आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

16 अगस्त 2012

बाबा रामदेव अगर त्याग भाव रख कर मुनाफा त्याग दें ..देश की सेवा करें मजदूरों को पूरी मजदूरी दें तो देश की तस्वीर ही बदल जायेगी

दोस्तों आपको एक राज़ की बात बताते है ..देशभक्त बाबा रामदेव जिन्हें देश की जनता की चिंता है जो कोंग्रेस को भ्रष्ट कहकर हटाने का नारा दे चुके है अगर वोह खुद चाहे तो देश की तस्वीर तो नहीं लेकिन करीब एक करोड़ भारतियों को फायदा पहुंचा सकते हैं लेकिन इसके लियें उन्हें खुद त्याग करना होगा अपने मुनाफे अपने लालच अपनी कालाबाजारी उनके द्वारा किये जा रहे शोषण का ..जी हां दोस्तों जेसा की आप जानते है कमसे कम एक करोड़ लोग ऐसे है जो देश में दवा उपभोक्ता के नाम पर बाबा रामदेव से जुड़े है और जो लोग बाबा रामदेव की दवा ले रहे है वोह लोग गरीब भी .पीड़ित भी है और बीमार भी है ऐसे में वोह तो दया के पात्र है लेकिन दोस्तों अफसोसनाक बात यह है के जिस दवा को निर्माण करने में बाबा रामदेव को दस रूपये खर्च करना पढ़ते है वोह दवा उस बीमार को सो रूपये से भी ज्यादा की कीमत पर बेचीं जाती है तो दोस्तों इस तरह से करोड़ों करोड़ रूपये बाबा उनके भक्तो से जो राष्ट्रभक्त भी है जो गरीब भी है जरुरतमंद भी है कमा रहे है ..अगर बाबा रामदेव इन सभी दवा खरीदने वालों को दवा निर्माण करने में जो कीमत आती है उसपर केवल दो रूपये पांच रूपये का मुनाफा लेकर बेचना शुरू कर दे तो यकीन मानिये देश में कमसे कम एक करोड़ लोगों की तो बल्ले बल्ले हो जाए उन्हें प्रति माह दो तीन सो रूपये की बचत हो सकती है और देश के इन एक करोड़ लोगों को करीब तीस करोड़ प्रति माह का फायदा बाबा रामदेव दे सकते है ...दोस्तों बाबा रामदेव के यह करीब दस लाख कर्मचारी प्रत्यक्ष और अर्प्त्यक्ष रूप से काम करते है अगर उनको बाबा रामदेव स्थाई कर दे .अगर उन कर्मचारियों को बाबा रामदेव निर्धरितं मापदंडों के अनुरूप न्यूनतम मजदूरी और दूसरी सुविधाए ई एस आई ..पी एफ वगेरा की सुविधा दे दें तो देश के दस लाख परिवार खुशहाली में रह सकते है ..इसी तरह से बाबा रामदेव अगर उनके कमाए हुए धन से अनाथालय खोले ....भोजनालय खोलें ...गरीब लोगों के लियें मुफ्त शिक्षा के स्कूल कोलेज खोले तो यकीन मानिए देश की तस्वीर भी बदल सकती है और लोग बाबा रामदेव को पूजने लगेंगे लेकिन क्या बाबा रामदेव देश के लोगों के लियें खुद का मुनाफा त्याग कर सेवा भाव जाग्रत कर जनहित में ऐसा कर सकेंगे या फिर जनता को ग्राहक समझ कर अपना ब्रांड महंगे दामो पर बेच कर यूँ ही अपना धन साम्राज्य बढाते रहेंगे ..क्या वोह मजदूरों और कर्मचारियों का शोषण बंद कर न्यूनतम मजदूरी और दूसरी सुविधाएँ उनेह देकर उनेक परिवारों को आबाद करेंगे किया वोह देश भक्त बनकर गरीबों के लियें सेवाश्रम ..अनाथालय ..भोजनालय...स्कूल ..कोलेज..मुफ्त चिकित्सालय खोलेंगे क्या वोह एक पूंजीपति उद्योगपति मुनाफाखोर से अलग हट कर देश और देश के गरीब लोगों के लियें सोच कर त्याग का भाव रख कर खुद को संत साबित कर सकेंगे अगर ऐसा करें तो उनका स्वागत है पुरे देश की तस्वीर तो नहीं लेकिन कमसे कम एक करोड़ से अधिक लोग तो उनसे आजीवन फायदा उठा सकते है और देश को काफी फायदा भी हो सकता है तो बाबा अगर यह सब करें तो उनकी जय वरना उनके दिल में उनके दिमाग में और उनकी जुबान में क्या है इस सच को समझे और उजागर करें भाई ...........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कुशग्रहणी अमावस्या 17 को: जानिए महत्व व विधि




भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा गया है। इस दिन वर्ष भर किए जाने वाले धार्मिक कार्यों तथा श्राद्ध आदि कार्यों के लिए कुश (एक विशेष प्रकार की घास, जिसका उपयोग धार्मिक व श्राद्ध आदि कार्यों में किया जाता है) एकत्रित किया जाता है। इस बार कुशग्रहणी अमावस्या 17 अगस्त, शुक्रवार को है।

यह तिथि पूर्वान्ह्व्यापिनी ली जाती है। हिंदुओं के अनेक धार्मिक क्रिया-कलापों में कुश का उपयोग आवश्यक रूप से होता है-

पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:।

कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया।।

(शब्दकल्पद्रुम)

अत: प्रत्येक गृहस्थ को इस दिन कुश का संचय करना चाहिए। शास्त्रों में दस प्रकार के कुशों का वर्णन मिलता है-

कुशा: काशा यवा दूर्वा उशीराच्छ सकुन्दका:।

गोधूमा ब्राह्मयो मौन्जा दश दर्भा: सबल्वजा:।।

इनमें से जो भी कुश इस तिथि को मिल जाए, वही ग्रहण कर लेना चाहिए। जिस कुश में पत्ती हो, आगे का भाग कटा न हो और हरा हो, वह देव तथा पितृ दोनों कार्यों के लिए उपयुक्त होता है। कुश निकालने के लिए इस तिथि को सूर्योदय के समय उपयुक्त स्थान पर जाकर पूर्व या उत्तराभिमुख बैठकर इस मंत्र पढ़ें और हुँ फट् कहकह दाहिने हाथ से एक बार में कुश उखाड़ें-

विरंचिना सहोत्पन्न परमेष्ठिन्निसर्गज।

नुद सर्वाणि पापानि दर्भ स्वस्तिकरो भव।।

...और इतनी सी बात पर हो गई फायरिंग, लग गया कर्फ्यू

Dainik Bhaskar Bollywood Web Awards 2012


सिरोही. कृष्णगंज गांव में स्वाधीनता दिवस पर फुटबॉल खेलने के दौरान बच्चों में हुई कहासुनी ने उग्र रूप ले लिया। दो पक्षों के लोग आमने-सामने हो गए। फायरिंग, आगजनी, तलवारबाजी व पथराव में 7 लोग घायल हो गए। पुलिस ने हवाई फायर किए तथा आंसू गैस के गोले छोड़े।

भीड़ ने पथराव किया, जिससे 20 पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं। गांव में बुधवार शाम 4 बजे बेमियादी कर्फ्यू लगा दिया गया। घटना का असर सिरोही शहर के अलावा 8 कस्बों में भी दिखा। यहां बाजार बंद करा दिए गए। प्रशासन ने शांति व्यवस्था के लिए सिरोही में धारा 144 लगा दी। देर शाम दोनों पक्षों के 18 लोगों को हिरासत में लिया गया।

15 अगस्त को गांव के सीनियर सैकंडरी स्कूल में बच्चे फुटबॉल का मैच खेल रहे थे। इसी दौरान किसी बात को लेकर विवाद हो गया। बात मारपीट तक पहुंच गई। समुदाय विशेष के एक बच्चे से अन्य बच्चों ने मारपीट कर दी। बच्चे ने घर जाकर इसकी शिकायत की तो परिजन लाठी, तलवार लेकर वहां पहुंच गए। गांव से दूसरा पक्ष भी आ गया और दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए।

एक पक्ष के लोगों ने तलवार से वार कर करीब चार लोगों को जख्मी कर दिया। बंदूक से फायर किए। र्छे लगने से तीन लोग घायल हो गए। दूसरे पक्ष के लोगों ने एक जीप और बाइक में आग लगा दी। स्थिति तनावपूर्ण हो गई। सूचना मिलने पर सिरोही कलेक्टर बन्नालाल व एसपी लवली कटियार अतिरिक्त पुलिस जाप्ते के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने भी हवाई फायर कर आंसू गैस के गोले छोड़े। जवाबी कार्रवाई में भीड़ ने पत्थरबाजी की।

स्थिति काबू में नहीं होने पर गांव में कफ्र्यू लगा दिया। सिरोही के अस्पताल में घायलों के आने से वहां भी काफी भीड़ जमा हो गई। भाटकड़ा चौराहे पर जमा हुई भीड़ ने हाईवे पर ट्रक में आग लगा दी। हालांकि, चालक ने समझदारी दिखाते हुए उसे बुझा दिया। हाईवे पर मौजूद लोगों ने जाम लगाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर कर दिया। बुधवार शाम 6 बजे सिरोही में धारा 144 लगा दी गई।

जोधपुर के डीसी व आईजी ने गुरुवार सुबह सर्किट हाउस में विधायक ओटाराम देवासी, पूर्व विधायक तारा भंडारी समेत जिले के प्रबुद्धजनों के साथ बैठक कर माहौल को शांतिपूर्ण बनाने में सहयोग की अपील की। बैठक में कलेक्टर, एसपी, जिला परिषद सीईओ भी मौजूद थे। उधर, बुधवार देर शाम को दोनों पक्षों के 18 लोगों को हिरासत में लिया गया। घटनाक्रम में घायल हुए नारायण उर्फ रॉकी, गणोशराम, विजयकुमार, अमराराम चौधरी, इंद्रजीत सिंह राजपुरोहित, प्रेमाराम और एक अन्य युवक सिरोही के सरकारी अस्पताल में भर्ती है।

अधिकारियों ने किया दौरा

देर शाम जोधपुर से संभागीय आयुक्त आरके जैन, आईजी डीसी जैन पाली एसपी केबी वंदना और जालोर एसपी दीपक कुमार सिरोही पहुंचे। इन अधिकारियों ने कृष्णगंज व सिरोही का दौरा किया। घटना को लेकर जोधपुर, उदयपुर, पाली, जालोर से पुलिस का अतिरिक्त जाब्ता भी सिरोही में तैनात किया गया है। जोधपुर के आईजी डीसी जैन ने बताया कि अब सिरोही समेत जिले में स्थिति नियंत्रण में है। कानून तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

विरोध में सिरोही व 8 कस्बे बंद

घटना के विरोध में गुरुवार को सिरोही के साथ पिंडवाड़ा, कालंद्री, मोहब्बतनगर, अनादरा, मंडार, रोहिड़ा, आबूरोड, सरूपगंज में बाजार बंद रहे। पिंडवाड़ा में एक समुदाय विशेष ने मोहल्लों में रैली निकालकर पत्थरबाजी की। यहां पर भी पुलिस ने स्थिति को संभाल लिया।

इजराइल की मदद से भारत में होगी बारिश, खर्च होंगे 12 करोड़




मुंबई। मुंबई को पानी आपूर्ति करने वाले जलाशय परिसर में इस वर्ष अब तक संतोषजनक बारिश न होने की वजह से गुरुवार को मुंबई मनपा ने भातसा और वैतरणा जलाशय क्षेत्र में कृत्रिम बारिश कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए 12 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।

मुंबई मनपा आयुक्त सिताराम कुंटे ने बताया कि कृत्रिम वर्षा 1 से 30 सितंबर के बीच कराई जायेगी। इस काम में इजराइल की कंपनी निकोरेट की मदद ली जायेगी। उन्होंने बताया कि ठाणे जिले में स्थित भातसा और वैतरणा जलाशय क्षेत्र में करीब 12 से 15 दिन तक कृषिम वर्षा कराये जाने की योजना है।

बता दें कि 2009 में भी मुंबई मनपा ने कृत्रिम बारिश इजराइल की कंपनी की मदद से कराया था। परंतु लगभग 8 करोड़ रुपये खर्च किये जाने की वजह से वह प्रयोग पूरी तरह सफल नहीं हुआ हुआ था।

उल्लेखनीय है कि मुंबई को पानी आपूर्ति करने वाले मोकसागर झील को छोड़ कर अब तक अप्पर वैतरणा, भातसा और तानसा में से किसी भी जलाशय परिसर में पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। जिसकी वजह से मुंबई मनपा ने शहर में लागू 10 प्रतिशत पानी कटौती को बढ़ा कर 15 सितंबर तक कर दिया है।

शनिवार को इन नामों से करें शनिदेव का पूजन, दूर होंगे दोष




शनिदेव सभी को उसके बुरे कर्मों का दण्ड देते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई स्तुतियां, मंत्र व स्तोत्र की रचना की गई है, जिनका स्मरण करने से शनि दोष कम होता है और शनिदेव प्रसन्न होते हैं। धर्म शास्त्रों में शनि के अनेक नाम बताए गए हैं। अगर इन नामों का नित्य जप किया जाए तो शनिदेव अपने भक्त की हर परेशानी दूर कर देते हैं। ये प्रमुख 10 नाम इस प्रकार हैं-

कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।

सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

अर्थात: 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।

तालिबान ने मार गिराया नाटो हेलीकॉप्टर, 7 अमेरिकी सैनिकों की मौत



काबुल. अफगानिस्तान में एक नाटो हेलीकॉप्टर क्रैश हो जाने से 7 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई। हादसे में तीन अफगानी सैनिक और अफगानी दुभाषिये की समेत कुल 11 लोग मारे गए।


अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक क्रैश हुआ ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर पूरी तरह नष्ट हो गया। हालांकि अधिकारियों ने यह स्पष्ट नहीं किया कि हेलीकॉप्टर को मार गिराया गया या फिर यह किसी तकनीकी खराबी का शिकार हुआ।

वहीं ताबिलान ने होलीकॉप्टर को गिराने की जिम्मेदारी ली है। हेलीकॉप्टर क्रैश की जिम्मेदारी लेते हुए तालिबान ने कहा कि कंधार के नजदीक शाह वली कोट इलाके में उन्होंने एक हमलावर हेलीकॉप्टर को मार गिराया है।

तालिबान पश्चिम देशों के सैनिकों की मौत की जिम्मेदारी लेता रहा है लेकिन इस मामले में महत्वपूर्ण यह है कि तालिबान ने नाटो के हेलीकॉप्टर क्रैश होने की जानकारी देने से घंटों पहले ही इस हेलीकॉप्टर को गिराने की जिम्मेदारी ले ली थी। तालिबान के प्रवक्ता कारी यूसुफ अहमदी ने फोन पर समाचार एजेंसी एपी को बताया कि इस क्रैश में कोई भी नहीं बचा।

कुरान का संदेश

जहां अपना घर था वही राजस्थान सरकार के काबिना मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल ने उन्हें अपना मदरसा भी दे दिया

जहां अपना घर था वही राजस्थान सरकार के काबिना मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल ने उन्हें अपना मदरसा भी दे दिया ......जी हाँ दोस्तों राजस्थान के केबिनेट मंत्री और कोटा के विधायक शान्तिकुमार धारीवाल ने पिछली कोंग्रेस सरकार के कार्यकाल में जे के नगर सहित पुरे कोटा और राजस्थान में अपना घर योजना के नाम अपर वेम्बे योजना बनाई और गरीबों को सभी को छत देकर अपना घर दे दिया ..उन्हें किरायेदार से मकान मालिक बना दिया ...दोस्तों कोटा के जे के नगर स्थित वेम्बे योजना में जब पिछली सरकार ने मकान दिए तो अधिकतम लोग वहा जाकर निवासित हो गए सरकार बदली और कोंग्रेस की सरकार के बाद दूसरी पार्टी की सरकार आ गयी ...इस वेम्बे योजना के लोगों के लिए वोह पहला रमजान था जिसमे उन्होंने तरावीह पढने के लियें मकान के नीचे स्थित खाली जमीन पर टेंट लगाकर तरावीह नमाज़ पढना शुरू की दुसरे दिन ही उद्योग नगर पुलिस के कान खड़े हुए और सभी लोगों को पुलिस उठाकर ले गयी ..खेर तरावीह की नमाज़ के लियें लोगों को मुकदमा झेलना पढ़ा जमानत कराना पढ़ी में खुद इन सभी लोगों का वकील था ....मुकदमा चलता रहा फिर किस्मत ने करवट बदली ..कोंग्रेस की सरकार आ गयी बढ़ी हिकमते अमली से लोगों के खिलाफ चल रहे मुकदमे ख़ारिज करवाए गए ..लेकिन वेम्बे जे के नगर योजना में अपना घर के साथ अपना मदरसा मिले इस योजना पर सभी काम कर रहे थे ..कोटा शहर काजी अनवर अहमद ..जिला वक्फ कमेटी के सदर हाजी अज़ीज़ अंसारी ..में खुद अख्तर खान अकेला और डोक्टर जफर इस मामले में नगर विकास न्यास में मिले केबिनेट मिनिस्टर शान्तिकुमार धारीवाल ने वेम्बे योजना के मुसलमानों की इस तकलीफ और संवेदना को समझा उन्होंने फराख दिली दिखाई और नगर विकास न्यास को वेम्बे योजना जे के नगर में मदरसे के लिए बच्चों की पढाई के लिए निशुल भूखंड देने का आदेश हुआ ..दोस्तों इस बस्ती में पहले भी स्थानीय लोग रोजा इफ्तार करवाते थे हम जाते थे लेकिन आज का रोजा इफ्तार जिसमे खुद शांति धारीवाल केबिनेट मिनिस्टर ...नगर विकास न्यास रविन्द्र त्ग्यागी ..कोटा शहर काजी अनवर अहमद ...हाजी अज़ीज़ अंसारी में खुद और जो लोग कभी इस स्थान को सरकारी होने के कारण तरावीह और नमाज़ पढने पर मुकदमा झेल रहे था आज वोह सभी इस अपना घर योजना में अपना मदरसा योजना की क्रियान्विति देख खुद की ज़मीं पर गर्व के साथ सीना फुला कर बेठे थे ...अभी इस बस्ती में इस मदरसे में और भी बहुत कुछ होना बाक़ी है लेकिन वहां उपस्थित सभी लोगों की आँखों में इस मदरसे की जमीन आवंटन कर वहां विकास कार्य कराए जाने पर काबीना मंत्री शांति कुमार धारीवाल के लियें आदर भाव और नमन भाव था .खुदा इस मदरसे का भवन भी जल्दी तय्यार करवाए और खुशहाली कामयाबी इस इलाके के लोगों को दे बस यही खुदा से दुआ है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

खुशियां बांटने का त्यौहार



ईद-उल-फितर इस्लाम धर्म के अनुयायियों का प्रमुख पर्व है। ईद-उल-फितर अरबी भाषा का शब्द है। ईद का तात्पर्य है खुशी। फितर का अभिप्राय है दान। इस प्रकार ईद-उल-फितर ऎसा दान-पर्व है, जिसमें खुशी बांटी जाती है तथा जो आर्थिक दृष्टि से इतने कमजोर हैं कि जिन्हें रोटी-रोजी के भी लाले पड़े रहते हैं और खुशी जिनके लिए ख्वाब की तरह होती है, तो ऎसे वास्तविक जरूरतमंद लोगों को फितरा (दान) देकर उनके ख्वाब को हकीकत में बदला जाता है और वे भी खुशी मनाने के काबिल हो जाते हैं। फितरा अदा करने के शरीअत (इस्लामी धर्म-संहिता) के अनुसार निर्धारित मापदंड है।

फितरा एक निश्चित वजन में अनाज (मुख्यत: गेहूं) के रूप में होता है अथवा उस अनाज की तत्कालीन कीमत के रूप में धन-राशि में। हर साहिबे-खैर (साधन-सम्पन्न) और साहिबे-जर (धन संपन्न) मुसलमान को फितरा अदा करना जरूरी है। यहां तक कि ईद-उल-फितर की नमाज के लिए जाने से पहले भी किसी औलाद का जन्म हो जाए, तो उस नवजात संतति का भी फितरा (निर्धारित मात्रा में अनाज अथवा उतनी कीमत के रूप में धनराशि) अदा करना होता है। हर सामथ्र्यवान मुसलमान का फर्ज है कि ईद-उल-फितर की नमाज के पहले फितरा अदा कर दे। फितरा अदा करने के पीछे जो आधार है, उसकी जड़ में जज्बा-ए-इंसानियत अर्थात् मानवता की भावना है।

ईद का मतलब चूंकि खुशी होता है और खुशी की सार्थकता तब ही है, जब इसमें भूखे को भोजन, प्यासे को पानी और निर्वस्त्र को वस्त्र मिल जाएं। धन-संपन्न के पास तो इतने साधन होते हैं कि वह सुविधाएं जुटा लेता है और खुशियों का पूरा बाजार ही अपने घर ले आता है, लेकिन निर्धन और निस्सहाय के लिए तो दो वक्त की रोटी नसीब होना ही मुश्किल होता है। नौकरी, आकाश-कुसुम (गुल-ए-फलक) हो गई है और मेहनतकशों के लिए मजदूरी का काम भी रेगिस्तान में पानी की तलाश की तरह हो गया है। ऎसे अभावग्रस्त लोगों के लिए रोटी, कपड़ा मुहैया कराने के लिए फितरा अर्थात दान की मानवीय व्यवस्था है। ताकि ईद की प्रासंगिकता सिद्ध हो सके।

इस प्रकार ईद-उल-फितर खुशियों में शिरकत का त्योहार है। एक वाक्य में कहें, तो पवित्र रमजान माह की विदाई के बाद आने वाला त्योहार ईद-उल-फितर इंसानियत और बंधुत्व का बैंक है, जिसमें खुशियों के खातेदार और आनंद अंशधारक होते हैं। रूपक अलंकार या उपमा के धरातल पर कहें तो ईद-उल-फितर सदाशयता और सद्भावना की क्रियाशील "कंपनी" है, जिसमें प्रेम की पूंजी तथा शफक्कत (अपनत्व) के "शेयर" होते हैं। सारांश यह है कि ईद-उल-फितर में सौहार्द और सहयोग ही शेयर-होल्डर्स होते हैं, जो खुशियों की खनक के रूप में बंधुत्व का बोनस बांटते रहते हैं। वैसे भी सनातन सत्य तो यही है कि हम सभी परस्पर प्रेम और सद्भाव से रहें और मिलजुलकर तथा नेक कमाई से प्राप्त रोटी को आपस में बांटकर खाएं। ईद-उल-फितर रोटी को बांटकर खाने के साथ खुशियों में शिरकत तथा दु:ख-दर्द में साझेदारी का पैगाम देती है।

पावन ऋग्वेद के दसवें मण्डल के एक सौ सत्रहवें सूक्त के छठे मंत्र में भी उल्लेख है "केवलाघो भवति केवलादी" अर्थात् जो अपनी रोटी अकेले खाता है, वह पाप करता है, अर्थात् रोटी बांटकर खाओ। इस प्रकार ईद-उल-फितर में निहित पवित्र कुरआन के संदेश और ऋग्वेद के मंत्र में बड़ी समानता है।
अजहर हाशमी
प्राध्यापक व साहित्यकार

अधिक मास शनिवार से: कब से कब तक, क्या रहेगा इसका प्रभाव




हिंदू पंचांग के अनुसार विक्रम संवत् 2069 में (सन् 2012) भाद्रपद नामक अधिकमास है। यह अधिक मास 18 अगस्त, शनिवार को प्रारंभ होगा जो 16 सितंबर, रविवार तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इसे पुरुषोत्तम व मल मास भी कहा गया है। इस महीने में भगवान विष्णु का पूजन करने का विशेष महत्व है।

ज्योतिषियों के अनुसार इस बार सूर्य की सिंह संक्रांति में ही भाद्रपद की दो अमावस्याएं व्यतीत हो जाएंगी। पहली अमावस्या के बाद दूसरी अमावस्या तक का मास श्रीपुरुषोत्तम मास होगा। इस प्रकार 2012 में दो भाद्रपद मास होंगे।

क्यों आता है अधिक मास?

32 महीने, 16 दिन, 1 घंटा 36 मिनट के अंतराल से हर तीसरे साल अधिक मास आता है। ज्योतिष में चंद्रमास 354 दिन व सौरमास 365 दिन का होता है। इस कारण हर साल 11 दिन का अंतर आता है जो 3 साल में एक माह से कुछ ज्यादा होता है। चंद्र और सौर मास के अंतर को पूरा करने के लिए धर्मशास्त्रों में अधिक मास की व्यवस्था की है।

क्या रहेगा प्रभाव?

ज्योतिषियों के अनुसार जिस वर्ष भाद्रपद का अधिक मास होता है उस वर्ष धान की उत्पत्ति बहुत अधिक होती है। फसल अच्छी होने से अर्थ व्यवस्था पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे देश के आर्थिक हालात में सुधार होता है तथा व्यापार-व्यवसाय में भी तेजी रहती है।

सिक्ख धर्म में सिर ढंककर रखना जरूरी है क्योंकि...




सिक्ख धर्म को मानने वाले सभी अनुयायियों के लिए सिर ढंककर रखने की अनिवार्य परंपरा बनाई गई है।

इस संबंध में विद्वानों की ऐसी मान्यता है कि हमारे शरीर में 10 द्वार होते हैं, दो नासिका, दो आंख, दो कान, एक मुंह, दो गुप्तांग और दशवां द्वार होता है सिर के मध्य भाग में जिसे दशम द्वार कहा जाता है। सभी 10 द्वारों में दशम द्वार काफी महत्वपूर्ण है। दशम द्वार के माध्यम से ही हम परमात्मा की शक्तियों से जुड़ कर पाते हैं। इसी द्वार से शिशु के शरीर में आत्मा प्रवेश करती है। किसी भी नवजात शिशु के सिर पर हाथ रखकर दशम द्वार का अनुभव किया जा सकता है। नवजात शिशु के सिर पर एक भाग अत्यंत कोमल रहता है, वही दशम द्वार है जो बच्चों की उम्र के साथ कठोर होता जाता है।

परमात्मा की भक्ति में दशम द्वार महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। दशम द्वार का संबंध सीधे मन से होता है। मन बहुत ही चंचल स्वभाव का होता है और इसी वजह से मनुष्य परमात्मा में ध्यान आसानी से नहीं लगा पाता। मन को नियंत्रित करने के लिए ही दशम द्वार ढंककर रखा जाता है ताकि हमारा मन अन्यत्र ना भटके और भगवान में ध्यान लग सके।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...