तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 जुलाई 2012
राजस्थान मदरसा बोर्ड के इंस्पेक्टर जनरल और मोलाना फजले हक के भाई मोलाना सामी के निधन से वक्फ और मदरसा बोर्ड सदमे में
क्या सांप लेते हैं बदला? जानिए कितना है सच
हिन्दू धर्म में सावन माह शिव भक्ति का शुभ काल है। इस काल में शिव और उनके नाम, स्वरूप और शक्तियों का अलग-अलग रूपों, तरीकों से स्मरण किया जाता है। भगवान शिव को कालों का काल भी माना गया है। शंकर के गले में नाग का हार पहनना और कंठ में विष उतार नीलकंठ बन जाना इस बात का प्रमाण है। सर्प भी काल का ही रूप माना गया है।
यही कारण है कि सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के पुण्य काल में नागपंचमी (23 जुलाई) पर नागों को देवता रूप में पूजकर सुख-शांति की कामना की जाती है। यह दिन नाग जाति के जन्म का भी माना गया है। नाग भक्ति की प्राचीन परंपरा में वक्त के बदलाव के साथ कुछ किवदंतियों, घटनाओं, लोक मान्यताओं और दुष्प्रचार के चलते नाग जाति के व्यवहार से जुड़ी कुछ भ्रांतियां और अंधविश्वास भी जुड़े।
इन बातों से पैदा भय ने जहां एक तरफ नाग जाति के प्रति हिंसा को बढ़ावा दिया, बल्कि भय की वजह से नाग पूजा पर प्रश्रचिन्ह भी लगाए।
सांपों से ही जुड़ी एक प्रचलित लोक मान्यता है कि सांप अपने साथी की मौत का बदला लेते हैं। यह भी कहा जाता है कि नाग को मारने पर नागिन की आंखों में मारने वाले की तस्वीर उभर आती है, जिसके जरिए वह संबंधित को ढूंढकर डसती है। क्या वाकई सर्प बदला लेते हैं? जानिए विज्ञान के नजरिए से इससे जुड़ा सच-
असल में, सांपों की ध्राण शक्ति यानी सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है। प्राकृतिक रूप से भी सर्प अपने शरीर से एक खास तरह की गंध वाला पदार्थ छोड़ते हैं, जिसे फेरामोन नाम से भी जाना जाता है। सूंघने की तेज क्षमता व गंध के प्रति संवेदनशील होने के कारण काफी दूर से आ रही इस गंध को सूंघकर वह सांप साथी से संपर्क या पहचान कर उस स्थान पर जा सकता है।
चूंकि सावन माह में बारिश का मौसम सांपो के मिलन और सक्रियता का काल होता है। वहीं मानव भी इसी वक्त दैनिक कामकाज या खेतीबाड़ी के चलते सांपो का सामना करता है। यही वजह है कि सांप साथी को आकर्षित करने के लिए या फिर मानव द्वारा भय के कारण हमला करने पर शरीर से विशेष गंधयुक्त पदार्थ छोड़ते हैं।
इस तेज और विशेष गंध के द्वारा दूसरा सर्प संबंधित स्थान पर या उस साधन तक पहुंच सकता है, जिसके द्वारा सर्प को मारा गया है। सर्प के इसी व्यवहार को कालान्तर में बढ़ा-चढ़ाकर सांप के बदला लेने की भावना से जोड़ दिया गया। वैज्ञानिक शोध भी इस तरह की भावना मानसिक धरातल पर सरिसर्प जाति में संभव नहीं मानता।
वहीं मानव भावनाओं और मानसिक स्तर पर सांप से कही अधिक विकसित है। इसलिए उसका यह कर्तव्य है कि सांप को अपनी ही तरह कुदरत का हिस्सा मानकर धामिक भावनाओं को कायम रखने के साथ यथासंभव सर्प जाति की प्राण रक्षा का संकल्प ले, न कि अंधविश्वास में डूबकर स्वयं के साथ पर्यावरण को असंतुलित करे।
क्या! इस 'कचरे' में छिपा है 320 टन सोना और 7500 टन चांदी
विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया में कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टेबलेट तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में हर वर्ष करीब 320 टन सोना और 7500 टन चांदी का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें से सिर्फ 15 प्रतिशत धातु ही वापस निकल पाती है।
शेष कचरे में बदल कर बर्बाद हो जाती है। इन उच्च तकनीक वाले उपकरणों के निर्माण में हर वर्ष करीब 21 अरब डॉलर अर्थात लगभग 1155 अरब रुपए मूल्य के सोने-चांदी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें से 16 अरब डॉलर का सोना तथा 5 अरब डॉलर की चांदी होती है।
घाना की राजधानी अक्रा में हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय द्वारा ई-कचरे पर आयोजित एक सम्मेलन में विशेषज्ञों ने बताया कि खनन अयस्क से निकलने वाली बहुमूल्य धातु का 40 से 50 गुना ई-कचरे में उपलब्ध है।
विशेषज्ञों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक और बिजली उपकरणों में वर्ष-2001 में करीब 197 टन सोने का इस्तेमाल हुआ, जो सोने के कुल उत्पादन का 5.3 प्रतिशत था। यह पिछले वर्ष बढ़कर 320 टन हो गया जो विश्व के कुल उत्पादन का 7.7 प्रतिशत है।
इस दशक के दौरान विश्व में सोने की आपूíत में 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ। ई-कचरे का सही ढंग से निपटान नहीं होने के कारण विकासशील देशों का करीब 50 प्रतिशत सोना बर्बाद हो जाता है। विकसित देशों में यह स्थिति कुछ बेहतर है फिर भी वहां करीब 25 प्रतिशत सोना कचरे के साथ दफन हो जाता है।
विश्व में इलेक्ट्रॉनिक और बिजली उपकरणों की बिक्री जिस तेजी से बढ़ रही है उसी तरह ई-कचरे में छिपे सोने-चांदी तथा अन्य बहुमूल्य धातुओं की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार हाल में बाजार में उतरे टेबलेट कंप्यूटरों की बिक्री की संख्या इस वर्ष दस करोड़ तक पहुंच सकती है। वर्ष-2014 में इसकी संख्या बढ़कर दोगुनी हो सकती है।
पर्यावरणविदों की मानें तो इसमें विकसित देशों से आयात के कारण 50,000 टन का और इजाफा होगा यद्यपि इसके आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। देश में ई-कचरे के निपटान की पुख्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण यह पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
नागपुर 10वें पायदान पर
देश के जिन 10 शहरों में सबसे अधिक ई-कचरा निकलता है उनमें मुंबई सबसे ऊपर है। इसके बाद दिल्ली, बंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, सूरत और नागपुर का नंबर है। देश में कुल ई-कचरे का 70 प्रतिशत हिस्सा दस राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और पंजाब में निकलता है।
सात साल में आठ गुना बढ़ा ई-कचरा
सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में ई-कचरा पिछले सात वर्षो में आठ गुना बढ़ गया है। केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार चालू वर्ष के अंत में देश में आठ लाख टन ई-कचरा होगा।
इस ज़हरीले जीव ने मचा रखा था आतंक, मंत्र पढ़ते ही सामने आ खड़ा हुआ!
हिंडौन सिटी/कोटा.गांव क्यारदाखुर्द निवासी 36 वर्षीय गुमान सिंह जाट को मंत्रों से जहरीले गोहर्रा पकडऩे की महारत हासिल है। शनिवार को मोहननगर स्थित एक घर में घुसे गोहर्रा को पलक झपकते ही पकड़कर गुमान सिंह ने अपनी महारत दिखाई तो मौके पर मौजूद हर कोई दांतों तले अंगुली दबा बैठा। इसके अलावा गुमान सिंह ने मिस्त्री बाजार के पास स्थित एक स्कूल परिसर में घुसे गोहर्रा को भी इसी तरह मंत्र पढ़कर पकड़ लिया।
मोहननगर निवासी अध्यापक मुकेश सोलंकी ने बताया कि शनिवार को सुबह उनकी पत्नी ने उनके घर में एक गोहर्रा को घुसते हुए देखा। घर में घुसकर गोहर्रा किसी स्थान पर छिप गया। इससे परिवार के लोगों में हड़कंप मच गया। परिवार के लोग डर के कारण घर से बाहर आ गए। मुकेश सोलंकी को जब क्यारदा खुर्द के गुमान सिंह जाट की इस महारत के बारे में पता लगा तो उन्होंने मोबाइल पर संपर्क कर गुमान सिंह को अपने घर बुलाया।
गुमान सिंह ने घर के अंदर खड़े होकर कुछ मंत्र पढ़े और गोहर्रा सामने आ गया। पलक झपकते ही गुमान सिंह ने गोहर्रा को पकड़ लिया। तब जाकर मुकेश सोलंकी के परिवार के लोगों ने राहत की सांस ली। इस दौरान गोहर्रा ने वहीं शौच और मूत्र भी कर दिए। गुमान सिंह ने जहरीले गोहर्रा की जीभ निकालकर सभी को दिखाई। इसी तरह शनिवार को ही गुमान सिंह ने मिस्त्री बाजार के पास स्थित एक निजी स्कूल में घुसे गोहर्रा को इसी तरह मंत्र पढ़कर पकड़ लिया। गुमान सिंह की इस महारत को देखकर मौके पर मौजूद लोग आश्चर्य चकित रह गए।
क्यारदाखुर्द निवासी रामचरण जाट के पुत्र गुमान सिंह ने बताया कि वे करीब 7 माह से यह कार्य कर रहे है। बाबा जयगुरूदेव मथुरा वाले के सानिध्य में उन्होंने मंत्रों से गोहर्रा पकडऩे की महारत प्राप्त की है। उन्होंने बताया कि सात माह में वे अभी तक सैकड़ों से 'यादा जहरीले गोहर्रा पकड़कर लोगों को राहत प्रदान कर चुके है।
उन्होंने बताया कि पूर्व में वेयर हाउस के पास नरेश के मकान में सोए दो बच्चों के ऊपर करीब एक हाथ लंबा जहरीला गोहर्रा लटका हुआ था। कोई भी मकान के अंदर जाने को तैयार नहीं था। ऐसे में गुमान सिंह ने उस गोहर्रा को पकड़कर न केवल दो बच्चों की जान बचाई, बल्कि आसपास के लोगों को भी गोहर्रा के आतंक से राहत दी। गुमान सिंह ने बताया कि वे गोहर्रा को पकड़कर दूर जंगल में छोड़ देते है। गोहर्रा मुख्य रूप से एक जगह स्थापित हो जाते है तो वे आसानी से अपनी जगह नहीं छोड़ते। इसलिए उन्हें दूर जंगल में छोड़ा जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि वे इसके बदले कोई भी शुल्क नहीं लेते।
सोनियाजी थीं, वरना मेरा तो टिकट ही कटवा दिया था
बीकानेर में आपने क्या विवादित बयान दिया था?
मैंने कहा था-ये कांग्रेस का राज है, इसमें कांग्रेस की नीति में विश्वास करने वालों और रिजल्ट देने वालों को सही जगह पर नहीं लगाया गया।
किन अफसरों को किस विभाग में गलत लगाया है?
ऊर्जा, उद्योग, सिंचाई, पीएचईडी जैसे कई विभाग हैं। पॉलिसीज को कारगर बनाने के लिए सेलेक्टेड लोगों को लगाएं। चेंजेज करें। मुख्यमंत्री मुफ्त दवा योजना तो अच्छी है, पर इंप्लीमेंटेशन ढीला क्यों है? ऊर्जा में बाधाएं क्यों हैं? प्रोडक्शन क्यों नहीं बढ़ा है? कोयला गीला क्यों आ रहा है? इस सरकार की कई पॉलिसीज बहुत अच्छी हैं, लेकिन उनका इंप्लीमेंटेशन ठीक क्यों नहीं है? भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होती है?
तो आप अपने नेताओं को क्या नसीहत देंगे?
अब भी समय है। संभल जाओ। पॉलिसीज को इफेक्टिवली इंप्लीमेंट करो। सही जगह सही अफसर लगाओ। हमारे पास ईमानदार और रिजल्ट देने वाले अफसर भी हैं। ..मुंह न खोलूं तो ठीक है, लेकिन काफी कुछ करने की गुंजाइश है।
आपको क्या करने की गुंजाइश लगती है?
हम पावर प्रोडक्शन को ठीक कर सकते हैं। खर्च कम कर सकते हैं। कानून और व्यवस्था को दुरुस्त करें। हर विभाग में ठीक काम किया जा सकता है। सपोर्ट प्राइस पर गेहूं खरीद की जिम्मेदारी तो एफसीआई की थी, लेकिन हम गेहूं खरीद की सही-सही मॉनिटरिंग क्यों नहीं कर पाए? सहकारिता को क्यों नहीं ठीक करते? भू-सरंक्षण विभाग निष्क्रिय क्यों है? बांध क्यों बर्बाद हैं?
कांग्रेस में कितने गुट हैं?
दो ही अहम हैं।
क्या ये गुट अशोक गहलोत और सीपी जोशी के हैं?
मुझसे न पूछिए, ये कौन-कौन हैं। मुझे तो तकलीफ होती है। ..मुझ जैसे नेता का टिकट कटता है तो क्या ये गुटबाजी की पराकाष्ठा नहीं है? वो तो सोनिया जी थीं, वरना मेरा तो टिकट ही कटवा दिया था।
राज्य सरकार में कांग्रेस की टिकट पर जीता एक भी मीणा विधायक मंत्री क्यों नहीं है?
ये तो आप उन लीडरों से पूछो जो जिम्मेदार हैं। उनसे पूछो जो हाईकमान के नजदीक हैं। केंद्र में महासचिव रहे हैं। दूसरी बार मुख्यमंत्री हैं..ही इज कांग्रेस..।
आप सीधे-सीधे नाम क्यों नहीं लेते?
वे हमारे नेता हैं।
आप जैसा नेता इतना उपेक्षित क्यों है?
आम राजस्थानी को इस बात से तकलीफ है। प्रदेश के बाहर भी इस बात पर चिंतन होता है कि ये उपेक्षित हैं। ..मेरे समर्थक ऐसा सोचते हैं ..विधानसभा उपाध्यक्ष का पद दिलाने के मामले में मेरे समर्थन में मेरी पार्टी ही नहीं, वसुंधरा राजे, कटारिया, तिवाड़ी, अमराराम सभी मेरे पक्ष में थे।
आप जैसे नेता की जैसी सेवाएं ली जानी चाहिए, वैसी क्यों नहीं ली जा रहीं?
मैं 1960 से राजनीति में हूं। मैंने उस साल एक दिन पंडित नेहरू के साथ एकांत में बिताया। चार बार एमएलए, एक बार एमपी रहा हूं। आजकल वरिष्ठता आंकी नहीं जाती। सिद्धांत वाली बात रही नहीं। मैं किसी धड़े में हूं नहीं। मैं कांग्रेस का हूं। इसीलिए मेरा टिकट कटता रहा। गुटबाजों को फायदा रहता है। गुट का नेता आपको बचा लेता है।
आज के राजनीतिक हालात पर आप क्या कहते हैं?
हालात इसलिए ठीक हैं, क्योंकि विरोधी मजबूत नहीं है। वहां भी क्या कम धड़ेबंदी है!
कुछ लोगों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के लोगों को वोट डाले। वे अब भी मंत्रिमंडल में क्यों हैं?
अनुशासन का पालन हर स्तर पर होना चाहिए।
पिछले दिनों आपके इलाके में सरकार के एक मंत्री ने कांग्रेस के नेता नईमुद्दीन गुड्डू को हरवा दिया और
भाजपा के उम्मीदवार को जितवा दिया?
जिस मंत्री पर ये आरोप लगा है, वे सरकार में मुख्यमंत्री के बाद नंबर टू माने जाते हैं। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ एक भी शब्द बोलना क्या अच्छा संदेश देगा?
क्या ये शांति धारीवाल हैं?
मैं आजकल अजमेर संभाग से हूं, कोटा से नहीं। इसलिए क्या कहूं।
सरकार के कामकाज पर आपका क्या कहना है?
ये आखिरी साल है। छह महीने पहले काम वैसे ही बंद हो जाता है। सरकार घोषणाओं से नहीं, फील्ड में प्रैक्टिकली अच्छा करने और रिजल्ट देने से चलती है। कोरी घोषणाओं से कुछ नहीं होने वाला। व्यक्तिगत स्तर पर भी प्रदर्शन अच्छा होना जरूरी है।
अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के नेतृत्व में आप क्या समानताएं या अंतर देखते हैं?
जनता डेढ़ साल बाद अपने आप ये अंतर बता देगी। ..गहलोत गरीबोन्मुख ज्यादा हैं।
बिजली में क्यों है इतना कुप्रबंध?
मैं 52 साल से राजनीति में हूं..क्यों नहीं लगाए जा रहे सही अफसर सही पदों पर, बिजली विभाग में इतना कुप्रबंध क्यों है? योजनाएं अच्छी, लेकिन प्रभावी अमल नहीं, हमारा बहुमत फिर भी 33 में से 16 जिलों में ऐसे मंत्री प्रभारी क्यों, जिन्होंने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा, अब भी समय है, समझ जाइए।
आपको मंत्री क्यों नहीं बनाया गया?
मैं दो संभागों और पांच जिलों को रिप्रेजेंट कर चुका हूं। इस स्तर का एक भी नेता नहीं है। भैरोंसिंह जी रहे नहीं। मुझे तकलीफ है कि पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने वालों को मंत्री बना दिया। अनुशासन भंग करने वाले आज भी मंत्री हैं। इंदिरा जी को गाली देने वालों को इज्जत दी जाए तो तकलीफ क्यों नहीं होगी? ..33 में से 16 जिलों के प्रभारी ऐसे मंत्री क्यों हैं, जो कांग्रेस के खिलाफ जीतकर आए?
दिग्विजय को हो सकता है कैंसर : रामदेव
रायपुर।केंद्र सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण आज देश की अर्थव्यवस्था अधर में है। एक प्रतिशत लोग ही देश के अर्थतंत्र पर काबिज होकर बैठ गए हैं। इससे देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है और महंगाई दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अभी तक के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री साबित हुए हैं।
योग गुरु बाबा रामदेव ने रविवार को प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में यह बातें कही। स्वामी ने कांग्रेस नेता व मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके परिवार के सदस्यों को कैंसर हो रहा है। पाप के कारण हो सकता है कि उन्हें भी कैंसर हो जाए। बाबा ने कहा कि 9 अगस्त को दिल्ली में आयोजित आंदोलन देश के लिए निर्णायक होगा।
इसके लिए कई महीनों से जनता व जनप्रतिनिधियों से समर्थन मांगा जा रहा है। उन्होंने कहा देशभर के लगभग सौ सांसदों ने उन्हें आंदोलन के लिए समर्थन पत्र में हस्ताक्षर करके दिया है। छत्तीसगढ़ के 11 में से 8 सांसदों ने भी अपना समर्थन पत्र सौंप दिया है।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तो अगले चुनाव में सरकार में शामिल पार्टियों का सामाजिक एवं राजनीतिक बहिष्कार किया जाएगा। बाबा ने यह भी कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में वे अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगे, लेकिन खुद किसी राजनीतिक पद पर काबिज नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पाप का घड़ा भर चुका है। अब 2013 में ही अंतिम संस्कार हो जाएगा।
राहुल गांधी पर अप्रत्यक्ष तौर से निशाना साधते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब संजोने वाले नेता का हश्र यह हो रह है कि जहां जा रहे हैं पत्ता ही साफ हो जा रहा है। देश की जनता अब निर्णय लेने के मूड में आ गई है।
स्वामी रामदेव ने जल, जंगल, जमीन और अन्य आर्थिक संसाधनों की लूट के लिए केंद्र व राज्य सरकार दोनों को ही दोषी बताया। एक सर्वे के मुताबिक देश के किसानों की औसत मासिक आय मात्र 2115 रुपए है।
बाबा के पांच मुद्दे
-सीबीआई, सीवीसी, कैट, चुनाव आयोग और न्यायाधीश की नियुक्तिमें हो निष्पक्षता।
-केंद्र और राज्य सरकार बनाए सिटीजन चार्टर।
-शिक्षा में सदाचार को बढ़ावे की बने योजना।
-देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए व्यवस्था परिवर्तन जरूरी।
-साम्यवाद व पूंजीवाद से अलग कुछ अपनी मौलिक नीतियां बनानी होगी।
एटॉर्नी जनरल के स्वर्णमंदिर में जूता साफ करने पर पाकिस्तान में मचा बवाल
इस्लामाबाद.भारत के गुरुद्वारों और मंदिरों में कारसेवा करना डिप्टी एटॉर्नी जनरल खुर्शीद खान को महंगा पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने खुर्शीद पर विदेश में पाकिस्तान को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया है। खुर्शीद खान मार्च में बार एसोसिएशन के 200 सदस्यों के साथ भारत आए थे।
इस दौरान उन्होंने तालिबान और अपने गुनाहों के प्रायश्चित के लिए जामा मस्जिद, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर और दिल्ली के बिड़ला मंदिर में जूते पॉलिश व साफ-सफाई का काम भी किया था। बार के प्रेसीडेंट यासीन आजाद ने एक्सप्रेस ट्रिब्यून से कहा है कि खान को नोटिस देने की जिम्मेदारी पाकिस्तान सरकार की थी लेकिन इस काम को अंजाम देना पड़ा है।
उन्होंने कहा है कि खान ज्यादा सम्मानजनक तरीके से काम कर सकते थे। इस संबंध में खान ने बताया कि उन्हें अभी तक नोटिस नहीं मिला है, इसके बाद ही वह जबाव देने की तैयारी करेंगे। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, ‘इस तरह का नोटिस अटार्नी जनरल द्वारा जारी किया जाना चाहिए था। बार एसोसिएशन ने किस आधार पर नोटिस जारी किया है। क्या मुझ पर किसी भारतीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगा है। भारत दौरा करने वाले दल को किसी आचार संहिता के पालन का निर्देश नहीं दिया गया था।’
मैंने नहीं, पाक को कसाब ने बदनाम किया
खान ने सवाल किया, ‘पाकिस्तान को किसने बदनाम किया। हत्यारे अजमल कसाब ने या उस व्यक्तिने जिसने सेवाभाव से हिंदू, सिख और ईसाइयों के जूते साफ किए। मेरा उद्देश्य अपने देश को बदनाम करना नहीं, सेवा करना है।’
दो साल से कर रहे कारसेवा
दो साल पहले पेशावर से तालिबान ने तीन सिखों का अपहरण कर फिरौती मांगी थी। तीन में से दो सिखों को पाकिस्तान की सेना ने छुड़ा लिया था पर तीसरे सिख की तालिबान ने हत्या कर दी थी। इस घटना से आहत खुर्शीद खान ने धार्मिक स्थलों पर जाकर स्वेच्छा से सेवा शुरू की थी। उनके अनुसार सेवा के बाद उन्हें रुहानी सुकून मिलता है।
एटॉर्नी जनरल के स्वर्णमंदिर में जूता साफ करने पर पाकिस्तान में मचा बवाल
इस्लामाबाद.भारत के गुरुद्वारों और मंदिरों में कारसेवा करना डिप्टी एटॉर्नी जनरल खुर्शीद खान को महंगा पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने खुर्शीद पर विदेश में पाकिस्तान को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया है। खुर्शीद खान मार्च में बार एसोसिएशन के 200 सदस्यों के साथ भारत आए थे।
इस दौरान उन्होंने तालिबान और अपने गुनाहों के प्रायश्चित के लिए जामा मस्जिद, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर और दिल्ली के बिड़ला मंदिर में जूते पॉलिश व साफ-सफाई का काम भी किया था। बार के प्रेसीडेंट यासीन आजाद ने एक्सप्रेस ट्रिब्यून से कहा है कि खान को नोटिस देने की जिम्मेदारी पाकिस्तान सरकार की थी लेकिन इस काम को अंजाम देना पड़ा है।
उन्होंने कहा है कि खान ज्यादा सम्मानजनक तरीके से काम कर सकते थे। इस संबंध में खान ने बताया कि उन्हें अभी तक नोटिस नहीं मिला है, इसके बाद ही वह जबाव देने की तैयारी करेंगे। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, ‘इस तरह का नोटिस अटार्नी जनरल द्वारा जारी किया जाना चाहिए था। बार एसोसिएशन ने किस आधार पर नोटिस जारी किया है। क्या मुझ पर किसी भारतीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगा है। भारत दौरा करने वाले दल को किसी आचार संहिता के पालन का निर्देश नहीं दिया गया था।’
मैंने नहीं, पाक को कसाब ने बदनाम किया
खान ने सवाल किया, ‘पाकिस्तान को किसने बदनाम किया। हत्यारे अजमल कसाब ने या उस व्यक्तिने जिसने सेवाभाव से हिंदू, सिख और ईसाइयों के जूते साफ किए। मेरा उद्देश्य अपने देश को बदनाम करना नहीं, सेवा करना है।’
दो साल से कर रहे कारसेवा
दो साल पहले पेशावर से तालिबान ने तीन सिखों का अपहरण कर फिरौती मांगी थी। तीन में से दो सिखों को पाकिस्तान की सेना ने छुड़ा लिया था पर तीसरे सिख की तालिबान ने हत्या कर दी थी। इस घटना से आहत खुर्शीद खान ने धार्मिक स्थलों पर जाकर स्वेच्छा से सेवा शुरू की थी। उनके अनुसार सेवा के बाद उन्हें रुहानी सुकून मिलता है।