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18 मई 2012

एक ऐसा इलाका, जहां हर दिन जानलेवा लहरों के बीच मौत का खेल खेलते हैं लोग

जबलपुर। देश के विकास के लिए बना बरगी बांध यहां के रहवासियों के लिए समाधि स्थल बनता जा रहा है। बांध बनने के बाद से यहां से विस्थापित परिवार आज बहिष्कृत जीवन जीने को मजबूर हैं। नर्मदा किनारे घाटियों में निवास कर रहे ये परिवार मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं। इन्हें घाट के एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुंचने के लिए अपनी जान तक की दांव में लगाना पड़ता है।

नर्मदा नदी पर बनने वाले तीस बड़े बांधों में रानी आवंती बाई लोधी सागर बांध पहला कम्प्लीट बांध है। सेंट्रल वाटर कमीशन ने 1968 में इस बांध को बनाने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद 1975 में इस बांध का निर्माण कार्य शुरू किया गया। इसके तहत 162 गांव प्रभावित हुए, जिनमें 82 गांव पूर्णता: डूब गए। इनमें मंडला जिले के 95 गांव, सिवनी के 48 गांव तथा जबलपुर के 19 गांव प्रभावित हुए हैं। इनमें करीब १क् से बारह हजार परिवार विस्थापित हुए हैं, जो आज रोजी रोटी के लिए मोहताज हैं।

बांध बनने के पहले नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर रह रहे परिवारों की एक दूसरे से नाते रिस्तेदारी और आपसी कारोबार चलता था, जिसके लिए नदी का पाट कम होने से लोग छोटी-छोटी डोंगी के सहारे एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुंच जाते थे। गर्मी के दिनों मे तो लोग पैदल ही यहां आना जाना करते थे, लेकिन रानी आवंती बाई सागर का निर्माण होने से अब यह संभव नहीं रह गया। यहां लोगों का आना-जाना कम हो गया, लेकिन शादी विवाह एवं मृत्यु के मौकों पर जल परिवहन के लिए कोई साधन न होने से रिस्तेदारी निभाने लोग छोटी-छोटी डोंगियों के सहारे जान जोखिम में डाल एक किनारे से दूसरे किनारे तक आनाजाना करते हैं। ऐसे में कई बार नदी में उठती ऊंची लहरें इनकी मौत का कारण बन जाती हैं।

इस समस्या का समाधान करने यहां रह रहे विस्थापित परिवारों ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को जल परिवहन की व्यवस्था करने का प्रस्ताव भी दिया, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन व राजनेताओं ने इनके बचाव व आवागमन के लिए कोई पहल नहीं की। इसके चलते एक के बाद एक बांध के अथाह जल में डूबकर मौत के मुंह में समाते चले गए।

बरगी नगर में बाजार होने के कारण यहां रह रहे विस्थापित परिवार राशन, बीमारों का इलाज तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आज भी जान की बाजी लगाकर कस्ती के सहारे आना जाना करते हैं।

अब तक हो चुकी हैं कई मौतें : 31 दिसंबर 2001 में बरगी नगर बाजार करने आए पौड़ी निवासी भारत, महेंद्र व भानवती बाई की कश्ती पलटने से मौत हो गई थी। वहीं 26 अप्रैल 12 को ग्राम किरहुपिपरिया एवं मुलडोंगरी के आदिवासी परिवार लड़के के फलदान के लिए ग्राम रजौला जा रहे थे। इस दौरान शाम करीब तीन बजे नर्मदा में तेज लहरें उठने एवं तेज हवा चलने से कश्ती पटल गई। इसमें नौ लोग सवार थे, जिनमें से डूबने से 6 लोगों की मौत हो गई। वहीं तीन में से दो को दूसरे कश्ती के लोगों ने बचाया तो एक ने तैर कर अपनी जान बचाई।

इन विस्थापित परिवारों के लिए डूब से खुलने वाली जमीन ही खेती का साधन है। ऐसे में वहां आने जाने व मत्साखेट करने के दौरान नाव डूबने से मौतें हो जाती हैं। ग्राम पौंड़ी, बीजाडांडी व मंडला में अभी तक इस बावत नर्मदा पार करते समय तीन लोगों की मौत हो चुकी हैं। इसके बाद भी प्रशासन इन विस्थापित परिवारों की अनदेखी कर रहा है, जो इन परिवारों के लिए न्याय संगत नहीं है।

तस्वीरें: राजस्थान में गोहंदी के टीले में मिले 2200 साल पुरानी मिट्टी की मुद्रा



तस्वीरें: राजस्थान में गोहंदी के टीले में मिले 2200 साल पुरानी मिट्टी की मुद्रा






जयपुर.डिग्गी मालपुरा रोड स्थित गोहंदी के एक टीले में 200 ईसा पूर्व से 200 ईस्वी काल की मिट्टी की मुद्रा मिली हैं। मौके पर पहुंची विशेषज्ञ टीम के सदस्य एवं विभाग के वृत्त अधीक्षक जफरउल्लाह खां का कहना है ऐसा राजस्थान में पहली बार है। इससे पता चलता है कि 2200 साल पहले जयपुर के पास ही एक सुव्यवस्थित सभ्यता थी।

मौके पर मुहर के अलावा मिट्टी की चूड़ी के लगभग 4.6 वर्गाकार टुकड़े, लगभग 1.8 सेमी वर्गाकार गेंद, मिट्टी का मनका व उसके तीन टुकड़े, सलेटी व लाल मृदपात्र के टुकड़े व एक टौंटीदार मृदपात्र मिले हैं। विभाग के विशेषज्ञों ने मुहरों व अन्य आइटम्स का अध्ययन कर लिया है। पिछले दिनों पुरातत्व विभाग की टीम मौके से मुहर और अन्य मिले आइटम्स जयपुर लाई। टीले की खुदाई में और भी पुरामहत्व की सामग्री मिलने के संकेत मिले हैं।

यह सामने आया अध्ययन में

गोहंदी टीले के चारों ओर कुषाण काल की ईंटें आज भी दिखाई दे रही हैं। ये ईंटें 36 सेमी लंबी, 25 सेमी चौड़ी व 6.5 सेमी मोटाई की हैं। जिस आकार की ये ईंटें हैं, वे क्षत्रपों के काल में हुआ करती थीं, जो मिट्टी से बनती थीं। तब भवनों की दीवार बनाने में इनका उपयोग किया जाता था। 200 ईसा पूर्व से 200 ईसवी के भवनों में इसी प्रकार की ईंटों के अवशेष मिलते हैं। बौद्ध स्तूप की दीवारों में इसी आकार की ईंटों के अवशेष आज भी मौजूद हैं। गोहंदी में टीले पर प्राकृतिक रूप से बनी ट्रेंच में कोयले के टुकड़े, राख, हड्डियों व मृदपात्र के टुकड़े दिखाई दे रहे हैं।

यह है मुहर का महत्व

गोहंदी में मिली मुहर पर जो लिपि लिखी है वह ब्राह्मी अक्षर हैं। जो अक्षर पढ़ने में आ रहे हैं वे हिंदी में ज, य, प, क, र, द्र, ध/व आदि हैं। शेष अक्षर अस्पष्ट हैं। पुरातत्वेत्ताओं के अनुसार ये मुद्रा मृणमुद्रा कहलाती हैं। जो वर्तमान सिक्के नुमा हैं।

मौके पर पहुंची टीम के सदस्य एवं विभाग के वृत्त अधीक्षक जफरउल्लाह खां का कहना है कि कई जनपदों की मृणमुद्राएं मिलती हैं, जिनमें ब्राह्मी लेख अंकित रहते हैं। मृणमुद्रा पर अंकित लेख क्षत्रप एवं जनपदीय सिक्कों के अनुरूप हैं। एक अन्य सदस्य अधीक्षक (उत्खनन) कृष्णकांता शर्मा का कहना है कि गोहंदी का टीला चित्रित धूसर पहाड़ी है, जिसे संरक्षित करने की जरूरत है। ऐसी साइट्स का सर्वे किया जा रहा है।

'गोहंदी के टीले में मुहर व अन्य सामग्री मिली है, इनका अध्ययन किया गया है। ये सामग्री राज्य के किसी प्रमुख संग्रहालय का हिस्सा बनेंगी।'

राजस्थान: आज से 5 घंटे तक होगी बिजली कटौती



जयपुर.देशव्यापी बिजली की कमी और प्रदेश के विभिन्न बिजलीघरों की करीब 11 इकाइयां बंद होने से राज्य में बिजली कटौती की अधिकारिक घोषणा की गई है। अब जयपुर से लेकर गांवों तक एक से पांच घंटे की कटौती की जाएगी। जयपुर में एक घंटा, संभाग मुख्यालयों पर दो घंटे, जिला मुख्यालयों पर 3 घंटा, नगर पालिका क्षेत्र में 4 घंटे और 5 हजार से ऊपर की आबादी वाले क्षेत्र में 5 घंटे की कटौती की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में शाम छह बजे से सुबह सात बजे तक और पांच घंटे के थ्री फेस सप्लाई की जाएगी।


बिजली निगम के निदेशक सी.एस. चंडालिया ने बताया कि जैसे ही बिजली की उपलब्धता होगी कटौती समाप्त कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि ग्रिड अनुशासन को सुनिश्चित करने के लिए ही कटौती की जा रहा है। देशभर में 35,000 मेगावाट की कमी चल रही है।


इसके अलावा राजस्थान में सूरतगढ़ की एक, छबड़ा की दो, बरसिंगसर की दो, धौलपुर की दो, राज वेस्ट की दो इकाइयां बंद होने से बिजली की सप्लाई पर असर आ रहा है। इसके चलते राज्य में 1500 मेगावाट की कमी है। अभी 1150 लाख यूनिट की उपलब्धता है, जबकि गर्मी के कारण 1400 यूनिट की मांग है।


करीब 250 लाख यूनिट की कमी चल रही है। इस कमी को देखते हुए बिजली निगम की ओर से 100 से 150 लाख यूनिट एक्सचेंज से खरीद की जा रही है। फिर भी एक्सचेंज के कम बिजली मिलने के कारण पूर्ति नहीं हो पा रही है।


उन्होंने बताया कि इसी प्रकार पवन ऊर्जा से भी कभी कभी उत्पादन 1000 मेगावाट से कम होकर 500/100 मेगावाट तक ही रह जाता है। उससे भी अनियमित कटौती की जा रही है।

धारीवाल और यूडीएच अफसरों को विदेश जाने से रोका


जयपुर.शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल और शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव जीएस संधु सहित कई अफसरों की विदेश यात्रा पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी है। धारीवाल मलेशिया जाने के लिए दिल्ली चले गए थे। और अफसरों को शुक्रवार को जाना था। इस दल को 19 मई की शाम को एक सप्ताह के लिए मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर जाना था। सरकारी सूत्रों के अनुसार इस दल को सिंगापुर भी जाना था।

सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कार्यालय में धारीवाल के नेतृत्व में विदेश जाने वाले अधिकारियों की यात्रा संबंधी फाइल को मंजूरी नहीं मिली। धारीवाल के साथ विदेश यात्रा पर जाने वाले अफसरों में कार्यवाहक जेडीसी एनसी गोयल, जेडीए में वित्तीय सलाहकार डीसी जवड़ा, डायरेक्टर इंजीनियरिंग एनसी माथुर आदि थे। धारीवाल से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि यात्रा को मुख्यमंत्री ने नहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय ने विदेश यात्राओं पर रोक के कारण हाल ही जारी एक आदेश के तहत रोका गया है।

फिर लागू हो सकते हैं राज्य में मितव्ययता निर्देश

राज्य में ढाई साल पहले लागू किए गए मितव्ययता संबंधी निर्देश एक बार फिर लागू किए जा सकते हैं। इस आशय के संकेत राज्य सरकार के आला अधिकारियों ने दिए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने पिछली बार मितव्ययता को लेकर कटौतियां जारी की थीं तो इन्हें राज्य पर भी लागू कर दिया गया था।

इतना दौलतमंद है भारत का ये मंदिर कि गिनने में लग जाते हैं महीनों।



क्या आप जानते है कि देश के नामी मंदिरों में शुमार शिरड़ी वाले साईं बाबा का मंदिर कितना दौलतमंद है? यहां हर साल कितना चढ़ावा चढ़ता है? नहीं पता तो चलिए हम आपको बता देत हैं कि आखिर ये मंदिर कितनी ज्यादा संपत्ति का मालिक है।

दरअसल, देश भर के मंदिरों को लेकर भारतीयों में काफी आस्था है। इस आस्था के साथ लोग भगवान को चढ़ावे के रूप में धन-दौलत, हीरे-मोती, सोना-चांदी और अन्य मूल्यवान रत्न चढ़ाते हैं। ये चढ़ावा भगवान के मंदिरों को दौलतमंद बनाता है। ऐसा ही एक मंदिर है शिरडी के साईं बाबा का मंदिर।

महाराष्ट्र के इस मंदिर के पास इतनी दौलत है, जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा। हर साल भक्त यहां पर कई सौ करोड़ रुपये का चढ़ावा चढ़ाते हैं। इ नमें रुपये-पैसेसे लेकर हीर-सोनेका मुकुट तक शामिल है।

वर्तमान में इस मंदिर के खजाने में 280 किलोग्राम सोना मौजूद है। आज के सोने की कीमत के हिसाब से ये संपत्ति करीब 82 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। वहीं भक्तोंने साईंबाबा को 30000 किलोग्राम से भी ज्यादा की चांदी दान की है। इस की कीमत भी करीब 17 करोड़ रुपये के आस-पास है। यानि अकेले सोने-चांदी के चढ़ावे से ही ये मंदिर अरबपति मंदिर बन जाता है।

इतना ही नहीं शिरडी वाले साईं बाबा के दरबार में भक्त हर साल कई सौ करोड़ रुपये का नगद चढ़ावा चढ़ाते हैं। इस चढ़ावे को गिनते समय कई बार पूजारी लोग पैसों पर ही सो जाते हैं। वहीं हीरे के बने आभूषणों की कीमत भी करोड़ों में भी बतायी जाती है।

सूत्रों के मुताबिक, पिछले 5 सालों में संस्थान को श्रद्धालुओं की ओर से कई अरब रुपये का दान मिल चुका है। हाल ही में दिल्ली के एक श्रद्धालु ने 1.5 किलोग्राम सोना साई के चरणों में चढ़ाया है। वहीं मुंबई के एक शख्स ने चढ़ावे के तौर पर 900 ग्राम सोना दान किया है। साल भर में ऐसे कई दान साईं बाबा के चरणों में चढ़ते हैं।

कुरान का संदेश

बस अब चंद मिनट का इंतजार..फिर खुलेगी FACEBOOK की 'नई' दुनिया




दुनिया भर के निवेशक फेसबुक का आईपीओ खुलने का इंतजार कर रहे हैं। इन निवेशकों का इंतजार बस चंद मिनटों बाद खत्म हो जाएगा। न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक, सारे बाजार खुलने के करीब 90 मिनट बाद ही फेसबुक अपना आईपीओ बाजार में ला सकेगा। अमेरिकी समय के अनुसार सुबह 11 बजे के आस-पास फेसबुक का आईपीओ लॉन्च होगा।


फेसबुक ने अपने शेयर की शुरूआती कीमत तय कर दी है। कंपनी के 1 शेयर को खरीदने के लिए अब 38 डॉलर यानि करीब 2100 रुपये खर्च करने होंगे। इस कीमत के आधार पर फेसबुक के शेयरो को मूल्य 104 अरब डॉलर यानि करीब 5700 अरब रुपये रहने की उम्मीद जताई जा रही है।



बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, आईपीओ खुलते ही न्यूयॉर्क शेयर बाजार के कंपनी के शेयरों के दाम ऊंचाई पर रहने की संभावना है। हालांकि ये उछाल कितनी होगी, इस बारे में कुछ भी अभी कहा नहीं जा सकता है।


दिलचस्प है कि पहले कंपनी ने अपने आईपीओ के लिए 28-35 डॉलर का प्राइस बैंड निर्धारित किया था। प्राइस बैंड के अधिकतम स्तर यानी 38 डॉलर के हिसाब से अगर फेसबुक की कीमत आंकी जाए तो कीमत बैठती है करीब 104 बिलियन डॉलर।



कंपनी अभी पूरे शेयर नहीं बेच रही है। अभी जितने शेयर बेच रही है उससे कंपनी को करीब 12 बिलियन डॉलर यानी 60 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। कंपनी 33 करोड़ शेयरों की जगह अब करीब 42 करोड़ शेयर बेचेगी। फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग तो कंपनी में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेचेंगे लेकिन सिलिकॉन वैली के बड़े उद्योगपति पीटर थील 16 करोड़ शेयर बेचेंगे। गोल्डमैन सैश ने भी करीब 28 करोड़ शेयर बेचने का फैसला किया है। हेज फंड टाइगर ग्लोबल 23 करोड़ शेयर बेचेगा।



गुजराती करेंगे 100 करोड़ निवेश!

गुजराती शेयर बाजार में निवेश करने में सबसे आगे हैं। ऐसे में फेसबुक के आईपीओ को लेकर गुजरात के लोग भारी निवेश करने की तैयारी में हैं। सुत्रों के मुताबिक, गुजराती फेसबुक आईपीओ में लगभग 100 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश कर सकते हैं। अहमदाबाद में लगभग 10 से 15 लोग फेसबुक इश्यू पर नजर गड़ाए हुए हैं। सिर्फ गुजरात में ही नहीं मुंबई और दिल्ली के हाई नेटवर्थ निवेशक भी करोड़ों रुपये इस इश्यू में लगाने को तैयार हैं।



गूगल को पिछाड़ेगी फेसबुक?

फेसबुक आईपीओ को कई जानकार इंटरनेट सर्च इंजन गूगल के आईपीओ की नकल भी मान रहे हैं। 2004 में गूगल ने अपना आईपीओ शेयर बाजार में लिस्टेड कराया था। उस समय कंपनी ने अपने 1 शेयर के लिए 85 डॉलर कीमत तय की थी, जो अगले 3 वर्ष में बढ़कर 600 डॉलर तक पहुंच गई थी।

जुम्मे की नमाज़ में क्या ऐसा अनुशासन .........अनुशासन कहलाता है

दोस्तों अस्स्लामोअलेकुम आज जुम्मा था जुम्मा मुबारक हो शुक्रवार था इसलियें खुदा का शुक्रिया भी अदा क्या है ..में अपनी बात कहाँ से शुरू करूँ और कहा खत्म करूँ समझ नहीं आता .मुझे यह भी समझ नहीं आता के इस सच से कितने लोग मुझसे नाराज़ होंगे और कितने लोग मुझ से इत्तिफाक रख कर मेरी बात को आगे बढ़ाएंगे लेकिन डरना तो सिर्फ खुदा से डरना अपनों और परायों का क्या इन्हें तो मना लेंगे इसलियें माफ़ी के साथ निहायत ही अदब से अर्ज़ है के आज जुम्मे की नमाज़ पढने हम एक मस्जिद में थे ..नमाज़ शुरू हो गई थी कुछ लोग देरी से तो कुछ लोग बहुत देरी से आये .खुतबा शुरू हुआ फर्ज़ पढ़े और मोलाना दुआ करवाते इसके पहले ही कई लोग हमेशा की तरह इमाम के पीछे नमाज़ की नियत बांध कर भी अपनी अलग नमाज़ पढ़ रहे थे इधर इमाम साहब फर्ज़ के बाद दुआ की तकमील कर रहे थे और इधर कुछ लोग अपनी नमाज़ अलग पढ़ रहे थे कुछ बच्चे भी मस्जिद में थे ..बच्चे तो बच्चे होते है वोह अपनी तरह से समझते है एक ने देर से आने वाले पर टिप्पणी की देख लो खुदा पर अहसान करने आ गये देर से ही सहे आ तो गए ..दुसरे ने अपनी नमाज़ अलग पढ़कर जल्दी जाने वालों पर टिपण्णी की ,,,,,,,इन लोगों के टाटा ..बिडला ..से भी बढ़ी बिजनेस है इनमे कोई तो उद्द्योग्पति है कोई भारत का प्रधानमंत्री कोई राष्ट्रपति है अगर यह इमाम के साथ नमाज़ पढने में दो मिनट ज्यादा दे देंगे तो देश बर्बाद हो जाएगा इसलियें इन्हें तो जल्दी है तो यह तो बेचारे इमाम साहब के पीछे होकर भी उनके पीछे नमाज़ नहीं पढ़कर खुद की अलग से नमाज़ पढ़ कर जा रहे है ...एक नमाज़ी ने कहा के बच्चे तो बच्चे होते है मन के सच्चे होते है उनकी बात में दम तो है ....में सोचने लगा के सही तो है एक जुम्मा जो फर्ज़ है जिसका कुरान में विशिष्ठ हुक्म है वोह भी इमाम के पीछे सही वक्त पर अगर हम पहुच कर नहीं पढ़ सकें ..इमाम के पीछे उसके साथ अनुशासित तरह से नमाज़ पढने में हमे एतराज़ हो हम दो मिनट पहले जाने के लियें अगर बिना किसी ख़ास वजह के इस अनुशासन को तोड़े तो शायद यह इस्लाम की निगाह में अपराध है अनुशासन को तोडना है ..मेने यह भी देखा के मस्जिद में नमाज़ पढने के बाद जहां पहले कई सालों पहले मस्जिदों में आने जाने वालों की एक दुसरे से दुःख दर्द पर चर्चा होती थी मदद की बातें होती थी तबादले ख्याल होते थे वोह सब बंद बस नमाज़ पढ़ी मोटरसाइकल या कर उठाई और छूमंतर शायद इसे हम रस्म सी समझने लगे है ..मुझे पता नहीं के इस तरह के नमाजियों को केसे समझाएं वोह सही है या गलत ....लेकिन इस मामले में कुरान और हदीस में मसले तलाशे तो बहुत कुछ मिला बहुत कुछ नहीं भी मिला इस खोज खबर के लियें में किसी मुफ्ती जानकार का भी सहारा लूँगा लेकिन मेने सोचा मेरे पास तो मेरे अपनों की अपने ज्ञानियों की जानकारों की एक दुनिया है ऐसी खुबसूरत दुनिया जिनके पास हर सवाल का जवाब है तो फिर इस दुनिया से इस सवाल का जवाब क्यूँ ना मांग लूँ तो दोस्तों इस सवाल के जवाब की तलाश में में आपको भी तकलीफ दे रहा हूँ अगर मिले तो प्लीज़ मसलों सहित बताने की महरबानी करे .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक अच्छा वकील सिफारिशी बनता है या फिर कानून का जानकार कुछ समझ नहीं आता

आज अदालत में लंच के वक़्त कुछ सीनियर और जूनियर वकील एक साथ चाय की टेबल पर बेठे थे ..सीनियर से एक जूनियर वकील साथी ने सवाल किया के सर एक अच्छा वकील बन्ने के लियें वकील की क्या दिनचर्या होना चाहिए ....इस सवाल के जवाब में सीनियर साहब ने फरमाया के भाई सुबह दफ्तर में जाओ फिर दिन में वक्त पर अदालत में आओ मन लगाकर फाइलें पढो और अदालत में नियमित उपस्थिति दो शाम को दफ्तर में बेठो फाइलों और कानून की किताबें पढो पक्षकारों का भरोसा जीतो अच्छे वकील बन जाओगे ....दुसरे सीनियर साहब ने मुंह बनाया और कहा के नहीं भाई इन चीजों से कोई बढ़ा वकील नहीं बनता केवल आता है और जाता है मक्खियें मरता रहता है सीनियर साहब ने कहा के अभी रास्ज्थान के मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत के लडके वैभव गहलोत जी को ही देख लो वकालत में क्या जानते हैं क्या नहीं यह तो सभी को पता है लेकिन बढ़ी क्रोपोरेट कंपनियों से लाखों रूपये प्रतिमाह कम रहे है ..............उन्होंने कहा के भाई आप खुद ही देख लो जिन्हें वकालत की ऐ बी सी डी का ज्ञान नहीं है वोह तो सरकारी पैरोकार ....निजी बढ़ी कम्पनियों के वकील है लाखों रूपये प्रतिमाह कम रहे है और जो नियमित वकील है वोह क्या कर रहे है सभी जानते है इसलियें भाई बढ़ा वकील बन्ने के लियें बेंकिंग ..फाइनेंस कम्पनियां..सरकारी एजेंसियां पकड़ो और इनके लियें क्या कुछ करना पढ़ता है यह सब जानते है जो एक वकील तो नहीं कर सकता दूसरी बात उन्होंने बताई के अंकल जज हो तो फिर तो मजे ही मज़े है बढ़ी अदालत हो तो गुडविल के नाम पर मुकदमे है छोटी अदालतें हैं तो विधिक सहायता समिति और दूसरी तरह से मदद तो मिल ही जाती है ....बीच में एक छोटे जूनियर वकील ने दखल अंदाजी की और कहा के सर हमें तो वकील बनना है ऐसे सिफारिशी नहीं जो बाद में कानून की बात आने बगलें झांके क्योंकि हमने देखा है के अदालतों में , पक्षकारों में , वकील मित्रों में इज्ज़त तो उसी की है जो पूरा वकील है और पूरा वकील वही है जो खुद कानून जानता है ..कानून पढ़ता है कानून उसकी इबादत होती है और दफ्तर ..अदालत का नियमित वक्त मुक़र्रर होता है फाइलें पढ़े पक्षकरों के लियें ईमानदारी से लादे उन्हें इन्साफ दिलाये और फिर एडवोकेट एक्ट के प्रावधानों की मर्यादा भी रखे वरना अदालतों के आगे सर झुका कर आने वाले तो बहुत मिल जायेंगे अदालतों को भी कानून बताकर सजग और सतर्क करे क्यूंकि वकील कोई साधारण व्यक्ति नहीं कोर्ट ऑफिसर होता है जो अदालत को जज को कानूनी मशवरा ..कानूनी जानकारी देकर झूंठ में से सच अलग कर न्याय करवाने में मदद करता है ..में सोचने लगा के यह जूनियर वकील है तो छोटा लेकिन छोटा मुंह बढ़ी बात है और सच्ची बात है बस फिर सभी जूनियर उसकी हां में हां मिलाने लागे उनका कहना था के हम कोलेज में जो पढ़कर आते है वोह अदालतों में बहुत कम नज़र आता है एक ने कहा कोलेज में हम पढ़ते है के अदालत जब बयान कराती है तो खुद गवाह के शब्दों को अपने शब्दों में लिखवाती है उसकी भावभंगिमा की टिपण्णी अंकित करती है लेकिन यहाँ तो एक अदालत में इधर बयान ..उधर बयान ..इधर बहस कई काम एक साथ चलते है ..उनका कहना था के हमे पढ़ाया जाता है के अभियुक्त का विधिक सहायता का अधिकार गिरफ्तारी से शुरू हो जाता है लेकिन रिमांड होता है वकील आये या ना आये रिमांड लेकर पुलिसवाले कहते बनते है ..कई मामलों में तो बिना वकालत नामे के जुर्म स्वीकार और मामला खत्म ....जूनियर वकील जी ज्यादा बोलते इसके पहले ही सीनियर जी ने टोक दिया के अभी तो देखे जाओ आगे आगे देखने को मिलता है क्या ......में भी सोचता रहा के क्या इन सभी मुद्दों पर चिंतन की जरूरत है या फिर इन मुद्दों को यूँ ही सब चलता है ..क्या फर्क पढ़ता है कहकर छोड़ दिया जाए .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

टमाटर है इन रोगों की जबरदस्त दवा, ऐसे खाएंगे तो सेहत बन जाएगी



टमाटर खाइए सेहत बनाइए। जी हां टमाटर कोई साधारण सब्जी नहीं बल्कि हेल्थ का डॉक्टर है। टमाटर में प्रोटीन, विटामिन, वसा आदि तत्व विद्यमान होते हैं। यह सेवफल व संतरा दोनों के गुणों से युक्त होता है। कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है इसके अलावा भी टमाटर खाने से कई लाभ होते हैं। पौष्टिक तत्वों से भरपूर टमाटर यूं तो हर मौसम में फायदेमंद है, लेकिन इसमें मौजूद विटामिन ए और सी गर्मियों में इसकी उपयोगिता को और महत्वपूर्ण बना देते हैं। आप चाहे इसे सब्जी में डालें या सलाद के रूप में या किसी और रूप में, यह आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। आइए, जानें टमाटर के फायदे

टमाटर के गूदे में दूध व नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे पर चमक आती है। टमाटर जवां दिखेंगे यह झुर्रियों को कम करता है और रोम छिद्रों को बड़ा करता है। इसके लिए टमाटर और शहद के मिश्रण वाला फेस पैक इस्तेमाल करें। टमाटर के छिलके और बीज को निकाल दें। टमाटर सिर्फ एक सब्जी नहीं बल्कि ये अपने आप में एक संपूर्ण औषधी है आइए जाने कैसे? इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। टमाटर से पाचन शक्ति बढ़ती है।

भोजन करने से पहले दो या तीन पके टमाटरों को काटकर उसमें पिसी हुई कालीमिर्च, सेंधा नमक एवं हरा धनिया मिलाकर खाएं। इससे चेहरे पर लाली आती है व पौरूष शक्ति बढ़ती है। पेट में कीड़े होने पर सुबह खाली पेट टमाटर में पिसी हुई कालीमिर्च लगाकर खाने से लाभ होता है।डाइबिटीज व दिल के रोगों में भी टमाटर बहुत उपयोगी होता है। प्रात: बिना कुल्ला किए पका टमाटर खाना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है। टमाटर खाने वालों को कैन्सर रोग नहीं होता। टमाटर के नियमित सेवन से पेट साफ रहता है।

खास आयुर्वेदिक नुस्खे: दुबलेपन व कमजोरी से परेशान लोगों के लिए....


दुबलापन एक ऐसी समस्या है, जिससे ग्रसित लोग अक्सर आत्मविश्वास में कमी महसूस करते हैं और हेल्थ बढ़ाने के लिए कुछ भी करने को तैयार होते हैं। अगर आप भी दुबलेपन से परेशान हैं तो निराश न हों आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के सम्मिलित प्रयासों से दुबलेपन की समस्या के कारगर उपाय खोज निकाल लिए गए हैं। ये उपाय कुछ इस तरह हैं...

- अध्वगंधा और शतावर का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर 1 से 2 चम्मच प्रतिदिन शुद्ध दूध के साथ सोने से पहले सेवन करें।

- दूध में उबालकर प्रतिदिन 5 छुवारे यानी खारक का सेवन करें।

- एक गिलास दूध में दो चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें।

- भोजन में सलाद, नाश्ते में अंकुरित अन्न, तथा फलों का प्रयोग प्रारंभ करें।

- यथा संभव नशीले पदार्थों चाय, कॉफी, गुटका-तम्बाकू, सिगरेट और शराब आदि से दूर रहें।

ऊपर बताए इन प्रयोगों को यदि कोई लगातार दृढ़ संकल्पित होकर करें तो निश्चित रूप से उसे दुबलेपन और अन्य शारीरिक कमजोरियों से छुटकारा मिल जाएगा।

150 सौ साल पहले यूं दिखती थी नवाबों की नगरी


दुर्लभ तस्वीरें:करीब 150 सौ साल पहले यूं दिखती थी नवाबों की नगरी

लखनऊ. हम यूपी की पुरानी समृद्धि, परंपरा को तस्वीरों कहानी के माध्यम से आपको बताने का सीरिज चला रहे हैं। इसमें आज हम आप लखनऊ के हुसैनाबाद इमामबाड़ा की तस्वीरें दिखा रहे हैं।

करीब 150 साल पहले लखनऊ यूं दिखता था। हुसैनाबाद इमामबाड़ा की ये तस्वीरें 1974 में दारोघा अब्बास अली ने ली थीं। हुसैनाबाद इमामबाड़ा को 1837 में अवध के नवाब मोहम्मद अली साह ने मोहर्रम के मौके पर बनवाया था। लखनऊ को नवाबों की नगरी कही जाती है।

शाहरुख पर MCA ने लगाया 5 साल का बैन, BCCI ने दिखाए तेवर


मुंबई. महाराष्‍ट्र क्रिकेट ए‍सोसिएशन ने वानखेड़े स्‍टेडियम में झगड़ा और गाली गलौच करने के आरोपी बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया है। एमसीए के प्रेसिडेंट विलासराव देशमुख ने आज बताया कि शाहरुख पांच साल तक वानखेड़े स्‍टेडियम में घुस नहीं सकेंगे। बॉलीवुड अभिनेता दर्शक के तौर पर भी स्‍टेडियम में दाखिल नहीं हो सकेंगे।

हालांकि आईपीएल के चेयरमैन और बीसीसीआई के उपाध्‍यक्ष राजीव शुक्‍ला शाहरुख के बचाव में उतर आए हैं। उन्‍होंने कहा है कि शाहरुख पर पाबंदी के बारे में एमसीए का पत्र मिला है लेकिन अंतिम फैसला बीसीसीआई लेगी। वहीं, एमसीए का कहना है कि वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगा। ऐसे में एमसीए और बीसीसीआई टकराव के मूड में दिख रहे हैं।

देशमुख ने कहा कि शाहरुख को अपने किए पर अफसोस नहीं है। लेकिन एमसीए ने शाहरुख को बैन कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि जो कोई भी इस तरह की हरकत करेगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी। देशमुख ने कहा है कि एमसीए ने शाहरुख के खिलाफ कार्रवाई पर फैसला करने के लिए आज बैठक की। बॉलीवुड अभिनेता के खिलाफ बैन के बारे में बीसीसीआई को लिखा गया है।

एमसीए के मुताबिक यह मामला बेहद संगीन है क्‍योंकि ऐसी घटना मैदान पर हुई है। हालांकि गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस में शाहरुख ने कहा था कि वह मैदान में नहीं घुसे थे।

राजद मुखिया लालू प्रसाद ने कहा है कि शाहरुख के खिलाफ लोगों ने दुश्‍मनी निकाली है। सुरक्षाकर्मी बीजेपी के लोग थे। एमसीए के अध्किारियों ने जानबूझकर एक साजिश के तहत शाहरुख को फंसाया है। रॉयल चैलेंजर्स के विदेशी खिलाड़ी पर होटल में एक विदेशी महिला के साथ छेड़छाड़ की घटना के बारे में लालू ने कहा, आईपीएल एक मायाजाल की तरह है और इसे बंद कर देना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री फारुख अब्‍दुल्‍ला ने कहा है कि शाहरुख खान को अपने गुस्‍से पर काबू रखने की जरूरत है। कांग्रेस नेता सत्‍यव्रत चतुर्वेदी ने शाहरुख पर बैन के बारे में कोई भी टिप्‍पणी करने से इनकार किया है। आईपीएल में विवादों के बारे में उन्‍होंने कहा कि सभी घटनाओं की निष्‍पक्ष जांच होनी चाहिए

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