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22 मई 2012

सामने आया सम्मान का स्वरूप, मेयर ने किया देहदान का संकल्प

जयपुर.देहदानियों के सम्मान में बनने वाले स्मारक की पहली झलक मंगलवार को देखने के लिए मिली। महाधिवक्ता जीएस बापना की अध्यक्षता में उनके आफिस में हुई बैठक के दौरान स्मारक का स्वरूप मेयर ज्योति खण्डेलवाल ने पेश किया। उन्होंने स्मारक बनाने के लिए टोंक रोड पर स्टेडियम गेट और रामबाग होटल के सामने दो जगहों पर चर्चा की।

उन्होंने दोनों जगह का नक्शा और स्ट्रक्चर प्लान पेश किया। प्रस्ताव को कमेटी ने भी सराहा। कमेटी को उम्मीद है कि स्मारक के लिए जल्द ही सरकार की मंजूरी मिल जाएगी। ‘भास्कर’ मुहिम ‘देहदान को मिले सम्मान’ के बाद मेयर ने स्मारक बनाने की योजना बनाई थी।

देहदान के लिए बनी कमेटी में मेयर द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के अनुसार शहीद स्मारक की तर्ज पर बनाए जाने वाले इस स्मारक पर शहीदों की भांति देहदानी का नाम, किस दिन देह का दान किया गया व उनके शब्दों में देहदान के मायने क्या होंगे, यह सब अंकित होगा। शहर में सबसे पहले देहदान करने से लेकर अब तक देहदान करने वालों के नाम क्रमवार लिखे जाएंगे, उनके फोटो लगाए जाएंगे।

मेयर ने बताया कि स्मारक बनाने के लिए टोंक रोड पर एसएमएस स्टेडियम गेट और रामबाग होटल के सामने की जगहों के लिए राजस्थान स्पोर्ट्स कौंसिल के अध्यक्ष को पत्र लिखा है। देहदान करने वाले के परिजनों को ताम्रपत्र भेंट किया जाएगा, जो महर्षि दधीचि का स्मरण करवाएगा। पूर्व में जिन व्यक्तियों की देह को दान किया गया है। उनके परिजनों को भी प्रशस्ति पत्र देंगे।

हाई कोर्ट के आदेश पर बनी कमेटी

देहदान की प्रक्रिया में कोई परेशानी न हो, इसके लिए हाई कोर्ट ने 3 मार्च, 2012 के आदेश से महाधिवक्ता की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया। 28 मार्च को कमेटी की बैठक में देहदान की प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए महत्वपूर्ण फैसले हुए। इनमें 24 घंटे में कभी भी देहदान होने पर उसे एसएमएस मेडिकल कॉलेज स्वीकार करने, 24 घंटे एंबुलेंस की निशुल्क व्यवस्था और दधीचि जयंती पर देहदानियों के सम्मान में श्रद्धांजलि सभा करने सहित देहदानियों के लिए स्मृति स्थल बनाने का फैसला भी इसमें शामिल है।

मेयर ने किया देहदान का संकल्प

मेयर ज्योति खंडेलवाल ने मंगलवार को कमेटी के समक्ष देहदान का संकल्प-पत्र भरा। बैठक में महाधिवक्ता व मेयर के अलावा अधिवक्ता एसके गुप्ता, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल सुभाष नेपालिया, पूर्व आईएएस पुखराज सालेचा, हरीचरण सिंघल व दी बार एसोसिएशन जयपुर के पूर्व अध्यक्ष विपिन अग्रवाल शामिल थे।

देवीबाई की देह कॉलेज को सौंपी

ब्यावर की 75 वर्षीय देवीबाई की देह को परिजनों ने रविवार रात एसएमएस मेडिकल कॉलेज के एनोटॉमी विभाग को सौंपी।

कुरान का संदेश

एसपी के खिलाफ जांच की मांग कर रहा कांस्टेबल गोदारा गिरफ्तार


पिछले करीब दो माह से उद्योग मैदान में धरने पर बैठा था, सीएम हाउस पर प्रदर्शन करने की घोषणा को देखते हुए पुलिस ने गिरफ्तार किया

जयपुर। श्रीगंगानगर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक भूपिंदर सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग को लेकर पिछले दो माह से स्टेच्यू सर्किल के समीप उद्योग मैदान में धरने पर बैठे निलंबित कांस्टेबल अनिल गोदारा को मंगलवार को अशोक नगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें शांतिभंग के आरोप में पेश किया। वहां अनिल ने जमानत पर रिहा होने से इंकार कर दिया। इस पर उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जेल भेज दिया।

एसपी के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग को लेकर कांस्टेबल अनिल गोदारा गत 9 अप्रैल से उद्योग मैदान पर धरने पर बैठे हुए है। इससे पहले कांस्टेबल अनिल फरवरी माह में श्रीगंगानगर में एक सार्वजनिक पार्क में अनशन पर बैठे थे। इसके बाद कोतवाली थाना पुलिस ने उन्हें खुदकुशी का प्रयास करने के आरोप में अनिल को गिरफ्तार कर लिया था। अनिल के जमानत कराने से इंकार करने पर कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया था। इसके बाद अनिल ने विधानसभा के सामने अनशन करने की अनुमति मांगी थी।

प्रशासन ने बौखलाहट में उठाया गिरफ्तारी का कदम: अनिल व उनके एडवोकेट पूनमचंद भंडारी ने बताया कि मंगलवार को अनिल ने सिविल लाइंस स्थित सीएम हाउस पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की घोषणा की थी। लेकिन, इससे पहले ही पुलिस ने उद्योग मैदान पहुंचकर अनिल गोदारा को पकड़ लिया। फिर उसे अशोक नगर थाने ले आए। बाद में, उसे शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर कलेक्ट्रेट में कार्यपालक न्यायिक मजिस्टे्रट(दक्षिण) के सामने पेश किया। वहां अनिल ने जमानत देने से इंकार कर दिया। उनका आरोप था कि अनिल के फैसले से प्रशासन घबरा गया है। इससे बौखलाहट में आकर उसे गिरफ्तार कर लिया।



अंगूर है ऐसा रसीला फल.... जिसमें छुपा है इलाज इन बड़ी बीमारियों का

कहते हैं कि जब लगभग सभी खाने की चीजें अपथ्य हो जाएं, अर्थात खाने को मना हों तो भी अंगूर का सेवन किया जा सकता है। यानि रोगी के लिए बलवर्धक पथ्य फल है यह अंगूर। स्वाद के अनुसार काले अंगूर(जिसे सुखाकर मुनक्का बनाया जाता है ) ,बैंगनी अंगूर ,लम्बे अंगूर ,छोटे अंगूर और बीज रहित अंगूर होते हैं जिन्हें सुखाकर किशमिश बनायी जाती है। अब इसके गुणों के बारे में चर्चा करें तो पके अंगूर शीतल ,नेत्रों के लिए हितकारी ,कसैले,वीर्यवर्धक,पौष्टिक एवं रुचि बढ़ाने वालेहोते हैं। जबकि कच्चे अंगूर गुणों में हीन ,भारी एवं कफ व पित्त को कम करने वाले होते हैं।गोल मुनक्का, वीर्यवर्धक,भारी गुणों से युक्त। जबकि किशमिश ,शीतल ,रुचिकारक और मुख के कड़वेपन को दूर करने वाली होती है। अंगूर के ताजेफल खून को बढाने एवं पतला करने वाले और छाती से सम्बंधित रोगों में भी लाभकारी होते हैं।अब हम कुछ ऐसे नुस्खे बताते हैं। जिनमें अंगूर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ...


-यदि सिर में दर्द हो रहा हो तो 8-10 नग मुनक्का ,10 ग्राम मिश्री और इतनी ही मात्रा में मुलेठी एवं थोड़ी मात्रा में शुद्ध जल रात भर खुले आसमान के नीचे छोड़ दें और सुबह मिलाकर पीस लें। नाक में दो बूँद टपका दें। सिरदर्द में लाभ मिलेगा। नाक से खून आना (नकसीर) में भी ऊपर लिखा फार्मूला अत्यंत लाभकारी है।

-यदि पांच से दस ग्राम मुनक्का नियमित रूप से खाई जाए तो मुख की दुर्गन्ध में लाभ मिलता है।

-आठ से दस नग मुनक्का और हरीतकी का काढ़ा लगभग 20 मिली की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर खाने से दमा रोग में भी लाभ मिलता है।

-घी ,मुनक्का,खजूर ,पिप्पली एवं कालीमिर्च इन सब को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर एक चटनी सी बनाकर नित्य सेवन करने से सुखी खांसी और क्षयरोग में लाभ मिलता है।

-आइए अब आपको हम एक एंटासिड बनाना बताते हैं : मुनक्का एवं हरड़ बराबर मात्रा में लेकर उतनी ही मात्रा में शक्कर मिला लें। अब सबको पीसकर 1-1- ग्राम की गोली बना लें। हो गयी एंटासिड गोली तैयार। अब एक गोली सुबह-शाम ठन्डे पानी से लें और हायपरएसिडीटी की समस्या से निजात पाएं।

-अगर आप कब्ज से हैं, परेशान तो मुनक्का 6 से सात नग ,भुना जीरा 5 से 10 ग्राम और सैंधा नमक 1.5 ग्राम(उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए मात्रा चिकित्सक अनुसार ) इन सबका चूर्ण बनाकर गुनगुने पानी से लें ..देखें आपको इस समस्या से निजात मिल जाएगी।

-खूनी बवासीर के रोगी अंगूर के गुच्छों को एक बर्तन (मिट्टी का हो ) में बंद कर राख बना लें ,अब मिलनेवाली भस्म को तीन से पांच ग्राम की मात्रा में मिश्री एवं घी के साथ लेने से खून आना बंद हो जाता है।

- यदि पेशाब खुल कर नहीं आ रहा हो तो आठ से दस मुनक्का एवं लगभग दस ग्राम मिश्री को पीसकर दही के पानी से लेने पर यह एक अच्छा डाययूरेटिक का काम करता है। -दस ग्राम मुनक्का ,पाषाणभेद ,पुनर्नवा की जड़ तथा अमलतास की गुदी पांच ग्राम की मात्रा में मोटा-मोटा कुटकर आधा लीटर पानी में खुले बर्तन में उबालकर आठ भाग बचने पर छान कर बना काढा पीने से पेशाब से सम्बंधित तकलीफों में फायदा पहुंचाता है।

- मुनक्का 10 नग ,छुहारा 3 नग तथा मखाना तीन नग शारीरिक रूप से कमजोर रोगी नियमित 250 मिली दूध से सेवन करें और लाभ देखें। -अंगूर और अड़ूसे (वासा ) का काढा बीस से तीस मिली की मात्रा में पिलाने पर पेटदर्द दूर होता है।

-सोते समय पांच से दस ग्राम किशमिश के साथ गुनगुना दूध पीएं, इससे प्रात:काल आपका पेट साफ रहेगा।

-गले की परेशानी में अंगूर के रस से गरारे कराना भी फायदेमंद होता है।

-अंगूर के शरबत का नित्य सेवन गर्मी में लू के कारण होनेवाली परेशानियों को दूर करता है। तो है न कमाल का अंगूर। एक रसीला फल लेकिन गुणों की खान बस इसका औषधीय प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श से करें तो बेहतर है।

अंगूर है ऐसा रसीला फल.... जिसमें छुपा है इलाज इन बड़ी बीमारियों का

कहते हैं कि जब लगभग सभी खाने की चीजें अपथ्य हो जाएं, अर्थात खाने को मना हों तो भी अंगूर का सेवन किया जा सकता है। यानि रोगी के लिए बलवर्धक पथ्य फल है यह अंगूर। स्वाद के अनुसार काले अंगूर(जिसे सुखाकर मुनक्का बनाया जाता है ) ,बैंगनी अंगूर ,लम्बे अंगूर ,छोटे अंगूर और बीज रहित अंगूर होते हैं जिन्हें सुखाकर किशमिश बनायी जाती है। अब इसके गुणों के बारे में चर्चा करें तो पके अंगूर शीतल ,नेत्रों के लिए हितकारी ,कसैले,वीर्यवर्धक,पौष्टिक एवं रुचि बढ़ाने वालेहोते हैं। जबकि कच्चे अंगूर गुणों में हीन ,भारी एवं कफ व पित्त को कम करने वाले होते हैं।गोल मुनक्का, वीर्यवर्धक,भारी गुणों से युक्त। जबकि किशमिश ,शीतल ,रुचिकारक और मुख के कड़वेपन को दूर करने वाली होती है। अंगूर के ताजेफल खून को बढाने एवं पतला करने वाले और छाती से सम्बंधित रोगों में भी लाभकारी होते हैं।अब हम कुछ ऐसे नुस्खे बताते हैं। जिनमें अंगूर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ...


-यदि सिर में दर्द हो रहा हो तो 8-10 नग मुनक्का ,10 ग्राम मिश्री और इतनी ही मात्रा में मुलेठी एवं थोड़ी मात्रा में शुद्ध जल रात भर खुले आसमान के नीचे छोड़ दें और सुबह मिलाकर पीस लें। नाक में दो बूँद टपका दें। सिरदर्द में लाभ मिलेगा। नाक से खून आना (नकसीर) में भी ऊपर लिखा फार्मूला अत्यंत लाभकारी है।

-यदि पांच से दस ग्राम मुनक्का नियमित रूप से खाई जाए तो मुख की दुर्गन्ध में लाभ मिलता है।

-आठ से दस नग मुनक्का और हरीतकी का काढ़ा लगभग 20 मिली की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर खाने से दमा रोग में भी लाभ मिलता है।

-घी ,मुनक्का,खजूर ,पिप्पली एवं कालीमिर्च इन सब को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर एक चटनी सी बनाकर नित्य सेवन करने से सुखी खांसी और क्षयरोग में लाभ मिलता है।

-आइए अब आपको हम एक एंटासिड बनाना बताते हैं : मुनक्का एवं हरड़ बराबर मात्रा में लेकर उतनी ही मात्रा में शक्कर मिला लें। अब सबको पीसकर 1-1- ग्राम की गोली बना लें। हो गयी एंटासिड गोली तैयार। अब एक गोली सुबह-शाम ठन्डे पानी से लें और हायपरएसिडीटी की समस्या से निजात पाएं।

-अगर आप कब्ज से हैं, परेशान तो मुनक्का 6 से सात नग ,भुना जीरा 5 से 10 ग्राम और सैंधा नमक 1.5 ग्राम(उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए मात्रा चिकित्सक अनुसार ) इन सबका चूर्ण बनाकर गुनगुने पानी से लें ..देखें आपको इस समस्या से निजात मिल जाएगी।

-खूनी बवासीर के रोगी अंगूर के गुच्छों को एक बर्तन (मिट्टी का हो ) में बंद कर राख बना लें ,अब मिलनेवाली भस्म को तीन से पांच ग्राम की मात्रा में मिश्री एवं घी के साथ लेने से खून आना बंद हो जाता है।

- यदि पेशाब खुल कर नहीं आ रहा हो तो आठ से दस मुनक्का एवं लगभग दस ग्राम मिश्री को पीसकर दही के पानी से लेने पर यह एक अच्छा डाययूरेटिक का काम करता है। -दस ग्राम मुनक्का ,पाषाणभेद ,पुनर्नवा की जड़ तथा अमलतास की गुदी पांच ग्राम की मात्रा में मोटा-मोटा कुटकर आधा लीटर पानी में खुले बर्तन में उबालकर आठ भाग बचने पर छान कर बना काढा पीने से पेशाब से सम्बंधित तकलीफों में फायदा पहुंचाता है।

- मुनक्का 10 नग ,छुहारा 3 नग तथा मखाना तीन नग शारीरिक रूप से कमजोर रोगी नियमित 250 मिली दूध से सेवन करें और लाभ देखें। -अंगूर और अड़ूसे (वासा ) का काढा बीस से तीस मिली की मात्रा में पिलाने पर पेटदर्द दूर होता है।

-सोते समय पांच से दस ग्राम किशमिश के साथ गुनगुना दूध पीएं, इससे प्रात:काल आपका पेट साफ रहेगा।

-गले की परेशानी में अंगूर के रस से गरारे कराना भी फायदेमंद होता है।

-अंगूर के शरबत का नित्य सेवन गर्मी में लू के कारण होनेवाली परेशानियों को दूर करता है। तो है न कमाल का अंगूर। एक रसीला फल लेकिन गुणों की खान बस इसका औषधीय प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श से करें तो बेहतर है।

7 दिन में 'बिक' जाता पूरा भारत..इस 1 महीने ने बदल दी थी देश की तकदीर!



भारतीय इतिहास में 24 जून 1991 से लेकर 24 जुलाई 1991 तक के 1 महीने की अहमियत कितनी है, ये शायद बहुत कम लोगों को ही पता है, लेकिन ये 1 महीना भारत की तकदीर बदलने को नई तस्वीर देने के लिए काफी था। वो भी उस दौर में जब भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से वेंटीलेटर पर पड़ी हुई आखिरी सांसे गिन रही थी। इन आखिरी सांसों में भी ज्यादा दम नहीं बचा था। आखिरी सांसों का ये दौर 1991 के शुरूआती 6 महीनों से पहले का दौर था, तब पी वी नरसिम्हा प्रधानमंत्री हुआ करते थे।

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस 1 महीने ने कैसे भारत की तकदीर बदल दी? तो जनाब आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर माजरा क्या है। दरअसल, 1990 के पहले के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कंगाल हो चुकी थी। विदेशी निवेश भी न के बराबर था। वहीं विश्व बैंक से लेकर आईएमएफ जैसे ऋण देने वाले संस्थानों का भी भारत पर से विश्वास उठ चुका था। आलम ये था कि भारत के पास इतना पैसा भी नहीं बचा था कि वो 1 हफ्ते से ज्यादा तक आयात कर सके। भारत का सारा सोना बिक चुका था। अर्थव्यवस्था करीब 29000 करोड़ डॉलर से दबी हुई थी।

ऐसे समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन देने का काम पी वी नरसिम्हा राव और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। अर्थव्यवस्था को कांटों के ताज से निकालने का जिम्मा लिये मनमोहन सिंह पूरी तरह से तैयार दिख रहे थे, हालांकि ये काम इतना आसान नहीं था। वित्त मंत्री ने कार्यभार संभालते ही एक नई टीम बनाकर काम करना शुरू किया। वित्त मंत्रालय में मीटिंगों की झड़ी सी लग गई थी। अर्थव्यवस्था को दौड़ाने के लिए नई पॉलिसी तैयार करने का काम भी तेजी से चालू हो गया था। वाणिज्य सचिव मोंटेक सिंह अहलूवालिया, उद्योग मंत्री पी चिदंबरम और राकेश मोहन के बीच कई दौर में बैठके हुईं।

दिलचस्प है कि वित्त मंत्री का एक्शन प्लान पूरी तरह से साफ था। विश्व बैंक और आईएमएफ को इस बात का भरोसा दिलाना कि भारत में पैसा लगाने का मतलब पूरी तरह से फायदा होना ही है। हालांकि ये इतना आसान काम नहीं था। इस काम के लिए मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री की ओर से पूरी आजादी थी। भारतीय अर्थव्यस्था के बेहतर होने का ये भी एक बड़ा कारण था।

वित्त मंत्री ने एक नई योजना तैयार करते हुए भारतीय रुपये के अवमूल्यन का फैसला लिया। इस फैसले में रुपये में 20 फीसदी तक अवमूल्यन किया गया। हालांकि 20 फीसदी के अवमूल्यन को 1 बार में किया जाए या 2 बार में, इस बात को लेकर प्रश्न खड़ा हो रहा था। जहां आरबीआई इसे 1 बार में करना चाहता था, वहीं वित्त मंत्री 2 चरणों में ये अंजाम देने की सोच रहे थे। आरबीआई की ये सोच आईएमएफ के दबाव के चलते थी। वहीं वित्त मंत्री सिंह किसी के भी दबाव में राष्ट्रहित के खिलाफ कुछ भी करने को तैयार नहीं थे।

उस दौरान 3 दिन के अंदर भारतीय रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 21.09 रुपये से घटकर 25.95 रुपये पहुंच गई थी। ये उस दौर का आखिरी अवमूल्यन था। इसके बाद ही एक प्रेंस कॉन्फ्रेंस बुलाकर वाणिज्य मंत्री और वित्त मंत्री उदारवादी व्यापार नीति का खुलासा किया। इस नीति की हर तरफ प्रशंसा हो रही थी। इस नीति के बाद 6 जुलाई को भारत से 25 टन सोना बतौर प्रतिभूति यानि गारंटी लंदन के बैंक ऑफ इंग्लैंड भेजा गया। ये प्रतिभूति 2000 लाख डॉलर के बदले दी गई थी। इसके 1 हफ्ते बाद फिर करीब 10 टन सोना विदेश भेजा गया। इसका कारण भी पैसा जुटाना ही था। 18 जुलाई को वित्त मंत्री के कहने पर भारत की ओर से 12 टन सोना लंदन के बैंक ऑफ इंग्लैंड में जमा किया गया। यानि 3 हफ्तों में करीब 47 टन सोना इंग्लैंड भेजा गया।

यही वो पल था जब भारत की तकदीर बदलते हुए दिख रही थी। 18 जुलाई के बाद भारत 4000 लाख डॉलर का लोन लेने के लायक बन गया था। 18 जुलाई के ठीक 6 दिन बाद यानि 24 जुलाई को मनमोहन सिंह ने बतौर वित्त मंत्री उदारवादी बजट पेश कर वेंटीलेटर पर पड़े भारत को फिर से विकासशील देशों की रेस में आगे कर दिया था। इसी दिन संसद में उद्योग नीति को भी प्रस्तुत कर दिया गया। कुल मिलाकर 24 जून से 24 जुलाई तक का ये अहम दौर भारत की तकदीर बदलने का सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आया है।

गुरुकुल में गोरखधंधा? कमरे में महिला संग धरे गए स्‍वामी जी, हंगामा


राजकोट. सोमवार रात यहां मवडी स्वामीनारायण गुरुकुल के कमरे से एक स्वामीजी महिला के साथ पकड़े गए। इसको लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है। गुस्साए लोगों ने कमरे में तोड़फोड़ की (। साथ ही स्वामी जिस कार से पहुंचे से उसे तबाह कर दिया। गुस्साए लोगों की भीड़ ने स्वामी और कमरे से मिली महिला के साथ भी मारपीट की।

मौके पर पहुंची पुलिस ने जैसे-तैसे कर मामले को शांत किया। गुस्साए लोगों ने गुरूकुल में गोरखधंधा होने का आरोप लगाया है। संबंधित मालवीयनगर थाना पुलिस ने इस मामले में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का केस दर्ज किया है। थाने के एक अधिकारी ने बताया कि स्वामीनारायण संप्रदाय में संतों की मौजूदगी में महिलाओं की उपस्थिति स्वीकार नहीं है। महिलाओं को पर्दे के पार रखा जाता है। उक्त घटना में एक स्वामी के महिला को गुरूकुल में मिलने के लिए बुलाने से लोगों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची है। स्वामी सहित लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

आरोप बेबुनियाद, बने साजिश का शिकार

उधर, स्वामी व महिला ने खुद के किसी षडयंत्र का शिकार होने की बात कही है। स्वामी आनंद पूरणस्वामी (40) ने कहा कि मंगलवार को मुझे सूरत जाना ता। इसलिए आज (सोमवार) को मवडी गुरूकुल आकर रूका था। विसादवर की शिक्षिका चेतना को कुछ काम था। इसलिए वे मिलने आईं थीं। हम कमरे में थे तभी कुछ लोगों ने धक्का मार कर कमरा बाहर से बंद कर दिया।

महिला ने कहा कि लोगों के आरोप बेबुनियाद हैं। मैं किसी काम के सबब मिलने आई थी। उल्लेखनीय है कि स्वामी आनंद पूरणस्वामी विसावदर गुरूकुल के हैं। महिला भी वहीं शिक्षिका बताई जा रही है।

महाराष्‍ट्र का डॉक्‍टर डेथ: गर्भ गिरा कर कुत्‍तों को खिला देता था भ्रूण

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मुंबई.कन्‍या भ्रूण हत्‍या के आरोप में गिरफ्तार बीड के डॉक्‍टर से जुड़ा एक खौफनाक सच सामने आया है। राज्‍य के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक गर्भ गिराने के बाद सुबूत मिटाने के लिए डॉक्‍टर भ्रूण को अपने पालतू कुत्‍तों को खिला देते थे। इस काम में पत्‍नी भी डॉक्‍टर का साथ देती थीं।
डॉक्‍टर सुदम मुंडे (तस्‍वीर में) के खिलाफ शुरुआती जांच में ठोस सुबूत मिलने के बाद स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच से कराने के आदेश दिए हैं। यह पहली बार है जब एक डॉक्‍टर पर प्री-कन्‍सेप्‍शन एंड प्री-नेटाल डायग्‍नॉस्टिक टेक्‍नीक्‍स एक्‍ट (पीसीपीएनडीटी) के तहत मामला दर्ज हुआ है और इसकी जांच पुलिस के बजाय क्राइम ब्रांच को सौंपी जा रही है।

बच्‍चे के लिंग का पता लगाने तथा गर्भपात के काम में लगे इस डाक्‍टर दंपती ने चार कुत्‍ते पाल रखे थे। ये लोग मृत कन्‍या भ्रूण को कुत्‍तों को खिला देते थे ताकि कोई सुबूत नहीं मिल सके।

जिले की पर्ली तहसील में क्‍लीनिक चलाने वाले डॉ. मुंडे दंपती के काले कारनामों का चिठ्ठा तब खुला जब इनके यहां 18 मई को 28 साल की महिला विजयमाला पाटेकर भर्ती हुईं। उन्‍हें छह महीने का गर्भ था और गर्भ गिराने के चक्‍कर में उनकी मौत हो गई। पाटेकर की चार लड़कियां थीं। वह एक और लड़की नहीं चाहती थीं।

अब क्राइम ब्रांच इस बात का पता लगाने का भी प्रयास कर रही है कि ये लोग क्‍लीनिक का लाइसेंस रद्द होने के बाद भी काम कैसे कर रहे थे। कुछ समय पहले कन्‍या भ्रूण हत्‍या के सिलसिले में ही क्‍लीनिक का लाइसेंस रद्द हुआ था।


ये लोग दो साल पहले एनजीओ लेख लड़की अभियान के स्टिंग आपरेशन में पकड़े गये थे। इसके बाद उनके क्‍लीनिक का लाइसेंस रद्द कर दिया गया और सोनोग्राफी मशीन सील कर दी गई। इसके बावजूद एक साल से कम समय में डाक्‍टर मुंडे ने दोबारा यही काम करना शुरू कर दिया। यह डाक्‍टर दोबारा चर्चा में तब आया जब उनके फार्म में जून 2011 में एक भ्रूण पाया गया।

बीड के एसपी मांडलिक दत्‍तात्रेय के अनुसार इन लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 ए तथा 201 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्‍होंने बताया इस दंपति के खिलाफ और भी मामले दर्ज हैं जिसकी जांच की जा रही है।

महाराष्‍ट्र में बीड जिले में लिंगानुपात सबसे कम है। यहां एक हजार लड़कों पर कुल लड़कियों की संख्‍या 801 है। 6 मई को फिल्‍म अभिनेता आमिर खान ने टीवी शो 'सत्‍यमेव जयते' के जरिए इस समस्‍या को उठाया भी था।

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