उन्होंने इस पेड़ को वापस जीवित करने का बीड़ा उठाया। इरादे नेक हो तो ईश्वर भी साथ देता है, यही बात उनके साथ भी हुई। पेड़ को क्रेन की सहायता से वापस खड़ा किया गया। बल्लियों का स्ट्रक्चर बनाकर उसे सपोर्ट दिया गया। एक बीमार परिजन की तरह उन्होंने उसकी सेवा की। मेहनत रंग लाई और बरगद धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगा और जमीन से अलग हो चुके उसके अंग (जड़े) पुन: जुड़ने लगे। सूख चुकी उसकी टहनियां फिर से हरी-भरी होने लगी। नई-नई कोपलें फूटने लगी। आज लगभग एक साल बाद बरगद दादा अपने पुराने रंग में लौट आए और सीना ताने सीएडी परिसर में खड़े हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 जून 2012
अंतिम सांस गिन रहा मुस्कुराया बरगद .......विश्व पर्यावरण दिवस है लेकिन हमने क्या सोचा
उन्होंने इस पेड़ को वापस जीवित करने का बीड़ा उठाया। इरादे नेक हो तो ईश्वर भी साथ देता है, यही बात उनके साथ भी हुई। पेड़ को क्रेन की सहायता से वापस खड़ा किया गया। बल्लियों का स्ट्रक्चर बनाकर उसे सपोर्ट दिया गया। एक बीमार परिजन की तरह उन्होंने उसकी सेवा की। मेहनत रंग लाई और बरगद धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगा और जमीन से अलग हो चुके उसके अंग (जड़े) पुन: जुड़ने लगे। सूख चुकी उसकी टहनियां फिर से हरी-भरी होने लगी। नई-नई कोपलें फूटने लगी। आज लगभग एक साल बाद बरगद दादा अपने पुराने रंग में लौट आए और सीना ताने सीएडी परिसर में खड़े हैं।
बनेगी ऐसी बिल्डिंग जो खुद जनरेट करेगी अपना पावर!
प्रधान मुख्य वन संरक्षक यू.एम.सहाय ने बताया, सरकारी छुट्टियों के दिनों में सोलर पैनल्स से बनने वाली बिजली के भी भविष्य में इस्तेमाल की योजना बनाई जा रही है। ताकि लगभग 200 सरकारी कामकाज के दिनों में 165 छुट्टियों के दिनों में पैदा की गई उस बिजली का इस्तेमाल किया जा सके। छत पर लगे सोलर पैनल एनर्जी कंजर्वेशन के काम आएंगे। जिनका बिजली के उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकेगा। प्रोजेक्ट की प्रजेंटेशन वन मंत्री को भी दी जा चुकी है। इसके लिए झालाना के पास जगह तय हो गई है। बिल्डिंग इंटीग्रेटेड फोटो वोल्टेज टैक्नोलॉजी पर आधारित होगी। इसमें अलग-अलग पैनल्स होंगे, जो बिजली उत्पादन करेंगे।
सोलर पाथ करेगी फॉलो
ऑप्टिकल फाइबर लाइट ट्रांसमिशन टैक्नोलॉजी को इस्तेमाल करने के लिए एक ऐसी मशीन बनाई गई है, जो सोलर पाथ को फॉलो करेगी। यानी सूर्य की दिशा जिस तरफ होगी, मशीन उसी तरफ अपने आप घूम जाएगी। इसे रिसेप्टर कहा गया है, जो सूरज की रोशनी को लेकर फाइबर केबल के जरिए लाइट को कमरों में देगा। यह सूरज की रोशनी को बाहर से परावर्तित कर अंदर ले आएगा और गर्मी को बाहर छोड़ देगा।
'बिल्डिंग दो साल में बनकर तैयार हो जाएगी। यह पूरी तरह नैट जीरो कॉन्सेप्ट पर आधारित होगी। जिसे किसी बाहरी बिजली कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी। योजना यह भी है कि बिजली का अतिरिक्त उत्पादन होने पर दूसरी बिल्डिंग्स को भी सप्लाई किया जाएगा।'
यू.एम. सहाय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, हैड फॉरेस्ट फोर्स, राजस्थान
जेके लोन कोटा : आठ माह में 331 नवजात शिशुओं की मौत
जेके लोन:कोटा माह में 331 नवजात शिशुओं की मौत
यह आंकड़ा बीते वर्षो में हुई मौतों से थोड़ा ही कम है। वर्ष 2009 में 375 तथा 2010 में 186 नवजात शिशुओं की मौत जेके लोन अस्पताल में हुई थी। सवाल उठता है कि जब इस साल के चार महीनों का आंकड़ा 154 है तो सालभर यही सिलसिला चला तो मौतों का आंकड़ा 450 से 500 के बीच बैठेगा।
सितंबर 2011 23
अक्टूबर 35
नवंबर 65
दिसंबर 54
जनवरी 2012 28
फरवरी 33
मार्च 51
अप्रैल 42
(वर्ष 2012 के चार माह में 154 नवजात की मौत, आठ माह में कुल 331 मौत)
वर्ष 2009 की स्थिति
जनवरी 27
फरवरी 23
मार्च 33
जून 44
जुलाई 28
अगस्त 42
सितंबर 42
अक्टूबर 39
नवंबर 31
दिसंबर 20
( वर्ष 2009 में कुल 375 नवजात शिशुओं की मौत)
वर्ष 2010 में हुई मौत
जनवरी 19
फरवरी 9
मार्च 14
अप्रैल 10
मई 14
जून 19
जुलाई 18
अगस्त 17
सितंबर 25
अक्टूबर 13
नवंबर 16
दिसंबर 12
( वर्ष 2010 में कुल 186 नवजात शिशुओं की मौत)
प्री मैच्योर डिलीवरी, कम वजन, गंभीर रैफर बच्चे
जेके.लोन अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आरके.गुलाटी ने बताया कि संभाग के चारों जिलों व सीमावर्ती क्षेत्रों से गंभीर स्थिति में बच्चों का रेफर होकर आना, प्रीमेच्योर डिलीवरी, जन्म के तुरंत बाद श्वास नहीं आना, मिकोनियम एस्पिरेशन सिंड्रोम, सेप्टीसिमिया नवजात शिशुओं की मौत के प्रमुख कारण हैं।
बैड व नर्सिग स्टाफ की कमी
जेके.लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ.आरपी रावत का कहना है कि जननी शिशु सुरक्षा योजना लागू होने के बाद जहां एक और आउटडोर में 40 से 50 प्रतिशत तथा इनडोर में 8 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन बैड व नर्सिग स्टाफ नहीं बढ़ा है। इसके कारण वार्डो में भर्ती मरीजों की सारसंभाल पर असर पड़ता है। बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण गंभीर स्थिति में बच्चों को रैफर करना है।
यह होना चाहिए
जेके लोन में करीब 15 सीनियर डॉक्टर हैं। इतने ही जूनियर डॉक्टर की जरूरत है।
शिशु विभाग के वार्डो के लिए लगभग 23 नर्सिगकर्मी हैं, जबकि होने लगभग 50 चाहिए।
संक्रमण को रोकने के लिए दो बच्चों के बीच दूरी पर्याप्त हो।
रात्रि में एमओ व रेजीडेंट के साथ सीनियर डॉक्टरों की भी ड्यूटी लगे।
इमरजेंसी वार्ड अलग से बनाया जाए, जिसमें वेंटीलेटर, आईसीयू, ओपन केयर सिस्टम, इन्फ्यूजन पंप, मल्टी पेरा मॉनीटर, पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड, डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ होना चाहिए।
धनिया, नमक, हल्दी से भी चमक सकती है किस्मत, जानिए कैसे
हमारे घर में कई ऐसी वस्तुएं होती है जो दिखने में भले ही साधारण हो लेकिन यदि उनका सही उपयोग किया जाए तो वह इंसान को मालामाल बना सकती है। धनिया, नमक व हल्दी का उपयोग सिर्फ मसाले ही नहीं किया जाता बल्कि ये धन प्राप्ति का माध्यम भी है।
आपने बड़े-बूढ़ों को यह कहते हुए सुना होगा कि जिस घर में नमक बंधा हो, तो वहां बरकत रहती है। हल्दी की गाठों को साक्षात गणेश का रूप माना गया है और धनिया को इसलिए इस नाम से पुकारा जाता है क्योंकि वह धन का आवाह्न करता है।
जिस घर में नमक, साबूत धनिया व हल्दी की गांठ को थोड़ी मात्रा में संजोकर रखा जाता है वहां निश्चित रूप से बरकत होती है तथा धन की देवी मां लक्ष्मी उस स्थान पर वास करती है। साबूत नमक को पर्याप्त मात्रा में ईशान यानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से विपरीत दिशा में शौचालय होने का दोष कम हो जाता है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
इस किले को मिला था शाप, इस पर हर साल गिरती है बिजली
पिठौरिया स्थित परगनैत (देखभाल करने वाला) जगतपाल का किला लगभग 200 वर्ष पुराना है। वज्रपात होने के कारण यह किला पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो गया है। दिन में भी स्थानीय लोग इस किले के अंदर नहीं जाते हैं। डीबी स्टार की टीम ने बुधवार को इस किले का मुआयना किया। स्थानीय बुजुर्गों से बात करने पर जो बातें सामने आई हैं, साइंस एंड टेक्नोलॉजी के जमाने में इस पर विश्वास नहीं होता, लेकिन लोगों का ऐसा ही मानना है। डीबी स्टार ने इसकी वैज्ञानिक सच्चाई सामने लाने की कोशिश की।
जियो-साइंटिस्ट नीतिश प्रियदर्शी के अनुसार किले में बिजली गिरने का प्रमुख कारण ऊंचे पेड़ हैं। आसपास के पहाड़ पर आयरन(लौह तत्व) की बहुलता भी बिजली को आकर्षित करती है।
कौन थे जगतपाल सिंह
पिठौरिया मुंडा और नागवंशी राजाओं का केंद्र रहा है। 1831-32 में कोल विद्रोह के दौरान यह गांव चर्चा में आया। यहां के परगनैत जगतपाल सिंह के पास 84 गांवों की जागीर थी। आरयू के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. बीपी केसरी बताते हैं कि जगतपाल ने भलाई के बहुत सारे काम किए, लेकिन कथा है कि उसकी एक गलती ने खलनायक बना दिया । अंग्रेजों को दी थी मदद
छोटानागपुर की भौगोलिक स्थिति के कारण अंग्रेजों को यहां अपना पांव फैलाने में काफी परेशानी हो रही थी। ऐसी स्थिति में अंग्रेज अधिकारी थॉमस विल्किंसन को जगतपाल का सहयोग मिला। 1857 के विद्रोह के समय जब ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए आक्रमण करना चाहा, तो जगतपाल सिंह ने पिठौरिया घाटी को पत्थरों से बंद करके अंग्रेजों की रक्षा की थी।
परदादा ने दिया था शाप
जगतपाल सिंह अंग्रेजों के मददगार थे। उन्हीं की गवाही के कारण मेरे परदादा ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को फांसी हुई थी। उन्होंने फांसी से पहले जगतपाल को शाप दिया था कि उनका वंश खत्म हो जाएगा। इसके साथ जब तक किला खंडहर नहीं हो जाता वज्रपात होता रहेगा। वहां वज्रपात इसी शाप का नतीजा है। - ठाकुर नवीननाथ शाहदेव, परपोता, शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव.
बरसात में लगता है डर
बरसात के समय जब भी बिजली कड़कती है, तो डर लगता है। यह किला बिजली गिरने के कारण ही खंडहर बन गया है। हमारे पूर्वजों के अनुसार यहां के परगनैत को शाप मिला था, जिसके कारण किले में बिजली गिरती है। - मोहन कुमार केसरी, बुजुर्ग.
सूरज के चेहरे पर नज़र आएगा 'तिल', सदी में दो बार ही होती है ऐसी खगोलीय घटना!
शुक्र सौर मंडल का सबसे चमकीला ग्रह है। यह 6 जून को सुबह 3:39:23 बजे से 10:34:34 बजे तक पृथ्वी और सूर्य के बीच में अपनी कक्षा में गुजरेगा। इस ऐतिहासिक खगोलीय नजारे को इस अवधि में देखने के लिए जयपुर में विशेष तैयारी की गई है।
विशेष इंतजाम
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से इसे देखने के लिए जयपुर के शास्त्री नगर के विज्ञान पार्क में सुबह 7 से 10:20 बजे तक विशेष इंतजाम किए गए हैं, जिसमें आमजन को यह दृश्य सौर फिल्टर से दिखाया जाएगा। जयपुर के अलावा विभाग ने जोधपुर, कोटा, उदयपुर व बीकानेर में भी ऐसे इंतजाम किए हैं। इसी संदर्भ में 1 जून से 6 जून तक के लिए विज्ञान पार्क में एक प्रदर्शनी भी लगेगी। बिड़ला तारामंडल में भी ओपन लॉन में टेलीस्कोप लगाकर यह घटना दिखाई जाएगी।
यह है शुक्र
शुक्र को शाम या सुबह का तारा भी कहा जाता है। यह आकाश में सूर्य और चंद्रमा के बाद सबसे चमकीला पिंड है। इसे दिन में भी देखा जा सकता है। चंद्रमा की तरह शुक्र भी सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण के दौरान कलाएं प्रदर्शित करता है, जिन्हें टेलीस्कोप से देखा जा सकता है।
शुक्र पारगमन देखने के लिए क्या करें, क्या न करें
यह करें
:सूर्य के प्रतिबिंब को पिन के बराबर छिद्र से छाया युक्त] शेडेड दीवार पर प्रेषित करें।
:किसी सफेद कागज अथवा स्क्रीन या फिर दीवार पर सूर्य के प्रतिबिंब को प्रक्षेपित करने के लिए छोटी दूरबीन अथवा बायनोक्यूलर का उपयोग किया जा सकता है।
:ग्रहण के कारण आंशिक रूप से ढके सूर्य को सीधह्य ही किंतु सुरक्षित ढंग से देखने के लिए वैज्ञानिक तरीके से परीक्षित व प्रमाणित फिल्टर का ही प्रयोग करें।
:सूर्य को रुक-रुक कर देखें।
ऐसा न करें
:नंगी आंखों से सूर्य को देखने की चेष्टा न करें।
:सूर्य को कभी भी दूरबीन या बायनोक्यूलर से नहीं देखें।
:किसी भी ऐसे फिल्टर का प्रयोग न करें जो सूर्य की दृश्य तीव्रता को घटाता है।
:रंगीन फिल्म, धुएं से काले किए गए या रंगीन बनाए गए कांच जिसे स्मोक्ड ग्लास भी कहा जाता है, धूप के चश्मे, नॉन सिल्वर श्वेत-श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट) फिल्म, फोटोग्राफिक, न्यूट्रल डेनसिटी फिल्टर्स तथा पोलराइजिंग फिल्टर्स का प्रयोग न करें।
पारगमन क्या है
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है तब सूर्यग्रहण होता है। जब बुध या शुक्र सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो उसे पारगमन (ट्रांजिट) कहते हैं। चूंकि शुक्र ग्रह पृथ्वी से काफी दूर है, इसलिए पारगमन के दौरान एक छोटा काला धब्बा बनाता है।
8 जून, 2004 को हुई थी ऐसी घटना
8 जून 2004 को शुक्र पारगमन का नजारा लिया गया था। इसके बाद अगला पारगमन 105़ 5 वर्षो के लंबे अंतराल के बाद परिघटित होगा।
एक आम दरिद्र भारतीय लकड़ी लेकर किसे ढूंढ़ रहा है
दरिद्र हालात में
लकड़ी लिए
किसी मास्टर को पीटने के लियें
ढूंढ़ रहा था ॥
लोग इधर उधर होने लगे
तो इस दरिद्र फटेहाल
आम भारतीय ने कहा
के आपसे मुझे कोई शिकायत नहीं
आप तो रुको
में तो उसे तलाश रहा हूँ
जिसने उस मुए को
ऐसा नाकामयाब
अर्थशास्त्र पढाया है
बताओ दोस्तों यह कोन हे
जिसके लियें
एक आम हिन्दुस्तानी
लूटे पिटे आम भारतीय ने कहा है
बताओ तो जाने बताओगे ना ...................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
आर्थिक बदहाली के पांच सुबूत: मनमोहन ने बजाई खतरे की घंटी
नई दिल्ली. देश की खराब आर्थिक हालत मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के गले की फांस बन गई है। यही वजह है कि यूपीए सरकार चिंतित है और मौजूदा खस्ता हालत से बाहर निकलने का रास्ता तलाशने की कोशिश कर रही है। इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री ने मंत्रियों की बैठक बुलाई है। सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि देश मुश्किल आर्थिक दौर से गुजर रहा है। बैठक में कांग्रेस के कई नेताओं ने बढ़ती महंगाई पर चिंता जाहिर की।
देश की खस्ता आर्थिक हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश की विकास दर 9 फीसदी से घटकर 5.3 फीसदी पर पहुंच गई है। सरकार के खर्च का एक बड़ा हिस्सा कर्ज का ब्याज देने (2.8 खरब रुपये), रक्षा पर खर्च (1.8 खरब) और सब्सिडी (2.2 खरब रुपये) के तौर पर होता है। फिक्की के अध्यक्ष आरके कनोरिया ने कहा कि ऐेसी हालत में बढ़ते सरकारी घाटे के मद्देनजर देश की विकास की रफ्तार सुस्त पड़नी तय है।
दूसरी तरफ, मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को कहा कि खराब आर्थिक हालत और यूपीए सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते अगले आम चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाली इस सरकार का हारना तय है। अपनी बात को मजबूती देने के लिए उन्होंने कहा, '1975 में शुरू हुए आपातकाल के दौरान जब महंगाई और भ्रष्टाचार चरम पर था, सत्ता में परिवर्तन में हुआ था। 1987-89 में भी ऐसी ही स्थिति थी और तब भी सत्ता में परिवर्तन हुआ था। महंगाई और भ्रष्टाचार चरम पर है और सरकार बदलनी तय है। ऐसे में 2014 में भी ऐसा ही होगा।'
प्रधानमंत्री को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा, 'अर्थशास्त्री होने के बावजूद मनमोहन सिंह अर्थव्यवस्था को विकास की पटरी पर नहीं ला सके। अनिर्णय और नीतियां बनाने और उनका पालन न होने के चलते भारत के विकास की कहानी खत्म हो गई। कारोबारियों की अगुवाई के चलते भारत ने जबर्दस्त आर्थिक तरक्की की थी। देश के विकास की दर 9 फीसदी तक पहुंचाने में भारतीय उद्योगपतियों की कामयाबी का अहम योगदान था। लगातार खराब होती देश की माली हालत सिर्फ यही संकेत देती है कि आने वाला समय देश के लिए कैसा होगा। यूपीए ने देश की आर्थिक तरक्की का गला घोंट दिया।'
लेकिन राहत की उम्मीद भी!
मौद्रिक नीति के मोर्चे पर आम लोगों के लिए राहत की उम्मीद दिख रही है। रिजर्व बैंक ने आज संकेत दिया है कि ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने कहा, 'आर्थिक विकास दर में गिरावट और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की गिरती कीमत के चलते ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। विकास दर में गिरावट का महंगाई पर सीधा असर पड़ सकता है, जिससे इसमें गिरावट आ सकती है।'
मौजूदा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए फिक्की ने एक्शन प्लान सुझाया है। इसके अहम बिंदु हैं:
-डीजल और अन्य उत्पादों के दाम पर से सरकारी नियंत्रण खत्म हो।
-एफडीआई पर नीति में बदलाव को लागू करो। इसे मल्टी ब्रैंड रिटेल, सिविल एविएशन जैसे क्षेत्रों में लागू किया जाए।
-भूमि अधिग्रहण बिल को मौजूदा स्वरूप में पास हो।
-मौद्रिक नीति में परिवर्तन कर ब्याज दर में 200 बीपीएस और सीआरआर 100 बीपीएस की कटौती हो।
-जीएसटी को जल्द से जल्द लागू करने की कोशिश की जाए।
शिक्षा ही लोगों को बहतर इन्सान बनाती है ...आई जी कोटा रेंज अमृत कलश
गुटबाजी पर बोली सोनिया, विपक्ष की साजिश को सफल नहीं होने दें
कांग्रेस कार्यसमिति की विस्तारित बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का साफ इशारा, राजस्थान के मुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष भी हो रहे हैं शामिल
जयपुर। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ खुली बयानबाजी करने वाले नेताओं को आगाह किया है कि वे ऐसा नहीं करें। ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। उन्होंने राजस्थान का नाम लिए बिना कहा कि पार्टी के नेता गुटबाजी फैलाना बंद करें। नई दिल्ली में संसदीय परिसर में हो रही इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान भी शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस कार्यसमिति की विस्तारित बैठक में सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का साफ इशारा रहा कि विपक्ष की साजिश को सफल नहीं होने दें।
गुटबाजी दूर करो
राजस्थान के नेताओं के अनुसार सोनिया गांधी ने कहा : हम जितनी शक्ति गुटबाजी, फिजूल की बातों और फिजूल के कामों में खर्च करते हैं, उससे आधी अगर पार्टी को मजबूत करने में लगाएं, तो हमारी ताकत दो-गुना ज्यादा बढ़ जाएगी। हमारे बारे में लोगों की जो राय बनेगी, लोगों के मन में जैसी शक्ल उभरेगी, वे पार्टी के साथ वैसा ही सलूक करेंगे। जब राजनीतिक मूल्यांकन होता है, तो व्यक्ति के रूप में नहीं, संगठन के रूप में, एक कांग्रेस-जन के रूप में हमारा इम्तहान होता है। इसे गहराई से न समझना बहुत बड़ी भूल है। यह सबके लिए एक सावधानी की बात है, एक चेतावनी और चुनौती है।
कार्यकर्ताओं का मनोबल न तोड़ें
सोनिया गांधी ने कार्यकर्ताओं का पक्ष लेते हुए सरकारें चला रहे लोगों से कहा : जहां तक मेरी दृष्टि का प्रश्न है, मुझे देशवासियों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावना और आंतरिक शक्ति पर पूरा भरोसा है। हमारे कार्यकर्ता किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। शर्त केवल यह है, कि हम अपने राजनीतिक खेल में उनका मनोबल न तोड़ें। पिछले एक सौ छब्बीस साल में कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं की इसी आंतरिक शक्ति और भावना के बल पर हर चुनौती का सामना किया है और इतिहास बनाया है।
गडकरी ने छुए रामदेव के पांव, केजरीवाल अपने रुख पर अड़े
नई दिल्ली. 3 जून को अन्ना हजारे के साथ जंतर-मंतर पर एक दिन के अनशन से कालेधन के खिलाफ नये देशव्यापी अभियान की शुरुआत करने के बाद चार जून को बाबा रामदेव ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से मुलाकात की।
नितिन गडकरी ने बाबा रामदेव का गर्मजोशी से स्वागत किया और उनके पैर छुए। नितिन गडकरी ने बाबा रामदेव से मुलाकात के बाद कहा, 'रामदेव का आंदोलन राजनीतिक आंदोलन नहीं है, यह देश की अस्मिता का सवाल है और भाजपा पूरी तरह से रामदेव के साथ है। गडकरी ने यह भी कहा कि बाबा का आंदोलन कांग्रेस के भी खिलाफ नहीं है।'
गडकरी से मुलाकात के बाद बाबा रामदेव ने कहा, 'कालेधन के खिलाफ अभियान में मैं सभी राजनीतिक दलों का समर्थन जुटा रहा हूं, मैंने सोनिया गांधी से भी मुलाकात का वक्त मांगा हैं। चार जून से 8 अगस्त तक हम देशभर में राजनेताओं से समर्थन मांगेंगे और 9 अगस्त से व्यापक आंदोलन होगा।' रामदेव ने यह भी कहा कि उन्होंने लालू, एबी बर्धन, शरद यादव और अन्य पार्टियों के भी तमाम नेताओं से मुलाकात का वक्त मांगा है।
अरविंद केजरीवाल से मतभेदों के सवाल पर रामदेव ने कहा, 'किसी भी तरह का कोई मतभेद नहीं हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा।'
इससे पहले सोमवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'मंच से भाषण देते हुए किसी नेता का नाम न लेने का कोई प्रोटोकॉल नहीं था और अगर था भी तो मुझे इसकी जानकारी नहीं थी, भाषण के दौरान मुझे एक पर्ची दी गई लेकिन तब तक मैं नाम ले चुका था। मेरा मानना है कि भ्रष्ट नेताओं का नाम लिये बिना भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई प्रभावी रूप से नहीं लड़ी जा सकती।'
गौरतलब है कि रविवार को जंतर-मंतर पर भाषण देते हुए अरविंद केजरीवाल ने मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, ए राजा और कलमाड़ी का नाम लेते हुए कहा था कि जिस देश की संसद में ऐसे नेता बैठे हों उससे न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। हालांकि अरविंद के बाद भाषण देते हुए रामदेव ने स्पष्ट कर दिया था कि आज के कार्यक्रम में मंच से किसी का नाम लेने का इरादा नहीं था। इसलिए अरविंद द्वारा नेताओं के नाम लेने पर विवाद न खड़ा किया जाए।
इसके बाद अरविंद केजरीवाल मंच छोड़कर चले गए थे। अरविंद के जाने के बाद से ही रामदेव और अरविंद के बीच मतभेदों की बात की जा रही है।