तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
30 जून 2012
एक जुलाई से बेरोजगारी भत्ता, जानिए किसे मिलेगा किसे नहीं
इस योजना के तहत 500 व 600 रुपए प्रतिमाह प्रदान किए जाएंगे। जिसमें निशक्तजन को 600 रुपए और सामान्य वर्ग को 500 रुपए भत्ते के रूप में मिलेंगे। जिले में पंजीकृत बेरोजगार में 935 ग्रेजुएट व 122 पोस्ट ग्रेजुएट हैं।
'निदेशालय से आदेश मिल चुके हैं और बेरोजगार भत्ता देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अभ्यर्थियों से आवेदन भरवाए जाएंगे और एक जुलाई से कार्रवाई शुरू होगी।'
भवानी प्रताप चारण, जिला रोजगार अधिकारी
भत्ते की ये हैं शर्तें
अभ्यर्थी की वार्षिक इनकम एक लाख रुपए से कम हो। अभ्यर्थी आवेदन करने के दौरान किसी विवि नियमित या निरंतर अध्ययनरत न हो। एसटी, एससी, महिला एवं निशक्तजनों के लिए आयु 35 वर्ष तथा सामान्य वर्ग के लिए 30 वर्ष से अधिक आयु न हो।
भत्ता लेने के लिए यह है जरूरी
बेरोजगारी भत्ते का लाभ लेने वाले अभ्यर्थियों को सैकंडरी स्कूल के प्रमाण पत्र की कॉपी देनी होगी। सैकंडरी के प्रमाण पत्र के पीछे विभागीय सील लगेगी। इससे पूर्व में बेरोजगारी या अन्य सरकारी लाभ लेने वालों की पहचान हो सकेगी। इसके अलावा जन्म तिथि का प्रमाण पत्र भी सैकंडरी परीक्षा के प्रमाण पत्र को ही माना जाता है।
ये कर सकते हैं आवेदन
>जिनके पंजीयन को एक वर्ष से अधिक का समय हो गया हो।
>अभ्यर्थी ने राजस्थान के किसी भी विश्वविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री ली है।
>अभ्यर्थी राजस्थान का मूल निवासी होना चाहिए।
इन्हें नहीं मिलेगा भत्ता
राजस्थान बेरोजगारी भत्ता योजना के तहत उन अभ्यर्थियों को भत्ता नहीं मिलेगा जिन्होंने अक्षत योजना 2007 व अक्षत कौशल योजना 2009 का लाभ ले लिया है।
'72 बेटों के बलिदान के बाद भी नहीं मिला हक, 5 को होगी महापंचायत'
गुर्जर समाज की आरक्षण की लड़ाई में नेतृत्व के स्तर पर कमियां रही जिसकी वजह से समाज के 72 बेटों के बलिदान के बावजूद आज तक उसका हक नहीं मिल पाया। गुर्जर आरक्षण की मांग को लेकर इतने आंदोलन हुए लेकिन नेतृत्व के स्तर पर कुछ कमियां रही जिनकी वजह से समाज आज भी वहीं है जिस मांग को लेकर वह चला था।
उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज ने आरक्षण आंदोलन को लेकर पिछले पांच साल में क्या खोया और क्या पाया, इस पर महापंचायत में विचार होगा और आगे की रणनीति तय होगी। गुर्जर महापंचायत में जो भी फैसला लिया जाएगा वह सामूहिक नेतृत्व का फैसला होगा, किसी एक व्यक्ति की नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने गुर्जरों और अन्य चार जातियों को 1 प्रतिशत आरक्षण एसबीसी में दिया है।
राज्य सरकार से मांग है कि वह ओबीसी में से इन जातियों की जनसंख्या के आधार पर वर्गीकरण कर जितना प्रतिशत आरक्षण जनसंख्या के आधार पर आता है वह दिया जाए। गुर्जरों पर आरक्षण आंदोलन के दौरान लंबित मुकदमों को अविलंब वापस लिया जाए। गुर्जर समाज को पिछली भर्तियों में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है, सरकार को चाहिए कि वह इन विसंगतियों को दूर करे।
भाजपा नेकोई वादा नहीं किया था : नाथूसिंह
पूर्व मंत्री नाथू सिंह गुर्जर ने एक सवाल के जवाब में कहा भाजपा ने गुर्जरों को आरक्षण देने का कोई वादा नहीं किया था। परिवर्तन यात्रा के दौरान पिछली बार लोगों ने मांग उठाई थी तब हमने कहा था कि सरकार बनने पर देखा जाएगा कि इस मामले में क्या किया जा सकता है। गुर्जरों को एसटी में आरक्षण देने की हमारी की मांग जारी है, यह केंद्र का विषय है।
चुनाव तक टालना चाहती है सरकार
नाथू सिंह ने कहा कि गुर्जरों को एसबीसी में 5प्रतिशत आरक्षण देने में सरकार की मंशा साफ नहीं है। हाईकोर्ट ने सरकार को चार माह में सर्वे करवाकर क्वांटिफाइड डाटा भेजने के आदेश दिए थे। हम सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।
हाईकोर्ट ने सरकार को चार माह का समय दिया था, सरकार ने ओबीसी आयोग ही अभी बनाया है। इसका मतलब है कि सरकार की मंशा साफ नहीं है और वह गुर्जर आरक्षण के मामले को चुनाव तक लटकाना चाहती है। यह तय है कि सरकार आरक्षण नहीं देगी, अगले चुनाव तक ।
गार्डन में चल रहा प्रेम-मिलाप, तभी आईं मैडम और ले ली क्लास!
शहर के कई पार्को में दिनभर प्रेमी जोड़ों का जमघट लगा रहता है। जिससे वहां परिवार सहित घूमने आने वाले लोगों को शर्मिदगी झेलनी पड़ती है। इसकी शिकायत कुछ लोगों ने महापौर डॉ. रत्ना जैन से की। इस पर महापौर शनिवार की दोपहर में अचानक गार्डन पहुंच गई। पहले वे गांधी उद्यान गई और फिर उसी से होकर चंबल गार्डन पहुंच गई।
दोनों ही गार्डनों में पेड़ों की आड़ में प्रेमी जोड़े बैठे हुए थे। महापौर ने चार-पांच जोड़ों से पूछताछ की। उन्होंने लड़कियों से पूछा कि वे अपने परिजनों को बताकर आई हैं क्या? इस पर उनसे कुछ जवाब देते नहीं बना। उन्होंने लड़की से मोबाइल मांगकर उसके परिजनों को फोन करने के लिए कहा तो वे कहने लगे हम तो बस यूं ही घूमने आ गए थे, वापस जा रहे हैं। महापौर ने कहा कि गार्डन में न्यूसेंस न हो, इसके लिए पुख्ता प्रबंध किए जाएंगे।
आ रही है जयपुर मेट्रो, मोदी-मोदी मत चिल्लाओ'
निशुल्क दवा वितरण से पहले डॉक्टर उनसे पट्टी तक मंगवा लेते थे और ये पुलिस वाले है कि एक जमाने में कागज का दस्ता मंगवाते थे। सरकार कोई भी हो पैसे की तंगी हर जगह है, लेकिन विकास भी अपनी प्राथमिकता है।
डॉक्टर अतिरिक्त ड्यूटी देकर विरोध जताएं, न कि हड़ताल करें : गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डॉक्टरों से कहा कि यदि वे किसी बात पर अपना विरोध जाहिर करना चाहते हैं तो इसके लिए अतिरिक्त ड्यूटी देना शुरू कर दें, जहां आठ घंटे काम करना होता है, वहां वे दस घंटे काम करें। सरकार समझ जाएगी कि डॉक्टर असंतुष्ट हैं और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार होगा।
वे शनिवार को महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड टेक्नोलॉजी में कॉर्डियक और क्रिटिकल केयर सेंटर के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने चिंता जताई कि जरूरत के हिसाब से डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। मानस आरोग्य सदन की शुरुआत सितंबर से होने की पूरी उम्मीद है।
यहां हार्ट से जुड़े ऑपरेशन भी होंगे। चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा ने कहा कि मेडिकल टूरिज्म के लिए काफी काम हो चुका है। इसे लेकर कई विदेशी दौरे भी हो चुके हैं। अब प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है और वे सरकार को जल्द ही एक रिपोर्ट पेश करेंगे। इस अवसर पर ट्रस्टी डॉ. एमएल स्वर्णकार, हरि गौतम, डॉ. करणसिंह, डॉ. युगल मिश्रा ने भी विचार व्यक्त किए।
दंगों के बाद अटल ने कलाम से कहा था, 'मत जाइये गुजरात'
फरवरी 2002 में गुजरात दंगों के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के गुजरात का दौरा करने से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी असहज थे। वाजपेयी ने कलाम से पूछा था, 'क्या आप इस वक्त गुजरात जाना जरूरी समझते हैं?'
अपनी नई किताब में यह खुलासा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने कहा है कि उस वक्त गुजरात के उनके प्रस्तावित दौरे को लेकर उन्हें कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ा था और मंत्रालयों और बाबूओं ने उन्हें गुजरात के मामले में उस वक्त दखल न देने की सलाह दी थी।
किताब में अपनी गुजरात यात्रा का जिक्र करने के बाद कलाम ने लिखा है, 'दूसरों के विचारों के प्रति बढ़ती असहनशीलता और दूसरों के जीवन और धर्म के प्रति बढ़ती अवमानना या इन मतभेदों को जाहिर करने के लिए की गई हिंसा को किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता।'
आंखों से जुड़ी हर बीमारी का ये है रामबाण इलाज
आंखें अनमोल है आंखो से सबंधित किसी भी समस्या को जड़ से केवल योग ही मिटा सकता है। हस्तमुद्रा में प्राण मुद्रा करने से भी आंखों से जुड़ी कई परेशानियां दूर होती हैं।
कैसे बनाएं मुद्रा- अंगूठे से तीसरी अनामिका तथा चौथी कनिष्ठिका अंगुलियों के पोरों को एकसाथ अंगूठे के पोर के साथ मिलाकर शेष दोनों अंगुलियों को अपने सीध में खड़ा रखने से जो मुद्रा बनती है उसे प्राण मुद्रा कहते है।
लाभ - दिल के रोग में रामबाण तथा आंखो की ज्योति बढाने में यह मुद्रा बहुत सहायक है। इससे आंखों से जुड़ी कई परेशानियां दूर होती है। साथ ही यह प्राण शक्ति बढ़ाने वाला भी होता है।प्राण शक्ति प्रबल होने पर मनुष्य के लिए किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्यवान रहना अत्यंत सहज हो जाता है। वस्तुत: दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है।इस मुद्रा की विशेषता यह है कि इसके लिए अवधि की कोई बाध्यता नहीं। इसे कुछ मिनट भी किया जा सकता है। दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है। इस मुद्रा की विशेषता यह है कि इसके लिए अवधि की कोई बाध्यता नहीं। इसे कुछ मिनट भी किया जा सकता है।
कलाम ने तैयार करवा रखी थी सोनिया के नाम की चिट्ठी
नई दिल्ली. पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने विदेशी मूल का मुद्दा उठा कर सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया था। अब तक प्रचारित की जा रही इस बात को खुद कलाम ने गलत साबित कर दिया है। कलाम राजनीतिक पार्टियों के भारी दबाव के बावजूद सोनिया को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाने के लिए पूरी तरह तैयार थे। उन्होंने उनके नाम की चिट्ठी तक तैयार करवा रखी थी।
कलाम ने यह बात अपनी नई किताब 'टर्निंग पॉइंट्स' में बताई है। कलाम की यह किताब 'विंग्स ऑफ फायर' का दूसरा संस्करण है। किताब जल्द ही बाजार में आने वाली है। फिलहाल इसका कुछ अंश मीडिया में आया है। इसके साथ ही उन चर्चाओं पर विराम लग गया जिसमें कहा जा रहा था कि कलाम ने 2004 में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर ऐतराज जताया था।
किताब में कलाम ने कई यादें साझा की हैं। उन्होंने यूपीए सरकार के साथ तनाव भरे रिश्तों का भी जिक्र किया है। उन्होंने किताब में लिखा है कि मई 2004 में हुए चुनाव के नतीजों के बाद सोनिया गांधी उनसे मिलने आई थीं। राष्ट्रपति भवन की ओर से उन्हें प्रधानमंत्री बनाए जाने को लेकर चिट्ठी तक तैयार कर ली गई थी। उन्होंने कहा है, 'यदि सोनिया गांधी ने खुद प्रधानमंत्री बनने का दावा पेश किया होता, तो मेरे पास उन्हें नियुक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। 18 मई 2004 को जब सोनिया गांधी मनमोहन सिंह को लेकर आईं, तो मुझे आश्चर्य हुआ।
सोनिया गांधी ने मुझे कई दलों के समर्थन के पत्र दिखाए। मैंने उनसे कहा कि उनकी सुविधा के मुताबिक वह शपथ दिलाने को तैयार हैं। सोनिया ने बताया कि वह मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के पद पर मनोनीत करना चाहती हैं। ये मेरे लिए आश्चर्य का विषय था और राष्ट्रपति भवन सचिवालय को चिट्ठियां फिर से तैयार करनी पड़ीं।'
भाजपा और दूसरी पार्टियां अब तक अक्सर यही प्रचारित किया करती थीं कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनना चाहतीं थीं, लेकिन राष्ट्रपति कलाम ने उनके विदेशी मूल का मुद्दा उठा कर इस पर सवाल उठा दिया था और कहा था कि उन्हें संवैधानिक मशविरा करना होगा। तब सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह का नाम सुझाया था।