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14 अगस्त 2012

गले में इंफेक्शन की प्रॉब्लम का ये है रामबाण इलाज




अधिकतर मौसम में परिवर्तन के साथ गले में संक्रमण होने की समस्या बढ़ जाती है।संक्रमण होने कारण गले में एक या दोनों तरफ सूजन, खाना-पीना निगलने में कठिनाई, गले में पीड़ा, घाव, बुखार व बदन दर्द, भूख में कमी आदि समस्याएं हो जाती है ये सभी गले में इंफेक्शन यानी टॉन्सिल्स की निशानी है। टॉन्सिल्स में गले की श्लेष्मा झिल्ली के नीचे दबे रहने वाले श्लेष्मा झिल्लीयुक्त उत्तक संग्रह जो 'टॉन्सिल्स' कहलाते हैं। इनमें किसी प्रकार का संक्रमण हो जाने पर गले में टॉन्सिलाइटिस नामक कष्टकारक रोग हो जाता है। अगर आप भी बार-बार होने वाली टांसिलाइटिस या गले के इंफेक्शन से परेशान हैं तो नियमित रूप से शंख मुद्रा का अभ्यास करें धीरे-धीरे ये समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी....
विधि- बाएं हाथ के अंगुठे को दाएं हाथ की हथेली में स्थापित करें और मुठ्ठी को बंद करें। अंगुलियों को दाहिने हाथ के अंगूठे से स्पर्श कराएं। इस तरह चारों अंगुलियों से अग्रि तत्व का संयोग होता है। इस मुद्रा से हाथों की आकृति शंख के सामान हो जाती है। उसे शंख मुद्रा कहा जाता है। ऊपर के भाग में अंगुलियों और अंगूठे के बीच जो खुला भाग रहता है। उसका आकार शंख जैसा होता है। मुंह लगाकर जैसे शंख बजाते हैं वैसे ही बजाने की कोशिश करेंगे तो शंख के समान आवाज आएगी। आरंभ में इसे 16 मिनट किया जाए। फिर उसे 48 मिनट तक किया जा सकता है।
लाभ- वाणी के दोष दूर होते हैं।
- टॉन्सिल और गले की बीमारियां भी दूर होती है।
- नाभि केन्द्र व्यवस्थित हो जाता है।
- पेट के सारे रोग दूर होते हैं। पाचन तंत्र सुधरता है।
सावधानियां- अंगूठे को दबाने से एक्युप्रेशर के अनुसार थाइरॉइड प्रभावित होता है। इसलिए अगर इस मुद्रा को करने के बाद अगर आप दुबले या मोटे हो रहें है तो इस मुद्रा को बंद कर देना चाहिए।

बुध प्रदोष 15 को, हर मुराद पूरी करता है ये व्रत




15 अगस्त, बुधवार को प्रदोष व्रत है। धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक मास की दोनों त्रयोदशी को भगवान शिव के निमित्त व्रत किया जाता है इसे प्रदोष व्रत कहते हैं। सूतजी के अनुसार बुध प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बुध प्रदोष व्रत के पालन के लिए शास्त्रोक्त विधान इस प्रकार है। किसी विद्वान ब्राह्मण से यह कार्य कराना श्रेष्ठ होता है-

- प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।

- शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी की षोडशोपचार पूजा करें। जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें।

- भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।

- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।

- रात्रि में जागरण करें।

इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।

आज़ादी के 65 साल बाद पहली बार बना यह संयोग, याद आया सन 1947



झुंझुनूं/सीकर.रमजान में इस बार फिर वही संयोग बना है जो 1947 में था। जब वतन का जश्ने आजादी मना था तब रमजान महीने की 27वीं शब थी। शब-ए-कद्र का यही खास मौका इस बार भी आजादी के जश्न के दिन ही आया है।

आजादी के 65 साल बाद पहली बार यह मुबारक संयोग बना। झुंझुनूं के तत्कालीन शहरकाजी अमीनुद्दीन ने निकाह रजिस्टर में इसका बाकायदा उल्लेख कर रखा है। बड़े-बड़े हरफों में उन्होंने 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता दिवस व उस दिन को 26वां रमजान व जुमातुल विदा लिखा है। मगरीब के बाद 27वीं शब थी।

इस मुकद्दस रात को इबादत की तमाम रातों में बेहतर माना जाता है। इसी रात कलाम पाक नाजिल हुआ था। शहरकाजी शफीउल्लाह सिद्दीकी बताते हैं कि उस समय हिजरी सन 1366 था ।

27वीं शब आज

रमजान उल मुबारक की बेहतरीन बा बरकत रातों में शामिल 27वीं शब बुधवार रात मनाई जाएगी। इस रात में की गई इबादत का सवाब हजार रातों की इबादत से बेहतर होने के कारण लोग रातभर रब की इबादत करेंगे।

देखिए माचिसों ने कैसे बयान की अपनी और आजाद हिंदुस्तान की कहानी!

शहर के एक प्राइवेट मैच बॉक्स म्यूजियम में स्वतंत्रता और उससे पहले के नायाब मैच बॉक्सेज का कलेक्शन उस वक्त के इतिहास को खुद ही बयां करता है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सिटी भास्कर के साथ मैच बॉक्सेज ने शेअर की अपनी और आजाद हिंदुस्तान की कहानी।

देश को आजादी दिलवाने वाले शहीदों और नेताओं को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हमेशा याद किया जाता है, लेकिन सभी को जानकर हैरानी होगी कि फ्रीडम मूवमेंट में मैच बॉक्स के तौर पर मेरा भी योगदान कुछ कम नहीं। आजादी से पहले मैं नेताओं के नारों को जन-जन तक पहुंचाने का एक माध्यम थी।

शायद इसलिए क्योंकि उस वक्त अभिव्यक्ति का अधिकार सीमित था तभी तो स्वतंत्रता सेनानियों के जज्बे की चिंगारी को आग मेरे जरिए भी बनाया गया। मुझे याद है बाल गंगाधर तिलक का नारा ‘स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है’ किस तरह मेरे जरिए घर-घर तक पहुंचा था। वहीं जब स्वदेशी आंदोलन आया तो मेरा रूप भी स्वदेशी हो गया था।

स्वदेशी अपनाने के लिए हमने गांधीजी के चरखे और गांधी टोपी को भी तो प्रमोट किया था। वहीं हिंदू-मुस्लिम एकता को भी तो मैंने प्रसारित करवाया था, जिसमें राम और रहीम की दोस्ती है तो उर्दू और हिंदी की जुगलबंदी भी। अगर आप उस वक्त का मैच बॉक्स देखेंगे तो पाएंगे कि किस प्रकार लोग बिना किसी बैर के रहा करते थे।

शायद यही एकता थी जिसने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करवाया। वो भी क्या दिन थे जब भारतीयों ने मुझे संदेशवाहक बना लिया और अपने संदेशों का प्रचार-प्रसार मेरे माध्यम से करने लगे। संदेश हिंदी और उर्दू में लिखे होते थे और भाषा का यह फायदा नेता उठाते थे। मुझमें जहां गांधी की अहिंसा की नीति थी तो आजादी से पहले भारत का नक्शा और ध्वज भी मौजूद है।

इसके साथ ही अशोक स्तंभ, गांधी आश्रम, गांधी के बंदरों के जरिए दी जाने वाली सीख के साथ-साथ स्वतंत्रता से पहले के हिंदुस्तान की कहानी को बखूबी बयान करते हैं। मैं फिलहाल गोविंद नगर स्थित आदिनाथ पारीक के मैच बॉक्स म्यूजियम में रहती हूं। आजादी को तो अब 65 साल हो जाएंगे। यही कामना करती हूं कि जिस तरह मेरे अंदर आजादी की कहानी समाई है वैसे ही आने वाली पीढ़ी सुख और समृद्धि की झलक मेरे अंदर पाए। इसी आशा के साथ जय हिंद।

ममता बनर्जी का न्‍यायपालिका पर हमला, बोलीं- पैसों के लिए बदले जाते हैं कोर्ट के फैसले


कोलकाता. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि न्यायपालिका का एक वर्ग भ्रष्ट है और कुछ मौकों पर अदालत के फैसले को धनबल से प्रभावित करा लिया जाता है। मंगलवार को ममता ने विधानसभा के प्लेटिनम जुबली समारोह के मौके पर कहा कि पैसों के लिए कई बार अदालत के फैसले बदल दिए जाते हैं। यानी न्यायपालिका का एक वर्ग भी भ्रष्टाचार में लिप्त है। उन्होंने कहा, 'मैं जानती हूं कि ऐसा कहने पर मुझे मानहानि का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन यह भी कहना चाहूंगी कि मैं इसके लिए जेल जाने को तैयार हूं।'

भ्रष्टाचार का मुद्दा राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में उठाया। मंगलवार को उन्‍होंने कहा कि भ्रष्टाचार, आतंकवाद, गरीबी, भूख और बीमारी की समस्याओं से सबसे पहले निपटने की जरूरत है। तेज विकास के लिए युवाओं को आगे बढ़ाने और उनकी जरूरतों को पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगने से विकास की रफ्तार कम हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि विधायिका से कानून बनाने और न्यायपालिका से न्याय देने का हक छीना नहीं जा सकता।

पीएम ने गिनाई यूपीए की उपलब्धियां, मंदी पर जताई चिंता


नई दिल्‍ली. आज देशभर में आजादी का जश्‍न मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मनमोहन ने सुबह साढ़े सात बजे लाल किले पर तिरंगा फहराया। लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था मुश्किल दौर से गुजर रही है। वैश्विक आर्थिक मंदी का असर भारत पर पड़ा है। खराब मॉनसून से दिक्‍कतें बढ़ी हैं। लेकिन देश के पास अनाज का पर्याप्‍त भंडार है। पीएम ने अगले पांच सालों में हर घर में बिजली पहुंचाने का वादा किया है।

लगभग 30 मिनट के संबोधन में पीएम ने अधिकतर यूपीए 2 सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। उन्‍होंने यूपीए 1 के समय में शुरू की गई नीतियों का भी जिक्र किया।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने सलामी गारद का निरीक्षण किया। बतौर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज 9वीं बार लाल किले से तिरंगा फहराया है। स्‍वतंत्रता दिवस के मद्देनजर राजधानी दिल्‍ली सहित देशभर में सुरक्षा में कड़े इंतजाम किए गए हैं।

कुरान का संदेश


आमरण अनशन के हथियार से दुश्मनों को जीतने वाला गाँधी के बाद देश को कोई दूसरा गाँधी न मिल सका

दोस्तों मेरे इस देश को महात्मा गाँधी के बाद दूसरा कोई गांधी न मिल सका कई लोगों ने नकली गाँधी देश की आंधी बनने की कोशिश की लेकिन उनकी दुम उठाकर देखने पर वोह सब मादा ही साबित हुए है ...महात्मा गाँधी जी हाँ एक उपवास एक भूक हडताल से अंग्रेजों की हुकूमत हिला देने वाले गान्धी जिन्हें बाद में महात्मा फिर राष्ट्रपिता कहा गया ..अफ़सोस तो यह है के इस सो कोल्ड महात्मा और राष्ट्रपिता को तात्कालिक कोंग्रेस सरकार लिखित में कोई उपाधि नहीं दे सकी केवल ज़ुबानी जमा खर्च किया और अब कुछ लोगों को इस मामले में बतंगड़ बनाने का मोका मिल गया है ..गाँधी जिसने कभी न किसी को गली बकी ..न लाठी उठाई ..बस खुद को भूखे रख कर तकलीफ उठाई और देश एक होता चला गया उनके पास आमरण अनशन यानी म्रत्यु की चिंता किये बगेर भूखे रहने की घोषणा और फिर इस घोषणा की शत प्रतिशत बिना किसी धोकेबाज़ी की पालना उनके लियें परमाणु बम से भी ज्यादा रक्षक हथियार साबित हुआ और आज वोह देश में आज़ादी का आन्दोलन हो या फिर अंग्रेजों को शालीनता से सबक सीखने की बात हो याद किये जाते है ...तो क्या हुआ अगर काल के क्रूर हाथों ने किसी वहशी दरिन्दे के हाथों उनकी हत्या करवादी ....तो क्या हुआ आज भी इस वहशी दरिन्दे से जुड़े कुछ देश द्रोही लोग इस महात्मा पर फब्तियां कसते है दोष निकलते है लेकिन विश्व आज भी इस महात्मा का सम्मान करता है और कोई चाह कर भी कोशिशों के बावजूद भी इस महात्मा के खिलाफ की नुस्क नहीं निकाल सका है ..............दोस्तों आज़ादी के बाद हमारे इस देश में सेकड़ों लोग सडकों पर निकले ..आमरण अनशन भूख हड़ताल के रास्ते पर चले लेकिन तोबा तोबा सब दिखावा ही साबित हुआ एक महिला अपवाद थी बाक़ी तो बस एक दिन का अनशन ..तीन दिन का उपवास ..उपवास की घोषणा और फिर उपवास की तारीख में फेरबदल ....आर पार की लड़ाई की घोषणा और फिर दुम दबाकर उपवास तोड़कर भागजाना ..उपवास करने के नाम पर खुद को गाँधी कहलाने की ललक रखने वालों का अब तो बस यही धब्बे वाला इतिहास रहा है म़ोत से सब डरते है लेकिन जो म़ोत से नहीं डरता जो कहता है वही करता है गांधी वही बन सकता है वरना तो अन्ना ..बाबा ..रामदेव तो सवा सो करोड़ में सवा करोड़ तो आसानी से मिल जायेंगे सियासी उपवास भूख हडतालें आन्दोलन रोज़ हम और आप देखते है एक भूल जरुर हमने की थी के अन्ना में गाँधी देखा था सोचा था के अगर अन्ना अड़े रहे और खुदा न करे इस अड़ियल रुख की वजह से अगर अन्ना के स्वास्थ को कुछ हो जाता तो यकीन मानिये अन्ना देश के लियें एक नई दिशा देने वाले गाँधी होते ..बाबा रामदेव अगर देश के लियें जान देने की बात करते अगर अनिश्चित कालीन अनशन कर खुद को तकलीफ देते तो सरकार तो क्या सरकार के बाप को झुकना पढ़ता लेकिन सरकार जानती है सरकार के पास आई बी की रिपोर्टें रहती है के बाबा और अन्ना के पास हाथी के दांत है जो खाने को और दिखाने के और हैं .सरकार जानती है के अन्ना या बाबा रामदेव के यह आंसूं देश के लियें देश की जनता के लियें नहीं सिर्फ और सिर्फ सियासत के लियें घडियाली आंसू है .स.रकार जानती है के यह लोग देश के लियें नहीं कोंग्रेस के खिलाफ विपक्ष के साथ मिलकर खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे जेसी लड़ाई लड रहे है और इसीलियें भावावेश में जो लोग इनके साथ आते है बाद में वही लोग इनको गालियाँ बककर इनसे नाराज़ होकर किनारा कर लेते है ..तो दोस्तों गान्धी के बाद इस देश में अब तक कोई ऐसा दूसरा गाँधी पैदा नहीं हो सका जो भूख हड़ताल के नाम पर आमरण अनशन की घोषणा करे और अपनी वाजिब मांगों के समर्थन में भूखे रहकर बलिदान देने को तय्यार हो बस देश को अगर ऐसा कोई गाँधी मिल जाता तो दोस्तों देश में कला धन भी वापस आता ..लोकपाल भी आता ..लोकतंत्र भी भीड़तंत्र से अलग हट कर होता ..देश की तस्वीर अलग होती और यह कोंग्रेस के नेता जो अनशनकारियों का मजाक उड़ा रहे है यही लोग सरकार से नीचे होते लेकिन नहीं मिला इस देश को गांधी के बाद दूसरा गांधी मिले तो बस जनता को भटकाकर भावनाओं में भडका कर अपना उल्लू सीधा करने वाले और खुद को हीरो बना कर महिमा मंडित करवाने लोग ही मिले तो फिर देश को इन्साफ नहीं सिर्फ और सिर्फ अराजकता निराशा ही हाथ लगेगी ..और ऐसे लोग अगर और आते रहे तो देश में अगर कभी कोई सच्चा गाँधी भी बनकर आया तो लोग उनके धोखों के कारण उस सच्चे गाँधी की बात पर भी भरोसा नहीं करेंगे .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

देशमुख को किडनी व लीवर देने से पहले ही हो गई डोनर की मौत


चेन्‍नई। जिस शख्‍स की किडनी और लीवर केंद्रीय विज्ञान व तकनीकी मंत्री विलासराव देशमुख को ट्रांसप्‍लांट होने वाली थी, उसकी आज सुबह ही मौत हो गई।


चेन्‍नई के ही 31 वर्षीय स्‍कूल वैन चलाने वाले शख्‍स की किडनी और लीवर केंद्रीय मंत्री को लगाया जाना था। लेकिन इस शख्स को बचाया नहीं जा सकता। डॉक्‍टरों ने इसे ब्रेन डेड घोषित किया हुआ था। चेन्‍नई के सरकारी अस्‍पताल के डॉक्‍टरों के अनुसार, वह कार्डिक अरेस्‍ट से जूझ रहा था।

इस शख्‍स का परिवार भी किडनी और लीवर डोनेट करने के लिए तैयार हो गया था लेकिन पुलिस को देखकर उन्‍होंने इसके लिए मना कर दिया। सोमवार रात 9 बजे परिवार इसके लिए तैयार था लेकिन देर रात जब पुलिस अस्‍पताल पहुंची तो परिवार मुखर गया।

अस्‍पताल के एक डॉक्‍टर ने बताया, हम मरीज को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन इसके लिए कुछ कर नहीं सकते थे। हर कदम बड़ी सावधानी से उठा रहे थे लेकिन मेडिको लीगल केस होने की वजह से प्रक्रिया में थोड़ा वक्‍त लग गया और मरीज को नहीं बचा पाए।

शनिवार को ड्राइवर को एंबुलेंस ने उस वक्‍त कुचल दिया था, जब वह बाइक से जा रहा था। इसके बाद उसे सरकारी अस्‍पताल लाया गया। शनिवार को ही ग्‍लोबल हॉस्पिटल के डॉक्‍टरों ने विलासराव देशमुख के केस को 'सुपर अल्‍ट्रा इमरजेंसी केस' घोषित कर दिया है।

दूसरी ओर, देशमुख की की हालत अत्‍यंत गंभीर बनी हुई है। उनकी किडनी और लीवर फेल हो गए हैं। कुछ दिन पहले ही देशमुख की तबीयत अचानक कल बिगड़ गई थी। हालत खराब होने के कारण बीते सोमवार की शाम उन्हें अचानक एयर एंबुलेंस से मुंबई से चेन्नई ले जाया गया।

देशमुख करीब आठ साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं और पिछले कई सालों से केंद्रीय मंत्रिमंडल में काम कर रहे हैं। 2008 में मुंबई पर आतंकवादी हमले के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

अखिलेश के मंत्री बोले- घूस लेने वाले अफसरों की ले लूंगा जान





लखनऊ. यूपी में भ्रष्टाचार के सामने बेबस दिख रही अखिलेश सरकार के मंत्री राज किशोर सिंह ने कहा है कि वह रिश्वत लेने वाले अधिकारियों को या तो जान से मार देंगे या अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। अलीगढ़ में एक सभा को संबोधित करते हुए हॉर्टिकल्‍चर व फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय के मुखिया ने कहा, 'अगर कोई अधिकारी भ्रष्टाचार करता हुआ पकड़ा गया तो उसे पकड़ कर मार दूंगा या खुद इस्तीफा दे दूंगा।'

अभी हाल ही में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा और राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा था कि जो अधिकारी मेहनत करता है वो थोड़ी बहुत चोरी कर सकता है। इस बयान की सफाई में शिवपाल ने कहा था कि मीडिया ने उनका अधूरा बयान दिखाया।
भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत जो भी व्‍यक्ति किसी को जान से मारने की धमकी देता है उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। राज किशोर सिंह बस्ती जिले की हरैया विधानसभा सीट से विधायक हैं। यह विधानसभा में उनकी तीसरी पारी है।

सरकार के कड़े तेवर देख ठंडे पड़े रामदेव? अब चुनाव तक कोई आंदोलन नहीं करेंगे बाबा


नई दिल्ली. बाबा रामदेव ने भी अपनी कोई मांग माने जाने से पहले ही अनशन और आंदोलन खत्‍म कर दिया है। मंगलवार को अंबेडकर स्‍टेडियम में हजारों समर्थकों के बीच उन्‍होंने दलित बच्‍चों के हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा।
बाबा ने नौ अगस्‍त को रामलीला मैदान में तीन दिन का सांकेतिक अनशन शुरू किया था। वहां वह लगातार यही कहते रहे थे कि उनकी मांगों के संबंध में जब तक कोई ठोस घोषणा नहीं हो जाती, वह आंदोलन जारी रखेंगे। उन्‍होंने अपने आंदोलन को निर्णायक लड़ाई बताया था और कहा था कि वह अगली रणनीति 12 अगस्‍त को (तीन दिन का सांकेतिक अनशन खत्‍म होने के बाद) बताएंगे। लेकिन 12 अगस्‍त को उन्‍होंने कुछ नहीं बताया, पर 13 अगस्‍त को वह समर्थकों के साथ रामलीला मैदान छोड़ कर संसद कूच के लिए जरूर निकले। उन्‍हें संसद पहुंचने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया और सोमवार शाम को उन्‍होंने अंबेडकर स्‍टेडियम में डेरा डाल लिया।
मंगलवार को अंबेडकर स्‍टेडियम में रामदेव ने कहा, 'हम यह अनशन खत्‍म कर रहे हैं, लेकिन काले धन और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा। अब कोई अनशन नहीं होगा क्‍योंकि सरकार को अनशन की भाषा समझ में नहीं आती। अब सरकार के खिलाफ सीधी कार्रवाई होगी। हमारा आंदोलन अब और तेज होगा।' लेकिन उन्‍होंने यह भी कह दिया कि 2014 के लोकसभा चुनाव तक उनकी ओर से कोई आंदोलन नहीं होगा। उन्‍होंने कहा कि इस दौरान 99 फीसदी ताकत लोगों की सेवा कर उनका विश्‍वास जीतने में लगाया जाएगा।
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