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13 मई 2012

































































































कैसी भी हो एलर्जी, ये फार्मूले कर देंगे सबका इलाज





वर्तमान समय में वातावरणीय प्रदूषण, खान-पान में मिलावट व शुद्धता में कमी के कारण एलर्जी जैसी बीमारियां बढ़ती ही जा रही हैं। यहां तक कि नकली दवाओं का धंधा भी दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। हर तरह से स्वस्थ दिखाई देने वाले व्यक्ति को भी कई बार एलर्जी हो जाती है। अगर आप भी एलर्जी से जुझ रहे हैं तो अपनाएं ये रामबाण नुस्खे।



- दस ग्राम अमलतास का गूदा एवं पांच ग्राम वाय-विड्ङ्ग का चूर्ण पानी में डालकर उबाल कर पानी से गरारे करने चाहिए।

- रात को एक अंजीर एवं एक छुहारा दूध में उबाल कर खाना चाहिए। दूध में दो छोटे पीपल के पत्ते उबाल कर खाने एवं वह दूध पीने से भी लाभ होता है।

- नीम चढ़ी गिलोय के डंठल को छोटे टुकड़ों में काटकर इसका रस हरिद्रा खंड चूर्ण के साथ 1.5 से तीन ग्राम नियमित प्रयोग पुरानी से पुरानी एलर्जी में रामबाण औषधि है।

- गुनगुने नींबू पानी का प्रात:काल नियमित प्रयोग करने से एलर्जी के कारण होने वाले नजला-जुखाम दूर होता है।

- अदरक,काली मिर्च,तुलसी के चार पत्ते ,लौंग एवं मिश्री को मिलाकर बनाइ गई हर्बल चाय एलर्जी से निजात दिलाती है।

- फल या सब्जी के जूस में 5 बूंद कैस्टर ऑयल डालकर सुबह खाली पेट पीएं। चाहें तो फल व सब्जी के जूस के अलावा पानी भी ले सकते हैं। इससे आप आंतों, स्किन और नाक की एलर्जी से छुटकारा पा सकते हैं।

- आधे नींबू का रस और एक चम्मच शहद को एक गिलास गर्म पानी में मिला दें। इसे आप रोजाना सुबह कई महीनों तक पीएं। इससे एलर्जी से राहत मिलती है।



-एक या दो केले रोज खाएं। अक्सर लोगों को विशेष खाना खाने से स्किन रैशेज और अस्थमा हो जाता है। इससे बचने का तरीका है कि आप रोजाना दो केले जरूर खाएं।



- 500 मिलीलीटर गाजर का जूस लें। मिक्स जूस भी ले सकते हैं, जिसमें खीरे का 100 मिलीलीटर जूस, चुकंदर का 100 मिलीलीटर जूस और 300 मिलीलीटर गाजर का जूस लें। इन्हें मिक्स करके रोजाना एक बार लें।

सीआईएसएफ के जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर किया हमला, सात शहीद


दंतेवाड़ा/रायपुर. किरंदुल के पास घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने रविवार की रात करीब नौ बजे सीआईएसएफ की टुकड़ी पर हमला कर दिया। इसमें एक ड्राइवर और सीआईएसएफ के छह जवान शहीद हो गए। नक्सली उनके हथियार और गोलियां भी लूटकर ले गए। घटना के समय जवान बोलेरो जीप से एनएमडीसी के क्रशर प्लांट से अपने मोर्चे की तरफ जा रहे थे।

रोज की तरह सीआईएसएफ के छह जवान पहाड़ी की चोटी पर बने मोर्चे की तरफ निकले थे। प्लांट से बमुश्किल 200 से 300 मीटर दूर 10 से ज्यादा नक्सली घात लगाए हुए थे। अंधेरा होने और चढ़ाव की वजह से बोलेरो की रफ्तार कम हो गई थी। वाहन के पास आते ही नक्सलियों ने चारों तरफ से फायरिंग शुरू कर दी। अंदर बैठे जवानों को संभलने का भी मौका नहीं मिल पाया। ड्राइवर और एक जवान की जीप में ही मौत हो गई। ड्राइवर के मरने के बाद अनियंत्रित हो गई बोलेरो खाई में जा गिरी। इसके बाद नक्सलियों ने गाड़ी में फंसे बाकी घायल जवानों की भी हत्या कर दी।

शहीद जवानों में हेड कांस्टेबल सुभाषचंद्र, कांस्टेबल केसी मीणा, पीसी मीणा, रंजीत शाह, एके वर्मा, जयंत दास और ड्राइवर रितेश कुमार शामिल हैं। पुलिस के अनुसार जवानों की हत्या के बाद नक्सली एके 47, इंसास जैसे हथियारों के अलावा गोलियां भी लूट ले गए। मोर्चे पर तैनात जवानों ने गोलियों की आवाज सुनकर तुरंत कंट्रोल रूम को सूचित किया। लेकिन मदद पहुंचने तक नक्सली भाग चुके थे। मौके पर पहुंचे एसडीओपी अंशुमान सिसोदिया ने बताया कि हमले के बाद अतिरिक्त पुलिस बल घटनास्थल पर भेजा गया है।

सालभर में दूसरा हमला

सालभर के अंदर नक्सलियों का सीआईएसएफ पर यह दूसरा हमला है। पिछले साल भी सीआईएसएफ की पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला किया था, जिसमें तीन जवान शहीद हो गए थे।

नक्सलियों के हमलों से मुख्यमंत्री नाराज

घटना की सूचना मिलते ही दिल्ली प्रवास पर गए मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने डीजीपी अनिल एम नवानी से पूरी घटना की जानकारी ली। उन्होंने हमले की तीव्र निंदा करते हुए इस बात पर नाराजगी जाहिर की है कि बार-बार अपील करने के बावजूद नहीं छोड़ रहे हैं।

कुरान का संदेश

कुरान का संदेश

बेटी बचाओ के नारे और सघन तलाशी के साथ हुआ मदरसा बोर्ड कार्यालय का शिलान्यास

जी हाँ दोस्तों जयपुर में कल राजस्थान मदरसा बोर्ड के कार्यालय का शिलान्यास मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार ने बढ़े ही अजीबोगरीब अंदाज़ में क्या एक तरफ तो वोह राजस्थान के दूर दराज़ इलाकों से कार्यक्रम में शामिल आई भीड़ को देख कर गद गद थे दूसरी तरफ वोह किसी भी विरोध की आशंका से घबराए हुए से लग रहे थे ........मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुरान की आयतों के साथ मोलानाओं की उपस्थिति में मदरसा बोर्ड के कार्यालय का शिलान्यास किया पहले यह तीन मजिल का बनना था लेकिन मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक ने जब उनसे पचास लाख और अतिरिक्त देकर इस भवन की निव पांच मंजिला तक बनाने की मजबूत करने की मांग की तो उन्होंने इसे स्वीकार करते हुए पचास लाख अतिरिक्त देने की घोषणा करदी ..मुख्यमंत्री ने अपने चिर परिचित लुभावने और प्रभावशाली अंदाज़ में पहले ऐतिहासिक भीड़ को देखा और फिर उसे अपनी कामयाबी मानते हुए निहारा और कहा के आजके कार्यक्रम की शुरुआत बेटी बचाओं के संकल्प के साथ शुरू है ..पहले मेरा नारा था पानी बचाओ ..बिजली बचाओ ...व्रक्ष लगाओ ..अब बेटी बचाओ का नारा और सभी को पढाओ के नारे के बाद यह पंचशील सिद्धांत हो गया है ..उन्होंने कहा के मदरसों में कहते थे के आतंकवाद पलता है लेकिन किसी भी मदरसे में ऐसी गतिविधिया नहीं है ..उन्होंने कहा के पहली बार मदरसों में लडकियों को कम्प्यूटर पर उंगलिया चलाते देख में गदगद हो गया इससे देश सुधरेगा समाज सुधरेगा ..मजेदार बात तो यह थी के एक तरफ तो मुख्यमंत्री मदरसों पर लगे आतंकवाद के लगे आरोपों को झुटला कर मदरसों को आतंकवादी नहीं होने का क्लीन चिट दे रहे थे और दूसरी तरह उन्हीं की पुलिस उन्ही के सुरक्षा कर्मी मदरसे के इस कार्यक्रम में आने वाले लोगों को आतंकवादियों की तरह से लाइन में लगा कर कठोर तलाशी लेकर अपमानित कर रहे थे लोगों का कहना था के कितनी विरोधाभासी बात है के कार्यक्रम में तो आगंतुकों की अपमानकारी तलाशी और मंच से मदरसों को क्लीन चिट यह मुसलमान को बेवकूफ बनाने के लियें काफी है ..एक विरोधाभास और रहा एक तरफ तो बेटी बचाओं बेटी पढाओं का नारा था और दूसरी तरफ मंच पर बेठी दो बेटियां जयपुर की महापोर ज्योति खंडेलवाल और राज्यमंत्री नसीम अख्तर को मंच से बोलने तक का मोका नहीं दिया इस तरह से करनी और कथनी में अंतर साफ़ नज़र आता रहा ......कार्यक्रम के आने के पहले विरोधियों का एक संदेश के मदरसा पेरा टीचर्स की क्या पहचान सर पर सफेद टोपी जेब में काला रुमाल चर्चा का विषय रहा लोगों का कहना था के मदरसों के साथ पक्षपात क्यूँ एक तरफ राजिव गाँधी पाठ शाळा और सर्वशिक्षा कार्यक्रम के तहत लागे पेरा टीचर्स को विभिन्न विशिष्ठ सुविधाओं के साथ सात हजार रूपये प्रति माह का वेतन मान मिलता है लेकिन मदरसा पेरा टीचर्स को केवल साढ़े तीन हज़ार रूपये प्रति माह तो यह भेद भाव खत्म होकर समान व्यवहार होना चाहिए लेकिन मंच से माहिर आज़ाद ने यह बात उठाई भी तो मुख्यमंत्री महोदय ने इस पर तवज्जो नहीं दी और कुछ लोग इसी बात का विरोध करना चाहते थे शायद इसी लियें कड़ी सुरक्षा और तलाशी अबियाँ के तहत प्रत्येक मुसलमान और जाने वाले के साथ आतंकवादियों जेसा बर्ताव कर उन्हें शर्मिंदा किया जा रहा था .........जेब में काला रुमाल और सर पर सफेद टोपी पर सारी नज़र थी ...मिडिया वहां था लेकिन मुख्यमंत्री के सुरक्षा घेरे के कारण अपमानित सा था मिडिया को सही तरह से मंच के पास पहुंच कर रिपोर्टिंग करने और फोटोग्राफी करने की अनुमति भी नहीं थी ..मिडिया ने इस अपमान के बाद भी कार्यक्रम का बहिष्कार तो नहीं किया लेकिन यह जो सारी बातें सारा सच मेने बताया है उसे देख कर भी नजर अंदाज़ किया और न जाने किन कारणों से आज यह विरोधाभासी कार्यक्रम की रिपोर्टिंग अखबारों और टी वी चेनलों से गायब थी मेने मिडिया के कई कर्मियों को यही सब चर्चा करते सुना था लेकिन आज जब अख़बार में यह सच नहीं देखा तो सोचा मिडिया जेसा है उसकी जाओ मजबूरी है आप सभी लोग जानते है लेकिन सच तो आप तक पहुंचाना था इसलियें में कार्यक्रम की सफलता का पक्षधर होने के बावजूद भी यह सच आप लोगों से शेयर कर रहा हूँ .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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