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03 अगस्त 2012

FB : 8 अगस्‍त से टाइम लाइन अनिवार्य, यूजर्स में गुस्‍सा

नई दिल्‍ली। सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के एक फैसले ने यूजर्स में काफी नाराजगी दी है। फेसबुक यूजर्स के लिए अब टाइम लाइन अनिवार्य होने जा रहा है। जबकि अब तक यह अनिवार्य नहीं था। 8 अगस्‍त से यह सभी यूजर्स के लिए अनिवार्य हो जाएगा।

टाइमलाइन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके जरिये साल दर साल के हिसाब से वीडियो, फोटो और पोस्ट को रखा और साझा किया जा सकता है।

टाइम लाइन के विरोध के लिए कई फेसबुक पेज भी बनाए गए हैं। इसमें 'टाइमलाइन सक्स', 'डिएक्टीवेट एफबी टाइमलाइन' या 'आई हेट टाइमलाइन' आदि प ेज प्रमुख हैं। 'टाइमलाइन सक्स' ने अपने पन्ने पर लिखा है कि इस सोशल नेटवर्क के सदस्य चाहते हैं कि नए टाइमलाइन का फीचर वैकल्पिक हो और यह हम पर थोपा न जाए।
फेसबुक यूजर ललित कुमार कहते हैं कि आठ अगस्त से फ़ेसबुक पर टाइमलाइन सारे प्रयोक्ताओं पर थोप दिया जाएगा। मैं क्लासिक वॉल व्यू को बहुत मिस करूंगा। एक ऐसे ही यूजर अभिनव प्रकाश कहते हैं कि यह बहुत खराब फैसला है। फेसबुक हम पर अपनी चीजों नहीं थोप सकता है।

फेसबुक का टाइम लाइन पेज एक ही पेज पर आपके अपडेट को दिखाता है। इसके अलावा इसकी मदद से आप अपने एकाउंट पर एक लंबी तस्‍वीर भी अपडेट कर सकते हैं।

दूसरी ओर, फेसबुक की लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। भारत, ब्राजील, इंडोनेशिया जैसे इसमें सबसे आगे हैं। फिलहाज फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़कर 95.5 करोड़ हो गई है। इसी के साथ फेसबुक में फर्जी अकाउंट की तादाद भी बढ़ गई है। साइट पर 8.3 करोड़ फर्जी अकाउंट हैं।

कुरान का संदेश

अन्ना सियासी पार्टी की सदस्यता ..ब्लोक..जिला.प्रदेश..राष्ट्रिय अध्यक्ष का चुनाव क्या वोट डलवाकर करेंगे या फिर दूसरी पार्टियों की तरह थोपेंगे

अन्ना के अनशन के साथ ही देश में जन्लोक्पाल बिल आने की सम्भावनाये खत्म हो गयी है ....कोंग्रेस ने पहले से ही कह दिया था के मानसून सत्र में लोकपाल बिल पर चर्चा नहीं होगी ...सोलाह महीने और लोकपाल और जन लोकपाल का हव्वा देश के मिडिया और देश की जनता के करोड़ों करोड़ रूपये और वक्त की बर्बादी नतीजे के नाम पर सिफर ..जी हा अन्ना ने देश और देश की जनता को यही कुछ दिया है और इसे हम धोखा भी कह सकते है आप जरा ठंडे दिमाग से सोचिये ..खुद को फ्लेश बेक में ले जाइए हम यह करेंगे हम वोह करेंगे हम मर जायेंगे लेकिन जन लोकपाल बिल लायेंगे हम आर पर की लड़ाई लड़ेंगे मरते दम तक लड़ेंगे ..अन्ना और टीम के इन भाषणों को कोंग्रेसी नेताओं ने मजाक उड़ाया और कहा के अन्ना में हिम्मत है तो चुनाव लड़े राजनितिक पार्टी बनाये और फिर जेसा चाहे ज्न्लोक्पल लाये तब आपको याद होगा अन्ना और उनकी टीम ने कहा था के जनता से बढ़ी सरकार नहीं है जनता ही लोकपाल बिल लाएगी और अन्ना की टीम कोई सियासी पार्टी नहीं बनाएगी ..अचानक महाराष्ट्र के केन्द्रीय बिजली मंत्री सुशिल कुमार शिंदे को गृह मंत्री और फिर कोंग्रेसी संसदीय दल का नेता बनाना और अन्ना का आन्दोलन समेट कर जनता को मीठी गोली देकर घर चले जाना कीस बढ़ी राजनितिक डील की तरफ इशारा करता है अन्ना के इस रवय्ये से देश का अपमान हुआ है देश में पहली बार एक उम्मीद की किरण जागी थी देश में पहली बार देश की जनता ने किसी की बारों और वायदों पर भरोसा किया था .देश ने एक सपना देखा था लेकिन अन्ना की इस सियासी घोषणा और अहंकारी भाषण ने देश को लकवाग्रस्त कर दिया है ..अन्ना कहते है में चुनाव नहीं लडूंगा क्यूँ नहीं लड़ेंगे पहले खुद कहीं से सांसद और विधायक तो बन कर बताएं ......लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम में सियासी पार्टी का क्या विधान होगा कोन राष्ट्रिय अध्यक्ष होगा इस पार्टी के चुनाव किस लोकतान्त्रिक तरीके से होंगे ब्लोक अध्यक्ष ..जिला अध्यक्ष ..प्रदेश अध्यक्ष और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव क्या वोह सदस्य बना कर करवा सकेंगे या फिर वेसे ही कोंग्रेस और भाजपा की तरह बिना किसी लोकतान्त्रिक प्रणाली के पारी के अध्यक्षों को थोपेंगे मेरा अन्ना से और उनके समर्थकों से निवेदन है के वोह पहले इन सभी मुद्दों को स्पष्ट करे रुपया खान से आएगा अब तक जो रुपया जमा है क्या उसे जनता को लोटाया जायेगा सदस्यता अभियान और ब्लोक ..जिला..प्रदेश और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन की कोंसी लोकतांत्रिक प्रणाली होगी चुनाव अधिकारी कोन होगा बता सकेंगे आप लोग या फिर सियासत के इस गंदे तालाब को गंदा करने अन्ना नाम की एक मछली और बढ़ गयी है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हज कमेटी के अध्यक्ष के लिए खींचतान, मुस्लिम संगठन विरोध में उतरे

जयपुर. राजस्थान स्टेट हज कमेटी का अध्यक्ष नहीं बनाए जाने पर मुस्लिम संगठनों ने आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अब कमेटी के अध्यक्ष की घोषणा जल्दी करने की मांग की है।


संगठनों का कहना है कि सरकार ने 8 जून को कमेटी के सदस्यों के नाम घोषित कर दिए थे, लेकिन अब तक इन सदस्यों ने एक भी मीटिंग नहीं की। सदस्यों की आपसी खींचतान का नतीजा है कि अध्यक्ष अब तक तय ही नहीं हो पाया है। जबकि 22 जुलाई तक कमेटी के सदस्यों को एक नाम पर सहमति बनानी थी। अब मुस्लिम संगठनों ने इस मामले पर सरकार से दखल की मांग की है।


आजाद पब्लिक एजुकेशनल सोसायटी के सचिव मोहम्मद अशफाक नकवी ने कहा कि कमेटी का गठन होने के 45 दिन के भीतर अध्यक्ष चुने जाने का प्रावधान है। लेकिन 55 दिन से भी ज्यादा हो गए। अभी तक अध्यक्ष नहीं बना है। सरकार मूक दर्शक बनकर देख रही है।


सादत वेलफेयर सोसायटी के सचिव मोहम्मद इस्लाम का कहना है कि यह सारा मामला सरकार की ढिलाई के कारण लटका हुआ है। आगामी दिनों में हज के कई प्रकार के काम होने हैं। ऐसे में जल्दी से जल्दी अध्यक्ष की घोषणा होनी चाहिए।


वहीं, अल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष वजीर हुसैन के अनुसार बिना हज कमेटी का अध्यक्ष बने हज ट्रेनिंग, टीकाकरण कैंप सहित अन्य काम सुचारू नहीं चल सकते। कमेटी का गठन होने के बाद प्रशासक भी अपने स्तर पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकता। ऐसे में कई प्रकार की परेशानियां खड़ी हो सकती है। राजस्थान शेख जमाअत और राजस्थान हज ट्रेनर्स का कहना है कि कमेटी अध्यक्ष नहीं चुन पा रही है तो सरकार को दखल देकर अध्यक्ष की घोषणा करनी चाहिए।

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