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31 मई 2012

जानिए, क्यों घर में रखा गंगाजल लंबे वक्त तक नहीं होता खराब


गंगा नदी धर्म, आस्था, श्रद्धा और पवित्रता का साक्षात् स्वरूप है। गंगा नदी स्थान विशेष पर ही नहीं, बल्कि धर्म-कर्म और परंपराओं के जरिए हर धर्मावलंबी के विचार-व्यवहार में भी पावनता के साथ हमेशा बहती रही है। सनातन परंपराओं में गंगाजल का उपयोग हर धार्मिक व मांगलिक कार्यों में पवित्रता के लिए किया जाता है। शिशु जन्म हो या मृत्यु से जुड़े कर्म, सभी में गंगा जल से शुद्धि की परंपरा है। मृत्यु के निकट होने पर व्यक्ति को गंगा जल पिलाने और दाह संस्कार के बाद उसकी राख को गंगा के पवित्र जल में प्रवाहित करने की भी पंरपरा रही है।
धार्मिक दृष्टि से गंगा पापों का नाश कर मोक्ष देने वाली, मंगलकारी और सुख-समृद्धि देने वाली, कामनाओं को पूरा करने वाली देव नदी मानी गई है। ऐसी जीवनदायी और पावन होने के कारण गंगा के जल को अमृत भी पुकारा जाता है। वैज्ञानिक तथ्यों से भी इस बात को बल मिलता है कि गंगा जल पवित्र और चमत्कारी है। जानिए गंगा जल की पवित्रता से जुड़े विज्ञान को -
गंगा जल की वैज्ञानिक खोजों ने साफ कर दिया है कि गंगा गोमुख से निकलकर मैदानों में आने तक अनेक प्राकृतिक स्थानों, वनस्पतियों से होकर प्रवाहित होती है। इसलिए गंगा जल में औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके साथ ही वैज्ञानिक अनुसंधानों में यह पाया गया है कि गंगाजल में कुछ ऐसे विशेष जीव होते हैं जो जल को प्रदूषित करने वाले विषाणुओं को पनपने ही नहीं देते बल्कि उनको नष्ट भी कर देते हैं, जिससे गंगा का जल लंबे समय तक खराब नहीं होता है। इस प्रकार के अनूठे गुण किसी अन्य नदी के जल में नहीं पाए गए हैं।
इस तरह गंगा जल धर्म भाव के कारण मन पर और विज्ञान की नजर से तन पर सकारात्मक प्रभाव देने वाला होने से जीवन के लिए अमृत के समान है। यही कारण है कि गंगा की धारा के साथ हर भारतीय की रग-रग में धर्म बहता चला आ रहा है।

राठौड़ की गोद में जाते ही पोती ने की मासूम शिकायत


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राजेंद्र राठौड़ जेल से घर पहुंचे तो पोती ध्रुविका उनसे लिपट गई। राठौड़ ने उसे गोद में लेकर चूमा तो ध्रुविका ने उनसे कहा-आप कहां चले गए थे, कोई मेरी बात नहीं सुनता। इन लोगों ने मुझे रुलाया।..इस मीठे उलाहने पर राठौड़ भावुक हुए और बच्ची को पुचकारा।

आई लव यू दद्दू, वेलकम बैक होम

राठौड़ ने घर पर ध्रुविका के साथ केक काटा। केक पर लिखा था, आई लव यू दद्दू, वेलकम बैक होम। बाद में राठौड़ ने पोती को फिर से उठा लिया और मुंह को केक से भर दिया। बेटा पराक्रम, पुत्रवधू कनिका और परिवार का हर सदस्य खुशी से लबरेज दिखा।

दारासिंह मामले में गहलोत की भूमिका नहीं : चंद्रभान

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान ने पलटवार करते हुए कहा कि राठौड़ और भाजपा मामले को राजनीतिक रंग दे रहे हैं। भाजपा और सब लोग अच्छी तरह जानते हैं कि दारासिंह एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई। सुप्रीम कोर्ट मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है। इस मामले में राठौड़ की गिरफ्तारी से लेकर अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहीं किसी भूमिका में नहीं हैं। इससे कांग्रेस का भी कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा और राठौड़ दुष्प्रचार कर जनता में भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं।

कांग्रेस करती है सीबीआई का दुरुपयोग : वसुंधरा राजे


विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे ने न्यायालय की ओर से आरोप मुक्त करने पर कहा कि उन्होंने पहले ही कह दिया था कि उनकी न्यायालय में पूरी आस्था और विश्वास है। इसलिए सही मायने में तो यह न्याय की ही जीत है। न्याय की इस जीत से कांग्रेस के नापाक इरादों पर भी पानी फिरा है।

इस निर्णय से इस आरोप की पुष्टि होती है कि कांग्रेस सीबीआई का अपने राजनीतिक हितों के लिए दुरुपयोग करती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली, प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे, राजस्थान के सह प्रभारी किरीट सौमेया ने फोन पर राठौड़ को बधाई दी।

भाजपा विधायक कालीचरण सराफ, डॉ. दिगंबर सिंह, डॉ. रोहिताश्व शर्मा, भवानी सिंह राजावत और भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सुमन शर्मा, विधायक किरण माहेश्वरी, पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने राठौड़ को आरोप मुक्त करने को न्याय की जीत बताया। भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री हेमंत लांबा, जितेंद्र मीणा, प्रदेश मंत्री लक्ष्मीकांत भारद्वाज और युवा नेता कैलाश चोटिया ने आरोप लगाया कि राठौड़ को फंसाने के लिए कांग्रेस ने सीबीआई का दुरुपयोग किया है।

श्री राजपूत सभा से संबंधित राजपूत संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा और अन्य घटक संगठनों ने कहा कि इस मामले में राजपूत ही नहीं अन्य समाजों में भी रोष है। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेशाध्यक्ष रणवीर सिंह महंदवास, प्रदेश प्रधान महामंत्री उम्मेद सिंह शेखावत व मंत्री राजकुल दीप सिंह ने उनका स्वागत किया।

सीबीआई का आई ओपनर फैसला : चतुर्वेदी

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि कोर्ट का आदेश सीबीआई के लिए आई ओपनर के समान है। राठौड़ के इस मामले में पूरा केंद्रीय नेतृत्व जुड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें न्यायपालिका पर संदेह नहीं है। कांग्रेस की नीति रही है कि जो भी उनके खिलाफ हो, कार्रवाई करवा दो। वाईएस रेड्डी का मामला हो, मायावती का या मुलायम सिंह का, सभी को डराने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल किया जाता रहा है।

राठौड़ की गोद में जाते ही पोती ने की मासूम शिकायत


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राजेंद्र राठौड़ जेल से घर पहुंचे तो पोती ध्रुविका उनसे लिपट गई। राठौड़ ने उसे गोद में लेकर चूमा तो ध्रुविका ने उनसे कहा-आप कहां चले गए थे, कोई मेरी बात नहीं सुनता। इन लोगों ने मुझे रुलाया।..इस मीठे उलाहने पर राठौड़ भावुक हुए और बच्ची को पुचकारा।

आई लव यू दद्दू, वेलकम बैक होम

राठौड़ ने घर पर ध्रुविका के साथ केक काटा। केक पर लिखा था, आई लव यू दद्दू, वेलकम बैक होम। बाद में राठौड़ ने पोती को फिर से उठा लिया और मुंह को केक से भर दिया। बेटा पराक्रम, पुत्रवधू कनिका और परिवार का हर सदस्य खुशी से लबरेज दिखा।

दारासिंह मामले में गहलोत की भूमिका नहीं : चंद्रभान

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान ने पलटवार करते हुए कहा कि राठौड़ और भाजपा मामले को राजनीतिक रंग दे रहे हैं। भाजपा और सब लोग अच्छी तरह जानते हैं कि दारासिंह एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई। सुप्रीम कोर्ट मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है। इस मामले में राठौड़ की गिरफ्तारी से लेकर अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहीं किसी भूमिका में नहीं हैं। इससे कांग्रेस का भी कोई लेना-देना नहीं है। भाजपा और राठौड़ दुष्प्रचार कर जनता में भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं।

कांग्रेस करती है सीबीआई का दुरुपयोग : वसुंधरा राजे


विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे ने न्यायालय की ओर से आरोप मुक्त करने पर कहा कि उन्होंने पहले ही कह दिया था कि उनकी न्यायालय में पूरी आस्था और विश्वास है। इसलिए सही मायने में तो यह न्याय की ही जीत है। न्याय की इस जीत से कांग्रेस के नापाक इरादों पर भी पानी फिरा है।

इस निर्णय से इस आरोप की पुष्टि होती है कि कांग्रेस सीबीआई का अपने राजनीतिक हितों के लिए दुरुपयोग करती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली, प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे, राजस्थान के सह प्रभारी किरीट सौमेया ने फोन पर राठौड़ को बधाई दी।

भाजपा विधायक कालीचरण सराफ, डॉ. दिगंबर सिंह, डॉ. रोहिताश्व शर्मा, भवानी सिंह राजावत और भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सुमन शर्मा, विधायक किरण माहेश्वरी, पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने राठौड़ को आरोप मुक्त करने को न्याय की जीत बताया। भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री हेमंत लांबा, जितेंद्र मीणा, प्रदेश मंत्री लक्ष्मीकांत भारद्वाज और युवा नेता कैलाश चोटिया ने आरोप लगाया कि राठौड़ को फंसाने के लिए कांग्रेस ने सीबीआई का दुरुपयोग किया है।

श्री राजपूत सभा से संबंधित राजपूत संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा और अन्य घटक संगठनों ने कहा कि इस मामले में राजपूत ही नहीं अन्य समाजों में भी रोष है। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेशाध्यक्ष रणवीर सिंह महंदवास, प्रदेश प्रधान महामंत्री उम्मेद सिंह शेखावत व मंत्री राजकुल दीप सिंह ने उनका स्वागत किया।

सीबीआई का आई ओपनर फैसला : चतुर्वेदी

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि कोर्ट का आदेश सीबीआई के लिए आई ओपनर के समान है। राठौड़ के इस मामले में पूरा केंद्रीय नेतृत्व जुड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें न्यायपालिका पर संदेह नहीं है। कांग्रेस की नीति रही है कि जो भी उनके खिलाफ हो, कार्रवाई करवा दो। वाईएस रेड्डी का मामला हो, मायावती का या मुलायम सिंह का, सभी को डराने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल किया जाता रहा है।

आंखों में रोशनी नहीं फिर भी किया परिवार का नाम रोशन!

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जयपुर.छह साल की उम्र में सुनील चौधरी की आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन हौसले कभी कम नहीं हुए और मेरिट में आने की जिद पूरी कर दिखाई। सुनील ने दसवीं में 94.17% अंक प्राप्त कर स्टेट मेरिट में 14वां स्थान प्राप्त किया है। वैद्यजी का चौराहा निवारू रोड निवासी सुनील ने बताया कि उसे शुरू से ही मेरिट में आने का भरोसा था। उसने दृष्टिहीनों के लिए बनी मेथ्स स्लेट व जर्मन स्लेट से पढ़ाई की।

उसके पिता महेंद्र चौधरी हरमाड़ा थाने में हैड कांस्टेबल हैं। वे मूलत: लीखवा (झुंझुनूं) के रहने वाले हैं। सुनील आर्य नगर मुरलीपुरा स्थित एनके पब्लिक स्कूल का छात्र है। उसने बताया कि माता पिता व गुरुजनों के आशीर्वाद से ही यह संभव हो पाया। परीक्षा में उसकी राइटर नवीं कक्षा में पढ़ने वाली दादी का फाटक निवासी निहारिका श्रीपारीक रही।

ईश्वर में विश्वास करने वाले सुनील के पिता महेंद्र चौधरी बेटे के मेरिट में आने की मन्नत मांगने वैष्णो देवी गए हुए हैं। उन्होंने 30 मई को वहां माता के दर्शन किए। इसके अगले ही दिन 31 मई को बेटा मेरिट में आ गया। स्कूल के निदेशक कुलदीप सिंह ने बताया कि सुनील की याददाश्त बहुत तेज है।

..और महिला ने आरएएस अधिकारी को जड़ दिया थप्पड़!

कोटा.भाजपा की ओर से आहुत भारत बंद के दौरान कोटा में तनाव हो गया। केशवपुरा चौराहे पर भाजपा विधायक ओम बिरला की एक समर्थक महिला ने आरएएस अधिकारी एवं यूआईटी के डिप्टी सेक्रेट्री गोपाल राम मिर्धा के थप्पड़ जड़ दिया। अधिकारी मिर्धा ने विधायक बिरला का हाथ पकड़ा था और उनके बीच कहासुनी भी हुई। इस बात से नाराज महिला कार्यकर्ता ने अधिकारी के गाल पर थप्पड़ दे मारा। इसके बाद पुलिस ने लाठियां भांजकर कार्यकर्ताओं को खदेड़ा। पुलिस ने महिला को शांतिभंग के आरोप में गिर तार कर लिया। बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।


प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार विधायक बिरला समर्थकों के वाहन केशवपुरा चौराहे पर थे। प्रशिक्षु आईपीएस विकास शर्मा ने कार्यकर्ता श्याम पेशवानी को रास्ते से कार हटाने के लिए कहा और कार में बैठे श्याम को कॉलर पकड़ कर बाहर खींचा। ये देख बिरला बिफर पड़े। वे विकास की तरफ बढ़े और उनके बीच कहासुनी हो गई। पुलिसकर्मियों ने लाठियां फटकारना शुरू कर दिया। इस पर कुछ कार्यकर्ता भाग खड़े हुए। इसी बीच डीएसपी पारस जैन ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया। इस लाठीचार्ज में दो-तीन कार्यकर्ताओं को मामूली चोटें आईं।

इसी दौरान मजिस्ट्रेट नियुक्त यूआईटी डिप्टी सेक्रेट्री गोपालराम मिर्धा वहां आ गए। उन्होंने एक पुलिसकर्मी से लाठी ली और कार्यकर्ताओं पर फटकारना शुरू कर दिया। इस पर कार्यकर्ता और मिर्धा के बीच झड़प हो गई। विधायक बिरला से भी उनकी तीखी-नोकझोंक हुई। इसी दौरान मिर्धा ने बिरला का हाथ पकड़ लिया। यह नजारा देख रही बिरला समर्थक अनुसूइया गोस्वामी आक्रोशित हो गई और उन्होंने मिर्धा के गाल पर थप्पड़ जड़ दिया। यह होते ही अफरा-तफरी मच गई।


पुलिस ने दुबारा से लाठियां फटकारी और कार्यकर्ताओं को खदेड़ दिया। पुलिस व बिरला समर्थकों के बीच काफी देर तक धक्का-मुक्की हुई। महिला पुलिसकर्मियों ने अनुसूइया को पकड़ लिया। उसे वहां से दादाबाड़ी थाने ले गई। मौके पर पहुंचे एएसपी लक्ष्मण गौड़ ने विधायक बिरला से बात की और मामला शांत कराया। पुलिस ने महिला कार्यकर्ता अनुसूइया को शांतिभंग के आरोप में गिर तार कर एडीएम सिटी के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया।

हाथ चलाया था, लेकिन थप्पड़ लगा नहीं

प्रदर्शनकारी बीच चौराहे पर वाहन खड़ा करके आने-जाने वाले वाहन चालकों के साथ अभद्रता कर रहे थे। आईपीएस शर्मा ने उन्हें मना किया तो उनके बीच कहासुनी हो गई। इसी दौरान हम सब वहां पहुंचे। हमने कार्यकर्ताओं को खदेड़ा। कुछ कार्यकर्ताओं से कहासुनी हो रही थी, जब ही महिला ने मारने के लिए हाथ चलाया, लेकिन वो मुझे थप्पड़ लगा नहीं। बाद में पुलिस ने महिला को पकड़ लिया।

एक मंदिर जहां मां को दी जाती है हथकड़ी की 'रिश्वत'!

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यूं तो लोग अक्सर भगवान के दर जाकर अपने गुनाहों का प्रायश्चित करते हैं, मुरादों में कोई सुख-समृद्धि मांगता है तो कोई संतान की कामना से चरणों में अपना शीश झुकता है|लेकिन यदि आपको पता चले कि मां का एक मंदिर ऐसा भी है जहां अक्सर गुनहगारों का तांता लगा रहता है और गुनहगार इस मंदिर में अपने गुनाह की कामयाबी की मन्नत मांगते हैं तो आप आश्चर्यचकित हुए बगैर न रह सकेंगे|

जी हां यह मंदिर है राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में| घने जंगलों के बीच स्थित यह मंदिर दिबाक माता के मंदिर के नाम से जाना जाता है| इस मंदिर में अक्सर चोरों बदमाशों की कतारें लगीं रहती हैं, जो अपने मकसद में कामयाब होने के लिए मन्नत मांगते हैं और सफल हो जाने के बाद वे यहां भेंट स्वरुप हथकड़ी चढ़ाते हैं|

सैकड़ों वर्ष पुरानी हथकडियां आज भी यहां देखी जा सकती हैं जिससे पता चलता हैं यह मंदिर प्राचीन से ही डाकुओं,बदमाशों की आस्था का केंद्र रहा है|इतिहास को खगाला जाए तो पता चलता है कि लुटेरे और डाकू अपने मकसद को अंजाम देने से पहले मां के इस मंदिर में आते थे और काम पूरा होने के बाद वे यहां हथकड़ी चढ़ाते थे| ऐसा करने के पीछे मान्यता थी कि मां उन्हें पुलिस से बचाती रहेगी|धीरे-धीरे यह मान्यता एक आस्था का केंद्र बन गई और दूर-दूर से पेशेवर मुजरिम यहां आने लगे|

गुनहगारों के परिजन भी मांगते हैं मन्नत:

मां के इस मंदिर में सिर्फ गुनहगार ही नहीं बल्कि वे लोग भी जाते हैं जिनके परिजन जेल में होते हैं| वे यहां आकर मां की पूजा करते हैं औरअपने परिजनों की रिहाई की दुआ मांगते हैं|

क्रांतिकारी भी जाते थे इस मंदिर में:

यहां के कुछ स्थानीय निवासियों के अनुसार में आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले क्रातिकारी भी इस मंदिर में आकर देश की आज़ादी की दुआ मांगा करते थे|

कुरान का संदेश


पूरे देश में फैला है इस माफिया का आतंक, रेल यात्री हैं इनका निशाना

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मुंबई. रेल ट्रैवलर्स सर्विसेस एजेंट (आरटीएसए) वेलफेयर एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि तत्काल टिकट और ई-टिकट की सुविधा से पूरे देश में टिकट माफियाओं का जाल फैल गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष दीनानाथ मल्होत्रा ने अनधिकृत एजेंटों के गिरोह की जांच कर, उन पर अंकुश लगाने की मांग की है।

मल्होत्रा मुंबई में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अनधिकृत एजेंटों के काले कारोबार का खामियाजा रेलवे के अधिकृत एजेंट भुगत रहे हैं। मल्होत्रा के मुताबिक पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में ई-टिकट की सुविधा प्रदान की गई थी।

इंटरनेट के जरिए टिकट निकालने की व्यक्ति विशेष के लिए बेहतर सुविधा है। लेकिन अब टिकट बुकिंग का काला कारोबार बन गई है। रेलवे की एक गलती से पूरे देश में टिकट माफियाओं का जाल फैल गया है। आज गली-नुक्कड़ पर ई-टिकट के एजेंट देखे जा रहे हैं।

आरटीएसए के 700 अधिकृत एजेंट पर आईआरसीटीएस के तहत पूरे देश में 2 लाख 50 हजार एजेंट बनाए गए हैं। उन्हें 5-5 हजार रुपए लेकर टिकट बुकिंग का एजेंट बनाया गया है। पिछले कुछ वषरें से देखा जा रहा है कि टिकट खिड़की खुलते ही 10 मिनट के अंदर सारे टिकट बुक हो जाते हैं।

जबकि घंटों कतार में लगे लोगों को टिकट नहीं मिल पाता। ई-टिकट के एजेंट एक ऐसे साफ्टवेयर का उपयोग करते हैं, जिससे इंटेरनेट पर कई फार्म लोड कर दिए जाते हैं। टिकट खिड़की खुलते ही उनके टिकट बुक हो जाते हैं। जिसे वे महंगी कीमत पर बेचते हैं।

उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों से तत्काल टिकट बुक कर महानगर में हवाईजहाज से भेजे जाते हैं। इसके अलावा रेलवे स्टेशनों पर अनधिकृत दलालों की गैंग खुलेआम देखी जा सकती है। टिकटों की काली कमाई अनिधकृत एजेंट करते हैं। लेकिन बदनाम मान्यता प्राप्त एजेंटो को किया जाता है।

मल्होत्रा ने तत्काल टिकट बुकिंग की पद्धति पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि तत्काल टिकट की सुविधा यात्रियों को आपातकालीन समय को ध्यान में रखते हुए दी गई है। लेकिन रेल गाड़ियों की 30 से 40 प्रतिशत सीटें तत्काल टिकट के लिए आरक्षित रखी जाती हैं।

इससे रेलवे को बड़े पैमाने पर मुनाफा होता है। एसोसिएशन के महासचिव लाढाराम नागवानी ने बताया कि 1983 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रेलवे ने आरटीएसए को अधिकृत एजेंट का लाइसेंस दिया था। अधिकृत एजेंटों के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों को पहचान पत्र भी जारी किए गए हैं।

रेलवे स्टेशनों पर अधिकृत एजेटों के लिए अलग खिड़की होती है। यदि अन्य खिड़की से टिकट लेते अधिकृत एजेंट पाए गए तो उनका लाइसेंस रद्द हो सकता है। उन्होंने बताया कि अपनी निर्धारित खिड़की पर अधिकृत एजेंट कतार में टिकट लेते हैं।

आरटीएसए एजेटों को लाइसेंस इस आधार पर दिए गए थे कि कामकाज में व्यस्त लोगों को आसानी से टिकट उपलब्ध हो सके। आरटीएसए एजेंट रेलवे द्वारा निर्धारित अल्प कीमत वसूलतें हैं। लेकिन अनधिकृत एजेंटों ने टिकट बुकिंग को काली कमाई का जरिया बना लिया है

आडवाणी ने गडकरी पर साधा निशाना, सवालों से भागे जावड़ेकर



नई दिल्ली.बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी ही पार्टी की आलोचना की है। आडवाणी ने कहा है कि पार्टी में उत्साह नहीं है और पार्टी को अपने भीतर झांकना होगा। आडवाणी ने पार्टी को यह सलाह अपने ब्लॉग पर ताज़ा पोस्ट में दी है। ब्लॉग में आडवाणी ने कहा है, पार्टी में आजकल जीत का मूड नहीं है। उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे, मायावती द्वारा हटाए गए मंत्री को पार्टी में लिए जाने, झारखंड और कर्नाटक के मामले में पार्टी के रवैये के चलते पार्टी के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को धक्का लगा है।


इन मुद्दों पर आडवाणी और पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गया है। माना जा रहा है कि आडवाणी से नाराज हैं। आडवाणी नितिन गडकरी को अध्यक्ष के तौर पर दोबारा कार्यकाल दिए जाने के पक्ष में नहीं है। नरेंद्र मोदी द्वारा दबाव बनाकर मुंबई में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान संजय जोशी का इस्तीफा दिलवाए जाने पर भी आडवाणी गडकरी से नाराज बताए जा रहे हैं।

यह मुद्दा कितना गंभीर है, इस बात अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि गुरुवार को बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने महंगाई और आर्थिक विकास की गति धीमी पड़ने पर यूपीए सरकार की आलोचना की। इसके बाद जब पत्रकारों ने आडवाणी के ब्लॉग के बारे में पूछा तो वे प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर चले गए।

कांग्रेस ने आडवाणी के ब्लॉग पर चुटकी ली है। पार्टी की नेता और केंद्र में मंत्री अंबिका सोनी ने इस मुद्दे पर कहा, 'हम लोग तो पहले से ही कह रहे हैं कि बीजेपी को पहले अपना घर दुरुस्त करना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि बीजेपी आडवाणी की बात सुनेगी।

बिटिया सदफ को जन्म दिन मुबारक हो

दोस्तों आज मेरी बिटिया सदफ अख्तर का जन्म दिन है ....आज ही के दिन यह बिटिया शाम को मेरी इस दुनिया को रंगीन बनाने के लियें आई थी और तब से मेरी इस बिटिया ने मेरे घर और मेरी जिंदगी को रोशन कर दिया है ....मेरी बिटिया का नाम सदफ अख्तर रखा गया अभी वोह कोटा के सेंट जोसेफ स्कूल में थर्ड स्टेंडर्ड में पढ़ रही है .मेरी इस बिटिया ने अपने हुनर और मिलनसारी मधुरवाणी से दादा दादी..नाना नानी सभी को मंत्रमुग्ध कर रखा है और उनकी खिदमत कर उनसे दुआएं लुट रही है .. सदफ ने खुद अपने आचरण से खुद को सभी परिवार का लाडला बना लिया है .मेरी इस बिटिया के जन्म दिन के पावन पर्व पर सभी को सलाम मेरी बिटिया को मुबारकबाद और आप सभी से गुज़ारिश है के आप मेरी इस बिटिया के आई ऐ एस बनने का सपना पूरा होने ..इसकी खुशहाली ..लम्बी उम्र ...सह्त्याबी कामयाबी की दुआ करे कूड़ा आप सभी की दुआ कुबूल करे...आमीन सुम्मा आमीन

दारिया एनकाउंटर: पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ दोषमुक्त, जेल से रिहा

दारिय एंकाउन्टर मामले में राजस्थान सरकार के पूर्वमंत्री डोक्टर राजेन्द्र राठोड को डिस्चार्ज करने के आदेश ने सी बी आई की जाँच और उसके सबूत जुटाने के तोर तरीकों पर कई सवाल खड़े कर दिए है एक मंत्री और कई अधिकारीयों पर इस मामले में हत्या और हत्या के षड्यंत्र के गंभीर आरोप है ....आज अदालत के इस रिहाई और डिस्चार्ज के आदेश से राजस्थान में सियासत की सांठ गांठ की भी पोल खुल गयी है राजस्थान में पहले भी भाजपा के इन्द्रेश कुमार के खिलाफ खूब अजमेर बम विस्फोट के षड्यंत्र में शामिल होने का हव्वा खड़ा किए और फिर उनके खिलाफ कोई चार्जशीट पेश नहीं की गयी ...इस मामले में भी राजेन्द्र राठोड को सी बी आई जांच के बाद अदालत ने प्राथमिक साक्ष्य नहीं मानते हुए जिस हिसाब से डिस्चार्ज किया है उससे बात साफ है के या तो सरकार की राठोड से सांठ गाठ थी और शायद इसीलिए सी बी आई ने अनुसन्धान में गलियाँ छोड़ी हो या फिर सरकार ने राजेन्द्र राठोड को बिना किसी सुबूत में सियासी जंग में झुन्ठा फंसाया है सच किया है यह तो खुदा जाने लेकिन इस तरह की जंग इस तरह से एक दुसरे को फंसाने या बचाने की कार्यवाह जनता के साथ विश्वासघात तो है ही ऐसे में अब अपील में चाहे कुछ भी हो लेकिन राजेन्द्र राठोड मामले में सी बी आई की तो पोल खोल ही दी है ...........

जयपुर। बहुचर्चित दारिया मुठभेड़ प्रकरण में पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक राजेन्द्र राठौड़ को बड़ी राहत मिली है। जयपुर के जिला एवं सत्र न्यायालय ने गुरुवार को राजेंद्र राठौड़ को आरोप साबित नहीं होने पर दोष मुक्त कर दिया है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी जैन ने चार्ज बहस के बाद अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने सीबीआई की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया। राठौड़ को आरोप मुक्त किए जाने से भाजपा को भी बड़ी राहत मिली है। राठौड़ और भाजपा ने अदालत के फैसले पर खुशी जताई है। गौरतलब है कि राठौड़ खुद अदालत में कह चुके हैं कि उन्हें फंसाया गया है। उन्होंने एक प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि सीबीआई के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।

सीबीआई ने 5 अप्रैल को राठौड़ को गिरफ्तार किया था। ब्यूरो ने राठौड़ को आपराधिक षडयंत्र रचने के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था। जिस पर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एसके सिंघल ने संज्ञान लेते हुए मामले को सत्र न्यायालय के सुपुर्द कर दिया था। फैसला आने के बाद जयपुर सेंट्रल जेल के बाहर राठौड़ समर्थकों की भारी भीड़ जमा हो गई। दोपहर एक बजे राजेंद्र राठौड़ जेल से बाहर आए और अपने समर्थकों के साथ मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर के लिए रवाना हुए।

दो अन्य आरोपियों को मिली जमानत
इससे पहले हाइकोर्ट ने मामले के दो आरोपियों को जमानत दे दी। जस्टिस आरएस राठौड़ ने थानेदार सुरेंद्र सिंह और सरदार सिंह को जमानत पर छोड़ने के आदेश दिए। दोनों आरोपी करीब सवा साल से न्यायिक हिरासत में चल रहे थे।

ड्राइवर को सौंपी 12 हजार करोड़ की विरासत, तिवारी ने की बगावत



मथुरा. बाबा जयगुरुदेव धर्म प्रचार संस्था ने बाबा के ड्राइवर पंकज यादव को उनकी 12 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति की विरासत संभालने की जिम्‍मेदारी सौंपी है। जय गुरुदेव के फैसले का हवाला देते हुए उन्‍हें ट्रस्ट का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया है, लेकिन इस फैसले से नामदान देने वाले उत्तराधिकारी उमेश तिवारी का गुट बगावती तेवर दिखा रहा है। स्वयं उमेश तिवारी भूमिगत हो गए हैं।

पंकज यादव ने बाबा को मुखाग्नि दी थी। बुधवार को बाबा की तेरहवीं थी। बाबा के भक्त फूल सिंह ने सार्वजनिक रूप से एक पत्र पढ़कर सुनाया, जो बाबा द्वारा लिखा बताया गया। पत्र के अनुसार 20 जुलाई 2010 को बाबा ने इटावा की सिविल अदालत में लिखित में दिया था कि उनके बाद पंकज को उत्तराधिकारी बनाया जाए। फूल सिंह ने ट्रस्ट प्रबंधक संतराम चौधरी, रामकृष्ण यादव दददू, चरन सिंह एडवोकेट सहित तमाम पदाधिकारियों की मौजूदगी में यह पत्र पढ़ा। इसके कुछ ही देर बाद माहौल बदलने लगा।

पंकज यादव के नाम की घोषणा होने से पहले मंदिर के ही एक ट्रस्टी के.बी. चौधरी ने मीडिया को बताया कि वर्ष 2007 में बाबा जयगुरुदेव ने उन्नाव के सत्संग में उमाकांत तिवारी को नामदान, यानी गुरुमंत्र देने के लिए अधिकृत किया था। ऐसे में पंकज का नाम बतौर उत्‍तराधिकारी घोषित होने के बाद तिवारी समर्थक लामबंद होने लगे। खुद तिवारी ने मंच से घोषणा कर दी कि वह खुद को अभी नामदान देने लायक नहीं मानते। उनका कहना था कि वह अभी ध्यान लगाएंगे और खुद को इस लायक बनायेंगे। इसके बाद से उनका कोई पता नहीं है।

पंकज को जिस तरह और जिन परिस्थितियों में उत्‍तराधिकारी घोषित किया गया, वह भी विवादित लग रहा है। चरन सिंह के मुताकि फूल सिंह जिस पत्र में पंकज को बाबा द्वारा उत्तराधिकारी घोषित करने की बात कह रहे हैं, वह इस तरह घोषणा के लिए नहीं है। उनके मुताबिक कोर्ट में विचाराधीन एक मामले के सिलसिले में बाबा ने यह जिक्र किया था।
उनके नाम की घोषणा से पहले संस्था ने भी प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यही कहा था कि शीघ्र ही प्रबंधन समिति की बैठक बुलायी गयी है, उसी में अहम निर्णय होंगे। ऐसे में यह चर्चा भी हो रही है कि पंकज को एक खेमा मोहरे के रूप में इस्‍तेमाल कर रहा है, ताकि फिलहाल तिवारी गुट को उग्र होने से बचाया जा सके और विरासत पर उसका दबदबा बना रहे।

सूत्र यह भी बता रहे हैं कि पंकज को उत्‍तराधिकारी बनाए जाने को लेकर ट्रस्‍ट प्रबंध समिति के केवल तीन पदाधिकारी ही सहमत हैं। इनमें रामकृष्ण यादव दद्दू, चरण सिंह व संतराम चौधरी के नाम बताए जा रहे हैं। ऐसे में अभी बाबा की विरासत को लेकर खींचतान जारी रहने की आशंका है।

पेट्रोल की कीमतों को रोकने के लियें विपक्ष सामूहिक इस्तीफे देकर जनहित में दुबारा चुनाव क्यूँ नहीं करवाता ..क्योंकि चोर चोर मोसेरे भाई है

दोस्तों कितनी अजीब बात है पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का विपक्ष ने विरोध करने के लिए भारत बंद का एलान किया और भारत बंद कर भी दिया ...विपक्ष का कहना था के जनता के फायदे के लियें उसे इंसाफ दिलाने के लियें यह सब करना पढ़ रहा है ..यकीन मानिए आपने भी देखा होगा के आज बंद के दोरान छोटे छोटे बच्चों को भूके प्यासे लोग ओरतें वगेरा पैदल तेज़ धुप में पेरो को रगड़ते देखे गए सभी के मुंह पर तनाव और जुबां पर बंद समर्थकों के लियें गालिया थीं ..बात सही भी है किसी भी सियासी लड़ाई में जनता को खेंच कर उसे परेशान करने का हक किसी के पास नहीं है .......बात सीधी सी है सरकार ने पेट्रोल की कीमतें बड़ाई विपक्ष ने हंगामा किया दिखावा किया सियासत के नाम पर बंद किया लेकिन हासिल ठेंगे के लावा कुछ नहीं हुआ ...अगर विपक्ष इतना इमानदार है और सरकार को इस मूल्य वृद्धि पर सबक सिखाना चाहता है तो विपक्ष के पास सीधा एक रास्ता है के वोह अपने सभी सदस्यों को एकत्रित करे और सभी सांसदों से राष्ट्रपति के नाम सामूहिक इस्तीफे दिलवाए .....जनता को भी लगेगा के विपक्ष इस मामले में जनता के साथ है और सही मायनों में इस विरोध के बाद लोकसभा लंगड़ी हो जाने के कारण सरकार और चुनाव आयोग के पास मध्यावधि चुनाव करने के आलावा कोई चारा नहीं बचेगा फिर से चुँव आयेंगे दूध का दूध पानी का पानी होगा और फिर लोग जीतेंगे हारेंगे नई लोकसभा बनेगी तब फेसले हो जायेंगे लेकिन सभी जानते है के विपक्ष सिर्फ दिखावा करता है ..दिल से जनता के साथ नहीं है वोह चाहता है के सरकार बनी रहे और जनता पिसती रहे क्योंकि इसमें विपक्ष के नेताओं को भी लाभ है वोह भी समितियों में रहकर मजे कर रहे है इसलियें दोस्तों विपक्ष का यह तमाशा जब तक उनका इस्तीफा नहीं होता है तब तक बेमानी और दिखावटी है और पक्ष विपक्ष दोनों ही जनता के लिए तो चोर चोर मोसेरे भाई है .................

आज एक बार फिर भारत बंद है। बंद महंगाई के खिलाफ है। पर इतिहास गवाह है कि हाल के दिनों में कोई राजनीतिक पार्टी बंद करा कर अपनी मांग नहीं मनवा पाई है। यहां तक कि अन्‍ना के जनांदोलन से भी वह हासिल नहीं हो सका, जिसके लिए जनांदोलन किया गया था।

बंद आम जनता के नाम पर आयोजित किए जाते हैं। पर बंद के दिन जनता पर तिहरी मार पड़ती है। उस दिन काम-काज का नुकसान तो होता ही है, बंद समर्थकों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचाए गए नुकसान की भरपाई का बोझ भी उसके ऊपर पड़ जाता है। और, जिस समस्‍या से निजात दिलाने के लिए बंद किया जाता है, अगले दिन वह समस्‍या भी जस की तस बनी रहती है।

आज के बंद की ही बात करें तो लोग समय पर दफ्तर नहीं पहुंच सके, दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिल सका, मरीजों को अस्‍पताल पहुंचने में मुश्किल हो रही है, रेल यात्री जहां-तहां फंसे हुए हैं.....

पिछले दिनों आयोजित कुछ बंद से हुए नुकसान पर भी एक नजर डालिए:

तेलंगाना के लिए बंद: साल 2010 में अलग तेलंगाना के लिए आयोजित बंद से आंध्र प्रदेश में 60 हजार लोगों की रोजी-रोटी गई। एक दिन के बंद से राज्‍य में केवल कंपनियों को 530 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया। अगस्‍त 2010 से अगस्‍त 2011 के दौरान राज्‍य में करीब 17 दिन बंद आयोजित किया गया और इससे 9010 करोड़ रुपये की चपत लग गई। तेलंगाना राज्‍य अब तक नहीं बन सका है।

6 जुलाई, 2010: अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) ने बताया कि भारत बंद के दौरान व्यापारियों ने बढती महंगाई के खिलाफ कारोबार बंद रखा। इससे तकरीबन 20 हजार करोड रुपए का नुकसान हुआ और सरकार को तीन हजार करोड़ रुपए के राजस्व की हानि उठानी पड़ी।

इन बातों पर गौर करते हुए इस सवाल का जवाब जानना-समझना मौजूं हो जाता है कि इस तरह के बंद से किसका फायदा हो रहा है और यह किसके लिए किया जा रहा है और क्‍या विरोध का यह तरीका जायज है?

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