आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 मई 2012

पेट्रोल की कीमतों पर हल्ला तो बहुत है लेकिन कीमतें कम और नियंत्रित केसे हो इसका कोई सुझाव क्यूँ नहीं देता भाई

अभी हाल ही में कोंग्रेस में खुद को कट्टर समाजवादी कहने वाले जयपाल रेड्डी पेट्रोलियम मंत्री ने पेट्रोल की कीमतों में ताबड़ तोड़ वृद्धि की है जिससे देश और देश की जनता हिल गयी है ....कोंग्रेस हो चाहे भाजपा चाहे दूसरी पार्टियाँ हो सभी दिल से इस फेसले की आलोचना कर रहे है ..गोअया के मुख्यमंत्री ने तो इस मामले में टेक्स कम कर पहले ही वहां की जनता को राहत दे दी थी ...........लेकिन अब तक किसी भी पार्टी या नेता ने यह सुझाव नहीं दिया है के अगर वोह सत्ता में होते तो पेट्रोल की बढती हुई कीमतों की मुसीबत से वोह देश को केसे बचाते ..आलोचनाएँ तो खूब हो रही है लेकिन समालोचना पेट्रोल की कीमत क्यूँ बढ़ी है ..अरब देशों से पेट्रोल की कीमत कितनी होती है और किन किन स्थानों पर टेक्स चुकाने से पेट्रोल के भाव अनावश्यक बढ़े है इस पर चर्चा नहीं हो रही है ..अख़बारों और मिडिया का अभी कोई सकारात्मक सुझाव नहीं है पेट्रोलियम मंत्रलय तो है लेकिन पेट्रोल निति नहीं बनाई गयी है .........अरब देशों में उनकी जरूरत की चीजें जो केवल भारत ही उन्हें दे सकता है या अमेरिका को भारत ही उनकी जरूरत की चीजें दे सकता है अगर उस निर्यात निति में बदलाव कर भारत उन देशों से बदले में सस्ती दर पर पेट्रोल मांगे तो देश की बल्ले बल्ले हो सकती है ..देश की अर्थव्यवस्था पेट्रोल पर ही निर्भर है और भारत की बेवकूफी से हाँ बेवकूफी ही कहेंगे के इराक हमेल में अमेरिका को पेट्रोल उपलब्ध करा कर पेट्रोल बाज़ार पर अमेरिका का कब्जा करवा दिया है अब यही हाल अमेरिका इरान के साथ करने के मुड में है ..अमेरिका का पेट्रोल पर एकाधिकार होने से भारत की दिक्काते निरंतर बढ़ रही है अगर भारत विदेश निति ..आयत निर्यात निति में बदलाव कर अमेरिका और पेट्रोल उत्पाद देशों से सख्ती कर सोदेबाज़ी करे तो निश्चित तोर पर भारत सस्ते पेट्रोल का देश हो सकता है भारत अगर पेट्रोल निजी कम्प्न्यों के हाथो से छीन कर खुद अपने हाथों में ले ले खुद का मुनावा काम कर ले कर्मचारी और छीजत काम कर दे तो भी पेट्रोल की कीमतें नियंत्रित हो सकती है दूसरी बात यह है के अगर भारत और इसके राज्यों के पेट्रोल के नाम पर वसूलने वाले टेक्स में कमी कर दी जाए या जीरो टेक्स हो जाए तो खुद बा खुद देश के हालात सुधरेंगे और रूपये की मजबूती होगी लेकिन ऐसा तभी सम्भव है जब देश की सभी राजनीतिक पार्टियाँ इस पर विचार करें चिन्तन मंथन करें और एक कार्ययोजना तय्यार करें ..या फिर देश के किसी भी पत्रकार ..किसी भी राजनितिक पार्टी किसी भी नेता समाजसेवी संगठन के पास इस मामले में कोई स्थाई फार्मूला हो तो वोह बताये ताकि उस पर अमल कर देश को इस मुसीबत से बचाया जा सके और फिर से एक नया आदर्श भारत निर्मित किया जा सके वरना कोरी आलोचना और कोरी अफवाहों से तो देश अराजकता की तरफ ही जाएगा इस आलेख के माद्यम से सभी भाईयों और नेताओं का स्वागत है के वोह इस मामले में जो भी बहतर सुझाव हों वोह दें ताकि उनके सुझाव एक क्रान्ति के रूप में देश की सरकार के पास पहुंचा कर उस पर अमल करवाने के लियें दबाव बनाया जा सके ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

आसान नुस्खे: होंठो को गुलाब की पंखुडिय़ों सा बनाने के लिए


गुलाब की पंखुडिय़ों से सुंदर-सुंदर नेचुरल गुलाबी होठ तो सभी चाहते हैं लेकिन सभी के होंठ गुलाबी नहीं होते हैं। इसीलिए बहुत सी महिलाएं अपने होंठो को सुन्दर दिखाने के लिए लिपस्टिक का प्रयोग करती हैं। लेकिन लिपस्टिक के लगातार प्रयोग से अक्सर होठों की प्राकृतिक सुन्दरता खत्म हो जाती है और होठ काले पडऩे लगते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य कारणों से भी होंठ काले पड़ जाते हैं।अगर आप अपने होठों के फटने या कालेपन से परेशान हैं तो टेंशन न लें, नीचे दिए जा रहे कुछ आसान घरेलू नुस्खों से आप अपने होठों की सुन्दरता को चार चांद लगा सकते हैं....

- होठों को रूखेपन और फटने से बचाने के लिए थोड़ी सी मलाई में चुटकी भर हल्दी मिलाकर धीरे धीरे होठो पर मालिश करें।

- रात में सोते समय सरसों के तेल को गुनगुना कर अपनी नाभि पर लगाएं। इससे होठों की सुंदरता बनी रहेगी।

- अगर आपके होठों पर पपड़ी जम जाती है तो बादाम का तेल रात को सोते समय होंठो पर लगाएं।

- होंठो के कालेपन को दूर करने के लिए गुलाब की पंखुडिय़ों को पीसकर उसमें थोड़ी सी ग्लिसरीन मिलाकर इस मिक्सचर को रोजाना अपने होंठों पर लगाएं होंठ गुलाबी होने लगेंगे।

- दही, मक्खन में केसर मिलाकर होठों पर मलने से आपके होंठ हमेशा गुलाबी रहेंगे।

राजस्थान में मुसमानों को मनाने की कोंग्रेस की हर कोशिश उलटी पढ़ रही है क्योंकि मुसलमान कोंग्रेस की नियत खराब मानता है

दोस्तों सभी जानते है के राजस्थान का मुसलमान कोंग्रेस सरकार की उपेक्षा के चलते कोंग्रेस सरकार और उसके नेताओं से सख्त नाराज़ है ..गोपालगढ़ भरतपुर की घटना ने तो जेसे इस मामले में आग में घी डालने का काम क्या है .कोई माने या ना माने लेकिन उत्तर प्रदेश चुनाव में कोंग्रेस की कई सीटों पर राजस्थान के मुसलमानों की इस नाराज़गी का असर पढ़ा है ..राजस्थान के मंत्रिमंडल में मंत्री झुनझुने लेकर बेठे है ...राजस्थान में मदरसों में पेराटीचर्स का वेतन दुसरे पेराटीचर्स के समान नहीं है ..वक्फ सम्पत्तियां सुरक्षित नहीं है ..मुस्लिमों को रोज़गार नहीं है ..पन्द्रह सूत्रीय कल्याणकारी कार्यक्रम धीमा पढ़ा है ...सरकार में मुस्लिमों की भागीदारी नहीं है ....हज कमेटी में अव्यवस्था है ..हज कमेटी के चेयरमेन की नियुक्ति नहीं है ....उर्दू के टीचर्स के पद रिक्त पढ़े है ..स्कूलों से उर्दू सरकारी उपेक्षित निति के कारण लुप्त होती जा रही है .....हालात यह है के संथान में मुस्लिमों की भागीदारी नहीं तो सत्ता से मुस्लिम से दूर है और सरकार की योनायें मुसलमानों तक नहीं पहुंचाई जा रही है केवल कागज़ी और अखबारी घोषणाएं मुसलमानों के लियें की जाकर उन्हें लुभाने का प्रयास किया गया है ..अल्पसंख्यक विभाग राजस्थान के हर कोने में लूला लंगडा बनाया है न स्टाफ है ना कार्यालय है बस परेशानी ही परेशानी है कुल मिलकर राजस्थान के मुसलमानों को यूज़ एंड थ्रो का दर्जा दिया गया है ..यहाँ के मुसलमानों का मानना है के मुसलमानों के साथ सियासत की जा रही हा और गिन गिन कर बदला लिया जा रहा है ...खेर इस मामले में आवाज़ हाईकमान तक पहुंची मुख्यमंत्री को हटाने की मांग उठी कोंग्रेस के युवराज राहुल जी उठे और उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री और कुछ मंत्रियों को बदलने का मन बना डाला लेकिन लोग सोचते है के कोंग्रेस में राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी मजबूत है तो गलत सोचते है क्योंकि राजस्थान के हर मुद्दे पर यहाँ के नेताओं ने हाईकमान को येदुरप्पा की तरह पटखनी दी है और हर बार हाईकमान बेकफुट पर नज़र आया है .......या यूँ कहिये के राजस्थान के नेता हाईकमान पर इतने भरी है के वोह राजस्थान के डेमेज कंट्रोल में पिछड़ गए है और सर्वत्र त्राहि त्राहि माम है .......हाईकमान ने असंतुष्टों से मीटिंगे की उन्हें समझाने की कोशिश की खुद ने राजस्थान नेत्रत्व के आगे हथियार डाल दिए और राजस्थान सरकार को मुस्लिम डेमेज कंट्रोल का ज़िम्मा सोंपा गया लेकिन यहाँ तो इस कंट्रोल के नाम पर जो कुछ हो रहा है उलटा ही हो रहा है संतोष के नाम पर असंतोष भड़क रहा है और मुसलमानों की राजस्थान में यह नाराजगी तूफ़ान के पहले के आने वाली खामोशी है ....राजस्थान में अव्वल तो मुस्लिम इदारों में उन लोगों को नियुक्त किया गया जिनका गेर सियासी मुकाम है ..जो मुसलमानों की समस्याओं की जमीनी हकीक़त से कोसों दूर है इनमे वोह लोग शामिल है जो या तो नोकर शाह है या फिर दूसरी पार्टियों में कोंग्रेस से आये है ..या फिर खुद मुख्यमंत्री के नजदीक है ..यहाँ राजस्थान में मुस्लिम डेमेज कंट्रोल के तहत हाल ही में एक बढ़ा कार्यक्रम मदरसा बोर्ड ने किया भवन के शिलान्यास के नाम पर लोगों को बुलाया गया ..लेकिन पासा उल्टा पढ़ गया एक शिक्षा सहयोगी अमीन खान ने जब समान वेतन की आवाज़ उठाई तो उसकी गिरफ्तारी और फिर कार्यक्रम में जाने वालों की सघन तलाशी आतंकवादियों से भी बुरा महमानों के साथ सुलूक ..इतना ही नहीं मुसल्मानों को भरोसा था के मदरसा समान वेतन को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोई घोषणा करेंगे लेकिन निराशा ही हाथ लगी ..............फिर नियुक्तिया हुई हज कमेटी जिसकी जरूरत थी वहां चेयरमेन की नियुक्ति नहीं अल्पसंख्यक आयोग में एक मुस्लिम सदस्य की नामज़दगी काम कर दी गयी ..और कुछ मुस्लिमों को अगर नियुक्त किया गया तो केवल मुस्लिम इदारों में जो खाली पढ़े थे यह तो उनके अलावा कोई दूसरों के पद थे ही नहीं ..मुस्लिमों को किसी दुसरे इदारे में नियुक्त नहीं किया गया ..फिर सरकार ने उर्दू का कार्यक्रम रखा लोगों ने कहा के उर्दू एकेडमी बनाई नहीं सदस्य हैं नहीं और जो नियुक्ति की गयी है उर्दू के लेक्चरार यानी नोकरशाह को अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है स्वतंत्र समाजसेवक को इस पद पर नियुक्तं नहीं किया गया है ..स्कूलों में उर्दू खोलें के लियें दस छात्रों पर उर्दू खोलने का जो परिपत्र है उस पर चर्चा नहीं की गयी है ...खेर कोई बात नहीं अब फिर नया पत्रा आया ...सोनिया गाँधी की तरफ से खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ख्वाजा के दरबार में चादर पेश करने पहुंचे ..लोगों ने कहा के जब सोनिया जी खुद मोजूद थीं तो वोह क्यूँ नहीं आई यह चादर के नाम पर सियासत क्यूँ और हाँ अगर चादर भी चढाई तो फिर अजमेर की ही बेटी नसीम अख्तर और दूसरों को इसमें शामिल होने से पुलिस ने केसे रोक दिया ...............कुल मिलाकर कोंग्रेस सरकार राजस्थान के मुसलमानों को लुभाने के लियें जो भी कार्यवाही कर रही है वोह उल्टा पढ़ रहा है क्योंकि अगर मुसलमानों के साथ सियासत होती है तो वोह अब पढ़ लिख चूका है इसे खूब समझता है आज मुसलमानों को सत्ता में संगठन में भागीदारी चाहिए वोह भी मदरसा बोर्ड ..वक्फ बोर्ड में नहीं यह इदारे तो उन्हीं के है दुसरे इदारे नगर निगम ..यु आई टी ...आवासन मंडल और दुसरे इदारे जहाँ उन्हें काबलियत के आधार पर लगाया जाए ..मुसलमान बेरोजगारों को रोज़गार दिया जाए लेकिन अफ़सोस होता है जब कोंग्रेस और कोंग्रेसी मुसलमान मुसलमानों के साथ सियासत करते है उन्हें सिर्फ इसलियें पास बुलाते है के वोह माहोल बनाये के मुसलमान कोंग्रेस से जुड़ते हुए नज़र आये ..हाईकमान तक झूंठी रिपोर्ट भेजें के मुसलमान कोंग्रेस के नजदीक है दूर नहीं लेकिन सही बात तो यह है के कोंग्रेस मुसलमानों को जख्म ही जख्म दे रही है और मुसलमान अभी या तो मजबूरी में या मोकापरस्ती में कोंग्रेस के साथ नज़र आता है ...मुसलमानों के इस दर्द को अगर कोंग्रेस पार्टी और हाईकमान ने नहीं समझा कोई डेमेज कंट्रोल नहीं किया तो फिर कोंग्रेस का भगवान ही मालिक है यह एक समाज के साथ नही लगभग सभी समाजों के साथ कोंग्रेस के यही हाल नज़र आ रहे है ..कोग्रेस हाईकमान के पास इस मामले में निजी तोर पर की गयी शिकायतें है ..सुझाव है उनका खुद का सर्वे है ..इंटेलिजेंस की रिपोर्ट है लेकिन लगता है के कोंग्रेस हाईकमान राजस्थान सरकार की करतूतों और नेत्रत्व के आगे बेबस और खामोश हो गया है और यहाँ के मुसलमानों को कोंग्रेस को भाग भरोसे छोड़ दिया गया है जो एक खतरनाक परिणाम साबित होगा क्योंकि वक्त रहते अगर नहीं सुधरे तो जनता इन्हें सुधार देगी इसलियें कहते है के अभी भी वक्त है सम्भाल जाओ डेमेज कंट्रोल योजना सियासत के हिसाब से नहीं लोगों के जख्मों और उनकी चोटों पर मलहम लगा कर किया जाए तो फिर से कोंग्रेस जिंदाबाद हो सकती है ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जनता पर दया न दिखाने वाली पुलिस, जी रही जनता की दया पर


कोटा।पुलिस को जनता बेरहमी के लिए याद रखती है। लेकिन यही जनता पुलिस को सुख-सुविधा मुहैया कराने में अपनी खुशी समझती है। थाने का फर्नीचर ठीक नहीं करने पर एक व्यक्ति को कांस्टेबल ने इतना प्रताड़ित किया कि उसने आत्महत्या कर ली।

बारां जिले के मोठपुर थाना क्षेत्र में धनराज द्वारा आत्महत्या करने के बाद अधिकारियों ने दोषी कांस्टेबल को लाइनहाजिर भी कर दिया, लेकिन पुलिस की यह व्यवस्था कोई नई नहीं है। कोटा में भी पुलिस थानों में मूलभूत सुविधाएं और स्टेशनरी तक जुटाने के लिए जनसहयोग के नाम पर कभी मनुहार से तो कभी पुलिसिया अंदाज से काम करवा रही है। कंट्रोल रूम के सभागार, नयापुरा थाने में सभागार भवन, पुलिस लाइन में कई विकास कार्य करवाने में पुलिस ने जनसहभागिता के नाम पर व्यवस्था जुटाई है।

एक तरफ पुलिस विभाग को हाईटेक बनाने की कोशिश की जा रही है और दूसरी और मूलभूत सुविधाओं के लिए भी बजट उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा। राज्य सरकार शिक्षा, नगर निगम, यूआईटी सहित अन्य सरकारी विभागों की तरह पुलिस विभाग पर ज्यादा बजट खर्च नहीं करती। वेलफेयर के नाम पर कुछ बजट हर साल दिया जाता है, जिससे रोजमर्रा के खर्चे ही पूरे नहीं हो पाते।

नतीजतन पुलिस को स्टेशनरी, वाटर कूलर, फर्नीचर, भवन, पेट्रोल-डीजल आदि व्यवस्थाओं के लिए पब्लिक वेलफेयर फंड के मार्फत जनता का सहयोग लेना पड़ रहा है। इसके लिए कई बार पुलिस सीएल जी समितियों के सदस्यों की मदद लेती है तो कभी सीधे शहर के बड़े संस्थानों को जिम्मेदारी दे दी जाती है।

पुलिस द्वारा दी गई जिम्मेदारी को यदि कोई सहर्ष स्वीकार कर लेता है तो ठीक वरना पुलिस अपने अंदाज से बात मनवा लेती है। जिससे सहयोग मांगा जाता है, उसके सामने दोहरी समस्या रहती है पुलिस की बात माने तो मांग पूरी करनी पड़ती है और नहीं माने तो पुलिस का कोपभाजन सहन करने की नौबत आ सकती है और हालात मोठपुर के धनराज जैसे भी हो सकते हैं।

नयापुरा थाने में सभागार

पुलिस लाइन क्षेत्र में पुलिस चौकी खोले जाने की मांग लंबे समय से चल रही थी, लेकिन पुलिस के पास बजट नहीं था। ऐसे में पुलिस ने सीएल जी सदस्यों की मदद से भवन बनाने के लिए धन की व्यवस्था की। बजरंग नगर क्षेत्र के लोगों ने 3 लाख रुपए एकत्रित किए। बाद में यूआईटी ने 10.58 लाख रुपए खर्च कर भवन बना दिया। बाद में इन 3 लाख रुपए से नयापुरा थाने में एक सभागार तैयार करवाया गया।

कंट्रोल रूम में जनसहयोग

पुलिस कंट्रोल रूम में अधिकारियों के साथ मीटिंग करने के लिए कोई जगह नहीं थी। ऐसे में पिछले साल पास में पड़ी खाली जगह पर एक शानदार सभागार तैयार करवाया गया। जिसमें कुछ राशि पुलिस ने लगाई और कुछ ट्रांसपोर्टर्स, नगरीय परिवहन के वाहनों की एसोसिएशन आदि की जनसहभागिता से काम हुआ। यहीं पर पिछले साल जनसहयोग से वाटर कूलर भी लगाया गया था।

पुलिसकर्मियों के सहयोग से लाइब्रेरी

बजट के अभाव में वेलफेयर के लिए शहर में तैनात पुलिसकर्मियों के वेतन से भी मामूली राशि काटी जाती है। हाल ही में पुलिस लाइन में लाइब्रेरी बनाई गई है। जिसके लिए भी पुलिसकर्मियों के वेतन से राशि काटी गई है।
‘सरकार से बजट तो मिलता है, लेकिन जनसहयोग भी जरुरी है। जनसहयोग से कुछ काम होते हैं, सभी काम जनसहयोग से ही होते हैं ऐसा भी नहीं हैं। अगर बजट नहीं मिलता तो इतने बड़े-बड़े भवन नहीं बन पाते हैं।’
- अमृत कलश, आईजी कोटा रेंज

ख्वाजा के 800वें उर्स में पेश हुईं दुआ और अमन की चादरें!



अजमेर.सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के 800 वें उर्स के मौके पर बुधवार को कांग्रेस व यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से मखमल की चादर पेश कर मुल्क में अमन, चैन, शांति और सुकून की दुआ की गई। सोनिया गांधी की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान सहित केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद, आदि ने गरीब नवाज की मजार पर यह चादर पेश की। चादर पेश करने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने दरगाह के महफिल खाने की सीढ़ियों से सोनिया गांधी के उर्स के मौके पर जायरीन के नाम भेजा संदेश पढ़कर सुनाया।


आज सुबह करीब 11 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कंेद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक, केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद, पूर्व मंत्री डॉ. चन्द्रभान, राजस्थान आवासन मंडल के अध्यक्ष परसराम मोरदिया, सांसद अश्क अली टांक दरगाह के मुख्य निजाम गेट से सोनिया गांधी की चादर लेकर जन्नती दरवाजे होते हुए आस्ताना शरीफ पहुंचे । गांधी परिवार के खादिम सैयद अब्दुल गनी गुर्देजी, सैयद यासिर गुर्देजी, सैयद जकरिया गुर्देजी ने मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्रियों सहित सभी मेहमानों को जियारत कराई तथा ख्वाजा साहब की मजार पर चादर और अकीदत के फूल पेश किए। उन्होंने सभी की दस्तारबंदी कर तबरुक भेंट किया ।

महफिल खाने की सीढ़ी पर पढ़ा संदेश

सीएम गहलोत ने दरगाह के महफिल खाने की सीढ़ियों से सोनिया गांधी द्वारा उर्स के मौके पर जायरीन के नाम भेजा संदेश माइक से पढ़कर सुनाया।

शिक्षा राज्यमंत्री नसीम, प्रभा ठाकुर और बाकोलिया नहीं पहुंच सके आस्ताना

दरगाह जियारत के वक्त यूआईटी अध्यक्ष नरेन शाहनी भगत, पूर्व विधायक हाजी कय्यूम खान, पूर्व महामंत्री फख्र ए मोईन, जिला अल्पसंख्यक महामंत्री हाजी महमूद खान, खानू खान बुधवाली, सबा खान, सोफिया कुरैशी, उत्तर ब्लॉक अध्यक्ष आरिफ हुसैन, पार्षद सैयद बाबर चिश्ती, पार्षद मोहम्मद शाकिर और सैयद यासिर चिश्ती आदि नेता आस्ताना शरीफ पहुंचने में कामयाब हो गए। लेकिन शिक्षा राज्य मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ, सांसद प्रभा ठाकुर, मेयर कमल बाकोलिया और शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र सिंह रलावता आदि आस्ताना शरीफ नहीं पहुंच सके। सीएम गहलोत और अन्य केंद्रीय मंत्री जब चादर पेश कर लौट आए, तब ये लोग महफिल खाना की सीढ़ियों पर उदास बैठे नजर आए।

अंजुमन ने किया इस्तकबाल

अरकाट के दालान में अंजुमन सैयदजादगान के सदर सैयद हिसामुद्दीन नियाजी, सचिव वाहिद हुसैन अंगाराशाह, नायब सदर मुशर्रफ चौधरी, सैयद जान मोहम्मद ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केन्द्रीय मंत्री मुकुल वासनिक,सलमान खुर्शीद, पूर्व मंत्री डॉ.चन्द्रभान, सांसद अश्क अली टांक का इस्तकबाल कर तबरुक भेंट किया। अंजुमन शेखजादगान की ओर से सदर शमशाद मोहम्मद चिश्ती, सचिव हफीजुर्रहमान चिश्ती आदि ने इस्तकबाल किया।

बुलंद दरवाजे पर कमेटी ने किया इस्तकबाल

दरगाह कमेटी की ओर से कमेटी के सदर प्रो. सोहेल अहमद खान, सदस्य इलियास कादरी नाजिम मोहम्मद अफजल ने मुख्यमंत्री सहित सभी केन्द्रीय मंत्रियों की दस्तारबंदी की और तबरुक भेंट किया।

सोनिया को भी भेजा तबरुक

सैयद गनी गुर्देजी ने केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोनिया गांधी के लिए चुनरी और तबरुक भी भेजा।

हैदराबाद में ही तैयार हुई चादर

सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी की ओर से भेजी गई चादर हैदराबाद की रेहाना बेगम ने ही तैयार की है। वे कई सालों से सोनिया गांधी के लिए चादर तैयार कर भेजती आ रही हैं।

दुआ तो कराओ-गहलोत

आस्ताना शरीफ से भी मंत्री बाहर आ गए और इसके बाद महफिल खाना से संदेश भी पढ़ कर सुना दिया गया। लेकिन अब तक वापसी के वक्त होने वाली दुआ नहीं हुई। सीएम अशोक गहलोत का इस ओर बराबर ध्यान था। उन्होंने खादिम गुर्देजी को इस बारे में अवगत कराया, तब अंजुमन सचिव वाहिद हुसैन अंगाराशाह ने लौटते वक्त बुलंद दरवाजे पर दुआ कराई।

वीरू-बसंती चढ़े टॉवर पर और जीत ली मुहब्बत की जंग

PHOTOS : वीरू-बसंती चढ़े टॉवर पर और जीत ली मुहब्बत की जंग

आणंद (गुजरात)। आणंद के सोजीत्रा तहसील के तंबोवड गांव में मंगलवारा को एक जबर्दस्त हाई-वोल्टेज ड्रामा सामने आया। यहां स्थित मोबाइल टॉवर पर एक प्रेमी जोड़ा चढ़ गया। स्थानीय लोगों और पुलिस की काफी मशक्कत के बाद दोनों को टॉवर से नीचे उतारा गया। इस लंबे ड्रामे के बाद अंतत: लड़की के परिजनों ने इनकी शादी की मंजूरी दे दी।


त्रंबोवड गांव निवासी हितेश चौहाण और आरती के बीच पिछले कई वर्षो से प्रेम संबंध हैं। लेकिन परिजन इनके रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे। इसी के चलते दोनों बीते रविवार को घर से भाग निकले थे। परिजनों ने इनकी गुमशुदगी की शिकायत पुलिस में दर्ज करा दी थी।


लेकिन मंगलवार को यह प्रेमी जोड़ा वापस गांव लौट आया और आत्महत्या की धमकी देते हुए यहां स्थित एक मोबाइल टॉवर पर चढ़ गया। दोनों के परिजनों को इसकी सूचना दी गई और वे भी मौके पर पहुंच गए। परिजनों की लाख समझाइश के बाद भी दोनों टॉवर से जब नहीं उतरे तो पुलिस को यहां बुलाया गया।


पुलिस की टीम ने लड़की के पिता से बात की और उन्हें इनकी शादी के लिए मना लिया। जब लड़की के पिता ने लिखित में इनकी शादी करवाने की बात पर सहमति जताई, तब कहीं जाकर प्रेमी जोड़ा टॉवर से नीचे उतरा। कई घंटें चले इस हाई-वोल्टेज ड्रामे को देखने लगभग पूरा गांव यहां पर जमा हो गया था।

हर सिलेंडर पर बढ़ेंगे 400 रुपये, डीजल भी होगा 3 रुपये महंगा!


पेट्रोल कीमतों में 7.50 रुपये प्रति लीटर के इजाफे के बाद अब केंद्र सरकार का अगला निशाना डीजल और रसोई गैस है। सरकार ने इसके दाम में भी खासा इजाफा करने की पूरी योजना बना ली है। शुक्रवार को होने वाली ईओएम बैठक के बाद सरकार इस इजाफे का ऐलान कर सकती है।

पेट्रोलियम मंत्रालय के एक उच्चस्तरीय अधिकारी ने दैनिकभास्कर डाॅट काॅम को बताया कि सरकार ने डीजल की कीमत में 3 से 5 रुपये का इजाफा करने की योजना बनाई है। वहीं रसोई गैस की कीमत भी करीब 400 रुपये तक बढ़ाई जा सकती है। वर्तमान स्थिति के चलते सरकार पर इसको बढ़ाने का दबाव बढ़ता जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, डीजल को बाजार के हवाले करने को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि सरकार अभी केवल डीजल के दाम बढ़ाने पर फोकस है। अगले 1 साल में कोई विधानसभा चुनाव न होने के चलते सरकार डीजल-रसोई गैस पर सख्त फैसला लेने को तैयार हो गई है।

दिलचस्प है कि वर्तमान में केंद्र सरकार की ओर से डीजल पर 14 रुपये 29 पैसे प्रति लीटर सब्सिडी दी जा रही है। चालू वित्त वर्षके लिए सरकार ने ऑयल सब्सिडी के लिए 43,580 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसमें से 40 हजार करोड़ रुपये सरकारी तेल कंपनियों को जाना है जो बाजार से कम कीमत पर पेट्रोलियम पदार्थ बेच रही हैं। सब्सिडी का बोझ देश के राजकोषीय घाटे पर भी भारी पड़ रहा है।

कुरान का संदेश

3 साल में 16 बार बढ़े हैं पेट्रोल के दाम, अब कैसे चलेगा काम?


केंद्र सरकार ने पेट्रोल बम फोड़कर आम आदमी की जेब को लहुलूहान करने की पूरी तैयारी कर ली है। एक न्यूज एजेंसी के हवाले से आई खबर के मुताबिक, पेट्रोल के दाम में प्रति लीटर 7.50 पैसे का इजाफा किया गया है। ऐसे में इस इजाफे को जोड़ते हुए पिछले 3 सालों में पेट्रोल की कीमतों में करीब 23 रुपये का इजाफा किया जा चुका है। वहीं डीजल को लेकर ये आंकड़ा 8 रुपये प्रति लीटर है। महंगाई से त्रस्त भारतीय जनता के लिए ये इजाफा कमर तोड़ने वाला है।

दिलचस्प है कि पिछले तीन वर्ष के दौरान पेट्रोल 47 प्रतिशत और डीजल 25 प्रतिशत महंगा हुआ। 3 साल पहले पेट्रोल की कीमत करीब 44 रुपये प्रति लीटर थी, वहीं 7.50 रुपये के इजाफे से पहले ये आंकड़ा 67 रुपये के आस-पास बना हुआ था।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार में पिछले 3 सालों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कई बार आसमान पर पहुंची हैं। 3 सालों की इस अवधि में पेट्रोल की कीमतों में 16 बार और डीजल के दामों में 5 बार इजाफा किया गया है। पेट्रोल 44 से बढ़कर करीब 67 रुपये और डीजल 33 रुपये से बढ़कर 41 रूपये हो गया है।

सरकार ने 2 साल पहले पेट्रोलियम पदार्थों पर सब्सिडी के बढ़ते बोझ को कम करने के लिए इसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमतों से जोड़ा था। जून 2010 में ऐसा होने के बाद पेट्रोल को प्रशासनिक मूल्य प्रणाली के दायरे से बाहर कर दिया गया था। इससे पेट्रोल पर सरकार का नियंत्रण लगभग खत्म हो गया था। इतना ही नहीं सरकार ने कंपनियों को वैश्विक बाजार कीमतों के आधार पर हर 15 दिन पर कीमतों में बदलाव तक की छूट दे दी थी।
आंकड़ों के मुताबिक, 2 जुलाई 2009 को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 44.72 रुपये प्रति लीटर थी। वहीं दिसंबर 2011 में ये कीमत 65 रुपये पर पहुंच गई थी।

तीन साल की इस अवधि में नवम्बर 11 में पेट्रोल की कीमत ऊपर में 68.64 रुपये प्रति लीटर तक भी पहुंची। इस दौरान डीजल की कीमत 32.67 रुपए से बढकर 40.91 रुपए पर पहुंच गई। हालांकि इस अवधि के दौरान डीजल के दाम ऊपर में 41.29 रुपये प्रति लीटर तक भी पहुंचे।

तेल कंपनियों की दुहाई है कि लागत से कम कीमत पर उत्पाद बेचने से सालाना उनकी अंडर रिकवरी लगभग एक लाख 39 हजार करोड रुपये तक पहुंच गई है जिससे कंपनियों की वित्तीय सेहत पर विपरीत असर पडा है।

अचूक दवा है ये सब्जी, करेगी इन रोगों का पक्का इलाज



आयुर्वेद यह मानता है कि इस संसार में जो भी द्रव्य हैं, उनमें कुछ न कुछ औषधीय गुण मौजूद हैं ,बस आवश्यकता है, जानकारी की। इसी प्रकार हमारे दैनिक प्रयोग में आने वाले फल सब्जियों में भी औषधीय गुण होते हैं। ऐसी ही एक सब्जी,मूली का प्रयोग हम अक्सर अपने भोजन में करते हैं। आप सोचते होंगे मूली में भला क्या खास होगा, तो हम आपको कुछ ऐसी चंद जानकारी देंगे, जिससे आप मूली को केवल मूली नहीं रोगों के मूल पर प्रहार करनेवाली के रूप में जानेंगे।

- मूली के पत्तों को सुखा कर इसे जला लें। अब बची राख को पानी में मिलाकर आग पर तब तक उबालें जब तक यह सूखकर क्षार का रूप न ले ले। अब इस क्षार की 500 मिलीग्राम की मात्रा में नियमित सेवन करने से श्वांस के रोगियों को लाभ मिलता है ।

-मूली की पत्तियों के रस को तिल के तेल में उबाल कर तेल बनाएं। 2-3 बूँद कान में टपकाने से पीड़ा में आराम मिलता है।

-मूली के पत्तों का रस दिन में दो से तीन बार 25 से 30 मिली की मात्रा में भोजन के बाद लें, यकृतदौर्बल्य में फाएदा पहुंचेगा ।

-पीलिया (जौंडिस) के रोगी के लिए मूली की सब्जी लाभदायक होती है ।

-यदि बवासीर के कारण खून आ रहा हो, तो फिटकरी पांच ग्राम मूली की पत्तियों के आधे लीटर रस में एक साथ उबाल लें। जब यह गाढ़ा हो जाए तो इसकी छोटी-छोटी गोलियां (250-500 मिलीग्राम ) बना लें। अब इसे उम्र के अनुसार एक से दो गोली मक्खन के साथ देने से निश्चित लाभ मिलता है।



-मूली के बीज का चूर्ण पांच से दस ग्राम की मात्रा में देने से स्त्रियों में अनियमित मासिकस्राव की समस्या से निजात मिल जाती है।

- मूली के ताजे पत्ते का रस डाययूरेटिक एवं मृदु विरेचक का काम करता है, अत: पथरी को बाहर निकालने में भी मददगार होता है।

- मूली के पत्तों का रस यदि मिश्री के साथ सेवन करें तो यह एंटएसिड का काम करता है।

-तिल के साथ आधी मात्रा में मूली के बीजों का सेवन किसी भी सूजन में प्रभावी है।

-मूली का सूप हिचकी को रोकने में कारगर होता है।

-मूली के पत्तों को दस से बीस ग्राम की मात्रा में एक से दो ग्राम कलमी शोरा के साथ मिलाकर पिलाने से मूत्र साफ आता है। तो मूली में ऐसे कई गुण मौजूद हैं जिनका संक्षिप्त वर्णन यहां प्रस्तुत किया गया है। हाँ यदि इसे चिकित्सकीय परामर्श से मात्रा एवं पथ्य खाने योग्य- अपथ्य व चिकित्सा के समय त्याग देने योग्य को ध्यान में रखकर लिया जाए तो यह कमाल की औषधि है।

गर्मियों में ऐसे बनाकर पीएं चाय नुकसान नहीं, होगा फायदा ही फायदा

अभी तक आपने यही सुना होगा गर्मियों में चाय सेहत के लिए हानिकारक होती है, लेकिन यह सिक्के का सिर्फ एक पहलू है। हानिकारक समझे जाने वाली यही चाय आपके लिए बेहद लाभदायक भी हो सकती है। तरीके बदलने से परिणाम भी बदल जाते हैं। सही तरीके से बनी चाय आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। आइए जाने कि गुणों से भरपूर ऐसी लाभदायक चाय किस तरह बनती है....

आवश्यक सामग्री:

तुलसी के सुखाए हुए पत्ते (जिन्हें छाया में रखकर सुखाया गया हो) 500 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, तेजपात 100 ग्राम, ब्राह्मी बूटी 100 ग्राम, बनफ शा 25 ग्राम, सौंफ 250 ग्राम, छोटी इलायची के दाने 150 ग्राम, लाल चन्दन 250 ग्राम, काली मिर्च 25 ग्राम और थोड़ा पुदीना। सब पदार्थों को एक-एक करके इमाम दस्ते (खल बत्ते) में डालें और मोटा-मोटा कूटकर सबको मिलाकर किसी बर्नी में भरकर रख लें। बस, तुलसी की चाय तैयार है।


बनाने की विधि :

आठ प्याले चाय के लिए यह 'तुलसी चाय' का मिश्रण (चूर्ण) एक बड़ा चम्मच भर लेना काफी है। आठ प्याला पानी एक तपेली (केटली) में डालकर गरम होने के लिए आग पर रख दें। जब पानी उबलने लगे तब तपेली नीचे उतार कर एक चम्मच मिश्रण डालकर फौरन ढक्कन से ढक दें। थोड़ी देर तक सीझने दें फिर छानकर कप में डाल लें। इसमें दूध नहीं डाला जाता। मीठा करना चाहें तो आग पर तपेली रखते समय ही उचित मात्रा में शकर डाल दें और गरम होने के लिए रख दें।

फायदे:

ऊपर बताए गए प्रयोग से बनी चाय आपको ताजगी और स्फूर्ति के साथ ही तंदरुस्ती का अतिरिक्त लाभ भी देती है । तुलसी की चाय प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाकर रोगों से बचाने वाली, स्फूर्तिदायक, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...