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20 मई 2012

कुरान का संदेश

मुफ्त विधिक सहायता आम जरूरत मंदों तक केसे पहंचे इसके लियें जागरूकता की जरूरत है

कल अदालत में शनिवार का दिन था कोटा की अदालतों में शनिवार को हड़ताल रहती है .....लेकिन खास काम तो वकील लोग करते ही हैं ...खेर हडताल के माहोल में हंसी ठिठोली चल रही थी ..के पाली की एक महिला जिसकी शादी कोटा में हुई थी अपने पति से पिट पिता कर घरेलु हिंसा का मामला दर्ज करवाने अदालत आई ...हमने उस महिला से कहा के सम्बंधित थाने जाओ ..महिला थाने जाओ ..सरकार ने घरेलू हिंसा अधिनियम के लियें प्रोटेक्शन ऑफिसर बना रखा है उसके पास जाओ मुफ्त में और जल्दी न्याय मिलेगा ..उसका कहना था के सर में पढ़ी लिखी महिला हूँ में पाली में कानून की पढ़ाई पढ़ी है वकालत तो नहीं की इसलियें इन सभी जगह में होकर आई हूँ वहा मुझे निराशा ही मिली है इसीलियें तो मुझे अदालत आना पढ़ा है ..उसका कहना था के में बहुत गरीब हूँ और मुझे सरकार ने जो कानूनी रूप से पीड़ित महिलाओं और गरीब लोगों को न्याय दिलाने के लियें विधिक सहायता कानून बना रखा है उसके तहत मदद दिलवा दो मुफ्त का वकील और खर्चा वहां से मिल जाएगा और मुझे न्याय मिल जाएगा ....मेने कहा के विधिक सहायता छोडो आप पीड़ित है हम खुद ही चेरिटेबल कार्य के तहत यह काम कर देंगे बस फिर क्या था वोह नाराज़ हो गयी कहने लगी सर अप वकील है फिर भी ऐसी बात करते है यह तो विधिक सहायता समिति का मामला हिया वोह मेरा हक है मुझे तो वही हक चाहिए ..यह महिला तो चली गयी लेकिन हम कुछ वकीलों में एक सवाल छोड़ गयी हम बतियाते रहे के संविधान के प्रावधानों में आर्टिकल ३९ में विधिक सहायता के प्रावधान है और इसके लियें कानून बन गया है ..आज स्थिति यह है के हर जिले में विधिक सहायता समिति बनी हुई है सरकार का अलग से बजट है ..सम्बन्धित लोगों को मुफ्त विधिक सहायता और साक्षरता के लियें विशेह्स कार्यक्रम चलाने के निर्देश है यहाँ तक के अब विधिक न्यायिक प्राधिकरण भी स्थापित हो चुके है और खास बजट दिया जा रहा है ......एक वकील ने कहा के सभी विधिक न्यायिक प्राधिकरण के बाहर कुल बजट ..और विधिक सहायता पर कितने रूपये खर्च हुए इसकी सुचना भी उपलब्ध करा कर एक नया रिकोर्ड बनाना चाहिए ..एक वकील साहब का कहना था के भाई हमे तो विधिक सहायता समिति से आज तक कोई मुकदमा नहीं मिला केवल कुछ गिनती के लोग है जिन्हें अधिकतम मुकदमे दिए जा रहे है और उनका प्रभाव है ..खेर कुल मिलकर बात खान से शुरू हुई और कहाँ पहुंच गयी हम सोचते रहे के भाई अगर सरकार ने कानून बनाया है तो इसकी पलना के लियें एक स्वतंत्र एजेंसी बनाये जहां उसका अपना स्टाफ हो अधिकारी हो और वोह पंच..सरपंच..पार्षद..विधायक..आगनबाडी कार्यकर्ता ..समाजसेवी संस्थाओं और वकीलों के साथ मिलकर बस्तियों में जाकर इस विधिक सहायता का प्रचार प्रसार करे ताकि आम और जरूरत मंद लोगों को इसकी मदद मिल सके और सभी वकीलों को रोश्त्र के माध्यम से मामले दिए जाएँ ताकि भेदभाव की शिकायत नहीं हो ....एडवोकेट एक्ट में भी लिखा है की वकील गरीब लोगों के मुकदमे सहायतार्थ लड़ेंगे ....बात तो पते की है लेकिन अब इस मामले में इस आर्टिकल को पढ़ कर वकील और पक्षकार ..जनप्रतिनिधि समाजसेवक क्या सही आदमियों तक इसका प्रचार प्रसार कर उन्हें इसकी मदद दिलवा सकेंगे या नहीं .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोटा अदालत धुम्रपान वर्जित क्षेत्र घोषित नहीं हो पा रहा है ..दर्द तो है लेकिन बढ़े आराम के साथ

कोटा जिला न्यायालय के सभागार में जिला विधिक सहायता समिति की तरफ से जिला जज और दुसरे न्यायिक अधिकारियों की उपस्थिति में जर्दा ..गुटका ..सिगरेट ..और धुम्रपान अधिनियम पर भाषण हुए कुछ वकील भाई भी थे सभी ने भाषण वाचे ..नशे के खिलाफ काम कर रहे भाई डोक्टर साहनी ने भी अपने अनुभव बताये लेकिन दुसरे दिन जब इस खबर को अख़बारों में वकीलों ..पक्षकारों ने पढ़ा तो वोह खूब हंसे ..एक वकील साहब का तो कहना था के अगर कोई सेमिनार ऐसे जनहित के मुद्दे पर थी तो जंगल में मोर नाचा किसने देखा की तरह से चोरी चुपके क्यूँ की गयी ..वकीलों के सभागार में इस सेमीनार को आयोजित किया जाता जहां काम से काम दो पांच सो लोग तो इसमें शामिल होते खेर कोई बात नहीं लेकिन ताज्जुब की कहें या हास्यास्पद भरी बात कहे के न्यायपालिका में बेठे अधिकारी वकील सभी इस मुद्दे पर चिंतित है और अदालत परिसर में धूम्र पान को रोकने के लियें या समझायश और धरपकड़ के लियें कोई कदम नहीं उठाये है ..एक पक्षकार ने कहा के साहब कानून तो अदालत से चलता है और अदालत में धुम्रपान पूरी तरह से वर्जित है चोकी सामने है वकील है ..समाजसेवक हैं ..नेता है न्यायिक अधिअकरी हैं लेकिन यहाँ सिगरेट भी बिक रही है जर्दा गुटका भी बिक रहा है बेचना और खरीदना तो दूसरी बात है लेकिन खुले आम अदालत परिसर में वकीलों की टेबलों पर ही जर्दा गुटका खाकर आने जाने वाले आस पास थूक थूक कर गंगी फेला रहे हैं और सिगरेट पी कर तो हवा में जहर घोल ही रहे ही लेकिन खुले आम इस तरह कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कानून के मुहाफ़िज़ों की मोजुदगी में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है शायद इसे ही कहते है चिराग तले अन्धेरा वरना अदालत परिसर में इस मुद्दे पर सेमिनार तो होती ही और वकील ..पक्षकार ..जज सभी मिलकर अदालत को तो कमसेकम धुम्रपान वर्जित क्षेत्र बनवा ही देते लेकिन बातें है बातों का क्या कानून है किताबों में और किताबों का क्या ......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कौन थी सावित्री, यमराज के कैसे लाई अपने पति के प्राण?


ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वटसावित्री व्रत करने का विधान है। इस दिन सावित्री व सत्यवान की कथा सुनने का विशेष महत्व है। यह कथा इस प्रकार है-

किसी समय मद्रदेश में अश्वपति नाम के राजा राज्य करते थे। उनकी कन्या का नाम सावित्री था। सावित्री जब बड़ी हुई तो उसने पिता के आज्ञानुसार पति के रूप में राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को चुना। राजा द्युमत्सेन का राज-पाठ जा चुका था और वे अपनी आंखों की रोशनी भी खो चुके थे। वे जंगल में रहते थे। जब यह बात नारदजी को पता चली तो उन्होंने अश्वपति को आकर बताया कि सत्यवान गुणवान तो है लेकिन इसकी आयु अधिक नहीं है। यह सुनकर अश्वपति ने सावित्री को समझाया कि वह कोई और वर चुन ले लेकिन सावित्री ने मना कर दिया।

तब अश्वपति ने विधि का विधान मानकर सावित्री का विवाह सत्यवान से कर दिया। सावित्री अपने पति व सास-ससुर के साथ जंगल में रहने लगी। नारदजी के कहे अनुसार सत्यवान की मृत्यु का समय निकट आ गया तो सावित्री व्रत करने लगी। नारदजी ने जो दिन सत्यवान की मृत्यु का बताया था उस दिन सावित्री भी सत्यवान के साथ जंगल में गई। जंगल में लकड़ी काटते समय सत्यवान की मृत्यु हो गई और यमराज उसके प्राण हर कर जाने लगे। तब सावित्री भी उनके पीछे चली।

सावित्री के पतिव्रत को देखकर यमराज ने उसे वरदान मांगने के लिए कहा। तब सावित्री ने अपने अंधे सास-ससुर की नेत्र ज्योति, ससुर का खोया हुआ राज्य आदि सबकुछ मांग लिया। इसके बाद सावित्री ने यमराज से सत्यवान के सौ पुत्रों की माता बनने का वरदान भी मांग लिया। वरदान देकर यमराज ने सत्यवान की आत्मा को मुक्त कर दिया और सत्यवान पुन: जीवित हो गया।

इस तरह सावित्री के पतिव्रत से सत्यवान फिर से जीवित हो गया और उसका खोया हुआ राज्य भी वापस मिल गया। वटसावित्री व्रत के दिन सभी सुहागिनों को यह कथा अवश्य सुननी चाहिए।

यूपी पुलिस की शर्मनाक करतूत, लाश को जूतों से

अमरोहा. यूपी के जेपी नगर जिले में स्‍थानीय पुलिस की एक शर्मनाक हरकत सामने आई है। घटना बीते 15 तारीख की है। यहां 24 साल के एक युवक की गोली मारकर हत्‍या कर दी गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने इस युवक की लाश के साथ कथित तौर पर जैसा बर्ताव किया, उससे पुलिस के जांच के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं।

बताया जा रहा है कि मौका-ए-वारदात पर एसपी दीपिका गर्ग पुलिस बल के साथ पहुंचीं। मीडिया में आ रही तस्‍वीरों में दिखाया जा रहा है कि एसपी के साथ मौजूद पुलिस इंस्‍पेक्‍टर ने अपने पैरों से लाश को उलट-पलट कर देखा।

हालांकि अब एसपी दीपिका गर्ग ने इस बारे में सफाई दी है। उन्‍होंने कहा कि जैसी तस्‍वीर दिखाई जा रही है वैसा कुछ भी नहीं था। मौके पर मृतक के परिजन और गांववाले भी मौजूद थे। यदि ऐसा कुछ हुआ होता (पुलिस ने जूतों से लाश को रौंदा होता) तो वहां मौजूद स्‍थानीय लोगों ने भी इसका विरोध किया होता। गर्ग ने कहा कि यह तस्‍वीर उस वक्‍त की है, जब लाश के पास पहुंचने की कोशिश की जा रही थी।

तीन साल में राहुल गांधी ने संसद में किया केवल एक सवाल




नई दिल्‍ली. कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का एक सांसद के तौर पर अच्‍छा रिकार्ड नहीं रहा है। बीते तीन सालों में उन्‍होंने किसी भी चर्चा में हिस्‍सा नहीं लिया है और उनकी उपस्थिति करीब 40 फीसदी है। 'संसद की सर्वोच्‍चता' के बारे में चिंतित दिखाई देने वाले राहुल गांधी ने मई 2009 से अब तक केवल एक सवाल ही किया है।

राहुल ने मार्च 2012 में यूआईडी नंबर स्‍कीम पर मात्र एक सवाल पूछा था। इससे पहले उन्‍होंने संसद में 2005 में सवाल पूछा था। उस वक्‍त उन्‍होंने तीन सवाल पूछे थे। ये सवाल तकनीकी संस्‍थानों में एजुकेशन की क्‍वालिटी, वोकेशनल ट्रेनिंग संस्‍थानों और इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय उड़ान एकेडमी के बारे में थे। उन्‍होंने कोई भी पूरक सवाल नहीं पूछा था।

जब संसद में हाजिरी की बात आती है तो गांधी परिवार के वारिस अक्‍सर सदन से नदारद दिखते हैं। संसद सत्र के दौरान 244 दिनों में से राहुल गांधी लोकसभा में महज 99 दिन ही आए। जब संसद का सत्र चल रहा होता है तो राहुल गांधी सदन में क्‍यों नहीं होते, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी। 'डीएनए' ने राहुल गांधी को इस बारे में ईमेल भी किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया।

तस्वीरें: भारत में है ये दुनिया का सबसे महंगा घर, आंखें चुंधिया देंगी ये नजारे

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तस्वीरें: भारत में है ये दुनिया का सबसे महंगा घर, नजारे ऐसे कि चौंधिया जाएं आंखे
  • दुनिया का सबसे महंगा घर होने को दर्जा लंदन या न्यूयार्क के किसी घर को नहीं, बल्कि मुंबई के एक आलीशान बंगले के नाम है। भारतीय बिजनेसमैन मुकेश अंबानी ने इस घर को बनवाया है। एंटीला नाम से मशहूर इस घर में दुनिया की सारी विलासिता से जुड़ी सुविधाएं मौजूद हैं।  70 फीट ऊंचे इस घर की कीमत आज के हिसाब से करीब 11 हजार करोड़ रुपये के आस-पास है। वहीं अगर सुविधाओं की बात करें तो, यहां पर परिवार के हर सदस्य के लिए अलग हेल्थ क्लब, 168 गाड़ियों के लिए 6 मंजिला गैरेज और थियेटर मौजूद है। एंटीला का अधिकतर फ्लोर पूरी तरह से कांच से बना हुआ है। 27 मंजिल के इस आलीशान घर में तीन हेलीपेड भी हैं।  कई मंजिला इस घर में केवल 5 लोग ही रहते हैं। इसमें खुद मुकेश अंबानी, पत्नी नीता अंबानी और उनके 3 बच्चे रहते हैं। इस घर की देखरेख के लिए एक समय में करीब 600 से ज्यादा नौकर काम करते हैं।

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बादलों के बीच स्टंट दिखाते बाइकर्स ने की हवा से बातें


आकाश को छू लेने का जज्बा। हवा से बातें करते, बादलों के बीच स्टंट दिखाते बाइकर्स। जोश और साहस से भरपूर। रोमांचित दर्शक। ऐसा ही दृश्य देखने को मिला एक सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी की ओर से विद्याधर नगर स्टेडियम में शनिवार को हुए इस एक्शन एडवेंचर स्पोर्ट में।

जहां विश्व के नामी एथलीट्स ने प्रशंसकों को विश्वस्तरीय एफएम एक्स-फ्रीस्टाइल मोटो एक्स, बीएम एक्स-बायसिकिल मोटो एक्स और स्केट बोर्डिग स्टंट दिखाकर रोमांचित कर दिया।

फोटो : मनोज श्रेष्ठ


ये स्टंट्स प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स द्वारा किए गए हैं, इन्हें आप न आजमाएं।
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