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23 जून 2012

सैकड़ों साल जीने वाले इस बाबा के भक्त थे कई पीएम!

मथुरा में यमुना तीरे रहने वाले देवराहा बाबा को एक चमत्कारी और अवतारी व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि जून सन् 1990 में समाधि पर जाने से पहले इस सिद्ध बाबा ने 500 साल तक अपना जीवन जीया था। उनका संभावित जन्म सन् 1477 में हुआ था।

इनसे पहले केवल तुलसीदास ने 500 साल तक अपना जीवन जीया था। पूरे जीवन निर्वस्त्र रहने वाले बाबा धरती से 12 फुट उंचे लकड़ी से बने बॉक्स में रहते थे। वह नीचे केवल सुबह के समय स्नान करने के लिए आते थे।

बाबा देवराहा खुद को भी एक अवतारी व्यक्त कहते थे। उनका कहना था कि वह किसी महिला के गर्भ से नहीं बल्कि पानी से अवतरित हुए थे। उन्होंने पूरे जीवन कुछ नहीं खाया। कुंभ के समय बाबा नदी किनारे प्रवास करते थे।

वहां अपने भक्तों के सर पर पैर रख कर आशीर्वाद दिया करते थे। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि उनके पिता जब बच्चे थे तो बाबा के चरणों में पूजा करते थे। उस समय भी बाबा की उम्र काफी अधिक थी। बाबा के भक्तों में राजीव गांधी का नाम भी शुमार था। यमुना के किनारे वृन्दावन में निवास करने वाले बाबा देवराहा 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे। उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी। खतरनाक जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर लेते थे।

क्या आप जानते हैं, महाभारत युद्ध में कृष्ण को क्यों उठाना पड़ा था चक्र?


महाभारत में अब तक आपने पढ़ा....भीमसेन के पीछे महारथी विराट और द्रुपद खड़े हुए। उनके बाद नील के बाद धृष्टकेतु थे। धृष्टकेतु के साथ चेदि, काशि और करूष एवं प्रभद्रकदेशीय योद्धाओं के साथ सेना के साथ धर्मराज युधिष्ठिर भी वहां ही थे। उनके बाद सात्यकि और द्रोपदी के पांच पुत्र थे। फिर अभिमन्यु और इरावान थे। इसके बाद युद्ध आरंभ हुआ। रथ से रथ और हाथी से हाथी भिड़ गए। कौरवों ने एकाग्रचित्त होकर ऐसा युद्ध किया की पांडव सेना के पैर उखड़ गए। पांडव सेना में भगदड़ मच गई अब आगे....

भीष्म ने अपने बाणों की वर्षा तेज कर दी।सारी पांडव सेना बिखरने लगी। पांडव सेना का ऐसा हाल देखकर श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि तुम अगर इस तरह मोह वश धीरे-धीरे युद्ध करोगे तो अपने प्राणों से हाथ धो बैठोगे। यह सुनकर अर्जुन ने कहा केशव आप मेरा रथ पितामह के रथ के पास ले चलिए। कृष्ण रथ को हांकते हुए भीष्म के पास ले गए। अर्जुन ने अपने बाणों से भीष्म का धनुष काट दिया।

भीष्मजी फिर नया धनुष लेकर युद्ध करने लगे। यह देखकर भीष्म ने अर्जुन और श्रीकृष्ण को बाणों की वर्षा करके खूब घायल किया। भगवान श्रीकृष्ण ने जब देखा कि सब पाण्डवसेना कि सब प्रधान राजा भाग खड़े हुए हैं और अर्जुन भी युद्ध में ठंडे पढ़ रहे हैं तो तब श्रीकृष्ण नेकहा अब मैं स्वयं अपना चक्र उठाकर भीष्म और द्रोण के प्राण लूंगा और धृतराष्ट्र के सभी पुत्रों को मारकर पाण्डवों को प्रसन्न करूंगा। कौरवपक्ष के सभी राजाओं का वध करके मैं आज युधिष्ठिर को अजातशत्रु राजा बनाऊंगा।

कब्ज से परेशान लोग ऐसे दूध पीएं .....सालों पुरानी समस्या भी खत्म हो जाएगी




तनाव, सही डाइट न लेने, खराब रुटीन, नींद पूरी न होने की वजह से अक्सर कब्ज की शिकायत हो जाती है। इससे शरीर में आलस रहता है और पेट व सिर में भी जोरों का दर्द होता है। इसके अलावा और भी दूसरी बीमारियां शरीर में घर कर जाती हैं। अगर आप भी सालों पुरानी कब्ज की बीमारी से परेशान हैं तो इससे बचने के लिए नीचे लिखा ये नुस्खा जरूर अपनाएं:



नुस्खा- कब्ज की शिकायत आमतौर पर देखी जाती है। बच्चों से लेकर वृद्ध तक इससे पीड़ित रहते हैं। मार्केट में जो भी कब्ज निवारक मिलते हैं उनका बार-बार सेवन करना बहुत नुकसान पहुंचाता है। लोग कब्जनाशक चूर्ण खाने की आदत सी बना लेते हैं। रोज चूर्ण खाने वालों की आंते अपनी कार्यक्षमता गवां बैठती हैं। फिर बिना चूर्ण खाए उनका पेट ठीक नहीं रहता।

जो लोग कब्ज से ज्यादा परेशान रहते हैं, जिन्हें लंबे समय से कब्ज बना रहता है और जो कबजियत रहने से दुखी हैं, उनके लिए बादाम का तेल बेहतर रहता है। इससे आंत की कार्यक्षमता बढ़ती है। रात के समय गरम दूध में बादाम तेल की 3 ग्राम मात्रा मिलाकर सेवन करें। प्रतिदिन तेल की मात्रा थोड़ी-थोड़ी बढ़ाकर 5-6 ग्राम तक ले जाएं। कुछ दिनों तक इसका सेवन करते रहने से सालों से परेशान कर रहा कब्ज भी खत्म हो जाता है।

‘दहेज’ नहीं मिला तो दामाद को सिर मूंड कर पीटा

डबोक (उदयपुर).बीस हजार रुपए नहीं दिए तो न केवल दामाद को पीटा बल्कि उसका सिर मूंड कर उसके शरीर को जलती हुई बीड़ियों से दागा गया। चौका देने वाला मामला वागरिया समाज के दो परिवारों से जुड़ा है जहां शादी- ब्याह में लड़के वालों की तरफ से वधुपक्ष को दहेज देने का चलन है। उदयपुर के डबोक थाने में पीड़ित युवक ने अपने ससुर व मामा ससुर सहित पांच जनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।

आमतौर पर दहेज या पैसों के लेन-देन को लेकर वधु पक्ष को प्रताड़ित करने की खबरें ही सामने आती हैं पर विलोता (डबोक) निवासी भीमा ने अपने ससुर लोगर, मामा ससुर मालू, हुडीलाल, किशन और दला पर यातनाएं देने का आरोप लगाया है। एफआईआर के मुताबिक भीमा की सात वर्ष पूर्व वाजुंदा निवासी लोगर पुत्र मोडा की पुत्री कैलाशी के साथ शादी हुई थी। उसके एक लड़की भी है।

ससुराल वाले 15 जून को उसकी पत्नी और बेटी को गुड़ली स्थित अपने घर ले गए। 20 जून को भीमा ने फोन कर पत्नी व बेटी के बारे में पूछा तो ससुराल वालों ने उसे भी बुला लिया। वह ससुराल पहुंचा तो उससे रुपए देने की मांग की गई। भीमा ने रुपए देने से इंकार किया तो ससुराल वालों ने उसे बंधक बना लिया। मारपीट की और सिर के बाल काट दिए। साथ ही शरीर पर जलती हुई बीड़ियां दागकर यातनाएं दी गई। इसके बाद आरोपियों ने घटना के बारे में किसी के सामने जिक्र करने पर, जान से मारने की धमकी देकर भीमा को छोड़ा दिया।

पीड़ित ने अपने परिजनों के साथ डबोक थाना पहुंच कर रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने भीमा का मेडिकल करवाया। जिसमें उसके शरीर पर चोट के निशान पाए गए हैं। भीमा ने भास्कर संवाददाता को बताया कि हमारे यहां लड़के वालों की ओर से लड़की को दहेज में रुपए देने का रिवाज है। उसे भी ससुराल वालों को 20 हजार रुपए देने थे जो वह अभी तक नहीं दे पाया था ।

सरकारी अनुदान से छपी किताब में राजनीति गंदा पोखर, नेता सारे भ्रष्ट!

जयपुर.सरकारी अनुदान से छपने वाली किताब में राजनेताओं को डकैत, भ्रष्ट और चरित्रहीन बताते हुए राजनीति को गंदा-बदबूदार पोखर बताया गया है। राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के त्रैमासिक ‘ब्रजशतदल’ में लिखा है कि 2-जी, आदर्श सोसायटी, कॉमनवेल्थ गेम भ्रष्टाचार की क्लासिक गाथाएं हैं। भ्रष्ट नेताओं के प्रति समाज में आक्रोश है। समय रहते नेताओं ने सन्मार्ग नहीं अपनाया तो इनसे जनता निबटेगी। किताब में राममनोहर लोहिया जैसे नेता की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जब संसद सत्र शुरू होता है तो चंबल की डकैती में कमी आ जाती है और सत्र समाप्त होते ही यह कई गुना बढ़ जाती है। लेखक हीरालाल शर्मा के ‘राष्ट्रीय संदर्भन मॉहि ब्रजभाषा कौ योगदान’ आलेख में राजनेताओं के चरित्र को केंद्रित किया गया है। अकादमी के पूर्व अध्यक्षों का कहना है कि किताब में इस तरह का आलेख छापकर शायद सरकार ही ये स्वीकार कर रही है कि वह बेईमान है।इस अंक को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। किताब में छपे इस आलेख से ऐसा लग रहा है जैसे सरकार ही स्वीकार रही है कि हम बेईमान, चोर-डकैत हैं। यह गंभीर पत्रिका है। संपादक को ऐसे आपत्तिजनक अंशों को ठीक करना चाहिए था। इस पर खेद जताना चाहिए। इससे देश के अन्य भागों में सरकार का संदेश गलत जाएगा। -विष्णुचंद्र पाठक, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान बृजभाषा अकादमी अकादमी के अध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र उपाध्याय को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। यह समझ में नहीं आ रहा कि उन्होंने इस तरह की चूक कैसे की। मैं संपादक होता तो यह सामग्री प्रकाशित नहीं करता। -गोपाल प्रसाद मुद्गल, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान बृजभाषा अकादमी नेताओं को चरित्रहीन और भ्रष्ट भी लिखा: जिनके पास पंक्चर लगवाने के पैसे नहीं थे, वे करोड़ों में खेल रहे हैं अध्याय 2: पेज-17: आदर्श सोसायटी, कॉमनवेल्थ गेम अरु 2-जी स्पेक्ट्रम भ्रष्टाचार की क्लासिक गाथाएं हैं। जिनके ढिंग टेलीफोन के बिल भरिबे कौं पइसा नॉय हतौ, जो साइकिलन के पंचर जुरबाबे के काजैं मुहताज रहतौ हौ, बिनकी संतान के ब्याहन मौंहि एक-एक करोड़ कौ न्यौते की पाती छपैं हैं। सत्ता के उन्माद में जे पागल है गए हैं। संसद सत्र खत्म होते ही बढ़ जाती हैं डकैतियां > डॉ. राम मनोहर लोहिया नैं एक बार जि टिप्पणी करी ही कै जब संसद कौ सत्र चालू होय तब चंबल की डकैतीन में कमी आ जाबै है, परि जब संसद कौ सत्र समाप्त है जाय तौ चंबल की डकैती अचानक कैऊ गुनी बढ़ि जॉय। जि टिप्पणी हमारे राजनेता अरु जनप्रतिनिधीन की चरित्रहीनता कौ गहरौ चित्रन है। पूरे देश में भ्रष्टाचार की आग फैली है अध्याय 2: पेज-17: आज राष्ट्र मॉहिं भ्रष्टाचार जंगल की आग की भांति, कुकुरमुत्तान की तरियां व्याप है गयौ है। जानैं अपनी उपस्थिति राष्ट्र के ताने-बाने में दर्ज करा दई है। निर्लज्जता संग शिष्टतान की सीमान नैं पार कर गई है। अध्याय 2 : पेज-13: सर्वोच्च न्यायालय और हमारौ चुनाव आयोग गरौ फार-फार कैं चिल्ला रहे हैं कै चुनाव ते दागीन-हिंसक, हत्यारे, अपहरनकर्ता अरु बलात्कारीन कौं दूर करौ। परि हमारे कानन पै जूं तक नॉय रेंग रही। संसद अरु विधान सभा ऐसे दागीन सौं भरी परीं हैं। मैं डरने वाला नहीं, जो महसूस किया लिखा 'मुझे यह कहने से कोई गुरेज नहीं कि आज राजनेता माफिया हो गए हैं। मैं डरने वाला नहीं, जो महसूस किया वैसा ही लिखा है।' —हीरालाल शर्मा, लेखक, राष्ट्रीय संदर्भन मॉहि ब्रजभाषा कौ योगदान 'लेखक स्वयं अकादमी के अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में उनके आलेख में किसी प्रकार का संशोधन करना ठीक नहीं। उनके अपने विचार हो सकते हैं। वैसे यह अंक मेरे आने से पहले ही तैयार हो गया था।' —प्रो. सुरेंद्र उपाध्याय, संपादक, अध्यक्ष-राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी

प्रकट हुए विज्ञान को चौंकाते 18 फीट से ऊंचे बर्फानी बाबा! यात्रा कल से..

हिन्दू धर्म में माना जाता है कि ब्रह्मा ने सृष्टि रची़, विष्णु प्रजा पालक हैं, भगवान शिव सृष्टि संहारक है। इन त्रिदेवों में शिव को प्रेम और आस्था से भोले भंडारी, कैलाशपति, विश्वनाथ आदि नामों से पुकारा जाता है। धर्माग्रंथ उजागर करते हैं कि भगवान शिव पूरे जगत के कण-कण में बसते हैं और पूरे संसार के कल्याणकारी देवता होने से वह भिन्न-भिन्न रुपों में पूजे जाते हैं। इन रुपों में से ही एक है भगवान शंकर का हिम स्वरुप यानी बर्फ का शिवलिंग, बाबा अमरनाथ की गुफा में प्रतिवर्ष प्रकट होता है। यह स्वयंभू शिवलिंग माना जाता है। यह पवित्र गुफा भारत के जम्मू-कश्मीर प्रदेश में स्थित है।

बाबा अमरनाथ हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थों में से एक है। हिन्दू धर्म मान्यताओं के मुताबिक यह वही पवित्र स्थान है, जहां भगवान शंकर ने माता पार्वती के सामने अमरता का रहस्य उजागर किया। इसलिए यह बाबा अमरनाथ की गुफा के नाम से प्रसिद्ध हुई। इसमें बर्फ के शिवलिंग के साथ माँ पार्वती और श्री गणेश का भी बर्फ से प्राकृतिक स्वरूप भी बनता है। गुफा में अमरकुंड का जल प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। गुफा में टपकता बूंद-बूंद जल भक्तों के लिए शिव का आशीर्वाद होता है और गुफा में दिखाई देने वाला अमर कबूतरों का जोड़ा तीर्थयात्रियों को अलौकिक आनन्द देता है।अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक अब यह बाबा अमरनाथ की पवित्र तीर्थ यात्रा 24 जून को सुबह 5 बजे से जम्मू के भगवती नगर स्थित आधार कैंप से शुरू होगी। इसका समापन श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन (इस बार 2 अगस्त) के दिन होगा। अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सूत्रों के अनुसार इस बार बाबा बर्फानी का 18 फीट से भी ऊंचा शिवलिंग स्वरूप प्रकट हुआ है।

देश के लिए लुटाई जान, सुरेंद्र की शहादत पर टप-टप झरे आंसू


कूदन से.देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले मेजर सुरेंद्र बढासरा का शव का कूदन पहुंचते ही हर आंख भर आई। उनकी बहादुरी के किस्से रह रह कर याद आ रहे थे। बेटे की मौत से बेखबर मां सोहनी देवी व बहन सुभिता को लाडले के बारे में बताने के लिए किसी के भी कदम आगे नहीं बढ़ पा रहे थे।

दोपहर बाद चार बजे कुछ महिलाएं जब मां और बहन को मेजर सुरेंद्र की शहादत की खबर देने पहुंची तो वे खुद अपने आप को रोक नहीं पाई और फफक पड़ी। कुछ ही समय में घर पर हजारों लोग इकट्ठा हो गए। करीब सवा पांच बजे जैसे ही मेजर सुरेंद्र का शव लेकर सेना की गाड़ी पहुंची तो उनकी शहादत के जयकारे लगे। पत्नी मेजर निशा भी शव के साथ पहुंचीं। वे बिना किसी से कुछ बोले स्तब्ध खड़ी थी।

कर्नल रविंद्र नरवाल की पत्नी सूरज नरवाल ने उन्हें संभाला तो वे उनसे लिपट गई। शब्द खामोश थे और आंखों में मेजर पति की शहादत का गर्व। छोटा भाई नरेंद्र भी खुद को नहीं रोक पाया। रिटायर्ड सूबेदार पिता केशर सिंह दिल पत्थर रख कर परिजनों को भी संभाल रहे थे। सिंह की अंतिम यात्रा में कूदन के साथ आस पास के गांवों के लोग उमड़े।

अर्थी उठी तो मेजर पत्नी को कमरे में ले गए

तिरंगे में लिपटे शव को अर्थी पर रखकर जैसे ही रवाना हुए तो मेजर सुरेंद्र की पत्नी निशा को कमरे में ले गए। इससे पहले वह शव की तरफ देखती तो दूसरे ही पल आंखों पर हाथ रख लेतीं। कर्नल रविंद्र नरवाल भी इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाए कि वे ढांढस बंधाने के लिए कुछ बोल सके। केवल सिर पर ही हाथ रख पाए।

शहादत पर गर्व, बेटा खोने का गम

केशर सिंह को अपने बेटे सुरेंद्र की शहादत पर गर्व है। वे कहते हैं, मेरे बेटे ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। बस इस बात का गम है, बेटा सदा के लिए जुदा हो गया। उन्होंने बताया, दिल्ली में इलाज के दौरान बीच में हालत मे कुछ सुधार भी हुआ था लेकिन होनी को कौन टाल सकता है।

समाचार मिला तो दौड़ा आया बाबू

मेजर सिंह के साथ एक साल पटियाला में 46 आर्मड में बतौर बाबू काम कर चुके गोमावाली के कुंभाराम ने जैसे ही सुबह अखबार में उनके शहीद होने का समाचार पढ़ा तो वे गांव दौड़े आए। रिटायर हो चुके कुंभाराम के अनुसार वे निर्णय लेने में देरी नहीं करते थे।

इन्होंने किए पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित

शहीद की पार्थिव देह पर केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय जनजाति राज्य विकास मंत्री महादेव सिंह खंडेला, प्रदेश सरकार की ओर से आपदा प्रबंधन एवं सैनिक कल्याण राज्य मंत्री बृजेंद्र सिंह ओला ने पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित किए। इनके अलावा जिला प्रमुख रीटा सिंह, धोद विधायक पेमाराम, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया, पूर्व विधायक केडी बाबर, कलेक्टर धर्मेंद्र भटनागर, कर्नल रविंद्र नरवाल, मेजर सलीम पठान, रणजीत सिंह व चिराग पनवार, एएसपी शरद चौधरी, एसडीएम बनवारी लाल बासनीवाल, तहसीलदार जयसिंह शेखावत, जयपुर सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल राजेश भूकर, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी मेजर जी सुखराम, भाजपा जिलाध्यक्ष हरिराम रणवां, जिला परिषद सदस्य ताराचंद धायल, सेना के साथी राकेश सिंह व शहीद के परिजनों ने पुष्पचक्र एवं पुष्प मालाएं अर्पित की।

खामोशी, गर्व और यादें :खुद ठीक करने लग जाते थे टैंक

46 आर्मड से आई टुकड़ी में शामिल सूबेदार सोहनलाल व अर्जुन सिंह ने बताया कि मेजर सुरेंद्र उनकी बटालियन में चार साल रहे। एनएसजी कमांडों की स्पेशल ट्रेनिंग के बाद उन्होंने खुद 4 पैरा स्पेशल फोर्स चुनी, जो आतंकवादियों के खात्मे के लिए जम्मू कश्मीर में अभियान चलाती है। वे हर क्षेत्र की जानकारी रखते थे। टैंक में गड़बड़ी आती तो वे खुद उसे देखने लग जाते थे।

क्च पोलो के खिलाड़ी थे मेजर

मेजर सुरेंद्र पोलो के खिलाड़ी थे। वे आर्मी सपोर्टेड जारा टीम की ओर से खेलते थे। अच्छे घुड़सवार थे। उनके साथ अहमद नगर में कोर्स करने वाले खीरवा निवास मेजर सलीम पठान कहते हैं कि मेजर सुरेंद्र में जोश था। घुड़सवारी किया करते थे। वे हर क्षेत्र में महारथ हासिल करना चाहते थे।

सैनिकों का गांव है कूदन

कूदन गांव में 100 से ज्यादा सैनिक हैं। छह फौजी ऑफिसर हैं। इनमें चार पायलेट हैं। मेजर सुरेंद्र कूदन के पहले शहीद हैं। ग्रामीण कहते हैं कि यहां 1937 में सात लोगों ने देश की आजादी के लिए संघर्ष करते हुए वीर गति प्राप्त की थी।

कश्मीर में पोशाक बदलकर रहते थे

गांव के ही रहने वाले पायलेट धर्मेंद्र सुंडा से मेजर सुरेंद्र वीडियो चेट किया करते थे। वे वहां पर दाढ़ी व बाल बढ़े हुए रखते थे। पायलेट सुंडा ने बताया, आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाने पर मेजर सुरेंद्र पोशाक बदलकर ही रहते थे।

सुरेंद्र के नाम होगा स्कूल का नामकरण

गांव कूदन के सरपंच जगदीश महरिया ने बताया कि गांव की सरकारी स्कूल का नामकरण शहीद मेजर सुरेंद्र सिंह के नाम से कराया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।

आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन

मेजर के साथी नरेश सिंह ने बताया कि तीन मई को जम्मू कश्मीर के कूपवाड़ा सेक्टर में आतंकियों के छुपे होने की सूचना मिली थी। इस पर मेजर सुरेंद्र सिंह ने बिना देरी किए वहां पर आतंकियों के विरुद्ध ऑपरेशन शुरू कर दिया। ऑपरेशन के दौरान मेजर ने छह आतंकवादियों को मार गिराया। एक आतंकी द्वारा चलाई गई एके 47 की गोली उनके गुर्दे पर लगी

और सड़क पर शव रखकर फूट पड़ी मां की ममता!


कोटा. चोरी के आरोपियों को पकड़ने गई कैथून पुलिस के हाथ से छीनाझपटी में पिता की गोद से 2 माह का नवजात बालक गिर गया। जिसकी दो दिन बाद शनिवार को मौत हो गई। इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने कोटा में कलेक्टर व ग्रामीण एसपी ऑफिस पर 3 घंटे तक प्रदर्शन किया।

वे कलेक्ट्रेट के बाहर तेज धूप में सड़क पर शव रखकर बैठे रहे। ग्रामीणों का आरोप है कि बालक की मौत पुलिस के कारण हुई है। इसलिए कैथून सीआई के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। एसपी डॉ. विकास पाठक ने कहा-आरोपों की जांच करवाई जाएगी।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का दर्द जानने पहुंची वसुंधरा

कोटा.नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे के शनिवार देर शाम कोटा में कांग्रेस व भाजपा के वरिष्ठ नेताओं घर पहुंचने की सूचना ने शहर में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी। ये नेता वे हैं, जो अभी तक पार्टी से किनारा किए हुए हैं। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से बंद कमरे में अलग से बात की। इसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि इसे केवल शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन इसके पीछे छिपे राजनीतिक निहितार्थ को लेकर उनके जत्थे में शामिल नेता ही चर्चा करते रहे।

कांग्रेस के तीनों नेता जुझारसिंह, भुवनेश चतुर्वेदी व रामकिशन वर्मा पार्टी में कद्दावर नेता व मंत्री रहे हैं। इन दिनों पार्टी व बड़े नेताओं ने उन्हें किनारे किया हुआ है। प्रदेश मंत्रिमंडल में एक मंत्री के इशारे पर यहां का संगठन व सरकार चल रही है। शनिवार को इन नेताओं के घरों पर वसुंधरा राजे अचानक पहुंच गईं। उन्होंने जुझारसिंह से उनके मंत्री पुत्र भरतसिंह के सामने अलग से बात की तो रामकिशन वर्मा से उनके आवास पर बंद कमरे में गुफ्तगू की।

यही स्थिति पूर्व केंद्रीय मंत्री भुवनेश चतुर्वेदी के आवास पर रही। माना जा रहा है कि इन तीनों नेताओं के साथ उन्होंने आने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी भूमिका पर भी चर्चा की। साथ ही, उनकी उपेक्षा के बारे में भी जानकारी ली। नेताओं ने भी अपना दर्द खुलकर उनके सामने बयां किया। वसुंधरा पुराने भाजपा नेताओं पूर्व सांसद रघुवीरसिंह कौशल व कृष्णकुमार गोयल से मिलीं। कौशल से बंद कमरे में बात की। दोनों नेता मंत्री और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

कुरान का संदेश

बाप और दो बेटों की हत्या कर खून पी गए ग्रामीण

सिसई (गुमला).झारखंड के नक्सल प्रभावित गुमला जिला मुख्यालय के सिसई थाना क्षेत्र स्थित खेरा दीपाटोली गांव में गुरुवार रात पिता व दो बेटों की टांगी से काट कर हत्या कर दी गई। हत्या के बाद ग्रामीणों ने इनका खून पी लिया।
हत्या के पीछे डायन बिसाही को कारण बताया जा रहा है। पुलिस ने शुक्रवार सुबह शव को कब्जे में ले लिया। घटना की चश्मदीद सुनीता कुमारी ने पुलिस को बताया कि वह अपने मामा बिरसा उरांव के घर आई थी। गुरुवार रात बिरसा उरांव (55) अपने दोनों बेटों विचार उरांव (25) व तारा उरांव (20) के साथ कमरे में सोए थे, जबकि वह दूसरे कमरे में सोई थी। रात में लगभग पचास लोग आए। पहले विचार को अपने साथ ले गए। कुछ देर बाद फिर बिरसा को पकड़ कर ले गए। तीसरी बार वे लोग आए और तारा को ले गए। इसी दौरान वह भाग गई। सुबह जब घर लौटी तो वहां तीनों के शव पड़े हुए थे।
गुमला के एसपी जतिन नरवाल ने बताया कि इनकी हत्या धारदार हथियारों से की गयी है। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। घटनास्थल पर से पुलिस ने पांच कटोरे बरामद किये हैं जिसमें खून के धब्बे मिले हैं। पुलिस को अंदेशा है कि हत्यारों ने इनके खून को कटोरे में रखा और पी कर चले गए।
गांव के ही एक पुजारी ने बताया कि ग्रामीणों ने इस कारण खून पीया ताकि डायन के सारे लगाये हुए नजर का असर उसके खून पीने से समाप्त हो जायेगा।
पुलिस ने सिसई थाना में मृतकों की संबंधी संगीता भगत (13) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है। घर में सभी के मारे जाने के बाद वो अकेले जिन्दा बच गयी थी।

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