आपका-अख्तर खान

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11 जून 2012

मेरे प्यार का पैगाम

या रब
एक ऐसा
जादुई कलम
ऐसी जादुई स्याही
मुझे दे दे ....
में लिखूं भी नहीं
उनके नाम
मेरे प्यार का पैगाम
और वोह समझ भी जाए
आ भी जाएँ मेरे प्यार में .........................अख्तर खान अकेला कोटा rajsthan

बिटिया जवेरिया को जन्म दिन मुबारक हो ..........


दोस्तों सलाम ..आदाब..सत्सिरिकाल..नमस्कार आज का दिन मेरे और मेरी बिटिया जवेरिया अख्तर के लियें शुभ है ..आज ही के दिन मेरी बिटिया का जन्म हुआ था ..बिना घुमा फिराए अगर में कहूं के मेरी बिटिया का आज जन्म दिन है ..इस दिन की उसे लाख लाख नहीं करोड़ों करोड़ नहीं अरबो अरब बधाइयां ..हाल ही में मेरी बिटिया ने सी बी एस ई से दसवीं ९५ फीसदी से ज्यादा अंक लेकर पास की है ...और वर्तमान में वोह जी जान से कोचिंग में जुटी है ..........अप लोगों की दुआओं और आशीर्वाद से वोह उसके मकसद में कामयाब हो और जवेरिया अख्तर से डोक्टर जवेरिया अख्तर बने ..यह सब उसकी म्हणत और लगन के अलावा आप लोगों की दुआओं और आशीर्वाद से ही सम्भव है ...बिटिया को जन्म दिन की ढेरों मुबाराक्बादा ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

पिस्ता के कुछ ऐसे हेल्दी गुण जो शायद आप न जानते हों


पिस्ता के छिलके को हटाकर इसके अंदर का हिस्सा जो खाने में प्रयोग लाया जाता है। पिस्ता बिल्कुल आंख की तरह दिखाई पड़ता है। माना जाता है कि भगवान ने जो फ्रूट जिस शेप का बनाया है। शरीर में उसके आकार अगर कोई अंग हो तो वह शरीर के उस हिस्से को सबसे अधिक प्रभावित करता है। पिस्ता का शेप क्योंकि आंख जैसा है इसलिए आंखों के इलाज में पिस्ता आपकी सहायता कर सकता है।

ताजा शोध से ज्ञात हुआ है पिस्ता का सेवन जब सामान्य हाई कार्बोहाइड्रेट भोजन जैसे ब्रेड आदि के साथ किया जाता है तो ये कार्बोहाइड्रेट शरीर में बेहतर अवशोषण सुनिश्चित करते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप ब्लड शुगर का स्तर अपेक्षा से कहीं अधिक घट जाता है। पिस्ते वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), रक्त को शुद्ध करने वाले, शक्तिवद्र्धक, पित्तकारक, भेदक, कटु और सारक (दस्तावर) हैं। वात, कफ और पित्तनाशक है। इसके उपयोग से मस्तिष्क (दिमाग) की दुर्बलता दूर होती है। पिस्ता ताकत देने वाला और पौष्टिक होता है। पिस्तों में से तेल निकलता है।

इस तेल की मालिश सिर में करने से दिमाग की गर्मी दूर हो जाती है। रेशम पर किरमिजी रंग चढ़ाने में भी इसके तेल का उपयोग होता हैं। पिस्ते, बादाम की गिरी, चिरौंजी और खसखस इन चारों को पीसकर दूध में उबालकर खीर बनाए। इसमें शक्कर (चीनी) गाय का घी मिलाकर सेवन करने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है।

'बार-बार आंदोलन करके माहौल खराब करते हैं बैसला'

दौसा/जीरोता.गुर्जर आरक्षण मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोमवार को दौसा में वसुंधरा सरकार, गुर्जरों और बैसला पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि अगर मेरी कलम से ही आरक्षण मिलता हो तो मैं यहां खड़े-खड़े 5 प्रतिशत आरक्षण देने को तैयार हूं। मगर कोर्ट और संविधान का सम्मान करना पड़ेगा। सरकार पारदर्शिता से काम कर रही है, जबकि कर्नल बैसला बार-बार आंदोलन कर माहौल खराब कर रहे हैं। गुर्जर समाज और समाज के हर व्यक्ति को समझने और समझाने की जरूरत है।

प्रतिमा अनावरण समारोह में गहलोत हालांकि आरक्षण मुद्दे को छेड़ने के मूड में नहीं थे, परंतु भीड़ में से बार-बार हो रही हूटिंग (व्यवधान) से नाराज होकर उन्होंने इस मुद्दे पर भड़ास निकाल दी। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार के समय में फायरिंग हुई। कुल 21 बार की फायरिंग में 90 लोग मारे गए। इनमें 70 गुर्जर भी थे। आरक्षण के मामले में कुछ लोगों को गुमराह किया गया और प्रदेश में एक काला अध्याय लिख गया। मुझे आश्चर्य है आपकी कौम पर।

जिन लोगों के हाथ 70 लोगों के खून से रंगे थे, चुनाव में आपके ही कुछ साथियों ने उन्हीं पर मुहर लगा दी। 5 प्रतिशत आरक्षण विधेयक का समर्थन हमने इसलिए किया था, ताकि गुर्जर यह न समझें कि कांग्रेस उन्हें आरक्षण नहीं मिलने देना चाहती, परंतु उसमें 14 प्रतिशत आर्थिक पिछड़ा वर्ग का आरक्षण भी जोड़ दिया, जबकि उन्हें मालूम था कि यह विधेयक कोर्ट में जाकर अटक जाएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण की इजाजत नहीं देती है।

इसलिए भड़के सीएम

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाषण के दौरान भीड़ में से बार-बार हूटिंग की जा रही थी। एक बार तो संचार राज्यमंत्री सचिन पायलट ने भी बीच में हस्तक्षेप करके मुख्यमंत्री का भाषण सुनने की अपील की, लेकिन भीड़ आरक्षण मुद्दे पर सीएम का रुख जानना चाहती थी। इस पर सीएम भड़क गए और गुर्जरों व उनके नेताओं को खरी-खोटी सुनाई।

पॉलीटेक्निक कॉलेज पायलट के नाम पर

मुख्यमंत्री ने समारोह स्थल के पास बन रहे राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज का नाम स्व. राजेश पायलट के नाम पर रखने की घोषणा की। दौसा जिले की पेयजल समस्या के समाधान के लिए ईसरदा बांध से पेयजल योजना के सर्वे, फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनवाने का भरोसा दिलाया।

नजर नहीं आए बैसला

स्व. पायलट की प्रतिमा अनावरण समारोह के नाम पर आरक्षण आंदोलन स्थगित करने वाले कर्नल किरोड़ीसिंह बैसला समारोह में कहीं नजर नहीं आए। उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही।

कुरान का संदेश

मेने खुद को खाली कर लिया

जी हाँ दोस्तों
आज
खुद को मेने
खाली कर लिया है
मेरा दिल ..मेरा दिमाग
देख लो मेने खाली कर लिया है
वोह जो आये थे आज
उनक लियें
जी हाँ
सर उनके लिए
वोह और सिर्फ वही रह सके इस दिल दिमाग में
इसीलियें मेने खाली
अपना दिल और दिमाग किया है ........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मुस्लिम आरक्षण मामले में कोग्न्रेस की सियासत तार तार हुई

दोस्तों मुस्लिम आरक्षण मामले में केंद्र सरकार और खासतोर पर कोंग्रेस तार तार हो गयी है ..मुस्लिमों की तुष्टिकरण और उनके लियें थोथी घोषणाओं की राजनीति की पोल खुल गयी है ..सारा देश जानता है के मुस्लिमों के आर्थिक उत्थान और बहतरी के लियें ..सर्वप्रथम काका केलकर..फिर वेंकत्चालाय्या............फिर इन्द्रा साहनी मामले में सुप्रीमकोर्ट...फिर सच्चर फिर रंगनाथ मिश्र सभी ने तो अपने अपने तरीके से मुसलमानों में पिछड़े लोगों को आरक्षण और विशेष पैकेज की बात कही थी .....काका केलकर की रिपोर्ट पर कोंग्रेस ने जारी आरक्षण सर्कुलर में केवल हिन्दुओं के लियें शब्द जोड़ कर मुसलमानों को इस आरक्षण से अलग कर दिया ..फिर काका केलकर चिल्लाए के भाई एक ही व्यवसाय और धर्म के नाम पर आरक्षण में भेदभाव गलत है उन्होंने कहा था के मांस का व्यवसाय करने वाले सभी पिछड़े है फिर खटीक हो चाहे कसाई सभी को आरक्षण मिलना चाहिए ..धोबी हों ...कपड़ा बुनने वाले जुलाहे हों या फिर कोली समाज के लोग सभी आरक्षण के हकदार है लेकिन कोंग्रेस ने इस सर्कुलर को नहीं बदला और इस आरक्षण का इस धर्मनिरपेक्ष देश और संविधान में धार्मिक रूप कर दिया नतीजा काका केलकर ने इस मामले से नाराज़ होकर इस्तीफा दे दिया .....फिर वेंकत्चालाय्या ने इस मामले को उठाया ..फिर सच्चर ने कहा जिसे रंगनाथ मिश्र ने मोहर लगाई ...कोंग्रेस सरकार थी इसलियें चुप बेठी रही ..गोपालन कमेटी बनीगोपालन कमेटी ने वर्ष २००७ में मुस्लिमों को पन्द्रह प्रतिशत आरक्षण की बात कही फ़ाइल ठंडे बसते बंद ..अचानक उत्तरप्रदेश के चुनाव आये रातोरात कोंग्रेस को मुसलमानों की याद आई और अचानक केंद्र ने विधिविरुद्ध तरीके से मुस्लिम पिछड़ों को साढे चार प्रतिशत आरक्षण का झांसा दे दिया .....दोस्तों मेने उसी वक्त अक पोस्ट लिख कर कोंग्रेस को ललकारा था और कहा था के यह आरक्षण सिर्फ छलावा ..सियासी चाल है क्योंकि इसमें विधिक प्रक्रिया जानबूझ कर नहीं अपनाई गयी है और कोंग्रेस चाहती है के यह सियासत अदालत पहुंचे और वहां से जो कमियाँ छोड़ी गयी है उस वजह से आरक्षण ख़ारिज हो जाए ..मेने जो कहा था वही हुआ कोंग्रेस की आरक्षण की सियासी चाल आज सुप्रीम कोर्ट में तार तार हुई है वेसे तो इस मामले में कोंग्रेस अगर खुद को अलग थलग रखना चाहती है तो इसके दोषी अल्पसंख्यक मामलात और विधि मंत्री सलमान खुर्शीद को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए ..क्योंकि मुसलमानों के जज्बात खेलने की चीज़ नहीं है और पहले आंध्र प्रदेश में केंद्र सरकार के वकीलों ने जान बुझ कर लापरवाही बरती जिसका खुलासा खुद हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में किया है और फिर उस आदेश की अपील में जो कमियाँ जो बेवकूफियां की है उसे तो सुप्रीमकोर्ट ने आज एक ललकार के साथ उजागर की है ..बात साफ़ है कोंग्रेस की नियत मुसलमानों को आरक्षण देना नहीं सिर्फ सियासत करने की थी वरना हर मामले में होम वर्क करके ही काम होता है ..मुझ जेसा जिला स्तर की वकालत करने वाला वकील जब पूर्व में ही आरक्षण आदेश या अधिसूचना को विधिविरुद्ध घोषित कर चूका था तो हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में तो दिग्गज बेठे है फिर सरकारी वकीलों की दलीलें तो कस्बे के वकीलों से भी गयी बीती निकली जिनको सरकार स्टेट मिनिस्टर का दर्जा देकर लाखों रूपये देती है वोह लोग अगर ऐसी पेरवी सिर्फ एक मामले में करते है तो समझ लो के सरकार का ही उन्हें ऐसा करने का इशारा था ..खेर कोंग्रेस को यह धोखा यह बेईमानी यह सियासत बहुत भारी पढ़ेगी अभी भी अगर कोंग्रेस खुद को इस सियासत से अलग साबित करना चाहे तो उसे सलमान खुर्शीद को लापरवाह मानकर बर्खास्त करने के अलावा कोई चारा नहीं दिखता है ...देक्खते है इस मामले में अब सियासी दांव पेंच केसे केसे चलते है ....................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2,500 साल पहले भी होता था 'जिस्म का धंधा', लेकिन तरीका था अलग!


वेश्यावृत्ति जिसका नाम सुनते ही एक ऐसी छवि उभरती है, जिसे समाज में हेय नजर से देखा जाता रहा है। यहां तक की भारत सरकार ने इसे प्रतिबंधित भी कर रखा है। लेकिन क्या आपको पता है कि आज से लगभग 2,500 साल पहले वेश्यावृत्ति जायज हुआ करता था। साथ ही इसके बदले वेश्याओं को राज्य में टैक्स भी देना पड़ता था। ( और खबरों के लिए क्लिक करें )

आपको ये जानकर संभवत: आश्चर्य होगा, लेकिन ये सच है। आज से लगभग 2,500 साल पहले मौर्य शासन काल में ऐसी प्रथा थी। तब नगर के लोग इन वेश्याओं के पास जाते थे और उनपर पैसे भी लुटाते थे। इन वेश्याओं की कमाई भी खूब होती थी ऐसे में इनसे इनकी कमाई के हिस्से से टैक्स लिया जाता था, जिसका राजकाज में उपयोग किया जाता था।

यहीं नहीं मौर्य शासन काल में राजकाज को सही ढंग से चलाने के लिए कई दूसरी तरह के कर भी लगाए गए थे। जिसमें शराब बनाने, नमक बनाने, घी-तेल पर, जानवरों को मारने, कलाकारों पर, जुआरियों और जुए घरों पर, मंदिरों में होने वाली आय पर, वेतन पाने वालों के साथ वेश्याओं को होने वाली आय पर भी टैक्स लगता था।

बता दें कि मौर्य राजवंश (322-185 ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक राजवंश था। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री चाणक्य (कौटिल्य) को दिया जाता है, जिन्होंने नन्द वंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। इस राजवंश ने भारत में लगभग 137 सालों तक राज्य किया था।

सम्राज्य का शासन शुरूआती दौर में बिहार में था। जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विस्तार किया था। इस दौरान चंद्रगुप्त ने अपने शासन को सही ढंग से चलाने के लिए कई तरह के नियम भी बनाए थे।

500 साल जीने वाले इस बाबा के आगे झुकते थे PM! देखिए दुर्लभ तस्वीरें...

मथुरा में यमुना तीरे रहने वाले देवराहा बाबा को एक चमत्कारी और अवतारी व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि जून सन् 1990 में समाधि पर जाने से पहले इस सिद्ध बाबा ने 500 साल तक अपना जीवन जीया था। उनका संभावित जन्म सन् 1477 में हुआ था। इनसे पहले केवल तुलसीदास ने 500 साल तक अपना जीवन जीया था। पूरे जीवन निर्वस्त्र रहने वाले बाबा धरती से 12 फुट उंचे लकड़ी से बने बॉक्स में रहते थे। वह नीचे केवल सुबह के समय स्नान करने के लिए आते थे।

बाबा देवराहा खुद को भी एक अवतारी व्यक्त कहते थे। उनका कहना था कि वह किसी महिला के गर्भ से नहीं बल्कि पानी से अवतरित हुए थे। उन्होंने पूरे जीवन कुछ नहीं खाया। कुंभ के समय बाबा नदी किनारे प्रवास करते थे। वहां अपने भक्तों के सर पर पैर रख कर आशीर्वाद दिया करते थे।

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि उनके पिता जब बच्चे थे तो बाबा के चरणों में पूजा करते थे। उस समय भी बाबा की उम्र काफी अधिक थी। बाबा के भक्तों में राजीव गांधी का नाम भी शुमार था। यमुना के किनारे वृन्दावन में निवास करने वाले बाबा देवराहा 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर लेते थे।

नीतीश का पलटवार- पहले अपना घर देखें नरेंद्र मोदी


पटना. बिहार को लेकर गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्‍पणी पर जेडी (यू) ने मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

बिहार के मुख्‍यमंत्री नी‍तीश कुमार ने हालांकि मोदी या गुजरात सरकार का सीधे तौर पर नाम तो नहीं लिया लेकिन उन्‍होंने मुहावरों के जरिये मोदी पर पलटवार किया है। पत्रकारों के सवाल के जवाब में नीतीश ने आज कहा, 'हम दूसरों पर ज्‍यादा कमेंट नहीं करते हैं। लोगों को अपने हालात के बारे में सोचना चाहिए। बिहार सभी कमाजेरियों से उबर कर प्रगति के रास्‍ते पर आगे बढ़ रहा है।'

नीतीश ने मुहावरे का इस्‍तेमाल करते हुए कहा, 'खुद चलनी में 72 छेद हैं।' यानी जिसके अंदर खुद कमी हो, उसे दूसरे की कमियां नहीं गिनानी चाहिए।

क्‍यों हुआ बवाल?
नरेंद्र मोदी ने कल कहा था कि बिहार जातिवाद के चलते पिछड़ा है। मोदी ने भी नीतीश कुमार का नाम लिए बिना कहा था, 'हिंदुस्तान ने देखा है कि जो राज्य जातिवाद के जहर में उलझ गए उनका क्या हुआ। बिहार किसी समय कितना शानदार राज्य था लेकिन वहां के जातिवादी नेताओं ने उस राज्य को तबाह करके रख दिया।' लेकिन मोदी की यह टिप्‍पणी जेडी(यू) अध्‍यक्ष शरद यादव को भी नागवार गुजरी है। शरद यादव ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, 'उन्‍हें इतिहास की ज्‍यादा समझ नहीं है।'

आगे क्‍या?
पिछले करीब सात सालों से बिहार के मुख्यमंत्री नी‍तीश ने मोदी के साथ हमेशा दूरी बनाए रखने की कोशिश की है। नीतीश ने मोदी के बिहार चुनाव प्रचार के लिए आने पर गठबंधन तोड़ने की धमकी तक दे दी थी। और तो और उन्होंने गुजरात की तरफ से बिहार में बाढ़ रहत के लिए आए पैसे भी लौटा दिए थे। अब मोदी बनाम नीतीश की जंग से यह सवाल भी उठने लगा है कि क्‍या यह बिहार में सत्‍तारूढ़ एनडीए में फूट की शुरुआत है?

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