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26 जुलाई 2012

राहुल गांधी क्यूँ बेबस से लग रहे हैं कोटा के इस मुस्लिम कोंग्रेसी नेता पर हो रहे अत्याचार के मामले में


जी हाँ दोस्तों खुद को धर्मनिरपेक्ष साबित करने वाली कोंग्रेस सियासी पार्टी की कोटा में सोच उलट है यहाँ कोंग्रेस हाईकमान ने जमीन से जुड़े हर दिल अज़ीज़ रहे समर्पित कोंग्रेसी नईमुद्दीन गुड्डू को लाडपुरा विधानसभा से टिकिट तो दिया लेकिन इनकी पार्टी के लोगों ने ही षड्यंत्र कर भाजपा से हाथ मिलाया और इन्हें हर दिया ......नईमुद्दीन गुड्डू अपने बलबूते पर जिला परिषद का चुनाव लड़े और भारी मतों से जीते ..........नईमुद्दीन गुड्डू को जिला परिषद में कोंग्रेस का बहुमत होने के कारण कोंग्रेस ने जीतने के लियें टिकिट दिया लेकिन वाह कोंग्रेसियों नईमुद्दीन गुड्डू कोंग्रेसी तो थे लेकिन मुस्लिम थे और बस इसी कारण से उन्हें बहुमत होने पर भी कोंग्रेस के लोगों ने डंके की चोट पर चुनाव हरवा दिया ..ताज्जुब तो इस पर है के इस मामले में न जान्च हुई न दोषियों को सज़ा मिली हाँ पुरस्कार के रूप में क्रोस वोटिंग करने वालों को महत्वपूर्ण पद जरुर मिले है वोह कोंग्रसी है और जनता सब जानती है लेकिन कोंग्रेस हाईकमान बेबस है .................फिर क्रषि उपज मडी का चुनाव गुड्डू की ताकत होने पर भी उन्हें ठेंगा दिखाया ..कोई बात नहीं फिर आते है कोटा को ओपरेटिव के चुनाव नईमुद्दीन गुड्डू डाइरेक्टर का चुनाव जीतते है इनके समर्थकों के पास बहुमत है लेकिन नईमुद्दीन गुड्डू कोंग्रेसी मुसलमान है इसलियें चुनाव नहीं जीते इस रणनीति के तहत भाजपा से कोंग्रेस का हाथ मिलता है और फिर कोंग्रेस के लोग नईमुद्दीन गुड्डू को वोट देने की जगह भाजपा के व्यक्ति को अपने समर्थन से प्रत्याक्षी बनाते है और जिताते है फिर नईमुद्दीन गुड्डू को कोंग्रेस में मुसलमान नेता होने का दंड दिया जाता है ...कोटा का यह इतिहास पुराना है यहाँ इकरामुल्ला..सत्तार भाई ..अजिज़ुल्ला सभी को धूल चाटना पढ़ी है ..अब नईमुद्दीन गुड्डू के खिलाफ पुलिस मुकदमों का दोर शुरू हो गया है अभी हाल ही में कथुन थाने में एक बच्चे की हत्या करने के मामले में गुड्डू ने प्रदर्शन किया था बस फिर क्या था थानेदार जी ने एक व्यक्ति से जबरन हस्ताक्षर करा कर नईमुद्दीन गुड्डू और उनके निजी मित्र अनिल आनंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया फरियादी सीधे आई जी कोटा रेंज के पास जाता है जबरन झूठा मुकदमा दर्ज करवाने की शिकायत करता है थानेदार जी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती केवल जांच होती है और वोह भी उस अधिकारी द्वारा जिसके खिलाफ नईमुद्दीन गुड्डू जनहित में आंदलन कर चुके है ..तो जनाब यह है एक मुस्लिम नेता की कोंग्रेस में बेबसी की कहानी लेकिन दोस्तों इस दास्ताँ को राजस्थान कोंग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जानते है ..दिग्गज मंत्री मुख्यमंत्री जानते है खुद राहुल गाँधी अपनी पेनी नज़र रखे हुए है लेकिन सच जाने के बाद भी अब तक राहुल गांधी मूकदर्शक और बेबस बने हुए है जब बहुमत होने पर भी मुस्लिम कोंग्रेसी अधिक्रत प्रत्याक्षी को मुस्लिम होने के नाते कोंग्रेसी वोट नहीं देकर भाजपा की गोद में बैठेंगे तो कोंग्रेस की धर्मनिरपेक्षता का मुखोटा क्या होगा ..राहुल गाँधी इस खबर से चिंतित तो है लेकिन बेबस और लाचार से दिखते है क्योंकि राजस्थान में तो गोपालगढ़ मामले में वोह पटखनी कहा चुके है पटखनी किया खुद कोंग्रेसियों ने भाजपा से मिलकर उनके खिलाफ अपराधी के साथ मोटर साइकल पर बैठकर जाने की खबर छपवा दी है ..राहुल जी शाहाबाद के सहरियों के लियें बोलते है कोटा सम्भाग में आते है लेकिन कोई खास उन लोगों के लियें नहीं हो पाटा है .............खेर इधर गुड्डू के मामले में मशहूर होने लगा है के कोंग्रेसी होने के नाते कोंग्रेस में मुस्लिम नेता होने का दंड उन्हें लगातार मिल रहा है जबकि जमीन की हकीक़त यह है के उनके इलाके के पीड़ित शोषित लोग आज भी उन पर विश्वास रखते है रोज़ मर्रा केसरबाग स्थित उनके निवास पर सेकड़ों पीड़ितों का तांता लगा रहता है और कई लोगों की समस्याओं का समाधान उनके जरिये हाथों हाथ बिना किसी चक्कर बाज़ी के होता है और सच तो यह है के कोंग्रेस में मुस्लिम होने की सजा उन्हें चाहे बार बार मिल रही हो उन्हें बहुमत के बाद भी चाहे बार बार हराकर नीचा दिखने की कोशिश की जा रही हो लेकिन वोह दते हुए है अड़े हुए है ना तो झूंठे मुकदमों की दमनकारी निति से उनके चेहरे पर शिकन है और निरंतर जनता के मिल रहे प्यार से उनके चेहरे पर जमीनी नेता की जीत की ख़ुशी है वोह हारते है लेकिन जनता की अदालत में विश्वास जीतते है इसलियें कोंग्रेस जिसे षड्यंत्र कर हराती है वोह बन्दा जनता की अदालत जनता की लोकप्रियता की कसोटी पर हार कर भी लगातार जीत रहा है इसे कहते है जिसे खुदा रखे उसे कोन चखे .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मासूमसामाजिक सरोकारों से जुड़ कर कैसे काम करें? भाई का संवेदनाओं पर टिपण्णी करती यह लेखनी .....


kartoon[5] सामाजिक सरोकारों से जुड़ कर काम करने में क़दम क़दम पे कठिनाइयाँ आना आवश्यक है | जब आप समाज में फैली बुराइयों की ओर लोगों का धयान आकर्षित करते हैं ओर उसका हल तलाशने कि कोशिश करते हैं तो साथ साथ आप समाज के उन बुरे लोगों कि नाराज़गी भी ले लेते हैं तो समाज में बुराइयों को फैलने में सहयोगी हैं या खुद ज़िम्मेदार हैं |

आज सफेदपोशों का ज़माना है | समाज में अधिक बुराई आज यही सफेदपोश फैलाते आप को मिलेंगे | अब जब आप किसी भी सामाजिक बुराई या कुरीतियों के खिलाफ बोलेंगे तो सामने से तो यह आप के खिलाफ नहीं बोलेंगे लेकिन दुसरे बहाने से आप को परेशान अवश्य करेंगे | सार्थक ब्लोगिंग यदि सामाजिक सरोकारों से जुडी है तो आप के रास्ते मैं रुकावट पैदा करने वाला कभी सामने से हमला नहीं करेगा, क्यों की यदि आप ग़रीबों के लिए काम कर रहे हैं, औरतों पे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं, समाज मैं अमन और शांति की बात कर रहे हैं,समाज मैं मीडिया के ज़रिये बढती अश्लीलता को रोकने की बात करते हैं तो जो भी आप के इस मुद्दे के खिलाफ बोलेगा वो स्वं ही बेनकाब हो जाएगा. इसी कारण लोग बहाने तलाशते हैं, अफवाहें फैलाते हैं, नेक काम करने वाले को हतोत्साहित करके, बदनाम करके उस को नेकी करने से रोकने की कोशिश किया करते हैं |

आज इस समाज में समाज में देखा है गया है कि ६ साल की बच्ची से लेकर ६० साल कि वृद्धा तक यहाँ सुरक्षित नहीं है | महिलाओं के मामले में तो सामूहिक दुराचार की खबरें आप रोज़ अख़बारों में पढ़ सकते हैं |

कहा जाता है कि माता पिता को अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताना चाहिए, उसको समझना चाहिए लेकिन यहाँ तो माता पिता दोनों नौकरी करते हैं ओर बच्चा बेबी सिटिंग में पलता है | कभी वो स्कूल के मास्टर के ज़ुल्म का शिकार होता है कभी पड़ोस के किसी अंकल के ज़ुल्म का शिकार होता है यहाँ तक कि रिश्तेदारों के भी ज़ुल्म का शिकार अक्सर हो जाता है |

घर में नौकर पूरी जांच पड़ताल के साथ रखना चाहिए लेकिन कितने हैं ऐसा करते हैं? नतीजा क्या होता है? यही कि नौकर कभी बच्चे का अपहरण करता है कभी घर के बूढ़े को मार के लूट लेता है |

कन्या भ्रूण हत्या एक सामाजिक कुरीति है या एक अक्षम्य अपराध आज भी लोग फैसला नहीं कर पा रहे हैं | सवाल बड़ा है कि क्यों लोग कन्या भ्रूण हत्या ही करवाते हैं? क्या दहेज़ का डर इसका कारण है या लड़की की परवरिश के दौरान उसकी सुरक्षा का डर इसका कारण है ?

घर से बाहर निकलो तो भ्रष्टाचार हर जगह फैला हुआ है | कहीं रिश्वत है कहीं गुंडागर्दी है | ज़ालिम ऐश कर रहे हैं | मालामाल हो रहे हैं ग़रीब परेशान है ज़ुल्म सह रहा है |

खाने पीने कि तरफ ध्यान दो तो मिलेगा कि कहीं तरबूज में, सब्जियों में हानिकारक इंजेक्शन लगाये जा रहे हैं तो कहीं दूध में यूरिया ओर न जाने क्या क्या मिलावट कि जा रही है | इंसानों के स्वास्थ के साथ खुले आम खिलवाड़ हो रहा है |

धर्म कि आड़ में हम समाज को बाँटने पे अमादा नज़र आते हैं | हिन्दू मुसलमान, सिख ,ईसाई ही बन के रहना चाहते हैं इंसान बनने को तैयार नहीं | नतीजा समाज में नफरत ओर ज़ुल्म का फैलना |

चाटुकार, दोहरे चरित्र वाले आज समाज में इज्ज़त पाते हैं इमानदार बेवकूफ कहा जाता है ओर अक्सर लोगों के ज़ुल्म का शिकार हो जाया करता है |

इन सभी बुराईयों का कारण है कि आज इस समाज में आज अध्कितर लोग पैसा ,औरत ,शोहरत और झूटी इज्ज़त पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार बैठे दिखाई देते हैं ऐसे में भ्रष्ट मार्ग से शिष्ट मार्ग कि ओर लोगों लाना आसान काम नहीं |

आज कोई सड़कों पे किसी औरत को छेड़े , या कोई किसी को गाली दे कोई किसी को मार रहा हो, किसी पडोसी के यहाँ कोई बहुत बीमार हो जाए, कोई समाज मैं दुखी हो जाए, सब को लगता है, हम को क्या करना? यह कोई हमारे घर की परेशानी तो है नहीं? हम से क्या मतलब कह के हम गलत करने वालों का मनोबल ऊंचा कर रहे हैं और अपराध को बढावा दे रहे हैं . आज जो भी इस समाज मैं बुराइयाँ पैदा हो रही हैं, उसके कहीं ना कहीं चुप रह के तमाशा देखने के कारण भागीदार हम भी हैं |

अनादी फिल्म का मुकेश का गाया यह गाना आज भी मुझे बहुत पसंद है

किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार,जीना इसी का नाम है |”

लेकिन ऐसे जीने से पहले खुद को इतना मज़बूत बना लेना होगा कि आप समाज के इन मज़बूत भ्रष्ट लोगों की नाराज़गी को झेल पाएं | सब्र ओर नम्रता को अपना हथियार बनाना होगा | इंसानों के चेहरे पे हंसी लाने के लिए पहले अपने चेहरे का दुःख छिपा के मुस्कराना होता है | यदि आप से खुद कोई ग़लती हो जाए और सामने वाला आप को गाली ही क्यों न दे ,आप को अपना गुस्सा पी के अपनी ग़लती को सुधार लेना चाहिए | आप यदि गुस्से में अपनी ताक़त का इज़हार करेंगे या जैसा कि अक्सर होता है कि अपनी ग़लती को नज़रंदाज़ कर के सामने वाले की ग़लतियाँ गिनवाने लगेंगे तो आप भी ज़ुल्म करने वालों में गिने जाएंगे | समाज से इन बुराईयों को हटाने के लिए हर इंसान को सच्चे दिल से कोशिश करनी चाहिए ओर मिल जुल कर यह काम करना चाहिए | यह और बात है कि समाज में फैली कुरीतियों या बुराईयों से लड़ने वाला अक्सर अकेला ही पाया जाता है | लेकिन सत्य में इतनी ताक़त हुआ करती है कि ऐसा इंसान दुनिया में भी इज्ज़त पाता है ओर बाद मरने के भी हमेशा याद किया जाता है | इसीलिये कहा जाता है नेक इंसान जो समाज के भले के लिए काम करता है कभी नहीं मरता |

ज़रा सोंचिये

क्या हम सच मैं सामाजिक प्राणी हैं? क्या इस समाज के प्रति भी हमारी कुछ ज़िम्मेदारी है या जानवरों कि तरह खुद का पेट भर के आराम से सो जाने को ही हम अपना धर्म मान बैठे हैं? इन सवालों के जवाब को तलाशना आवश्यक है| जिस दिन हम सभी ने इस सवाल का जवाब पा लिया उस दिन से समाज से बुराइयों के खिलाफ लड़ने वाला कभी अकेला नहीं मिलेगा और इस समाज में भ्रष्ट और बुरे इंसान ज़ुल्म करते हुए डरेंगे |

लाशों पर जारी है शर्मनाक धंधा, कहां गई इंसान की संवेदना


नागपुर। इंसान की संवेदनशीलता इस कदर खत्म होती जा रही है कि वो लाश पर भी सौदेबाजी करने से नहीं परहेज कर रहा।

यह नजारा मेडिकल और मेयो अस्पताल के शव विच्छेदन गृहों में देखा जा सकता है। यहां शव के साथ वस्तु जैसा व्यवहार किया जाता है। शव विच्छेदन के पहले या बाद में परिजनों की भावनाएं आहत हो रही हैं, फिर भी मौन रह कर सहन करना पड़ रहा है।

पैसे देना मजबूरी

मेडिकल शासकीय अस्पताल हो या इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल, दोनों सरकारी अस्पतालों में शव को वस्तु की तरह ही समझा जाता है। यहां पोस्टमार्टम के लिए आने वाली लाशें शव विच्छेदन गृह के कर्मचारियों के लिए ऊपर की कमाई का जरिया बन गई हैं।

बिना पैसे लिए जल्दी हाथ लगाने को तैयार नहीं होते। रात में शव को फ्रीजर में रखना हो, शव विच्छेदन कराना हो, शव को नहलाना हो या जल्दी शव लेना हो तो कर्मचारियों का ध्यान सिर्फ पैसे वसूलने पर होता है।

परिजन याचक के रूप में खड़े रहते हैं। जेब ढीली करने के सिवा और कोई चारा नहीं। मेडिकल व मेयो में महीने भर में करीब 200 से 250 शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं।

रात में बढ़ जाती है परेशानी

जानकारी के अनुसार, शव विच्छेदन के लिए आए शव को धार्मिक रीति-रिवाजों के तहत जाकर नहलाना मुमकिन नहीं होता है, ऐसे में शव को नहलाने के नाम पर 200 से 500 रुपये तक की वसूली होती है।

मृत देह के लिए जरूरी सफेद कफन, निलगिरी का तेल व कपास अस्पताल से न देकर बाहर से मंगाया जा रहा है, जबकि नियमानुसार इसे अस्पताल से ही दिया जाना चाहिए।

रात में किसी का देहांत हो जाए और उसे शीतगृह में रखना हो, तो चौकीदार 300 से 500 रुपये ले लेता है। जल्दी के नाम पर भी पैसे लेना तो आम बात है। शव के प्रति कोई संवेदना नहीं। शवगृह में कार्यरत लोगों के लिए यह किसी वस्तु जैसा ही होता है।

शव के नाम पर लेन-देन और उसके रख-रखाव में गैरजिम्मेदारी के प्रति न तो अस्पताल प्रशासन ध्यान देता है और न ही सामाजिक संगठना इस ओर कोई कदम उठाते हैं।

निजी एंबुलेंस व ऑटोरिक्शा का बोल बाला

शव विच्छेदन विभाग में कार्यरत कर्मचारियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि शव विच्छेदन विभाग के आस-पास निजी एंबुलेंस खड़ी रहती हैं, जो परिजनों से 5 से 8 किलोमीटर तक की दूरी के लिए भी करीब 800 रुपये लेती हैं, वहीं 50 से 100 किलोमीटर दूर जाना हो तो शुल्क 1200 से 1500 हो जाता है।

सरकारी नियमानुसार प्रति किलोमीटर के हिसाब से 8 रुपये ही लिए जाने चाहिए। सरकारी अस्पताल के परिसर में निजी ऑटोरिक्शा चालकों का जमावड़ा रहता है। वे बेझिझक यहां अपना धंधा कर रहे हैं। यहां तक की शोकाकुल परिवार से विवाद करने से भी नहीं हिचकते।

शव को घर तक पहुंचाने के लिए वे भी निजी एंबुलेंस की तरह ही मृतक के परिजनों से पैसे वसूलते हैं। यह सब पुलिस की आंखों के सामने होता है, लेकिन पुलिस भी इसे रोकने के लिए कुछ नहीं करती। सरकारी अस्पताल में अधिकतर निर्धन व दूर-दराज के इलाकों से लोग आते हैं। उनके लिए यह रकम बहुत ज्यादा हो जाती है

परिजन शवागार ले जाते हैं शव

मेडिकल चौक निवासी सुयोग कडू ने बताया कि मेडिकल में मेरा अक्सर आना-जाना होता है। मैं हमेशा देखता हूं कि मृत देह को ले जाने के लिए स्ट्रेचर नहीं होते हैं, परिजन स्वयं शव को शव विच्छेदन गृह तक ले जाते हैं।

अस्पताल का कोई कर्मचारी सहायता भी नहीं करता है। जब भी शव को शवगृह तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर का उपयोग किया जाता है, उसके बाद उसकी सफाई नहीं की जाती है।

बैठक की सुविधा नही

दोनों भी सरकारी अस्पताल में शव विच्छेदन केंद्र के बाहर परिजनों के बैठने के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं किए गए हैं। न पानी की सुविधा है और न ही शौचालयों की। गंदगी की तो भरमार रहती है। मेडिकल में बनी बैठक में तो कुत्ते, मवेशी आदि बैठे हुए दिखाई देते हैं।


ऐसी जगह जाने से थरथराते हैं कलेक्टर, यहीं राम को शबरी ने खिलाए थे बेर

सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में कलेक्टर एलेक्स पॉल के अपहरण कांड के बाद कोई भी प्रशासनिक अधिकारी वहां पोस्टिंग नहीं चाहते हैं। वहां जाने से आईएएस इतने डरने लगे कि आखिर में केंद्र सरकार को अपील जारी करनी पड़ी।

सरकार की अपील के बाद पंजाब पंजाब कैडर के आईएएस दंपति डॉ. अड़प्पा कार्तिक और उनकी पत्नी रूपांजलि कार्तिक ने नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में काम करने इच्छा जताई है। पंजाब सरकार ने उन्हें एनओसी दे दिया है।
आखिर क्यूं सुकमा के नाम से थरथराते हैं आईएएस-

इसी साल अप्रैल के आखिरी सप्ताह में नक्सलियों ने वहां के कलेक्टर अलेक्स पॉल मेनन का अपहरण कर लिया। 12 दिन तक उनके कब्जे में रहने के बाद वह 4 मई को रिहा किए गए। मीडिया में यह घटना सुर्खियों में छाया रहा। इस घटना के बाद कोई आईएएस वहां जाना नहीं चाहता।
आईएएस दंपति को केंद्र सरकार की हरी झंडी का इंतजार-
डॉ. अड़प्पा कार्तिक वैसे मूल रूप से उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन पंजाब कैडर की आईएएस रूपांजलि से शादी के बाद उन्हें पंजाब कैडर मिल गया था। मुख्य सचिव राकेश सिंह ने उन्हें एक सप्ताह तक विचार करने का मौका दिया था, लेकिन वे अपने फैसले पर अटल रहे। अब केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद उनका छत्तीसगढ़ जाना तय है। वहीं, केंद्रीय सूचना प्रसार मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में काम कर रहे डीपी रेड्डी की पंजाब वापसी की संभावना है।

गागरोनी तोतों को भाया हमारा सीवी गार्डन और दरा

कोटा. इंसान की तरह हूबहू बोलने वाले झालावाड़ के गागरोनी तोते को अब हमारा सीवी गार्डन और दरा अभयारण्य भाने लगा है। सीवी गार्डन के अलावा दरा सेंचुरी (राष्ट्रीय मुकंदरा हिल्स नेशनल पार्क) एरिया में ये दिखाई देने लगे हैं।

लगभग लुप्त हो चुकी इस प्रजाति को यहां भोजन, पानी की सुविधा के साथ प्राकृतिक माहौल मिल रहा है। दुर्लभ तोतों की नेस्टिंग होने से वंशवृद्धि होने लगी है। सीवी गार्डन में करीब 20 तोते नजर आए हैं, जो पेड़ की टहनियों व झुरमुटों में रहते हैं। दरा सेंचुरी में भी इस प्रजाति के तोते देखे आए हैं।

पहचान: यह विशेष प्रकार का तोता होता है जिसके पेट पर येलो ग्रीन पंख होते हैं। इसे पानी में नहाने का शौक होता है। मेल में गर्दन पर काला पट्टा व मादा में पट्टा नहीं होता है। चोंच लाल व पंख नीले हरे होते हैं।

सोने के पिंजरे में भेंट किया था हुमायू को

इतिहासविद् ललित शर्मा बताते हैं कि गुजरात के शासक बहादुरशाह ने हुमायूं को सोने के पिंजरे में गागरोनी तोता भेंट किया था। 15 वीं शताब्दी में अचलदास खींची के शासन में गागरोनी तोते बारूद की छोटी तोप तक चलाते थे। झालावाड़ के गागरोन किले के पीछे आमझर के जंगल में बड़ी संख्या में ये तोते पाए जाते थे। इंसान की तरह बोलने व दिखने में सुंदर होने से लोग कोटरों में से घर लाकर पालने लगे। पालने में अधिक रुचि होने से धीरे-धीरे इन पर संकट हो गया।

संकटग्रस्त प्रजाति विश्व में

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल र्सिोसेस न्यूयॉर्क (आईयूसीएन) ने अलेक्जेंडर पैराकीट (गागरोनी तोते) को संकटग्रस्त माना है। ऐसे में इन्हें बचाना जरुरी हैं। इसी तरह की प्रजाति के तोते देश में हैदराबाद व आंध्रप्रदेश में पाए जाते हैं।

अनुकूल हैं सीवी गार्डन व दरा

सीवी गार्डन व दरा सेंचुरी एरिया में इन्हें देखा गया है। पानी, भोजन सहित अन्य सुविधाओं के कारण यह जगह मुफीद है। एमएससी वाइल्ड लाइफ स्टूडेंट्स योगेश जांगिड़ ने बताया कि सीवी गार्डन में करीब 20 गागरोनी तोते हैं। इन्होंने यहां अपना बसेरा बना लिया है। डॉ. कृष्णोंद्रसिंह नामा ने बताया कि दरा सेंचुरी में लक्ष्मीपुरा, झामरा, कोलीपुरा, रावठा रामसागर में गागरोनी तोते हैं।

जानिए गागरोनी तोते को

: नाम अलेक्जेंडर पैराकीट
: खासियत इंसान की तरह बोलना
: नेस्टिंग दिसंबर से अप्रैल के बीच
: वैरायटी भारत में दो प्रकार की
: पंखों की लंबाई साढ़े 7 से 8 इंच
: पूंछ की लंबाई साढ़े 8 से 14 इंच
: वजन 200 से 300 ग्राम

'अदालती आदेश के नाम पर शहर में बेतरतीब तोड़फोड़ आपराधिक कृत्य'

जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर में यातायात व्यवस्था सुधारने के नाम पर नगर निगम की ओर से पिछले तीन दिन से चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान को बेतरतीब और अदालती आदेश के नाम पर हव्वा खड़ा करने वाला बताया है। इस संबंध में अदालत के स्वप्रेरित प्रसंज्ञान वाली जनहित याचिका पर बुधवार को न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी व एनके जैन (द्वितीय) की खंडपीठ में सुनवाई हुई।

खंडपीठ ने अभियान के नाम पर दुकानों के आगे की गई बेतरतीब तोडफ़ोड़ को लेकर अदालत में मौजूद नगर निगम सीईओ को फटकार लगाई। खंडपीठ ने निगम के वकील आरएस सलूजा से पूछा कि हाईकोर्ट ने किसी तरह का अभियान चलाने का आदेश कब दिया था? खंडपीठ ने कहा कि अदालत ने तो सिर्फ अधिकारियों को अपना कत्र्तव्य ठीक ढंग से निभाने की बात कही थी।

अधिकारी ठीक से काम नहीं करते, अब कोर्ट ने काम करने को कह दिया तो वे जानबूझ कर शहर में हव्वा खड़ा करने का प्रयास कर रहे हैं।यह अधिकारियों का आपराधिक कृत्य है जिसके लिए उनको सजा मिलनी चाहिए।

खंडपीठ ने समाचार पत्रों का हवाला देते हुए अधिकारियों के खिलाफ स्व प्रेरित प्रसंज्ञान लेकर नोटिस जारी करने को भी कहा। इस पर अधिवक्ता सलूजा ने निगम अधिकारियों की ओर से स्पष्टीकरण दिया और अभियान के दौरान निगम की ओर से की गई तोडफ़ोड़ से हुए नुकसान की भरपाई करने की अंडरटेकिंग दी।

इस पर खंडपीठ ने अधिकारियों के खिलाफ नरमी बरतते हुए शहर के हित में अपने कत्र्तव्यों की पालना जारी रखने की हिदायत दी। इससे पहले न्यायमित्र अशोक छंगाणी, विपुल सिंघवी व पंकज शर्मा ने अपनी रिपोर्ट अदालत में पढ़ कर सुनाई। इसमें निगम द्वारा बेतरतीब ढंग से चलाए गए अभियान व यातायात पुलिसकर्मियों की लापरवाही का जिक्र था।

राहुल टटोल रहे हैं प्रदेश की सियासी नब्ज


जयपुर. कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी इन दिनों राजस्थान की सियासी नब्ज टटोल रहे हैं। वे हर हफ्ते प्रदेश के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलकर फीडबैक ले रहे हैं। वे उन बातों को क्रॉस चेक भी कर रहे हैं, जो पिछले दिनों में राज्य सरकार को लेकर नाराज खेमे ने उन तक पहुंचाई हैं। इस सिलसिले में पिछले दो-तीन हफ्तों से तेजी आई है।

वे राज्य सरकार के मंत्रियों को भी बातचीत के लिए बुला रहे हैं। कांग्रेस के दिल्ली स्थित नेताओं के अनुसार राहुल ने गुरुवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से राज्य सरकार के बारे में विभिन्न स्रोतों से मिले फीडबैक को लेकर उनसे सीधी बातचीत की है।

राहुल गांधी से अब तक लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता शीशराम ओला, केंद्रीय परिवहन मंत्री सीपी जोशी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री भंवर जितेंद्रसिंह, केंद्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट, विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा, पूर्व मंत्री बीडी कल्ला, प्रद्युम्नसिंह आदि ने मुलाकात की है। राहुल कई बार अकेले और कई बार समूह में विधायकों को बुलाकर चर्चा कर रहे हैं। उनकी मुख्य चिंता ये है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार दुबारा कैसे बन सकती है। इसमें वे लोगों से सरकार और संगठन से जुड़े मुद्दों को लेकर जानकारियां ले रहे हैं। उनसे युवा और महिला विधायकों व पदाधिकारियों से भी मिल चुके हैं।

ये भी पूछ रहे हैं राहुल गांधी

क्या कांग्रेस के फंडामेंटल्स कमजोर हैं? नाराजगी किसके प्रति है, व्यक्ति के या संस्था के? कुछ चीजें क्या जानबूझकर हुई हैं? गवर्नेंस लेवल कैसा है? नौकरशाही में भ्रष्टाचार की शिकायतें कितनी सही हैं? क्या सिस्टम पर अंकुश नहीं है? अनुसूचित जातियों, जन जातियों और अल्पसंख्यकों को लेकर क्या रुझान है? सरकार की योजनाएं और उनको लागू करने में कितना सामंजस्य है?

वे सूचनाओं को क्रॉस चेक कर रहे हैं : रावत

मेरे पास राहुल गांधी के ऑफिस से अचानक संदेश आया कि वे मिलना चाहते हैं। मैं 18 जुलाई को गया था। राहुल ने मुझसे 15 मिनट बातचीत की। उन्होंने प्रदेश की राजनीति को लेकर खूब सवाल पूछे। मुझे लगा कि उनके पास पहले से काफी फीडबैक था, जिसे वे क्रॉस चेक करना चाहते थे। सरकार की कार्यप्रणाली, अफसरशाही के हावी होने, सरकार की अच्छी योजनाओं और उनके जनता में असर को लेकर उन्होंने कई एंगल से सवाल पूछे। उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि हालात में सुधार की कितनी संभावनाएं हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि मेरे अनुभव से मैं बताऊं कि हालात कैसे हैं और उनमें क्या हो सकता है।
-लक्ष्मणसिंह रावत, पूर्व मंत्री, राजस्थान सरकार

मुझसे जैन दर्शन पर बातें कीं :परमार

मुझसे राहुल गांधी ने कोई राजनीतिक बात नहीं की। उन्होंने दार्शनिक विषयों पर बातें की थीं। मैंने जैन दर्शन में पीएचडी की है। इसलिए उन्होंने मुझसे पूछा कि जैन दर्शन और अन्य दर्शनों में क्या अंतर है? जैन दर्शन और राजस्थान को लेकर भी उन्होंने कुछ बातें पूछीं।

-दयाराम परमार, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री, राजस्थान सरकार

राहुल गांधी चिंतित थे राजस्थान को लेकर

राहुल गांधी से मेरी मुलाकात हुई थी।उसमें वे प्रदेश के हालात को लेकर चिंतित दिखाई दिए थे। उन्होंने मुझसे प्रदेश में एससी-एसटी और अल्पसंख्यकों की स्थिति और सरकार के कार्यक्रमों के बारे में पूछा था।

-दौलतराज नायक, विधायक, रायसिंहनगर

कुरान का संदेश

कोटा में सियासी रोजा अफ्तारों के बहिष्कार का फेसला

दोस्तों सभी जानते है के हमारे भारत में धर्म के नाम पर बढ़ी सियासते होती है और इन दिनों रोज़े के दिन है तो रोजा आफ्टर के नाम पर बढ़ी सियासतों का सिलसिला शुरू होने वाला है ..धर्म कहता है के रोजा खुद इंसान का है उसे पाकीजगी से हलाल की रोज़ी से खोलना है ..लेकिन अनजान सियासी लोगों की अनजान कमाई के अन्न से रोजा खोलने वाले लोग अपना और दूसरों का इमान बिगाड रहे है रोज़े अफ्तार में वी आई पी सियासी खुसूसी महमानों के अतिथि सत्कार के चक्कर में दर्जनों ऐसे रोज्दर ऐसे हाजी होते है जो अपने अपने भाई साहब के सामने हाथ बंधे खड़े रहे है और रोजा अफ्तार तो सही तरह से करते ही नहीं लेकिन मगरिब की नमाज़ भी नहीं पढ़ते ..इस सब माहोल को बदलने के लिए कोटा के कुछ लोगों ने ऐसे सियासी रोज़ा अफ्तारों का बहिष्कार करने का फेसला किया है उनका फेसला है के रोजा अफ्तार हो मजहबी हो गेर सियासी हो उसका खुसूसी महमान ..खुसूसी वक्ता जो कोई भी हो हम में से हो रोज्दार हो और इसकी शुरुआत आल मुस्लिम्स की तरफ से अजिज़ुला भाई और उनके साथियों ने रविवार को गेर सियासी रोजा अफ्तार कार्यक्रम रख कर शुरू कर दी है .........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दोस्तों मेरे इस भारत महान देश में सो करोड़ हिन्दू भाइयों के बीच हम मुसलमान भाई चेन की नींद सोते है ..सुरक्षित है कामयाब है


दोस्तों मेरे इस भारत महान देश में सो करोड़ हिन्दू भाइयों के बीच हम मुसलमान भाई चेन की नींद सोते है ..सुरक्षित है कामयाब है ..हाँ पकिस्तान ..इराक..इरान..अफगानिस्तान और ना जाने कहाँ खान के मुसलमानों से कई गुना ज्यादा हम हमारे इस भारत महान में सुरक्षित है ...कामयाब है और सुकून से जी रहे है यहाँ ..भाजपा जेसे विचारधारा के लोगों ने अपनी कथित विचारधारा त्याग कर देश के सभी हिन्दू भाइयों को छोड़कर ऐ पी जे अब्दुल कलम को राष्ट्रपति बनाया ....य्हना शिवसेना बाहुल्य क्षेत्र में शिवसेना की मजबूती के दोरान शाहरुख खान ..सलमान और अमीर खान ने अपना सिक्का जमाया तो बताओ इन सो करोड़ लोगों ने हमे प्यार दिया या नफरत ....कुछ खट्टे मिट्ठे अनुभव होते है ..कुछ फूल होते है तो कुछ कांटे होते है लेकिन कुल मिलाकर माहोल तो खुशनुमा हराभरा ही है .......दोस्तों यह विचार कोटा के ही नहीं देश के विख्यात स्टेज आर्टिस्ट जूनियर अन्नुकपूर उर्फ़ इकबाल मंसूरी के हैं आज में अचानक अपने एक मित्र के यहाँ पहुचा जब यह जनाब विख्यात कलाकार वहां मोजूद थे आप अन्नू कबूर उर्फ़ इकबाल मंसूरी जी नमार्ट मोल योजना की जानकारी ब्रांड एम्बेसेडर की हेसियत से दे रहे थे के अचानक एक मुस्लिम भाई ने खुद को असहाय बताते हुए कहा के क्या करूं मुझे रोज़गार नहीं मिलता है में मुसलमान हूँ बस फिर क्या था ..यह सारे डायलोग भाई जूनियर अन्नू जी ने पेल दिए बाद भी सही है उनका कहना था के इन सो करोड़ हिन्दू भाइयों के बीच में हम केवल पच्चीस करोड़ लेकिन फिर भी महफूज़ है सुखी हैं कामयाब है एक दुसरे के मददगार और तलबगार है ..हममे से ही मानवाधिकार सेवा क्षेत्र में अख्तर खान अकेला मशहूर है तो ..इकबाल मंसूरी उनियार अन्नू कपूर के रूप में कलाकरों की दुनिया में झंडे गाड़े हुए है ..में काफी हद तक इन जनाब की सभी बातों से सहमत था और यह कोई बात नहीं एक सन्देश है जो घरों में बेठ कर ..गलियों के नुक्कड़ों पर भाग्य और दूसरों को अपनी नाकामयाबी के लियें कोसते है यहाँ अगर हम सभी महनत करे क्वालिटी पैदा करे तो कामयाबी हमारे कदम चूमने र हमारे भारत महान के हिन्दू भाई हमे गले लगाने के लियें तय्यार बेठे है ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मोदी को अब हत्यारा कहना बंद करो कोंग्रेस और कथित धर्मनिरपेक्षता के दोहरे चरित्र वालों

दोस्तों गुजरात के दंगों के अगर नरेंद्र मोदी कातिल है तो फिर कोंग्रेस ..सपा..बसपा..और कथित धर्मनिरपेक्षता का ढोंग करने वाके सभी दल इसमें बराबर के पापी है ....अभी हाल ही में उर्दू देनिक के सम्पादक शाहिद सिद्दीकी जिन्हें पत्रकार कहना अब पत्रकारिता को शर्मसार करने जेसा है क्योंकि अब वोह पत्रकार नहीं समाजवादी पार्टी के पत्ता बंध हो गए है इस पार्टी से वोह सांसद है और निष्पक्ष पत्रकारिता की इन जनाब से उम्मीद करना बेमानी है ..अभी हाल ही में इन जनाब ने खुद को समाजवादी पार्टी का एजेंट नहीं मानकर कुछ देर के लियें पत्रकार मान लिया और नरेंद्र मोदी को घेरने की तय्यारी की नरेंद्र मोदी का बढ़प्पन था के उन्होंने सब कुछ चालबाजिया और सिद्दीकी को सपा का घोषित एजेंट मानकर भी साक्षात्कार के लिए समय दिया ........शाहिद सिद्दीकी नरेंद्र मोदी के जवाब से चकरा गए और नरेंद्र मोदी अपने इस जवाब से हीरो तो बने ही साथ ही खुद को उन्होंने निर्दोष भी साबित कर दिया ...........दोस्तों सभी जानते है के नरन्द्र मोदी पर गुजरात में दंगे भडकाने और निर्दोषों की हत्या करवाने का आरोप है ..यह आरोप कोंग्रेस ..सपा ..बसपा ...लालू और सभी कथित धर्मनिरपेक्ष के लोग मोदी पर लगाकर थू थू करते है लेकिन ताज्जुब है के दिल्ली में बेठे यह लोग सरकार चला रहे सरकार बचा रहे है और मोदी के खिलाफ एक सबूत भी नहीं जुटा सके मामले हाई कोर्ट सुप्रीमकोर्ट में चले लेकिन मोदी को तो सभी जगह से क्लीन चिट मिली है ..खासकर दिल्ली में बेठे कोंग्रेसी ...सपाई बसपाई और दुसरे लोग जो कोंग्रेस की सरकार को बचाने के लिए अपने सभी ईमान को बेच देते है वोह लोग मोदी के खिलाफ कोई जान्च साबित नहीं कर पाए और जब ऐसा हुआ है तो फिर उनके खिलाफ सभी आरोप बेबुनियाद माने जायेंगे यही माना जायेगा के उन्हें बदनाम करने की साज़िश रची जा रही है अगर कोंग्रेस मोदी को साम्प्रदायिक मानती है तो उसके पास बहुत से दिल्ली में सरकार होने के नाते रास्ते है जो उन्हें दोषी साबित करते लेकिन कोंग्रेस की इस मामले में चुप्पी या नाकामयाबी और साथी दलों के तुच्चागिरी यही साबित करती है या तो मोदी निर्दोष है और नहीं तो मोदी को दोषी होने पर भी दिल्ले की सरकार के कथित धर्मनिरपेक्ष लोग मोदी को बचा रहे है खेर अपराधी वही जिसके खिलाफ अपराध साबित हो और मोदी के खिलाफ आप तक कोई अपराध साबित नहीं है इसलियें उन्हें हक है के वोह चीख चीख कर खुद को निर्दोष बताएं ...सभी जानते है के अदालते ..एजेंसियां दोषी और निर्दोष का फेसला करती है और सभी फेसले मोदी के हक में है यह बात और है के कुदरत की अदालत अपना फेसला अपने तरीके से करती है लेकिन मोदी वहां भी पावर में होने के कारण सुखी होने के कारण कुदरत से पुरस्कार प्राप्त कर रहे है इसलियें अब मोदी को साम्प्रदायिक और हत्यारा कहकर दोष मांडने वाले धर्मनिरपेक्ष लोगों को सोचना चाहिए के उनके मुख की कालिख दिखने लगी है उनका मुखोटा और कातिलों से उनकी सांठ गठ साबित होने लगी है .....बात साफ़ है अगर मोदी अपराधी होते तो कोंग्रेस उन्हें जेल भेजती लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसलियें मोदी सभी आरोपों से बरी है .......................इधर आसाम जहाँ से मनमोहन सिंह राज्यसभा सदस्य है जहाँ कोंग्रेस का शासन है वहां दंगे फसादात है तो फिर बताइए क्या मनमोहन क्या वहां इ मुख्यमंत्री हत्यारे है .. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

अगर मैं गुनहगार हूं तो लटका दो मुझको फांसी पर'

अहमदाबाद। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर कहा है कि अगर वे गुनहगार हैं, तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उर्दू की साप्ताहिक पत्रिका 'नई दुनिया' को दिए गए इंटरव्यू में मोदी ने यह बात कही है। इस पत्रिका में इंटरव्यू को 'कवर स्टोरी' के तौर पर पेश किया गया है। इंटरव्यू समाजवादी पार्टी के नेता और 'नई दुनिया' के संपादक शाहिद सिद्दिकी ने किया है। इंटरव्यू 6 पन्नों में छपा है और इसमें गोधरा के बाद के दंगे, गुजरात में मुसलमानों की हालत और अन्य संवेदनशील मुद्दों पर मोदी से बातचीत की गई है।

नरेंद्र मोदी के बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी का बचाव किया है। वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि अगर मोदी को गुजरात दंगों पर कुछ कहना है तो मीडिया में नहीं बल्कि कोर्ट में आकर बोलें। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि मोदी को लोगों के लिए काम करना चाहिए। इंटरव्यू लेने वाले शाहिद सिद्दिकी की पार्टी समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आज़म खान ने इस बारे में कहा है कि मोदी तमाम लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं। आजम के मुताबिक मोदी को ज़मीन से लेकर आसमान तक कोई माफ नहीं कर सकता है।

इंटरव्यू के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगर वह बेकसूर हैं तो मीडिया और उन पर आरोप लगाने वाले उनसे माफी मांगें। मोदी से पूछा गया क‌ि वे गुजरात दंगों के लिए माफी क्यों नहीं मांगते? इसके जवाब में मोदी ने कहा कि गुजरात दंगे जैसा कांड देश में होता है तो केवल माफी मांगना काफी नहीं है। इसमें मैं गुनहगार पाया जाता हूं तो मुझे फांसी पर लटका दिया जाए। मोदी ने ऐसी ही बात पिछले साल सितंबर में अपनी सद्भावना उपवास के दौरान भी कही थी।

इंटरव्यू में मोदी से पूछा गया कि आप देश के प्रधानमंत्री क्यों बनना चाहते हैं? तो उन्होंने कह‌ा कि वह प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते, वह केवल गुजरात के विकास और गुजरातियों के बारे में सोचते हैं। मोदी को लेकर सोच में बदलाव के मुद्दे पर सिद्दिकी ने बड़ी साफगोई से लिखा है कि नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू का फैसला उन्होंने मुंबई में बॉलीवुड की दो बड़ी फिल्मी हस्तियों-महेश भट्ट और सलीम खान के साथ लंच के बाद लिया। सिद्दिकी के मुताबिक महेश भट्ट और सलीम खान ने उन्हें बताया कि गुजरात दंगों और मुसलमानों को लेकर मोदी की सोच में बदलाव आ रहा है। बकौल सिद्दिकी इंटरव्यू की सलाह महेश और सलीम ने ही दी थी। महेश भट्ट नरेंद्र मोदी के बड़े आलोचक माने जाते रहे हैं ।

शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि वे कभी नहीं सोचते थे कि मोदी इंटरव्यू के लिए तैयार होंगे। क्या इस इंटरव्यू को मोदी को लेकर मुलायम सिंह यादव या समाजवादी पार्टी की सोच बदलने का सुबूत माना जा सकता है? इस सवाल के जवाब में शाहिद ने कहा, 'इस इंटरव्यू का सपा या मुलायम सिंह यादव से कोई लेनादेना नहीं है। मैं पहले पत्रकार हूं और बाद में राजनेता।'

मुलायम-अखिलेश का करीबी है मायावती की मूर्ति तोड़ने का आरोपी



मुलायम-अखिलेश का करीबी है मायावती की मूर्ति तोड़ने का आरोपी

लखनऊ. यूपी की पूर्व सीएम मायावती की मूर्ति तोड़ने के मामले में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है। इन युवकों की पहचान अंकित, आलोक मिश्रा और अर्पित के तौर पर हुई। यूपी के डीजीपी ए सी शर्मा ने बताया कि चार लोगों ने अंबेडकर पार्क में मायावती की मूर्ति तोड़ी। ये फोटोग्राफर बनकर पार्क में घुसे।

इस पूरी घटना का मुख्‍य आरोपी और उत्‍तर प्रदेश नवनिर्माण सेना का अध्‍यक्ष अमित जानी जाना माना अपराधी है। इस पर पहले से सात आपराधिक मुकदमे हैं। इनमें एक ट्रक लूटने का भी केस है।

अमित जानी सपा के सीनियर नेताओं का करीबी बताया जा रहा है। अमित की सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, यूपी के सीएम अखिलेश यादव और वरिष्‍ठ मंत्री आजम खां के साथ तस्‍वीरें हैं।

मुलायम-अखिलेश का करीबी है मायावती की मूर्ति तोड़ने का आरोपी



मुलायम-अखिलेश का करीबी है मायावती की मूर्ति तोड़ने का आरोपी

लखनऊ. यूपी की पूर्व सीएम मायावती की मूर्ति तोड़ने के मामले में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है। इन युवकों की पहचान अंकित, आलोक मिश्रा और अर्पित के तौर पर हुई। यूपी के डीजीपी ए सी शर्मा ने बताया कि चार लोगों ने अंबेडकर पार्क में मायावती की मूर्ति तोड़ी। ये फोटोग्राफर बनकर पार्क में घुसे।

इस पूरी घटना का मुख्‍य आरोपी और उत्‍तर प्रदेश नवनिर्माण सेना का अध्‍यक्ष अमित जानी जाना माना अपराधी है। इस पर पहले से सात आपराधिक मुकदमे हैं। इनमें एक ट्रक लूटने का भी केस है।

अमित जानी सपा के सीनियर नेताओं का करीबी बताया जा रहा है। अमित की सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, यूपी के सीएम अखिलेश यादव और वरिष्‍ठ मंत्री आजम खां के साथ तस्‍वीरें हैं।
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