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28 जुलाई 2012

हंसते-खिलखिलाते महापौर पर कचरा फेंका, राष्ट्रगान का किया अपमान

कोटा. नगर निगम बोर्ड की बैठक : पांच महीने बाद शनिवार को हुई बोर्ड की बैठक में जनता की समस्याओं पर कोई बात नहीं हुई, विपक्ष के पार्षद मुद्दों की बजाए नौटंकी करने में ज्यादा मशगूल रहे। सत्तापक्ष ने धड़ाधड़ कुछ प्रस्ताव पास कर दिए, जिनमें से ज्यादातर व्यक्तिगत या आफिशियल थे, पिछली बैठक भी बजट तक ही सीमित थी।

नगर निगम की शनिवार को हुई साधारण सभा की बैठक में मात्र 40 मिनट में 32 प्रस्तावों में से 27 को पारित कर दिया और 3 सरकार को भेज दिए। इस हिसाब से पारित हुए प्रत्येक प्रस्ताव पर औसत डेढ़ मिनट भी चर्चा नहीं हो पाई। सफाई के नाम पर लगाए गए यूजर्स टैक्स और भवन निर्माण स्वीकृति पर मलबा उठाने के बदले शुल्क 2 हजार रुपए बढ़ाने पर कांग्रेस के तो किसी पार्षद ने विरोध नहीं किया। भाजपाई और निर्दलीय पार्षदों ने भी ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई। हालांकि यूजर्स टैक्स के विरोध में निर्दलीय पार्षद नाटकीय अंदाज में पहुंचे। सिर पर रखी टोकरियों में से विरोध करते हुए सजावटी कचरे को महापौर पर भी फेंका।

बैठक शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष बृजमोहन सेन ने डोर-टू-डोर सफाई का चार्ज बिजली के बिलों में जोड़ने का विरोध किया, तो भाजपा के अन्य पार्षदों ने भी ‘यूजर्स चार्ज वापस लो’ लिखीं टोपियां पहन नारेबाजी की। इसी बीच निर्दलीय पार्षद गोपाल मंडा, जसपाल अरोड़ा व जितेंद्र सिंह करों के बोझ से दबे ग्रामीण की वेषभूषा में सदन में पहुंचे। उन्होंने सिर पर टोकरियां रख रखी थी जिस पर निगम द्वारा लगाए जा रहे करों की तख्तियां लगी थी। हंगामे पर ध्यान नहीं दिया तो वे पहले जमीन पर बैठ गए। फिर भी प्रस्ताव पारित होते रहे तो उन्होंने कचरा फेंक दिया। इसके कुछ पल बाद ही महापौर ने राष्ट्रगान शुरू कर दिया और उसके बाद बैठक समाप्त हो गई।

बहस नहीं करने दी

विपक्ष व निर्दलीयों ने आरोप लगाया कि वे सभी बिंदुओं पर बहस करना चाहते थे। सभी 32 बिंदुओं पर हमने सवाल तैयार कर रखे थे। बहस से डरकर महापौर लगातार प्रस्ताव पड़ती रहीं और साजिश के तहत सत्ता पक्ष उन्हें पारित करता रहा। वहीं महापौर डॉ.जैन का कहना है कि वे शांति से बहस करते तो बहस का मौका भी देते। वे तो केवल हंगामा करने आते हैं।

मंडा का निलंबन निरस्त

बैठक शुरू होते ही निर्दलीय पार्षद जसपाल अरोड़ा ने मंडा का निलंबन निरस्त करने प्रस्ताव रखा। पार्षद आनंद पाटनी ने इसका समर्थन किया। सभी के समर्थन करने पर महापौर ने प्रस्ताव पारित कर मंडा को भीतर बुलाया। असंसदीय भाषा का उपयोग करने पर निर्दलीय पार्षद गोपाल मंडा को पिछली बोर्ड बैठक में महापौर ने निलंबित कर दिया था।

राष्ट्रगान का अपमान

बैठक में हंगामा बढ़ता देख पिछली बार की तरह खड़े होकर राष्ट्रगान शुरू कर दिया। गायत्री सिसोदिया ने भी ऐसा ही किया और फिर सभी राष्ट्रगान में शामिल हो गए, हंगामा शांत हो गया। राष्ट्रगान खत्म करने की भी इतनी जल्दी थी कि इसकी अंतिम लाइन जय हे, जय हे, जय हे गाए बिना ही जयहिंद बोलकर सब बाहर की तरफ निकल गए। महापौर का कहना था कि कुछ लोगों ने अधूरा गाया होगा, मैंने तो मन में पूरा राष्ट्रगान गाया था।

प्रस्तावों पर आपत्ति

सत्ता पक्ष के पार्षद एक बाद एक प्रस्ताव पारित कर रहे थे, लेकिन उसी दल की पार्षद गायत्री सिसोदिया ने 3 प्रस्तावों पर आपत्ति लगाई। हंगामे में उनकी बात भी किसी ने नहीं सुनी तो वे उठकर महापौर व सीईओ दिनेश जैन के पास पहुंच गई और आपत्ति दर्ज करवाकर आई। उन्होंने महावीरनगर में सीताराम के मकान के अतिक्रमण को नियमित करने, आशा के फीस लाइसेंस को नियमित करने के प्रकरण तथा बाड़े के लिए जमीन देने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज करवाई।

कांग्रेसियों ने किया यूजर्स चार्जेस का स्वागत: विपक्ष जब यूजर्स चार्जेस के विरोध में उतरा तो सत्ता पक्ष की तरफ से पार्षद आनंद पाटनी ने कमान संभाली। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा लगाए जा रहे यूजर्स चार्जेस के स्वागत का प्रस्ताव रखा। जिसका पार्षद जिग्नेश शाह ने समर्थन किया।


ये मसले भेजे राज्य सरकार को

शॉपिंग सेंटर में बरामदों पर निर्माण का नियमन करने संबंधी प्रकरण।
नर्सरी योजना के भूखंडों का आवासीय भू उपयोग परिवर्तन करने का प्रकरण।
दादाबाड़ी में 3-3 फीट के अतिक्रमणों को नियमित कर स्ट्रिप ऑफ लैंड के तहत बेचने का मामला।

इन प्रस्तावों के लिए बनाई कमेटी

लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत द्वितीय अपीलार्थी हीरालाल भंसाली का प्रकरण।
लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत द्वितीय अपीलार्थी धर्मपाल सिंह का प्रकरण।


बिना बहस के पारित होने वाले प्रमुख प्रस्ताव

भवन निर्माण स्वीकृति के साथ ही मलबा उठाने का शुल्क 2 हजार रुपए तक बढ़ाया जाएगा।
सामुदायिक भवनों का शुल्क निर्धारण कर बढ़ाने पर विचार। पार्षद सिसोदिया व गिर्राज महावर ने इसका विरोध किया था।
विधि अधिकारी के पदों का सृजन करना।
हाईकोर्ट में मामलों की पैरवी के लिए वकील नारायण प्रसाद उपाध्याय को नियुक्त करना।
दशहरा मैदान की जमीन के प्रकरण के लिए वकील मनोज शर्मा को एक लाख पारिश्रमिक पर नियुक्त करना।
निगम में डीटीपी, एसटीपी के पदों का सृजन करना।
रजिस्ट्री नहीं करवाने पर 2 हजार रुपए प्रतिमाह पैनल्टी लगाई जाएगी।
कोटा के महाराजा भीम सिंह व पूर्व उद्योग मंत्री रिखबचंद धारीवाल की शहर में आदमकद प्रतिमाएं लगाई जाएगी।

चक्कर खाकर बाथरूम में गिरे एसपी, गर्दन में चोट

कोटा. एसपी (सिटी) प्रफुल्ल कुमार शनिवार सुबह अपने घर पर बाथरूम में गिरने से चोटग्रस्त हो गए। उन्हें इलाज के लिए तलवंडी स्थित सुधा अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनके गर्दन के पास हड्डी में मामूली फ्रेक्चर बताया गया है।

सुबह सात बजे करीब एसपी अपने आवास पर बाथरूम में नहाने के लिए पहुंचे, अचानक उन्हें चक्कर आए और वे गिर गए। उनके गर्दन के पास चोट लगी। उन्हें तुरंत अस्पताल में पहुंचाया गया। उनकी देखरेख कर रहे डॉ. आरके अग्रवाल ने बताया कि उनकी गर्दन के पास हड्डी में क्रेक है, इसलिए उन्हें कुछ दिन अस्पताल में ही रहना होगा।

उन्होंने कहा कि एसपी को सरवाइकल की प्रॉब्लम पहले से ही है। इससे ही उन्हें बाथरूम में चक्कर आए थे। जिससे यह घटना हुई। जैसे ही उनके घायल होने की सूचना फैली, उनसे मिलने वालों को अस्पताल में तांता लग गया। हालांकि फिलहाल किसी को मिलने नहीं दिया गया।

'निर्वस्त्र कर पीटी गई महिला को उसके प्रेमी के साथ बसाया जाए'

उदयपुर.सराड़ा थाना क्षेत्र के कोलर गांव में पिछले दिनों विवाहिता को निर्वस्त्र कर प्रताड़ित करने के मामले में शुक्रवार को संभागीय आयुक्त ने महिला उत्पीड़न पर कार्य करने वाली स्वयं सेवी संस्थाओं की बैठक ली। इसमें पीड़िता को मानसिक रोग विशेषज्ञ से परामर्श दिलाने व प्रेमी युवक के साथ व्यवस्थित करने की मांग रखी गई।

संभागीय आयुक्त कार्यालय के सभागार में शुक्रवार को महिला उत्पीड़न की रोकथाम पर चर्चा के लिए बैठक रखी गई थी, लेकिन पूरी बैठक में कोलर गांव की घटना चर्चा में रही। इसमें महिला को निर्वस्त्र करने की घटना को सभी कार्यकर्ताओं ने शर्मनाक बताया। सभी ने पीड़िता के पक्ष में उसकी मानसिक स्थिति को लेकर चर्चा की और मानसिक रोग विशेषज्ञ से परामर्श दिलाने की मांग की।

इसके अलावा इस पूरी घटना में सामूहिक रूप से हुए घटनाक्रम के बावजूद 120-बी धारा नहीं जोड़ने पर भी विरोध जताया गया। बैठक में नाता प्रथा को लेकर भी चर्चा की गई, जिसमें इस प्रथा को एक ओर सामाजिक दृष्टि से अच्छा भी बताया गया। यह प्रथा परित्यक्तता व एकल जीवन निर्वाह करने वाली महिला को पुन: विस्थापित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण बताई गई।

स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कानून व नाता प्रथा को लेकर सामाजिक व जातिगत फैसलों में अंतर को आयुक्त के सामने रखा गया। इस पर आयुक्त ने राज्यपाल के अधिकार में स्थानीय कानून को लागू करने का अधिकार होने की जानकारी दी और इसका प्रस्ताव बनाकर राज्यपाल को भेजने पर भी चर्चा की।

बैठक में महिला अध्ययन केंद्र की विशेषज्ञ प्रो. विजय लक्ष्मी चौहान, पीयूसीएल की सदस्य प्रज्ञा जोशी, एआईपीडब्ल्यूए की राज्य सचिव डॉ.सुधा चौधरी, आसरा संस्थान से भोजराज सिंह, कार्यक्रम निदेशक ऊषा चौधरी, मनोवैज्ञानिक डॉ. ममता धूपिया, आईसी डीएस की उपनिदेशक श्वेता फगेड़िया, महिला थानाधिकारी निशा भटनागर, आदिवासी विकास मंच से मेघराज तावड़, आस्था संस्थान से वर्षा झंवर आदि मौजूद थे।

पहली बार खाप ने लगाई पुरुषों पर पाबंदी, सिर्फ पांच फीसदी को मंजूर

मुजफ्फरनगर (यूपी). मुजफ्फरनगर के हैबतपुर गांव में 21 जुलाई को ऐतिहासिक पंचायत हुई। पहली बार किसी पंचायत ने पुरुषों पर पाबंदी लगाई। लेकिन इसे मान रहे हैं सिर्फ पांच फीसदी लोग। न मानने वालों को कोई सजा नहीं। इससे पहले पंचायतों ने महिलाओं के पहनावे से लेकर शादी पर जब भी फतवे दिए तो इसी उत्तर प्रदेश में उसे न मानने वालों को मौत की सजा तक सुना दी गई।


चौपाल या गांव प्रधान के घर के बजाए पंचायत हुई दबदबे वाले नैनसिंह के घर। गांव प्रधान की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। गांव में घुसते ही नैनसिंह का पता पूछा तो एक बुजुर्ग ने कहा - सैनियों के मोहल्ले में जाओ। गांव प्रधान के बारे में बात करते ही एक लड़का बोला - वह तो हरिजन है। जबकि इन्हीं लोगों ने सात दिन पहले पंचायत में जाति प्रथा को मिटाने का फैसला किया था।


आवारागर्दी रोकने के लिए चौराहों पर लड़कों के बेवजह खड़े होने पर पाबंदी लगाई। लेकिन हर दूसरी गली के मोड़ पर वे तीन-चार के ग्रुप में बतियाते दिखे। बाकी ईंट-खड़ंजे की सड़कों पर बाइक पर घूमते मिले। एक छात्र से पूछा - मोबाइल इस्तेमाल करते हो? हंसने लगा- नहीं करेंगे तो दोस्तों, रिश्तेदारों से बात कैसे करेंगे। गाने कहां सुनेंगे?


कुछ ने माना, कुछ ने अनसुना किया


गांव में राजपाल जैसे युवक भी हैं। उसका सारा परिवार इन पाबंदियों का पालन करने का दावा करता है। पूछा कि पुरुषों पर पाबंदी क्यों? बोले कि महिलाएं अपने ऊपर पाबंदी खुद लगाएं। फैसला खुद करें। गांव की महिलाएं सिर ढंकती हैं। तो उन्होंने ने भी सफेद कपड़े से सिर ढंकना शुरू कर दिया है। जब राजपाल की मां से पूछा कि क्या वह दहेज के खिलाफ हैं? तो घूंघट के पीछे से ही जवाब दिया - मैं तो अपनी बहू से नहीं लूंगी। उपकेंद्र के बाहर चाय की छोटी सी दुकान पर कुछ लोग मजे से चुस्कियां ले रहे थे। चाय खत्म हुई तो गुटखे का दौर चला। जब पाबंदी की याद दिलाई तो बोले इसके बिना तो हाथ पैर ही न चले। नहीं तो मेहनत मजदूरी कैसे करेंगे?

ये तुगलकी फरमान तो है नहीं

उदयपाल ने कहा, ‘हमारा गांव कोई छोटा गांव न है। 2500 की आबादी। हम जबरदस्ती ना कर रहे। कोई तुगलकी फरमान ना है। हो सकै असर थोड़ा देर से आवे।’ प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के ठीक सामने मांगेराम का घर है। उसने भले पंचायती फरमान के बाद एक हफ्ते से शराब नहीं पी हो। लेकिन उसके दादा दिनभर हुक्का गुड़गुड़ाते रहते हैं। पास ही की पंसारी की दुकान के सामने बीडी फूंक रहे कुछ अधेड़ कहते हैं, इतने साल में नहीं छूटी तो अब क्या फायदा। हां, लेकिन लड़कियों को पढ़ाने और उन्हें आजादी देने के पक्षधर हैं। उनमें से एक धीरसिंह बताने लगे, मेरी बेटी ग्रेजुएट है। उसकी जहां मर्जी होगी शादी करूंगा।

ये भी हैं उदाहरण

हैबतपुर से 30 किमी दूर, देवबंद जिले के मीरकपुर गांव में सैकड़ों वर्षो से किसी ने नशा नहीं किया है।
यूपी के ही बागपत जिले के असारा गांव में पंचायत ने महिलाओं के जींस पहनने, अकेले बाहर जाने पर पाबंदी लगाई थी। इसके तीन दिन बाद हैबतपुर में पुरुषों पर पाबंदी की पंचायत बैठी।
मुजफ्फरपुर के ही दूधाहेड़ी में लड़कियों ने जींस की होली जलाई। यह असरा में पंचायत के फरमान के बाद हुआ।

पाबंदी और सजा


स्कूली लड़के मोबाइल पर बात न करें।
युवा चौराहों पर फालतू न घूमें।
दहेज मांगने और ऑनर किलिंग करने वालों को समाज से निकाल देंगे।
ज्यादा बाराती लाने पर जुर्माना लगेगा।
चाय भी नशा है। हर तरह का नशा करने वाले का करो समाज से बहिष्कार ।
दलित महिला से शादी करनेवाले को दो आरक्षण।

कुदरत का अनोखा खेल: 17वीं संतान को भी मृत समझ छोड़ गई मां लेकिन...!

जयपुर.यह संभवत: प्रदेश का पहला ही मामला होगा। अलवर जिले के दलवाड़ गांव की बबली मीणा 16 बार गर्भवती हुई और हर बार प्री-मैच्योर डिलीवरी। बच्चों ने या तो जन्म से पहले ही गर्भ में दम तोड़ दिया या जन्म लेने के कुछ देर बाद। बबली ने 6 जुलाई को भरतपुर के रस्तोगी हॉस्पिटल में 17वीं संतान को जन्म दिया तो वह भी प्री-मैच्योर। माता-पिता ने समझा यह बच्ची भी जिंदा नहीं रहेगी। भाग्य के भरोसे अस्पताल में ही छोड़ गए।

बच्ची को सांस लेने में तकलीफ, आंतों में संक्रमण और पेट फूलने की शिकायत थी। उसके चाचा रामदेव मीणा आगे आए और नवजात की देखरेख का जिम्म्मा संभाला। 14 जुलाई को बच्ची को जयपुर के बेबीलोन अस्पताल में भर्ती कराया। नवजात अब स्वस्थ है। दूध भी पीने लगी है। अब उसे इंतजार है तो अपनी मां और पिता राधेश्याम का, जिन्होंने करीब 15 दिन से उसे देखा तक नहीं है।

बच्ची स्वस्थ, चाचा कर रहे देखभाल :

बबली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है और बच्ची के चाचा रामदेव गुजरात में रेलवे फोर्स में हैड कांस्टेबल हैं। बच्ची का पिता राधेश्याम खेती करता है। शेष त्न पेज ६


रामदेव अस्पताल में बच्ची की मां की भूमिका निभा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के हरसंभव प्रयास कर रही है। मैं भी इस नेक काम में पीछे हटने वाला नहीं हूं।

रामदेव ने बताया कि बबली के सभी बच्चे प्री-मैच्योर और नॉर्मल डिलीवरी से हुए थे, लेकिन कोई जिंदा नहीं रहा। यह बच्ची उसकी 17वीं संतान है और डिलीवरी सिजेरियन हुई थी। बेबीलोन अस्पताल के डॉ. धनंजय मंगल ने बताया कि 14 जुलाई को जब रामदेव अस्पताल में इस साढ़े सात माह की नवजात बच्ची को लाए थे उस समय इसे सांस में तकलीफ, आंतों में संक्रमण एवं पेट फूलने की शिकायत थी।

अब उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। बच्ची को अभी मशीन पर रखा गया है। उसे जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

उन्होंने बार-बार प्री मैच्योर डिलीवरी के लिए मां को सही तरह से पोषण नहीं मिलने तथा आनुवांशिकता को कारण बताया।

ऐसे केस बहुत कम

वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनिला खंडेलवाल ने बताया कि मैंने तो ऐसे मामले नहीं हैं कि लगातार 16 प्री मैच्योर डिलीवरी हों और सभी बच्चे मर जाएं। बच्चों की मौत के पीछे आनुवांशिक, मां व बच्चे में संक्रमण, यूट्रस की बनावट में खराबी, संक्रमण एवं मुंह का ज्यादा खुलना आदि कारण हो सकते हैं। इसके अलावा पोषण व खून की कमी भी इसके कारण हैं। लगातार ऐसा होने पर महिला को ब्लड, हिस्ट्रोस्कोपी एवं एंटी फॉस्फोलिपिड एंटी बॉडीज सिन्ड्रोम जांच करानी चाहिए।

16 संतानें, एक बार जुड़वां भी

पहले 6 बच्चे छह माह के जन्मे

7 व 8 वां भरतपुर के रस्तोगी अस्पताल में, मृत जन्मे

9 से 12वां सात माह के जन्मे

13वां जुड़वां, मृत

14 से 16वां छह से साढ़े सात माह,मृत जन्मे

कुरान का संदेश

इस खास योग से इस बार स्पेशल होगी राखी


इस बार भाई की कलाई पर राखी बांधने से पहले आपको शुभ नक्षत्र देखने की जरुरत नहीं पड़ेगी क्योंकि इस बार रक्षा बंधन (2 अगस्त, गुरुवार) के पूरे दिन श्रवण नक्षत्र का योग रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार इस बार भद्रा नक्षत्र का योग न होने से पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी। यह योग सबके लिए शुभ व सुख-समृद्धि दायक रहेगा। भद्रा की ये स्थिति 2007 में भी बनी थी, उस वर्ष भी रक्षाबंधन पर्व पर पूरे दिन भद्रा नहीं थी।

ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस बार 1 अगस्त, बुधवार की रात 10 बजकर 49 से श्रवण नक्षत्र प्रारंभ होगा जो 2 अगस्त, गुरुवार की रात 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस तरह श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षा बंधन के दिन करीब 24 घंटे श्रवण नक्षत्र का योग बन रहा है। रक्षा बंधन पर विशेष बात यह है कि इस बार भद्रा नक्षत्र न होने से पूरे दिन कभी भी राखी बांधी जा सकेगी। ऐसा कम ही होता है जब रक्षा बंधन के दिन भद्रा नक्षत्र का योग न बनता हो। सालों बाद ऐसा शुभ योग इस राखी पर बन रहा है।

क्या होता है श्रवण व भद्रा नक्षत्र ?

श्रवण नक्षत्र श्रावण (सावन) की पूर्णिमा के दिन पूर्ण चंद्रमा से संयोग करता है इसलिए हिंदू धर्म में इस महीने को श्रावण कहते हैं। 27 नक्षत्रों में से एक श्रवण नक्षत्र को अति शुभ माना गया है क्योंकि इसके आराध्य भगवान विष्णु हैं। श्रवण नक्षत्र सभी प्रकार के अवरोधों को समाप्त कर सभी कार्यों को शुभ बनाता है।

इसके विपरीत भद्रा नक्षत्र को शुभ कामों के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इस नक्षत्र में किए गए शुभ काम फलदाई नहीं होते। राखी पर अक्सर भद्रा नक्षत्र का योग बनता है इसलिए इस दिन राखी बांधते समय शुभ नक्षत्र अवश्य देखा जाता है।

महिलाएं करेंगी श्रवण पूजन

श्रवण नक्षत्र के समय महिलाएं परंपरानुसार घर के बाहर गाय के गोबर व लाल गेरु से श्रवण कुमार की कृति बनाकर पूजन कर उन पर रक्षासूत्र अर्पित करेंगी। यह पूजन सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।

मोदी का इंटरव्‍यू लेना पड़ा महंगा, शाहिद की सपा से छुट्टी



नई दिल्‍ली. गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्‍यू लेना शाहिद सिद्दिकी को महंगा पड़ा है। सपा के सांसद रहे सिद्द‍िकी की पार्टी से छुट्टी कर दी गई है। सपा ने यहां तक कह दिया है कि सिद्दिकी तो कभी भी सपा का हिस्‍सा नहीं रहे।

सपा प्रवक्‍ता राम गोपाल यादव ने कहा कि सिद्दिकी का उनकी पार्टी से कोई रिश्‍ता नहीं रहा है। यादव ने मीडिया से भी अपील की कि शाहिद सिद्दिकी को सपा का सदस्‍य नहीं माना जाए।

हालांकि राम गोपाल के इस बयान पर यकीन नहीं किया जा सकता है कि शाहिद सिद्दिकी कभी सपा के नेता ही नहीं रहे। आठ जनवरी 2012 को शाहिद ने मुलायम सिंह यादव और आजम खां की मौजूदगी में सपा ज्‍वाइन किया था।

अन्ना समर्थकों ने मनमोहन के घर पर फेंके कोयले, कई गिरफ्तार

अन्ना समर्थकों ने मनमोहन के घर पर फेंके कोयले, कई गिरफ्तार

नई दिल्ली. टीम अन्ना ने आज प्रधआनमंत्री मनमोहन सिंह के आवास 7 रेसकोर्स पर विरोध प्रदर्शन किया। अन्ना समर्थकों ने प्रधानमंत्री आवास पर सिक्के और कोयले फेंके और दरवाजे पर कोयले से चोर भी लिख दिया। मौके पर मौजूद पुलिस बल ने 100 से अधिक अन्ना समर्थकों को गिरफ्तार कर लिया।


कई महिला समर्थक भी पीएम आवास के बाहर सड़क पर लेट गईं। पीएम आवास पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती न होने के चलते उन्हें हटाने में करीब एक घंटे का वक्त लग गया।


इससे पहले शनिवार सुबह भी जंतर-मंतर पर गिने चुने लोग ही पहुंचे। हालांकि शाम होते-होते जंतर-मंतर पर हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई।यही नहीं आंदोलन के नेता भी करीब दस बजे तक गायब थे। अन्ना हजारे अपनी करीबी सहयोगी किरण बेदी और कुमार विश्वास के साथ करीब साढ़े दस बजे अनशन स्थल पहुंचे। लेकिन जैसे-जैसे दिन बढ़ा जंतर-मंतर पर भीड़ बढ़ती चली गई और शाम होते-होते जंतर-मंतर खचाखच भर गया।


हालांकि अन्ना हजारे ने एक बार फिर अनशन पर बैठने की घोषणा की है। अन्ना ने मांगे मानने के लिए केंद्र सरकार को चार दिन का वक्त दिया था जो शनिवार को पूरा हो रहा है। अब रविवार से स्वयं अन्ना हजारे अनशन पर बैठ जाएंगे।

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