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28 मई 2012

मुख्यमंत्री निवास के बाहर युवती ने खाया जहर

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जयपुर.ज्यादती के मामले में आरोपियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर बीकानेर से आई 25 वर्षीय युवती को मुख्यमंत्री निवास पर सोमवार सुबह जनसुनवाई में सुरक्षा गाडरें ने घुसने नहीं दिया। वह सुबह पहुंच गई थी और गार्डो से दोपहर तक सीएम से मिलवाने की गुहार करती रही। आखिर दोपहर करीब 12:30 बजे वह सीएम हाउस के गेट पर बेहोश होकर गिर पड़ी।उसे एसएमएस अस्पताल के 3 एफ वार्ड में अज्ञात जहर के केस में भर्ती किया गया है।

यूनिट हैड डॉ. रेणु सहगल ने बताया कि युवती को एंटी पॉयजन दवा दी गई है। खून के सैंपल लिए गए हैं। डॉक्टर का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ होगी।

मुख्यमंत्री निवास पर जनसुनवाई में शामिल होने के लिए वह सोमवार सुबह 5:30 बजे ट्रेन से जयपुर आई थी। इसके बाद सीएम हाउस पहुंच गई।। जनसुनवाई शुरु होने पर पीड़िता ने अंदर जाने का प्रयास किया। तब मुख्य गेट पर तैनात सुरक्षा गार्डो ने उसे अंदर नहीं जाने दिया। काफी जद्दोजहद के बाद वह सीएम हाउस के बाहर बैठ गई। दोपहर करीब 12:30 बजे युवती की तबीयत अचानक बिगड़ गई। वह बेहोश होकर गिर पड़ी।

विषाक्त पदार्थ खाने का अंदेशा :

युवती को एसएमएस अस्पताल के 3 एफ वार्ड में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों ने उनके भर्ती टिकट में अज्ञात विषाक्त के सेवन से तबियत बिगड़ना बताया है।

कंपाउंडर पर ज्यादती का आरोप

प्रारंभिक पूछताछ में युवती ने बताया कि उसे पिछले दो वर्ष से पेट की बीमारी है। इसका इलाज पीबीएम अस्पताल, बीकानेर में चल रहा है। वह पिछले वर्ष 19 जून को अस्पताल में चैकअप कराने गई थी। वहां कंपाउंडर अजय स्वामी व उसके दो साथियों ने झांसा देकर ज्यादती की। पीड़िता ने बीकानेर के तत्कालीन एसपी के हस्तक्षेप के बाद आरोपियों के खिलाफ कोटगेट थाने में 24 जून को रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।

छह बार आ चुकी है सीएम से मिलने, पर न्याय नहीं

युवती ने बताया कि वह अब तक छह बार सीएम हाउस आ चुकी है। तीन बार उसने जनसुनवाई में सीएम से मिलकर न्याय की गुहार की। जबकि तीन बार उसे अधिकारियों ने मिलने नहीं दिया।इससे परेशान होकर वह सोमवार को फिर से जनसुनवाई में पहुंची। लेकिन, उसे बाहर रोक दिया गया।

शोध पुस्तक ने खोला नाग परंपरा का रहस्य


कुल्लू. धरती लोक में नाग परंपरा के रहस्य से पर्दा उठ गया है। इसका रहस्य देवप्रस्थ साहित्य एवं कला संगम द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से पश्चिमी हिमालय में नाग परंपरा नामक परियोजना पर किए गए शोध पर प्रकाशित पुस्तक ने खोला है।

इस पुस्तक का सोमवार को कुल्लू के देवसदन में लोकार्पण किया गया। इसका विमोचन राष्ट्रीय साहित्य अकादमी दिल्ली के उप सचिव ब्रजेंद्र त्रिपाठी ने किया। इस पुस्तक में पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में नाग परंपरा पर किए गए शोध कार्य को शामिल किया गया है।

५५ विद्वानों ने किया शोध: देवप्रस्थ साहित्य एवं कला संगम कुल्लू के महासचिव डॉ. सूरत ठाकुर ने बताया कि पश्चिमी हिमलाय में नाग परंपरा नामक इस पुस्तक में हिमाचल, उत्तराखंड तथा जम्मू-कश्मीर के करीब ५५ विद्वानों ने शोध किया।
इन परंपराओं का खुलासा
पुस्तक में नागों की पूजा कैसे होती है, नागों को लेकर मनाए जाने वाले मेले और त्यौहर, शास्त्रों में इसे किस रूप में देखा गया है। विद्वानों का मानना है कि नागों को पाताल लोक का राजा है और धरती लोक पर कैसे आया और यहां कैसे स्थापित हुआ, कैसे प्रसिद्धि मिली इन तमाम पहलुओं पर शोध किया गया है। उनका मत है कि हिमालयी क्षेत्रों में नागों के नाम के वन, तालाब और पहाड़ियां आदि तीर्थ स्थल भी हैं। इन तीर्थ स्थनों का नागों के साथ क्या संबंध रहा है इसको लेकर भी पुस्तक में है।

गोली मत दो नागर साहब, बंजारों को गोल घुमा दिया सरकार ने’

जयपुर.खादी मंत्री बाबूलाल नागर सोमवार को ऑल इंडिया बंजारा सेवा संघ की ओर से आयोजित प्रदेश पदाधिकारी और कार्यकर्ता सम्मेलन में इस कदर फंस गए कि उनके लिए सभागार से निकलना मुश्किल हो गया। देशभर से आए बंजारा समाज के पदाधिकारियों ने मांग की कि यदि उन्हें आदिवासियों का दर्जा नहीं दे सकते तो सुविधाएं तो दी जा सकती हैं।

महावीर स्कूल सभागार में आयोजित सम्मेलन में मुख्यमंत्री के नहीं आने पर उनके प्रतिनिधि के तौर पर नागर ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने करीब आधे घंटे के अपने भाषण में सरकार और मुख्यमंत्री की उपलब्धियों का गुणगान किया। उन्होंने कहा कि वे आपकी मांगों के मामले में मुख्यमंत्री से बात करेंगे। इधर नागर ने जैसे ही अपना भाषण खत्म किया, उत्तर प्रदेश के बंजारा समाज के प्रदेश अध्यक्ष सतीश चंद्र नायक तेजी से मंच पर चढ़े और बोले-गोली मत दो नागर साहब, सरकार ने बंजारों को गोल घुमा दिया है।

मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि और मंत्री के नाते आपसे बंजारा समाज को जवाब चाहिए, चिकनी चुपड़ी बातें नहीं। हमें आश्वस्त करके जाइए। इधर आयोजकों ने सतीश चंद्र को शांत करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नागर से एक के बाद एक कई सवाल कर दिए। सकपकाए नागर ने पलटकर कहा कि वे तत्काल कुछ कमिटमेंट करने की स्थिति में नहीं हैं।

हालात बिगड़ते देख आयोजन समिति के कुछ लोगों ने जैसे-तैसे नागर को मंच से उतारा। सतीश चंद्र का गुस्सा यही नहीं थमा और वे भी पीछे हो लिए। अंतत: नागर के जाने के बाद ही मामला शांत हो पाया। नागर के बाद भाजपा राज में समाज कल्याण मंत्री रहे मदन दिलावर ने भाषण शुरू किया।

आदिवासियों का दर्जा नहीं दे सकते तो सुविधाएं तो दिलाओ

आंध्रप्रदेश के पूर्व मंत्री अमरसिंह तिलावत ने कहा कि 1981 से एसटी में शामिल करने संबंधी मांग केंद्र के पास पड़ी है, लेकिन कुछ नहीं हो रहा। सम्मेलन संयोजक सेठाराम बंजारा ने बताया कि उनके समाज का बड़ा तबका भूमिहीन है और डेरों में जीवन यापन करता है। इनके लिए आवास की स्थायी व्यवस्था होनी चाहिए। राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनने चाहिए। गरीब तबके को ऊपर उठाने के लिए विशेष पैकेज और अलग से आरक्षण होना चाहिए। अहमदाबाद से आए केजी बंजारा ने कहा कि देशभर में फैले बंजारों को एकजुट होने की जरूरत है।

दिलावर को फंसाने छोड़ दिया तीर

नागर ने भाषण के दौरान मदन दिलावर की ओर इशारा करते हुए कहा कि 10 साल तक समाज कल्याण विभाग का दायित्व आपके पास रहा है। अब बंजारा भाइयों के मामले में आपको ही जवाब देना है और इसका समापन करना है। इस पर लोगों के सामने पेचीदा स्थिति बन गई और फुसफुसाहट शुरू हो गई कि सरकार कुछ देना चाहती है या मामले को टालना चाहती है।

कुरान का संदेश

काश अल्पसंख्यक आरक्षण के नाम पर सरकार सियासत नहीं करती और ईमानदारी से अधिसूचना जारी करती

काश अल्पसंख्यक आरक्षण के नाम पर सरकार सियासत नहीं करती और ईमानदारी से अधिसूचना जारी करती और पेरवी करती तो आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का आदेश आरक्षण को विधि विरुद्ध घोषित नहीं करती ....जी हाँ दोस्तों कई सालों से काका केलकर ..फिर वेंकट चलाय्या .फिर जस्टिस सच्चर फिर जस्टिस रंगनाथ मिश्र सभी ने मुस्लिमों को आरक्षण की पेरवी की गोपालन कमेटी ने तो वर्ष २००७ में ही मुस्लिमों का आरक्षण देने की सिफारिश की लेकिन सरकार ने सभी रिपोर्टों को दबा दिया ,,,,सभी जानते है के देश में जो अनुसूचित जाती जान जाती आरक्षण है वोह आर्थिक आधार पर नहीं धर्म के आधार पर है वर्ष १९५० की जो आरक्षण अधिसूचना है उसमे केवल हिन्दुओं के लियें शब्द लिखे जाने से कपड़ा बुनने वाले अंसारी अलग हो गये लेकिन कोली समाज को आरक्षण मिल गया ..मुस्लिम धोबी अलग हो गये लेकिन हिन्दू धोबियों को आरक्षण मिल गया .....मुस्लिम कसाई अलग हो गए लेकिन खटीकों को आरक्षण मिल गया ऐसी कई जातियां है जो धर्म के नाम पर प्रभावित हुई है और एक धर्म की जातियां कर्मकार मजे कर रहे है और इसी व्यवसाय से जुड़े मुस्लिम लोग पिछड़े और पिछड़े होते जा रहे है यह सिर्फ धर्म आधारित आरक्षण की अधिसूचना से हुआ है जो सर्वविदित है ..लेकिन कोई इस बात को उठाना नहीं चाहता .....अब बात करते है सियासी आरक्षण का उत्तरप्रदेश चुनाव सर पर थे आनन् फानन में आरक्षण की अधिसुचन सभी कानूनों को तक में रख कर जारी की गयी ..लोकसभा में बहुमत था अगर सरकार चाहती तो संविधान में संशोधन कर केवल हिन्दुओं के लियें शब्द हटा कर सभी भारतियों के लियें कर सकती थी ..सरकार चाहती तो संविधान संशोधन कर जो १५ प्रतिशत आरक्षण की बात कही थी वोह संविधान में संशोधन कर दे सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ केवल हवाई आरक्षण दिया और जब मामला आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट पहुंचा तो पेरवी भी ठीक तरह से नहीं हुई पहले तो अधिसूचना की गलती फिर पिछड़ेपन के आधार पर इतने आयोग इतनी समितियों द्वारा १५ प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश करने पर केवल साढ़े चार प्रतिशत आरक्षण देने की कार्यवाही पर भी वोह अपनी कार्यवाही आर्थिक आधार पर जस्टिफाई नहीं कर पाए ऐसी सरकार जिसके विधि मंत्री मुस्लिम हो लेकिन उनकी तरफ से पेरवी करने वाले मुकदमे को खुद कमजोर कर हर जाए और सियासत हो ..अब फिर सियासत होगी मामला सुप्रीमकोर्ट में पहुंचाकर मुस्लिमों अपर अहसान जताया जाएगा राजनीती की जायेगी विरोध और समर्थन का खेल चलेगा और बेचारा पिछड़ा दलित ..पिछड़ा मुसलमान यूँ ही सियासत का शिकार होकर पिस्ता रहेगा .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्थान में कोंग्रेस के कार्यकर्ताओं पर कोंग्रेस और सरकार की संगीनों का पहरा लगा हुआ है

राजस्थान में कोंग्रेस के कार्यकर्ताओं पर कोंग्रेस और सरकार की संगीनों का पहरा लगा हुआ है ......जी हाँ दोस्तों यह कोई काल्पनिक गाथा नहीं ..केंद्र हो या प्रदेश किसी ने भी कोंग्रेस के खिलाफ खुद कोंग्रेस के उपेक्षित कार्यकर्ताओं का इतना उबाल इतना गुस्सा नहीं देखा होगा ......बात वाजिब भी है जब दरी पट्टी बिछाने और नारे लगाने की नोबत आये तो कार्यकर्ता है और जब टिकिट या दुसरे पदों पर नियुक्ति की बात आये तो गेर कोंग्रेसी रिटायर्ड अधिकारी या फिर डोक्टर वगेरा को कुर्सी परोस दी जाती है हालात यह होते है के यह लोग सांसद ..विधायक या किसी आयोग वगेरा के चेयरमेन बनने के बाद कोंग्रेस के कार्यकर्ताओं को जूते की नोक पर रखते है ..मंत्री कार्यकर्ताओं को घंटों इन्तिज़ार करवाते है और मुख्यमंत्री केवल एक दिन लोगों से मिलते है वोह भी हवाई वादों से ज्यादा कुछ नहीं होता ..राजस्थान में जितने मुकदमे जितनी परेशानियाँ कोंग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उठाई है शायद दुश्मन पार्टियों के कार्यकाल में भी उन्हें इतनी तकलीफ नहीं हुई है ..कोंग्रेस की गुटबाजी का तो कहना ही क्या राजस्थान में भरतपुर कोंग्रेस कार्यकर्ता सम्मलेन में विश्वेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कोंग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को भगा भगा कर छुपने पर मजबूर कर देने की गाथा अख़बारों की सुर्खियाँ बनी है बस यह घटना ऐसी थी जिसने कोंग्रेस संगठन को आयना दिखा दिया ......अभी हाल ही में कोटा में कोंग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक हुई ..बैठक की तय्यरियाँ दूध के जले छाछ को भी फूंक फूंक कर पीते है वेसे करते देखे गए ..बैठक से मंत्री तो नदारद थे लेकिन सम्मेलन में कर्यर्क्र्ताओं के फोटू और पास बनाये गये उनकी तलाशी ली गयी ..पुलिस भारी मात्रा में मोजूद रही ..पहली बार कोंग्रेस की किसी मीटिंग में पुलिस का पहरा और डर और खोफ का माहोल देखा गया ..कार्यकर्ता को कार्यकर्ता से और जनता से दूर करने के लियें यह कोंग्रेस के करता धर्ताओं का पहला प्रयास था ................कोटा में जो हुआ वोह कोंग्रेस को कलंकित कर देने वाला है ..मर्यादाओं ..आचरण और अनुशासन के साथ साथ लोकतंत्र की बात करने वाली इस पार्टी को चिंतन करना चाहिए के आखिर ऐसे कोनसे हालात है ऐसी कोनसी वजह है जो आज कोंग्रेस के कार्यकर्ता कोंग्रेस के मंत्रियों और पदाधिकारियों के गिरेबान पकड़ना चाहते है ..आज सड़क पर कोंग्रेस के पदाधिकारियों और मंत्रियों से विपक्ष नाराजगी नहीं दिखा रहा है केवल कार्यकर्ता वोह भी कोंग्रेस का समर्पित होने के बाद भी नेताओं से नाराज़ है इस पर रिसर्च होना चाहिए ..चिंतन होना चाहिए मनन होना चाहिए ..खुद कोंग्रेस हाईकमान को चिंतित होना चाहिए और अपनी मुखबिरी योजना को मज़बूत बनाकर या फिर सेवानिव्रत्त ख़ुफ़िया अधिकारीयों की सेवाएँ लेकर सच को जाने और जो कोई भी पार्टी की लाइन पार कर खुद की लाइन मजबूत कर रहा है पार्टी से खुद को बढ़ा समझ रहा हा उसे बाहर का रास्ता दिखाए एक बार सिर्फ एक बार अगर कोंग्रेस ने यह सख्ती बहादुरी से दिखा दी तो कुछ देरी के लिए तो कोंग्रेस खुद को अकेला महसूस करेगी लेकिन एक बार फिर से कोंग्रेस का चरित्र शुद्धिकरण के बाद उभरेगा उसका उजाला पुरे देश की राजनीति को रोशन कर देगा कोंग्रेस के दिल्ली में बेठे लोगों को एक बार सिर्फ एक बार सत्ता हो चाहे बढ़े नेताओं के भागने का लालच हो सभी की कुर्बानी देना होगी और नये सिरे से एक बार फिर अपने पुराने स्वरूप को ज़िंदा करना होगा तब कहीं देश का बच्चा बच्चा कहेगा के कोंग्रेस जिंदाबाद कोंग्रेस जिंदाबाद ...वरना फिर तो ऐसे ही कोंग्रेस के नेताओं और मंत्रियों को पुलिस की संगीनों के पहरे में अपने कार्यक्रम करना होंगे ..खुद संगठन के चिंतन शिविर भी पहरों में ही चलाना होंगे वोह दिन दूर नहीं जब मंत्री और नेताओं को बुर्के पहन कर सडकों पर निकलना होगा ..इसलिए कोंग्रेस हाईकमान अब इन चोर ..भ्रष्ट ..बेईमान देश और संगठन के दुश्मन नेताओं को दरकिनार कर ले तो बात बन जायेगी यह बात भी सच है के ऐसा करने पर कोंग्रेस संगठन में गिनती के लोग ही रह जायेंगे लेकिन जो बचेंगे वोह राष्ट्रभक्त भी होंगे जनता के सेवक भी होंगे और कोंग्रेस संगठन के वफादार भी होंगे ....काश ऐसा हो जाए तो कोंग्रेस संथान और मेरा भारत महान हो जाए .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अगर आप नहीं जानते मौत से जुड़ी ये सच्चाई तो ये खबर जरुर पढ़ें

मौत एक ऐसी सच्चाई जिसे कोई झूठला नहीं सकता। एक न एक दिन मौत सभी को आनी है। इस सच्चाई को जानते हुए भी हम मौत से घबराते हैं। आखिर क्या है मौत का राज़? क्यों होती किसी की मृत्यु? यह वह सवाल है जो मानव मस्तिष्क को हमेशा परेशान करते आए हैं।

अगर आध्यात्मिक रूप से देखा जाए तो मौत का अर्थ है शरीर से प्राण अर्थात आत्मा का निकल जाना। इसके बिना शरीर सिर्फ भौतिक वस्तु रह जाता है। इसे ही मौत कहते हैं। जबकि विज्ञान की दृष्टि से मृत्यु का अर्थ कुछ अलग है। उसके अनुसार शरीर में दो तरह की तरंगें होती हैं- भौतिक व मानसिक तरंग। जब किसी कारणवश इन दोनों का संपर्क टूट जाता है तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। साधारणत: मौत तीन प्रकार से होती है- भौतिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक।

किसी दुर्घटना या बीमारी से मृत्यु का होना भौतिक कारण की श्रेणी में आता है। इस समय भौतिक तरंग अचानक मानसिक तरंगों का साथ छोड़ देती है और शरीर प्राण त्याग देता है। जब अचानक किसी ऐसी घटना-दुर्घटना के बारे में सुनकर, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती, मौत होती है तो ऐसे समय में भी भौतिक तरंगें मानसिक तरंगों से अलग हो जाती हैं और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। यह मृत्यु का मानसिक कारण है।

मौत का तीसरा कारण आध्यात्मिक है। आध्यात्मिक साधना में मानसिक तरंग का प्रवाह जब आध्यात्मिक प्रवाह में समा जाता है तब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है क्योंकि भौतिक शरीर अर्थात भौतिक तरंग से मानसिक तरंग का तारतम्य टूट जाता है। ऋषि मुनियों ने इसे महामृत्यु कहा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार महामृत्यु के बाद नया जन्म नहीं होता और आत्मा जीवन-मरण के बंधन से मुक्त हो जाती है।

छोटे-छोटे घरेलू टिप्स: कमजोर याददाश्त को धारदार बनाने के लिए


- एक या दो सेब भोजन से पहले बिना छिले चबा-चबाकर खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

- सिर पर घी की मालिश करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

- गेहूं के पौधे यानी जवारे का रस 40 दिन पीने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

- अखरोट खाने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।

- गुलकंद नित्य तीन बार खाने से स्मरणशक्ति बढ़ती है।

- रात को उड़द की दाल भिगो दें। इसे पीस कर दूध मिश्री मिलाकर पीएं। यह दिमाग के लिए लाभदायक है।

- नारियल, लीची, पिस्ता, आंवला खाने से मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होती है।

- आधा भोजन करने के बाद हरे आवंलों के रस में तीस ग्राम पानी मिलाकर पी लें। फिर आधा भोजन करें। इस तरह 21 दिन सेवन करने से याददाश्त बढ़ती है।

नरेंद्र मोदी ने किया ब्‍लैकमेल: भेजा था इस्‍तीफा, जोशी को विमान से मुंबई से 'भगवाया'?




मुंबई. मुंबई में भाजपा की राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक खत्‍म हो जाने के दो दिन बाद पता चला है कि गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक में शामिल होने को लेकर आलाकमान को ब्‍लैकमेल किया था। एक स्‍थानीय अखबार का दावा है कि मोदी ने अध्‍यक्ष नितिन गडकरी को राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी से अपना इस्‍तीफा भेज दिया था। उनका कहना था कि या तो वह रहेंगे या फिर संजय जोशी। मोदी संजय जोशी के इस्‍तीफे के बाद ही मुंबई कार्यकारिणी में शामिल होने के लिए गए थे।

अखबार का दावा है कि मोदी की धमकी के बाद तुरंत दिल्‍ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई गई। जिसमें निर्णय लिया गया कि मोदी के लिए जोशी को बाहर का रास्‍ता दिखाया जाए। लेकिन मोदी इससे भी नहीं माने और जोशी पर एक और हमला किया।

रविवार को जोशी मुंबई से दिल्‍ली ट्रेन से जाने वाले थे, लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्‍हें हवाई जहाज से जाने का आदेश दिया। अखबार के अनुसार, शनिवार को पार्टी की ओर से भाजपा, संघ, विहिप के नेताओं को कहा गया कि मुंबई से दिल्‍ली के रास्‍ते गुजरात के स्‍टेशनों पर जोशी का स्‍वागत किया जाए। इसमें वापी, वलसाड, नवसारी, वडोदरा, दाहोद और गोधरा जैसे स्‍टेशन शामिल थे। लेकिन रविवार को जब मोदी ने गडकरी ने जन्‍मदिन की बधाई के लिए फोन किया तो उन्‍होंने गडकरी पर संजय जोशी की यात्रा कार्यक्रम बदलवाने का दबाव डाला। तब जोशी ने हवाई जहाज की टिकट बुक कराई।

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