नई दिल्ली. देश के विकास की योजनाएं बनाने और रोज 28 रुपये खर्च करने वालों को गरीब नहीं मानने वाले योजना आयोग ने अपने मुख्यालय में दो टॉयलेट पर 35 लाख रुपए खर्च कर दिए। वह भी तब जब ये टॉयलेट नए नहीं बनाए गए, बल्कि इन्हें सिर्फ सजाया-संवारा गया था। इन टॉयलेट के इस्तेमाल की इजाजत सिर्फ 60 अफसरों को ही थी। टॉयलेट का इस्तेमाल सिर्फ स्मार्ट कार्ड के जरिए ही किया जा सकता था।
यह वही आयोग है जो गरीबों को घर मुहैया कराने की इंदिरा आवास योजना के तहत एक मकान के लिए 45 हजार रुपये (मैदानी इलाकों में) और 48 हजार रुपये (पहाड़ी इलाकों में) खर्च करता है। इन मकानों की मरम्मत के लिए मात्र 15 हजार रुपये दिए जाते है
योजना आयोग देश के संसाधनों के प्रभावी और संतुलित इस्तेमाल के लिए योजनाएं तैयार करता है। देश के प्रधानमंत्री आयोग के पदेन अध्यक्ष होते हैं। इसके मौजूदा उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया हैं।