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01 जुलाई 2012

कांग्रेस-राकांपा कार्यकर्ताओं के बीच चली गोलियां, 2 की मौत व 8 घायल

कोल्हापुर। जिले में रविवार को गोलीबारी की घटना में राकांपा के दो कार्यकर्ताओं की मौत हो गई और आठ घायल हो गए।

कागल पुलिस ने बताया कि यह हादसा कागल तहसील के बेल्वले बुदरक गांव में हुआ। एक निर्माणाधीन नाले के कार्य को लेकर कांग्रेस के एक कार्यकर्ता आंनदू मंकू पाटील और राकांपा के कार्यकर्ताओं के बीच विवाद हो गया था और शाहू चौक पर भी दोनों समूहों के बीच वाद- विवाद हुआ।

इस दौरान पाटील और उसके पुत्र ने राकांपा कार्यकर्ताओं पर कथित तौर पर गोलियां चला दीं। इस गोलीबारी में दस व्यक्ति घायल हो गए जिन्हें कोल्हापुर सिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां इलाज के दौरान इनमें से दो लोगों की मौत हो गई। मृतकों की शिनाख्त रवि आनन्द डोंगले और प्रकाश विलास पाटील के रुप में हुई है।

इस 1 बात की बांध लें गांठ!..तो न आएगी 100 झूठ बोलने की नौबत


किसी भी रूप से भरोसा कमजोर होते ही व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में उथल-पुथल मच जाती है। क्योंकि असल में हर रिश्ता विश्वास की मजबूत नींव पर खड़ा रहता है। यही विश्वास भक्त और भगवान के संबंधों में भी बहुत अहमियत रखता है।

शास्त्रों में रिश्तों में विश्वास को कायम रखने के लिए ही जिस सूत्र को जीवन में उतारने, अपनाने के लिए सबसे जरूरी माना गया है। वह सूत्र चरित्र, व्यक्तित्व, व्यवहार और विचार को इतना पावन बना देता है कि इंसान को शक्ति और आत्मविश्वास से भर हमेशा निर्भय रखता है। शास्त्रों में बताया यह बेजोड़ सूत्र है -

सत्य को अपनाना।

शास्त्रों के मुताबिक सत्य ही भगवान है। इसलिए आचरण, विचार, वाणी, कर्म, संकल्प सभी में सत्य का होना ईश्वर का जप ही है। फिर इंसान अगर देव उपासना के धार्मिक कर्मकाण्डों से चूक भी जाए तो भी वह भगवान का कृपा पात्र बना रहता है। हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता में भी सत्य की अहमियत बताते हुए लिखा गया है कि - नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सत:।

सरल अर्थ है कि असत्य नाशवान होता है, बल्कि सत्य का कभी नाश नहीं होता, न ही कोई बदलाव नहीं होता है।

सांसारिक जीवन में नष्ट होने वाली चीजों या विषयों से इंसान मोह करता है, किंतु सत्य जैसे अमरत्व का सूत्र अपनाने में बहुत विचार और तर्क करता है। जबकि सत्य को संकल्प के साथ अपनाने की कोशिश करे तो वह इंसान की ताकत बन जीवन में शांति व सुख लाकर प्रतिष्ठा और यश का कारण बनता है।

अध्यक्ष-सचिव को कितना वेतन, पता नहीं यूआईटी को


कोटा. यूआईटी को नहीं पता कि उनके सचिव आरडी मीणा की आय कितनी है। उनके वेतन और भत्ते कितने हैं। सुनने में यह भले ही अजीब भरी लगे, लेकिन इस संबंध में आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना यूआईटी ने देने से इंकार कर दिया। यूआईटी ने अध्यक्ष रवींद्र त्यागी के भत्ते भी नहीं बताए। सूचना मांगने वाले ने जब इस संबंध में अपील की तो उसे चक्कर पर चक्कर कटवाए जा रहे हैं।

साजीदेहड़ा निवासी दीन मोहम्मद ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत 18 अप्रैल को यूआईटी से चार सूचनाएं मांगी थी। जिसमें यूआईटी अध्यक्ष रवींद्र त्यागी, सचिव आरडी मीणा, तहसीलदार सुरज्ञानी मीणा व कानूनगो इमामुद्दीन के वेतन, भत्ते, खर्च, इनकम टैक्स रिटर्न तथा आय के स्त्रोत की जानकारी मांगी गई थी। यूआईटी ने 9 मई को सूचना तो दी, लेकिन आधी-अधूरी जिसमें तहसीलदार व कानूनगो की बेसिक आय ही बताई है।

इसके अलावा अध्यक्ष व सचिव के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इस पर उसने प्रथम अपील की। अपील अधिकारी सचिव आरडी मीणा ही हैं। अपील के लिए दीन मोहम्मद जब यूआईटी पहुंचा तो कर्मचारियों ने 22 जून की तारीख दे दी। 22 जून को पहुंचा तो 29 जून को बुलाया। 29 को कहा कि सूचना मांगने से होगा क्या, सचिव से जाकर मिल लो। उनसे बात कर लो। समझौता कर लो।

क्यों मांगी जा रही है सूचना

जिस दीन मोहम्मद ने आरटीआई के तहत सूचना मांगी है, उसका व उसके भाई नूर मोहम्मद के साजीदेहड़ा में बन रहे मकान को पिछले दिनों यूआईटी ने तोड़ दिया था। दीन मोहम्मद के भाई मोहम्मद हुसैन का कहना है कि उस स्थान पर बन रहे अन्य मकानों को यूआईटी ने नहीं तोड़ा, केवल राजनीतिक द्वेषता के चलते हमारा मकान तोड़ा गया।

‘अधिकारियों की आय की सूचना आजकल यूआईटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। जो सूचना सार्वजनिक है, उसे हम छुपाएंगे क्यों। अपील अधिकारी सचिव आरडी मीणा हैं।’

- गोपालराम बिरधा, उपसचिव एवं सूचना अधिकारी यूआईटी

अध्यक्ष-सचिव को कितना वेतन, पता नहीं यूआईटी को


कोटा. यूआईटी को नहीं पता कि उनके सचिव आरडी मीणा की आय कितनी है। उनके वेतन और भत्ते कितने हैं। सुनने में यह भले ही अजीब भरी लगे, लेकिन इस संबंध में आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना यूआईटी ने देने से इंकार कर दिया। यूआईटी ने अध्यक्ष रवींद्र त्यागी के भत्ते भी नहीं बताए। सूचना मांगने वाले ने जब इस संबंध में अपील की तो उसे चक्कर पर चक्कर कटवाए जा रहे हैं।

साजीदेहड़ा निवासी दीन मोहम्मद ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत 18 अप्रैल को यूआईटी से चार सूचनाएं मांगी थी। जिसमें यूआईटी अध्यक्ष रवींद्र त्यागी, सचिव आरडी मीणा, तहसीलदार सुरज्ञानी मीणा व कानूनगो इमामुद्दीन के वेतन, भत्ते, खर्च, इनकम टैक्स रिटर्न तथा आय के स्त्रोत की जानकारी मांगी गई थी। यूआईटी ने 9 मई को सूचना तो दी, लेकिन आधी-अधूरी जिसमें तहसीलदार व कानूनगो की बेसिक आय ही बताई है।

इसके अलावा अध्यक्ष व सचिव के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। इस पर उसने प्रथम अपील की। अपील अधिकारी सचिव आरडी मीणा ही हैं। अपील के लिए दीन मोहम्मद जब यूआईटी पहुंचा तो कर्मचारियों ने 22 जून की तारीख दे दी। 22 जून को पहुंचा तो 29 जून को बुलाया। 29 को कहा कि सूचना मांगने से होगा क्या, सचिव से जाकर मिल लो। उनसे बात कर लो। समझौता कर लो।

क्यों मांगी जा रही है सूचना

जिस दीन मोहम्मद ने आरटीआई के तहत सूचना मांगी है, उसका व उसके भाई नूर मोहम्मद के साजीदेहड़ा में बन रहे मकान को पिछले दिनों यूआईटी ने तोड़ दिया था। दीन मोहम्मद के भाई मोहम्मद हुसैन का कहना है कि उस स्थान पर बन रहे अन्य मकानों को यूआईटी ने नहीं तोड़ा, केवल राजनीतिक द्वेषता के चलते हमारा मकान तोड़ा गया।

‘अधिकारियों की आय की सूचना आजकल यूआईटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। जो सूचना सार्वजनिक है, उसे हम छुपाएंगे क्यों। अपील अधिकारी सचिव आरडी मीणा हैं।’

- गोपालराम बिरधा, उपसचिव एवं सूचना अधिकारी यूआईटी

अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष से भिड़े जमाते इस्लामी के सचिव

जयपुर.अल्पसंख्यकों और दलितों पर हुए अत्याचारों को लेकर सद्भावना मंच राजस्थान की ओर से रविवार को रखी गई जनसुनवाई में अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष माहिर आजाद और जमाते इस्लामी हिंद के सचिव इंजीनियर सलीम भिड़ गए। विवाद की शुरुआत आजाद की टिप्पणी से हुई। इस टिप्पणी पर काफी देर तक दोनों में वाक्युद्ध चलता रहा।


आजाद ने गोपालगढ़ मामले में पीड़ित पांच लोगों को जेल में रखे जाने के मुद्दे पर कहा कि जिन पीड़ितों को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल में रखा, उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से जेल में रखा गया। आजाद के इतना कहते ही सलीम भड़क गए।

सलीम ने कहा कि आप कैसे अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष हैं। यदि लोगों को जेल में डालकर ही सुरक्षा दी जा सकती है तो देश के सारे मुसलमानों को जेल में डाल दो। सरकार न्याय देते समय वोटों का हिसाब लगाती है और पीड़ित के साथ न्याय करने की बजाय अधिक वोटों वालों का पक्ष लेती है। सरकार यह नहीं भूले कि जब जनता का समय आएगा तो वह हिसाब चुकता करने में देर नहीं लगाएगी।

सांप्रदायिक घटनाओं के पीड़ितों ने बयां किया दर्द

जनसुनवाई में सांप्रदायिक घटनाओं से पीड़ित अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों और दलितों ने आपबीती सुनाई। गोपालगढ़ के मौलाना अब्दुल रशीद और डॉ. खुर्शीद ने बताया कि 13 सितंबर, 2011 को अचानक ही कुछ लोगों ने अब्दुल गनी की मोबाइल की दुकान पर हमला कर लूटपाट व तोड़फोड़ की। अब्दुल गनी से मारपीट और लूट की गई और गोपालगढ़ मामले में उन्हीं को झूठे केस में फंसा कर जेल में डाल दिया गया।

जनसुनवाई में गोपालगढ़ के अलावा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, गंगानगर, सज्जनगढ़, जयपुर और दौसा से मुस्लिम, इसाई और दलित समुदाय के पीड़ित लोगों ने आपबीती सुनाई। जनसुनवाई के पैनल में जस्टिस शिव कुमार शर्मा, महाधिवक्ता जीएस बापना, वरिष्ठ पत्रकार नीलाभ मिश्र और माहिर आजाद शामिल थे।

कुरान का सन्देश

एनकाउंटर पर मंत्रियों में 'मुठभेड़'



नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीआरपीएफ और नक्सलियों के बीच हुए एनकाउंटर पर अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मंत्रियों के बीच राजनीतिक 'मुठभेड़' चल रही है।


केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री चरणदास महंत ने कहा है कि बांसगुड़ा में हुई मुठभेड़ फर्जी है और इस बारे में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को गलत जानकारी दी है। महंत का कहना है कि मरने वालों में ज्यादातर नाबालिग बच्चे हैं।


वहीं छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने विवादित बयान देते हुए कहा कि दुश्मन के साथ खड़ा हर व्यक्ति दुश्मन होगा। लड़ाई के मैदान में दुश्मन की ओर से कोई भी समझौता कराने नहीं आएगा। नक्सली बच्चों का भी इस्तेमाल करते हैं। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने एनकाउंटर को सही ठहराते हुए कहा है कि सीआरपीएफ के भी 9 जवान घायल हुए है।


वहीं केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत का कहना है मरने वालो में सात नाबालिग बच्चे हैं और एक का तो गला तक रेता गया है ऐसे में एनकाउंटर पर सवाल उठने लाजमी है। छ्त्तीसगढ़ कांग्रेस ने तो बीजापुर जिले के बांसागुड़ा में पुलिस के साथ नक्सलियों की कथित मुठभेड़ में महिलाओं एवं बच्चों के मारे जाने की घटना की जांच के लिए एक कमेटी बना दी है।


इस कमेटी के संयोजक कोंटा विधायक कवासी लखमा को बनाया गया है। उनके सहित 12 सदस्य इस कमेटी में रखे गए हैं। वे एक सप्ताह के भीतर पूरे मामले की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल को सौंपेंगे।

जया पार्वती व्रत आज, अखंड सौभाग्य देता है यह व्रत


आषाढ़ मास (हिंदू वर्ष का चौथा महीना) के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए विजया पार्वती व्रत किया जाता है। इसका वर्णन भविष्योत्तर पुराण में मिलता है। इस बार यह व्रत 1 जुलाई, रविवार को है।

इस व्रत के बारे में भगवान विष्णु ने लक्ष्मी को बताया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं के लिए है। इस व्रत को करने से स्त्रियां सौभाग्यवती होती हैं और उन्हें वैधव्य (विधवा) का दु:ख भी नहीं भोगना पड़ता। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-

व्रत विधि

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर जरुरी काम निपटा लें। इसके बाद नहाकर हाथ में जल लेकर जया पार्वती व्रत का संकल्प इस प्रकार लें-

मैं आनन्द के साथ स्वादहीन धान से एकभुक्त (एक समय भोजन) व्रत करूंगा। मेरे पापों का नष्ट करना व सौभाग्य का वर देना।

इसके बाद अपनी शक्ति के अनुसार सोने, चांदी या मिट्टी के, बैल पर बैठे शिव-पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें। स्थापना किसी मंदिर या ब्राह्मण के घर पर वेदमंत्रों से करें या कराएं। इसके बाद पूजन करें-

सर्वप्रथम कुंकुम, कस्तूरी, अष्टगंध, शतपत्र (पूजा में उपयोग आने वाले पत्ते) व फूल चढ़ाएं। इसके बाद नारियल, दाख, अनार व अन्य ऋतुफल अर्पित करें तत्पश्चात विधि-विधान से षोडशोपचार पूजन करें। माता पार्वती का स्मरण करें व उनकी स्तुति करें, जिससे वे प्रसन्न हों। अब निवेदन करें कि हे प्रथमे। हे देवि। हे शंकर की प्यारी। मुझ पर कृपा कर यह पूजन ग्रहण करें व मुझे सौभाग्य का वर दें। इस प्रकार निवेदन करने के बाद इस व्रत से संबंधी कथा योग्य ब्राह्मण से सुनें। कथा समाप्ति के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। बाद में स्वयं नमकरहित भोजन ग्रहण करें।

इस प्रकार जया पार्वती व्रत विधि-विधान से करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और हर मनोकामना पूरी करती हैं।

गुरु पूर्णिमा पर 1 आसान गुरु मंत्र बोल करें तमाम मुश्किलों का सफाया

हिन्दू पंचांग के आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि (3 जुलाई) गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा खासतौर पर गुरु भक्ति का पुण्य काल है। दरअसल, जिस ज्ञान, बुद्धि, बल के द्वारा इंसान जीवन को सफल बनाता है, वह गुरु की ही देन होती है।

जीवन यात्रा में यह जरूरी नहीं कि यह गुरु मात्र धर्म, अध्यात्म क्षेत्र या पहनावे से जुड़ा हो या कोई एक ही व्यक्तित्व हो, बल्कि हर वह इंसान, जो दु:ख के दलदल से दूर रख खुशहाली की राह बताने का ज्ञान, कौशल, सीख और भरोसा दे, गुरु माना गया है।

धर्मशास्त्रों में गुरु भक्ति के लिए ही एक आसान किंतु अपार गुरु और देव कृपा देने वाला मंत्र बताया गया है। इसमें गुरु को साक्षात् ईश्वर बताया गया है। गुरु को त्रिदेव रूपी 3 शक्तियों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ही स्वरूप माना गया है और उजागर किया गया है कि गुरु का ज्ञान बल त्रिदेवों की रचना, पालन व संहार शक्तियों के समान ही होता है। इस मंत्र के स्मरण से शिष्य या गुरु भक्त श्री, यश, प्रतिष्ठा, सुख और वैभव पाता है।

पदों पर रहकर जो मजे करते है वोह बाद में खुद की गंदगी को माँजबूरी बता कर हीरो बनना चाहते है इन्हें सजा मिलना चाहिए

दोस्तों हमारे देश में एक खास फेशन है जो सरकारी महत्वपूर्ण पदों पर होता है वोह अपने पद के रहें के दोरान तो अपने समाज जाती का भला नहीं करता लेकिन रिटायर होने के बाद मस्जिद और मन्दिर समितियों सहित समाज में सेवा भाव दर्शाता है जबकि इनमे कई वोह लोग होते है जो नोकरी के दोरान अपने समाज के ही दुश्मन बनकर काम करते है और इनका स्वभाव ना बाप बढ़ा न भय्या सबसे बढ़ा रूप्या वाला होता है .अब जनाब आप उच्च सरकारी पदों पर बेठे लोगों को ही लें जब नोकरी पर या पदों पर होते है तो खूब गुलामी करते है कानून का उलन्न्ग्घन करते है मनमानी करते है और फिर पद से उतरने के बाद अपे अनुभवों के आधार पर एक किताब लिखते है और अपनी मजबूरिय दर्शाकर खुद को पाक सफा बताना चाहते है ऐसे लोग जो पदों पर रहते हुए किसी भी प्रबाव के कारण सही फेसले नहीं ले पाते है बाद में अगर किताब लिख कर कन्फेस करते है तो उनके खिलाफ ऐसी मनमानी और कानून के उलन्न्घनों को लेकर मुकदमा दर्ज होना चाहिए वेसे राष्ट्रपति और दुसरे गिर्मामायी पदों पर बेठे लोगो को तो कानूनन ऐसे सीक्रेट बताने के भी अधिकार नहीं है फिर भी अगर ऐसा होता है तो हमारे देश की जनता और कानून चुप क्यूँ रहता है समझ में नहीं आता भाई ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

नाराज़ न हो भाइयों

दोस्तों देवदासियों की प्रथा के मामले में भास्कर अख़बार में छपी खबर को मेने पेस्ट किया है इस खबर में मेरे द्वारा कुछ ना तो जोड़ा गया है ना ही लिखा गया है में व्यक्तिगत तोर पर इस खबर से सहमत भी नहीं हूँ लेकिन इस खबर से नाराज़ जो लोग हुए हैं जो भडके हैं उनसे में शमा प्रार्थी हूँ और हाँ प्लीज़ अख़बार भास्कर जरुर पढिये जिसमे यह खबर छपी है हो सके तो भास्कर.कॉम खोलकर देखें उसमे भी यह खबर है .......

मनमोहन 'गिड़गिड़ाए' तो बदला कलाम ने फैसला


नई दिल्ली। मिसाइल मैन कलाम ने एक बार राष्ट्रपति पद से इस्तीफा लिख दिया था। तारीख थी 23 मई 2005। मसला था बिहार विधानसभा भंग करने का। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को गलत करार दिया था। मामले का जिक्र डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी किताब 'टर्निंग प्वाइंट ए जर्नी थ्रू चैलेंजेज' में किया है।


किताब में इस बात का भी उल्लेख है कि 2004 के आम चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद मनमोहन सिंह का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर पेश किया था। किताब जुलाई के पहले हफ्ते में रिलीज होने वाली है। कलाम ने इसमें बतौर राष्ट्रपति (2002-05) अपने अनुभवों को दर्ज किया है। शनिवार को इसके कुछ अंश सामने आए हैं।

सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री नहीं बनने पर

2004 के आम चुनाव के बाद तीन दिन तक किसी ने दावा पेश नहीं किया। 18 मई को सोनिया गांधी आईं और सरकार बनाने का दावा पेश किया। लेकिन समर्थकों की चिट्ठी साथ नहीं थी। राष्ट्रपति भवन ने सारी तैयारी कर ली थी। रात सवा आठ बजे मनमोहन सिंह के साथ सोनिया गांधी फिर आईं। बतौर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम प्रस्तावित कर दिया। मैं चौंक गया था। नाम बदल कर सभी औपचारिकताएं नए सिरे से करनी पड़ीं।

कई लोगों ने आपत्ति जताई थी

उस दौरान कई दलों और संस्थाओं ने ई-मेल और पत्र भेजकर सोनिया गांधी का दावा स्वीकार नहीं करने की सलाह दी थी। लेकिन ये मांग संविधान सम्मत नहीं थी। अगर सोनिया गांधी खुद के लिए दावा पेश करतीं तो मेरे पास उसे स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं था।
इस्तीफा देने को लेकर

मैं मॉस्को के दौरे पर था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दो बार फोन किया। बिहार के राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा भंग करने के कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी। मैंने उनसे पूछा कि इतनी जल्दी क्या है। लेकिन सरकार मन बना चुकी थी। फिर मैंने भी विधानसभा भंग करने के आदेश पर दस्तखत कर दिए।

सरकार ने ठीक से पैरवी नहीं की

मुझे महसूस हुआ कि मेरे विशेष आग्रह के बाद भी सरकार ने राष्ट्रपति के फैसले को कोर्ट में सही ढंग से नहीं रखा। इसीलिए कोर्ट ने विपरीत टिप्पणी की। मैंने इस्तीफा लिख लिया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इससे हंगामा होगा और सरकार गिर सकती है। फिर मैंने फैसला बदल लिया।
गुजरात दंगों पर


वाजपेयी बोले थे, क्या जरूरी है जाना?

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझसे पूछा था कि क्या इस वक्त गुजरात जाना जरूरी है? मैंने कहा था कि यह मेरी जिम्मेदारी है। इससे लोगों की पीड़ा कम करने और राहत कार्यों में तेजी लाने में मदद मिलेगी। लोगों में एकजुटता का भाव भी आएगा।


राष्ट्रपति जी मुझे मां-बाबूजी दे दो

मैंने तीन राहत शिविरों और नौ दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। एक राहत शिविर में छह साल का एक बच्चा मेरे दोनों हाथ थाम कर बोला 'राष्ट्रपतिजी मुझे अपने मां-बाबू जी चाहिए।' मैं कुछ नहीं बोल पाया। वहीं कलेक्टर से बात की। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा दिलाया कि बच्चे की पूरी जिम्मेदारी सरकार उठाएगी।

विपक्ष के आरोपों की कलई खुली : कांग्रेस

कलाम के खुलासे पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि विपक्ष के आरोपों की कलई खुल गई है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है। सत्ता की चाबी आज भी सोनिया गांधी के हाथों में ही है। जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने मांग की है कि कलाम 17 मई 2004 की वो चिट्ठी दिखाएं जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी से उस दिन शाम पांच बजे मिलने का समय रद्द कर दिया था।

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने इसे अप्रासंगिक बताया है। पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, यदि कलाम ने 2004 में ऐसा कहा होता, तो यह अलग स्तर का नैतिक बल होता। यह टिप्पणी अब उस तरह का नैतिक बल नहीं रखती है। उन्होंने घटना के आठ साल बीत जाने के बाद यह खुलासा किया है। उस समय जो इसकी प्रासंगिकता होती, वह आज नहीं है।

गर्भवती कांग्रेसी विधायक के साथ बलात्‍कार पर उतारू थे सैकड़ों लोग !


गुवाहटी। एक विधायक को प्‍यार करना इतना भारी पड़ सकता है, उसने कभी सोचा भी नहीं था। असम में गर्भवती विधायक रूमी नाथ और उनके दूसरे पति को शुक्रवार रात भीड़ ने लात और घूंसों से पीटा।


रूमी ने रविवार को यह कहकर सनसनी फैला दी कि भीड़ में शामिल सैकड़ों लोग उसके कपड़े फाड़ने की कोशिश कर रहे थे। इतना ही नहीं, नशे में धुत्त कुछ लोगों ने उनके साथ बलात्कार करने की कोशिश भी की।


दूसरी ओर विधायक से मारपीट के आरोप में रविवार को पुलिस ने पांच लोगों को अरेस्‍ट किया।



गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक दूसरी शादी करने के बाद पहली बार अपने शहर करीमगंज आई थीं। रूमी ने पिछले महीने ही अपने एक बांग्लादेशी फेसबुक मित्र से शादी की है।


रूमी बोरखोला क्षेत्र से विधायक हैं। शुक्रवार रात रूमी अपने दूसरे पति जकी जाकिर के साथ एक होटल में ठहरी थीं। देर रात करीब 200 लोगों ने होटल में घुसकर दोनों की पिटाई कर दी। रूमी और जाकिर दोनों को काफी चोटें आईं।


घटना के तुरंत बाद कांग्रेसी विधायक रूमी नाथ को पुलिस ने अपनी सुरक्गुषा में अस्पताल में भर्ती कराया और अगले दिन शनिवार को गुवहाटी पहुंचा दिया। गुवहाटी में पत्रकारों से बातचीत में रूमी नाथ ने कहा कि लोग भ्रष्टाचारी और चोर नेताओं का तो कुछ नहीं कर सकते लेकिन उनकी निजी जिंदगी में दखल दे रहे हैं। रूमी ने कहा कि जिन लोगों ने उन पर हमला किया वो उन्हें जानती तक नहीं है। रुमी ने यह भी कहा कि यह उनकी निजी जिंदगी का मामला है और किसी को भी इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है।

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