आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

09 अगस्त 2012

माहे रमजान का जुमा अलविदा अलविदा

जी हाँ दोस्तों मेरे भाइयों बुजुर्गों और बहनों इस साल माहे रमजान का जुमा आज है और आज ही के दिन इबादत के साथ इस जुमे को अलविदा कहना है अलविदा इसलियें के वक्त लोट कर नहीं आता और खुदा ने हमे वक्त दिया है इबादत के लियें इसलियें आओ इबादत करो खुदा की इतात करो ..खुदा और उसके रसूल के बताये हुए रस्ते पर चल कर दुनिया में नेकियाँ फेलाओ ..इंसानियत कायम करों एक जन्नत तुम्हे तुम्हारे अखलाक से बनाने के लियें खुदा ने कहा है और दूसरी आखेरत की जन्नत तुहारी इबादत और अखलाक के तराजू में तुलने के बाद तुम्हे खुद मिल जायेगी रोजा मुबारक ..जुम्मा और खासकर अलविदा का जुमा मुबारक ......

हुजूर ने फरमाया कि 'रमजान के महीने में एक ऐसी रात है, जो हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।' इस रात से मुराद लैलतुल कद्र है। जैसा कि खुद कुरआन मजीद में है कि 'हमने इस कुरआन को शब-ए-कद्र में नाजिल किया है और तुम क्या जानो कि शब-ए-कद्र क्या चीज है। शब-ए-कद्र हजार महीनों से ज्यादा बेहतर है।' कुरआन इंसान की भलाई और हिदायत का रास्ता दिखाने वाली किताब है।


सच्ची बात तो यह है कि इंसान के लिए इससे बढ़कर कोई दूसरी नेमत हो ही नहीं सकती। इसीलिए कहा गया है कि इंसानी तारीख में कभी हजार महीनों में भी इंसानियत की भलाई के लिए वह काम नहीं हुआ, जो इस एक रात में हुआ है। इस रात की अहमियत के अहसास के साथ जो इसमें इबादत करेगा, वह दरअसल यह साबित करता है कि उसके दिल में कुरआन मजीद की सही कदर और कीमत का अहसास मौजूद है।

डैबितिज़ का केसे करे सावधानी से इलाज





जैसे ही डायन डायबिटीज शरीर पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेती है, उत्पाती और उधमी ग्लूकोज शरीर की नाड़ियों को नुकसान पहुँचाने लगता है। 60-70 प्रतिशत मधुमेही अपने जीवन काल में किसी न किसी प्रकार के नाड़ी-दोष का शिकार हो ही जाते हैं। मधुमेह के कारण नाड़ियों के क्षतिग्रस्त होने को नाड़ीरोग या डायबीटिक न्यूरोपैथी (न्यूरो=नाड़ी और पैथी=रोग) कहते हैं। यह एक गम्भीर रोग है जो मधुमेही के शरीर पर भले देर से हमला करता है परन्तु चुपचाप और दबे पाँव करता है, जैसे-जैसे यह अपने पर फैलाता है उसके जीवन को असहनीय कष्ट, वेदना और अपंगता से भर देता है। इस रोग के सन्दर्भ में मैं आपको एक शेर सुनाता हूँ। (अरबी भाषा में सुक्कर चीनी को कहते हैं)
बीमार-ए-सुक्कर का, हाल पूछो दोस्तों
ज्यों-ज्यों दवा की, मर्ज ढ़ता ही गया।
रोगी के जीवन में इस रोग में होने वाले लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर की कौन सी नाड़ियों को क्षति पहुँची है, रोगी को मधुमेह कितने समय से है, रोगी का रक्तशर्करा नियंत्रण कैसा है, क्या वह धूम्रपान व मदिरापान करता है या उसकी जीवनशैली कैसी है। वैसे तो हाथ-पैरों में दर्द, चुभन, जलन तथा स्पंदन, तापमान या स्पर्श की अनुभूति न होना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं, पर रोगी को पाचनतंत्र, उत्सर्जन-तंत्र, प्रजनन-तंत्र, हृदय एवम् परिवहन-तंत्र आदि से संबन्धित कोई भी लक्षण हो सकते हैं। नाड़ीरोग में कुछ रोगियों को बहुत मामूली सी तकलीफ होती है तो कई बार लक्षण इतने प्रचण्ड और कष्टदायक होते हैं कि जीवन अपाहिज और असंभव सा लगने लगता है।
लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि रक्त-शर्करा के कड़े तथा स्थाई नियंत्रण, थोड़ी सी सतर्कता और स्वस्थ जीवनशैली द्वारा मधुमेह के इस दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है या इसके विकास को धीमा किया जा सकता है।
आखिर ये नाड़ियाँ क्या होती हैं?


मोटे तौर पर नाड़ियों की तुलना हम बिजली की केबल्स से कर सकते हैं। इनके मध्य में भी एक तार होता है जिसमें संदेश, आदेश या संवेदनाएं प्रवाहित होती हैं। इसे एक्सोन कहते हैं। जिसके बाहर एक रक्षात्मक खोल होता है जिसे माइलिन शीथ कहते हैं। ये नाड़ियाँ हमारे मस्तिष्क, सुषुम्ना (Spinal Cord) और नाड़ी-तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। यह तंत्र हमारे शरीर का एडमिनिस्ट्रेशन और टेलीकम्युनिकेशन विभाग है, जो शरीर के समस्त अंगों से सामन्जस्य रखते हुए उन्हें नियंत्रित करता है, बाह्य जगत से संवेदनाए और सूचनाएं एकत्रित करता है, विभिन्न कार्यों के संपादन हेतु माँस-पेशियों को कार्य करने के आदेश देता है, सीखता है, सोचता है और निर्णय लेता है। सुपर कम्प्युटर से भी ज्यादा बुद्धिमान और तेज काम करने वाला यह मल्टीटास्किंग सिस्टम थोड़ी देर भी हैंग हो जाये या शट-डाउन हो जाये तो पूरा शरीर बेकार हो जायेगा, टूट जायेगा और बिखर जायेगा।
नाड़ियाँ मुख्यतः तीन प्रकार की होती है।
1- संवेदी नाड़ियाँ (Sensory) - ये वो नाड़ियाँ होती है जो ज्ञानेन्द्रियों और त्वचा के द्वारा बाह्य जगत से विभिन्न संवेदनाएं और सूचनाएँ केंद्रीय संस्थान (मस्तिष्क और सुषुम्ना) तक ले जाती है।
2- प्रेरक या चालक नाड़ियाँ (Motor Nerves)- इन नाड़ियों के तन्तु मांसपेशियों में फैले हुए होते हैं और जो केंद्रीय संस्थान से कार्य करने के आदेश मांसपेशियों तक ले जाती है। इन्ही से शरीर के हर अंग और माँस-पेशियाँ कार्य करती हैं।
3- स्वायत्त नाड़ियाँ (Autonomic Nerves) - मनुष्य को बनाते समय ईश्वर को शायद मालूम था कि मृत्युलोक में जाकर यह एशो-आराम करेगा, कर्तव्यों का पालन नहीं करेगा, भ्रष्टाचार फैलायेगा, प्रदूषण फैलायेगा, हरी-भरी धरा को उजाड़ कर मरुभूमि बनायेगा, पाप करेगा, उसके बनाये नियमों (Protocol) से छेड़छाड़ भी करेगा और शरीर के समस्त विभागों को नियंत्रित करना इसके बूते के बाहर की बात हैं। इसलिए ईश्वर ने शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे हृदय, रेटीना, आँखों की पुतली, मूत्र विसर्जन-तंत्र, पाचन-तंत्र, स्वेदन, श्वसन, प्रजनन आदि की पूरी कार्य-प्रणाली का नियंत्रण मनुष्य को न देकर एक सॉफ्यवेयर बनाया और उसे एक चिप में डाल कर एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्थान को दे दिया, जिसका नाम रखा गया है स्वायत्त नाड़ी तंत्र (Autonomic Nervous System)। अब इन सारे कार्यों में मनुष्य का कोई हस्तक्षेप नहीं है। अब ये सारे कार्य ईश्वर के बनाये हुए सॉफ्यवेयर प्रोटोकोल के अनुसार ही होते हैं। ये स्वायत्त नाड़ियाँ दो प्रकार की होती हैं 1- सिम्पेथेटिक नाड़ियाँ और 2- पेरासिम्पेथेटिक नाड़ियाँ।
रोगजनकता (Pathogenesis)
मधुमेह नाड़ीरोग की उत्पत्ति और रोगप्रगति में निम्न चार कारक महत्वपूर्ण माने गये हैं।
सूक्ष्म-रक्तवाहिकीय रोग Microvascular Disease
यदि रक्त-वाहिकाएँ स्वस्थ हों और नाड़ियों को रक्त की आपूर्ति ठीक बनी रहे तो वे अपना कार्य सुरुचिपूर्ण ढंग से करती रहती हैं। सर्व विदित है कि मधुमेह में वाहिकाओं का संकुचित होना पहली विकृति है। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है विकृति बढ़ने लगती है। सूक्ष्म-वाहिकाओं की आधारीय-झिल्ली (Basement membrane) मोटी होने लगती है और अन्तर्कला (Endothelium) की कोशिकायें बढ़ने लगती है, जिसके फलस्वरूप नाड़ियों को रक्त की आपूर्ति बाधित होने लगती है। वाहिकीय-विस्तारक दवाएँ (Vasodilator) जैसे ACE इन्हिबीटर्स तथा α1-एन्टागोनिस्ट काफी हद तक राहत पहुँचाती हैं। इस तरह मधुमेह की आरंभिक अवस्था में ही सूक्ष्म-वाहिकाएँ संकुचित होने लगती हैं और फलस्वरूप नाड़ियाँ भी रुग्ण होने लगती हैं।
उन्नत शर्कराकृत उत्पाद (Advanced Glycation End product)
कोशिकाओं में बढ़ी हुई शर्करा प्रोटीन से क्रिया करके बंधन स्थापित कर उन्नत-शर्करा उत्पाद बनाती है, जिससे प्रोटीन की संरचना और कार्य प्रणाली दोनों प्रभावित होती है। ये उन्नत-शर्करा उत्पाद भी नाड़ियों को क्षतिग्रस्त करते हैं।
प्रोटीन काइनेज-सी
बढ़ी हुई रक्त-शर्करा कोशिकाओं में डायसिलग्लीसरोल का स्तर बढ़ाती है, जो प्रोटीन काइनेज-सी को सक्रिय कर देते हैं। ये प्रोटीन काइनेज-सी भी नाड़ियों को नुकसान पहुँचाते हैं।
पॉलीऑल पथ
इसे सोर्बिटोल-एल्डोज रिडक्टेज पथ भी कहते हैं। पॉलीऑल पथ की भूमिका नाड़ियों, दृष्टिपटल (रेटीना) तथा वृक्क की सूक्ष्म-वाहिकाओं को क्षतिग्रस्त करने में बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। ग्लूकोज बहुत ही सक्रिय, शरारती और चिपकू किस्म का तत्व है और इसका चयापचय तथा विघटन होना ही शरीर के लिए हितकारी है। लेकिन यदि इसका स्तर बढ़ता है, जैसा कि मधुमेह में होता है, तो यह एक वैकल्पिक पॉलीऑल पथ को सक्रिय करता है जिससे शरीर में ग्लूटाथायोन का स्तर घटने लगता है और विनाशकारी मुक्त-कण (Free Radicals) बनने लगते हैं। यह क्रियापथ एल्डोज -रिडक्टेज एन्जाइम पर निर्भर है।
शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में ग्लूकोज का प्रवेश इन्सुलिन के कड़े नियंत्रण पर निर्भर होता है लेकिन दृष्टिपटल, वृक्क और समस्त नाडीतंत्र इन्सुलिन के अधिकार क्षेत्र में नही आते हैं। इसलिए ग्लूकोज इन अंगों की कोशिकाओं में उन्मुक्त और स्वच्छंद विचरण करता रहता है। सामान्यतः कोशिकाएँ ग्लूकोज का विघटन कर ऊर्जा प्राप्त करती रहती हैं, लेकिन ग्लूकोज का स्तर ज्यादा हो तो वह पॉलीऑल पथ में प्रवेश कर जाता है और परिवर्तित होकर सोर्बिटोल बन जाता है। जब तक ग्लूकोज का स्तर सामान्य रहता है पॉलीऑल पथ सक्रिय नहीं होता है क्योंकि ग्लूकोज का स्तर बढ़ने पर ही एल्डोज–रिडक्टेज पॉलीऑल पथ को उत्प्रेरित कर सकता है। लेकिन ग्लूकोज का स्तर बढ़ने पर एल्डोज–रिडक्टेज एन्जाइम पॉलीऑल पथ को सक्रिय कर देता है फलस्वरूप सोर्बिटोल का स्तर बढ़ने लगता है और NADPH का स्तर घटने लगता है क्योंकि इस क्रिया में NADPH ग्लूकोज को सोर्बिटोल में परिवर्तित करके स्वयं NADP+ बन जाता है। सोर्बिटोल में कोशिका से बाहर निकलने की क्षमता नहीं होती हैं, इसलिए यह कोशिका में एकत्रित होता रहता है और अपने रसाकर्षण से कोशिका में बाहर से पानी खींचता है।
चूँकि NADPH का एक कार्य नाइट्रिक ऑक्साइड और ग्लूटाथायोन के निर्माण में मदद करना भी है, इसलिए इसका स्तर घटने पर नाइट्रिक ऑक्साइड और ग्लूटाथायोन का स्तर भी घटता है। फलस्वरूप घातक मुक्त-कण बनने लगते हैं। यह भी विदित रहे कि नाइट्रिक ऑक्साइड वाहिकाओं का विस्तारण करता है। आगे चल कर इस क्रिया पथ में NAD+ सोर्बिटोल को फ्रुक्टोज में परिवर्तित करता है और स्वयं अपघटित होकर NADH बन जाता है। NAD+ भी मुक्त कणों के निर्माण को बाधित करता है।
सोर्बिटोल कोशिका में एक अन्य प्रोटीन मायोइनसिटोल का प्रवेश भी बाधित करता है, जो कोशिका की झिल्ली में स्थित Na+/K+ ATPase पम्प की सक्रियता के लिए जरूरी होता है। यह पम्प नाड़ी-कोशिका की कार्य प्रणाली में बहुत अहम भूमिका निभाता है अतः कोशिका में सोर्बिटोल का स्तर बढ़ने से नाड़ियों क्षति पहुँचती है।
लक्षण
नाड़ीरोग मुख्यतः चार प्रकार का होता है। रोगी में एक या कई स्नायुरोगों के लक्षण हो सकते हैं। सामान्यतः रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और कई बार जब रोगी चिकित्सक के पास पहुचता है तब तक नाड़ियां काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी होती है। कभी-कभी मधुमेह का निदान होने के काफी पहले ही रोगी में नाड़ीरोग के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मधुमेह नाड़ीरोग के लक्षण विविध और विस्तृत होते हैं और इस बात पर निर्भर करते हैं कि किन नाड़ियों को क्षति पहुँची है रोग किस प्रकार का है।
दूरस्थ नाड़ीरोग Peripheral neuropathy
यह सबसे व्यापक मधुमेह नाड़ीरोग है, जो आम तौर पर लम्बी नाड़ियों को प्रभावित करता है और नाड़ियों के अंतिम छौर सबसे पहले क्षतिग्रस्त होते हैं। यानि यह रोग सबसे पहले हाथों और पैरों में अपना असर दिखाता है और धीरे-धीरे रोग का असर ऊपर की ओर बढ़ने लगता है, ठीक वैसे ही जैसे हम हाथों और पैरों पर धीरे-धीरे दस्तानों और मोजों को ऊपर खिसकाते हैं। धीरे-धीरे रोग की गम्भीरता बढ़ती जाती है और स्थितियां बिगड़ने लगती हैं। इसके मुख्य लक्षण निम्न हैं।
हाथों और पैरों की अंगुलियों में दर्द, स्पर्श या तापमान की अनुभूति न होना या सरल शब्दों में अंगुलियों का सुन्न हो जाना।
पैरों में जलन और सिहरन होना।
हाथों और पैरों तेज दर्द और चुभन होना और रात में असहनीय हो जाना।
चलते समय पैरों में कमजोरी और दर्द होना, कभी-कभी रोगी के लिए चलना भी मुश्किल हो जाना।
अतिसंवेदनशीलता- हल्का सा स्पर्श भी कष्टदायक लगना जैसे सोते समय शरीर पर डली चादर से भी असहनीय तकलीफ होना आदि।
पैरों में कई गंभीर कष्ट होना जैसे संक्रमण, फोड़ा हो जाना, हड्डी या जोड़ों में दर्द होना या अपंगता होना।
स्वायत्त नाड़ीरोग Autonomic neuropathy
स्वायत्त नाड़ीतंत्र हमारे हृदय, फेफड़े, मूत्राशय, नैत्र, आमाशय, आंतों और जननेन्द्रियों की गतिविधियों को नियंत्रित करता है। यदि मधुमेह इन नाड़ियों को क्षतिग्रस्त करता है और रोगी में निम्न लक्षण हो सकते है।
आमाशय के शिथिल हो जाने (Gastroparesis) से जी घबराना, उल्टी होना या भूख नहीं लगना।
कब्जी या दस्त लगना या दोनों हो जाना।
पसीना बहुत कम या ज्यादा आना।
मूत्राशय के विकार जैसे बार बार संक्रमण होना और मूत्राशय की असंयमता (Urinary Incontinence)
हाइपोग्लायसीमिया होने पर रोगी को अहसास न हो पाना।
शरीर के तापमान नियंत्रण की क्षमता कम हो जाना।
व्यायाम करने में परेशानी होना।
विश्राम की अवस्था में भी दिल की धड़कन बढ़ जाना।
आँखों की पुतली का रोशनी होने पर संकुचन और अंधेरा होने पर विस्तारण करने की क्षमता घट जाना अर्थात उसकी संवेदनशीलता घट जाना।
शरीर का रक्तचाप और हृदयगति को नियंत्रण न कर पाना, जिसके फलस्वरूप लेटा या बैठा व्यक्ति अचानक खड़ा हो जाये तो रक्तचाप के कम हो जाने से चक्कर आना या मूर्छित हो कर गिर पड़ना (orthostatic hypotension)
पुरूषों में स्तंभन-दोष होना और स्त्रियों में शुष्क-योनि और लैंगिक कठिनाइयां होना।
समीपस्थ नाड़ीरोग Radiculoplexus neuropathy
दूरस्त नाड़ीरोग के विपरीत समीपस्थ नाड़ीरोग में कन्धों और कूल्हों के आसपास की नाड़ियां रोगग्रस्त होती हैं। इसे डायबीटिक एमायोट्रोफी या फिमोरल न्यूरोपैथी भी कहते हैं। यह रोग मधुमेह प्रकार-2 और वृद्धावस्था में ज्यादा होता है। इस रोग का प्रभाव आम तौर पर पैरों पर ज्यादा होता है लेकिन उदर और बांहो में भी लक्षण हो सकते हैं। वैसे तो तकलीफ शरीर के एक तरफ होती है परन्तु कुछ रोगियों में तकलीफ दूसरी तरफ भी जा सकती हैं। इस रोग निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं।
अचानक कूल्हों और जांघों में तेज दर्द होना।
जाघों की माँस-पेशियों का कमजोर और पतला होना।
बैठे हुए रोगी को खड़ा होने में दिक्कत होना।
बिना किसी कारण के रोगी का वजन घटना।
पेट फूल जाना।
एकल नाड़ीरोग Mononeuropathy
इस रोग का असर बांह, पैर या चहरे की एक ही नाड़ी में होता है। यह रोग आम तौर पर वृद्धावस्था में होता है और इसकी शुरूवात अचानक बड़ें तेज दर्द के साथ होती हैं। हांलाकि जल्दी ही दर्द कम होने लगता है और कुछ हफ्तों या महीनों में रोग स्वतः ठीक हो जाता है। इसमें निम्न लक्षण हो सकते हैं।
आँखों को किसी वस्तु या बिन्दु पर कैन्द्रित करने में कठिनाई होना, द्वि-दृष्टिता (हर चीज दो-दो दिखाई देना) या किसी एक आँख के पीछे दर्द होना।
चेहरे के एक तरफ की माँस-पेशियों में लकवा हो जाना (Facial Palsy)।
पैर या टांगों में दर्द होना।
जांघों के आगे की तरफ दर्द होना।
छाती या पेट में दर्द होना।
कभी-कभी नाड़ी पर दबाव पड़ने से यह रोग होता है, जैसे कार्पल टनल सिन्ड्रोम जिसके मुख्य लक्षण हैं हाथों और अंगुलियों का सुन्न हो जाना, हाथ में कमजोरी आना आदि।
दुष्प्रभाव
अंग-उच्छेदन (Limb Amputation) - नाड़ियाँ क्षतिग्रस्त होने से पैरों में चुभन और दर्द की अनुभूति बहुत क्षीण हो जाती है, जिससे छोटी-मोटी चोटों का तो पता ही नहीं चलता है और पैर में संक्रमण और फोड़े हो जाते हैं। दूसरी ओर मधुमेह के प्रभाव से पैरों का रक्तप्रवाह कम होने लगता है, जिससे धाव लम्बे समय तक ठीक नहीं होते हैं और संक्रमण हड्डियों को भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है और पैर सड़ कर काले पड़ जाते (गेन्गरीन) हैं। रोगी अपना पैर कटवा कर ही लापरवाही की सजा भुगतता है।
चारकोट अस्थि-संध (Charcot joint) – यह दुष्प्रभाव आमतौर पर पैरों के जोड़ों को जकड़ता है। नाड़ियाँ क्षतिग्रस्त होने से जोड़ में दर्द, सूजन और स्थिरता आ जाती है। अन्त में जोड़ बेडौल और विकृत हो जाता है।
मूत्रपथ संक्रमण और मूत्र-असंयमता (Urinary incontinence) – मूत्राशय की पेशियों को नियंत्रित करने वाली नाड़ियाँ क्षतिग्रस्त होने पर मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं हो पाता है, जिससे मूत्राशय और वृक्क में कीटाणु अपना बसेरा बना लेते हैं अर्थात मूत्रपथ में संक्रमण हो जाता है। नाड़ियाँ खराब होने से मूत्राशय को यह भी पता नहीं चल पाता है कि वह मूत्र से भर चुका है और उसे मूत्रत्याग कर लेना चाहिये। फलस्वरूप कभी भी अनायास मूत्र निकल जाता है। इसे मूत्र-असंयमता कहते हैं।
हाइपोग्लाइसीमिया की अनुभूति न होना – जब रक्तशर्करा बहुत कम हो जाती है तो शरीर चक्कर, घबराहट, ठंडा पसीना आना, दिल की धड़कन बढ़ जाना आदि लक्षणों द्वारा मस्तिष्क से आग्रह करता है कि शरीर में शक्कर के भंडार खाली होने के कगार पर हैं आप जल्दी से शुगर इम्पोर्ट कीजिये। परन्तु स्वायत्त नाड़ीरोग होने पर रोगी को इन लक्षणों की अनुभूति नहीं हो पाती और शक्कर का शिपमेन्ट समय पर नहीं पहुँच पाता है अर्थात कई बार इस अत्यंत गंभीर और घातक स्थिति का समय रहते उपचार नहीं हो पाता है।
अल्प-रक्तचाप – रक्तचाप को नियंत्रित करने वाली नाड़ियाँ खराब होने के कारण रक्तचाप नियंत्रण अव्यवस्थित हो जाता है, जैसे लेटा या बैठा व्यक्ति अचानक खड़ा हो और रक्तचाप एकदम कम हो जाये।
पाचन-तंत्र सम्बंधी विकार – पाचन-तंत्र की स्वायत्त-नाड़ियाँ रुग्ण होने पर कब्जी, दस्त, उबकाई, उलटी, पेट फूल जाना, भूख न लगना आदि कष्ट हो सकते हैं। आमाशय का एक गम्भीर विकार जठरपात (gastroparesis) भी उल्लेखनीय है जिसमें आमाशय शिथिल हो जाता है तथा उसमें भोजन का प्रवाह बहुत धीमा हो जाता है, जिसके कारण उबकाई या उलटी हो सकती है और रक्त शर्करा स्तर भी प्रभावित हो सकता है।
स्वेदन-दोष - जब स्वेदन ग्रंथियां (Sweat Glands) ठीक प्रकार से कार्य नहीं करें तो शरीर का तापमान नियंत्रण बिगड़ जाता है। स्वायत्त नाड़ीरोग में स्वेदन बाधित होने (Anhidrosis) से जानलेवा स्थिति बन सकती है। इसमें कभी-कभी रात्रि में अत्यधिक पसीना भी आ सकता है।
सामाजिक अलगाव – दर्द, विकलांगता और शरमिन्दगी की वजह से रोगी अपने मित्रों और परिजनों से दूर हो जाता है और एकाकीपन तथा अवसाद रूपी कुए में धंसता चला जाता है।
निदान
प्रायः मधुमेह नाड़ीरोग का निदान रोगी द्वारा बतलाये गये लक्षणों, चिकित्सकीय इतिहास और रोगी के भौतिक-परीक्षण के आधार पर किया जाता है। अपने परीक्षण में चिकित्सक टेन्डन रिफ्लेक्स देखता है, माँस-पेशियों की शक्ति तथा तनाव को अनुभव करता है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में स्पर्श, तापमान तथा स्पन्दन के प्रति संवेदनशीलता का आंकलन करता है। इनके अलावा वह निम्न परीक्षण भी कर सकता है।
फिलामेन्ट टेस्ट- इसमें नायलोन के एक मुलायम रेशे जिसे फिलामेन्ट कहते हैं, से हाथों और पैरों में स्पर्श के प्रति संवेदना को परखा जाता है।
नाड़ी कंडक्शन टेस्ट - इस परीक्षण से यह मालूम किया जाता है आपकी नाड़ियों में विद्युत संदेशों का प्रवाह कितनी शीघ्रता से होता है। इस टेस्ट को कार्पल टनल सिन्ड्रोम में अक्सर किया जाता है।
इलेक्ट्रोमायोग्राफी – इस परीक्षण में माँस-पेशियों की विद्युत गतिविधियों को एक रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
स्वायत्त नाड़ी परीक्षण - स्वायत्त नाड़ीरोग के आंकलन के लिए चिकित्सक कई परीक्षण करता है जैसे वह कई स्थितियों में आपका रक्तचाप लेता है, शरीर में स्वेदन (पसीना) की स्थिति का आंकलन करता है आदि आदि।
उपचार
मधुमेह नाड़ीरोग का उपचार करते समय निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखा जाता है।
नाड़ीरोग के विकास को रोकना या बाधित करना।
दर्द का निवारण करना।
दुष्प्रभाव प्रबन्धन और पुनर्वास।
रक्तशर्करा नियंत्रण
रक्तशर्करा का कड़ा और स्थाई नियंत्रण रखने से इस रोग के विकास को रोका जा सकता है। यदि आप इस रोग की चपेट में आ चुकें हैं और आप कुछ कष्ट झेल रहे हैं तो वे भी ठीक होने लगेंगे। नाड़ियों की क्षति को रोकने के लिए निम्न बाँतों का ध्यान रखना आवश्यक है।
चिकित्सक के दिशा-निर्देशों की ईमानदारी से पालना करें।
अपना रक्तचाप पूर्णतः नियंत्रित रखें।
स्वस्थ आहार लें।
शारीरिक व्यायाम नियमित करें।
अपना वजन सही रखें।
धूम्रपान छोड़ दें और बतलाई गई मात्रा से ज्यादा मदिरा-सेवन नहीं करें।

दर्द निवारण
इस रोग में दर्द का उपचार करना सबसे कठिन चुनौती है। इसके लिए कई दवाइयाँ प्रयोग में ली जाती हैं लेकिन वे हर रोगी में काम नहीं करती हैं और ज्यादातर दवाइयों के पार्श्वप्रभाव रोगी के लिए कष्यदायक होते हैं। लेकिन चिकित्सक दवाओं का चयन बड़े विवेक से करता है। दर्द निवारण के लिए आजकल कई प्रभावशाली वैकल्पिक उपचार भी उपलब्ध हैं जैसे एक्युपंचर, केप्सेसिन जैल (जो मिर्च के सत्त से तैयार की जाती है) , अल्फा-लाइपोइक एसिड, ट्राँसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (TENS) आदि। चिकित्सक इनकी भी मदद लेता है। सामान्यतः दर्द के लिए निम्न उपचार प्रयोग किये जाते हैं।
ट्राँसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (TENS) में कुछ छोटे इलेक्ट्रोड्स को त्वचा पर लगा कर विशिष्ट नाड़ीपथ में क्षीण विद्युत आवेश प्रवाहित किया जाता है। जिससे दर्द की संवेदना मस्तिष्क तक नहीं पहुँच पाती है। यह सुरक्षित और दर्दरहित उपचार है। लेकिन यह हर रोगी में फायदा नहीं करता है। इसे अन्य उपचार के साथ दिया जा सकता है।
अपस्माररोधी औषधियाँ या एंटीसीज़्यूर औषधियाँ
मधुमेह नाड़ीरोग के उपचार के लिए अपस्माररोधी औषधियाँ जैसे प्रिगाबालिन और गाबापेन्टिन आजकल चिकित्सकों की पहली पसन्द है। प्रभाव और सुरक्षा की दृष्टि से ये त्रिचक्रीय अवसादरोधी दवाओं से बेहतर हैं। इनका मुख्य पार्ष्वप्रभाव नींद आना है, जो हमेशा ही बना रहता है और कुछ रोगियों का वजन भी बढ़ जाता है। फिनायटोइन सोडियम और कार्बेमेजेपिन भी अच्छी दवा है पर मधुमेह नाड़ीरोग के उपचार के लिए ज्यादा सुरक्षित नहीं मानी गयी है। टोपीरामेट भी प्रभावशाली और सुरक्षित है। इसके कुछ अच्छे पार्ष्वप्रभाव जैसे भूख न लगना और वजन कम होना हैं। परन्तु मधुमेह नाड़ीरोग के उपचार के लिए इस पर ज्यादा शोध नहीं हुआ है।
अवसादरोधी औषधियाँ
त्रिचक्रीय अवसादरोधी दवाएं जैसे इमिप्रामिन, एमिट्रिप्टीलिन, डेसिप्रामिन और नोरट्रिप्टीलिन मधुमेह नाड़ीरोग के उपचार के लिए प्रयोग की जाती हैं। लेकिन इनके कई पार्ष्वप्रभाव हैं। इनके सबसे उल्लेखनीय और चिंताजनक दुष्प्रभाव हृदय पर पड़ते है, यहाँ तक कि कभी-कभी तो रोगी को जानलेवा एरिद्मिया भी हो सकता है। लेकिन इन्हें कम मात्रा में लिया जाये तो पार्ष्वप्रभाव बहुत कम होते हैं। एमिट्रिप्टीलिन सबसे ज्यादा प्रयोग की जाती है। पर डेसिप्रामिन और नोरट्रिप्टीलिन के प्रयोग से पार्ष्वप्रभाव अपेक्षाकृत कम होते हैं।
नई SSNRI अवसादरोधी दवाएं जैसे ड्युलोक्सेटीन और वेन्लाफेक्सीन भी मधुमेह नाड़ीरोग के उपचार के लिए अच्छा विकल्प मानी जा रही हैं। ये सीरोटोनिन और एपिनेफ्रीन दोनों नाड़ी-सन्देशवाहकों पर कार्य करती हैं। प्रायः वेन्लाफेक्सीन ज्यादा प्रयोग में ली जा रही है। इनके पार्ष्वप्रभाव कम होते हैं।
अन्य उपचार
जाइलोकेन जो एक सुन्न करने की दवा है त्वचा पर चिपकाने वाले चकत्ते या पेच के रूप में भी मिलती है। इसके कोई खास दुष्प्रभाव भी नहीं है और ये त्वचा को सुन्न करके दर्द में राहत दिलाती हैं। ओपिऑइड-जनित दर्द निवारक दवाएं जैसे ट्रामाडोल, ऑक्सीकोडोन आदि भी छोटी अवधि के लिए खूब लिखी जा रही हैं। लेकिन इनके दुष्प्रभाव देखते हुए इन्हें लम्बे समय तक देना उचित नहीं माना गया है।
अल्फा-लाइपोइक एसिड (जो एक महान एन्टीऑक्सिडेन्ट भी है), एसिटाइल-एल-कार्निटीन और मिथाइलकोबालामिन (जो विटामिन बी-12 का एक प्रतिरुप है) खूब लिखे जाते है और बहुत सुरक्षित तथा असरदायक भी हैं।
कुछ नई औषधियाँ जैसे सी-पेप्टाइड, रुबोक्सिस्टेटॉरिन (protein kinase C beta-inhibitor), बेनफोटिएमिन (यह सुरक्षित है, असरदार है और जर्मनी में प्रयोग भी की जाती है) आदि भी काफी चर्चा में है परन्तु वे अभी शोध की पतली गलियों से बाहर नहीं आई हैं।
दुष्प्रभाव प्रबन्धन और पुनर्वास
मूत्रपथ सम्बंधी समस्याएं
1- एन्टिस्पाज्मोडिक दवाएं यदि मूत्रपथ में जलन या दर्द हो। 2- व्यवहार-चिकित्सा - जैसे नियमपूर्वक समय पर मूत्रविसर्जन करना और योनि में विशिष्ट प्रकार की पेसरीज/रिंग्स आदि रखने से मूत्र-असंयमता (Incontinence of urine) में फायदा होता है। अमूमन कई उपचार एक साथ करने से अच्छा लाभ मिलता है।
पाचनतंत्र सम्बंधी समस्याएं
पाचन सम्बंधी विकार जैसे जठरवात (Gastroparesis) के लिए दिन में कई बार पर थोड़ा-थोड़ा आहार लेने, भोजन में वसा व रेशों की मात्रा कम करने और तरल भोजन जैसे सूप, ज्यूस आदि ज्यादा लेने से बहुत राहत मिलती है। दस्त, उबकाई और उलटी में समुचित दवा और हल्का आहार लेने से तकलीफ ठीक हो जाती है।
ऑर्थोस्टेटिक अल्प-रक्तचाप
मदिरात्याग, खूब पानी पीने, धीरे-धीरे खड़े होने व धीरे-धीरे चलने, दवाइयाँ आदि से ऑर्थोस्टेटिक अल्प-रक्तचाप में बहुत मदद मिलती है।
लैंगिक-विकार
स्तंभन-दोष में सिलडेनाफिल, टाडालाफिल और वरडेनाफिल दी जाती हैं। यदि औषधियाँ काम न करें तो वेक्युम पंप, कृत्रिम लिंग-प्रत्यारोपण आदि विकल्प ही बचते हैं। शुष्क योनि के उपचार में योनि-स्नेहन क्रीम (Lubricant cream) प्रयोग की जाती है।
श्री कृष्ण जन्माष्ठमी पर्व पर आप सभी को हार्दिक अभिनन्दन और इस लेख को भेंट के रूप में स्वीकार करें।

यह रोचक बात करे साफ कि रासलीला है भोग नहीं योग लीला

भगवान श्रीकृष्ण लीला पुरुषोत्त्तम कहलाते हैं। क्योंकि पूरे जीवन की गई श्रीकृष्ण की लीलाओं में कोई लीला मोहित करती है तो कोई अचंभित करती है। लेकिन हर लीला जीवन से जुड़े कोई न कोई बेहतरीन संदेश देती है।

भगवान श्रीकृष्ण की सभी लीलाओं में रासलीला के कई पहलू एक ओर श्रद्धा व आस्था तो दूसरी तरफ उत्सुकता और जिज्ञासा का विषय भी रहे हैं। किंतु युग के बदलाव, धर्म की गहरी समझ की कमी और बदलती संस्कृति व संस्कारों से पैदा हुई गलत मानसिकता की वजह से रासलीला शब्द को लंपटता या गलत अर्थ में उपयोग किया जाता है। खासतौर पर स्त्रियों से संबंध रखने और उनके साथ रखे जाने वाले व्यवहार के लिए रासलीला के आधार पर अनेक युवा भगवान कृष्ण को आदर्श बताने का अनुचित प्रयास करते हैं।

इसलिए यहां तस्वीर के साथ बताए जा रहे एक रोचक पहलू से खासतौर पर युवा समझ्रें कि रासलीला से जुड़ा व्यावहारिक सच क्या है

अब सरकारी कर्मचारी घोषणा करेगा कि उसने दहेज नहीं लिया

जयपुर. दहेज नहीं लेने के संबंध में सरकार ने सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के 11 जुलाई 12 को जारी आदेश की प्रति गुरुवार को अदालत में पेश की। इसमें कहा कि राजस्थान दहेज प्रतिषेध अधिनियम 2004 के तहत प्रावधान है कि सरकारी सेवक अपने विवाह के बाद यह कहते हुए अपने विभागाध्यक्ष के समक्ष घोषणा करेगा कि उसने कोई दहेज नहीं लिया है।

इस घोषणा पर उसकी पत्नी, ससुर व पिता के हस्ताक्षर होंगे। इस आदेश की प्रति सभी विभागों को भेज दी है और नियमों का पालन करवाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की। गौरतलब है कि प्रार्थी अधिवक्ता एस.के.गुप्ता ने इस संबंध में प्रार्थना पत्र दायर किया था।

छात्र को यूनिवर्सिटी चुनाव लड़ने की अनुमति दी

राजस्थान हाईकोर्ट ने एमएसडब्ल्यू विभाग के एक छात्र को यूनिवर्सिटी चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है। मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एन.के. जैन की खंडपीठ ने यह आदेश संग्राम सिंह की याचिका निस्तारित करते हुए दिया। याचिका में कहा कि उनके अकादमिक सत्र देरी से चल रहा है और रिजल्ट भी लेट आया। यूनिवर्सिटी उन्हें मौजूदा सत्र में नहीं मान रही है। पिछली साल भी उन्हें नामांकन भरने व मतदान का अधिकार नहीं दिया था। इसलिए उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए।

बाबा के मंच पर पहले राजबाला का सम्मान, फिर हुआ शहीदों का अपमान



नई दिल्ली। रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के आंदोलन का समर्थन करने के लिए देशभर से हजारों की संख्या में लोग जुटे हैं। तीन दिन के उपवास के लिए आए समर्थकों में हरियाणा व उत्तराखंड के लोगों की तादाद अधिक है। मैदान में बुजुर्ग, अधेड़ व महिलाओं की संख्या ज्यादा नजर आ रही है।

एक हजार से अधिक स्वयंसेवक भीड़ को प्रबंधित करने व समर्थकों की मदद के लिए मैदान में मौजूद हैं। जंतर-मंतर पर अन्ना हजारे के आंदोलन के वक्त समर्थकों की भीड़ पर सवाल उठ रहे थे, वहीं भारी उमस के बावजूद रामलीला मैदान में 30 हजार से अधिक की भीड़ उमड़ी है।

मंच के सामने दो हिस्सों में वाटरप्रूफ पंडाल बनाया गया है, हालांकि वह इतना सादा है कि उसमें पंखे तक का इंतजाम नहीं है। हालांकि पीने के पानी का पर्याप्त इंतजाम दिखा। भोजन की भी पूरी व्यवस्था है, अन्नपूर्णा रसोई के सामने हजारों की संख्या में लोगों को कतार में देखा गया।

अनशन स्थल पर रानी लक्ष्मीबाई, सरदार पटेल, महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद जैसे महापुरुषों के साथ राजबाला की तस्वीर भी लगाई गई है। मालूम हो कि पिछले आंदोलन के दौरान हुई पुलिसिया कार्रवाई में घायल हुई राजबाला की बाद में मौत हो गई थी। रामदेव ने राजबाला के परिजनों को मंच पर बुलाकर उनका अभिनंदन किया।

इनके अलावा कई पोस्टर्स में जयप्रकाश नारायण और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को भी स्थान दिया गया है। बाबा के सहयोगी बालकृष्ण के भी मैदान के विभिन्न हिस्सों में अनेक विशाल पोस्टर लगाए गए हैं। मंच से वक्ताओं के तौर पर ज्यादातर बाबा रामदेव ही मुख्यरूप से माइक थामे रहते हैं।

बीच-बीच हरियाणवी रागनियां, फिल्मी गीत व देशभक्ति के पैरोडी गीतों के जरिए समर्थकों में जोश जगाया जाता है। हालांकि इस बार सरकार विरोधी नारे नहीं सुनाई दे रहे हैं। शाम करीब चार बजे अन्ना आंदोलन में लगातार गीत गाने वाले श्रीश्री रविशंकर के शिष्य नितिन ने रघुपति राघव राजाराम की धुन के साथ मंच संभाला।

भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के झंडों की तुलना में इस बार तिरंगा झंडों की मौजूदगी भी ज्यादा नजर आर ही है। बाबा के स्वयंसेवक भारत युवा की टीशर्ट पहने अलग नजर आते हैं। मंच पर बाबा के साथ हरिद्वार व विभिन्न स्थानों से आए धर्मगुरुओं के साथ शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे रुसेद रिजवी भी काफी वक्त तक नजर आए।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मैदान के अंदर व आसपास के इलाके में अर्धसैनिक बल, त्वरित कार्रवाई बल व दिल्ली पुलिस के पांच से अधिक जवान तैनात किएगए हैं। मैदान में पुलिस ने बूथ भी स्थापित किया है, फायर की गाड़ी को भी तैयार रखा गया है।

हालांकि इससे पहले बाबा के मंच पर महापुरुषों के साथ बालकृष्ण की तस्वीर वाले पोस्टर पर काफी हो हल्ला हुआ. जिसके बाद इन पोटर्स को हटा दिया गया.

अन्ना ने खुद को किया मंदिर में ‘कैद’, तीन दिन से नहीं बोले एक भी लफ्ज

PHOTOS: अन्ना ने खुद को किया मंदिर में ‘कैद’, तीन दिन से नहीं बोले एक भी लफ्ज

नाशिक। वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपने गृह ग्राम रालेगण सिद्धि के यादव बाबा मंदिर में खुद को कैद कर लिया है।

सूत्रों की मानें तो अन्ना पिछले तीन दिनों से किसी के साथ कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं। अन्ना का यह मौन व्रत नहीं है। बल्कि कमजोरी के कारण अन्ना के इन दिनों आराम करने की बात कही जा रही है।

मजबूत जनलोकपाल बिल को मंजूरी दिलाने के लिए पिछली 25 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पर टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल व उनके सहयोगियों ने अनिश्चितकालीन अनशन आंदोलन शुरू कर दिया था, जिसमें चार दिन के बाद अन्ना हजारे शामिल हो गए थे।

इसके बाद आंदोलन को भारी जन समर्थन मिला था। अन्ना हजारे ने राजनीतिक विकल्प देने की बात करते हुए पूर्व सेना प्रमुख वी. के. सिंह की उपस्थिति में अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था। तीन दिन पूर्व अन्ना हजारे अपने गृहग्राम रालेगण सिद्धि पहुंच गए थे। वहां पहुंचे कुछ लोगों से चर्चा करने के बाद वह यादव बाबा मंदिर में चले गए।

तीन दिन हो गए लेकिन अन्ना मंदिर से बाहर नहीं निकले हैं। जबकि मंदिर श्रद्धालुओं के लिए नियमित रूप से खुला है। अन्ना के सहायक दादा पठारे ने फोन पर चर्चा के दौरान तीन दिन से अन्ना के किसी से भी मुलाकात नहीं करने की पुष्टि की। लेकिन उन्होंने कहा कि इसके पीछे कोई ठोस कारण नहीं है।

पठारे के अनुसार अनशन समाप्त करने के बाद अपने गांव रालेगण सिद्धि लौटे अन्ना हजारे शारीरिक रूप से कमजोरी महसूस कर रहे थे इसलिए वह इन दिनों आराम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अन्ना का यह कोई मौनव्रत नहीं है, वह स्वास्थ्य के कारण एकांतवास में चले गए हैं।

कुरान का संदेश

महंगाई से जनता का ध्यान बटाने के लियें केंद्र ने क्या है अन्ना हजारे और बाबा रामदेव से आन्दोलन करवाने का समझोता

अन्ना हजारे और बाबा रामदेव पिछले तीन सालों से जनता को एकत्रित कर सरकार के महंगाई से जुड़े मुद्दे को भटका रहे है और लोकपाल ..कालाधन में इस खास मुद्दे को उलझा कर रख दिया है इसके लियें केंद्र सरकार ने दोनों महानुभावों को कई मामलों में छुट भी दी है ..यह कोई आरोप नहीं पुख्ता बात है ..पूरा देश जनता है के जबसे अन्ना और बाबा रामदेव का आन्दोलन हुआ है तबसे आज तक रोज़ मर्रा के काम आने वाली खाने की वस्तुओं के भाव आसमान पर है चोर दरवाज़े से रोज़ पेट्रोल की कीमते बढ़ रही है ..जरा सोचो नल ..बिजली..टेलीफोन ..टेक्स ..दूध दही घी मक्खन और सब्जियां फ्रूट यानि खाने पीने और रोज़ इस्तेमाल की सभी चीज़े महंगाई का रिकोर्ड तोड़ चुकी है लेकिन बाबा रामदेव हो चाहे अन्ना हजारे और उनकी टीम के लोग हो कभी भी महंगाई के मुद्दे पर नहीं बोले है पहले बाबा रामदेव लोकपाल को मुद्दा नहीं मानते थे जब आनन के लोकपाल के गुब्बारे की हवा निकली तो अब यही गुबार तीन दिन केवल तीन दिन की नोटंकी पर बाबा रामदेव फुलाने आ गए है ...दोस्तों अगर आज बाबा रामदेव और अन्ना हजारे देश के युवाओं और करोड़ों लोगों को लोकपाल और काले धन के झमेले में नहं उलझाते तो जनता का आन्दोलन सीधे महंगाई के खिलाफ होता भूख के खिलाफ होता और अगर ऐसा होता तो केंद्र सरकार से जुड़ा हर नेता रोज़ सड़कों पर पिटता हिंसा होती ...ऐसे में सरकार का चलना मुश्किल हो जाता लेकिन चाणक्य निति के तहत के शासन चलाने में अगर लूट खसोट करना है और महंगाई बढ़ाना है तो जनता को आपस में मुद्दों पर उलझाये रखो वरना यह जनता अगर इसे सोचने भार का भी मोका मिल जाएगा तो शासन को पलट कर रख देगी सत्ता बदल देगी मिस्र ..इरान अफगानिस्तान की तरह सत्ता पलट देगी .लेकिन भारत में यह सब होता इसके पहले ही सरकार ने दो जमूरों बाबा रामदेव और अन्ना से समझोता क्या उन्हें सरकार के खिलाफ लड़ने के लियें कहा गया केवल सुनारी लड़ाई दिखावटी लड़ाई और जनता को इस लड़ाई में थका थका कर महंगाई का मुद्दा भूल जाने के लियें मजबूर कर दिया ...आज अन्ना वापस घर बेठ गए है उन्होंने जनता का विश्वास बेच दिया है और बाबा रामदेव केवल तीन दिन का उपवास वाह भाई वाह केवल तीन दिन देश के लियें बहुत शोर सुनते थे सीने में दिल का जो छीर तो कतराए खु न निकला ..तो जनाब यह है जमूरों का खेल देश की जनता महंगाई भूख के खिलाफ नहीं लदे केंद्र के नेताओं को सडकों पर नंगा कर नहीं मारे सीधा गुस्सा नेताओं पर नहीं उतरे इस्लिएँ एक सो इक्कीस करोड़ लोगों को दो सालों तक व्यस्त रख कर देश लुटने का यह नया समझोता न्य तरीका है जो जनता समझ गयी न तो इन जमूरों का भी जनता की अदालत में बुरा हाल होगा और फिर यह शलवार कुरता फन कर भी भाग नहीं सकेंगे .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

त्योहारों के संगम पर नया त्योगार कोमी एकता रोजा इफ्तार ..ममता शर्मा चेयरमेन महिला आयोग मुख्यातिथि रहेंगी

हिंदुस्तान में गंगा जमना तहज़ीब भाईचारा और सद्भावना तो है ही ..........लेकिन कुदरत ने भी त्योहारों के संगम की मिसाल बना दी है और इस दिन एक तरफ जन्माष्ठमी पर कृष्ण जन्मोत्सव होगा तो......... दूसरी तरफ अलविदा की जुमे की नमाज़ के बाद कोटा में रोजा इफ्तार है ............कोटा कोटडी क्षेत्र स्थित नोजवान कमेटी के तबरेज़ पठान ..अनवर हुसेन वगेरा ने कल यहाँ जंगलीशाह बाबा महफिल खाने पर रोजा इफ्तार रखा है ..रोज़े इफ्तार में खुसूसी तोर पर शहर काजी अनवर अहमद की सरपरस्ती में उनके सुपुत्र नायब क़ाज़ी जुबेर अहमद साहब रखेंगे ..मशहूर नात ख्वाह जनाब जमील कादरी नात पढ़ेंगे .....कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में कोटा की बेटी ..बूंदी की बहु ..राजस्थान में लोकप्रिय और पुरे भारत की महिलाओं की संरक्षक राष्ट्रिय महिला आयोग की चेयरमेन श्रीमती ममता शर्मा होंगी ..इन्हीं के साथ कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र के सांसद और हाडोती के युवाओं के दिलों की धड़कन कोटा दरबार के सुपुत्र युवराज इजय्राज सिंह भी रहेंगे ...रोजा इफ्तार कार्यक्रम में जिला वक्फ कमेटी के सदर हाजी अज़ीज़ अंसारी ...नायब सदर एडवोकेट अख्तर खान अकेला ....कोटा पुलिस महानिरीक्षक अमृत कलश ............प्रदेश कोंग्रेस महासचिव पंकज मेहता ....कोटा शहर जिला अध्यक्ष गोविन्द जी शर्मा ..समाज सेवक डॉक्टर ऍन डी पठान ..राष्ट्रिय बुनकर संघ के राष्ट्रिय अध्यक्ष अकरम खान कोटा नगर निगम की महापोर डोक्टर रत्ना जेन ...नगर विकास न्यास अध्यक्ष रविन्द्र त्यागी सहित कई लोग इफ्तार कार्यक्रम में शामिल रहेंगे .......इत्तेफाक की बात है के कोटा में छोटे देवता जी की पुत्री ममता जी क्रष्ण जन्माष्ठमी के दिन कोटा में किसी रोज़े इफ्तार के कार्यक्रम में है और वोह भी ऐसा रोज़ा जो अल्विदे की जुमे की इबादत के साथ हो कुदरत का यह इत्तेफाक है के त्योहारों का यह संगम बन गया है और इस दिन को कोटा की नोजवान कमेटी के भाई तबरेज़ पठान और अनवर हुसेन ने कोमी एकता भाईचारा सद्भावना दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लेते हुए इस दिन रोज़े इफ्तार का आयोजन कर सभी को एक छत के नीचे ला खड़ा किया है ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मां के हाथ-पैर काट थैले में रखकर घूम रहा था दरिंदा बेटा


दाहोद (गुजरात)। दाहोद जिले, जालौद तहसील के चाकलिया गांव में एक युवक को अपनी मां की नृशंस हत्या करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। दरअसल रमेश नामक यह युवक मां के शरीर के टुकड़ों को एक थैले में रखकर घूम रहा था। इस पर ग्रामीणों को शक हुआ और उन्होंने उसे पकड़ लिया। इसके बाद पुलिस को खबर कर दी। पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त तलवार भी जब्त कर ली है। हत्या खुद बेटे ने ही की थी, इसके लगभग सारे सुबूत पुलिस को मिल गए हैं।


प्राप्त जानकारी के अनुसार चाकलिया गांव के बोरसद फणियां में रहने वाली 73 वर्षीय शकुडीबेन की हत्या रमेश ने मंगलवार की रात को की। मृतका के पूरे शरीर पर तलवार से वार किए गए थे। उसका एक हाथ और एक पैर धड़ से अलग था।


हत्या के बाद रमेश भागने की बजाय मां की लाश के पास ही खड़ा रहा। सुबह उसने मां के शरीर के कटे हुए हाथ व पैर एक थैले में भरे और घर से बाहर निकला। थैले को देखकर कुछ लोगों को शक हुआ और वे तुरंत रमेश के घर पहुंच गए। जहां उन्होंने शकुडीबेन की क्षत-विक्षत लाश देखी।


ग्रामीणों ने तुरंत घेराबंदी कर रमेश को पकड़ लिया और उसे एक पेड़ से बांध दिया। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। घटना के बाद से ही रमेश ने चुप्पी साध रखी है। पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त तलवार भी जब्त कर ली है। हत्या खुद बेटे ने ही की थी, इसके लगभग सारे सुबूत पुलिस को मिल गए हैं। पुलिस ने रमेश को गिरफ्तार कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

इस जगह होती थी श्रीकृष्ण की रासलीला





श्रीकृष्ण भक्ति की तीन धाराएं गायन, नृत्य और रुदन या रोना जगत प्रसिद्ध हैं। माना जाता है कि इनके ही सहारे संत सूरदास, चैतन्य महाप्रभु व मीराबाई जैसे भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण को पा लिया। भक्ति मार्ग की ये तीन धाराएं भगवान श्रीकृष्ण के जन्म और लीलास्थलों मथुरा, वृंदावन और उसके आसपास के इलाकों में श्रीकृष्ण के अनेक मंदिरों में बहती हैं। यही वजह है कि श्रीकृष्ण भक्ति को समर्पित इन मंदिरों और जगहों पर कदम रखना भी सारे पापों को मिटाने वाला माना गया है। इनमें वह स्थान भी शामिल है जहां श्रीकृष्ण गोपियों संग महारास करते थे। तस्वीरों में देखिए मथुरा-वृंदावन के ऐसे ही 6 पवित्र मंदिर व स्थान -

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कल: जानिए, पूजन व व्रत विधि और शुभ मुहूर्त



10 अगस्त, शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के निमित्त व्रत रखा जाता है व विशेष पूजन किया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो भी व्रत रखता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह मोह-माया के जाल के मुक्त हो जाता है। यदि यह व्रत किसी विशेष कामना के लिए किया जाए तो वह कामना भी शीघ्र ही पूरी हो जाती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजन व व्रत की विधि इस प्रकार है-

व्रत व पूजन विधि

जन्माष्टमी (10 अगस्त, शुक्रवार) के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें व साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सभी देवताओं को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत का संकल्प लें (जैसा व्रत आप कर सकते हैं वैसा संकल्प लें यदि आप फलाहार कर व्रत करना चाहते हैं तो वैसा संकल्प लें और यदि एक समय भोजन कर व्रत करना चाहते हैं तो वैसा संकल्प लें)।

इसके बाद पंचामृत व गंगा जल से माता देवकी और भगवान श्रीकृष्ण की सोने, चांदी, तांबा, पीतल, मिट्टी की (यथाशक्ति) मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। श्रीकृष्ण को नए वस्त्र अर्पित करें। पालने को सजाएं। इसके बाद सोलह उपचारों से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी आदि के नाम उच्चारण करें। अंत में माता देवकी को अघ्र्य दें। भगवान श्रीकृष्ण को पुष्पांजलि अर्पित करें। चन्द्रमा को शंख में जल, फल, कुश, फूल, गंध डालकर अघ्र्य दें एवं पूजन करें।

रात्रि में 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पालने को झूला करें। पंचामृत में तुलसी डालकर व माखन मिश्री का भोग लगाएं। आरती करें और रात्रि में शेष समय स्तोत्र, भागवद्गीता का पाठ करें। दूसरे दिन पुन: स्नान कर जिस तिथि एवं नक्षत्र में व्रत किया हो, उसकी समाप्ति पर व्रत पूर्ण करें।

शुभ मुहूर्त

सुबह 06:20 से 07:05 तक- चल

सुबह 6: 32 से 8: 45 बजे तक (सिंह लग्न में)

सुबह 07:50 से 09:20 तक- लाभ

सुबह 09:20 से 10:50 तक- अमृत

दोपहर 12:20 से 01:50 तक- शुभ

दोपहर 1:10 से 3: 26 बजे तक (वृश्चिक लग्न में)

शाम 04:50 से 06:20 तक- चल

मध्यरात्री 12: 01 से 1: 59 बजे तक (वृष लग्न में- सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त)

जन्माष्टमी पर बन रहा ये दुर्लभ योग, चमक सकती है आपकी भी किस्मत




इस बार 10 अगस्त, शुक्रवार यानी जन्माष्टमी पर धन प्राप्ति का दुर्लभ योग बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार ये बहुत ही दुर्लभ योग है और अगर इस दिन निश्चित विधि-विधान से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन किया जाए तो धन प्राप्ति निश्चित रूप से होती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा के अनुसार जन्माष्टमी के दिन सुबह 6 बजकर 46 मिनिट से कृत्तिका नक्षत्र प्रारंभ होगा, जिसके स्वामी सूर्य हैं। इस समय चंद्रमा मेष राशि में रहेगा एवं दोपहर बाद में चंद्रमा वृषभ राशि में गोचर करेंगे। गुरु पहले से ही वृषभ राशि में स्थित है। वृषभ राशि के स्वामी शुक्र हैं एवं शुक्रवार तथा अष्टमी तिथि का संयोग जिसके स्वामी शिव हैं के संयोग से धन प्राप्ति का दुर्लभ योग बन रहा है।

इस उपाय से होगी धन प्राप्ति

- इस दिन, दिन भर उपवास कर ऊँ नमों नारायणाय मंत्र का जप करें एवं रात को जागरण कर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप का षोडशोपचार से पूजन कर पुरुषसूक्त से अभिषेक करें। इसके बाद श्रीसूक्त का पाठ करें एवं इसी पाठ से सफेद तिल, शहद, कच्चा दूध, घी एवं मालपूए से हवन करें तो स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं।

- केवल तिल एवं घी के हवन से गंभीर रोगों से छुटकारा मिलता है।

- शहद एवं चावल के हवन से सुंदर जीवन साथी की प्राप्ति होती है।

- हवन सामग्री में छोटे फलों के टुकड़े मिलाकर उनसे हवन करने से रोजगार की प्राप्ति एवं तरक्की होती है।

श्मशान के कुएं से निकला बच्चा, लोगों ने कहा चमत्कार, हकीक़त सुन कांपी रूह!

Comment


बाड़मेर/रावतसर.पांच साल के एक बच्चे को उसकी ही मां ने कुएं में फेंक दिया। घटना घोनरी नाड़ी की हैं। बीते दिनों पीहर आई कमला पत्नी जीयाराम जाट ससुराल वालों से पीड़ित होकर इस हद तक पहुंच गई कि उसने अपने ही बेटे प्रकाश को गांव के श्मशान घाट के कुएं में फेंक दिया। गनीमत रही उसमें पानी नहीं था। इसलिए बच्चा बच गया।

उसे 4 घंटा बाद सुरक्षित निकाल लिया गया। कमला के भाई ईश्राराम ने बताया कि कमला को ससुराल वाले लगातार परेशान कर रहे थे। कमला के दो बच्चेहैं।

खुशनसीब था बच्चा

बुधवार को चैनाराम अपने खेत जा रहा था, इसी बीच उसे चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। जब उसने कुएं की ओर जाकर देखा तो बच्चा वहां रो रहा था। चैनाराम ने लोगों को घटना की जानकारी देकर बच्चे को बाहर निकाला। जब बच्चे ने बताया कि उसकी मां ने ही उसे कुआं में फैंका है तो यह सुनकर लोगों की रूह कांप उठी।

अस्पताल में भर्ती है बच्चा

घटना की जानकारी मिलने के बाद बच्चे का मामा भी घटनास्थल पर पहुंच गया। इसके बाद उसको 108 एंबुलेंस से राजकीय अस्पताल लाया गया, जहां उसे भर्ती किया गया।

कमला का पति झगड़ा कर उसके साथ मारपीट करता था। परेशान होकर महिला ने बच्चे को कुआं में फैंक दिया। बच्चा सुरक्षित है। परिवार वालों से समझाइश की जाएगी।

लता कछवाहा, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, बाड़मेर

परमाणु हमले की तैयारी बढ़ा रहा पाकिस्‍तान, सेना ने की भारत में घुसपैठ की कोशिश नाकाम



श्रीनगर/वॉशिंगटन. भारत को लेकर पाकिस्तान के 'नापाक' मंसूबे एक बार फिर सामने आए हैं। बीती रात सेना ने जम्मू-कश्मीर के गुरेज सेक्टर में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से आतंकियों की घुसपैठ की बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया। इस मुठभेड़ में सेना का एक जवान शहीद हो गया।
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस बरार ने बताया, 'गुरेज सेक्टर के बकतूर इलाके में मौजूद घाटी में आतंकी घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। सेना ने इस कोशिश को नाकाम कर दिया। जिसकी वजह से आतंकियों को वापस लौटना पड़ा।'
वहीं, दूसरी ओर अमेरिका की एक संसदीय समिति (कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों की संख्या और गुणवत्ता लगातार बढ़ा रहा है। सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान भारत को मद्देनजर रखते हुए अपनी परमाणु तैयारी को अंजाम दे रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की परमाणु क्षमताओं में संभावित इजाफे को देखते हुए पाकिस्‍तान अपनी परमाणु हथियार की क्षमता लगातार बढ़ा रहा है। जल्द ही इसमें और तेजी भी आ सकती है। सीआरएस की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अपने परमाणु हथियारों की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ाने के अलावा पाकिस्तान उन हालातों की संख्या भी बढ़ा सकता है, जिसके तहत भारत पर परमाणु हमला किया जा सकता है।
सीआरएस की अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 'पाकिस्‍तान के पास करीब 90-110 परमाणु हथियार है।' रिपोर्ट में आशंका व्‍यक्‍त की गई है कि यह तादाद इससे अधिक भी हो सकती है।
सीआरएस की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने शुरू में कहा था कि उसे केवल न्‍यूतम प्रतिरोध के लिए इसकी आवश्‍यकता है लेकिन उसने कभी इसकी परिभाषा नहीं बताई। भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (सीटीबीटी) पर भी हस्‍ताक्षर नहीं किए हैं। इसके जवाब में पाकिस्‍तान ने भी अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ाया।
दूसरी ओर, पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास में राजनीतिक सलाहकार रहे जॉन आर स्कमिड्ट की किताब 'द अनरैवलिंग-पाकिस्तान इन द एज ऑफ जिहाद' में कहा गया है कि देश पर जिहादियों के नियंत्रण से यदि पाकिस्तान की सेना में फूट पड़ती है तो परमाणु हथियारों की सुरक्षा मुश्किल हो जाएगी। किताब में कहा गया है कि आज यह चिंता जाहिर की जा रही है कि आंतकी परमाणु हथियार का नियंत्रण अपने हाथ में ले सकते हैं और अमेरिका के खिलाफ इसका प्रयोग करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल कर सकते हैं। यदि वास्तव में जिहादी इस्लामाबाद पर पकड़ बनाने में कामयाब रहते हैं तो अमेरिका की चिंता के बारे में कल्पना की जा सकती है। इस स्थिति में अमेरिका पहले हमला करने का निर्णय करेगा। अमेरिका अपने विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कमांडो को तैनात करेगा या पाकिस्तान के हथियार भंडारों पर बमबारी करेगा।

गृह मंत्री के 'जुबानी हमले' से गुस्‍साई जया बच्‍चन, शिंदे को मांगनी पड़ी माफी

नई दिल्‍ली. सुशील शिंदे ने जया बच्‍चन से माफी मांगीराज्‍यसभा में गुरुवार को अजीबोगरीब स्थिति बन गई। गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे असम में हिंसा के मुद्दे पर बोल रहे थे। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता अरुण जेटली और सपा सांसद जया बच्‍चन ने इस पर टोकाटोकी की तो शिंदे बोल पड़े- यह गंभीर मुद्दा है, कोई फिल्‍मी मसला नहीं। इस पर जया तमतमा गईं। बाकी विपक्ष भी एक हो गया। हंगामा शुरू हो गया और तत्‍काल शिंदे से माफी की मांग होने लगी। तब शिंदे को कहना पड़ा, 'अगर जया जी को दुख पहुंचा हो तो मुझे खेद है। वह मेरी बहन जैसी हैं।'

फिजा के घर से मिली एक करोड़ की नकदी, केंद्रीय मंत्री के साथ फोटो भी


चंडीगढ़. फिजा की मौत की जांच कर रही पुलिस को अब भी सुराग की तलाश है। पुलिस की टीम ने इसके लिए गुरुवार को भी फिजा के घर की खाक छानी। घर की तलाशी के दौरान पुलिस को अलमारियों से नोटों के बंडल मिले हैं। नोट गिनने के लिए दो मशीने भी मंगवाई गईं। हालांकि पुलिस ने अभी नोटों की बरामदगी पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
मुंहबोले भाई और बुलंदशहर के समाजसेवी सलीम अल्वी के सनसनीखेज दावे ने फिजा उर्फ अनुराधा बाली की मौत के मामले में नया मोड़ ला दिया है। अल्वी ने दावा किया है कि फिजा की मौत में हरियाणा जनहित कांग्रेस के नेता और चंद्रमोहन के भाई कुलदीप विश्नोई का हाथ है। सलीम अल्वी उन लोगों में शामिल हैं, जिनसे फिजा ने मौत से ऐन पहले बात की थी। इसी आधार पर मोहाली क्राइम ब्रांच ने फिजा के मोबाइल फोन की कॉल ट्रेस कर सलीम अल्वी से संपर्क साधा और जांच में सहयोग के लिए कहा है। 31 जुलाई की दोपहर करीब ढाई बजे और एक अगस्त की शाम 4-5 बजे के बीच सलीम अल्वी ने फिजा से मोबाइल पर बातचीत की थी। अल्वी दो वर्ष से अधिक समय से फिजा के संपर्क में था।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...