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21 जुलाई 2012

साल में सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है ये नाग मंदिर

हिंदू धर्म में प्राचीन काल से नागों की पूजा करने की पंरपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का। इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन श्रावण शुक्ल पंचमी यानी नागपंचमी (इस बार 23 जुलाई, सोमवार) के दिन ही दर्शनों के लिए खोला जाता है।

कैसे पहुचें

उज्जैन शहर भोपाल-अहमदाबाद रेल खण्ड पर स्थित एक पवित्र धार्मिक नगर है। यहां हर ट्रेन रुकती है। इंदौर यहां से केवल 65 किलोमीटर दूर है। उज्जैन रेलवे स्टेशन से महाकालेश्वर मंदिर मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां आवागमन के साधन आसानी से मिल जाते हैं।

:परिजनों और गांववालों का विकराल रूप देख फूले पुलिस के हाथ पांव!


उदयपुर.फ्रिज, टीवी, कूलर, पंखे और घर का सारा सामान तहस नहस। सैकड़ों गांव वालों के साथ महिलाओं ने हत्या के आरोपी उदयलाल डांगी के घर के भीतर ही चिता की लकड़ियां लगाना शुरू कर दिया।

सुखेर थाना क्षेत्र के शोभागपुरा गांव में बीती रात चाकूबाजी में मारे गए युवक शंकरलाल के परिवारजनों और गांव वालों के गुस्से ने शुक्रवार को इतना विकराल रूप धारण किया कि पुलिस वालों के भी हाथ पांव फूल गए। सुबह दस बजे से एक बजे तक आरोपी के मकान के बाहर व भीतर गुस्से से उफनाए लोगों ने खूब हंगामा किया। पूरे घर में जमकर तोड़फोड़ की गई और पुलिस इस दौरान कुछ नहीं कर सकी। लोग शंकर लाल का शव भी ले आए और घर के अंदर ही अंतिम संस्कार पर अड़ गए।

मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने लोगों को समझाया। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन व युवकों को कानून का डर दिखाकर शांत किया। इस बीच गांव की महिलाएं दाह संस्कार के लिए आरोपी के घर लकड़ियां लेकर पहुंच गईं। पुलिस अधिकारियों को शव घेर कर महिलाओं को समझाना पड़ा। तीन घंटे समझाइश के बाद शव को आरोपी के घर से ले जाया गया।

सड़क पर मिट्टी डालने को लेकर था विवाद

सूत्रों के अनुसार उदयलाल डांगी के घर निर्माण कार्य में छज्जा निकालने को लेकर विवाद शुरू हुआ। मामला सरपंच तक पहुंचा, लेकिन सरपंच ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उदयलाल डांगी ने अपने घर के आगे पूरी सीसी रोड पर मिट्टी डाली दी थी। पानी पड़ने से इस पर कीचड़ हो जाता था। शंकर ने सड़क से मिट्टी हटाने को कहा था। इसी को लेकर दोनों पक्षों में विवाद फिर खड़ा हो गया था।

तीन गिरफ्तार

शंकरलाल पुत्र मेघराज डांगी की हत्या के आरोप में पुलिस ने तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें उदयलाल डांगी के बेटे भरत और जगदीश सहित भरत का दोस्त परवीन डांगी शामिल है। थानाधिकारी रामसुमेर ने बताया कि ये तीनों शंकरलाल की हत्या करने की प्लानिंग से ही निकले थे। शंकर इन्हें सौ फीट रोड पर मिल गया। वहां तीनों ने मारपीट के बाद उसे चाकू घोंप दिया।

रिपोर्ट हुई तो तोड़-फोड़ करने वालों पर भी करेंगे कार्रवाई

'घर में तोड़ फोड़ होने के मामले में किसी की ओर से रिपोर्ट आती है तो तोड़-फोड़ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'

राम सुमेर, थानाधिकारी, सुखेर

शव देख घर में मचा कोहराम

शोभागपुरा में शंकर लाल का शव जैसे ही लाया गया, घर में कोहराम मच गया। बुजुर्ग पिता की रुलाई रोके नहीं रुक रही थी। बार-बार पिता को बुला रही बेटियों के स्वर सबको द्रवित कर रहे थे। यह नजारा हर ग्रामीण की आंखें नम कर रहा था। सबकी जुबां पर यही बात थी कि गांव का सबसे सीधा और व्यवहारशील लड़का था, नियति ने परिवार के साथ बुरा किया।

शंकर लाल को अंतिम विदाई देने के लिए पूरा गांव उसके घर के बाहर इकट्ठा हो गया। जैसे ही शवयात्रा शुरू हुई और शंकर को अंतिम विदाई देने का समय आया तो सैकड़ों आंखें छलक पड़ीं।

बेटियां बुला रही थीं पापा को

शंकर की तीन छोटी बेटियां विद्या, दीपू और अंजू शव के पास बैठकर अपने पापा को बार बार वापस आने के लिए कह रही थीं। छोटी बेटी को तो यह अंदाजा भी नहीं था कि उसे दुलारने वाले पापा को क्या हो गया है। उसे लग रहा था कि पापा जाग जाएंगे। बुजुर्ग पिता मेघराज भी हर पल भगवान से इस अन्याय की शिकायत कर रहा था। मेघराज दो दिन पहले ही अमरनाथ यात्रा से लौटा था।

सरपंच नहीं पहुंचा मौके पर

गांव वालों में सरपंच के नहीं आने से नाराजगी भी थी।वे उसे भी बुलाना चाहते थे। उन्होंने पुलिस वालों से उसे बुलाने की मांग की थी। रिश्तेदारों और गांववालों का आरोप था कि यह सब कुछ सरपंच की ढील के कारण हुआ है। यदि सरपंच कार्रवाई कर देता तो यह नौबत नहीं आती।

पिछले दिनों उदयलाल डांगी के घर निर्माण कार्य में छज्जा निकालने पर खड़े हुए विवाद के बाद मामला सरपंच तक गया था, लेकिन सरपंच ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसी ढील के चलते उदयलाल डांगी ने छज्जा निकाला था और तब से उसका और उसके बेटों का हौसला बढ़ गया था।

इस नदी का नाम लेते ही भाग जाते हैं सांप!


हिन्दू महीना सावन कालों के काल महाकाल यानी भगवान शिव की भक्ति का शुभ काल है। इसका एक व्यावहारिक पहलू तब सामने आता है जब शिव को ही प्रिय काल रूप नाग जाति इस काल में ज्यादा सक्रिय होती है। इसमें नागपंचमी के रूप में नाग पूजा का भी विशेष दिन नियत हैं।

हिन्दू धर्म पंचांग के मुताबिक सावन से शुरू चातुर्मास के चार माह नाग जाति का प्रजनन या मिलन काल भी माना जाता है। वहीं इस दौरान बारिश के पानी से उनके प्राकृतिक आवास खत्म जाते हैं और वहां से बाहर निकलने पर उनका सामना इंसान व अन्य जीवों के साथ होता है।

इस दौरान होने वाले टकराव के दौरान संकोची और संवेदनशील मानी जाने वाली नाग जाति का आत्मरक्षा के लिए आक्रामक होकर डंसना मनुष्य और अन्य जीवों के लिए प्राणघातक होता है।

शास्त्रों में इस विशेष काल में सांपों के काटने से बचने के लिए अहम सावधानियां और उपचार बताए गए हैं। किंतु कुछ ऐसे धार्मिक उपाय भी उजागर किए गए हैं जो आसान होने के साथ सर्प और उसके भय से छुटकारा देने में असरदार भी हैं। माना जाता है कि इनको अपनाने से सांप आस-पास भी नहीं फटकते।

विष्णु पुराण में ऐसा ही एक सरल उपाय बताया गया है। लिखा गया है कि -

नर्मदायै नम: प्रातर्नर्मदायै नमो: निशि।

नमोस्तु नर्मदे तुभ्यं त्राहि माँ त्राहि मां विषसर्पत:।।

इसका सरल शब्दों में मतलब है कि नर्मदा नदी का नाम लेनेभर से सांप भाग जाते हैं। क्योंकि पौराणिक मान्यताओं में नर्मदा नदी को भगवान शिव की पुत्री भी माना गया है और नागों के स्वामी भगवान शंकर ही हैं।

पवार की नाराजगी की वजह 26 हजार करोड़ का घोटाला?


नई दिल्ली.यूपीए की सहयोगी पार्टी एनसीपी और कांग्रेस के बीच खींचतान जारी है। शनिवार को मुंबई में पार्टी के नेता बैठक कर रहे हैं तो दिल्ली में पार्टी के नेता डीपी त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की। एनसीपी ने एक बार फिर साफ किया है कि वह यूपीए का हिस्सा बनी रहेगी। मुंबई एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री पटेल ने इस बात से इनकार किया कि उनकी पार्टी किसी तरह का दबाव बना रही है। उन्होंने कहा, 'हम लोग यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात कर चुके हैं और कांग्रेस के किसी शीर्ष नेता ने यह नहीं कहा है कि हम यूपीए पर दबाव बना रहे हैं। अगर कोई कांग्रेसी ऐसा कह रहा है तो वह सही नहीं है।'

इस बीच, शरद पवार के यूपीए सरकार से बाहर आने और सिर्फ बाहर से समर्थन देने की अटकलें तब तेज हो गईं जब पवार ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी। सूत्रों के मुताबिक इन चिट्ठियों में शरद पवार ने तीन मांगे ऱखी हैं। इनमें एनसीपी तारिक अनवर को राज्‍यसभा का उपसभापति बनाना, एनसीपी नेता जनार्दन वाघमारे को महाराष्‍ट्र का गवर्नर बनाया जाना और महाराष्‍ट्र के सीएम के कामकाज का तरीका बदले जाने जैसी मांग शामिल है। पवार ने लिखा है कि वे कैबिनेट से बाहर आकर सरकार को बाहर से समर्थन दे सकते हैं। एनसीपी सुप्रीमो ने इन मांगों पर फैसला करने के लिए सोमवार तक की डेडलाइन भी दे दी है।

लेकिन शरद पवार की नाराजगी की असली वजह क्या है? इस सवाल पर मीडिया में अटकलें लगाई जा रही हैं। टीवी चैनल टाइम्स नाउ ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में 26 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले और महाराष्ट्र सदन के निर्माण में 1 हजार करोड़ के कथित घोटाले की आंच से बचने के लिए यूपीए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा में सिंचाई घोटाले को लेकर एक श्वेत पत्र भी पेश किया गया था। इसी पत्र में बीते 10 सालों में सिंचाई के नाम पर खर्च हुए 70 हजार करोड़ रुपये में से 26 हजार करोड़ रुपये के हिसाब-किताब न होने की बात कही गई है। पिछले कई सालों से महाराष्ट्र का जल संपदा मंत्रालय एनसीपी के कोटे के मंत्रियों के पास रहा है। एनसीपी ने ताज़ा आरोप पर सफाई दी है कि 26 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का शरद पवार के ताज़ा रुख से कोई लेना देना नहीं है। पार्टी का कहना है कि पवार को पृथ्वी राज चव्हाण के कामकाज को लेकर परेशानी है।

इंडियन एक्सप्रेस ने यूपीए के लिए को-ऑर्डिनेशन कमिटी का गठन न होना, लवासा हिल स्टेशन प्रोजेक्ट को पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी न मिलना, स्पोर्ट्स बिल में उनकी राय का अजय माकन द्वारा नजरअंदाज ठहराया जाना, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मतभेद, खाद्य सुरक्षा कानून, स्कूटर्स इंडिया के डिसइन्वेस्टमेंट का प्रफुल्ल पटेल का प्रस्ताव खारिज किए जाने जैसी वजहें पवार और प्रफुल्ल पटेल की नाराजगी की वजह के तौर पर गिनाई हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक पवार की नाराजगी की चार अहम वजहें हो सकती हैं। इनमें पहला-प्रणब मुखर्जी के इस्तीफा देने के बाद पवार की निगाहें रक्षा, वित्त, विदेश या गृह मंत्रालय पर टिकी हैं। दूसरा-जूनियर नेता सुशील कुमार शिंदे को लोकसभा में नेता, सदन बनाए जाने की संभावना। तीसरा-भरोसेमंद सहयोगी होने की वजह से अच्छे मंत्रालय और फैसलों में ज़्यादा भागीदारी। चौथा-कांग्रेस की अपने बूते फैसले लेने की आदत, राज्यपालों, बैंक निदेशकों की नियुक्ति में सहयोगी पार्टियों को नजरअंदाज करना शामिल है।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी कांग्रेस और एनसीपी के बीच मतभेद के लिए चार कारण गिनाए हैं। इनमें पहला कारण-तारिक अनवर को राज्यसभा का उपसभापति बनाया जाना, राज्यपाल की नियुक्ति पर फैसले में शामिल किया जाना। दूसरा-यूपीए के सहयोगी दलों के बीच को-ऑर्डिनेशन मेकैनिज्म बनाया जाना। तीसरा-कांग्रेस और एनसीपी की महाराष्ट्र ईकाई के बीच ज़्यादा सहयोग और समन्वय और चौथा-कैबिनेट में नंबर दो की कुर्सी, भले ही सार्वजनिक तौर पर एनसीपी ने इससे इनकार किया हो।

चप्पे-चप्पे पर पुलिस, देश की राजधानी में आमने-सामने आए दो समुदाय


नई दिल्ली। जामा मस्जिद के पास बनाए जा रहे मेट्रो स्टेशन स्थित सुभाष मैदान को कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने सील कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान (एएसआई) के हवाले कर दिया।

गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मस्जिद निर्माण पर रोक लगाकर विवादित जमीन को एएसआई को सौंपने का निगम को निर्देश दिया था।

शनिवार दोपहर 12 बजे नॉर्थ एमसीडी के एडिशनल कमिश्नर पवन शर्मा, दीपक हस्तीर और क्षेत्रीय उपायुक्त सुभाष चंद भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सुभाष मैदान पंहुचे।

मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त स्वयं सुरक्षा की कमान संभाले थे। सुरक्षा व्यवस्था के चलते जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए गए थे।

समूचे क्षेत्र को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। कथित रूप से खुदाई के दौरान निकली अकबराबादी मस्जिद के अवशेष देखने के लिए इस दौरान खासी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पहुंचे थे।


इसके साथ ही विहिप, बजरंग दल, राष्ट्रवादी सेना और जन जागृति मंच जैसे कई संस्थाओं के कार्यकर्ता भी पहुंचे थे। पुलिस ने सभी को विवादित जमीन पर जाने से रोक दिया।

हर तरफ पुलिस

सुरक्षा के मद्देनजर समूचे क्षेत्र को पुलिस छावनी में कर दिया गया था तब्दील। जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए गए । नॉर्थ एमसीडी के एडिशनल कमिश्नर पवन शर्मा, दीपक हस्तीर और क्षेत्रीय उपायुक्त सुभाष चंद भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सुभाष मैदान पंहुचे।

विहिप, बजरंग दल, राष्ट्रवादी सेना और जन जागृति मंच जैसे कई संस्थाओं के कार्यकर्ता के साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नहीं जाने दिया गया विवादित जमीन पर।

निर्माणाधीन स्थल की घेराबंदी

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच दोपहर लगभग 1.30 बजे निगम के अधिकारियों ने विवादित स्थल को अपने कब्जे में लेना शुरू किया। निर्माणाधीन स्थल को बैरिकेड्स से घेराबंदी कर सील कर दिया। इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में निगम अधिकारियों ने जमीन को एएसआई को जांच के लिए सौंप दिया।

इस कार्रवाई के बाद सुभाष मैदान पर बड़ी संख्या में अर्ध सैनिक बल और दिल्ली पुलिस के जवानों के अलावा एनएमसीडी के जवानों को मुस्तैद कर दिया गया, ताकि फिर से विवादित स्थल पर किसी तरह की धार्मिक गतिविधि नहीं हो सके।

हम सोमवार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। कोर्ट के रुख के बाद ही अगले कदम पर विचार किया जाएगा। शोएब इकबाल, विधायक

सुभाष मैदान पर अकबराबादी मस्जिद के अवशेष मिलने की झूठी कहानियां असमाजिक तत्वों द्वारा फैलाई गईं हैं। एएसआई को विवादित जमीन सौंप दी गई है। वह इस मामले की जल्द जांच कर रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दे। यदि ऐसे जल्द नहीं किया गया तो क्षेत्र में 150 करोड़ की लागत से तैयार होने वाली शाहजहांनाबाद री-डेवलेपमेंट प्लान प्रभावित हो सकता है, जिसका खामियाजा स्थानीय लोगो को भुगतना पड़ेगा। योगेन्द्र चांदोलिया, चेयरमैन, एनएमसीडी स्टैंडिंग कमेटी


कुरान का संदेश

जी हाँ दोस्तों बाइस जुलाई ...बाइस साल और रमजान का पहला पाकीज़ा दिन


जी हाँ दोस्तों बाइस जुलाई ...बाइस साल और रमजान का पहला पाकीज़ा दिन यही मेरी हमसफर की तलाश और हमसफर के साथ सफर की शुरुआत का दिन है .....बाइस जुलाई को टोंक में मेरी मंगनी यानि सगाई की जा रही थी ..........और आज इत्तेफाक की बात है संयोग की बात है के मेरी शादी का बाईसवां साल चल रहा है ......में इस पोस्ट को लिख रहा था के मेरी शरीके हयात की नज़र पढ़ी और वोह नाराज़ होकर चली गयी उनका कहना था के अरे अल्लाह यह सच्चाई क्यूँ बयान कर रहे हो इससे मेरी उम्र लगेगी और में बूढी साबित होने लगूंगी लेकिन मेने उनकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर फिर से मेने लिखना शुरू कर दिया .........तो जनाब एक तो बाइस का आंकडा और फिर कल का दिन पाकीज़ा रमजान माह का पहला दिन खुदा हमे हमारे बच्चों और परिवार दोस्तों मित्रों को इस अवसर पर हर बहतरीन नियामतों से नवाजे लम्बी उम्र दे सहत्याबी दे ..सभी ख्वाहिशें पूरी करे और आप जेसे भाई ..बहनों और दोस्तों का प्यार हमेशा बनाये रखे और क्या लिखूं दुआ कीजिये खुदा हाफिज़ और रमजान मुबारक हो ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ईद के चाँद को लेकर नियम का उलंग्घन क्यूँ

दोस्तों खुदा और खुदा की बनाई गयी कुदरत के नियमों का अनुशासित रूप से पालन ही एक मुसलमान का धर्म है और खुदा ने अपना फरमान ..नीति नियम कुरान मजीद ..हदीस ..सुन्नत और रिवायतों के जरिये आम मुसलमानों तक पहुंचा दिए है .....इनकी पालना हर मुसलमान के लियें जरूरी है और जो लोग इन नीति नियमों के पालन का प्रचार प्रसार करते है वोह आलिम लोग हुआ करते है ..बाक़ी और मामले तो अलग बात है लेकिन ईद और रमजान के चाँद और तारीख को लेकर कई इख्त्लाफत है..... वेसे तो हमारे देश में शरियत कानून लागू नहीं है ..लेकिन अंग्रेजों का बनाया हुआ काजी कानून १८६७ से आज तक चल रहा है ...हर जिले में एक काजी होते है जो ईद की नमाज़ भी पढ़ते है और शरियत के मसले मसाइल सुलझाते है .......काजी हो या इमाम वोह आम मुसलमानों का होता है लेकिन भाइयों मेरी समझ में नहीं आया के जयपुर में एक चीफ काजी है तो वोह किन के चीफ है और उन्हें चीफ काजी का दर्जा किन काजियों ने दिया यह किसी को पता नहीं है ..इसी तरह से दिल्ली के शाही इमाम नवाबों के शाही ठाठ चले गए लेकिन इमाम आज भी छोड़ गए अब यह लोग ईद और रमजान का फेसला जब अंग्रेजियत के हिसाब से टी वी की गवाही के हिसाब से करते है तो अफ़सोस होता है चाँद दिखने का फेसला काजी को केसे करना है यह शरियत में पाबंदी से लिखा है लेकिन यह सरकारी लोग सरकार के इन्तिजामं के नाम पर दबाव में आते है और कहीं भी दूर दराज़ टी वी की चन्द की शहादत को मानकर एलान कर देते है सीधी सी बात है जब कानून है तो फिर उसको तोड़ केसे सकते है या तो चाँद दिखे या फिर चाँद देखने वाले शहादत दें तभी यह फेसला हो सकता है लेकिन अंदाज़े के आधार पर यह फेसला क्या इस्लामिक कहा जा सकता है ..मशीने ..आअधुनिकिकरन चाहे कितना ही हो लेकिन इस्लाम का नियम कभी टूट नहीं सकता ..ज्जेसे एक मोहल्ले में तीन मस्जिदे है लेकिन वहः माइक पर एक मस्जिद की अज़ान ही सभी मस्जिदों में जाती है लेकिन इस अज़ान से दूसरी मस्जिद में नमाज़ नहीं होती उस मस्जिद की अज़ान अलग होई ऐसे ही चाँद का मसला है क्योंकि यही हमारा दिन हमारी तारीख और हमारे त्यौहार निर्धारित करता है तो फिर यह मनमानी सही है या गलत कोई तो बताओ ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

केशुभाई का सनसनीखेज दावा, आत्महत्या करना चाहते थे मोदी


गांधीनगर. गुजरात के कद्दावर नेता केशुभाई पटेल ने अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सनसनीखेज आरोप लगाया है। केशुभाई ने मोदी के खिलाफ अब ब्लॉग का सहारा लेते हुए ताज़ा पोस्ट में लिखा है, ‘सन् 1998 से 2001 के दरमियान दिल्ली में आडवाणी के बंगले पर भूख हड़ताल की थी, आत्महत्या की धमकी दी थी और इसी षड्यंत्र के दम पर नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए थे।’ वे आगे लिखते हैं, ‘मोदी के शासन में पैदा हुए विपरीत हालात के कारण ही मैंने मोदी के खिलाफ मोर्चा खोला है। मुझे सत्ता का लेशमात्र भी लोभ नहीं है।’
केशुभाई ने ब्लॉग में लिखा है, ‘मेरी राजनीतिक गतिविधियों से लोग पिछले 68 वर्षों से वाकिफ हैं। दूसरे विश्व युद्ध और ब्रिटिश काल (1944) से मैं आरएसएस का स्वयंसेवक रहा हूं और इसका मुझे गर्व है। मैंने गुजरात के लिए बहुत कुछ सहा है। खून-पसीना एक किया, अनेकों सत्याग्रह किए, पुलिस की लाठियां खाईं, अनेकों बार जेल गया। इसी का परिणाम था कि 1995 में भाजपा वटवृक्ष की तरह गुजरात की सत्ता में आई। पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया। 6 बार विधायक पद, 2 बार मंत्री का पद, 2 बार मुख्यमंत्री का पद और एक-एक बार लोकसभा व राज्यसभा में जगह। मुझ पर भाजपा ने हमेशा विश्वास किया, जिसके लिए मैं पार्टी का आभारी हूं।’
इसके साथ ही उन्होंने मोदी के शासन काल में गुजरात के विकास की बात को झूठा साबित करने के लिए ये उदाहरण दिए हैं...

- गुजरात में बीपीएल की संख्या में 39 प्रतिशत का इजाफा।
- आदिवासी क्षेत्रों में 70 प्रतिशत गरीब।
- बिहार, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की जीडीपी गुजरात की तुलना में अधिक।
- इंडियन ह्युमन डेवलपमेंट में भी गुजरात 11वें नंबर पर।
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार 10 लाख युवक बेरोजगार।

- राज्य पर कर्ज 1.25 लाख करोड़ का।

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