आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

01 मई 2012

पेंथर जिसने आदमी पर हमला कर दिया

तस्वीरों में देखें: जिंदगी भाग रही थी, पीछे-पीछे थी मौत!

चित्तौड़गढ़ के पास रघुनाथपुरा गांव की एक खान में मंगलवार सुबह पैंथर घुस आया। उसने एक के बाद एक सात लोगों को हमला कर घायल कर दिया। वन विभाग के चित्तौड़ मृगवन प्रभारी राधेश्याम जोशी भी हमले में घायल हुए। वे अस्पताल में भर्ती हैं, जबकि अन्य घायलों को छुट्टी दे दी गई।

रात 7:30 बजे तक पैंथर को पकड़ने के प्रयास किए गए, लेकिन जब सफलता हाथ नहीं लगी तो उसके छिपे होने के स्थान के पास पिंजरा लगा दिया गया। अब बुधवार को पैंथर को पकड़ने के प्रयास होंगे। पैंथर सावा निवासी मोहम्मद शेर खान की चाइना क्ले माइन में छिपा था। सुबह 6:30 बजे सबसे पहले पैंथर ने इसी गांव के प्रभु गुर्जर पर हमला किया था। उसे ग्रामीणों ने बचाया।

फोटो : दुर्गेश शर्मा

32 साल में वेतन 60 लाख संपत्ति 50 करोड़




मंदसौर।रतलाम डीएफओ एस.के. प्लास के यहां से लोकायुक्त को आधा अरब (50 करोड़) की संपत्ति मिली है। लोकायुक्त ने मंगलवार सुबह 6 बजे प्लास के मंदसौर स्थित घर पर दबिश दी थी। कार्रवाई शाम 6 बजे तक चली। अभी लोकायुक्त ने प्लास के रतलाम, नीमच के ठिकाने नहीं खंगाले हैं। यहां का आकलन होने के बाद आंकड़ा बढ़ सकता है।

डीएसपी ओ.पी. सागोरिया ने बताया लोकायुक्त के 50 सदस्यों ने मंदसौर, सीतामऊ, रतलाम, इंदौर में डीएफओ के ठिकानों पर एकसाथ दबिश दी। मंदसौर स्थित निवास से 18 लाख रुपए और 35 लाख के आभूषण मिले। सीतामऊ से 2.50 लाख रुपए मिले। भोपाल की अरेरा हिल्स कॉलोनी में फ्लैट, प्लॉट सहित इंदौर, रतलाम, सीतामऊ, नीमच में भी जमीनों के कागज मिले।

राजस्थान के उदयपुर में रिश्तेदार के नाम से पेट्रोल पंप संचालित होने की भी जानकारी मिली है। इसके अलावा नीमच में जल्द शुरू होने वाले पंप के भी कागज मिले। डीएसपी ने बताया डीएफओ के खिलाफ शिकायतें मिल रही थीं। 4 माह तक सबूत जुटाए। रतलाम का सरकारी निवास सील कर दिया है।

45 हजार रुपए मासिक वेतन है डीएफओ का

डीएफओ को फिलहाल 45 हजार रु. वेतन मिलता है। 32 साल की शासकीय सेवा के दौरान उन्हें सरकार से 60 लाख रुपए मिले जबकि संपत्ति का आंकड़ा इससे कई गुना अधिक है। - अरुण मिश्रा, एसपी, लोकायुक्त

वैल्यूएशन ज्यादा कर रहे हैं

मैंने कार्रवाई में सहयोग किया है। अधिकारी संपत्ति का वैल्यूएशन ज्यादा कर रहे हैं। आय के हिसाब से संपत्ति अगर थोड़ी भी ज्यादा होती है तो नौकरी छोड़ दूंगा। पत्नी गैस एजेंसी चलाती है और बेटा भी नौकरी करता है। - एस.के.प्लास, डीएफओ रतलाम

कुरान का संदेश

अदालतों में साढ़े तीन करोड़ पेंडिंग केसों का केसे निपटारा हो सकेगा

दोस्तों कन्द्रीय विधि आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में देश भर की निचली अदालतों में साढ़े तीन करोड़ मुकदमे चलना माना है ..इसके लियें विधि आयोग ने हाईकोर्टों को भी ज़िम्मेदार मानते हुए सुझाव दिया है के देश की हाईकोर्टों को निचली अदालतों की कार्यशेली और मुकदमों के निस्तारण के मामले में निगरानी समितियां बनाई चाहिए जो नहीं बनाई गयी है ,,,,,,,देश में हमेशा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट निचली अदालतों के मुकदमों की संख्या की बाद करती है लेकिन खुद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के मुकदमों की संख्या और शीघ्र निस्तारण के बारे में कोई चर्चा नहीं होती ..विभिन्न राज्यों की हाईकोर्ट में कई जजों के पद रिक्त हैं निचली अदालतों में पद रिक्त है लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन और केंद्र व् राज्य्सर्कारें गंभीर नहीं है सरकारों ने सेठी आयोग की रिपोर्ट भी लागू नहीं की है ..एक तरफ तो निचली अदालतों में अधिकारी नहीं ..बेठने और फाइलें रखने के लियें सुविधाएं नहीं स्टाफ नहीं और फिर जो अधिकारी हैं उन पर आंकड़ों का दबाव तो कुछ समझ में नहीं आता ..निगरानी समितियां जो होना चाहिए जिनका कार्य तार्किक प्रबंधकीय हो वकील ऑफ़ बार कोंसिलें भी उसमे भागीदार हो तभी यह कार्य सम्भव है ...............निचली अदालतों में पक्षकारों ..वकीलों को जो मामूली सी असुविधाएं होती है उनमे से क्रमवार ससे पहले एक परेशानी पेश है ......................माननीय न्यायालयों में नक़ल विभाग में नक़ल के आवेदन के बाद अनेक न्यायालयों के सम्बंधित बाबुओं द्वारा आवेदन पत्र पहुंचने के बाद भी पत्रावली अकारण ही रोक ली जाती है और निर्धारित समयावधि में पत्रावली नहीं भेजी जाती अनेक बाबुओं द्वारा तो पत्रावली कोनसी मंगाई गई है उसकी जानकारी मिलने के बाद भी आवेदन पत्रों पर पत्रावली क्रमांक सही नहीं होने ..सीगा अंकित नहीं होने जेसे कई हास्यास्पद आपत्तियां दर्ज आर आवेदन पत्र वापस नकल विभाग में बिना पत्रावलियों के भेज दिए जाते है .......और इससे अनावश्यक वकीलों ..पक्षकारों ..नकल विभाग व् बाबुओं का कार्य बढ़ता है जिसकी वजह से दिक्क़तों का सामना करना पढ़ता है इसके लियें यथासम्भव संबधित बाबुओं को बिना किसी अटकल के निर्धारित समयावधि तय कर पत्रावली भिजवाने के निर्देश जारी करे ..और उक्त उलग्घन पर संबद्धित बाबुओं के खिलाफ कार्यवाही भी किये जाने का प्रावधान हो ताकि अनावश्यक परेशान नहीं किया जाए .इसी तरह से छोटे मामलों में पुलिस अनावश्यक प्राणघातक हमले का मुकदमा दर्ज कर लेती है अभियुक्त गिरफ्तार होता है सामान्य प्रक्रति की चोट होती है लेकिन अभियुक्त सेशन ट्रायल के नाम पर जेल भेजा जाता है दुसरे दिन उसकी जमानत होती है अदालत के अनावश्यक काम बढ़ते है ..पुलिस चालान पेश करती है ऐसे मामले सेशन ट्रायल होने की वजह से कमीत किये जाते है फिर यही मामले वापस डिस्चार्ज होकर निचली अदालतों में आते है इसमें अदालतों का काफी वक्त बर्बाद होता है साथ ही प्रथम बार चालान के वक्त दुबारा जमानत भरवाने का प्र्वव्धन भी काम को लम्बा करता है जबकि जमानत पुलिस पहले ही लेकर अभियुक्त को पेश करती है ऐसी कमी को दूर करने पर भी काफी अदालतों का वक्त बचाया जा सकता है और फिर अदालतों में अगर कमरे लगाये जाए जिसकी सी दी वकील या पक्षकार को देने का प्रावधान हो सुबह अदालत शुरू होने से अदालत बंद होने तक का रिकोर्ड उसमे हो तो इजलास में अधिकारी ..वकील रीडर टाइपिस्ट क्या कर रहा है सभी की पोल खुलने के दर से वोह लोग बहतर ओत्र तत्पर कार्य करेंगे ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पुलिस मुख्यालय में आईजी का पीए रिश्वत लेते गिरफ्तार


भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कार्रवाई, मानवाधिकार विभाग में तैनात है आरोपी, जांच बदलवाने के बदले दस हजार रुपए लिए


जयपुर. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्पेशल जांच दल ने मंगलवार को मानवाधिकार, सीआईडी (सीबी) के आईजी एन. मोरिस बाबू के निजी सहायक राजेंद्र शर्मा को दस हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।


आईजी (एसीबी) उमेश मिश्रा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी राजेंद्र शर्मा दुर्गापुरा में शांति नगर का रहने वाला है। वह पुलिस हैडक्वार्टर में आईजी मोरिस बाबू का निजी सहायक है। उनके खिलाफ बीकानेर की रहने वाली विनोद राठौड़ ने शिकायत दर्ज कराई थी। राठौड़ ने आरोप लगाया था कि उन्होंने महिला पुलिस थाना बीकानेर में महिला अत्याचार से संबंधित केस दर्ज कराया था।


पुलिस के कार्रवाई नहीं करने पर विनोद ने मामले की जांच किसी अन्य जांच अधिकारी को स्थानांतरित करने के लिए एक लिखित पत्र पुलिस हैडक्वार्टर के मानवाधिकार विभाग में लगाया था। तब राजेंद्र शर्मा ने अन्य जांच अधिकारी को मामले की पत्रावली ट्रांसफर करने के आदेश करवाने की एवज में 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी।


शिकायत का सत्यापन होने पर एसीबी के एएसपी मनीष त्रिपाठी के नेतृत्व में टीम ने मंगलवार को राजेंद्र शर्मा को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो बहुमुखी प्रतिभा के धनि है उन्हें उनके जन्म दिन पर बधाई

व्‍यक्तिगत परिचय

अपनी सादगी और गांधीवादी मूल्‍यों के लिए पहचाने जाने वाले श्री अशोक गहलोत का जन्‍म 3 मई 1951 को जोधपुर राजस्‍थान में हुआ । स्‍व. श्री लक्ष्‍मण सिंह गहलोत के घर जन्‍मे श्री अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून में स्‍नातक डिग्री प्राप्‍त की तथा अर्थशास्‍त्र विषय लेकर स्‍नातकोत्‍तर डिग्री प्राप्‍त की। श्री गहलोत का विवाह 27 नवम्‍बर, 1977 को श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ हुआ। श्री गहलोत के एक पुत्र (वैभव गहलोत) और एक पुत्री (सोनिया गहलोत) हैं। श्री गहलोत को जादू तथा घूमना-फिरना पसन्‍द हैं। श्री गहलोत सच्‍चे धरती पुत्र हैं। उन्‍हें फिजूलखर्ची पसन्‍द नहीं है। वे लोगों की पीड़ा और दु:ख- दर्द जानने के लिए उनसे सीधी मुलाकात करते हैं।

राजनीतिक पृष्‍ठभूमि

विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय रहे श्री गहलोत 7वीं लोकसभा (1980-84) के लिए वर्ष 1980 में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। श्री गहलोत एक करिश्‍माई नेता हैं तथा उन्‍होंने जोधपुर संसदीय क्षेत्र का 8वीं लोकसभा (1984-1989), 10वीं लोकसभा (1991-96), 11वीं लोकसभा (1996-98) तथा 12वीं लोकसभा (1998-1999) में प्रतिनिधित्‍व किया।
सरदारपुरा (जोधपुर) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होने के बाद श्री गहलोत फरवरी, 1999 में 11वीं राजस्‍थान विधानसभा के सदस्‍य बने । प्रदेश की जनता में लोकप्रिय श्री गहलोत पुन: इसी विधानसभा क्षेत्र से 12वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए 04/12/2003 को निर्वाचित हुए तथा 13वीं राजस्‍थान विधानसभा के लिए 08/12/2008 को सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही पुन: निर्वाचित हुए ।

केन्‍द्रीय मंत्री

श्री गहलोत एक सच्‍चे राजनेता हैं जिन्‍होंने अपना ध्‍यान गरीबों के सर्वांगीण विकास पर केन्द्रित रखा। उन्‍होंने स्‍व. श्रीमती इन्दिरा गांधी, स्‍व. श्री राजीव गांधी तथा स्‍व. श्री पी.वी.नरसिम्‍हा राव के मंत्रीमण्‍डल में केन्‍द्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया । वे तीन बार केन्‍द्रीय मंत्री बने । जब स्‍व. श्रीमती इन्दिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं उस समय अशोक गहलोत 2 सितम्‍बर, 1982 से 7 फरवरी, 1984 की अवधि में श्रीमती इन्दिरा गांधी के मंत्रीमण्‍डल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उपमंत्री रहे । इसके बाद श्री गहलोत खेल उपमंत्री बनें । उन्‍होंने 7 फरवरी, 1984 से 31 अक्‍टूबर 1984 की अवधि में खेल मंत्रालय में कार्य किया तथा पुन: 12 नवम्‍बर, 1984 से 31 दिसम्‍बर, 1984 की अवधि में इसी मंत्रालय में कार्य किया । उनकी पारदर्शी कार्यशैली तथा प्रत्‍येक विषय-वस्‍तु को गहराई से जानने की लगन के कारण स्‍व. श्रीमती इन्दिरा गांधी और स्‍व. श्री राजीव गांधी जैसे नेता उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते थे । उनकी इस कार्यशैली को देखते हुए उन्‍हें केन्‍द्र सरकार में राज्‍य मंत्री बनाया गया । 31 दिसम्‍बर, 1984 से 26 सितम्‍बर, 1985 की अवधि में श्री गहलोत ने केन्‍द्रीय पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्‍य मंत्री के रूप में कार्य किया । इसके पश्‍चात् उन्‍हें केन्‍द्रीय कपड़ा राज्‍य मंत्री बनाया गया । यह मंत्रालय पूर्व प्रधानमंत्री के पास था तथा श्री गहलोत को इसका स्‍वतंत्र प्रभार दिया गया । श्री गहलोत इस मंत्रालय के 21 जून, 1991 से 18 जनवरी, 1993 तक मंत्री रहे ।

राजस्‍थान सरकार में मंत्री

जून, 1989 से नवम्‍बर, 1989 की अल्‍प अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्‍थान सरकार में गृह तथा जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियां‍त्रिकी विभाग के मंत्री रहे ।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी / कांग्रेस कार्यकारी कमेटी में भूमिका

जनवरी, 2004 से 16 जुलाई, 2004 तक श्री गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में विशेष आमन्त्रित सदस्‍य के रूप में कार्य किया और इस पद पर रहते हुए हिमाचल प्रदेश व छत्‍तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी के रूप में सफलता पूर्वक जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया। 17 जुलाई, 2004 से 18 फरवरी, 2009 तक श्री गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया इस दौरान श्री गहलोत ने उत्‍तरप्रदेश, दिल्‍ली, समस्‍त फ्रन्‍टल इकाईयों व सेवादल के प्रभारी के रूप में अपनी जिम्‍मेदारी का निर्वहन किया।
महात्‍मा गांधी के ऐतिहासिक ढाडी मार्च के 75 वर्ष पूरे होने पर कांग्रेस एवं महात्‍मा गांधी फाउण्‍डेशन की ओर से आयोजित ढाडी यात्रा के समन्‍वयक के रूप में कार्य करते हुए सफलता पूर्वक सम्‍पन्‍न कराया।

राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष के रूप में कार्यकाल

श्री गहलोत को 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्‍यक्ष रहने का गौरव प्राप्‍त हुआ है। पहली बार श्री गहलोत 34 वर्ष की युवा अवस्‍था में ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष बन गये थे । राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष के रूप में उनका पहला कार्यकाल सितम्‍बर, 1985 से जून, 1989 की अवधि के बीच में रहा । 1 दिसम्‍बर, 1994 से जून, 1997 तक द्वितीय बार व जून, 1997 से 14 अप्रैल, 1999 तक तृतीय बार वे पुन: राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष पद पर रहे ।
वर्ष 1973 से 1979 की अवधि के बीच श्री गहलोत राजस्‍थान NSUI के अध्‍यक्ष रहे और उन्‍होंने कांग्रेस पार्टी की इस यूथ विंग को मजबूती प्रदान की । श्री गहलोत वर्ष 1979 से 1982 के बीच जोधपुर शहर की जिला कांग्रेस कमेटी के अध्‍यक्ष रहे । इसके अलावा वर्ष 1982 में श्री गहलोत राजस्‍थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (इन्दिरा) के महासचिव भी रहे ।

सामाजिक पृष्‍ठभूमि

गरीबों और पिछड़े वर्ग की सेवा को तत्‍पर श्री गहलोत ने पश्चिम बंगाल के बंगांव और 24 परगना जिलों में वर्ष 1971 में बंग्‍लादेश युद्ध के दौरान आयोजित शरणार्थी शिविरों में काम किया । समाज सेवा में गहरी रूचि रखने वाले श्री गहलोत ने तरूण शान्ति सेना द्वारा सेवाग्राम, वर्धा, औरंगाबाद, इन्‍दौर तथा अनेक जगहों पर आयोजित शिविरों में सक्रिय रूप से कार्य किया तथा कच्‍ची बस्‍ती और झुग्‍गी क्षेत्रों के विकास के लिए अपनी सेवाएं दी । नेहरू युवा केन्‍द्र के माध्‍यम से उन्‍होंने प्रौढ शिक्षा के विस्‍तार में उन्‍होंने अपना महत्‍वपूर्ण योगदान दिया । श्री गहलोत सक्रिय रूप से कुमार साहित्‍य परिषद और राजीव गांधी मेमोरियल बुक-बैंक से जुड़े हुए है ।
श्री गहलोत भारत सेवा संस्‍थान के संस्‍थापक अध्‍यक्ष भी हैं । यह संस्‍थान समाज सेवा को समर्पित हैं तथा एम्‍बूलेन्‍स सेवा प्रदान करती है । इसके अलावा यह संस्‍थान राजीव गांधी मेमोरियल बुक बैंक के माध्‍यम से गरीब छात्रों के लिए नि:शुल्‍क पुस्‍तकें उपलब्‍ध करवाती है । संस्‍थान ने जोधपुर में राजीव गांधी सेवा सदन में एक वाचनालय भी स्‍थापित किया है ।
श्री गहलोत राजीव गांधी स्‍टडी सर्किल, नई दिल्‍ली के भी अध्‍यक्ष हैं । यह संस्‍था देशभर के विश्‍वविद्यालय/महाविद्यालय के छात्रों एवं शिक्षकों के हितों की देखभाल करती है ।

विदेश यात्रा

श्री गहलोत ने भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य के रूप में विदेशों में भी भारत का प्रतिलनिधिओ किया है । उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य के रूप में जनवरी, 1994 में चीन की यात्रा की । श्री गहलोत ने कॉमनवैल्थ यूथ अफेयर्स काउन्सिल के भारतीय प्रतिनिधिमण्डल के नेता के रूप में साइप्रस की यात्रा की । उन्होंने बुल्गारिया जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमण्डल का भी नेतृत्वत किया । श्री गहलोत ने बैंकॉक, आयरलैण्डह, फ्रेंकफर्ट, अमेरीका, कनाडा, हांगकांग, यूके, इटली तथा फ्रांस देशों की यात्रा की । मुख्यमंत्री राजस्थान, श्री गहलोत ने 5 कैबीनेट मंत्रियों व 5 अधिकारियों के प्रतिनिधिमण्डरल के साथ 1-5 जुलाई 2010 के दौरान यू. एस. ए. में अप्रवासी राजस्थानियों की ओर से आयोजित राना कोन्क्लेव में भाग लिया। उन्होने भारत वापसी के समय दिनांक 6-9 जुलाई 2010 के मध्य इंग्लैण्ड का अल्पावधि का दौरा किया। वहाँ इंग्लैण्ड में रह रहे राजस्थानियों से भेंट करी और उद्योगपति श्री एल. एन. मित्त्ल व श्री अनिल अग्रवाल से विचार विमर्श किया। इन यात्राओं से उन्हें अन्त‍रराष्ट्रीय सम्बन्धों तथा इन देशों के विकास कार्यों को जानने का अवसर मिला ।

सदस्‍यता

श्री अशोक गहलोत स्‍वयं को हमेशा जनता के धन ओर सम्‍पत्ति का ट्रस्‍टी मानते हैं । वर्ष 1980 से 1982 के बीच श्री गहलोत पब्लिक एकाउण्‍ट्स कमेटी (लोकसभा) के सदस्‍य रहे । श्री गहलोत संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति (10वीं लोकसभा) के सदस्‍य भी रह चुके हैं । उन्‍होंने रेल मंत्रालय की स्‍थाई समिति (10वीं और 11वीं लोकसभा) के सदस्‍य के रूप में कार्य किया । इसके अलावा श्री गहलोत विदेश मंत्रालय से सम्‍बद्ध सलाहकार समिति (11वीं लोकसभा) के सदस्‍य भी रहे हैं ।

मुख्‍यमंत्री राजस्‍थान

श्री अशोक गहलोत 01/12/1998 से 08/12/2003 तक राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री रहे । उनका यह कार्यकाल अन्‍य महत्‍वपूर्ण उपलब्धियों के अलावा अभूतपूर्व सूखा प्रबन्‍धन, विद्युत उत्‍पादन, संसाधनों का विकास, रोजगार सृजन, औद्योगिक और पर्यटन विकास, कुशल वित्‍तीय प्रबन्‍धन और सुशासन के लिए जाना जाता है ।
मुख्‍यमंत्री के रूप में श्री गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान राजस्‍थान में इस सदी का भयंकार अकाल पड़ा । उन्‍होंने अत्‍यन्‍त ही प्रभावी और कुशल ढ़ंग से अकाल प्रबन्‍धन का कार्य किया । उस समय अकाल प्रभावित लोगों के पास इतना अनाज पहुंचाया गया था जितना अनाज ये लोग शायद अपनी फसलों से भी प्राप्‍त नहीं कर सकते थे । प्रतिपक्ष भी खाद्यान्‍न और चारे की अनुपलब्‍धता के सम्‍बन्‍ध में सरकार की तरफ अंगुली तक नहीं उठा सके क्‍योंकि श्री गहलोत ने व्‍यक्तिगत रूप से अकाल राहत कार्यों की मॉनिटरिंग की थी । श्री गहलोत को गरीब की पीड़ा और उसके दु:ख दर्द की अनुभूति करने वाले राजनेता के रूप में जाना जाता है ।
उन्‍होंने 'पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ' का नारा दिया जिसे राज्‍य की जनता ने पूर्ण मनोयोग से अंगीकार किया ।
श्री अशोक गहलोत को 13 दिसम्‍बर, 2008 को दूसरी बार राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई ।

अपराधी जी की फरारी ..और अस्पताल में जेल की अभिरक्षा की अजब कहानी

हत्या के प्रभावशाली आरोपी की एक फरारी की दास्ताँ के कुछ लम्हे कुछ किस्से जो उसने सुनाए वोह आपके सामने पेश हैं जनाब कोटा में एक कत्ल हुआ उसमे एक प्रभावशाली व्यक्ति सहित तीन चार अन्य अभियुक्त थे ..अभियुक्तों की पुलिस को तलाश थी और वोह पुलिस से भागे भागे फिर रहे थे ..भगोड़े आरोपियों को एक आसरे की तलाश थी सो उसने अपने एक रिश्तेदार जहाँ एक अकेला लडका रहता था वोह घर तलाशा ...उसकी दिनचर्या ही अलग थी ..आरोपी लोग जब उस घर में पहुंचे तो वहां शाम को दस बजे बाद सुबह होती थी दो तीन दोस्त आ जाते और और फिर गपशप शुरू आधी रात को चाय पीने जाने की जिद ..एक दो दिन में ही जनाब अपराधी लोग परेशान हो गए और फिर उन्होंने अपने एक मित्र के यहाँ गाँव जाने की ठानी ..वहां पहले से ही पुरे गाँव में जहां वोह जाना चाहते थे उस घर के एक नोजवान जो हनुमान भक्त था एलान कर दिया के अ इस गाँव में किसी में भी हिम्मत है तो उसे टकरा कर बताएं ..क्योंकि उनके यहाँ कोटा के उस्ताद आ रहे हैं जिन्होंने कत्ल किये है ..यह अपराधी जी जेसे ही गाँव पहुंचे उनके मित्र सरपंच ने कहा के भाई यहाँ तो पहले से ही आपके बारे में एलान हो चूका है कब चक्कर में आ जाओ कुछ कह नहीं सकते .खेर फरारी के इस सिलसिले के बाद उन्हें जेल जाना पढ़ा ..प्रभावशाली आरोपी जी जेल नहीं रहना चाहते थे इसलिए उन्होंने खुद को बीमार बताया और रसुकात के आधार पर अस्पताल में भरती हो गए ..करीब दो माह तक एक हष्ट पुष्ट अपराधी जी बीमार बन कर अस्पताल में मज़े करते रहे अचानक अस्पताल में बीमार मुलजिमों की जाँच के लियें छापा पढ़ा जो बीमारी उन्हें बताई गयी थी नहीं निकली अपराधी जी को डिस्चार्ज कर जेल में भेजने के तय्यारी की जाने लगी ..अपराधी जी ने फिर रसुकात भिडाये ..उन्हें एक नेता जी ने पागलों के डॉक्टर से मिलाया डोक्टर ने पर्चा बनाया और उन्हें पागलों के वार्ड में जाने के लियें कहा डोक्टर साहब के कोई रिश्तेदार के यहाँ शादी थी इसलियें उन्होंने कहा के यह दवा मत लेना और सीधे वार्ड में जाकर नर्स से मेरी बात करा देना ...बस अपराधी जी वार्ड में गए नर्स जी को पर्चा दिया नर्स जी ने अपराधी जी को देखा और पलंग पर लेटने को कहा अपराधी जी पलंग पर लेट गए पुलिस वाले भी साथ थे ..इसी बीच दवा और इंजक्शन का वक्त हुआ अपराधी जी के इंजक्शन लगाने नर्स जी आ गयीं ..अपराधी जी ने कहा के में पागल नहीं हूँ .डोक्टर साहब से बात कर लो लेकिन नर्स ने कहा के यहाँ तो जो आता है यही कहता है और उनके पीछे इंजक्शन लगाने के लियें पढ़ गयी अपराधी जी भागने की कोशिश करने लागे तो दो तीन लोगों को बुला कर उन्हें पकड़वाया और इंजेक्शन लगाने के लियें नर्स जेसे ही तय्यार हुई अपराधी जी पूरी ताकत से प्रतिकार कर भागे और बाहर चले गए ...खेर नर्स की डियूटी खत्म हुई दूसरी नर्स की डियूटी आई अपराधी जी ने उनसे सेटिंग की और फिर पागलों के वार्ड में भर्ती हो गए .इसी बीच एक पहलवान पागल जी उस वार्ड में आये और सभी को खुद को दादा बताकर मार पिटाई करने लागे ..पहलवान पागल के जब इंजक्शन लगाने का नम्बर आया तो उसने सभी को मारपिटाई और तेज़ी से करना शुरू कर दिया ..आखिर अपराधी जी को नरसिंह स्टाफ ने याद किया अपराधी जी ने पहलवान पागल मरीज़ को पटाया उनसे बातें की और कहा के उस्ताद आप तो पहलवान हो सबसे बढ़े दादा हो लेकिन बस एक सुई से डरते हो इससे सभी को आपकी मर्दानगी पर शक होता है पहले तो पहलवान पागल जी अपराधी जी पर गुर्राए फिर कहा के कोन कहता है के में सुई से डरता हूँ नर्स को बुलाया और हाथ आगे कर कहा लो सुई लगा दो में इस छोटी सुई से क्यूँ डरुंगा नर्स ने डरते डरते सुई लगाई और पहलवान जी बेहोश ...इसी बीच अपराधी जी की जमानत का आदेश आ गया और वोह जमानत पर आज़ाद हो गए लेकिन फरारी से लेकर जेल और अभिरक्षा अस्पताल का यह किस्सा उनके लियें यादगार बन गया जो उन्होंने हमे सुनाया और हमने आपको वेसे के वेसे ही परोस दिया है ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...