लिए मुक्तिदायी है। जानते हैं धर्म व व्यावहारिक नजरिए से इनका महत्व -

विष्णु - भगवान विष्णु परब्रह्म के तीन स्वरुपों में एक व जगतपालक माने गए हैं। वह सत्व गुणों, ऐश्वर्य, सुख, शांति के स्वामी भी हैं। उनकी व विष्णु अवतारों की भक्ति व पूजा धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाली मानी गई है।

एकादशी व्रत- भगवान विष्णु की भक्ति को ही समर्पित एकादशी व्रत संयम, नियम, व्रत-उपवास के द्वारा धर्म और अनुशासन से जोड़कर पुण्य तो देता ही है। साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस तिथि पर व्रत प्राकृतिक तत्वों के साथ शरीर का तालमेल बैठाकर स्वस्थ्य व दीर्घ जीवन देने वाला होता है।

तुलसी - तुलसी पौराणिक चरित्र है, जिसका पवित्रता के फलस्वरूप ही भगवान विष्णु से संबंध जुड़ा, जो तुलसी-शालिग्राम विवाह के रूप में प्रसिद्ध है। इसलिए तुलसी पूजा सुख-ऐश्वर्यदायी भी मानी गई है। यह वैज्ञानिक दृष्टि से औषधीय पौधा भी है।

ब्राह्मण - ब्राह्मण को ब्रह्म या ईश्वर का ही अंश माना गया है। धार्मिक दृष्टि से ब्राह्मण ब्रह्म से जुडऩे की अहम कड़ी है। इसलिए ईश्वर का ही साक्षात् स्वरूप मानकर ब्रह्मपूजा, दान और सेवा सभी कलह और संताप का अंत करने वाली मानी गई है।

गीता - धार्मिक दृष्टि से गीता ईश्वर का ज्ञानस्वरूप है। इसलिए इसका किसी भी रूप में पाठ, स्मरण या व्यवहार में अपनाना शरीर और आत्मा के लिए सुख और मोक्षदायी ही है।

गौ - धर्म क्षेत्र में गौ यानी गाय को देव स्वरूप माना गया है। अनेक देवी-देवताओं का वास गौ में माना गया है। यही कारण है कि गौ का हर अंश दूध, दही, घी यहां तक कि मूत्र, गोमय भी देव कर्मों के लिए पवित्र और मंगलकारी माने गए हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह शरीर के लिए भी रोगनाशक है।

राजस्थान अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट ने मदरसा पेराटीचर्स को मदरसों में पढने वाले बच्चों को कामयाब तालीम देने का आह्वान किया


राजस्थान अल्पसंख्यक फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष एजाज़ खान अज्जू भाई ने आज कोटा में आयोजित पेराटीचर्स पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम में कहा के सभी पेराटीचर्स के हाथों में मुस्लिम बच्चों को सोंपा गया है और उन्हें इन बच्चों को कड़ी महनत और लगन के साथ अच्छा नागरिक और काबिल आदमी बनाने में जी तोड़ महनत करना है ..एजाज़ खान ने कहा के पेराटिचार बन्ने के बाद वोह खुद को हताश ना समझे ..उनका वेतनमान आज नहीं तो कल बढ़ेगा और अगर वोह मदरसों में पढने वाले बच्चों को तहज़ीब ..अखलाक ..वतनपरस्ती और मोहब्बत के साथ साथ एक डॉक्टर इंजिनियर बनाने का सपना जगाने में कामयाब हो जाते है तो उनका फर्ज़ पूरा हुआ माना जाएगा और पेराटीचर्स ऐसा नहीं कर सके तो वोह खुद को अपनी इस गलती के लियें माफ़ नहीं कर सकेंगे .............कार्यक्रम में बोलते हुए जिला वक्फ कमेटी के हाजी अज़ीज़ अंसारी ने कहा के वक्फ कमेटी ने सभी मुस्लिम समस्याओं और खासकर पेरातिचर्स की समस्याओं के निराकरण के लियें अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अनवर अहमद को नियुक्त कर रखा है कोई भी समस्या या सुझाव हो तो पेरातिचर्स या मदरसों से जुड़े लोग उन्हें बता सकते है जिसका निराकरण करने का यथासम्भव प्रयास होगा ........एडवोकेट अख्तर खान अकेला नायब सदर जिला वक्फ कमेटी कोटा और प्रदेश संयोजक अल्पसंख्यक मामलात ने कहा के राजस्थान में इस बार थोक में पेरातिचर्स की नियुक्तिया की गयी है और ऐसे में जब हजारों पेराटीचर्स रोज़गार से जुड़े है तो मदरसों में पलने वाले देश के भविष्य के प्रति पेराटीचर्स और मदरसा संचालकों की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है ..उन्होंने कहा के अकेले कोटा में पन्द्राह हजार बच्चे मदरसों में पढ़ रहे है जिन्हें पढाने के लियें चार सो से भी अधिक पेराटीचर्स नियुक्त है इसलिए बच्चों का नामांकन बढाना चाहिए और टार्गेट पचास हजार के तहत कमसे काम कोटा में मदरसों का नामांकन पचास हजार तो होना ही चाहिए ..........कार्यक्रम के अंत में हाजी शाहिद मुल्तानी ने सभी को धन्यवाद दिया ..कार्यक्रम का संचालन अनवर अहमद ने किया ....कार्यक्रम में एडवोकेट मोहम्मद अली सय्यद ..अब्दुल सलाम जर्रा ...मुश्ताक अहमद ..जावेद भाई आरिफ हुसेन अरब अली अफगान सहित कई दर्जन लोग शामिल थे ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

बगलामुखी जयंती आज: ऐसी पूजा से मिलेंगी चमत्कारी शक्तियां

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आज 29 अप्रैल, रविवार को मां बगलामुखी जयंती है। इस अवसर पर मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए इस प्रकार पूजन करें-

साधक को माता बगलामुखी की पूजा में पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर इस प्रकार संकल्प करें-

ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य......(अपने गोत्र का नाम) गोत्रोत्पन्नोहं ......(नाम) मम सर्व शत्रु स्तम्भनाय बगलामुखी जप पूजनमहं करिष्ये। तदगंत्वेन अभीष्टनिर्वध्नतया सिद्ध्यर्थं आदौ: गणेशादयानां पूजनं करिष्ये।

इसके बाद भगवान श्रीगणेश का पूजन करें। नीचे लिखे मंत्रों से गौरी आदि षोडशमातृकाओं का पूजन करें-

गौरी पद्मा शचीमेधा सावित्री विजया जया।

देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोक मातर:।।

धृति: पुष्टिस्तथातुष्टिरात्मन: कुलदेवता।

गणेशेनाधिकाह्योता वृद्धौ पूज्याश्च षोडश।।

इसके बाद गंध, चावल व फूल अर्पित करें तथा कलश तथा नवग्रह का पंचोपचार पूजन करें।

तत्पश्चात इस मंत्र का जप करते हुए देवी बगलामुखी का आवाह्न करें-

नमस्ते बगलादेवी जिह्वा स्तम्भनकारिणीम्।

भजेहं शत्रुनाशार्थं मदिरा सक्त मानसम्।।

आवाह्न के बाद उन्हें एक फूल अर्पित कर आसन प्रदान करें और जल के छींटे देकर स्नान करवाएं व इस प्रकार पूजन करें-

गंध- ऊँ बगलादेव्यै नम: गंधाक्षत समर्पयामि। का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीला चंदन लगाएं और पीले फूल चड़ाएं।

पुष्प- ऊँ बगलादेव्यै नम: पुष्पाणि समर्पयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले फूल चढ़ाएं।

धूप- ऊँ बगलादेव्यै नम: धूपंआघ्रापयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को धूप दिखाएं।

दीप- ऊँ बगलादेव्यै नम: दीपं दर्शयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को दीपक दिखाएं।

नैवेद्य- ऊँ बगलादेव्यै नम: नैवेद्य निवेदयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।

अब इस प्रकार प्रार्थना करें-

जिह्वाग्रमादाय करणे देवीं, वामेन शत्रून परिपीडयन्ताम्।

गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।।

अब क्षमा प्रार्थना करें-

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।

पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।

यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।

अब नीचे लिखे मंत्र का एक माला जप करें-

गायत्री मंत्र- ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भनबाणाय धीमहि। तन्नो बगला प्रचोदयात्।।

अष्टाक्षर गायत्री मंत्र- ऊँ ह्रीं हं स: सोहं स्वाहा। हंसहंसाय विद्महे सोहं हंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात्।।

अष्टाक्षर मंत्र- ऊँ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा

त्र्यक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं ऊँ

नवाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि ठ:

एकादशाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि स्वाहा।

ऊँ ह्ल्रीं हूं ह्लूं बगलामुखि ह्लां ह्लीं ह्लूं सर्वदुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्ल: वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ह्ल: ह्लौं ह्लैं जिह्वां कीलय ह्लूं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशाय ह्लूं हूं ह्लीं ऊँ हूं फट्।

षट्त्रिंशदक्षरी मंत्र- ऊँ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा।

अंत में माता बगलामुखी से ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।

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