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14 मई 2012

पत्नी को पीटा तो कुरान पढ़ने का दंड


सऊदी अरब में अपनी पत्नी के साथ मारपीट करने के मामले में दोषी पाए गए एक व्यक्ति को अदालत ने कुरान और पति-पत्नी के सम्बंधों पर आधारित दो अन्य इस्लामी किताबें पढ़ने का दंड दिया। बाद में उसकी एक परीक्षा ली जाएगी, जिसमें देखा जाएगा कि उसने किताबों से क्या सीखा।

गल्फ न्यूज ने सऊदी दैनिक ‘अल मदीना’ के हवाले से बताया है कि दोषी व्यक्ति को कुरान के 30 हिस्सों में से पांच हिस्से व पैगम्बर मोहम्मद के 100 कथन याद करने के लिए कहा गया है।

जेद्दा के रेड सी रिसॉर्ट की एक अदालत ने उसे अपनी पत्नी को 7,000 रियाल (करीब 1,900 डॉलर) देने और महिला अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

प्रताड़ना की शिकार बनी महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसने अपने पति के साथ अपने चचेरे भाई से अस्पताल जाकर मिलने की इच्छा जतायी थी। इस पर हुए विवाद में पति ने उसके साथ मारपीट की। पति, पत्नी की बाहर जाने की इच्छा से नाराज हो गया और उसने उसके साथ मारपीट की।

जेल में ही रात्रि अदालत का सुझाव


देश भर में कैदियों की बड़ी संख्या से निबटने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने छोटे मामलों की सुनवाई जेल में ही रात्रि अदालत लगाकर करने का सुझाव दिया है।

आयोग के अध्यक्ष केजी बालकृष्णन ने कहा कि जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए कई रणनीतियां अपनाई जा सकती हैं, जिनमें पुलिस द्वारा भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी नहीं करना और गरीबों को कानूनी मदद सुनिश्चित करने जैसे कदम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत में विचाराधीन कैदियों की संख्या बहुत ज्यादा है।

बालकृष्णन ने कहा, जेलों में ही कुछ अदालतें लग सकती हैं ताकि छोटे मामलों को निपटाया जा सके। इनका समय शाम चार बजे से रात आठ बजे तक हो सकता है। इसके लिए जजों को अलग से कुछ वेतन दिया जा सकता है। इससे पहले कुछ जगहों पर सांध्य अदालतें लगाई गई थीं। गवाह शाम को आना पसंद करते हैं, ताकि उन्हें अपना मेहनताना न गंवाना पड़े।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि देश की 1393 जेलों में तीन लाख 68 हजार 998 कैदी बंद हैं, जबकि जेलों की क्षमता तीन लाख 20 हजार 450 कैदियों की है।

बालकृष्णन ने कहा कि कई बार लोगों को अनावश्यक रूप से जेल में बंद किया जाता है। एक अन्य मुद्दा यह है कि अदालत से रिहाई आदेश पाने वाले गरीब लोग जमानत पेश नहीं कर पाते हैं। वे जेलों से बाहर नहीं निकल पाते। इस तरह के लोगों को निजी मुचलके पर रिहा किया जाना चाहिए, लेकिन जघन्य अपराधों के आरोपियों के लिए ऐसा करना मुश्किल है।

कम उम्र में चढ़ गया हो चश्मा...तो ये हैं नंबर कम करने के तरीके



ज्यादा टी.वी. देखने लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने या अन्य कारणों से अक्सर देखने में आता है कि कम उम्र के लोगों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है। अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं। निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी।

- सुबह नंगे पैर घास पर मार्निंग वॉक करें।

- नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।

- बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।

- त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

- पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

- सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आंखों पर छींटे मारने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

इनकी अंगुलियां घूमते ही शरीर का बड़े से बड़ा दर्द हो जाता है छू-मंतर



जूनागढ़ (गुजरात)। बस, शरीर पर अंगुली घुमाई, मांसपेशियों और नसों को थोड़ा दबाया और कुछ ही देर में सारा दर्द गायब। अगर आप सोच रहे हैं कि ये कोई जादुई कला है तो रुकिए। दरसअल यह भी उपचार की एक पद्धति है, जिसे विज्ञान की भाषा में ‘ओष्टियोपैथी’ के नाम से जाना जाता है। इस उपचार पद्धति के विशेषज्ञ डॉ. गोवर्धनलाल पाराशर अब तक देश-विदेश में हजारों लोगों का इलाज कर चुके हैं। डॉ. पाराशर इन दिनों गुजरात के जूनागढ़ में आयोजित एक कैंप में मरीजों का इलाज कर रहे हैं।


मूल जोधपुर के निवासी डॉ. पाराशर पिछले 25 वर्षो से ओष्टियोपैथी चिकित्सा पद्धति से लोगों का उपचार कर रहे हैं। डॉ. पाराशर का मानना है कि हड्डियों में दर्द का सीधा संबंध उठने-बैठने और सोने से है। मानव शरीर की पेचीदी रचना ही कई तकलीफों का कारण है और हड्डियों में दर्द की समस्या को निश्चित दबाव से ठीक किया जा सकता है। ओष्टियोपैथी चिकित्सा पद्धति से हड्डियों, मांसपेशियों और नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे उस स्थान पर एकत्र पित्त निकल जाता है, और ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ जाती है। इस तरह बिना दवा के ही दर्द से छुटकारा मिल जाता है।



ओष्टियोपैथी की विश्व भर में बहुत मांग है :


डॉ. पाराशर के बताए अनुसार इस चिकित्सा पद्धति की पूरे विश्व में मांग है। बात बहुत सीधी सी है कि दवाएं शरीर के लिए जितनी फायदेमंद होती हैं, उतनी ही नुकसानदायक भी। इसलिए हरेक व्यक्ति दवाओं के प्रयोग से बचने की कोशिश करता है। डॉ. पाराशर से युएसए, यूके, युएई और भारत के प्रेसिडेंट से लेकर कई जानी-मानी हस्तियां भी इस चिकित्सा पद्धति से उपचार करवा चुकी हैं।



गुजरात से अमेरिका पहुंची थी यह चिकित्सा पद्धति


डॉ. पाराशर के अनुसार सन् 1812 में डॉ. एंड्रयु टेलर नामक एक चिकित्सक जूनागढ़ आया था। यहां एंड्रयु तीन महीने रुके थे और इस ओष्टियोपैथी की यहां के नीम-हकीमों से तालीम ली थी। इसके बाद उन्होंने अमेरिका में इस चिकित्सा पद्धति की तालीम हेतु एक कॉलेज शुरू किया था। यह बात खुद एंड्रयु टेलर ने अपनी एक पुस्तक में लिखी है।



व्हाइट हाउस में अब तक चार कैंप :

डॉ. पाराशर ने बताया कि दुनिया भर में वे अब तक 1700 से अधिक निशुल्क कैंप लगा चुके हैं। इसमें से उनके चार कैंप तो अमेरिका के व्हाइट हाउस में भी लग चुके हैं।

80 साल के किसान ने पगड़ी उतार कर कहा- चाहे गोली चला दो लेकिन...!


80 वर्षीय शिवकरण ने अपनी पगड़ी उतारकर जेडीसी के सामने रख दी। उन्होंने कहा कि 200 साल पुरानी ढाणियां, कुएं हटाए जा रहे हैं और बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए रिंग रोड मोड़ी जा रही है। मुकदमे चलाए जा रहे हैं। इससे वे डरने वाले नहीं है। गोली चला दो, लेकिन किसान 360 मीटर में रोड नहीं बनने देंगे।



जयपुर.रिंग रोड क्षेत्र भले रावला-घड़साना बने चाहे भट्टा परसौल और सिंगूर। जयपुर के गांवों के किसान गोलियां खाने को तैयार हैं, लेकिन जेडीए की नीति के अनुसार 360 मीटर जमीन किसी सूरत में नहीं देंगे। यदि जेडीए को 360 मीटर रोड बनानी है तो खुद का खजाना भरने की बजाय 25 फीसदी की जगह सवा 41 फीसदी विकसित जमीन किसानों को दे।

नहीं तो बाजार भाव से मुआवजा देकर केवल 90 मीटर में रिंग रोड बनाए, शेष 135 मीटर चौड़े डवलपमेंट कॉरिडोर किसान खुद विकसित कर लेंगे। किसानों को सरकार बिना ब्याज कर्जा देती है। यह खरी-खरी किसानों ने जेडीए कमिश्नर (अतिरिक्त प्रभार) एनसी गोयल को सोमवार को सुनाई। जेडीसी सुबह खेतों, ढाणियों में पहुंचे तथा किसानों को रग टटोली कि आखिर वे रिंग रोड का विरोध क्यों कर रहे हैं?

ठेठ गंवाई अंदाज में जब गोयल ने ग्रामीणों से पूछा कि आप क्या चाहते हो? तो अचरावाला गांव के शिवनाथ का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने सीना ठोकते हुए कहा कि अब जेडीए किसानों को उल्लू बनाना बंद करे। किसान समझ गए हैं रिंग रोड की गणित। अब जेडीए को 360 मीटर चौड़ी रोड बनानी है तो 25 फीसदी से काम नहीं चलेगा। पूरा सवा 41 फीसदी विकसित जमीन चाहिए। गोयल ने कहा कि चार जगह उन्होंने किसानों को सुना।

अब झगड़ा रोड की चौड़ाई का नहीं है। झगड़ा यह है कि 135 मीटर चौड़े कॉरिडोर कौन बनाए। जेडीए या किसान? जेडीए को केवल 10 फीसदी बचत हो रही है। यदि किसानों को घाटा हुआ तो जेडीए उनका अहित नहीं करेगा। जेडीए इसका आकलन कर खर्च किसानों के समक्ष रख देगा। रिंग रोड बहुत महत्वाकांक्षी परियोजना है, किसान इसमें सहयोग करेंगे तो उनकी जमीनों के दाम तेजी से बढ़ेंगे। इससे पहले जेडीसी ने चिमनपुरा, पीपला भरतसिंह में सभा की। उन्होंने जयसिंहपुरा खोर स्थित शिव धर्म कांटे से शुरू किए गए 3 किलोमीटर में रोड के काम को देखा।

कुरान का सन्देश

एक पत्र राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम

आदरणीय अशोक जी गहलोत साहब
मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार जयपुर ......
विषय ..कोटा में वक्फ सम्पत्ति के विवादित रिकोर्ड शीघ्र दुरुस्त कराने के जिला कलेक्टर कोटा को निर्देश देने के क्रम में ....
मान्यवर ,
आदाब अर्ज़ है .इसके पहले यह समस्या में पत्र के माध्यम से आप जनाब की खिदमत में पेश कर चुका हूँ लेकिन शायद यह पत्र नोकरशाही की भेंट चढ़ गया ..खेर कोई बात नहीं आप संवेदन शील है किसी भी समस्या को बढ़ी बन्ने के पेहले ही उसे काबू में करने का आपका दूरदृष्टि निर्णय हमेशां रहा है ..कोटा में वक्फ मस्जिद खसरा नम्बर १३४ हाल ग्राम रामपुर तहसील लाडपुरा कोटा आबादी क्षेत्र में स्थित है ..जो जयपुर गोल्डन जेन दिवाकर अस्पताल के सामने मकबरा द्लेले खान साहब खसरा नम्बर १३१ व् माजिद हाल खसरा नम्बर १३४ है यह ऐतिहासिक मस्जिद और मकबरा है जो वक्फ गज़ट १९६५ के क्रमांक १४३ व् १४४ पर दर्ज है ..पुराना सेटलमेंट २०३८..५७ में पूर्व जमाबंदी राजस्व रिकोर्ड सम्वत २०३२..२०३५ में खसरा नम्बर १६५ मकबरा और खसरा नम्बर १६७ मस्जिद रिकोर्ड भूअभिलेख दर्ज है किन्तु नोकर्शाहों ने २०३८..५७ संवत सेटलमेंट के दोरान इसे मस्जिद के स्थान पर मंजिद दर्ज कर दिया जो २०३८..५७ में भी लिखा है इसी तरह संवत २०५९..२०५२ में इस नोकर्शाहों ने मस्जिद से मंजिद और फिर मंजिद से मन्दिर कर दिया अब मोके पर जो ऐतिहासिक मस्जिद है वोह सरकारी रिकोर्ड में हेराफेरी से मन्दिर दर्ज हो गयी है लेकिन उसे ठीक करने के कई प्रार्थना पत्र सम्बंधित अधिकारीयों को कोटा वक्फ कमेटी द्वारा दिए जाने पर भी इसे दुरुस्त नहीं किया जा रहा है ...इसी तरह से खसरा नम्बर ११८ ग्राम सकतपुरा तहसील लाडपुरा में नामान्तरण संख्या ६५ दिनांक ९..३..९३ को मस्जिद का रिकोर्ड का दर्ज किया गया लेकिन संवत २०५७ ..२०६० के सरकारी रिकोर्ड में इस में से मस्जिद नाम विलुप्त कर दिया गया है अब हालात यह हैं के मोके पर मस्जिद है लेकिन सरकारी रिकोर्ड में कुछ नहीं है इस मामले में भी जिला वक्फ कमेटी वर्ष २००२ से रिकोर्ड को ठीक करवाने के लियें चक्कर लगा रही है लेकिन सब बेकार है ..आदरणीय यह एक गंभीर बात है और कभी भी किसी बढ़े विवाद का कारण बन सकता है इसलियें इस मामले की गंभीरता देखते हुए तुरंत प्रभाव से जिला प्रशासन कोटा को इन्द्राज दुरुस्तिकर्ण करने और दोषी कर्मचारियों को दंडित करने के निर्देश जारी करें ...शुक्रिया
अख्तर खान अकेला एडवोकेट
कोटा राजस्थान
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