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31 जुलाई 2012

यह चंद अलफ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लियें

यह चंद अलफ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लियें
जी हाँ समझो या न समझो
यह अलफ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लियें है ॥
इन अल्फाजों का दर्द
इन अल्फाजों में छुपी तडपन
हो सके तो तुम समझ लेना
हो सके तो अपनी प्रतिक्रिया भी देना
वरना यूँ ही में तो फिर से
ज़िंदा लाश की तरह
मुर्दा विचार की तरह
कोने में एक तरफ अकेला
हाँ सिर्फ अकेला
तुम्हारे किसी इन्तिज़ार में पढ़ा रहूँगा ॥
जी हाँ यह चंद अलफ़ाज़ सिर्फ तुम्हारे लियें
समझो तो ठीक है वरना ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

रक्षाबंधन का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

सभी जानते हैं भारत में अगर हिंदू धर्म की कोई सबसे बड़ी पहचान है तो वह हैं इसके त्यौहार. और सिर्फ हिंदू ही क्यूं भारत में तो हर जाति और धर्म के त्यौहारों का अनूठा संगम देखने को मिलता है. हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है राखी या रक्षाबंधन.


Raksha Bandhan 2012Raksha Bandhan Historical and spiritual Importance

रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते की पहचान माना जाता है. राखी का धागा बांध बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का प्रण लेती है. यूं तो भारत में भाई-बहनों के बीच प्रेम और कर्तव्य की भूमिका किसी एक दिन की मोहताज नहीं है पर रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से ही यह दिन इतना महत्वपूर्ण बना है.


भारत चाहे आज कितना भी विकसित क्यूं ना हो जाए यहां धर्म हर चीज पर भारी पड़ता है. रक्षाबंधन के संदर्भ में भी कहा जाता है कि अगर इस पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व नहीं होता तो शायद यह पर्व अब तक अस्तित्व में रहता ही नहीं. तो चलिए जानते हैं आखिर क्या है रक्षाबंधन का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व:


रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार यह पर्व देवासुर संग्राम से जुडा है. जब देवों और दानवों के बीच युद्ध चल रहा था और दानव विजय की ओर अग्रसर थे तो यह देख कर राजा इंद्र बेहद परेशान थे. दिन-रात उन्हें परेशान देखकर उनकी पत्नी इंद्राणी (जिन्हें शशिकला भी कहा जाता है) ने भगवान की अराधना की. उनकी पूजा से प्रसन्न हो ईश्वर ने उन्हें एक मंत्रसिद्ध धागा दिया. इस धागे को इंद्राणी ने इंद्र की कलाई पर बांध दिया. इस प्रकार इंद्राणी ने पति को विजयी कराने में मदद की. इस धागे को रक्षासूत्र का नाम दिया गया और बाद में यही रक्षा सूत्र रक्षाबंधन हो गया.


वामनावतार में रक्षाबंधन

वामनावतार नामक पौराणिक कथा में रक्षाबंधन का प्रसंग मिलता है. कथा इस प्रकार है – राजा बलि ने यज्ञ संपन्न कर स्वर्ग पर अधिकार का प्रयत्‍‌न किया, तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु (Lord Vishnu) से प्रार्थना की. विष्णु जी वामन ब्राह्मण बनकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए. गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी. वामन भगवान ने तीन पग में आकाश-पाताल और धरती नाप कर राजा बलि को रसातल में भेज दिया. उसने अपनी भक्ति के बल पर विष्णु जी से हर समय अपने सामने रहने का वचन ले लिया. लक्ष्मी जी इससे चिंतित हो गईं. नारद जी की सलाह पर लक्ष्मी जी बलि के पास गई और रक्षासूत्र बांधकर उसे अपना भाई बना लिया. बदले में वे विष्णु जी को अपने साथ ले आईं. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी.


महाभारत में रक्षाबंधन

महाभारत में भी रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख है. जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को कैसे पार कर सकता हूं, तब कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना की रक्षा के लिए राखी का त्यौहार मनाने की सलाह दी थी. शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण (Lord Krishna) की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने लहू रोकने के लिए अपनी साड़ी फाड़कर चीर उनकी उंगली पर बांध दी थी. यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था. कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था.


Rakhi 2012रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व

हुमायूं ने निभाई राखी की लाज

चित्तौड़ की विधवा महारानी कर्मावती ने जब अपने राज्य पर संकट के बादल मंडराते देखे तो उन्होंने गुजरात के बहादुर शाह के खिलाफ मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेज मदद की गुहार लगाई और उस धागे का मान रखते हुए हुमायूं ने तुरंत अपनी सेना चित्तौड़ रवाना कर दी. इस धागे की मूल भावना को मुगल सम्राट ने न केवल समझा बल्कि उसका मान भी रखा.


सिकंदर ने अदा किया राखी का कर्ज

कहते हैं, सिकंदर की पत्‍‌नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरु को राखी बांध कर उसे अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था. पुरु ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया था.


rabindranathtagore1रविंद्र नाथ टैगोर ने दिया नया नजरिया

गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने राखी के पर्व को एकदम नया अर्थ दे दिया. उनका मानना था कि राखी केवल भाई-बहन के संबंधों का पर्व नहीं बल्कि यह इंसानियत का पर्व है. विश्वकवि रवींद्रनाथ जी (Rabindranath Tagore) ने इस पर्व पर बंग भंग के विरोध में जनजागरण किया था और इस पर्व को एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाया था. 1947 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में जन जागरण के लिए भी इस पर्व का सहारा लिया गया.


इसमें कोई संदेह नहीं कि रिश्तों से ऊपर उठकर रक्षाबंधन की भावना ने हर समय और जरूरत पर अपना रूप बदला है. जब जैसी जरूरत रही वैसा अस्तित्व उसने अपना बनाया. जरूरत होने पर हिंदू स्त्री ने मुसलमान भाई की कलाई पर इसे बांधा तो सीमा पर हर स्त्री ने सैनिकों को राखी बांध कर उन्हें भाई बनाया. राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है. इस नजरिये से देखें तो एक अर्थ में यह हमारा राष्ट्रीय पर्व बन गया है.

रक्षा बंधन - ऐतिहासिक प्रसंग




राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएं उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बांधती थी। इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आएगा।

राखी के साथ एक और ऐतिहासिक प्रसंग जुड़ा हुआ है। मुगल काल के दौर में जब मुगल बादशाह हुमायूँ चितौड़ पर आक्रमण करने बढ़ा तो राणा सांगा की विधवा कर्मवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर रक्षा वचन ले लिया। हुमायूँ ने इसे स्वीकार करके चितौड़ पर आक्रमण का ख़्याल दिल से निकाल दिया और कालांतर में मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज निभाने के लिए चितौड़ की रक्षा हेतु बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती और मेवाड़ राज्य की रक्षा की।

सुभद्राकुमारी चौहान ने शायद इसी का उल्लेख अपनी कविता, 'राखी' में किया है:

मैंने पढ़ा, शत्रुओं को भी
जब-जब राखी भिजवाई
रक्षा करने दौड़ पड़े वे
राखी-बन्द शत्रु-भाई॥

सिकंदर और पुरू

सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरूवास को राखी बांध कर अपना मुंहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवदान दिया।

ऐतिहासिक युग में भी सिंकदर व पोरस ने युद्ध से पूर्व रक्षा-सूत्र की अदला-बदली की थी। युद्ध के दौरान पोरस ने जब सिकंदर पर घातक प्रहार हेतु अपना हाथ उठाया तो रक्षा-सूत्र को देखकर उसके हाथ रूक गए और वह बंदी बना लिया गया। सिकंदर ने भी पोरस के रक्षा-सूत्र की लाज रखते हुए और एक योद्धा की तरह व्यवहार करते हुए उसका राज्य वापस लौटा दिया।

चंद्रशेखर आजाद का प्रसंग

बात उन दिनों की है जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थे और फिरंगी उनके पीछे लगे थे।

फिरंगियों से बचने के लिए शरण लेने हेतु आजाद एक तूफानी रात को एक घर में जा पहुंचे जहां एक विधवा अपनी बेटी के साथ रहती थी। हट्टे-कट्टे आजाद को डाकू समझ कर पहले तो वृद्धा ने शरण देने से इनकार कर दिया लेकिन जब आजाद ने अपना परिचय दिया तो उसने उन्हें ससम्मान अपने घर में शरण दे दी। बातचीत से आजाद को आभास हुआ कि गरीबी के कारण विधवा की बेटी की शादी में कठिनाई आ रही है। आजाद महिला को कहा, 'मेरे सिर पर पांच हजार रुपए का इनाम है, आप फिरंगियों को मेरी सूचना देकर मेरी गिरफ़्तारी पर पांच हजार रुपए का इनाम पा सकती हैं जिससे आप अपनी बेटी का विवाह सम्पन्न करवा सकती हैं।

यह सुन विधवा रो पड़ी व कहा- “भैया! तुम देश की आजादी हेतु अपनी जान हथेली पर रखे घूमते हो और न जाने कितनी बहू-बेटियों की इज्जत तुम्हारे भरोसे है। मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकती।” यह कहते हुए उसने एक रक्षा-सूत्र आजाद के हाथों में बाँध कर देश-सेवा का वचन लिया। सुबह जब विधवा की आँखें खुली तो आजाद जा चुके थे और तकिए के नीचे 5000 रूपये पड़े थे। उसके साथ एक पर्ची पर लिखा था- “अपनी प्यारी बहन हेतु एक छोटी सी भेंट- आजाद।”

इन 'पांच' बीमारियों ने मचाया कहर, जरा रहें इनसे सावधान

इंदौर। मौसम के मिजाज बदलने के साथ ही सीजनल बीमारियों का सिलसिला शुरू हो गया है। हॉस्पिटल्स के ओपीडी में हर हफ्ते आ रहे मरीजों में औसतन 250 केस थ्रोट इन्फेक्शन के, १क्क् जॉन्डिस के और 80 केस टायफाइड के हैं। इस सीजन में बाहर की अनहाइजीनिक चीजें खाने से फूड पॉइजनिंग जैसी पेट की बीमारियां भी हो रही हैं। ज्यादातर हेल्थ प्रॉब्लम्स पीने के पानी की वजह से हो रही हैं।

पीने के पानी का रखें ख्याल- एमवाय हॉस्पिटल के डॉ. सलिल भार्गव बताते हैं मॉनसून में शरीर का तापमान कम हो जाता है। ऐसे में गर्म खाना खाने से न सिर्फ टेम्प्रेचर मेंटेन रहता है, बल्कि कई तरह के इन्फेक्शन से भी बचाव होता है। भीगने से सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां ज्यादा होती हैं। डैंड्रफ भी हो जाता है। भीगने पर तुरंत खुद को सुखा लें। फिल्टर्ड पानी पिंए। इससे पेट में इन्फेक्शन नहीं होगा।

पेट रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील जैन बताते हैं घर के बाहर पानी जमा नहीं होने दें। इससे वहां मच्छर नहीं होंगे। मलेरिया, डेंगू की आशंका कम हो जाएगी। बारिश में नॉर्मल वॉटर लाइन में कंटेमिनेटेड पानी मिल जाता है। इसी वजह से टायफाइड, जॉन्डिस के मामले 20 से 30 फीसदी तक बढ़ रहे हैं।

इस सीजन में आ रही हैं ये हेल्थ प्रॉब्लम्स

1. फ्लू, कॉमन कोल्ड, वायरल फीवर

सिम्प्टम्स- नाक बहना, गला सूखना, खांसी और बुखार।
कैसे होता है- र्हाइनोवायरस के इन्फेक्शन से। मरीज के छींकने-खांसने या बात करने पर वायरस हवा में फैल जाते हैं।
कैसे बचें- बार-बार हाथ धोएं।

2. मच्छरों से होने वाली बीमारियां

मलेरिया और डेंगू
सिम्प्टम्स- सिरदर्द, ठंड लगना, लगातार तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी।
कैसे फैलता है: मच्छर से।
कैसे बचें: मॉस्किटो नेट और रेपेलेंट का इस्तेमाल करें।

फूड-वॉटर बॉर्न डिसीज

3. कॉलेरा

सिम्प्टम्स- डायरिया, वॉमिटिंग, मांसपेशियों में दर्द और बुखार।

4. टायफाइड
सिम्प्टम्स- बुखार, पेट दर्द, सिरदर्द, पेट और चेस्ट पर रैश।

5. डायरिया
सिम्प्टम्स- डीहाइड्रेशन, पेट में दर्द।
कैसे होता है- बासी और फंगस लगे खाने से, गंदा पानी पीने से।

कैसे बचें- हमेशा उबला पानी पिएं, खाना ढंक कर रखें।

हर हफ्ते के औसतन मामले

- 80 मामल टायफाइड के।

- 100 जॉन्डिस के।

- 30 मलेरिया के।

- 50 फूड पॉइजनिंग के।

- 250 केस थ्रोट इन्फेक्शन के।

- 10 केस कंजक्टिवाइटिस के।

- 100 फ्लू के।
(आंकड़े एमवाय, चोइथराम, सीएचएल अपोलो, सिनर्जी और बॉम्बे हॉस्पिटल के ओपीडी के मुताबिक)

केला भले हो आपका पसंदीदा लेकिन अब खाने से पहले पढ़ लें यह सनसनीखेज खबर!

रांची. राजधानी में मिलने वाले फल व सब्जी का आकार बढ़ाने के लिए इन दिनों कई तरह की घातक दवाईयों का प्रयोग हो रहा है। कार्बाइड से फलों को पकाने के अलावा केमिकल का प्रयोग भी खूब किया जा रहा है। टेगापैन- 39 को पानी में घोलकर केले पकाए जा रहे हैं। इससे केले का आकार भी बढ़ जाता है। इसके बावजूद इस पर रोक लगाने के लिए खाद्य विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।


शहर में मिलने वाले फलों के सेवन से सेहत बेहतर होने की बजाए लोगों को गंभीर बीमारी हो सकती है। क्योंकि, राजधानी में फल और सब्जी में ऑक्सीटॉक्सिन ही नहीं, बल्कि हिटकुलान, अनुगोर, रोगोर, मिलकुलान ब्लुम व रनटेक्स आदि कई तरह की दवाओं का उपयोग इनका आकार बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। सब्जियों को रंगीन बनाने के लिए भी केमिकल्स का इस्तेमाल हो रहा है। ऑक्सीटॉक्सिन को भले ही प्रतिबंधित कर दिया गया हो, किंतु इसके अलावा उसी तरह की कई दवाईयां धड़ल्ले से खाद-बीज बेचने वाले छोटे से लेकर बड़े दुकानों में बिक रही हैं। भारत सरकार की अधिसूचना जीएसआर 282(ई) दिनांक 16 जुलाई 1996 के तहत ऑक्सीटॉक्सिन की खुली बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके बावजूद इसकी बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। जहां ऑक्सीटोसिन के उपयोग से पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ाने में किया जाता है। वहीं सब्जियों में इसका इस्तेमाल आकार कम समय में बढ़ाने और रंगीन करने में किया जाता है। किंतु इसका सीधा असर इसके उपयोग करनेवालों पर हो रहा है। इसके बावजूद इसकी बिक्री पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लग रहा है।

घातक है ऑक्सीटॉक्सिन

ऑक्सीटॉक्सिन एक ऐसा हार्मोन है, जो मस्तिष्क के हाइपोथेलेमस के हिस्से से निकलता है। इसमें पाए जानेवाले सोडियम कणों की वजह से महिलाओं के प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है। इसके साथ ही यह प्रसव उपरांत मां के दूध में बढ़ोतरी भी करता है। इसका उपयोग चिकित्सक के द्वारा प्रसव के वक्त किया जाता है। साथ ही जरूरत पडऩे पर मां के दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसी दवा का उपयोग सब्जी व फलों में धड़ल्ले से किया जा रहा है।

हो सकती है गंभीर बीमारी

"कई केमिकल ऐसे हैं जिनका उपयोग फलों और सब्जियों में होता है। ऐसे फलों या सब्जियों के सेवन से निश्चित रूप से इंसान को गंभीर बीमारी हो सकती है। इंसान को ब्लडप्रेशर से लेकर कैंसर तक हो सकता है। इसलिए केमिकल युक्तफल और सब्जी का उपयोग से बचना ही चाहिए।" - डॉ. एसपी प्रसाद, एक्स. प्रोफेसर, बीएयू


रिम्स के डॉ संजय सिंह कहते हैं कि केमिकल से पकाने वाले फलों का सेवन व्यक्ति को बहुत जल्द बीमार कर सकता है। ऑक्सीटोसिन युक्त दूध व सब्जी के प्रयोग से मानव में कई प्रकार के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इसके उपयोग से हार्मोंस में परिवर्तन हो सकता है। इसके अलावा कफ, हृदय रोग, सीने में दर्द, भूख नहीं लगना, शरीर का फूल जाना, अचानक वजन में वृद्धि, रुक-रूककर पेशाब आना, अतिसंवेदनशील होना, अनियमित हृदय गति, नर्वस सिस्टम में खराबी, रक्त का जम जाना, निर्णय लेने की क्षमता का ह्रास व सिर में दर्द आदि की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

लिखी रहती है गंभीर चेतावनी

टैगपोन- 39 केमिकल के डिब्बे में लिखा रहता है कि ‘प्रयोग से पहले संलग्न पत्रिका ध्यान से पढ़े। इस्तेमाल के बाद खाली डिब्बों को गाड़ दें। बची हुई दवा इस प्रकार नष्ट करें कि वातावरण दूषित न हो। बच्चों और पालतू जानवरों की पहुंच और खाद्य पदार्थों से इसे दूर रखें। इथिफॉन टेक्निकल 39 व अन्य सहायक तत्व 61 यानी कुल 100 प्रतिशत।’ ऐसी चेतावनी लिखी सैकड़ों डिब्बियों को राजधानी के फल मंडी के आसपास फेंका हुआ देखा जा सकता है। इससे साफ होता है कि ऐसे खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल फलों के आकार को बढ़ाने और पकाने के लिए किया जा रहा है।

जल्द करेंगे कारवाई

" हमें भी इसकी जानकारी मिली है। हमलोग फल विक्रेताओं द्वारा केमिकल से फलों के पकाने की जांच करेंगे। अगर राजधानी में ऐसा हो रहा है तो यह गलत है। वैसे अभी हमलोग विभाग में कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं, इसीलिए इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।" - डॉ टीपी वर्णवाल, स्टेट फूड कंट्रोलर, झारखंड.

इन तस्वीरों में छुपा है दुनिया के अंत का संकेत!

मुंबई. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित रोमांचक और बेहद आकर्षक पर्वतीय स्थल पर बने एक किले को ' हरिश्चन्द्रगढ़' के नाम से जाना जाता है. वैसे तो इस जगह का अपना गौरवशाली इतिहास है लेकिन, हम आपको यहां बने एक मंदिर और उससे जुड़ी एक बेहद रोचक मान्यता के बारे में बताने वाले हैं.

हरिश्चन्द्रगढ़, यहां बने मुख्य मंदिर हरिश्चंद्रेश्वर और गुफाओं के लिए जाना जाता है. इन्हीं गुफाओं में है एक शिव मंदिर जो लगभग पूरे साल पानी में डूबा रहता है.

इस मंदिर तक पहुंचना भी ख़ासा मुश्किल काम है. इन सब से हट कर एक ख़ास तथ्य जो इस मंदिर को अनूठा बनाती है वह है इसकी छत. मंदिर की छत वैसे को तो चार पिलर पर टिकी है लेकिन, इसके तीन पिलर टूट चुके हैं और फिलहाल सिर्फ एक पिलर शिवलिंग पर बनी इस छत का भार थामे हुए है. ऐसी मान्यता है कि जिस दिन इस छत की आखिरी पिलर टूटेगी वही दिन इस दुनिया में प्रलय का दिन होगा.

कुरान का संदेश

रोचक बातें: पत्नी ने पति को बांधी थी पहली राखी!


रक्षा बंधन हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। कालांतर में रक्षा बंधन का पर्व राखी के नाम से जाना जाने लगा। राखी का त्योहार कब से मनाया जा रहा है इसके बारे में कुछ स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता लेकिन भविष्यपुराण में वर्णित एक कथा में इसका एक उदाहरण अवश्य मिलता है। यह कथा इस प्रकार है-

भविष्यपुराण की एक कथा है कि एक बार देवता और दानवों में बारह वर्षों तक युद्ध हुआ, पर देवता विजयी नहीं हुए। तब इंद्र हार के भय से दु:खी होकर देवगुरु बृहस्पति के पास गए। गुरु बृहस्पति ने कहा - युद्ध रोक देना चाहिए। तब उनक बात सुनकर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने कहा कि कल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा है, मैं रक्षा सूत्र तैयार करूंगी जिसके प्रभाव से इनकी रक्षा होगी और यह विजयी होंगे। इंद्राणी द्वारा व्रत कर तैयार किए गए रक्षा सूत्र को इंद्र ने मंत्रों के साथ ब्राह्मण से बंधवाया। इस रक्षा सूत्र के प्रभाव से इन्द्र के साथ समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई।

केजरीवाल की तबीयत बिगड़ी, अन्‍ना ने दी अनशन तोड़ने की धमकी

केजरीवाल की तबीयत बिगड़ी, अन्‍ना ने दी अनशन तोड़ने की धमकी

नई दिल्‍ली। पिछले सात दिनों से अनशन पर बैठे टीम अन्‍ना के सदस्‍य अरविंद केजरीवाल और गोपाल राय की तबीयत बिगड़ गई है। डॉक्‍टरों ने उन्‍हें तुरंत अस्‍पताल में भर्ती होने का सुझाव दिया है। लेकिन अरविंद और गोपाल राय ने अनशन तोड़़ने से मना कर दिया है।


वहीं केंद्र सरकार टीम अन्ना से बात करने के मूड में नहीं दिख रही है। मंगलवार को अनशन का सातवां दिन है लेकिन अभी तक सरकार की ओर से बातचीत की कोई पहल नहीं की गई है।
दूसरी ओर, अन्ना हजारे ने मीडिया के लोगों के साथ समर्थकों द्वारा हुई बदसलूकी के लिए माफी मांगी और कहा कि मीडिया और कार्यकर्ताओं को मिलकर लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करना होगा। अन्ना ने कहा, यदि ऐसी घटना दोबारा हुई तो वह आंदोलन समाप्त कर देंगे।
अन्‍ना हजारे ने समर्थकों को चेताते हुए कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह अहिंसक है। इसमें हिंसा के लिए कोई स्‍थान नहीं है।
अरविंद केजरीवाल ने माफी मांगते हुए कहा कि अब यह न्‍यूज चैनलों के मालिकों को सोचना चाहिए कि वह किसके साथ हैं। हम मीडिया के साथ हुई बदसलूकी के लिए माफी मांगते हैं?
टीम के सदस्‍य शांति भूषण ने सोमवार रात कहा था कि मीडिया के जो लोग यहां है, वह तो सब सच्‍चाई जानते हैं। इनका कोई कसूर नहीं है। मालिकों के हाथ में सबकुछ है। वह जानबूझ कर सच्‍चाई नहीं दिखा रहे हैं।
भूषण के बयान और बदसलूकी पर संपादकों की संस्‍था ब्रॉडकॉस्‍ट एडिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कड़ी आपत्ति जताते हुए टीम अन्‍ना से माफी मांगने को कहा था।

बस यही कहकर तो

हाँ तुम्ही तो हो
जिसने मुझे
आम से खास बनाया ....
तुम सिर्फ मेरे हो
बस यही कहकर तो
तुमने मुझे
अपनी बाँहों में
भर लिया था
में नादान सा समझ बेठा था
के हाँ
बस अब में दुनिया का सबसे अमीर
सबसे खुशनसीब आदमी हो गया हूँ
लेकिन ऐसा कहां था
आज तुम ही हो
जो मुझे देखते हो
मेरे साथ बात किये बगेर
खामोश चले जाते हो
तुम ही हो जो मुझे जलाते हो
मुझे चिड़ाते हो
में इन्तिज़ार करता हूँ तुम्हारा
और तुम मुझे देख कर कहीं और किसी और के साथ चले जाते हो
खेर यही मेरा नसीब है
जो कुछ यादें थीं तुम्हारी वोह भी अजीब है
में उन यादों को ही
अपना खजाना समझ कर खुद को नवाब बना बेठा हूँ
मेरी यह सल्तनत मेरे ख्यालों की नगरी तो मेरी अपनी है
उसे न तुम छीन सकते हो न ही गिरा सकते हो ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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