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24 मई 2012

क्या आप भी नींद न आने की समस्या हैं ग्रसित?



इंदौर। आजकल की आपाधापी के बीच अनिद्रा के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। यही वजह है कि कुछ लोग पर्याप्त नींद लेने के फेर में नींद की गोलियों की शरण में चले जाते हैं। जाहिर है कि इसका नकारात्मक प्रभाव भी देखने में आता है। ऐसे में रात-रातभर बिस्तर पर करवट बदलने वाले कुछ प्राकृतिक उपायों की मदद ले सकते हैं। इनकी न तो लत पड़ती है और न ही किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव।

चुनें सही तकिया- अच्छी नींद और उपयुक्त तकिये के संबंध को नकारा नहीं जा सकता। तकिया न सिर्फ गले और सिर को सपोर्ट करता है, बल्कि रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखता है। यह आप पर निर्भर है कि आप अपनी सोने की मुद्रा के आधार पर तकिये का चयन करें।

अगर आप पेट के बल सोते हैं, तो नरम-मुलायम तकिये का इस्तेमाल करें। अगर आप एक तरफ करवट के बल सोते हैं, तो मीडियम-सॉफ्ट तकिये को चुनें। अगर आप पीठ के बल सोते हैं, तो आपका तकिया थोड़ा कड़ा होना चाहिए।

सही खानपान अपनाएं- सोने से पहले ज्यादा खाना न खाएं। ज्यादा खाने से शरीर का तापमान बढ़ता है, जिससे नींद दूर रहती है। इसका यह मतलब भी नहीं है कि आप कम भोजन करें। डिनर के बाद केला खाएं। यह मस्तिष्क और शरीर को शांत करता है। कैफीन यानी चाय-कॉफी का भी सेवन कम करें।

सप्लीमेंट्स लें

कैल्शियम और मैग्नीशियम का उचित मात्रा में सेवन नींद की समस्या को दूर करता है। मैग्नीशियम को प्राकृतिक नींद लाने वाला मिनरल माना जाता है। यह तनाव को झेलने में भी मदद करता है। यह मांसपेशियों और दिमाग के तनाव को कम करता है। कैल्शियम की कमी से भी नींद की समस्या उपजती है। इसे समझते हुए इन दोनों से भरपूर खाद्य पदार्थ मसलन दूध, ओट्स और अंजीर का सेवन अच्छा रहेगा।

सलून चलाते-चलाते बन गया 'डाक्टर', लोग कह उठे वाह!

रांची. उर्दू लाइब्रेरी के कोने पर दो चेयर और एक शीशा के सहारे अपनी जीविका चलाने वाले अशरफ को देखकर कोई नहीं सोच सकता कि इस शख्स के नाम के साथ डॉ. भी जुड़ा है। यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने का जुनून ही था कि महज 10 रुपए में दाढ़ी बनाने का काम करने वाले हिंदपीढ़ी नदी ग्राउंड निवासी अशरफ ने रांची यूनिवर्सिटी से पीजी करने के बाद डॉ. गुलाम रब्बानी के अंडर में ‘ए कॉम्परेटिव एंड एनालिटिकल स्टडी ऑफ साउथ उर्दू स्टोरी राइटर इन झारखंड’ विषय पर पीएचडी किया। उपन्यासकार बनने की इच्छा रखने वाले अशरफ चाहते तो दस साल पूर्व ही प्राइवेट नौकरी कर लेते। लेकिन, उसमें सिमट कर रह जाने के डर से अपने पिता से विरासत में मिले काम को ही करना पसंद किया। इसके पीछे मकसद सिर्फ और सिर्फ जीविका चलाने के साथ उच्च शिक्षा हासिल करना था।


महिला उपन्यासकारों पर लिख रहे हैं किताब

डॉ. अशरफ इन दिनों अपने पेशे के साथ झारखंड की उर्दू में उपन्यास लिखने वाली महिलाओं पर किताब लिख रहे हैं। वह बताते हैं कि झारखंड में अच्छे उपन्यासकारों की कोई कमी नहीं है, लेकिन देश में एकाध को छोड़कर किसी की पहचान नहीं बन पाई है। इस कारण इस क्षेत्र में लोग झारखंड को पिछड़ा मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यहां भी उर्दू के अच्छे उपन्यासकार मौजूद है जिनमें पुरुष के अलावा महिलाएं भी शामिल हैं। डॉ. अशरफ के अनुसार तीन-चार माह में उनकी किताब पूरी हो जाएगी।

उर्दू और हिंदी भाषा से बेहद लगाव

उर्दू के अलावा डॉ. अशरफ को हिंदी से भी काफी लगाव है। यही कारण है कि वह अपने बेटे को पीएचडी हिंदी में कराना चाहते हैं। वह कहते हैं कि अभी बेटा मदरसा में रहकर हाफिज की पढ़ाई कर रहा है। उसे पीएचडी कराना है, ताकि घर में उर्दू हिंदी का संगम हो सके।

राज्यपाल की दाढ़ी सेट करने की चाहत

डॉ. अशरफ का मानना है कि राज्यपाल सैय्यद अहमद जिस तरह की दाढ़ी रखते हैं, वह बेहतर ढंग से उसे सेट कर सकते हैं। वह कहते हैं कि वैसे तो कई बड़े अधिकारियों के घर जाकर काम करने का मौका मिला है, लेकिन राज्यपाल का दाढ़ी सेट करना मेरा सपना है।

दस साल पढ़ाई से रहा दूर

अशरफ ने 1987 में मैट्रिक पास किया। इंटर की पढ़ाई के दौरान पिता का इंतकाल हो गया। छह माह बाद मां भी चल बसी। छह भाई-बहनों में छोटा होने के बावजूद घर की जिम्मेवारी अशरफ के कंधों पर ही आ गई। बहन की शादी कराने में बड़े भाईयों का हाथ बंटाया। इस कारण अशरफ को 10 साल तक पढ़ाई से दूर रहना पड़ा। इस बीच 1998 में इनकी शादी हो गई। 1999 में फिर से पढ़ाई का शौक जागा। डोरंडा कॉलेज से उर्दू में ऑनर्स करने के बाद रांची यूनिवर्सिटी से पीजी और पीएचडी की डिग्री हासिल की। अशरफ के एक भाई रामगढ़ मिलिट्री कैंट में सेक्शन ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। जबकि, दूसरे भाई का देहांत हो चुका है। ऐसे में अशरफ अपने परिवार के साथ भाई के परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेवारी भी उठा रहे हैं।

दोस्तों आपकी दुआओं से मेरी बिटिया जवेरिया दसवीं बोर्ड में कामयाब हुई उसकी रिजल्ट शीट


CENTRAL BOARD OF SECONDARY EDUCATION
Secondary School Examination (Class-X) Session 2010-2012
( Results of Class - X )
Roll No 1147518 Name JAVERIYA AKHTAR
Mother's Name RIZWANA AKHTAR Father's /Guardian Name AKHTAR KHAN
Date of Birth 12/06/1996
Part 1 - Scholastic Areas
Part 1A – Academic Performance:
Subject FA SA TOTAL GP
101 ENGLISH COMM. A1 A1 A1 10
085 HINDI COURSE-B A1 A1 A1 10
041 MATHEMATICS A1 A1 A1 10
086 SCIENCE A1 A1 A1 10
087 SOCIAL SCIENCE A1 A1 A1 10







CGPA 10

Part 1B Grade
500 - WORK EDUCATION A+
501 - ART EDUCATION A+
502 - PHY & HEALTH EDUCA A+
Part 2 Co- Scholastic Areas:
Part 2A - Life Skills Grade Part 2B - Attitude and Values towards Grade
511 - THINKING SKILLS B+ 521 - TEACHERS A+
512 - SOCIAL SKILLS A 522 - SCHOOL-MATES A+
513 - EMOTIONAL SKILLS A+ 523 - SCHOOL PROGRAMMES A
524 - ENVIRONMENT A+
525 - VALUE SYSTEM A+

Part 3 Co- Scholastic Areas:
Part 3A-Co-Scholastic Activites Grade Part 3B-Phy. & Health Edu. Grade
531 - LITERARY & CREATIV A+ 541 - SPORTS A+
532 - SCIENTIFIC & ICT S A+ 548 - GARDENING/SHRAMDAN A
Result : QUAL
** - Grade Upscaled by one level
Note :Abbreviations used against Result :
QUAL- Qualified for Admission to Higher Classes, N.E-Not Eligible,EIOP-Eligible for Improvement of Performance ,N.R-Not Registered,NIOP-Not Eligible for Improvement of Performance,R.W-Result Withheld,XXXX-Appeared for Upgradation of Performance/ Additional Subject,UFM-Unfair Means ABST-Absent,SJD-Subjudice,TRNS-Transfer Case



कुरान का संदेश

गृह मंत्रालय का यह केसा जवाब है


लखनऊ . देश में 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस), 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) और दो अक्टूबर (गांधी जयंती) राष्ट्रीय पर्व घोषित नहीं है। यह जानकारी केंद्रीय गृह मंत्रालय के निदेशक एवं जनसूचना अधिकारी श्यामला मोहन ने दी है। लखनऊ की कक्षा छह की छात्रा ऐश्वर्या परासर ने आरटीआई के जरिए इस संबंध में जानना चाहा था।
ऐश्वर्या ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से राष्ट्रीय पर्वों की घोषणा से संबंधित आदेश की प्रति मांगी थी। पीएमओ की उपसचिव व केंद्रीय जनसूचना अधिकारी संयुक्ता राय ने ऐश्वर्या के सवाल को गृह मंत्रालय भेज दिया। वहां से श्यामला मोहन ने 17 मई को आधिकारिक पत्र के जरिए जवाब भेजा। उसमें साफ कहा गया है कि इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। इसके बावजूद इन दिवसों को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
अपने संग्रह में रखना चाहती थी आदेशों की प्रति: ऐश्वर्या: ऐश्वर्या ने दैनिक भास्कर बताया कि राष्ट्रीय पर्वों से संबंधित आदेशों की प्रति अपने संग्रह में रखना चाहती थी। इसीलिए यह आरटीआई लगाई थी।
बता दें कि इससे पहले महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता घोषित किए जाने से संबंधित सवाल भी ऐश्वर्या ने पूछा था। इस पर भी भारत सरकार का जवाब था कि उन्हें राष्ट्रपिता कभी घोषित नहीं किया गया।

धोखा? 42 का पेट्रोल हमें 74 में बेच रही सरकार




आज जब कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत अगस्त 2008 की कीमत से भी कम है, फिर किस तर्क पर सरकार ने इसके मूल्य में साढ़े सात रुपए की बढ़ोतरी कर दी, यह समझ से परे है। दैनिक भास्कर डॉट कॉम के कैलकुलेशन के अनुसार, फिलहाल पेट्रोल का बेसिक प्राइस 42 रुपए निकलता है जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकारें उसमें अपने 35-40 रुपए टैक्स और ड्यूटीज जोड़ती हैं, जिसके कारण दाम 77-81 रुपए हो जाता है।



आज कच्‍चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से मिल रहा है। एक डॉलर 56 रुपए के बराबर है तो एक बैरल का दाम हुआ 5600 रुपए हुआ। यह अगस्त 2008 की तुलना में 6 प्रतिशत सस्ता है। उस समय यह 5900 रुपए प्रति बैरल मिल रहा था। इसके बावजूद सरकार ने तेल कंपनियों को 7.5 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने से रोका नहीं।



एक बैरल में लगभग 150 लीटर कच्चा तेल आता है। इस एक बैरल तेल को रिफाइन कर पेट्रोल में बदलने का कुल खर्च 672 रुपए निकलता है। इस तरह से पेट्रोल का दाम 42 रुपए प्रति लीटर से भी कम हुआ। (5600+672/150= 41.81)।



इसका दाम बढ़कर 77-81 रुपए हो जाता है क्योंकि इसमें बेसिक एक्साइज ड्यूटीज सहित अन्य ड्यूटीज और सेस के साथ स्टेट सेल्स टैक्स भी जोड़ा जाता है। इससे 42 रुपए में 35-40 रुपए और जुड़कर इसका दाम उतना हो जाता है। इस तरह से केंद्र और राज्य दोनों मिलकर आम जनता की भलाई के नाम पर पैसा उगाहने के लिए उन्हीं के जेब पर बोझ बढ़ाते हैं।



पेट्रोल का दाम बढ़ाने के जो तर्क दिए जाते रहे हैं, उसकी हकीकत भी समझिए।


पब्लिक सेक्टर के तेल कंपनियों की हानि की पूर्ति करना- सच यह है कि सरकार ज्‍यादा रकम टैक्‍स के रूप में रख लेती है और तेल कंपनियां अपनी रिफाइनिंग कैपेसिटी बढ़ाने के लिए नया निवेश नहीं कर पाती हैं। तेल के नए रिसोर्स की खोज भी वह नहीं कर पातीं। अन्य इंवेस्टर्स भी असुरक्षित महसूस कर अपने हाथ पीछे खींच लेते हैं। इन सबके चलते तेल के स्रोतों का धनी भारत पीछे रह जाता है और इनके मुकाबले सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे देश अपनी रिफाइनरी कैपेसिटी में आगे निकल जाते हैं।



रुपए का तेजी से अवमूल्यन



पिछले महीनों में रुपए का दस प्रतिशत अवमूल्यन करने से 51 रुपए का डॉलर 56 रुपए का हो गया। वहीं तेल भी तो 120 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 100 डॉलर हो गया। इसलिए, रुपए के अवमूल्यन को कारण बनाकर पेट्रोल का दाम बढ़ाने वाली बात सही नहीं लगती।



सब्सिडी का रोना




इस बार पेट्रोल का दाम बढ़ाने से पहले भी सरकार 42 रुपए का पेट्रोल 70 रुपए में बेच रही थी। कल के दाम बढ़ोतरी के बाद तो बेसिक पेट्रोल प्राइस पर सरकार और 83 प्रतिशत टैक्स ले रही है। फिर कैसी सब्सिडी? अब इससे ज्यादा और कितना बोझ सरकार आम आदमी पर डालेगी।



सरकार तो डीजल तक पर सब्सिडी नहीं दे रही है। सब्सि़डी के नाम पर 44-46 रुपए में एक लीटर डीजल मिल रहा है जबकि रिफाइनिंग से लेकर सारे कॉस्ट मिलाकर इसका दाम 42 रुपए प्रति लीटर आता है।

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