इस जज्बे को सलाम
ओहदे से ज्यादा बात है उस जज्बे की, जिस की बदौलत दीवान चंद ने फिजिकली चैलेंज्ड होने के बावजूद दुनिया के सामने बिरला उदाहरण पेश किया है। दीवान चंद की 1997 में ऑडिटर के पद पर नियुक्ति हुई थी। 2008 में उन्होंने स्टेट एकाउंट सर्विसेज (एसएएस) की परीक्षा पास कर सेक्शन ऑफिसर का पद हासिल कर लिया। पांच साल बाद दीवान चंद क्लास वन गेजेटिड ऑफिसर बन जाएंगे।
संघर्ष ने दिलाई सफलता
शुरू में दो अंगुलियों से कलम पकड़ कर लिखने में बहुत मेहनत करनी पड़ी। गोहर से दसवीं प्रथम श्रेणी में, बीकॉम और एमकॉम मंडी डिग्री कॉलेज से और एचपीयू से एमफिल की। इस दौरान पिता प्रेमदास का सड़क देहांत हो गया।
पत्नी चलाती हैं कार
दीवान चंद ने 2003 में विकलांग सविता को जीवन साथी बनाया। वे कार्तिकेय (7) और धैर्य (3) दो बेटों का बाप हैं। पति का साथ देने के लिए पत्नी ने कार चलाना सीख लिया।
नहीं भूला कॉलेज टाइम
दोस्तों ने हमेशा हौसला बढ़ाया और साथ दिया। कॉलेज के दिन कभी नहीं भूल सकता। दोस्तों ने पढ़ाई के दौरान मुझमें हीन भावना पैदा नहीं होने दी। इससे आत्मसम्मान से जीने का जज्बा पैदा हुआ।