आपका-अख्तर खान

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15 अगस्त 2012

दर्जनों लोगों को आग की लपटों से बचाकर जिंदगी देने वाले परवेज़ खान को सम्मानित किया

दोस्तों आप है साहिबजादा परवेज़ खान जिन्हें हाल ही में कोटा जिला प्रशासन ने अपनी सूझ बुझ से निजी अस्पताल में आग बुझाकर सेकड़ों लोगों की जाना बचाने के मामले में पुरस्कृत किया है .....जी हाँ दोस्तों साहिबजादा परवेज़ खान इंजिनियर जनाब असगर अली खान के साहिबजादे है और मेरे छोटे भाई ..यह जनाब इन दिनों कोटा के निजी चिकित्साले सुधा हॉस्पिटल में प्रबन्धक और जनसम्पर्क अधिकारी के पद पर कार्यरत है वेसे तो परवेज़ खान हर दुखी मरीज़ की तत्काल मदद करने के लियें तत्पर रहते है और इनकी इसी अदा पर शहर के कई ज़िम्मेदार लोग भी मर मिटे है ..दूसरों की खिदमत करना इनका शोक है और इसी शोक को इन्होने इबादत बना लिया है ..अभी हाल ही में पिच्छले दिनों सुधा अस्पताल में अचानक शोर्ट सर्किट से आग लग गयी वार्ड में दर्जनों मरीज़ और तीमारदार थे .लेकिन परवेज़ खान ने अपनी सूझ बुझ से दुसरे साथियों की मदद ली और फायर ब्रिगेड आने के पूर्व प्राथमिक उपचार और प्रयास कर आग पर काबू पाए रखा साथ ही मरीजों और तीमारदारों को भी हिम्मत से बचाए रखा ..अगर घटना के दिन परवेज़ खान की सुझबुझ नहीं होती तो ना जाने केसी अनहोनी केसा बढ़ा हादसा हमे झेलना पढ़ता लेकिन अल्लाह की हिफाज़त में सभी लोग थे और परवेज़ खान की सूझ बुझ ने एक बढ़ा हादसा होने से बचा लिया... इसी तरह से पेट्रोल पम्प पर आग जनि के बाद बड़ा हादसा होने वाला था के अचानक परवेज़ खान उधर से गुज़र रहे थे उन्होंने पुलिस को तो सुचना दी ही सही साथ ही ट्रेफिक कंट्रोल कर दुर्ख्थ्ना स्थल पर लोगों को जाने से रोक दिया ... बस उनकी इसी साहसिक और सूझ बुझ की कार्यवाही के लियें कोटा जिला प्रशासन ने कल पन्द्रह अगस्त के जिला स्तरीय कार्क्रम में उन्हें प्रशस्ति पद देकर सम्मानित किया है और राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल ने उन्हें स्टेडियम कोटा पर उन्हें यह सम्मान देकर उत्साहवर्द्धन किया है ......परवेज़ खान के इस साहसिक और सुझबुझ भरे कार्य को सलाम और उनको सम्मान मिलने पर उन्हें और उनके परिवार मित्रजनों स्टाफ के साथियों को मुबारकबाद ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

शबे कद्र की पांच रातों में एक बरकत की : शबे-कद्र यानी एक ऐसी रात जिसकी अहमियत को अल्लाहताला ने अपने मुकद्दस किताब कुरआन पाक में बयान फरमाया है। कुरआन


: शबे-कद्र यानी एक ऐसी रात जिसकी अहमियत को अल्लाहताला ने अपने मुकद्दस किताब कुरआन पाक में बयान फरमाया है। कुरआन के अनुसार रमजान महीने की 21 से 30 तारीख के बीच की ताक रातों यानी 21, 23, 25, 27 और 29 में से किसी एक रात में अल्लाह अपने बंदों के बड़े से बड़े गुनाहों को माफ फरमाता है। इस रात में इबादत के बाद मांगी गई हर जायज दुआ अल्लाह के दरबार में मकबूल होती है यही वजह है कि हर साल मुसलमान रोजादार इन पांच रातों में उस बा बरकत रात को तलाश करता है। वैसे अधिकतर उलेमा रमजान महीने की 27 तारीख की रात को शबे कदर होने पर इत्तफाक रखते हैं इसलिये लोग 27 की रात को ही शबे कदर मानते हैं। लेकिन इस बात का पुख्ता यकीन किसी को नहीं कि उक्त रात ही शबे कदर है क्योंकि कुरआन में इन पांचों में से किसी एक रात को ही शबे कदर का होना बताया गया है। वह रात कौन है इसका इल्म अल्लाह पाक के अतिरिक्त किसी को नहीं इसलिये बेहतर यही है कि इन पांचों रातों में अल्लाह की इबादत कर उस बा बरकत रात को तलाश किया जाये। यही वजह है कि 21 रमजान से ही रोजादारों द्वारा मस्जिदों में इबादत कर शबे कदर की तलाश शुरु हो गयी ।

रमजान मुबारक में शबे कद्र की फजीहत



कुंदरकी: रमजान मुबारक के अंतिम अशरे में शबे कद्र की बेहत फजीलत है। उलेमा-ए-इस्लाम के मुताबिक शबे कद्र की एक शब रात की इबादत हजार महीनों की इबादत से अफजली है।

रमजान मुबारक में दस-दस दिन के तीन अशरे होते हैं। प्रत्येक अशरे की अलग फजीलत है। जुमा अलविदा भी तीसरे और अंतिम अशरे में आता है। इसके अलावा शबे कद्र भी इसी अशरे में है। अल्लाहताला ने अपने बंदों की हिदायत के लिए कुरआने पाक भी शबे कद्र में ही नाजिल किया है।

अहले सुन्नत बल जमाअत के इमाम कारी अब्दुल हफीज ने बताया कि रमजान मुबारक की 21वीं शब, 23वीं शब, 25वीं शब, 27वीं शब और 29वीं शब, शबे कद्र की शबे मानी जाती हैं। मगर इनमें भी 27 वीं शब की खास फजीलत बयान की गई है। कारी हफीज के अनुसार शबे कद्र की रातों की फजीलत का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। इसलिए इन रातों में इबादत करना, कुरआने पाक की तिलावत करना और गुनाहों से तौबा करना चाहिए।

इसके अलावा इसी अशरे में मौलाए कायनात हजरत अली का यौमे शहादत भी है। 19 रमजान को मौला अली को नमाज की हालत में तलवार से व्याप्त कर दिया था। उनकी 21 रमजान को शहादत हो गई थी। शिया समुदाय में शबे कद्र की इबादत के साथ ही मौला अली की शहादत पर तीन दिवसीय शोक भी मनाया जाता है।

रमजान के अंतिम अशरे में एतकाफ की भी फजीलत है। अनेक व्यक्ति दुनियादारी छोड़कर पूरा अशरा मस्जिद में ही रहकर गुजारते हैं। केवल जरूरी हाजत के लिए बाहर आते हैं। यह एतकाफ चांदरात तक चलता है। अनेक महिलाएं भी घर के कमरे में एतकाफ में बैठ जाती हैं।

मात्र 20 लाख रुपए दे दिए होते तो आज ‘लाहौर’ भारत में होता



वापी। सालों पहले स्वामी विवेकानंद और अरविंद जैसी महान विभूतियों ने 2021 तक भारत के सुपर पॉवर कहने की बात कह दी थी।
इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मेन डॉ. अब्दुल कलाम ने भी कहा था कि आने वाले समय में भारत महाशक्ति बनेगा। भारत के पास 2021 तक 65 प्रतिशत युवा होंगे और यही युवा भारत को महाशक्ति बनाएंगे। ये बातें मंगलवार को राष्ट्रवादी पत्रकार और विद्वान लेखक पदमश्री डॉ. मुजफ्फर हुसैन ने वापी स्थित वीआईपी हॉल में आयोजित एक परिसंवाद में कहीं थीं।
‘बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर’ विषय के अंतर्गत आयोजित इस परिसंवाद में डॉ. हुसैन ने लगभग सवा घंटे तक भारत के गरिमापूर्ण इतिहास और उसके भविष्य के बारे में व्यक्तव्य देते हुए कहा था कि इस समय महापुरुष स्वामी विवेकानंद की 150 जन्मजयंती मनाई जा रही है। विवेकानंद ने वर्षो पहले कहा था कि उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस की 150 पुण्यतिथि तक भारत विश्व की महाशक्ति बन जाएगा। उसके बाद महर्षि अरविंदो और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने भी 2021 तक भारत के महाशक्ति बनने की बात कही थी। लेकिन वर्तमान में भारत अनेक खंडों में विभाजित है, इसलिए महाशक्ति बनने के प्रश्न पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
चीन अपने भार तले ही दब जाएगा :
डॉ. हुसैन ने भारतीय मजदूर संघ के स्थापक दत्तोपंत ठेंगडी को याद करते हुए कहा कि 1989 में ही ठेंगडीजी ने रशिया के खंडित हो जाने की बात कही थी और 1992 में ठीक ऐसा ही हुआ। रशिया कई टुकड़ों में बंट गया। दत्तोपंत ने यह भी कहा था कि अमेरिका का डॉलर भी इस समय तक कमजोर हो जाएगा।
और आज अमेरिका की स्थिति कैसी है, यह बात किसी से छुपी नहीं। आज चीन का बोलबाला है, लेकिन उसकी हालत डायनासोर की तरह हो जानी है। आगामी समय में वह अपने भार तले ही दब जाएगा। चीन के पूर्वी भाग का ही विकास हुआ है, लेकिन पश्चिम की हालत अच्छी नहीं। इसके अलावा ताईवान, हॉगकांग और तिब्बत जैसी कई बड़ी समस्याएं उसके आगे मुंह बाएं खड़ी हैं, जिनके आगे चीन टिक नहीं पाएगा।
मात्र 20 लाख रुपए दे दिए होते तो आज ‘लाहौर’ भारत में होता :
डॉ. हुसैन ने देश के विभाजन के समय की बात करते हुए कहा...ब्रिटिशर रेड क्लिफ ने हमारे देश का विभाजन किया था। तब पाकिस्तान के लाहौर में हिंदू बहुसंख्यक थे। इस समय लाहौर के आर्य समाज के प्रमुख, रेड क्लिफ से मिलने गए थे और रेड क्लिफ ने उनसे कहा था कि आप मुझे 20 लाख रुपए दे दो, लाहौर आपका हो जाएगा। लेकिन इस समय सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधीजी ने इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई थी, वरना पाकिस्तान का लाहौर आज भारत का हिस्सा होता।

1999 में शहीद हुआ था दशरथ, लेकिन प्रतिदिन साफ़ होते हैं उसके जूते!




खिरोड़. नवलगढ़ तहसील के बसावा के शहीद दशरथ कुमार यादव की आखिरी निशानियों को परिवार ने संभाल कर रखा है। शहीद के जूते साफ करना वीरांगना दुर्गादेवी की दिनचर्या का हिस्सा है।

दुर्गादेवी कहती हैं, जब भी उनकी याद आती है तो ये निशानियां परिवार को भावुक कर देती हैं। साथ ही गर्व का अहसास दिलाती हैं।

दशरथ कुमार 6 जुलाई 1999 को शहीद हुए थे। दुर्गा देवी, पुत्र सुरेंद्र यादव, माता गुलाबी देवी, भाई कैलाश चंद्र यादव एवं बहनें सरोज व सुमन की आंखें दशरथ की याद में भर आती हैं।

कुरान का संदेश

कोटा में अल्फ्लाह के गेर सियासी इफ्तार पार्टी के बाद दुसरा गेर सियासी इफ्तार नईमुद्दीन गुड्डू का

कोटा में अल्फ्लाह समाजसेवी संस्था के बाद आज दूसरा गेर सियासी रोजा है ...........जी हाँ दोस्तों सियासत में दीवाने लोग रोज़ मर्रा कमोबेश रोज़ा इफ्तार के नाम पर भीड़ इकट्ठी कर अपने अपने नेताओं को खुद की ताकत दिखा रहे है ....लेकिन कोटा में समाज सेवा कार्यों से जुडी संस्था अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी ने हर बार की तरह से फिर इस बार इस्लामिक रीतिरिवाजों से रोजा इफ्तार का आयोजन किया ...अल्फ्लाह पिछले कई सालों से गेर राजनितिक रोज़ा इफ्तार कर क्षेत्रीय मुस्लिम नेताओं को गेर सियासी रोज़े इफ्तार का पैगाम देना चाहता है लेकिन कहीं न कहीं निजी लालच और पद लोलुपता के चलते सत्ता से जुड़े लोग या फिर सत्ता में आने की ललक में लोग सियासी रोज़े इफ्तार करवाने लागे है ..जिसमे एक अदद नेता होता है ..नेता का महिमा मंडन होता है .उसका स्वागत होता है भाषण और वोह भी सियासी भाषण होता है फिर अख़बारों में तस्वीरें छपती है भीड़ जुटा कर अपनी ताकत बताने का प्रयास मात्र रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम होता है ....इस बार १२ अगस्त को अल्फ्लाह सोसाइटी ने बिना किसी सियासी नेता के रोजा इफ्तार रखा हजार से भी अधिक धर्मप्रेमी ज़िम्मेदार मुस्लिम लोग इस इफ्तार में शामिल हुए और इस इफ्तार कार्यक्रम को सराहते हुए ऐसे ही इफ्तार करवाने की सियासी लोगों को सलाह दे डाली ...........कोटा में जिला परिषद में निर्वाचित सदस्य और प्रदेश कोंग्रेस कमेटी के कद्दावर जमीनी हकीक़त से जुड़े नेता भाई नईमुद्दीन गुड्डू ने भी आज के रोजा इफ्तार में गेर सियासी माहोल बनाकर लोगों का दिल जीत लिया है ......नईमुद्दीन गुड्डू आज जन्ग्लिशाह बाबा परिसर में बरसते पानी में रोज़े इफ्तार के इन्तिज़ाम देख रहे थे उन्होंने इफ्तार के साथ साथ रोज्दारों के सम्मान में भोज का भी आयोजन किया है ..नईमुद्दीन गुड्डू ने भी इस इफ्तार को गेर सियासी और मजहबी रखा है इस कार्यक्रम में भी केवल शहर काजी अनवर अहमद रोज़े और इफ्तार की फज़ीलत बयान करेंगे और फिर इफ्तार के बाद नमाज़ नमाज़ के बाद खाने का आयोजन है ...........इस तरह के गेर सियासी रोज़े इफ्तार कार्यक्रमों की शुरुआत को शहर के कई ज़िम्मेदार लोगों ने अच्छी शुरुआत बताया है ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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