तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
11 मई 2012
सरकार का दो बच्चों का कानून भी बच्चियों को गर्भ में ही हत्या कर देने का कारण बन रहा है
भारत को जवाब, पाक ने बनाया एक नया 'हथियार' !
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने गुरुवार को परमाणु क्षमता वाली हत्फ-3 बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल 290 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। इसे गजनवी नाम भी दिया गया है। पाक सेना ने इस मिसाइल के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी।
सेनाध्यक्षों की संयुक्त समिति के चेयरमैन जनरल खालिद शमीन ने परीक्षण के बाद बयान जारी किया। उन्होंने कहा, ‘इस परीक्षण के साथ ही पाकिस्तान ने अपनी परमाणु शक्ति और बढ़ा ली है। हमारी सेना किसी भी तरह के हमले से देश को बचाने के लिए पूरी तरह तैयार है।’ इस मौके पर सेना के कई बड़े अधिकारी और वैज्ञानिक मौजूद थे।
हत्फ-3 पर नजर
5256 किलो वजनी
9.64 मीटर लंबी
0.88 मीटर चौड़ी
सिंगल स्टेज सॉलिड फ्यूल रॉकेट मोटर इंजन
सॉलिड फ्यूल ईंधन पर काम करेगी मिसाइल।
ऐ पी जे कलाम तो निर्भीक और निष्पक्ष हैं उन्हें कोंग्रेस क्यूँ पसंद करेगी
हिरोशिमा की तरह मक्का-मदीना को बर्बाद करेगा अमेरिका?
वॉशिंगटन.दुनिया भर को 'धार्मिक सहिष्णुता' और 'आज़ादी' की नसीहत देने वाले अमेरिका के सैनिकों को इस्लाम के खिलाफ जंग के लिए तैयार किए जाने का मामला सामने आया है। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के लिए तैयार कोर्स में यह पढ़ाया जा रहा था कि अमेरिका मुस्लिमों के खिलाफ जंग लड़ रहा है। विवादास्पद पाठ्यक्रम के मुताबिक द्वितीय विश्व युद्ध में हिरोशिमा की तर्ज पर अमेरिका को अंत में जाकर मक्का और मदीना जैसे पवित्र इस्लामिक शहरों के वजूद को मिटाना पड़ सकता है।
दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासकी पर अमेरिका ने परमाणु हमले कर इन्हें तबाह कर दिया था। पाकिस्तान अखबार डॉन में छपी खबर में कहा गया है कि यह पाठ्यक्रम अमेरिकी अधिकारियों के उस रुख से बिल्कुल उलट है, जिसमें बीते एक दशक से वे कहते रहे हैं कि अमेरिका की लड़ाई उन आतंकवादियों के खिलाफ है जो इस्लाम के संदेशों के उलट काम कर रहे हैं और यह लड़ाई इस्लाम धर्म के खिलाफ नहीं है।
हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग ने ज़्वॉइंट स्टाफ कॉलेज में पढ़ाए जा रहे इस भड़काऊ पाठ्यक्रम पर पिछले महीने ही रोक लगा दी थी। लेकिन इस पाठ्यक्रम में क्या पढ़ाया जा रहा था, इसका खुलासा अब हुआ है। अमेरिका के ज़्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्टिन डेंप्से ने पाठ्यक्रम को आपत्तिजनक, गैरजिम्मेदाराना और धार्मिक आज़ादी के अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ करार दिया है।
हिरोशिमा की तरह मक्का-मदीना को बर्बाद करेगा अमेरिका?
वॉशिंगटन.दुनिया भर को 'धार्मिक सहिष्णुता' और 'आज़ादी' की नसीहत देने वाले अमेरिका के सैनिकों को इस्लाम के खिलाफ जंग के लिए तैयार किए जाने का मामला सामने आया है। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के लिए तैयार कोर्स में यह पढ़ाया जा रहा था कि अमेरिका मुस्लिमों के खिलाफ जंग लड़ रहा है। विवादास्पद पाठ्यक्रम के मुताबिक द्वितीय विश्व युद्ध में हिरोशिमा की तर्ज पर अमेरिका को अंत में जाकर मक्का और मदीना जैसे पवित्र इस्लामिक शहरों के वजूद को मिटाना पड़ सकता है।
दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासकी पर अमेरिका ने परमाणु हमले कर इन्हें तबाह कर दिया था। पाकिस्तान अखबार डॉन में छपी खबर में कहा गया है कि यह पाठ्यक्रम अमेरिकी अधिकारियों के उस रुख से बिल्कुल उलट है, जिसमें बीते एक दशक से वे कहते रहे हैं कि अमेरिका की लड़ाई उन आतंकवादियों के खिलाफ है जो इस्लाम के संदेशों के उलट काम कर रहे हैं और यह लड़ाई इस्लाम धर्म के खिलाफ नहीं है।
हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग ने ज़्वॉइंट स्टाफ कॉलेज में पढ़ाए जा रहे इस भड़काऊ पाठ्यक्रम पर पिछले महीने ही रोक लगा दी थी। लेकिन इस पाठ्यक्रम में क्या पढ़ाया जा रहा था, इसका खुलासा अब हुआ है। अमेरिका के ज़्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्टिन डेंप्से ने पाठ्यक्रम को आपत्तिजनक, गैरजिम्मेदाराना और धार्मिक आज़ादी के अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ करार दिया है।
मोहब्बत के लिए 36 वर्ष पानी में रहकर की तपस्या
पानीपत.हजरत शाह शैफुद्दीन बू अलीशाह कलंदर की सुगंध उनके देह छोड़ने के 750 वर्ष बाद भी पानीपत को महका रही है। दोस्ती और प्यार की प्रतीक इस दरगाह में हजरत अलीशाह कलंदर और उनके शिष्य हजरत मुबारिक अली शाह की मजारें हैं।
सूफियाना संगीत से गुंजायमान होने वाली बाबा कलंदर की दरगाह आज भी अकीदतमंदों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है। कहा जाता है कि यहां पहुंचने वाले हर अकीदतमंद की मुराद बाबा का सजदा करने पर पूरी होती है। दरगाह की प्रसिद्धि इतनी है कि देश-विदेश से यहां लोग अर्जी लगाने के लिए आते हैं।
पानीपत शहर की तंग गलियों से गुजरते हुए कलंदर चौक पहुंचते ही बू अलीशाह का दर आ जाता है। हर गुरुवार को यहां अकीदतमंद श्रद्धा और विश्वास की चादर चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं और बाबा के चरणों में सजदा कर उनका आशीर्वाद पाते हैं।
कैसे बनी दोस्ती की प्रतीक
सुलतान ग्यासुद्दीन के पुत्र शहजादा मुबारिक खां हजरत कलंदर के शिष्य बने। उन्हें मुबारिक खां से इतना प्रेम था कि वे उन्हें क्षणमात्र भी खुद से अलग नहीं होने देते थे। मुबारिक खां का बाल्यावस्था में ही अल्लाह की बंदगी में मन लग गया था और वे हजरत कलंदर की सेवा से लाभान्वित होने लगे।
मुबारिक खां की योग्यताओं से बाबा कलंदर बहुत प्रभावित हुए। एक दिन सुल्तान अलाउद्दीन शिकार खेलते हुए पानीपत आए। यहां वे हजरत कलंदर की सेवा में भी गए। उन्हें देखकर हजरत कलंदर ने कहा कि ठीक समय पर आए हो अलाउद्दीन, हमारे लिए एक छतरी और गुंबद का निर्माण कराओ। इसे अलाउद्दीन ने अपना सौभाग्य समझा।
इसके बाद अलाउद्दीन ने कई किस्म के भोजन हजरत कलंदर की सेवा में प्रस्तुत किए। इनमें से एक बोटी चूसकर हजरत साहब ने अपने प्रिय शिष्य मुबारिक खां को कुएं में डालने को दी, जिसे प्रसाद समझकर उन्होंने स्वयं खा लिया। बोटी खाते ही मुबारिक खां व्याकुल हो गए और कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई। इसकी सूचना जब हजरत कलंदर को हुई तो एकाएक उनके मुंह से निकला- इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन।
इसके बाद उन्होंने मुबारिक अलीशाह की लाश मंगाकर कहा कि ऐ दोस्त! वज्म-ए-यार में जाना तुझे मुबारक हो।ञ्ज हजरत कलंदर ने जो छतरी और गुंबद अलाउद्दीन से बनवाया था, उसी के अंदर ही में हजरत मुबारिक खां को दफन किया गया। लोगों का मानना है कि हजरत कलंदर ने कहा था जो कोई भी अकीदतमंद मेरे मजार पर आए, वह पहले मुबारिक खां की मजार पर जाकर हाजिरी दे। तब से हर कोई सबसे पहले मुबारिक अली शाह की मजार पर हाजिरी देता है। कहा जाता है कि बू अलीशाह कलंदर ने पानी के अंदर ३६ साल तक तपस्या की थी।
विश्व में हैं ढाई कलंदर
विश्व में अब तक केवल ढाई कलंदर ही हुए हैं। इनमें से पहले हरियाणा के पानीपत शहर में हजरत शाह शैफुद्दीन बू अलीशाह कलंदर के नाम से जाने जाते हैं।
दूसरे कलंदर पीर पाकिस्तान में शकील लाल शाहबाज कलंदर, सेवन शरीह सिंध हुए और आधी कलंदर एक महिला हुईं। इनका नाम राबिया बसरी है। इनकी मजार इराक के बसरा नामक स्थान पर मौजूद है।
कसौटी का पत्थर भी है यहां
हजरत कलंदर की इस दरगाह पर कसौटी के पत्थर लगे हुए हैं। इसके अलावा कसौटी का यह पत्थर वैतूल मुकद्द में लगा है। इस पत्थर की धार्मिक आस्था यह है कि यह पत्थर लोगों की इच्छाओं को कसौटी पर परखता है।
शुक्र है खुदा का राजस्थान को एक अदद फूल टाइम राज्यपाल तो मिला लेकिन ............
शनिवार को शाम 5.30 बजे अल्वा राजभवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगी
जयपुर. नव नियुक्त राज्यपाल मारग्रेट अल्वा शुक्रवार की सुबह जयपुर पहुंच गईं। यहां रेलवे स्टेशन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुष्पगुच्छ भेंट करके उनकी अगवानी की। इस दौरान उनका अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों से परिचय भी करवाया। अल्वा शनिवार को शाम 5.30 बजे राजभवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेंगी।
जयपुर पहुंचने पर मारग्रेट अल्वा को आर.ए.सी. के अधिकारियों व जवानों की टुकड़ी ने सलामी दी। राज्यपाल ने सलामी गारद का निरीक्षण किया। रेल्वे स्टेशन पर मुख्यमंत्री गहलोत, मंत्रिमंडल के सदस्य, विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे, संसदीय सचिव, जनप्रतिनिधिगण, महापौर, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक सहित प्रशासनिक, पुलिस और सेना के वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद थे।
इसके बाद रेलवे स्टेशन से राजभवन अतिथिगृह पहुंचने पर अल्वा की राज्यपाल सचिवालय के अधिकारियों ने अगवानी की। मनोनीत राज्यपाल ने राजभवन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का परिचय लिया। रेलवे स्टेशन से राजभवन के मार्ग में खड़े नागरिकों का अल्वा ने हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार किया। अल्वा के साथ उनके पति निरंजन अल्वा सहित उत्तराखंड राजभवन के अधिकारी वरिंदर जीत सिंह, डॉ. सुनीता नंदवानी, हंसी बृजवासी और कमरूद्दीन भी साथ आए हैं।
'खतरनाक हैं भारत के परमाणु हथियार'
नई दिल्ली. भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण की 14वीं बरसी से ऐन पहले पाकिस्तान ने परमाणु क्षमता वाली हत्फ-3 बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया तो पूर्व अमेरिकी सांसद ने भारत के परमाणु कार्यक्रम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारत ने 11 मई और 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए थे। बीते महीने भारत ने इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का परीक्षण किया।
कैलिफोर्निया से नौ बार सांसद रह चुकीं डेमोक्रेट नेता जेन हरमैन ने ‘लॉस एंजिलिस टाइम्स’ में एक लेख के जरिये अपनी आपत्ति जाहिर की है। अमेरिकी संसद की सुरक्षा मामलों की कई समितियों में शामिल रह चुकीं हरमैन ने कहा है कि 2008 में भारत-अमेरिकी परमाणु करार को लेकर वह बेहद चिंतित थीं। इस करार के चार साल बाद भारत की ओर से परमाणु मिसाइल का परीक्षण किए जाने से हरमैन की चिंता और भी बढ़ गई है।
हरमैन इस करार का विरोध करने वाले 59 सांसदों में से एक थीं। उन्होंने भारत के परमाणु कार्यक्रम को अमेरिकी सरकार की ओर से हरी झंडी मिलने पर भी चिंता जताई है।
इससे पहले, पाकिस्तान ने गुरुवार को परमाणु क्षमता वाली हत्फ-3 बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल 290 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। इसे गजनवी नाम भी दिया गया है।
कलंकित हुआ इस्कॉन मंदिर: पुजारी ने दूसरे पुजारी के साथ किया कुकर्म
नयी दिल्ली .इस्कान मंदिर में एक पुजारी के दूसरे पुजारी के साथ अप्राकृतिक दुराचार करने की कोशिश की लेकिन मंदिर प्रशासन ने बीच बचाव करके मामला रफा दफा कर दिया। इतना होने पर भी हवस मिटाने के भूखे पुजारी ने एक दिन मौका पाकर पीडि़त पुजारी के साथ कुकर्म को अंजाम दे डाला।अब इस मामले में चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।इनमें एक व्यक्ति मंदिर की गवर्निंग बॉडी का सदस्य है।
पुलिस में दर्ज प्राथमिकी में शिकायत करने वाले पुजारी ने कहा कि एक अन्य पुजारी ने उसके साथ 15 फरवरी की रात को अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने की कोशिश की। जब उसने यह जानकारी मंदिर प्रशासन को दी तो मंदिर महाराज के हस्तक्षेप के बाद उसने अपनी शिकायत वापस ले ली। इसके बाद भी उसी पुजारी ने कुरूक्षेत्र में उसके साथ कुकर्म कर डाला। पीडि़त पुजारी ने इसकी जानकारी गवर्निंग बॉडी को दी लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की।
इस्कान मंदिर प्रशासन ने ऐसी किसी घटना के होने से इंकार करते हुए आरोपों को निराधार बताया है।
कार्टून पर हल्लाबोल: कांग्रेसी सांसद ने ही की सरकार की किरकिरी, विपक्ष भी भड़का
नई दिल्ली.एनसीईआरटी की एक किताब में प्रकाशित संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर के एक विवादित कार्टून को लेकर शुक्रवार को लोकसभा और राज्यसभा में दलित सांसदों ने हंगामा किया। हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित करनी पड़ी।
कांग्रेसी सांसद और अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण समीति के अध्यक्ष पीएल पूनिया ने कहा कि इस कार्टून का प्रकाशन कपिल सिब्बल की बड़ी भूल है। मैं इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर चुका हूं। कपिल सिब्बल को इस मुद्दे पर तुरंत देश से माफी मांगनी चाहिए।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने संसद में कार्टून विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'मैं सदन में व्यक्त की गई सदस्यों की भावनाओं की कद्र करता हूं। डॉ. अंबेडकर भारत के संविधान के निर्माता हैं। उनके प्रयासों के बिना देश सामाजिक-आर्थिक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। जो हुआ है वो दुर्भाग्यपूर्ण है।'
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि यह मामला बहुत गंभीर है और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। केंद्र सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वो इस मामले में दोषी लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करे। बाबा अंबेडकर कोई मामूली व्यक्ति नहीं थे। वो भारतीय संविधान के निर्माता थे। भारतीय संसद भी संविधान से ही चल रही है। यह अंबेडकर का अपमान नहीं है बल्कि देश की संसद का अपमान है। केंद्र सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई शुरु करनी चाहिए। मायावती ने यह भी कहा कि वो इस मुद्दे के समाधान तक संसद को नहीं चलने देंगी।
एनसीईआरटी की 11वीं कक्षा की राजनीति शास्त्र की किताब में भीमराव अंबेडकर का एक कार्टून छपा है। इसे लेकर दलित समुदाय नाराज है। इस कार्टून के जरिए बताया गया है कि संविधान बनाने की प्रक्रिया काफी सुस्त थी। कार्टून में अंबेडकर को एक घोंघे पर बैठा दिखाया गया है और भारत के पहले प्रधानमंत्री कोड़े मारकर इसे तेज चलने के लिए कह रहे हैं।
कार्टून चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट के लिए शंकर द्वारा बनाया गया है। कार्टून का विरोध करने वालों का कहना है कि इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि एनसीईआरटी संविधान के निर्माण में हुई तीन वर्ष की देरी के लिए भीमराव अंबेडकर को जिम्मेदार ठहरा रही है।