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03 मई 2012

उग्र नृसिंह ने सिखाया कैसे बुरों से दबे नहीं, दबोच दें! पढ़ें रोचक किस्सा..

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व्यक्ति या व्यवस्था में पैदा हुई दु:खदायी बुराईयों और दोषों का अंत करने के लिए निर्भय होकर ऐसी असाधारण कोशिशों और विचारों की जरूरत होती हैं, जो पवित्र और परोपकार की भावना से भरे हों। जिनको सही वक्त और मौके को चुनने और भुनाने से सफल व संभव बनाया जा सकता है। किंतु इस दौरान पैदा संघर्ष और कठिनाईयों से जूझने का मजबूत जज्बा भी सफलता के लिए सबसे अहम होता है।

ऐसे ही जीवन सूत्रों से भरा है भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार का प्रसंग। जिसका शुभ काल वैशाख शुक्ल चतुर्दशी (4 मई) को माना जाता है। पढ़ें और भगवान नृसिंह की उग्रता से सीख लें कि कैसे बुराई पर चढ़ाई कर जीवन में सुखद बदलाव लाएं -

जब भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर राक्षस हिरण्याक्ष का संहार किया, तो उसका भाई हिरण्यकशिपु उनका शत्रु बन गया। उसने घोर तप से ब्रह्मदेव से अमर होने का यह वरदान पाया कि वह न दिन में, न रात में, न मनुष्य से, न पशु से, न शस्त्र से न अस्त्र से, न घर में न बाहर, न जमीन पर न आसमान में और न भगवान विष्णु के हाथों मृत्यु को प्राप्त होगा।

अमरत्व के वरदान से अहंकार में चूर हिरण्यकशिपु ने इंद्र समेत सभी देवताओं पर हमला बोला। पूरी प्रजा को मात्र उसकी भक्ति और पूजा करने के लिए सताया। किंतु स्वयं हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रहलाद ही भगवान विष्णु का परम भक्त था।

हिरण्यकशिपु ने उसको भी विष्णु भक्ति से रोकने के लिए अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर जलाने, हाथी के पैर से कुचलने, पहाड़ से फेंककर मारने, तेल के कड़ाव में बैठाने जैसे यातनाएं दी। किंतु विष्णु भक्ति पर अडिग प्रहलाद विष्णु कृपा से बचा गया।

विष्णु भक्ति का ऐसा असर देख हिरण्युकशिपु ने आपा खो दिया। तब अंत में जब उसने प्रहलाद को एक गर्म लोहे के खंबे पर बांधने का आदेश दिया। तब भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद के प्राणों की रक्षा, भक्ति का मान रखने और हिरण्यकशिपु की यातना से जगत को छुटकारा देने के लिए वही खंबा फाड़कर आधे नर व आधे सिंह के उग्र रूप नृसिंह अवतार में प्रकट हो दुष्ट हिरण्यकशिपु का पेट अपने नाखूनों से चीरकर उसका अंत कर दिया।

हिरण्यकशिपु के वध के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार के लिए ऐसा समय, रूप और तरीका चुना, जो हिरण्युकशिपु के वरदान की सारी बातों की काट करता हो। भगवान नृसिंह अवतार, जो आधा मानव और आधा सिंह का रूप था, लेकर गोधुलि बेला में प्रकट हुए। उन्होंने हिरण्यकशिपु को दरवाजे की दहलीज पर बैठकर उसे अपनी जंघा पर रखा और अपने नाखूनों से चीर संहार किया।

इस प्रकार जब हिरण्यकशिपु का अंत हुआ तब वह घर में था, न घर के बाहर, न जमीन पर था, न आसमान पर, वह न अस्त्र से मरा न शस्त्र से, न दिन में मरा, न रात में। इन सबसें रोचक एक ओर बात है कि भगवान विष्णु ने हिरण्यकशिपु के लिए उस काल को चुना जो बारह मासों से अलग था, वह था भगवान विष्णु का प्रिय मास पुरुषोत्तम मास, जो हिरण्युकशिप जैसे दुष्ट के विचारों से भी बाहर था।

12 दिनों बाद रिहा हुए कलेक्टर


रायपुर. अगवा होने के 12 दिनों बाद छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के जिलाधिकारी एलेक्स पॉल मेनन को रिहा कर दिया। इस तरह की खबरें आ रही हैं कि मेनन को अगवा करने वाले नक्सलियों ने उन्हें वार्ताकार बीडी शर्मा और प्रोफेसर जी हरगोपाल को सौंप दिया है। लेकिन इस खबर की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है।

इससे पहले बीडी शर्मा और प्रोफेसर जी हरगोपाल रायपुर से ताड़मेटला के लिए हेलीकॉप्टर से रवाना हुए। दोनों सुकमा जिले के चिंतलनार गांव तक हेलीकॉप्टर से पहुंचे और इसके बाद दोनों जंगल के अंदर सड़क मार्ग से प्रवेश कर गए। अंदाज लगाया जा रहा है कि कलेक्टर को ताड़मेटला गांव के ही किसी घर में रखा गया था। कलेक्टर को ताड़मेटला के जंगल से बाहर लाने के लिए के बिना नंबर की सफेद बोलेरो जीप का इंतजाम किया गया था। ताड़मेटला और चिंतलनार के बीच की दूरी 10 किलोमीटर बताई जा रही है। चिंतलनार पहुंचने के बाद कलेक्टर को हेलीकॉप्टर से लेकर जाने की योजना है। यह साफ नहीं है कि पाल को पहले सुकमा ले जाएगा या नहीं। पॉल की पत्नी इस समय सुकमा में है। नक्सलियों ने दोनों के साथ जंगल के भीतर घुसने की कोशिश कर रहे मीडिया कर्मियों को वापस भेज दिया और उनसे कलेक्टर की रिहाई का इंतजार करने कहा। नक्सलियों ने डीएम को रिहा करने के लिए शर्मा और हरगोपाल के नाम छत्तीसगढ़ सरकार को सुझाए थे।

छत्तीसगढ़ सरकार ने मेनन की रिहाई के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। नक्सलियों की कैद से छूटने के बाद अब मेनन का मेडिकल टेस्ट किया जाएगा। सरकार ने सुकमा, दंतेवाड़ा, जगदलपुर के अलावा रायपुर के स्वास्थ्य अधिकारियों को तैयार रहने को कहा है। चूंकि, मेनन दमा के मरीज हैं, इसलिए चिंतलनार में एक एंबुलेंस को तैनात किया गया है।

गौरतलब है कि नक्सलियों और सरकार के बीच मेनन की सुरक्षित वापसी के लिए समझौता 30 अप्रैल को चौथे दौर की बातचीत में हुआ था। समझौते के तहत सरकार मेनन की रिहाई के बाद एक घंटे के भीतर निर्मला बुच की अध्यक्षता में उच्च अधिकार प्राप्त समिति का गठन करेगी, जो छत्तीसगढ़ की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों के मामलों की समीक्षा करेगी। इसमें वे मामले भी शामिल होंगे जिनकी मांग नक्सलियों ने की है। नक्सलियों और सरकार के बीच मेनन की रिहाई के लिए बीडी शर्मा, प्रोफेसर जी हरगोपाल, मनीष और निर्मला बुच ने मध्यस्थता की थी। एलेक्स पॉल मेनन को 21 अप्रैल को हथियारबंद नक्सलियों ने तब अगवा कर लिया था जब वे सुकमा जिले के एक गांव के दौरे पर थे।

हजारों साल पुराना रहस्य, पूजा ख़त्म होते ही बरसती है 'आग'



मैंगलोर। कर्नाटक के मैंगलोर में देवी को खुश करने के लिए जलती मशालों से जंग लड़ने की एक अजीबोगरीब परंपरा निभाई जाती है। मैंगलोर के कटील में मौजूद प्रसिद्ध दुर्गा परमेश्वरी मंदिर में आस्था के नाम पर आग से खेलने का दिल दहला देने वाला खेल खेला जाता है। यहां आठ दिनों तक यह सालाना उत्सव चलता है।

इलाके के लोगों के मुताबिक ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। "अग्नि केलि" नाम का ये खेल दो गांव के लोगों के बीच खेला जाता है। सबसे पहले देवी की शोभा यात्रा निकाली जाती है इसके बाद पास ही में बने तालाब में डुबकी लगाने के बाद दो गांव आतुर और कलत्तुर के लोग दो गुटों में बंट जाते हैं और अपने अपने हाथों में नारियल की छाल से बनी मशाल लेकर एक दूसरे के विरोध में खड़े हो जाते हैं।

मशालों को जलाया जाता है और फिर शुरू हो जाता है जलती मशालों को एक-दूसरे पर फेंकने का खेल। ये खतरनाक खेल करीब 15 मिनट तक खेला जाता है। इस दौरान एक शख्स को सिर्फ पांच बार जलती मशाल फेंकने की इजाजत होती है।

इसके बाद वो इस मशाल को बुझाकर वहां से हट जाता है लेकिन आस्था के नाम पर इस खतरनाक खेल से कितना नुकसान हो सकता है इसकी चिंता ना तो प्रशासन को है और ना ही इस खेल में हिस्सा लेने वालों को।

मंदिर के पुजारी का कहना है क‍ि यह परंपरा सदियों पुरानी है, और सिर्फ कोदेथुर और अथूर गाव के लोग इसमें शामिल होते है। इस भयानक अग्नि खेल के पीछे दुर्गा जी को प्रसन्‍न करने का तर्क दिया जाता है्। इसमें वहीं आदमी भाग लेते है जो आर्थिक या शारीरिक किसी परेशानी में होते है। यह अग्नि उत्‍सव आठ दिनों तक चलता है। इस दौरान यहां पर मांस और मदिरा का सेवन एकदम बंद हो जाता है।

भारतीय इलाके में मिला लादेन का शव?



नई दिल्ली. क्या अमेरिका ने दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मारकर भारत के इलाके में फेंका था? यह सवाल तब खड़ा हुआ जब एक अमेरिकी व्यक्ति ने दावा किया कि लादेन का शव भारतीय शहर सूरत से करीब 200 मील (321 किलोमीटर) पश्चिम में समंदर में फेंका था। खजाना खोजने का तजुर्बा रखने वाले वॉरेन अब तक 200 अभियान कामयाबी से पूरा कर चुके हैं। बिल वॉरेन नाम के इस शख्स के दावे के मुताबिक समंदर में जिस जगह ओसामा के शव को दफनाया गया है, वह इलाका (भारत की पश्चिमी सीमा मुख्य भूमि से करीब 22 किलोमीटर दूर समंदर तक है। इसके बाद समंदर में करीब 370 किलोमीटर तक ईईजेड क्षेत्र है, जिसके तहत आने वाले संसाधनों पर भारत का अधिकार है) भारत के तहत आता है।

स्पैनिश अख़बार 'एल मुंडो' में वॉरेन के हवाले से छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी नेवी कमांडरों द्वारा समुद्र में दफनाए जाने के बाद एक डिब्बे में बंद यह लाश अपनी जगह पर ही कायम है। वॉरेन का यह भी कहना है कि यह जानकारी सिर्फ उसके पास है। वॉरेन पिछले साल जून से ओसामा के शव की तलाश में जुटे हुए हैं। वॉरेन का कहना है कि हाल ही में अमेरिकी नौसेना ने जब ओसामा को दफनाए जाने की तस्वीरें जारी कीं तो उन्हें उस जगह का अंदाजा लगा जहां ओसामा के शव को समंदर में दफनाया गया।

वॉरेन 1 जून से समंदर में जाकर ओसामा के शव को बाहर लाने के अभियान पर जुटेंगे। इसके लिए उन्हें प्रायोजक की तलाश है क्योंकि इस खोजी अभियान में करीब एक करोड़ रुपये का खर्च आएगा। वॉरेन ने रूस से किराए पर कुछ खोजी उपकरण लिए हैं, जिनके सहारे वे अपना अभियान चला रहे हैं।

वॉरेन के मुताबिक ओसामा के शव को समुद्र से निकाले जाने के बाद वे उसका डीएनए परीक्षण कराएंगे ताकि इस बात की पुष्टि की जा सके कि वह ओसामा का ही शव है। एक अमेरिकी अखबार से बातचीत में वॉरेन ने कहा कि वह ओसामा के शव को इसलिए समंदर से निकालना चाहते हैं क्योंकि वे दुनिया के सामने 'सच' लाना चाहते हैं। वॉरेन का कहना है कि चूंकि वह एक देशभक्त हैं, इसलिए ऐसा कर रहे हैं।

मुझे जला दो तो भी नहीं बदलूंगा बयान: रामदेव



दुर्ग/नई दिल्ली. योग गुरु बाबा रामदेव सांसदों को लेकर दिए गए अपने बयान पर कायम हैं। बाबा रामदेव ने इस मुद्दे पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए लालू प्रसाद यादव पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, ‘जो लोग बाबा को गालियां दे रहे हैं, उन्हें उनके घर में गालियां मिल रही हैं।’ उन्होंने कहा, ‘जो मैं कह रहा हूं वह चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है। तब किसी ने हंगामा नहीं किया। 182 सांसद चुनाव आयोग में हलफनामा दायर कर स्वीकार कर चुके हैं कि उन पर गंभीर मामले दर्ज हैं।’

एक सवाल के जवाब में स्वामी रामदेव ने कहा, ‘लोग मेरे बयान के लिए चाहे मेरा पुतला जलाएं या मुझे ही जला दें, मैं अपनी बात पर कायम हूं।’ लालू ने बुधवार को कहा था कि बाबा ‘मेंटल’ हो गए हैं। लेकिन जब स्वामी रामदेव के बयान पर लालू की पत्नी राबड़ी देवी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘बाबा ने क्या गलत कहा है। उन्होंने किसी एक नेता का नाम तो नहीं लिया है।’
गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव ने बाबा के उस बयान पर ऐतराज जताया था, जिसमें योग गुरु ने मंगलवार को भिलाई में कहा था, ‘संसद में लुटेरे, हत्यारे व जाहिल बैठे हैं। सत्ता की कुर्सी पर इंसान की शक्ल में हैवान हैं। हमने उन्हें कुर्सी पर बैठाया है। लेकिन वो सत्ता चलाने की पात्रता नहीं रखते। वे लोग किसानों और मजदूरों से हमदर्दी नहीं रखते। वे देश इसलिए चला रहे, क्योंकि हमने ऐसा ही सिस्टम बनाया है। हमने मान लिया है कि 543 रोगी हिंदुस्तान चलाएंगे। हालांकि उनमें कुछ अच्छे भी हैं। हमें संसद को बचाना होगा।’
मंगलवार को दुर्ग से काले धन के खिलाफ राष्ट्रीय स्वाभिमान यात्रा का तीसरा चरण शुरू करते हुए पहले ही दिन बाबा रामदेव ने विवादित बयान दिया। इस बीच, अन्ना ने भी बाबा रामदेव के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि सांसदों की सच्चाई सामने आने लगी हैं।
लेकिन बाबा के बयान पर बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार समेत ज़्यादातर दलों के नेताओं ने संसद और उससे बाहर तीखा ऐतराज जाहिर किया। मीरा कुमार ने कहा कि ‘संविधान ने संसद और सांसदों को कुछ जिम्मेदारी और गरिमा सौंपी हैं। हम सबको इसका मान रखना होगा।’ सपा सांसद शैलेंद्र कुमार ने बाबा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि सांसदों को चोर, ठग, बलात्कारी और हत्यारा कहा जा रहा है। सभी दलों ने उनका समर्थन किया। संसद के विशेषाधिकार कानून के तहत रामदेव के खिलाफ नोटिस जारी हो सकता है। फैसला लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को करना है। सदन रामदेव के जवाब से संतुष्ट हुआ तो कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में कार्रवाई की भी अनुशंसा हो सकती है।
विरोध में सांसद


संविधान सबसे ऊपर है। उसने संसद और सांसदों को कुछ जिम्मेदारी और गरिमा सौंपी हैं। हम सबको इसका मान रखना होगा। मीरा कुमार, लोकसभा अध्यक्ष
सांसदों का चरित्र हनन करना सही नहीं है। सांसद को 15 लाख लोगों का विश्वास हासिल होता है। जगदंबिका पाल, कांग्रेस सांसद
संसद और सांसदों का अपमान करना फैशन होता जा रहा है। होड़ इस बात की लगी है कि यह काम कौन अधिक करता है। यशवंत सिन्हा, भाजपा नेता
रामदेव मेंटल केस हो गए हैं। ये सब के सब फ्रस्ट्रेटेड लोग हैं। इनके बोलने से कुछ नहीं होगा। लालू यादव, राजद नेता
रामदेव ठीक कह रहे हैं। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है। राबड़ी देवी, लालू की पत्नी

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