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12 अगस्त 2012

अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की मेजबानी में रोजा इफ्तार आज

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज उनके जयपुर स्थित सिविल लाइंस निवास पर रोजा इफ्तार कार्यक्रम का आयोजन किया गया है ...इस अवसर पर मुस्लिम रीतिरिवाज से इफ्तार के बाद नमाज़ भी अदा की जायेगी ....मुख्यमंत्री के इस इफ्तार कार्यक्रम में सम्भवत कुछ लुभावनी राजनितिक और मुलिम कल्याणकारी घोषणाएं भी हो सकती है ...कल १४ अगस्त को महामहीम राज्यपाल महोदय की तरफ से रोजा इफ्तार होगा जबकि १६ अगस्त को राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के माहिर आज़ाद साहब की तरफ से रोजा इफ्तार है ....इस बार मुख्यमंत्री के रोजा इफ्तार में विशेष सावधानियां बरती गयी है ...रोजा इफ्तार का सभी कार्य मुस्लिम समाज से जुड़े लोग देखेंगे जो पाकीजगी का पूरा ध्यान रखेंगे साथ ही इस इफ्तार को गेर सियासी बनाने की कोशिशें हैं इस इफ्तार में राजस्थान के सभी जिलों से लोगों को बुलाया गया है और पहली बार कार्ड लोगों के घर घर पहुच्वाये गए है जिन पर नाम लिखे हुए है पहले खाली कार्ड भिजवाये जाते थे जिससे लोगों में नाराजगी रहती थी ...मेजबानी का आलम यह है के कार्ड पहुँचने के बाद कल सभी लोगों से अंतिम रूप से कार्ड मिलने की तस्दीक भी की गयी है ..इस तरह के दावत नामे से राजस्थान के मुसलमान गद गद है .....लेकिन कुछ लोग इस इफ्तार में भी राजनीती कर रहे है कहते हैं के गोपालगढ़ का क्या हुआ ..गोपालगढ़ के वक़्त मुख्यमंत्री ने जो तत्परता दिखाई वोह सभी के सामने है .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

जया एकादशी 13 को, ये है व्रत विधि व महत्व



भादौ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसका महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। उसी के अनुसार यह एकादशी सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाली है। इस अजा एकादशी भी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 13 अगस्त, सोमवार को है। जया एकादशी व्रत की विधि इस प्रकार है-

जया एकादशी व्रत का नियम पालन दशमी तिथि (12 अगस्त, रविवार) की रात से ही शुरु करें व ब्रह्मचर्य का पालन करें। एकादशी के दिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें। इस दिन यथासंभव उपवास करें। उपवास में अन्न ग्रहण नहीं करें संभव न हो तो एक समय फलाहारी कर सकते हैं।

इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से करें।(यदि आप पूजन करने में असमर्थ हों तो पूजन किसी योग्य ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं।) भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान के बाद उनके चरणामृत को व्रती (व्रत करने वाला) अपने और परिवार के सभी सदस्यों के अंगों पर छिड़कें और उस चरणामृत को पीएं। इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।

विष्णु सहस्त्रनाम का जप एवं उनकी कथा सुनें। रात को भगवान विष्णु की मूर्ति के समीप हो सोएं और दूसरे दिन यानी द्वादशी के दिन वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। जो मनुष्य यत्न के साथ विधिपूर्वक इस व्रत को करते हुए रात्रि जागरण करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट होकर अंत में वे स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं। इस एकादशी की कथा के श्रवणमात्र से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

गोवत्स द्वादशी (बछवारस) 14 को: जानिए, महत्व व पूजन विधि




भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी कहते हैं। इसे बछवारस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं गाय व बछड़ों का पूजन करती हैं। इसे पुत्रवती स्त्रियां ही करती हैं। इस बार यह पर्व 14 अगस्त, मंगलवार को है।

यदि किसी के यहां गाय व बछड़े न हों तो वह किसी दूसरे की गाय या बछड़े की पूजा करें। यदि गांव में भी न हों तो गीली मिट्टी से गाय, बछड़ा, बाघ तथा बाघिन की मूर्तियां बनाकर पाटे पर रखकर उनकी पूजा करें। उस पर दही, भीगा हुआ बाजरा, आटा, घी आदि चढ़ाएं। रोली से तिलक करें, चावल और दूध चढ़ाएं।

फिर मोठ, बाजरा पर रुपया रखकर अपनी सास को दें। इस दिन बाजरे की ठंडी रोटी खाएं। गाय का दूध, दही, गेहूं व चावल न खाएं। अपने कुंवारे लड़के की कमीज पर स्वस्तिक बनाकर तथा पहनाकर कुएं की पूजा करें। इससे बच्चे के जीवन की रक्षा होती है और वह भूत-प्रेत तथा नजर के प्रकोप से बचा रहता है।

बछवारस का उद्यापन(उजमन)

जिस वर्ष लड़के का विवाह हो या लड़का पैदा हो तो उजमन किया जाता है। इस दिन से एक दिन पहले बाजरा दान दें। बछवारस के दिन एक थाली में तेरह मोंठ बाजरे की ढेरी बनाकर उन पर दो मुट्ठी बाजरे का आटा, जिसमें घी-शक्कर मिली हो रख दें। तिल और रुपए रखें। इस सामान को हाथ फेरकर अपनी सास को दें और पांव छूकर आशीर्वाद लें। बाद में बछड़े और कुएं की पूजा करें फिर मंगल गीत गाएं व ब्राह्मण को दक्षिणा दें।

आज एकादशी पर करें इस मंत्र का जप, दु:ख होंगे दूर




आज 13 अगस्त, सोमवार को भादौ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे जया व अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। ये तिथि मूल रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है। पुराणों के अनुसार भगवान श्रीराम भी, विष्णु के ही अवतार थे। यदि इस दिन नीचे लिखे राम मंत्र का जप विधि-विधान से किया जाए तो हर दु:ख दूर हो जाता है। यदि आप भी अपने दु:ख दूर करना चाहते हैं तो आज नीचे लिखे मंत्र का जप विधि-विधान से करें-



मंत्र

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।

सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।



जप विधि

- सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर प्रभु श्रीराम का पूजन करें।

- भगवान राम की मूर्ति के सामने आसन लगाकर चंदन की माला लेकर इस स्त्रोत का जप करें। कम से कम 11 माला जप अवश्य करें।

- आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है।

- इस मंत्र का जप यदि रोज किया जाए तो दुनिया का हर कष्ट मिट जाता है।

घर से निकलते ही कोई स्त्री लाल साड़ी में दिखे तो समझ लें कि...




पुराने समय से ही हिंदू धर्म में कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं, जिन परंपराओं का संबंध हमारे भविष्य से भी जुड़ा हुआ है। इसी वजह से इनका महत्व काफी अधिक बढ़ जाता है। कभी-कभी कुछ छोटी-छोटी घटनाएं होती हैं जिन्हें शकुन या अपशकुन माना जाता है।

स्त्रियों से जुड़े हुए कई शकुन बताए गए हैं। ऐसा ही एक शकुन है घर से निकलते समय किसी स्त्री का लाल साड़ी में दिखना।

यदि कोई व्यक्ति घर से किसी खास कार्य के लिए निकल रहा है और उसी समय कोई पतिव्रता स्त्री लाल साड़ी में दिख जाए तो उसे समझना चाहिए कि उसके सभी काम पूर्ण हो जाएंगे।

पुराने समय से ही स्त्रियों को महालक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। देवी लक्ष्मी भी लाल वस्त्रों से ही सुसज्जित रहती हैं। अत: घर से निकलते वक्त लाल साड़ी पहनी हुई स्त्री का दिखना बहुत ही शुभ होता है।

ऐसा शकुन होने पर व्यक्ति को धन प्राप्ति के भी कई योग प्राप्त होते हैं।

यदि आप काफी खास कार्य के लिए जा रहे हैं तो घर से निकलते ही आपको कोई ब्राह्मण दिख जाए तो समझना चाहिए कि कार्य बिना किसी परेशानी के सफल हो जाएगा। ब्राह्मण परंपरागत वेशभूषा में होना चाहिए।

घर से निकलते ही कोई सफाईकर्मी दिख जाए तो समझो आपका दिन बहुत अच्छा बितेगा और धन, ऐश्वर्य, मान-सम्मान भी मिलेगा। यदि महिला ने लाल साड़ी पहनी है और उसके हाथ पूजन सामग्री है तो उस दिन आपके साथ जरूर कुछ बहुत अच्छा होगा। ऐसा माना जाता है।

अघोरी कैसे करते हैं शव-श्मशान व शिव साधना




जाने-अंजाने में हम सभी ने अघोर तांत्रिकों के बारे में जरुर सुना होगा। इनका नाम सुनते ही मन में अचानक भय उत्पन्न हो जाता है और जिज्ञासा भी बढऩे लगती है। अघोरी सांसारिक बंधनों को नहीं मानते और अधिकांश समय श्मशान में बिताते हैं। अघोर का अर्थ है जो घोर अर्थात विभत्स नहीं है। यानी अघोरी वो लोग होते हैं जो संसार की किसी भी वस्तु को घोर यानी विभत्स नहीं मानते। इसलिए न तो वे किसी वस्तु से घृणा करते हैं और न ही प्रेम। उनके मन के भाव हर समय एक जैसे ही होते हैं। ये मल-मूत्र का सेवन भी उसी तरह से करते हैं जैसे कोई फल या मिठाई खा रहा हो।

अघोर तांत्रिक श्मशान में ही तंत्र क्रियांए करते हैं। इनका मानना होता है कि श्मशान में ही शिव का वास होता है। अघोरी श्मशान घाट में तीन तरह से साधना करते हैं- श्मशान साधना, शिव साधना और शव साधना। ऐसा माना जाता है कि शव साधना के चरम पर मुर्दा बोल उठता है और इच्छाएं पूरी करता है। शव साधना के लिए एक खास काल में जलती चिता में शव के ऊपर बैठकर साधना की जाती है। यदि पुरूष साधक हो तो उसे स्त्री का शव और स्त्री साधक के लिए पुरूष का शव चाहिए होता है।शिव साधना में शव के ऊपर पैर रखकर खड़े रहकर साधना की जाती है।

बाकी तरीके शव साधना की ही तरह होते हैं। शव और शिव साधना के अतिरिक्त तीसरी साधना होती है श्मशान साधना, जिसमें आम परिवारजनों को भी शामिल किया जा सकता है। इस साधना में मुर्दे की जगह शवपीठ की पूजा की जाती है। उस पर गंगा जल चढ़ाया जाता है। यहां प्रसाद के रूप में भी मांस मंदिरा की जगह मावा चढाया जाता हैं। अघोरी लोगो का मानना होता है कि वे लोग जो दुनियादारी और गलत कार्यों के लिए तंत्र साधना करते है अतं में उनका अहित होता है।

इस कलश की रखवाली के लिए एक सिपाही को जो

देवस्थान विभाग कहता है- निजी गार्ड 200 रु. रोजाना में मिल जाते हैं, स्वर्ण कलश की सुरक्षा पर रोजाना 12 गुना खर्च करने पड़ रहे हैं।

पुलिस कहती है - गृह विभाग के आदेश हैं, पुलिस इसमें क्या कर सकती है..

जयपुर.जय निवास उद्यान में गोविंददेवजी मंदिर से सटे गंगाजी मंदिर में सोने की 11 किलो वजनी गंगाधरी (कलश) की सुरक्षा एक बार फिर खतरे में है। वैसे तो यहां पुलिस का एक हवलदार और तीन जवानों की डच्यूटी है, लेकिन वे देवस्थान की बजाय पुलिस विभाग की नौकरी में ज्यादा व्यस्त रहते हैं।

पुलिस विभाग गंगाधरी की सुरक्षा की एवज में हवलदार के लिए रोजाना 2419 रुपए और सिपाही के लिए रोजाना 2409 रुपए देवस्थान विभाग से ले रहा है। पिछले वर्ष राज्य सरकार ने सुरक्षा खर्च के चलते स्वर्ण कलश को ट्रेजरी में रखने का निर्णय किया था।

बाद में जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कम खर्च में सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय किया। इसके बावजूद स्वर्ण कलश की सुरक्षा के बदले देवस्थान विभाग को हर साल 36 लाख रुपए पुलिस को देने पड़ रहे हैं। यह राशि हर तीन माह में चुकानी होती है। इस बार 1 अप्रैल से 30 जून तक 8 लाख 77 हजार 786 रुपए चुकाए जाने हैं।
फिर भी कलश सुरक्षित नहीं।

क्योंकि हर वक्त मंदिर में पर्याप्त प्रहरी नहीं रहते हैं। गंगाजी मंदिर में पिछले एक साल में 20 सिपाहियों के तबादले हो चुके हैं। अकेले जुलाई में ही 4 सिपाही बदल गए। मंदिर में तैनात सिपाहियों को पुलिस द्वारा कई बार दूसरी डयूटी पर लगा दिया जाता है। तब मंदिर में केवल एक या दो प्रहरी रह जाते हैं।

एक तथ्य यह भी..

एक साल में बदल गए 20 सिपाही, अकेले जुलाई में चार सिपाही बदले

36 लाख रु. हर साल चुकाने के बाद भी कलश की सुरक्षा गंगाजी के भरोसे ही है

गृह विभाग का आदेश खर्चीला..

25 साल पहले गृह विभाग की ओर से दिए गए आदेश का खमियाजा देवस्थान विभाग को भुगतना पड़ रहा है। इसमें कहा गया है- देवस्थान विभाग के ऐसे मंदिर जहां जेवरात, सोना -चांदी आदि प्रचुर मात्रा में हैं, वहां की देखरेख पुलिस विभाग की ओर से होगी। आदेशानुसार पुलिस के सिपाही हैं, जो निजी गार्डो से कहीं ज्यादा महंगे हैं। निजी गार्ड रखें तो प्रति गार्ड 6000 रुपए प्रतिमाह ही खर्च होंगे।


आदेश के हिसाब से लेते हैं पैसा

'राज्य सरकार के आदेश हैं कि सरकारी विभाग में जाप्ता लेने के बदले संबंधित विभाग भुगतान करेगा। सरकार ने डीसीपी से सिपाही तक की रेट फिक्स कर रखी है। सरकारी बैंकों और कुछ मंदिर में नियमित जाप्ता भेजते हैं। जो राशि मिलती है, राजकोष में जमा होती है।'

-संग्राम सिंह, एडीशनल डीसीपी (पुलिस लाइन)

‘जब इंदिरा जी ने मुझे कहा ‘चौधरी साब को मना लो। मैं रुक जाती हूं’


पूर्व राजस्व मंत्री चौधरी कुंभाराम आर्य पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह के बहुत करीबी थे। लेकिन कुंभाराम आर्य के अनुसार ‘एक बार चौधरी चरणसिंह को देश का प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला था पर सत्य, न्याय और नैतिकता ने अवसर गंवा दिया।’आर्य ने अपने स्मृति ग्रन्थ संस्मरण में लिखा है- चौधरी साहब को प्रधानमंत्री बनने का अवसर पार्टी के बहुमत ने नहीं दिया था, अन्य दलों के समर्थन से यह अवसर मिला था। लोकसभा में उस समय सबसे बड़ा राजनीतिक दल, इंदिरा कांग्रेस था।

चौधरी साहब के प्रधानमंत्री बनने के बाद श्रीमती गांधी की ओर से उन्हें यह संदेश गया कि वे स्वागत के लिए आ रही हैं। यह संदेश मिलते ही चौधरी चरण सिंह की भौहें चढ़ गईं और बोले ‘देश का प्रधानमंत्री मुलजिमों से स्वागत कराएगा? कह दो उसको यहां न आवे’ संदेशवाहक चुपचाप चला गया। इस पर इंदिरा जी ने चौधरी कुंभाराम को बुलवाया और कहा ‘मैं चौधरी साब को अपना चाचा मानती हूं।

वे प्रधानमंत्री रहे, मेरा समर्थन रहेगा पर चौधरी साब को इतनी ईष्र्या और डाह नहीं होना चाहिए। चौधरी साब को मेरा घर आना पसंद नहीं तो टेलीफोन पर स्वागत स्वीकार कर लें।’ कुंभाराम आर्य कहते हैं -मैंने इस बारे में चौधरी साब से अकेले बातचीत करनी चाही, लेकिन चौधरी साब ना कर गए। इस पर वहां बैठे महानुभावों ने सोचा कि इन्हें अकेले में बात करने का अवसर देना चाहिए, सो वे बाहर चले गए। मेरे बोलने से पहले ही चौधरी साब बोले ‘सब को उठा दिया इससे क्या हुआ? तुम जो कहोगे वह सब मैं इनको कह दूंगा।

बोलो क्या कहना चाहते हो।’ मैंने इंदिरा जी की पूरी व्यथा कथा कह दी। इस पर चौधरी साब कहने लगे-‘चौधरी साब (कुंभाराम), जीवनभर की ईमानदारी प्रधानमंत्री पद के लिए बर्बाद करने के लिए चरणसिंह तैयार नहीं है और बोलो क्या कहना है?’ मैंने निवेदन किया -‘प्रधानमंत्री पद पर चौधरी चरण सिंह नहीं बैठा, देश की 85% जनता का प्रतिनिधि बैठा है। आपको उस रूप में सोचना चाहिए। उन्होंने बाहर गए लोगों को भी बुला लिया और उन्हें मेरी बात बताई, उन लोगों ने भी मेरी राय पर सहमति प्रकट की।

लेकिन, चौधरी चरण सिंह बिगड़े और बोले ‘चोरों के साथ मिलकर राज नहीं किया जा सकता, चोरी की जा सकती है।’ यह बात इंदिरा जी तक पहुंच गई। इंदिरा जी ने मुझे (कुंभाराम) बुलाया और कहा ‘मैं पब्लिकली अपना समर्थन समाप्त करने की घोषणा करती हूं। देखूं कैसे चौधरी साब प्रधानमंत्री रहते हैं? मैंने (आर्य) इंदिरा जी को धर्य से काम लेने की सलाह दी।’ इंदिरा जी ने मुझे कहा ‘चौधरी साब को मना लो। मैं रुक जाती हूं।’ बाद में इंदिरा जी ने समर्थन नहीं देने की घोषणा कर दी।

कैसे मनाया गया जश्न, जब सिर्फ एक दिन थी भारत की उम्र!


नई दिल्ली। आज से ठीक एक दिन बाद, हम मनाने जा रहे हैं आजादी का वह जश्न जिसकी शुरुआत हुई थी 15 अगस्त 1947 को. सैकड़ों वर्ष की गुलामी के बाद इसी दिन भारत स्वतंत्र हुआ. यह एक नए देश के उदय का उत्सव था, जिसे हम स्वतंत्रता दिवस के तौर पर हर वर्ष याद करते हैं. तस्वीरों के माध्यम से पेश है, उस दिन की झलक जब पहली बार हमने आजादी के इस उत्सव को मनाया था...

देश के इस प्रथम उत्सव के दिन सुरक्षा के नाम पर किसी तरह की कोई रोकटोक नहीं थी जबकि, अब पंद्रह अगस्त से पूर्व आतंकी हमलों की आशंकाओं को देखते हुए दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।

दिल्ली मेट्रो के 135 स्टेशनों पर सीआईएसएफ के 550 अतिरिक्त कमांडो को तैनात किया गया है। इसके अतिरिक्त सभी प्रमुख मेट्रो स्टेशनों पर क्विक रिएक्शन टीम, बम डिस्पोजल टीम, एंटी डाग स्क्वायड टीम को तैनात किया गया है।

ये सभी टीमें निश्चित समयावधि के अंतराल में सभी मेट्रो स्टेशन की सघन तलाशी ले रहीं हैं। मेट्रो की सुरक्षा में लगे कर्मचारियों को स्टेशन में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ ही सभी सामान की तलाशी लेने के लिए कहा गया है।

इसके अतिरिक्त लंबी ड्यूटी के चलते थक चुके सुरक्षाकर्मी किसी तरह की खामी न कर बैठे, इस आशंका के चलते हर घंटे सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी में परिवर्तन किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मेट्रो की सुरक्षा सीआईएसएफ के करीब 5000 जवानों के जिम्मे है।

राजधानी की बिजली वितरण कंपनियों ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बड़े पैमाने पर होने वाली पतंगबाजी में खास एहतियात बरतने की अपील की है।


गौरतलब है कि पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैटेलिक मांझा के बिजली लाइनों में फंस जाने पर कई दुर्घटनाएं हो गई थीं। वितरण कंपनियों ने अपील की है कि लोग मैटेलिक मांझे के प्रयोग से बचें वर्ना इलाकों में बिजली गुल होने के साथ ही जान भी जा सकती है।

(फोटो : 15 अगस्त 1947 को राष्ट्रपति भवन के सामने उत्साहित भारतवासी)

पिता की अर्थी को कांधा, मुखाग्नि के बाद बेटी ने लिखी

कोटा/हिंडौली (बूंदी).एक आईआईटीयन बेटी ने पारिवारिक विरोध और जाति-बिरादरी की परवाह न करते हुए हिम्मत दिखाकर सामाजिक बदलाव की नई इबारत लिख दी। बूंदी जिले के छोटे से गांव बीचड़ी के दिवंगत रामसिंह कसाणा की बड़ी बेटी डॉ. त्रिशला सिंह (36) ने रविवार को उनके बारहवें की रस्म निभाते हुए स्वयं पगड़ी पहनी। रामसिंह के बेटा नहीं है, सिर्फ तीन बेटियां हैं।

अब तक बेटियां केवल पिता की चिता को मुखाग्नि ही देती रही हैं। परंपरा रही है कि पिता की मौत के बाद पुत्र या पुत्र न होने पर भतीजा ही पगड़ी पहनता है। रामसिंह की पत्नी अमृता सिंह ने प्रशासन की मौजूदगी में बेटी त्रिशला को पगड़ी पहनाकर दस्तूर पूरा किया। आईआईटी कानपुर से पीएचडी डॉ. त्रिशला इस समय बेंगलुरू में बहुराष्ट्रीय कंपनी फ्रास्ट एंड सुलेवन में एशिया हेड हैं।

मृत्युभोज की बजाय गर्ल्स स्कूल

इस जागरूक परिवार ने मृत्युभोज की जगह गांव में बेटियों के लिए अच्छा स्कूल खोलने का फैसला किया है। उन्होंने पटवारी से जगह के बारे में जानकारी भी ली। हिंडौली से 13 किमी दूर 40 घरों के इस गांव में अभी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं।

किसी को तो पहल करनी थी

देश की बेटियां नासा जा सकती हैं तो पिता की पगड़ी क्यों नहीं पहन सकती। हमें पता है कुछ लोग नाराज हैं, लेकिन किसी को तो पहल करनी थी।

—अमृता सिंह, मां

बेटियां भी बेटों के समान हैं

हमारे कानून ने बेटे-बेटियों को समान दर्जा दिया है। फिर रस्म अदायगी में भेदभाव क्यों। पढ़े-लिखे वर्ग को इन्हें तोड़ने की हिम्मत दिखानी होगी।

—त्रिशला सिंह, बेटी

परेशानी का सबब बना यह कीड़ा, हर दिन बढती जा रही है संख्या


जयपुर.एक बरसाती कीड़े के कारण शहर के कई इलाकों में लोग एलर्जी से परेशान हैं। इससे त्वचा पर खुजली व चकत्ते हो रहे हैं। एसएमएस अस्पताल में रोज 15 से 20 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। निजी अस्पतालों से भी ऐसी खबर मिली है।


प्रभावित इलाकों में तालकटोरा, शास्त्री नगर, जवाहर नगर, अमानीशाह नाला, हरमाड़ा घाटी, झालाना, जगतपुरा आदि शामिल हैं। पिछले साल तालकटोरा क्षेत्र में इसी कीड़े का प्रकोप हुआ था, जिसे काबू करने के लिए नगर निगम ने कीटनाशकों का छिड़काव किया। करीब एक सप्ताह पहले से आ रहे इन कीड़ों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

सिरसी रोड पर बृजराज एनक्लेव निवासी दिनकर मिश्रा, आयुष, महेंद्र पांडे आदि ने अपने शरीर पर चकत्ते दिखाते हुए बताया कि शुरू में वे समझे थे कि किसी और कारण से एलर्जी हो गई, लेकिन जब एक-एक कर कई घरों से ऐसी शिकायत मिली तो पता चला कि यह समस्या कीड़ों से हुई। एलर्जी से खुजली इतनी अधिक चल रही है कि रात को नींद भी नहीं आ रही।

लिट्टा बेसिकाटोरिया है कीड़ा

यह कीड़ा बारिश से पनप रहा है। इसके कारण ब्लिस्टर बीटल डर्मेटाइटिस नामक बीमारी को बोलचाल की भाषा में तेलन कहा जाता है। एसएमएस अस्पताल के चर्म रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. यूएस अग्रवाल ने बताया कि अचानक शरीर पर लाल चकत्ते और पानी से भरे हुए फफोले बन जाते हैं, जिनके फूटने पर पानी के जैसा तरल पदार्थ निकलता है।

शरीर के दूसरे हिस्से में लगते ही ये फिर से फफोले बन जाते हैं। अपशिष्ट पदार्थो में कैथेराडिन नामक पदार्थो की वजह से यह होता है। इस बीमारी के लक्षण हर्पीज जोस्टर से मिलते-जुलते हैं।

स्केबीज और नेत्र रोग के मरीज भी बढ़े

उमस बढ़ने के साथ खाज-खुजली (स्केबीज) के मरीज भी एसएमएस अस्पताल के चर्म रोग विभाग में लगातार आ रहे हैं। इस रोग में रात को तेज खुजली, हाथों की उंगलियों के बीच, कलाई और विभिन्न स्थानों पर छोटे-छोटे दाने बन जाते है। चर्म रोग विभाग के डॉ. पुनीत भार्गव ने बताया कि समय पर उपचार नहीं लेने पर और ज्यादा खुजलाने पर दाने बड़े हो जाते हैं और जीवाणुओं का संक्रमण हो जाता है।

उधर, अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में आई फ्लू या कंजक्टिवाइटिस के इस समय 25 से 30 मरीज आ रहे है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.मुकेश शर्मा ने बताया कि आई फ्लू एंटर या एडीनो वायरस से फैलता है।

चट कर गए पत्तियां

यहां एक बाड़े में लगे अरंडी के पेड़ों पर ही मुख्य रूप से यह कीड़े पनप रहे हैं। वे सभी पेड़ों की पत्तियां चट कर गए हैं। स्थानीय लोगों ने डीडीटी का भी छिड़काव किया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।

प्रभावित इलाके तालकटोरा, शास्त्री नगर, जवाहर नगर, अमानीशाह नाला, हरमाड़ा घाटी, झालाना, जगतपुरा, सिरसी रोड

सिपाही ने नेता जी के बेटे को जड़ दिया थप्पड़ लेकिन, यह नहीं सोचा था



जयपुर.जवाहर नगर में रविवार रात को आदर्श नगर थाने के सिपाही ने पार्षद के बेटे को थप्पड़ जड़ दिया। विरोध में भाजपा कार्यकर्ताओं ने थाना घेर लिया। मामले को तूल पकड़ता देखकर सिपाही को थाने से हटाकर डीसीपी ईस्ट ऑफिस में लगाया गया है।

नगर निगम में सफाई समिति चेयरमैन रोशन सैनी का बेटा रोहित दो दोस्तों के साथ बाइक पर जवाहर नगर की तरफ से घर लौट रहा था। बाइक पर गलत दिशा में तीन सवारी बैठकर आते देख आदर्श नगर थाने के कांस्टेबल किशोरीलाल ने रोका। रोहित का आरोप है कि सिपाही ने 500 रु. मांगे। उन्होंने नहीं दिए और चालान काटने को कहा। इस पर सिपाही ने चांटा मार दिया।

कहासुनी बढ़ी तो चेतक बुलाकर थाने ले गया। बेटे ने बताया तो पार्षद रोशन सैनी, विधायक कालीचरण सराफ, सुमन शर्मा, भाजयुमो शहर अध्यक्ष राजेश टिक्कीवाल सहित कई कार्यकर्ता थाने पहुंचे। एडिशनल डीसीपी योगेश दाधीच थाने आए। उच्चाधिकारियों को घटना से अवगत कराया। बाद में, किशोरीलाल को थाने से हटा दिया।

अब सुदर्शन ने की जिन्ना की तारीफ


रायपुर (छत्तीसगढ़)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रमुख केएस सुदर्शन ने रविवार को कहा कि हमें मोहम्मद अली जिन्ना को धन्यवाद देना चाहिए। उनकी वजह से हमारे देश की सेना भंग होने से बच गई। कश्मीर पर कब्जे के लिए जिन्ना के हमले की वजह से ही भारतीय सेना को बनाए रखने का फैसला हुआ। वरना पं. जवाहरलाल नेहरू ने तो यह कह दिया था कि हमें सेना की जरूरत ही नहीं है। देश के अंदर का काम पुलिस संभाल लेगी।


उन्होंने बताया कि आजादी के बाद सेना के आला अफसर अगले दस साल में सेना के विकास और बजट का प्रस्ताव लेकर नेहरू के पास गए थे। लेकिन उन्होंने सेना की जरूरत को ही खारिज कर दिया। सेना के अफसर अवाक रह गए। कश्मीर पर पाकिस्तान का हमला नहीं होता तो हालात ही अलग होते।


तिब्बत भी नेहरू की वजह से ही भारत के हाथ से निकला। हालांकि सुदर्शन ने बांग्लादेश को लेकर हुए युद्ध में पं. नेहरू की बेटी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका की तारीफ की। साथ ही कहा युद्ध में जीती जमीन को वापस देने के उनके फैसले को गलत भी बताया। उनका कहना है कि देश में व्याप्त समस्याओं की जड़ नेहरू हैं। उससे भी बड़ी गड़बड़ी महात्मा गांधी ने की जो सरदार पटेल के स्थान पर नेहरू को प्रधानमंत्री बना दिया।

महाभारत काल की एक ऐसी रोचक कहानी, जिसे शायद नहीं जानते होंगे आप


भोपाल। मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में एक धार्मिक स्थल है बांद्राभान। पर्यटन की दृष्टि से यह स्थान काफी प्रसिद्ध है। नर्मदा नदी और तवा नदी का मिलन इसी पवित्र स्थान पर होता है। नदियों के मिलन का दृश्य पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। कई बार यहां नर्मदा का रौद्र रूप भी देखने को मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इस जगह हर साल बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं।

प्राचीन कथाओं में भी बांद्राभान के नाम का उल्लेख मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि बलशाली भीम को नर्मदा से प्रेम हो गया था। वे उनसे विवाह करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने नर्मदा के सामने प्रस्ताव रखा। यह बात सुन नर्मदा ने भीम के सामने एक शर्त रखी। उन्होंने भीम से कहा कि वे एक ही शर्त पर उनसे शादी कर सकती हैं।

हिंसा में अमर जवान ज्योति को तोड़ा, महिला पुलिसकर्मियों से बदसलूकी



असम दंगों और म्यांमार में रोहिंगिया मुसलमानों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ मुंबई के आजाद मैदान में उतरे लोगों द्वारा मचाए गए हुड़दंग की तस्वीरें इंटरनेट पर खूब शेयर की जा रही हैं। शहीद स्मारक 'अमर जवान ज्योति' पर हमला करते एक युवक की तस्वीर तो ट्विटर पर बहस का कारण बन गई है।

गौरतलब है कि शनिवार को करीब 25 हजार लोगों ने दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में प्रदर्शन किया था। इस हिंसक प्रदर्शन में मीडिया और पुलिस पर हमला किया गया था। पूरी वारदात में न सिर्फ कई गाड़ियां जला दी गईं बल्कि दो लोगों की मौत भी हुई। एक व्यक्ति की मौत पुलिस फायरिंग में हुई और दूसरा भगदड़ में मारा गया। हिंसा में 46 लोग घायल हुए। दो सिपाही भी लापता बताए जा रहे हैं। मुंबई पुलस ने दंगाइयों पर कार्रवाई करते हुए 23 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। इसी बीच सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर 'अमर जवान ज्योति' तोड़े जाने को लेकर गंभीर बहस जारी है।

राहुल गांधी को सौंपा जाएगा एचआरडी, रक्षा या ग्रामीण विकास मंत्रालय!



नई दिल्ली. कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार के मंत्री के रूप में नई पारी शुरू करने की पूरी तैयारी कर ली है। इस बात की पूरी संभावना है कि वे रक्षा, मानव संसाधन या ग्रामीण विकास मंत्रालय संभाल सकते हैं। 42 वर्षीय राहुल जल्द ही नई जिम्मेदारी संभालेंगे। मनमोहन सरकार में विस्तार और फेरबदल सितंबर के दूसरे सप्ताह में होने की संभावना है। संसद का मानसून सत्र भी इस समय तक खत्म हो जाएगा। साथ ही ज्योतिष में आस्था रखने वाले कांग्रेस नेताओं के हिसाब से भी यह वक्त माकूल है।

राहुल गांधी की भूमिका सरकार में क्या होती है, इसके जवाब में सूत्रों ने बताया कि उन्हें रक्षा या मानव संसाधन विकास मंत्री के तौर पर शामिल किया जा सकता है। अगर राहुल रक्षा मंत्री बनते हैं तो पार्टी की नीति निर्धारण कमेटी यानी कोर गु्रप में भी वह शामिल होंगे और इस मंत्रालय का मंत्री विवादों से भी परे है। अगर वे मानव संसाधन मंत्री बनते हैं तो ज्यादा से ज्यादा शिक्षा संस्थानों में जाएंगे और युवा सोच को आगे बढ़ाने का पार्टी को मौका मिलेगा। इसी तरह अगर वह ग्रामीण विकास की राह पकड़ते हैं तो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जिसमें वे खासी रुचि रखते हैं, को भी नया आयाम मिल सकता है। साथ ही एआईसीसी में महासचिव भी वह बने रहेंगे यानी राहुल अब एक साथ कई पारियों की शुरुआत कर सकते हैं।

कुरान का संदेश


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