पहले चाबी का करते थे जुगाड़: दादाबाड़ी सीआई धर्मेंद्र ने बताया कि गिरोह में केवल कार खरीदने वाले व उन्हें ठिकाने लगाने वाले गिरफ्त में आए हैं। शेष त्न पेज १क्
वाहनों को चुराने वाले अभी तक पकड़े नहीं गए हैं, लेकिन 5 चोरों के नाम पुलिस को मिल गए हैं। अभी तक की जानकारी में यह सामने आ रहा है कि यह कार चुराने से पहले पहले उसकी डुप्लीकेट चाबी की व्यवस्था करते। अधिकतर वो कारें चोरी हुई हैं, जिनकी चाबी चोरी हो जाती थी या फिर गुम जाती थी।
गिरोह संभवत: कारों की बनने वाली डुप्लीकेट चाबियों का कोड चुराते थे। पुलिस को इसमें कंपनी के वर्कशॉप के कर्मचारी की मिलीभगत भी सामने आ सकती है। पुलिस अब संदिग्ध कर्मचारियों से भी पूछताछ करेगी। पुलिस ने बॉबी की शॉप को भी सील किया है। वहां से भी रिकार्ड बरामद किए जा रहे हैं।
ऐसे पकड़ में आया गिरोह
- 11 जुलाई को मुखबिर की सूचना पर वल्लभबाड़ी निवासी व कार बाजार में दुकान लगाने वाले बॉबी उर्फ दिनेश शर्मा को पुलिस ने पकड़ा।
- उसके पास से पुलिस को चोरी की वरना कार मिली, यह कार उसने टिपटा निवासी इंजीनियरिंग छात्र मोहित शर्मा पुत्र अरुण शर्मा से खरीदना बताया।
- पुलिस ने 13 जुलाई को मोहित को पकड़ा तो उसने 10 फरवरी को गोदावरीधाम के पास से डॉ. मनीष मेहता की कार चुराना स्वीकार किया।
- बॉबी ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि कारें जयपुर कार बाजार के व्यापारी जितेंद्र अग्रवाल ठिकाने लगाता है। इस पर पुलिस ने उसकी भी तलाश शुरू कर दी। मंगलवार को जितेंद्र को भी गिरफ्तार कर लिया। बॉबी व जितेंद्र के बताए गए स्थानों पर पुलिस ने 12 महंगी कारें भी बरामद की।
चोरों की पहली पसंद वरना
इसमें 06 वरना, एक सफारी, एक नैनो, एक बोलेरो, एक फिएस्टा, इंडिगो, एक रिट्ज कार शामिल है। यह कारें जयपुर के शिप्रा थाने, दो दिल्ली के मालवीय नगर, एक कालजी, तिलक नगर व कोटा से चुराई हैं। इनके पास से फर्जी नंबर प्लेट, फर्जी रजिस्ट्रेशन, चाबियां, मोहरें बरामद की हैं। बॉबी व मोहित फिलहाल जेल में हैं।
महंगी कारों का शौक था मोहित को
प्रशिक्षु आईपीएस विकास शर्मा ने बताया मोहित को महंगी कारें चलाने का शौक है। उसने गोदावरीधाम के सामने से मेरिज गार्डन के बाहर खड़ी वरना कार का गेट खुला पाया तो उसका मन ललचा गया। वह वहां अपना कुत्ता घुमाने गया था। मोहित शहर के प्रतिष्ठित परिवार से है। उसके दादा रिटायर्ड सरकारी अफसर हैं।
फर्जी रजिस्ट्रेशन बनाकर बेचते थे कारें
डीएसपी चंद्रशील ने बताया कि गिरोह कार चुराने के बाद फर्जी नंबर प्लेट लगाते था। 10 लाख से ज्यादा कीमत की कार को महज 2 से 3 लाख रुपए में बेच देते थे। कार खरीदने वाले से कागजात के लिए छह माह का समय लेते और हिंडौन निवासी एक व्यक्ति की मदद से उसके फर्जी दस्तावेज बना लेते। पुलिस उस व्यक्ति को पकड़ने में जुटी हुई है। उसके बाद ही कागजात बनाने की असली कहानी सामने आएगी।