आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

07 मई 2012

छोटे-छोटे घरेलू टिप्स: आधा सिरदर्द है तो इन्हें ट्राय

Email Print Comment



- अंगूर का रस एक कप रोज सुबह सूर्य निकलने से पहले पीने से आधे सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

- सिर का दर्द सूर्य उदय के साथ घटता-बढ़ता हो तो सूर्योदय के पहले गर्म दूध के साथ जलेबी या रबड़ी खाएं।

- आधा चम्मच नमक, आधा चम्मच शहद में मिलाकर खाएं लाभ होगा।

- नाक में 8 बूंद सरसों का तेल डालकर सूंघने से आधे सिर का दर्द शीघ्र बंद हो जाता है।

- आधे सिर का दर्द सूर्य के साथ घटे-बढ़े तो 12 ग्राम गुड़ को 6 ग्राम देशी घी के साथ खाएं।

- 12 ग्राम कालीमिर्च चबा कर खाएं ऊपर से देशी घी पीएं।

- तुलसी के पत्तों का रस और शहद के साथ सुबह चाटने से लाभ होगा।

बिहार-उड़ीसा से लाकर हर साल बेचीं जा रही हैं15 हजार बालिकाएं!




कोटा.अभिनेता आमिर खान द्वारा निर्मित शो सत्यमेव जयते में कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में राजस्थान की चिंताजनक स्थिति दिखाए जाने के पर महापौर डॉ. रत्ना जैन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। जिसमें कन्या भ्रूण में लिप्त डाक्टरों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन का आग्रह किया है। सीएम को पत्र लिखने की बात रविवार को ही अभिनेता आमिर खान ने की थी।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय सुपरवाइजरी बोर्ड की सदस्य होने के नाते महापौर डॉ. जैन ने यह पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने लिखा कि सत्यमेव जयते ने समाज की सबसे बड़ी कुरीति कन्या भ्रूण हत्या पर प्रहार करते हुए जन सामान्य को इसके खिलाफ आंदोलित करने का प्रयास किया है। बिहार व उड़ीसा से लाकर अलवर जिले में प्रतिवर्ष 15 हजार बालिकाओं व महिलाओं को बेचा जा रहा है।

महापौर ने सुझाव दिया कि कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए यदि स्टिंग आपरेशन तथा समय-समय पर कन्या भ्रूण हत्या के दर्ज होने वाले मामलों का त्वरित निस्तारण हो। इसके लिए एक विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की जाए। कोर्ट की सुनवाई के दौरान गवाहों को सुरक्षा प्रदान की जाए। मानव तस्करी के खिलाफ कठोर कदम उठाकर पीड़ित महिलाओं का पुनर्वास किया जाए।

कुरान का संदेश

देश में कोई भी मुस्लिम सांसद ..विधायक ...आयोगों का अध्यक्ष अगर ऐसा मिले जिसने मुसलमानों की समस्याओं पर सरकार से तकरार की हो तो बताना जरुर

लोग कहते है के हमारे देश में मुसलमानों की तुष्टिकरण की राजनीति चल रही है लेकिन में कहता हूँ के य्हना कोई राजनीती नहीं चल रही बलके मुसलमानों के साथ राजनीति की जा रही है वोह भी इस बढ़े पैमाने पर जिससे मुसलमान दिन बा दिन बर्बादी..नफरत और फिरकों में बंट कर बर्बाद होने के कगार पर है ...कहते है के मुसलमान नेता कुल्हाड़ी की वोह लकड़ी है जो अकेली रहे तो कोई कीमत नहीं कुल्हाड़ी भी खाली रहे तो कोई ताकत नहीं लेकिन इसी कुल्हाड़ी में अगर लकड़ी लगा दी जाये तो फिर बस यह कुल्हाड़ी पेड़ों पर यानी खुद अपनी ही ज़ात की लकड़ियों पर काल बनकर टूट पढती है ...कल एक टी वी प्रोग्राम के तहत अधूरे ख़्वाब कार्यक्रम आ रहा था राजस्थान के विधायक अमरा राम भी उसमे शामिल थे बाक़ी सरकारी मुसलमान तो थे ही सही ....अमरा राम ने अपने लगातार विधानसभा कार्यकाल में जो कुछ नजदीक से देखा उसे कल इस कार्यक्रम में उगल दिया और काफी हद तक सही और सटीक भी था उनका कहना था के राजस्थान विधानसभा ही नहीं पुरे देश में एक भी ऐसा मुसलमान किसी भी पार्टी में नेता बता दो जिसने संसद में या फिर विधानसभाओं में मुसलमानों के हक की कोई बात उठाई हो ...अमराराम की बात सीधे मुसलमानों के दिल पर लगी है क्योंकि उन्होंने ऐसा कडवा सच कहा है जिसे हमारे मुसलमान लीडरों जो चाहे भाजपा में हो चाहे कोंग्रेस में हो चाहे किसी भी दल या दल दल में हो कोमरेड हो लीगी हों किसी ने भी संसद में या फिर विधानसभा में मुसलमानों के फायदे वाली या फिर उनके साथ हुए अत्याचार में उन्हें इंसाफ दिलाने वाली बात नहीं उठाई है ..मेने भी नज़र दोडाई मुझे जो दिखा वोह सरकारी मुसलमान दिखा जब भी मुसलमानों की आवाज़ उठाई या तो किसी सेक्युलर हिन्दू भाई ने उठाई या फिर गेर्स्रकारी मुसलमान यानि आज़ाद मुसलमान ने उठाई ..लेकिन अगर कोई आज़ाद मुसलमान बनकर सरकार के खिलाफ सरकार की नीतियों के खिलाफ मुसलमानों को उनका हक दिलाने के मामले में बोलता है तो वोह या तो किसी न किसी मामले में प्रतिबंधित सन्गठन का बता कर धर लिया जाता है या फिर मुकदमों में फंसा दिया जाता है और नहीं तो लालच देकर उसे खरीद कर उसके गले में पट्टा ऐसा डाला जाता है के जिसका पट्टा होता है उसी के इशारे पर उसे भोंकना पढता है ..काटना पढ़ता है ..यह तस्वीर किसी एक राज्य की नहीं पुरे देश की है सरकारों ने कागजों में मुसलमानों को हक दिए है सहूलियतें दी है लेकिन सरकारी मुसलमान तो भांड बनकर सरकार की तारीफ़ करते फिरते है और जो लोग सरकार से झूंठे आंकड़ों का हिसाब मांगते है मुसलमानों के लियें दी गयी राशी के लेप्स होने का कारण पूछते है थानों में अधिकतम मुकदमे मुसलमानों के खिलाफ दर्ज होने का कारण पूंछते है तो उनेह घर बिठा दिया जाता है ....मुझे तो याद नहीं है लेकिन आप खुद ही बताइए के जब सच्चर की रिपोर्ट कई साल पहले आ गयी ..जब रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट कई बरस पहले आ गयी जब मुसलमानों को आरक्षण देने की रिपोर्ट २००७ में आ गयी थी तो अब तक किसी भी कोंग्रेस ..भाजपा या फिर दूसरी पार्टी के किसी भी मुस्लिम सांसद ने लोकसभा या राज्यसभा में इस बात को क्यूँ नहीं उठाई वहां पहले कभी आग उगलने वाले मोलाना ओबेदुल्ला आज़मी भी है तो भाजपा के प्रवक्ता शाहनवाज़ ..नकवी भी है कोंग्रेस के अहमद पटेल भी है तो रशीद अल्वी भी है दूसरी पार्टियों के तो ना जाने कितने लोग है लेकिन इन सभी सरकारी मुसलमानों की आवाज़ गले में अटक जाती है इन्हें तो बस जब मुसलमान सरकार से नाराज़ होता है तो डेमेज कंट्रोल के लियें इस्तेमाल किया जाता है राजस्थान में एक गोपालगढ़ हुआ ना जाने कितने मोलाना कितने नेताओं के भाग खुल गए और आज वोह मंत्री दर्जा लेकर बेठे है .....आप देखिये देश में अल्पसंख्यक आयोग है ..राजस्थान में अल्पसंख्यक आयोग है और इन आयोगों को संवेधानिक अधिकार है लेकिन आज तक किसी भी आयोग ने किसी कलेक्टर ..किसी एस पी ..किसी मंत्री या अधिकारी को सम्मान भेजकर आयोग में पेश होने के लियें मजबूर नहीं किया है जबकि चारों तरफ चाहे वक्फ की मुसीबत हो ..चाहे अल्पसंख्यक मामलात की समस्या हो चाहे ..शिक्षा की समस्या हो ..चाहे साम्प्रदायिक दंगों की समस्या हो किसी भी मुद्दे पर राजस्थान और देश के अल्पसंख्यक आयोग ने आवाज़ नहीं उठाई है राजस्थान में पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रम की समितिया अब तक नहीं बनाई गयी है ....हज कमेटी नहीं बनाई गयी है ..आयोग और मदरसा बोर्ड के सदस्य नियुक्त नहीं किये है ..पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रम की स्थिति यह है के कोटा के इंचार्ज राज्यसभा सदस्य अश्क अली टाक को बनाया गया है लेकिन दो वर्षों में उन्होंने कोटा आकर झांक कर भी नहीं देखा है ...कुल मिला कर एक कडवा सच यह है के देश के मुसलमानों का कोई नेता ऐसा नहीं है जो निष्पक्ष और निर्भीक होकर मुसलमानों की आवाज़ उठा सके .......अगर किसी ने आवाज़ भी उठाई तो वोह सेक्युलर हिन्दू भाई ही मिलेगा यहाँ तो मुस्लिम नेता तो खुद मुसलमानों की समस्याओं पर राजनीति कर पदलोलुपता की राजनीति में लागे है हमारे देश में हमारे राजस्थान में हमारे शहर में में सेकड़ों ऐसे लोगों को जानता हूँ जो क्या हुक्म है मेरे आका वाले मुसलमान नेता है ..और आप भी ऐसे सेकड़ों सांसदों और विधायकों के अलावा आयोगों के मुस्लिम अध्यक्षों को जानते होंगे जिनके लिए मुस्लिम समस्या कोई समस्या नहीं बस क्या हुक्म है मेरे आका के सिद्धांत पर ही वोह चलते है ऐसे में तो भाई मुसलमानों का जब करोड़ों ही नहीं अरबों रूपये का बजट वापस बिना इस्तेमाल के लोटाया जाता है या फिर रंगनाथ मिश्र .सच्चर ..वेकत्चेलाय्या...काका केलकर ..गोपालन की रिपोर्टों को जब कचरे में डाला जाता है तब यही कहा जाता है के कुछ बात है के हस्ती मिटटी नहीं हमारी वरना बरसों से दुश्मन रहा है दोरे जहाँ हमारा ..और एक ही बत मुह से निकलती है के मुसलामनों का तो अल्लाह ही मालिक है ..क्योंकि कागजों में तो मुसलमानों के लिये काफी लुभावनी मीठी घोषणाएं है लेकिन धरातल पर कुछ दिखाई नहीं देती है...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वसुंधरा के बागी तेवर बरकरार, ठुकराया आलाकमान का फरमान


जयपुर/नई दिल्ली. राजस्थान बीजेपी में जारी उठा पटक के बीच पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया के बागी तेवर बरकरार हैं। वसुंधरा और उनके समर्थकों ने अब नई मांगें रखते हुए पार्टी आलाकमान की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। पार्टी आलाकमान ने बातचीत के लिए वसुंधरा राजे को दिल्ली बुलाया था लेकिन खबर है कि पूर्व सीएम ने आलाकमान के आदेश का पालन करने से इनकार किया है। वहीं, प्रदेश संगठन में फेरबदल किए जाने की मांग करते हुए वसुंधरा समर्थकों ने कहा है कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी और पार्टी के प्रदेश प्रभारी कप्तान सिंह सोलंकी को हटाया जाए।


गौरतलब है कि चतुर्वेदी का कार्यकाल जुलाई में पूरा हो रहा है लेकिन वसुंधरा के समर्थक इस बात पर अड़े हैं कि वसुंधरा को अगला मुख्यमंत्री घोषित किया जाए और डेढ़ साल बाद होने वाला अगला चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाए।

राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी सोमवार को मुंबई से दिल्ली आएंगे। इस दौरान वे वरिष्ठ नेताओं के साथ इस प्रकरण पर चर्चा कर सकते हैं। पार्टी के बड़े नेताओं को उम्मीद है कि अगले 2-3 दिन में मामला सुलझ जाएगा। मुंबई में 24 से 26 मई तक राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक होनी है। इसमें राज्यों के मुद्दों पर चर्चा होगी।

दो पाकिस्तानी सैनिकों के सिर काट कर खंभे पर टांगे



| Email

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में कबायली क्षेत्न उत्तर वजीरिस्तान में तालिबानी आतंकवादियों ने आज दो पाकिस्तानी सैनिकों का सिर कलम करके उन्हें लकड़ी के खंभो पर टांग दिया।
पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने यहां संवाददाताओं को बताया कि आतंकवादियों ने सैनिकों के सिर काटकर लकडी के खंभो पर टांग दिये थे। पाकिस्तानी तालिबान के एक कमांडर ने दावा किया कि सुरक्षा बलों द्वारा कल रात मीरानशाह में आतंकवादियों के खिलाफ छेड़े गए अभियान के दौरान इन सैनिकों को अगवा कर लिया गया।
मीरानशाह में आतंकवादियों के साथ संघर्ष में नौ जवानों और कम से कम तीन आतंकवादियों के मारे जाने के बाद यह अभियान छेड़ा गया था। आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों के काफिले पर घात लगाकर हमला कर दिया जिसके बाद जवानों ने जवाबी कार्रवाई की। दोनों पक्षों के बीच संघर्ष में नौ जवान और कम से कम तीन आतंकवादी मारे गए।
अमेरिकी और अफगान अधिकारियों का मानना है कि अफगानिस्तान से सटा उत्तर वजीरिस्तान अल कायदा और तालिबानी आतंकवादियों का गढ है। ये आतंकवादी अफगानिस्तान में तैनात विदेशी सैनिकों पर आये दिन घातक हमले करते रहते हैं।

देश की पार्टियाँ नहीं सुधरीं तो हालात अभी और बाद से बदतर होंगे ....चम्पी करने वाले सरकार चलाएंगे और समर्पित लोग ऐसे ही ठेला चलाएंगे

राजस्थान की दो बढ़ी राजनितिक पार्टियाँ इन दिनों सदमे है दोनों पार्टियों कोंग्रेस और भाजपा में घमासान है .....कोंग्रेस सत्ता में है तो भाजपा सत्ता में आने का सपना देख रही है लेकिन दोनों पार्टियों में स्वंभू नेताओं की पराकाष्ठा हो गयी है ...पार्टियों में अनुशासन खत्म है और हर नेता खुद को पार्टी से बढ़ा साबित करने में लगा है नतीजा पार्टियों का आन्तरिक लोकतंत्र तो खत्म है लेकिन सत्ता पक्ष की पार्टी कोंग्रेस और भाजपा विपक्ष में होने से यहाँ वर्तमान परिस्थियों में राजस्थान के विकास और कानून व्यवस्था पर गंभीर असर पढ़ा है ..कोंग्रेस में अभी हर जिला इकाई में विवाद है लोग खुल एक दुसरे के खिलाफ बयानबाज़ी कर रहे है ....मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ कर्नल सोनाराम और कुछ विधायक खुलेआम जोर देकर बयानबाजी कर रहे है कोटा कोंग्रेस में भी बुरा हाल है लेकिन भरतपुर शिविर में तो पराकाष्ठा ही हो गयी वहां कोंग्रेस कार्यालय में खुलकर लात घूंसे और कुर्सियां चलीं और वोह भी प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष डोक्टर चन्द्रभान के सामने खुद प्रदेश अध्यक्ष ने खुद की इज्ज़त कुर्सियों के पीछे जाकर बचाई ..इतना ही नही मारपीट की कमान सम्भालने के आरोपी पूर्व संसद विश्वेन्द्र सिंह ने तो सीधा सीधा प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष को हत्यारा करार दिया और हत्या के मामले में चार साल बंद होने का सुबूत देते हुए उन्हें पार्टी के नेत्रत्व से हटाने की मांग की ..खेर यह लड़ाई तो जाट जाट नेताओं की थी इसलियें कोंग्रेस मजे कर रही है और भुस में चिंगारी डाल जमाल दूर कड़ी की तर्ज़ पर तमाशा देख रही है ..ठीक इसी तरह भाजपा में तमाशा हुआ वहां राजस्थान भाजपा में वसुंधरा को कमजोर करने की कोशिशें होती रही हैं ..पहले संगठन के नेता बनाने के नाम पर फिर जिला इकाइयां गठित करने के नाम अपर हंगामा रहा लेकिन अभी हाल ही में भाजपा के नेता गुलाब कटारिया ने जब यात्रा के नाम पर हंगामा किया उनके समर्थकों ने आरती की राष्ट्रिय महासचिव का अपमान किया तो वोह अपने अपमान के आंसू रोक न सकीं ..बात आगे बढ़ी वसुंधरा जो राजस्थान की पूर्व मुख्यमत्री है उन्होंने किरण माहेश्वरी का समर्थन किया लेकिन गुलाबचंद कटारिया अपनी यात्रा को लेकर अड़े हुए थे पार्टी और संगठन में चर्चा हुई संगठन में वसुधरा अकेली पढ़ गयीं और गुलाब कटारिया की जीत हुई उन्हें यात्रा करने की इजाज़त मिल गयी बस फिर किया था वसुंधरा जी ने अपना रोद्र रूप दिखाया पार्टी संगठन को ठेंगा दिखाया और पार्टी से इस्तीफा दिया समर्थक पार्टी नेताओं और विधायकों से इस्तीफा ड्रामा करवा कर यह साबित करने की कोशिश की के पार्टी हम से है पार्टी से हम नहीं सभी विधायकों ने इस्तीफे दिए लेकिन खुद के बेटे सांसद दुष्यंत ने इस्तीफा नहीं दिया खेर हाई कमान ने पहले तो गंभीरता से लिया फिर जब ड्रामा समझ में आया तो राजस्थान की फ़ाइल पेंडिंग में डाल दी और अब हाईकमान वसुधरा के मज़े ले रहा है गुलाब कटारियां ने भी पलटवार किया और वसुंधरा की नाराजगी का हवाला देते हुए पार्टी हित में यात्रा स्थगित कर दी कटारिया जीते और फिर दुबारा खुद अपनी मर्ज़ी से यात्रा स्थगित कर जीते लेकिन जनता और विधायक राजस्थान की भावना तो वसुंधरा के साथ है हाईकमान इसे खूब समझता है इसलियें रोज़ रोज़ की लड़ाई से तंग हैक्मन अब इसका कोई स्थायी हाल निकलना चाहता है .....तो दोस्तों राजस्थान में पार्टियों खासकर कोंग्रेस और भाजपा के यह हाल है तो फिर तीसरे मोर्चे की कोशिशों में जुटे लोगो के चेहरे खिल उठे है वोह एक बहतरीन मोके की तलाश में हैं ........यह सब कोंग्रेस और भाजपा की बुराई संगठन में लोकतंत्र नहीं होना ..मर्यादित आचरण नहीं होना और सत्ता का अस्न्ग्थान पर हावी होना है ..दोनों पार्टियों के लोग खुद के अपने कार्यकर्ता बनाते है ..पार्टी कार्यालयों से अलगथलग रहकर यह पार्टी के शीर्ष नेता अपनी साख तो पार्टी के बेनर पर बनांते है और फिर वक्त आने पर पार्टी और उसके नेताओं को ठेंगा बताते है बस यही मोकापरास्ती यही फ्रस्ट्रेशन आज जो स्थिति है वोह बनाने में कामयाब हुआ है भाजपा कोंग्रेस में महासंग्राम है यह अभी राजस्थान स्तर पर है लेकिन अब यही संग्राम महाभारत में बदल जाएगा और यह गंदी हवा दिल्ली तक पहुंच जाएगा ऐसे में नेता भी चकरघिन्नी है तो जनता भी परेशां और कार्यकर्ता भी हेरान है इसलियें कहते है के पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र स्थापित किया जाए चुनाव आयोग सक्रिय हो निति नियमों का पार्टियों से पालन करवाए अपनी देख रेख में चुनाव करवाए और थोपने वाले नेताओं से पार्टियों और देश को बचाए सर्वमान्य लोगों के हाथों में अगर पार्टियों की कमान होगी तो असंतोष भी कम होगा और नेता भी मजबूत होगा छोटी छोटी बातों पर ब्लेकमेलिंग से बचेगा .........ऐसी मजबूत पार्टियाँ फिर सत्ता में रही तो पार्टियाँ ही सरकार चलाएंगी और नीतिया जो पार्टियों की बंटी है वोह जनता तक पहुँच सकेंगी वरना तो पार्टियाँ अब दरकिनार कोने में बेठी रहेंगी और जो कोई भी वरिष्ठ नेताओं की चम्पी करने वाला होगा वोह टिकिट भी लाएगा पावर भी लाएगा पद भी लायेगा और देश जनता समाज वोटर को कच्चा चबाएगा .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

संसद दिवस पर सांसद खुद का आचरण सूधारने में लियें कोड ऑफ़ कन्डक्ट बनवाएं और जनता की अदालत से उसे पारित करवाएं ,वरना ज़ुबानी इन्कलाब सड़क का इन्कलाब होगा

दोस्तों आप और देश के सभी लोग जानते है के जनता जिस संसद को चुन कर भेजती है आज वही जनता संसद को सरेआम गलियाँ दे रही है ..संसद के लोग सही काम नहीं कर रहे ..संसद में सही लोग नहीं है यह देश जानता है जनता जानती है खुद सांसद और उन्हें टिकिट देकर निर्वाचित करने वाली पार्टियाँ जानती है लेकिन संसद इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर रही है ताज्जुब इस बात का है के इस हकीक़त को अभी तक किसी भी सांसद ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया है ..पदों पर बेठे लोगों की तो बात क्या करें लेकिन जो लोग पूर्व सांसद रह चुके है उनमे से भी किसी ने सच बोलने का साहस नहीं किया है .......दोस्तों संसद स्थापना दिवस है यहाँ संसद को स्थापित हुए काफी साल हो चुके है और संसद से जुड़े लोग जो सबसे पहले सांसद बने थे वोह भी अब संसद में आकर अपने अनुभव इस दिवस पर बांटेंगे ,,, देश ने जनता ने नेताओं को निर्वाचित बनाकर संसद बनाई और यही जनता द्वारा निर्वाचित लोग निर्वाचन होने पर जनता को भूल गए उन्होंने जनता को कीड़ा मकोड़ा समझना शुरू कर दिया जरा भी कोई बोले तो बस संसद का विशेषाधिकार है ..संसद के विशेषाधिकार की अगर सुप्रीम कोर्ट ने व्याख्या कर दी और कहा के चोर को चोर कहना अपराध नहीं है अगर सुप्रीम कोर्ट ने संसद से सवाल पूंछ लिया के कोनीमोझी और खेल घोटाले के सासद के साथ ऐ राजा किस हिसाब से इतने गम्भीर आरोपों में जेल जाने के बाद संसद में आ रहे है उन्हें निलंबित क्यूँ नहीं किया जाता है क्या संसद की कोई मर्यादा नहीं है वहां चोर उचक्कों का जमावड़ा है कोई आचार संहिता नहीं और अगर आचार संहिता है तो उसका खुला उलंग्घन है ..पहली बार सांसदों और नेताओं के काले कारनामों के खिलाफ जनता खुल कर सड़क पर आई है अभी सडकों पर नेताओं से निपटने और उनसे इस्तीफे जबरन लिखवाने का इन्कलाब तो नहीं आया है लेकिन रोज़ रोज़ के अपराधों से और घोटालों से तंग आकर अब इस मामले में जुबानी इन्कलाब आ गया है जुबानी जंग शुरू हो गयी है ..सांसदों के अमर्यादित आचरणों पर ..रूपये लेकर सवाल पूंछने ..रूपये लेकर वोट डालने ..रूपये लेकर निधि कोष का दुरूपयोग करने ......बिना किसी वजह के संसद से अनुपस्थित रहने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में वोट डालने के वक्त रूपये लेकर बाहर होजाने के मामले इतने गंभीर है सभी लोग जानते है लेकिन इस पर कानून बनाने ...अंकुश लगाने और ऐसे लोगों को बेनकाब कर जेल की सींखचों में डालने के मामले में कोई संसद या पार्टी का नेता चर्चा नहीं करना चाहता इस मामले में चोर चोर मोसेरे भाई है लेकिन ऐसा आखिर कब तक चलेगा ..अन्ना कमजोर और सरकार से दबने वाले सरकार से सोदेबजी करने वाले हो सकते है ..बाबा रामदेव किसी पार्टी विशेष के एजेंट हो सकते है लेकिन अब यह आवाज़ सेटिंग बाजों सोदेबाज़ों और डरपोक कायरों की नहीं रही यह आवाज़ के संसद और संसद में निर्वाचन के कानून बदलना चाहिए सांसदों के लियें विशेष मर्यादित कोड ऑफ़ कन्डक्ट होना चाहिए और चोर बेईमान निकम्मे सांसदों को वापस बुलाने का कानून होना चाहिए किसी एक की आवाज़ नहीं देश की आवाज़ बन चुकी है संसद में बेठे ५४४ सांसद और २६० राज्यसभा सदस्य और उनकी पार्टी के नेता पूर्व सांसद अगर यह समझते है के ऐसा ही चलता है कुछ दिनों जनता चिल्ला कर खामोश हो जायेगी तो वोह गलत सोचते है सांसदों को खुद को अपना जमीर टटोल कर देखना चाहिए के किन लोगों के साथ वोह संसद में बैठते है क्या उन्हें खुद अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर देश की आवाज़ में आवाज़ नहीं मिलाना चाहिए देश को भ्रष्टाचार से बचाने के लियें खुद जनता के साथ मिलकर कोई कदम नहीं उठाना चाहिए केवल और केवल वेतन का बिल ही सर्वसम्मति से पास किया जाता है तब यह संसद जनता के सामने मंगते नज़र आते है लेकिन कोई तो देश भक्त कोई तो राष्ट्रभक्त कोई तो जनता भक्त कोई तो गारी भक्त नेता कभी सांसद बनेगा और जनता की आवाज़ बनेगा तभी अब यह जुबानी इन्कलाब शांत होगा वरना तो एक तूफान के पहले की खामोशी सा माहोल लगता है देखते है आगे क्या होता है संसद की यह अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कंपनी के चंगुल से देश आज़ाद होता है या नहीं संसद दिवस पर सभी को मुबारकबाद हमारी संसद और हमारा लोकतंत्र का शुद्धिकरण हो इसी दुआ के साथ संसद दिवस जिंदाबाद ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ब्लडप्रेशर...??? ये पांच नुस्खे अचूक रामबाण हैं





अगर आपको कभी भी चक्कर आने लगते हैं, सिर घूमने लगता है, या किसी किसी काम में मन नहीं लगता, कमजोरी महसूस होती है और नींद भी नहीं आती तो जरा सावधान हो जाइए। वर्तमान समय में बढ़ते मानसिक तनाव और भागदौड़ से लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होना आम हो गया है। थोड़ी सी टेंशन या जम्मेदारियों को पूरा न कर पाने का दबाव इस बीमारी को लगातार बढ़ावा दे रहा है। आयुर्वेद के कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप काफी हद तक इस बीमारी से बच सकते हैं।

-प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लें।

- तरबूज के बीज की गिरि और खसखस दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ लें। यह प्रयोग करीब एक महीने तक नियमित करें।

- मेथीदाने के चूर्ण को रोज एक चम्मच सुबह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचा जा सकता है।

- खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की कलियां लेकर मुनक्का के साथ चबाएं, ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती।

- 21 तुलसी के पत्ते तथा सिलबट्टे पर पीसकर एक गिलास दही में मिलाकर सेवन करने से हाई ब्लडप्रेशर में लाभ होता है।

बाबरी मस्जिद मामले में आडवाणी का नाम हटाने के खिलाफ है सीबीआई


नयी दिल्‍ली. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि बाबरी मस्जिद मामले में भाजपा नेता लाल कृष्‍ण आडवाणी के खिलाफ षडयंत्र रचने के आरोप को हटाने के वह खिलाफ है। इतना ही नहीं बल्कि वह यह भी चाहती है कि आडवाणी और अन्‍य नेता आरोपी कारसेवकों के साथ मुकदमे का सामना करें।


देश को नफरत और घृणा की आंधी में धकेलने वाले इस मामले में दो प्राथमिकी दर्ज हुईं थीं । पहली एफआईआर संख्‍या 197/92 कार सेवकों के खिलाफ है जिन्‍होंने विवादित ढांचा ढहाया तथा दूसरी 198/92 में आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, अशोक सिंघल , गिरिराज किशोर , विष्‍णु हरि डालमिया, और साध्‍वी ऋतम्‍भरा के खिलाफ आरोप है कि उन्‍होंने कार सेवकों को उकसाने वाले भाषण दिये।


सीबीआई ने हाल ही दायर शपथपत्र में कहा कि यह संभव नहीं है कि पहली प्राथमिकी से कुछ को हटा दिया जाये क्‍योंकि ढांचा गिराने के काम में उनका सीधा हाथ नहीं था। यह दोनों एफआईआर अलग नहीं हैं । दोनों के तथ्‍य और घटना स्‍थल एक ही हैं ।


आडवाणी की भूमिका को कठघरे में खड़ा करते हुए सीबीआई ने कहा कि ढांचा गिराने की कार्रवाई शुरू होने से पहले ही वहां मौजूद नेता जिनके नाम दूसरी प्राथमिकी में है, वे लोगों को मंच से उकसा रहे थे जिससे वहां दंगा फैला और कारसेवकों ने तूफान खड़ा कर दिया ।


तीस पेजों के इस एफीडेविट में सीबीआई ने कहा कि जैसे ही गुंबद गिरा ;आरोपी नेताओं और अन्‍य लोगों ने तालियां बजाईं ,एक दूसरे को गले लगाया और मंच पर मिठाई बांटी। उनका मंच विवादित ढांचे से 175 मीटर की दूरी पर था जहां से सब साफ साफ दिखाई दे रहा था ।

भाजपा पर अब वसुंधरा भारी



जयपुर/नई दिल्ली. राजस्थान में 58 विधायकों ने रविवार को विधानसभा सदस्यता से अपने इस्तीफे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सौंपे हैं। इस्तीफा देने वालों में दो निर्दलीय भी हैं। हालांकि वसुंधरा ने खुद अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता दिनभर वसुंधरा के निवास पर उन्हें मनाने की कवायद में जुटे रहे। इनके अलावा करीब 2700 पार्टी कार्यकर्ताओं के इस्तीफे की भी खबर है। इनमें जिला प्रमुख से लेकर ब्लॉक स्तर तक के पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हैं।

शनिवार को गुलाबचंद कटारिया की जनजागरण यात्रा के मुद्दे पर भाजपा प्रदेश मुख्यालय में कोर कमेटी की बैठक थी। इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी का फोन आने पर वसुंधरा बिफर गई थीं। वे बैठक से बाहर आ गईं। मीडिया में आकर कहा कि वे कार्यकर्ताओं की बात पार्टी के सामने नहीं रख पा रही हैं।

इसलिए उन्हें लगता है कि पार्टी से इस्तीफा दे देना चाहिए। वसुंधरा के तेवर देख पार्टी हाईकमान उन्हें मनाने के लिए सक्रिय हो गया। केंद्रीय नेताओं ने उनसे बात की। इनमें लालकृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी, अरुण जेटली और मुख्तार अब्बास नकवी शामिल रहे। प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी व विधायक किरण माहेश्वरी ने रविवार को पूर्व सांसद रामदास अग्रवाल से मामले में मध्यस्थता का आग्रह किया।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...