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14 जून 2012

त्रिया हठ बनाम त्रिया हठ का महासंग्राम देश में तूफ़ान के पहले जेसी खामोशी का माहोल है

दोस्तों देश में राष्ट्रपति जेसे चुनाव को लेकर पहली बार त्रिया हठ बनाम त्रिया हठ का तमाशा देखने को मिल रहा है और इस महत्वपूर्ण पद के लियें किसी योग्य पुरुष को चुनने को लेकर देश की महिलाएं अब त्रिया हठ पर अटक गयी है ..जेसा की आपको पता है के देश की पहली नागरिक महामहीम राष्ट्रपति है ..आपको यह भी पता है के देश की लोकसभा की अध्यक्ष महिला है और यह तो बताने की जरूरत है ही नहीं के यु पी ऐ सरकार का रिमोट अपने हाथ में लेकर कोन महिला सरकार चला रही है ...दक्षिणी भारत की महिला मुख्यमंत्री जो अपनी कुर्सी हर जगह साथ लेकर चलती है उनका तो कहना ही किया और जिंदा होकर भी अपनी मूर्ति स्थापित करने वाली महिला के बारे में तो लोग कहते है के इनसे अल्लाह बचाए ..एक और जिद्दी स्वभाव लेकर मुख्यमंत्री बने वाली महिला है जिनके बारे में कहा जाता है के यह जनता के बारे में सोचती है और मदर इण्डिया है ............................यह सभी महिलाएं वर्तमान में देश के महामहिम के चयन का ज़िम्मा अपने ऊपर लिए हुए है और निर्णायक भूमिका लेकर पुरुषों से अव्वल नम्बर पर है ................ममता बनर्जी को देख लिजियें उन्होंने कोंग्रेस की जीती हुई बाज़ी हार में बदल कर ऐ पी जे अप्ब्दुल कलाम का नाम देश को दिया है और उसको भरी समर्थन मिल रहा है एक तरफ यु पी ऐ सरकार को समर्थन और दूसरी तरफ देश के हित में इस पद पर चयन को लेकर बगावती तेवर ...दूसरी तरफ सोनिया जी है जिनके लियें कहा जाता है के उनके पास देश को चलाने का रिमोट है लेकिन लगता नहीं ..सच तो यह लगता है के उनका रिमोट भी किसी दुसरे के पास है इसीलियें हर फेसला कोंग्रेस को नुकसान पहुँचाने वाला हो रहा है ..कोंग्रेस की तो कोई बात नहीं देश और देश की जनता को भी बचकाने और जिद्दी भरे निर्णयों से काफी नुकसान हो रहा है ...अब बात मायावती की करते है इस चुनाव में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है अगर उन्होंने तराजू का पडला बदल लिया तो परिणाम अप्रत्याशित होंगे वेसे उनका और उनकी पार्टी का स्वभाव ऍन वक्त पर वायदा कर धोखा देने वाला है इस बार देखते है क्या होता है .........................जयललिता जी के बारे में तो सभी जानते है वोह भी जिद्दी और गुस्से वाली हैं करूणानिधि की वजह से कोंग्रेस से नाराज़ है खुद अपनी कुर्सी जहां जाती है साथ लेजाने के लियें मशहूर हैं ऐसी संकी महिला कब क्या फेसला बदल दे कुछ कह नहीं सकते ..लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को तो चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है और महामहिम प्रतिभा पाटिल को महिला होने पर भी अपनी करोड़ों की संपत्ति वापस साथ ले जाना है ...............तो जनाब त्रिया हठ सोनिया कहती है प्रणव हो ...ममता कहती है ऐ पी जे कलाम हो ...और माया ..जयललिता जब निनायक हो तो फिर तो देश की राजनीति का ध्रुवीकरण महिला नेताओं के हाथों में ही रहा ना .................एक बात तो है के ममता ने अचानक राष्ट्रपति चुनाव को गर्म दिया ..एक तरफा माहोल को बदल दिया और कोंग्रेस को बेकफुट पर आने को मजबूर कर दिया ..लेकिन यह महिला भी दो बार अविश्वास प्रस्ताव अल्पमत में होने के बाद भी चाहे सोदेबाज़ी कहो चाहे हिकमते अमली कहो जीत चुकी है इसलियें इन हालातों से भी वोह डीके कर मुकाबला कर रही है लेकिन इस बार त्रिया हठ इस देश के लियें घातक हो सकता है ...समाज में ..देश में ..मिडिया में ..सोशल साइटों पर राष्ट्रपति पद के लियें जनता की राय किसी भी तरह से प्रणव के पक्ष में नहीं है प्रणव को विलेन बना कर पेश किया जा है देश के हालातों के लियें उन्हें ही ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है उनके प्रति राष्ट्र के लोगों में प्रेम नहीं नफरत का भाव स्पष्ट नज़र आ रहा है जबकि ऐ पी जे कलम की चुप्पी इम्नका पूर्व कार्यकाल और अंतर्राष्ट्रीय क़द उन्हें इस सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है ....देखते है त्रिया हठ महासंग्राम में जीत किसकी होती है लेकिन यह तूफ़ान के पहले की खामोशी है भाई .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

घरेलू नुस्खे: जीरे से करें इलाज ये है घर का वैद्य




- जीरा, अजवाइन, सोंठ, कालीमिर्च, और काला नमक अंदाज से लेकर चूर्ण कर लें। इसमें थोड़ी सी घी में भूनी हींग मिलाकर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

- जीरा, अजवाइन और काला नमक का चूर्ण रोजाना एक चम्मच खाने से तेज भूख लगती है और पेट की गैस शांत होती है।

- 3 ग्राम जीरा और 125 मि.ग्रा. फिटकरी पोटली में बांधकर गुलाब जल में या उबाल कर ठंडा किए हुए 10 ग्राम जल में भिगो दें। आंख में दर्द होने पर या लाल होने पर इस रस को टपकाने से आराम मिलता है।

- दही में भूरे जीरे का चूर्ण मिलाकर खाने से डायरिया मिटता है।

- जीरे को नींबू के रस में भिगोकर नमक मिलाकर गर्भवती स्त्री को देने उसका जी मचलाना बंद हो जाता है।

- सिरके के साथ जीरा देने से हिचकी बंद हो जाती है।

- जीरे को गुड़ के साथ खाने से मलेरिया में लाभ पहुंचता है।

- जीरा आयरन का सबसे अच्छा स्त्रोत है, जिसे नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर होती है।

- एसीडिटी से तुरंत राहत पाने के लिए, एक चुटकी कच्चा जीरा खाने से फायदा मिलता है।

- ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ लें।

54 साल लगाकर गमले में उगाया 'आम'

कोटा. बगीचे से आम तोड़ने पर 25 पैसे की सजा 12 साल के बालक को इतनी नागवार गुजरी कि उसने प्रायश्चित के रूप में अपने घर गमले में पौधे पर आम उगा डाला। इसके लिए हालांकि उसे लगे। झालावाड़ शहर के रिटायर्ड कृषि पर्यवेक्षक बसंतीलाल चौहान अब 66 साल के हैं। गुरुवार को वे इस पौधे को यहां विज्ञान केंद्र के अधिकारियों को दिखाने लाए तो उनके चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ झलक रहे थे।

चौहान ने बताया कि जब वे 12 साल के थे तब यहां पृथ्वी विलास उद्यान में चुपके से एक आम तोड़ लिया था। आम तोड़ते देख चौकीदार ने उसे पकड़ कर जेब से 25 पैसे का जुर्माना वसूल लिया। तब मन में आया कि वो इससे भी ज्यादा रसीले आम के पेड़ लगाएंगे। करीब 16 बीघा के फार्म हाउस में उन्होंने आम के साथ ही करीब 143 प्रकार के पेड़-पौधे लगाए लेकिन संतुष्टि नहीं हुई। कृषि विभाग में नौकरी करते वक्त उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठान ली जिससे चर्चा हो। उसी का नतीजा इस पौधे पर उगा ये आम है।

यूं किया नया पौधा तैयार

चौहान ने बताया कि जुलाई में आम की गुठली उगाई थी। छह महीने बाद पौधा तैयार हो गया। इसके बाद उन्होंने एचिंग मैथड से एक रसीले आम की कलम इससे जोड़ी। इसमें मंजरी आने लगी तो पूरी तरह से देखभाल की। इस पर अब एक आम तैयार हुआ है।

मिल चुके हैं अवार्ड

चौहान को तीन दशक पहले बंगाल के मुर्शिदाबाद में आयोजित आल इंडिया फ्रूट शो में द्वितीय पुरस्कार मिल चुका है। इसमें 150 रुपए नकद एवं पुरस्कार मिल चुका है। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के पीछे करीब 16 बीघा के फॉर्म हाउस में करीब 143 प्रकार के पेड़-पौधे लगाए हुए हैं।

भरतसिंह को गिफ्ट किया

बसंतीलाल ने बताया कि मंत्री भरतसिंह उनके साथी रहे हैं। बचपन में उनके आम के शौकीन होने के कारण वो इस पौधे को मंत्री के घर देने आए हैं। इससे उनके बचपन की यादें ताजा रहेगी।

नमक का ट्रक बना काल, बोरों में दबकर 24 की मौत

झाबुआ। क्या-कब हुआ- अहमदाबाद से 35 किमी दूर गुरुवार सुबह पांच बजे साणंद-विरमगांव हाईवे पर नमक की बोरियों से भरा ट्रक पलट गया। बोरियों में दबने से झाबुआ जिले के 24 मजदूरों की मौत हो गई जबकि 17 को गंभीर चोंट आई है।

कैसे हुआ- 41 मजदूर गुजरात से झाबुआ वापसी कर रहे थे। वे आधे किराए की लालच में बस के बजाय ट्रक में बैठ गए। बीच रास्ते में ड्राइवर को झपकी आ जाने व ओव्हरलोड ट्रक का संतुलन बिगड़ने की वजह से हादसा हुआ।

मृतकों के परिजन को 3-3 लाख सहायता

मप्र के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मृतकों के परिजन को दो-दो लाख रु. व घायलों को 75-75 हजार एवं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतक के परिजन को एक-एक लाख और घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।

कुरान का संदेश

राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति में कोंग्रेस का एक भी गलत कदम कोंग्रेस को डुबो देगा

राष्ट्रपति चुनाव और कोंग्रेस के युवराज राहुल गाँधी का जन्म दिन दोनों ही कोंग्रेस के लियें शुभ संकेत और अशुभ संकेत साबित हो सकते है .अगर कोंग्रेस ने धेर्य संयम और विश्वास दूरंदेशी से राष्ट्रपति चुनाव के मामले में रणनीति बनाई तो देश में राहुल गाँधी की ताजपोशी कर कोंग्रेस जनता में खोया हुआ विशवास फिर से जीत सकती है ..जहाँ तक मनमोहन सिंह को हटाने का सवाल है तो उन्हें और सम्मानित पद दिया जा रहा है जिससे सिक्ख भी नाराज़ नहीं होंगे और देश भी बच जाएगा क्योंकि राहुल को अगर प्रधानमन्त्री बनाया जाता है और राहुल बहुत सारे उदारीकरण के निर्णय बदल कर सब्सिडी फिर से शुरू करने की राजनीती खेलते है तो एक तो राहुल गाँधी के कुशल प्रशासन की वाहवाही होगी मुद्रास्फीति की दर घटेगी ..रूपये का मान बढ़ेगा और जनता की मुसीबतें काम होंगी ..लेकिन कोंग्रेस में ही कुछ लोग है जो राहुल को उनके जन्म दिन पर तकलीफ देना चाहते है ..कोंग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गाँधी वेसे तो लगातार अपने सलाहकारों के सम्पर्क में हैं राष्ट्रपति चुनाव को लेकर फूंक फूंक कर कदम रख रही है लेकिन ..कोंग्रेस को जिंदा रखने और देश को बचाने के लियें जो फार्मूला मुलायम और ममता ने दिया है उससे बहतर कुछ नहीं हो सकता ...मनमोहन सिंह के सिक्ख होने से पंजाब में सिक्खों में कोंग्रेस का प्रभाव नहीं बढना इस बात का सबूत है के सिक्ख भी मनमोहन से नाराज़ है .....इधर कोंग्रेस जो गम्भीर आरोपों के घेरे में है उससे उबरने के लियें कोंग्रेस के पास उस व्यवसायिक फरुले के आलावा कोई दूसरा चारा नहीं है जिसमे किसी भी व्यापार के डूबने पर नया मालिक आता है नये तोर तरीकों और निति नियमों से व्यवसाय संचालित करता है तड़क भड़क का कारोबार उस व्यापारी को खोई हुई प्रतिष्ठा वापस से दिलाकर मुनाफे में लाकर खड़ा कर देते है ..यही सिद्धांत कोंग्रेस को डूबने से बचा सकता है लेकिन कोंग्रेस में एक बड़ा वर्ग राहुल की ताजपोशी नहीं होने देना चाहता उसकी सोच है के अगर युवा वर्ग आगे आया तो पुराने लोग पावर लेस होकर सिर्फ सलाहकार बनकर रह जायेंगे और मलाईदार चाशनीदार पद युवाओं को ही मिलेंगे ...खेर वर्तमान परिस्थितियों में कोग्न्रेस का एक भी गलत कदम कोंगेस के ताबूत में आखरी कील का काम कर सकती है ..सरकार को और कोंग्रेस के मान मर्यादा प्रतिष्ठा पर भी संकट खड़ा हो सकता है ..ऐसे में जीतने के लियें अगर दो कदम पिच्छे भी हटना पढ़े तो कोंग्रेस को यह तरकीब लगाना चाहिए खेर अभी तो राष्ट्रपति चुनाव में और भी कई मोड़ आना बाक़ी है लेकिन राहुल का जन्म दिन तो १९ जून को है इस दिन के पहले अगर कोई महत्वपूर्ण रन निति नहीं बनी तो कोंग्रेस की उलटी गिनती की शुरुआत कोई रोक नहीं पायेगा ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अमरनाथ के 2 कबूतरों का रहस्य! जानिए कैसे हो गए अमर


हिन्दू पौराणिक मान्यताओं में बाबा अमरनाथ के दर्शन से मिलने वाला पुण्य काशी और प्रयाग जैसे महातीर्थों से भी ज्यादा बताया गया है। बाबा अमरनाथ की दर्शन यात्रा हिन्दू माह आषाढ़ की पूर्णिमा तिथि से श्रावण माह की पूर्णिमा (रक्षाबंधन) तक चलती है। इस साल प्रतिकूल मौसम के चलते यह यात्रा 25 जून से शुरू होगी।

पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी की आरती और पूजा के बाद दर्शन के लिए भक्तों का आना शुरू होता है। बाबा अमरनाथ की यात्रा शुरू होते ही कुछ ही दिनों में शिव भक्ति का यह रंग और गहरा जाएगा।

इस गुफा में आने वाले शिवभक्तों के बीच पापमुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए हिम शिवलिंग के दर्शन का महत्व है, जिसे श्रद्धा से भक्त बर्फानी बाबा पुकारते हैं। बाबा बर्फानी के शिव के अद्भुत स्वरूप के अलावा इस गुफा में एक ओर वजह भगवान शंकर और ईश्वरीय सत्ता का प्रत्यक्ष अनुभव कराती है। यह वजह है - इसी गुफा में रहने वाला कबूतर का एक जोड़ा। तस्वीर पर क्लिक कर जानिए इन 2 कबूतरों से जुड़ा रहस्य -

भंवरी देवी: कोर्ट के बाहर चलीं गोलियां, कैलाश जाखड़ फरार

जोधपुर. राजस्थान की सियासत में तूफान लाने वाले भंवरी देवी हत्याकांड में गुरुवार को नाटकीय मोड़ तब आ गया जब इस मामले के मुख्य आरोपी बिश्नाराम का अहम सहयोगी कैलाश जाखड़ अदालत से फरार हो गया।

बिश्नाराम और कैलाश जाखड़ (तस्वीर में) एक दूसरे मामले में गुरुवार को पेशी पर आए थे। इस दौरान उनके साथ एक और आरोपी भी था। सुनवाई के बाद जब ये लोग कोर्ट से बाहर आ रहे थे तभी वहीं खड़ी बोलेरो में सवार लोगों ने हवाई फायर कर इन लोगों को छुड़ाने की कोशिश की। इस अफरातफरी का फायदा उठाकर कैलाश जाखड़ और एक अन्य आरोपी तो हमलावरों के सहयोग से फरार हो गए, लेकिन बिश्नाराम फरार नहीं हो पाया। उसे एक सिपाही ने पकड़ लिया। इस दौरान हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति के छर्रे लगे हैं।

पुलिस ने नाकाबंदी कर तलाश तेज कर दी है। लेकिन अभी तक कोई पकड़ में नहीं आया है। कैलाश जाखड़ के फरार हो जाने से भंवरी मामले की सुनवाई प्रभावित हो सकती है। इधर जेल पुलिस ने घटना के तुरंत बाद विश्नाराम को जेल में शिफ्ट कर दिया गया है।

गौरतलब है कि जोधपुर की एएनएम भंवरी देवी पिछले साल सितंबर में रहस्यमय ढंग से गायब हो गई थी। बाद में सीबीआई जांच में यह पता चला कि उसे मार दिया गया था। इस मामले में राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा आरोपों के घेरे में हैं।

महामहिम पर महा कलह: आपकी पसंद कौन?

नई दिल्‍ली. राष्‍ट्रपति पद के लिए होने जा रहे चुनाव की रेस दिलचस्‍प हो गई है। कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने प्रणब मुखर्जी को राष्‍ट्रपति पद के लिए अपनी पहली पसंद बताया है जबकि हामिद अंसारी उनकी दूसरी पसंद हैं। लेकिन यूपीए की अहम सहयोगी तृणमूल कांग्रेस और सपा ने सोनिया की पसंद को सिरे से खारिज कर दिया है। तृणमूल सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि उन्‍हें प्रणब का नाम मंजूर नहीं

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ममता के साथ बुधवार शाम साझा प्रेस कांफ्रेंस की और राष्‍ट्रपति पद के लिए अपनी तरफ से तीन नए नाम देश के सामने रखकर सभी को चौंका दिया। ममता-मुलायम ने राष्‍ट्रपति पद के लिए ए पी जे अब्दुल कलाम, मनमोहन सिंह और सोमनाथ चटर्जी का नाम सुझाया है। दिलचस्‍प है कि एक दौर ऐसा भी रहा है जब ये तीनों शख्‍सीयतें देश की राजनीति में बड़े-बड़े पदों पर रही हैं। डॉ. कलाम देश के राष्‍ट्रपति, मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री और सोमनाथ दा लोकसभा के स्‍पीकर रहे हैं।


मनमोहन सिंह


प्रधानमंत्री के तौर पर लगातार अपनी दूसरी पारी खेल रहे मनमोहन सिंह की छवि एक साफ सुथरी छवि के नेता के तौर पर रही है। अपने राजनीतिक जीवन में डॉ. सिंह 1991 से राज्‍य सभा के सदस्‍य रहे हैं, जहां वह 1998 और 2004 के दौरान विपक्ष के नेता थे। 1971 में वाणिज्‍य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में शामिल हुए मनमोहन सिंह को 1972 में वित्‍त मंत्रालय में मुख्‍य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। मनमोहन सिंह वित्‍त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग में उपाध्‍यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और यूजीसी के चेयरमैन के पद पर भी काम कर चुके हैं।


कैम्ब्रिज और ऑक्‍सफोर्ड जैसे संस्‍थानों से पढ़ाई करने वाले मनमोहन सिंह ने पंजाब विश्‍वविद्यालय और दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ इकोनोमिक्‍स में अध्‍यापन का कार्य भी किया। 1991 से 1996 तक देश के वित्‍त मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्‍होंने आर्थिक सुधारों की एक व्‍यापक नीति से परिचय कराया। डॉ. सिंह ने कई अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलनों और अनेक अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया है।


हालंकि पीएमओ के सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई खबर में कहा गया है कि सिंह, राष्‍ट्रपति पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं।


प्रणब मुखर्जी


वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी इंदिरा गांधी की सरकार में 1982 से लेकर 1984 तक वित्तमंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं। यूपीए-1 में विदेश मंत्री रहे मुखर्जी ने जनवरी 2009 में वित्तमंत्री का प्रभार संभाला था। मुखर्जी को 1984 में दुनिया के शीर्ष पांच वित्तमंत्रियों की सूची में स्थान दिया गया था। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले मुखर्जी राजनीति और सत्ता के गलियारों के पुराने मुसाफिर रहे हैं। 1969 से अधिकतर समय राज्यसभा में बिताने वाले मुखर्जी पहली बार 2004 और 2009 में मुर्शीदाबाद जिले की जांगीपुर सीट से लोकसभा के लिए चुने गए।


बतौर विदेश मंत्री मुखर्जी ने अमेरिका के साथ असैनिक परमाणु करार संपन्न कराने और उसके साथ संबंधों को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इसके बाद मुंबई पर आतंकवादी हमलों के बाद विश्व जनमत को पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय करने में भी उन्होंने गजब के रणनीतिक कौशल का परिचय दिया। मुखर्जी ने बतौर अध्यापक और पत्रकार अपने करियर की शुरुआत की थी तथा वे देशेर डाक जैसे प्रकाशनों से भी जुड़े रहे। उन्होंने कई किताबें लिखीं।


हामिद अंसारी


मौजूदा उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय विदेश सेवा के एक अधिकारी के रूप में 1961 में की थी जब उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का स्थायी प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था। वे आस्ट्रेलिया में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। बाद में उन्होंने अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, तथा ईरान में भारत के राजदूत के तौर पर भी काम किय। 1984 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उन्हें गुजरत दंगों के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने और सद्भावना के लिए उनकी भूमिका के लिए भी सराहा जाता है।
अंसारी भारतीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। कोलकाता में 1 अप्रैल 1937 को जन्‍मे अंसारी उनके माता-पिता यूपी के गाजीपुर से हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा सेंट एडवर्डस हाई-स्कूल शिमला, सेंट जेवियर्स महाविद्यालय कोलकाता और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई। अंसारी मई 2000 से मार्च 2004 तक अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर भी रहे।


सोमनाथ चटर्जी


एक वकील के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत करने वाले सोमनाथ चटर्जी 1968 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बनने के बाद सक्रिय राजनीति में शामिल हुए। राष्ट्रीय राजनीति में उनका अभ्युदय पहली बार 1971 में लोक सभा के लिए निर्वाचित होने के साथ हुआ। तब से लेकर उन्होंने सभी लोक सभाओं में एक सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर सेवा की। वर्ष 1989 से 2004 तक वे लोक सभा में सीपीआई(एम) के नेता रहे। यूपीए-1 में लोकसभा स्‍पीकर की भूमिका निभाने वाले सोमनाथ चटर्जी ने 4 जून, 2004 को लोकसभाअध्‍यक्ष का कार्यभार संभाला था।


शिक्षा, खेलकूद और संसदीय अध्ययन में दिलचस्‍पी रखने वाले चटर्जी 1971 में पहली बार लोक सभा के लिए चुने गए। उनकी छवि आम जनता से जुड़े राजनेता के तौर पर रही है। वह एक दशक से भी ज्यादा समय तक पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष रहे और पश्चिम बंगाल में निवेश को बढावा देने के लिए उन्होंने कई देशों का दौरा किया। सितम्बर 2006 में चटर्जी को अबुजा में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का अध्यक्ष चुना गया। 25 जुलाई, 1929 को असम के तेजपुर में जन्मे चटर्जी की शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता और यूके में हुई। उन्होंने स्नातकोत्तर (कैंटब) तथा यूके में मिडिल टैंपल से बैरिस्टर-एट-लॉ किया।


ए पी जे अब्‍दुल कलाम


देश के 11 वें राष्ट्रपति ए पी जे अब्‍दुल कलाम को 'मिसाइलमैन' के तौर पर जाना जाता है। तमिलनाडू के धनुषकोडी गांव के एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में जन्मे कलाम ने 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेकनालजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि हासिल की। डीआरडीओ में बतौर वैज्ञानिक अपना कॅरियर शुरू करने वाले कलाम को अग्नि और पृथ्‍वी मिसाइलों के सफल परीक्षण का श्रेय दिया जाता है। जुलाई 1992 में उन्‍हें रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त किया गया। उनकी देखरेख में ही भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।


डॉ. कलाम को 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 25 जुलाई, 2002 को उन्‍होंने राष्‍ट्रपति का पदभार ग्र्हण किया। अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन, शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले डॉ. कलाम के बारे में कहा जाता है कि वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते हैं। तकनीक को जनसाधारण तक पहुंचाने की वकालत करने वाले कलाम बच्चों और युवाओं के बीच कलाम लोकप्रिय हैं। भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढाते देखना उनकी दिली चाहत है।

कांग्रेस का हमला- ममता ने तोड़ी मर्यादा

नई दिल्‍ली. रायसीना हिल की रेस तेज हो गई है। सोनिया गांधी की तरफ से राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार के तौर पर प्रणब मुखर्जी और हामिद अंसारी का नाम पेश करने के बाद मुलायम और ममता ने कलाम, मनमोहन और सोमनाथ का नाम आगे किया। लेकिन कांग्रेस ने कहा है कि ममता ने सोनिया के साथ बैठक की बात जगजाहिर कर मर्यादा तोड़ी है। कांग्रेस प्रवक्‍ता जर्नादन द्विवेदी ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि मनमोहन सिंह 2014 तक पीएम बने रहेंगे। उन्‍होंने यह भी कहा कि ममता-मुलायम की तरफ से सुझाए गए बाकी दो नाम कांग्रेस को मंजूर नहीं हैं।

द्विवेद्वी ने कहा, 'यूपीए चेयरपर्सन के नाते सोनिया गांधी ने अपने सभी सहयोगियों से बातचीत की। जब बातचीत होती है तो नाम चर्चा में आते हैं। पहले दौर की बातचीत में प्रणब मुखर्जी और हामिद अंसारी के नाम उभर कर सामने आए। इसका मतलब यह बिल्‍कुल नहीं है कि कांग्रेस ने एक नाम तय किया है। आमतौर पर इस तरह की बातचीत के बारे में बाहर चर्चा नहीं होती है। अन्‍य सहयोगी दलों के लोग भी सोनिया जी से मिले हैं लेकिन किसी ने उम्‍मीदवार के नाम को लेकर चर्चा नहीं की। इस तरह की बातचीत में एक मर्यादा होती है। थोड़े समय बाद इस बारे में चर्चा होती तो अच्‍छा होता।' पीएम से मुलाकात के बाद प्रणब मुखर्जी ने कहा कि राष्‍ट्रपति पद के लिए यूपीए के उम्‍मीदवार के नाम का ऐलान जल्‍द ही किया जाएगा।

ममता-मुलायम की 'गुगली' के बाद कांग्रेस के भीतर और यूपीए के सहयोगी दलों के साथ बैठकों का दौर शुरू हो गया है। राष्‍ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर आज शाम कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक होगी वहीं एनसीपी नेता शरद पवार आज शाम सोनिया गांधी से मिलेंगे। इससे पहले यूपीए की अहम सहयोगी डीएमके के नेता टी आर बालू ने भी सोनिया से मुलाकात की। बालू ने बताया कि डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि ने सोनिया गांधी को राष्‍ट्रपति पद के लिए एक उम्‍मीदवार का नाम सुझाया है और कांग्रेस अध्‍यक्ष जल्‍द ही यूपीए उम्‍मीदवार के नाम का ऐलान करेंगी। सूत्रों के मुताबिक करुणानिधि ने राष्‍ट्रपति पद के लिए उम्‍मीदवार के तौर पर प्रणब मुखर्जी का नाम आगे किया है।

सूत्र यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस ने प्रणब की उम्‍मीदवार को अपनी इज्‍जत का सवाल बना लिया है और वह वित्‍त मंत्री को रायसीना हिल भेजने के लिए कोई भी जोखिम उठाने को तैयार है। कांग्रेस को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से भी साथ मिलता दिख रहा है। लालू ने सोनिया के उम्‍मीदवार को अपना पूरा समर्थन देने का वादा किया है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस और सपा के बीच पर्दे के पीछे बातचीत जारी है। मुलायम सिंह आज सोनिया गांधी से मिल सकते हैं।

कांग्रेस की पश्चिम बंगाल यूनिट ने भी ममता पर हमला बोल दिया है। आरोप है कि ममता रॉयल बंगाल टाइगर की तरह नहीं बल्कि गुरिल्‍ला वार कर रही हैं। ममता का इस बार दिल्‍ली आने पर प्रधानमंत्री से मिलने का भी कार्यक्रम था लेकिन खबर है कि वह पीएम से नहीं मिलेंगी। इसके अलावा ममता को आज कोलकाता लौटना था लेकिन वह आज कोलकाता नहीं जाएंगी।

दूसरी ओर, कलाम की उम्‍मीदवारी को लेकर एनडीए में मतभेद के संकेत हैं। जद(यू) ने कलाम के नाम पर कोई भरोसा देने से इनकार किया है जबकि शिवसेना ने कलाम को समर्थन देने का वादा किया है। बीजेपी अभी इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बोल रही है। पार्टी का कहना है कि कांग्रेस की ओर से उम्‍मीदवार के नाम का औपचारिक ऐलान होने के बाद ही वह अपनी राय और रणनीति सामने रखेगी। कलाम ने ममता-मुलायम को कहा है कि यदि उन्‍हें 60 फीसदी वोट मिलने की गारंटी मिले तो ही वह राष्‍ट्रपति चुनाव के मैदान में उतरेंगे।

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