तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
13 जुलाई 2012
मेरे इस देश में कोई भी ऐसा मुस्लिम नेता बताओ जिसने मुसलमानों की समस्याएं उठाई हों और इनाम पाओ
सड़ा दिया हजारों क्विंटल गेहूं, पास जाने में भी आती है दुर्गंध
इस गोदाम में बरसात में भीगकर खराब हुए गेहूं की कीमत करीब 21 करोड़ रुपए है। एफसीआई ने यहां कच्ची जमीन पर तिरपाल ढककर ही 1 लाख 82 हजार टन गेहूं का भंडारण कर रखा था। 1 जुलाई से इस गेहूं का उठाव किया जा रहा है। यहां शुक्रवार को 60 हजार टन गेहूं पड़ा था। जो गेहूं भीगा है, उसमें फंगस लगी है और इतनी दरुगध आ रही है कि मुंह पर कपड़ा बांधना पड़ रहा है। कर काम करना पड़ रहा है। इसमें डेढ़ लाख बोरी गेहूं तो खाने लायक ही नहीं बचा। अब प्रशासन यहां पर खराब हो गेहूं को साफ कराने की कवायद में जुटा हुआ है।
आधे राजस्थान का एक दिन का खाना बर्बाद
06 लाख क्विंटल गेहूं पड़ा था खुले आसमान के नीचे।
1.50 लाख क्विंटल गेहूं खराब होने का अंदेशा है।
21 करोड़ के करीब कीमत बैठती है खराब हुए गेहूं की।
21 हजार बीघा से ज्यादा जमीन में पैदा होती है इतनी उपज।
3.75 करोड़ लोगों का एक दिन का खाना बर्बाद, यानी आधे राजस्थान (आबादी 6.86 करोड़) की एक दिन की भूख मिट सकती थी।
कोटा के पास केबल नगर के गोदाम में गेहूं की दुर्दशा देखी तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने आपा खो दिया। मैनेजर केसी मीणा को वे पकड़कर लाए और उनके मुंह पर गेहूं मार दिया। वे सफाई दे रहे थे कि हमने अधिकतर माल उठा दिया है, अगले दो-तीन दिन में यहां कुछ नहीं दिखेगा।
कालसर्प और नागपंचमी का योग बहुत ही दुर्लभ होता है और बहुत खास भी
ये घटना बहुत ही दुर्लभ है। पिछले 100 से अधिक सालों में ऐसा देखने में नहीं आया कि शनिवार को शुरू होने वाले कालसर्प योग जिसमें राहु-केतु अपनी नीच राशि में रहेंगे और इसी कालसर्प में नागपंचमी का पर्व आ रहा है।
राहु और केतु के कारण कालसर्प योग बनता है। राहु और केतु शनि के दोनों हाथ हैं। शनि किसी को कर्मो का फल देता है तो राहु और केतु के द्वारा ही देता है। शनिवार को ही राहु और केतु के कालसर्प योग बनने और इस कालसर्प योग में नागपंचमी का पर्व आने के कारण ये घटना बहुत बड़ी और असरदार रहेगी।
गौत्र विवादः जान पर खेल गई पुलिस, प्रेम विवाह करने वाले जोड़े को बचाया
दोनों ओर से ईंटें चलीं। स्थिति संभालने के लिए पुलिस ने अभियान चलाया। मौके पर पहुंची पुलिस ने बंधकों को मुक्त कराया। सामाजिक मर्यादाओं के खिलाफ जाकर कोर्ट के माध्यम से 28 मार्च को शादी करने वाले रविदास बस्ती के युवक संदीप व युवती अंजू के शहर में आने से गुरुवार रात को पूरी बस्ती में बवाल का माहौल बना रहा।
हालांकि इन लोगों ने घर आने से पहले पुलिस को सूचना नहीं दी। अगर पुलिस को मामले की खबर न लगती तो शायद ही ये दंपती शुक्रवार की सुबह देख पाता।
पंचायती फरमान को तोड़ा तो छावनी बनी बस्ती: रिश्ते में मौसेरे भाई-बहन लगने वाले संदीप व अंजू की शादी के खिलाफ बिरादरी की पंचायत ने फैसला दिया था कि वे कभी बस्ती में न लौटें। 12 जुलाई को रात 10 बजे के करीब लड़का अपनी पत्नी को लेकर अपने घर रविदास बस्ती आ गया। जब इस बात का पता लड़की वालों को चला तो वह रात्रि के समय लड़के वालों के घर से लड़की को ले गए तथा दोनों पक्षों में मारपीट हुई। इसके बाद लड़के पक्ष के परिवार को दंपती व रिश्तेदारों के साथ लड़की पक्ष के लोगों ने बंधक बना लिया। लोगों ने मौके पर पहुंचे पुलिस व प्रशासन की एक न सुनी और उन पर हमला बोल दिया। इसके बाद अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया।
सारी रात चला रेस्क्यू ऑपरेशन:मामला सामाजिक मर्यादाओं का बन गया था। पंचायत के फरमान के बाद पूरी बस्ती के लोग घरों की छतों पर उतर आए थे। पुलिस ने रात 11 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। बस्ती की संकरी गलियों में पुलिस वाहन नहीं जा रहे थे।
ऐसे सुरक्षित निकाला बंधकों को:पुलिस छतों से लोगों के हटने का इंतजार करती रही लेकिन सुबह होने का इंतजार भी नहीं किया जा सकता था। सुबह होने पर मामला विस्फोटक बन जाता। पुलिस लगभग डेढ़ दर्जन बंधक बनाए लोगों से 50 मीटर दूर थी। पुलिसकर्मी एक-एक करके उस घर तक पहुंच गए जहां लोगों को बंधक बनाया गया था। सभी को निकालकर चलने लगे तो छतों से ईंटें बरसने लगीं। कुछ देर बाद पुलिस ने स्थिति पर काबू पा लिया। पुलिस ने हमलावरों से लाठी, डंडे व लोहे की छड़ आदि हथियार भी बरामद किए हैं।
पुलिस प्रशासन के ये लोग हुए घायल:रेस्क्यू ऑपरेशन में एसडीएम मुकेश आहूजा, एसीपी राजकुमार वालिया, सीआईए इंस्पेक्टर कुलभूषण, एसएचओ बलदेव नगर पवन कुमार, ईएसआई रामकरण व सिपाही नरेश को भी चोटें आई।
टोंक में वक्फ सदर साहिबजादा मोहमद अहमद खान भय्या और प्रशासन की सुझबुझ से साम्प्रदायिक सोहार्द और अमन चेन कायम
टोंक जिला वक्फ कमेटी के चेयरमेन साहिबजादा मोहम्मद अहमद खान और स्थानीय जिला प्रशासन की सजगता और सतर्कता से टोंक भूमाफियाओं के खिलाफ कार्यवाही के बाद साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वालों की साजिशें नाकाम कर वहां शान्ति स्थापित हो गयी है ........ टोंक में वक्फ संपत्ति के कब्जेदार भूमाफियाओं ने पिछले दिनों चेयरमेन मोहम्मद अहमद खान भय्या ..नजीर भाई और गिरदावर पर अचानक प्राणघातक हमला कर गम्भीर घायल कर दिया था और तब ही से वहां माहोल बिगड़ गया था ..ताज्जुब तो इस बात पर थी के भाजपा समर्थित हमलावरों की कोंग्रेस के लोग पेरवी कर रहे थे लेकिन अलग अलग समाज के होने से टोंक में साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हो गयी थी वहन धारा १४४ अहतियात के तोर पर लगा दी गयी थी और और अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं होने के मामले से नाराज़ मुस्लिम समाज के लोग नाराज़ थे जिन्हें आज शुक्रवार को नमाज़ के बाद प्रशासन को ज्ञापन देना था ..टोंक बंद का आह्वान पहले ही लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए टाल दिया गया था ..कल टोंक में शांति समिति की बैठक हुई जिसमे प्रशासन सहित दोनों पक्षों के प्रतिनिधि मोजूद थे ..जिला वक्फ कमेटी सदर मोहम्मद अहमद भय्या ने साफ तोर पर कहा के वक्फ की एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देंगे चाहे उन्हें अपनी जान कुर्बान ही क्यूँ ना करना पढ़े ..उन्होंने प्रशासन और शांति समिति में उपस्थित दुसरे समाज के लोगों को समझाया के साम्प्रदायिक मामला नहीं है भूमाफियाओं से जुडा मामला है अपराधियों से जुड़ा मामला है जिनका कोई धर्म मजहब नहीं होता उन्होंने बताया के वक्फ के अधिकतम किरायेदार माली समाज के हैं और उनसे सभी के बहतर सम्बन्ध है जिन्हें रियायतें भी दी गयी है तो फिर यह मामला साम्प्रदायिकता का केसे हो सकता है उन्होंने .झूंठे मुकदमे वापस लेने और अपराधियों को पकड़ने ..वफ़ सम्पत्ति छुडवाने की मांग दोहराई ..सभी लोग इस बात से सहमत थे के कुछ भूमाफिया और अपराधियों के कृत्य के लियें सामप्रदायिक सद्भाव बिगड़ना बेमानी बात है और जिला प्रशासन में उपस्थित कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक महोदया ने भी इस मामले में वक्फ सम्पत्तियों पर कब्जे और वक्फ पदाधिकारियों की सुरक्षा की बात स्वीकारी निर्णय लिया गया के झूंठे मुकदमे वापस होंगे ...वक्फ के पदाधिकारियों को आवश्यकता मिलने अपर तुरंत पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई जायेगी और पुलिस जाब्ता वक्फ कार्य के वक़्त पदाधिकारियों के साथ रहेगा ..वक्फ की जो सम्पात्ति कब्जेदारों के पास है उनसे छुडवाई जायेगी और उपखंड मजिस्ट्रेट इस मामले में आवश्यक कार्यवाही करेंगे ..........इस तरह से करीब एक सप्ताह से साम्प्रदायिक तनाव का आनाव्श्यक माहोल झेल रहे टोंक के अमन पसंद लोगों ने राहत की सांस ली ...टोंक में अब प्रशासन ..वक्फ के पदाधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सूझ बुझ से सोहार्द और शांति कायम है और सभी खुशियाँ मना रहे है लेकिन इस मामले में जो लोग आरोपियों और भूमाफियाओं को बचाने के मामले में राजनीती कर रहे थे उन्हें मुंह की खाना पढ़ी है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
4.5 लाख पासवर्ड लीक: आपका Gmail भी खतरे में, इस तरह कर सकते हैं बचाव
नई दिल्ली. अमेरिकी इंटरनेट कंपनी याहू के लाखों यूजर्स के पासवर्ड लीक होने के साथ जीमेल, एओएल, हॉटमेल, कॉमकास्ट, एमएसएन, एसबीसी ग्लोबल, वेरीजोन, बेलसाउथ और लाइव.कॉम पर भी खतरा मंडराने लगा है। क्योंकि जिस सर्वर की सुरक्षा में सेंध लगाई गई वह 'याहू! वॉइस' का हिस्सा है। और याहू! वॉइस नॉन-याहू ईमेल एड्रेस के साथ साइन इन की अनुमति देता है।
याहू के चार लाख 53 हजार 492 यूजर्स के पासवर्ड लीक हो गए और उन्हें ऑनलाइन पोस्ट कर दिया गया है। खुद को the D33Ds Company कहने वाले ग्रुप ने इस करतूत की जिम्मेदारी ली है। एक सिक्योरिटी फर्म का कहना है कि ऐसा लगता है कि पासवर्ड SQL इंजेक्शन अटैक के जरिये हासिल किए गए।
पासवर्ड लीक होने की यह घटना नई नहीं हैं। कुछ दिनों पहले एक अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट लिंकडेन के 64 लाख अकाउंट्स की सिक्योरिटी से छेड़छाड़ हुई थी। हालांकि, लिंकडेन डायरेक्टर ने इस घटना के लिए अपने यूजर्स से माफी भी मांगी थी।
आपका पासवर्ड लीक हुआ या नहीं?
एक सिक्योरिटी फर्म ईमेल यूजर्स की सहूलियत के लिए इंतजाम किया है। सुकुरी मालवेयर लैब्स ने एक लिंक दिया है जिस पर चेक किया जा सकता है कि आपका पासवर्ड लीक हुआ है या नहीं या फिर आपके ईमेल से जुड़ी सूचनाओं से छेड़छाड़ हुई है या नहीं। इस लिंक http://labs.sucuri.net/?yahooleak क्लिक करें और जानें अपने ईमेल की जानकारी।
कायरों का देश? 20 मनचले सरे राह फाड़ते रहे लड़की के कपड़े, तमाशा देखते रहे लोग
समाज का दानवी चेहरा दिखाने वाली इन तीनों घटनाओं का ब्यौरा पढ़ने और असम की घटना के फोटो क्लिप देखने के लिए आगे क्लिक करें। क्या वाकई भारत कायरों का देश हो गया है, जहां ऐसी घटनाओं के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? पुलिस, जनता या फिर समाज की घटिया सोच