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21 अगस्त 2012

भाडभूत मेला, चमत्कार के लिए यहां 1 करोड़ लोग मांगेगे मन्नत!


भरूच (गुजरात)। 18 साल में एक बार लगने वाले भाडभूत लोक मेले का श्रीगणोश हो गया है। यह लोकमेला दक्षिण गुजरात का मिनी कुंभ कहलाता है। भाडभूत से पवित्र नर्मदा मैया का अरबसागर में मिलन होता है। भाडभूत में भारेश्वर शिवलिंग है। मान्यता है कि यहां श्रद्घा-भक्तिभाव से पूजा-अनुष्ठान दर्शन करने से भोग-मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं। इस साल स्थानीय प्रशासन भाडभूत मेले में एक करोड़ लोगों के पहुंचने का अनुमान है। पिछली बार साल 1993 में 64 लाख लोगों ने भारेश्वर महादेव के दरबार में पहुंच कर धर्मलाभ अर्जित किया था। शनिवार से आरंभ हुए लोकमेले में अब तक तीन लाख से अधिक श्रृद्घालु दर्शन कर चुके हैं।

रेवाखंड में है महिमागान

वायु पुराण के रेवा खंड के 170वें अध्याय में भारभूतेश्वर महादेव का वर्णन है। यहां विष्णुशर्मा नामक धर्मपरायण ब्राह्मण रहता था। विष्णुशर्मा के यहां स्वयं भोले शंकर बटुक (बालरूप) में आकर वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था। वे जब वेदों के ज्ञान के लिए ब्राह्मण के यहां पहुंचे थे, वह लोंद की साल का भाद्रपक्ष था। इसलिए जब भी पंचाग गणना के अनुसार लोंद की साल में दो भादों आते हैं, यहां लोकमेला लगता है। यह क्रम 18 साल बाद आता है।

नर्मदा में डुबो दिए थे सहपाठी

कहा जाता है कि ब्राह्मण विष्णुशर्मा के यहां विद्या अध्ययन के लिए आने वाले हर बटुक को सभी काम करने होते थे। काम का बंटवारा नंबर के अनुसार होता था। इसी क्रम में बटुक रूप में आए भोले का नंबर रसोई तैयार करने का आया। उन्होंने रसोई में जाकर कामधेनु का स्मरण कर चुटकियों में रसोई तैयार कर दी। तत्पश्चात अन्य सहपाठी जहां नर्मदा तट पर थे, वहां जा पहुंचे। यह देख अन्य सहपाठी नाराज हो गए बोले, यदि रसोई तैयार नहीं हुई तो तुम्हें नर्मदा में फेंक देंगे।


यह सुन भोले बाबा ने कहा कि यदि रसोई तैयार हो गई होगी तो भी तुम सबके साथ ऐसा ही करूंगा। इसके बाद सभी बटुक आश्रम लौटे, रसोई तैयार देख प्रेम से पेटपूजा की। अगले दिन तय शर्तो के अनुसार बटुक रूप भोले ने अन्य सहपाठी बटुकों को बांध-बांध कर नर्मदा मैया की गोद में फेंक दिया। यह जानकर गुरु विष्णु शर्मा नाराज हुए।
भोले बाबा ने बटुक रूप में नदी तट पर जाकर सभी सहपाठियों को नदी से निकाल कर तट के किनारे रख दिया और ऊपर घास-फूस डाल दी। बाद में घास-फूस के नीचे से सभी सहपाठी बटुक सही सलामत जीवित निकले। बाद में इसी स्थान पर स्वयं-भू शिवलिंग प्रगट हुआ। तभी भोले बाबा ने प्रगट होकर कहा कि जहां मैंने घास-फूस रखी, वहां शिवलिंग प्रगट हुआ है। यह भारभूतेश्वर के नाम से विख्यात होगा। यहां जो श्रृद्घा-भक्तिभाव से पूजन करेगा उसे भोग-मोक्ष दोनों की प्राप्ति होगी।

बिना पेट्रोल के 200 किलोमीटर तक दौड़ेगी यह कार!



दुनिया भर में इंधन की कीमत में आ रहे उछाल के कारण रोज नये विकल्‍प तलाशे जा रहे हैं। कंपनी जनरल मोटर्स भी एक ऐसे कार का निर्माण करने की योजना पर काम कर रही है, जो कि महज एक बार चार्ज करने के बाद 200 किलोमीटर तक का आसानी से सफर कर सके।


जनरल मोटर्स के सीईओ डैन एकर्सन ने अपने एक बयान में बताया कि कंपनी इस समय एक बैटरी निर्माता कंपनी के साथ इस प्रोजेक्‍ट पर काम कर रही है। इस प्रोजेक्‍ट के तहत हम एक ऐसे कार का निर्माण करेंगे जो कि एक बार फुल चार्ज होने के बाद लगभग 200 मील यानी की लगभग 321 किलोमीटर तक का आसानी से सफर कर सकें। अभी तक ऐसी कार नहीं बनी है जो एक बार फुल चार्ज होने के बाद वो इतनी लंबी दूरी नहीं तय कर सकती है।


इलेक्ट्रिक कारों के लिए लंबी दूरी तय करना सबसे बड़ी समस्‍या है। लेकिन जनरल मोटर्स का यह प्रोजेक्‍ट इस समस्‍या हो खत्‍म कर देगा। प्राप्‍त जानकारी के अनुसार कंपनी अभी इस प्रोजेक्‍ट पर काम कर रही है और आगामी दो से चार वर्ष के भीतर यह कार सड़क पर होगी।

भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई ऐसी लस्सी, दुनिया की शीर्ष कोल्ड ड्रिंक को देगी चुनौती



करनाल. वैज्ञानिकों ने अब ऐसी काबरेनेटिड लस्सी तैयार की है, जो कोल्ड ड्रिंक का स्वाद देगी। इस लस्सी में कैलोरी की मात्रा सामान्य मीठी लस्सी की अपेक्षा करीब 35 प्रतिशत कम है जिससे की शुगर, किडनी व न्यूरो पेसेंट के लिए लाभदायक है। इसे पेटेंट करवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पेटेंट के बाद लस्सी बनाने की तकनीक किसी कंपनी को दी जाएगी। इसके बाद यह मार्केट में आ जाएगी।



वैज्ञानिकों ने कैसे किया तैयार : राष्ट्रीय डेयरी (एनडीआरआई) के निदेशक डा. एके श्रीवास्तव के नेतृत्व में टीम ने इस लस्सी को तैयार किया है। वैज्ञानिक डा. सुधीर तोमर ने बताया कि उन्होंने इस लस्सी को तैयार करने में मेनीटोल बनाने वाले बैक्टीरिया ल्युकोनोस्टॉक को ट्रेस किया। उन्होंने दही से ल्युकोनोस्टॉक को कल्चर किया और इससे लस्सी तैयार की। वैज्ञानिकों ने लस्सी बनाने से पहले चीनी भी डाली। इस बैक्टीरिया ने चीनी को मेनीटोला व कार्बनडाईऑक्साइड में बदल दिया। इससे लस्सी में कैलोरी की मात्रा करीब 35 प्रतिशत कम हो गई। इस लस्सी में कार्बनडाईऑक्साइड जीवाणुओं द्वारा प्राकृतिक रूप से पैदा की गई, जबकि कोल्ड ड्रिंक में पैकिंग के दौरान यह गैस डाली जाती है।

क्या है मेनीटोल : मेनीटोल एक बेवरेज (जैसे कोकाकोला) है, जिसमें कार्बनडाईआक्साइड को घोला जाता है। इससे बोतल खोलते ही बुलबुले निकलते हैं। मेनीटोल लो कैलोरी शुगर वाली दवाओं में प्रयोग होता है, जोकि पौधों में मिलता है। यह कुछ मात्रा में फलों व सब्जियों में भी पाया जाता है। इसका ज्यादा प्रयोग फूड, दवा व केमिकल इंडस्ट्री में किया जाता है। इसमें चीनी से करीब 50 प्रतिशत कम मीठा होता है। मेनीटोल कैलोरी की मात्रा को घटाता है। सामान्य चीनी में कैलोरी चार किलो कैलोरी प्रति ग्राम होती है, जबकि मेनीटोला में यह मात्र 1.6 किलो कैलोरी प्रति ग्राम है। इस कारण मेनीटोला से शुगर फ्री च्यूइंग गम, सख्त व नरम कैंडी, फ्लेवर्ड जैम व जैली, कनफेक्शनरी का समान व खांसी की टॉफी बनाई जाती है।

वजन कंट्रोल रखने में भी मददगार

आमतौर पर यह देखा गया है कि बच्चे कोल्ड ड्रिंक अधिक पीते हैं, क्योंकि कोल्ड ड्रिंक की गैस उनकी नाक को अच्छी फील देती है। चूंकि इस लस्सी में कार्बनडाईऑक्साइड है, इसलिए यह लस्सी बच्चों को कोल्ड ड्रिंक का स्वाद देगी। इस कारण यह बच्चों को भी अधिक पसंद भी आएगी। इसके अलावा जो लोग वजन कंट्रोल करने की चाहत रखते हैं, लेकिन मीठी लस्सी व कोल्डड्रिंक अधिक पीते हैं। ऐसे में उनका वजन कंट्रोल नहीं हो पाता है। इस लस्सी को पीने से उनकी यह चाहत भी पूरी होगी, क्योंकि इस लस्सी में शुगर कम होने के कारण इससे जरूरत से ज्यादा कैलोरी बॉडी को नहीं मिलेगी। लस्सी में मेनीटोला होने के कारण यह स्वादिष्ट भी है।


पेटेंट की तैयारी

लस्सी को पेटेंट करवाने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही इसे पेटेंट करवाकर मार्केट में लाने का प्रयास किया जाएगा। इस लस्सी को पीने के बाद व्यक्ति को कोल्ड ड्रिंक का टेस्ट आएगा। इसे शुगर पेसेंट आसनी से पी सकेंगे। -डा. एके श्रीवास्तव, निदेशक एनडीआरआई करनाल।

क्या आपने कभी यूज किया गूगल ड्राइव? कमाल की है चीज



भोपाल। गूगल ड्राइव सिर्फ डाटा स्टोर करने का जरिया भर नहीं है, बल्कि ढेरों एप्प रूपी खजाने के अलावा यह और भी बहुत काम आता है। जानते हैं इसकी अन्य खूबियों के बारे में।

डाटा सेव करने का बेहतर विकल्प बनकर उभरा है गूगल ड्राइव, जो कि एक क्लाउड सर्विस है। इसे डाटा स्टोर करने के तरीके को बदलने के मकसद से लांच किया गया है। हालांकि यह सिर्फ डाटा स्टोर करने का जरिया भर नहीं, बल्कि ढेरों एप्प और फीचर्स का खजाना भी है।
ऑफिस सूट

पहली नजर में गूगल ड्राइव सिर्फ स्टोरेज सर्विस लगती है। हालांकि, जब आप गूगल ड्राइव की वेबसाइट (स्रrद्ब1द्ग.द्दooद्दद्यद्ग.ष्oद्व) पर जाते हैं, तो आपको ‘क्रिएट’ ऑप्शन दिखाई देता है। इसके जरिए आप गूगल के ऑनलाइन ऑफिस सूट, गूगल डॉक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके जरिए आप डॉक्यूमेंट, स्प्रेडशीट, ड्रॉइंग और प्रेजेंटेशन बना और एडिट कर सकते हैं। यह सब वैसा ही है, जैसे आपके ब्राउजर में कम्प्यूटर हो। गूगल ड्राइव एक्सेस करने के लिए आपके पास गूगल आईडी (जीमेल आईडी) होनी चाहिए। गूगल ड्राइव एप्प को कम्प्यूटर के साथ एंड्रॉयड फोन और टैबलेट पर भी डाउनलोड किया जा सकता है। इस पर 5 जीबी स्टोरेज मुफ्त है। अगर आपको इससे ज्यादा स्पेस चाहिए, तो आपको मासिक शुल्क देना होगा। 25 जीबी के लिए 2.49 डॉलर देने पड़ते हैं। आप इस पर हर महीने 16 टीबी तक स्टोरेज स्पेस का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसकी फीस 800 डॉलर तक है।

शेयर एंड सिंक

गूगल ड्राइव का सर्च फीचर बेहतरीन है। आप आसानी से अपने डॉक्यूमेंट ढूंढ सकते हैं। आप इस पर पीडीएफ और स्कैन डॉक्यूमेंट्स अपलोड कर सकते हैं, जिसे गूगल ड्राइव गूगल डॉक्स में बदल देता है। ऐसे में आप डॉक्यूमेंट्स और फाइल आसानी से शेअर कर सकते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि स्टोर की गई आपकी सभी फाइल खुद-ब-खुद अलग-अलग डिवाइस से तालमेल बैठा लेती हैं यानी आप एक ही फाइल को कम्प्यूटर, फोन और टैबलेट्स पर एक्सेस कर सकते हैं।

गूगल ड्राइव

यह सब जानकर क्या आपको लग रहा है कि पेन ड्राइव को छोड़ने का समय आ गया है। अगर आप डाटा साथ नहीं रखना चाहते और आपकी जरूरत 5 जीबी से कम है, तो गूगल ड्राइव आपके लिए बेहतरीन विकल्प है। हालांकि, अगर आपकी स्टोरेज जरूरत काफी ज्यादा है, तो गूगल ड्राइव महंगी पड़ सकती है। हमारे देश में नेटवर्क से जुड़ी कई दिक्कतें आती हैं। अगर आप ऐसी ही किसी जगह में फंस जाते हैं, जहां नेट की स्पीड काफी स्लो है, तो बड़ी फाइल अपलोड होने में घंटों लग सकते हैं।

ईद पर झलका बंटवारे का दर्द, 65 साल बाद मिल पाए पति-पत्नी


मलसीसर.शमशेर तो मानो ईद की खुशी भूल ही गया था। विभाजन ने उससे यह खुशी भी छीन ली थी। 65 साल बाद यह पहला मौका था जब उसने अपने लोगों के साथ मस्जिद में सजदा किया। बचपन के दोस्त उसके गले मिले और परिजनों के साथ सैवइयों की मीठास चखी।

शमशेरअली कायमखानी के घर इस ईद की खुशी खास थी। उसने अपने पूरे परिवार के साथ 65 साल बाद ईद मनाई। आजादी के बाद पाकिस्तान में बसा शमशेर अली 15 जुलाई को टूरिस्ट वीजा पर गांव आया था। 90 साल के शमशेर अली एवं 80 साल की बीवी सलामत बानो को अरसे के बाद एक साथ देखकर परिजनों के खुशी के आंसू छलक पड़े। यहीं उसने रोजे किए।सुबह नमाज के बाद रिश्तेदारों के घर मिलने भी गया।

शमशेर अली ने बताया कि विभाजन ने दिलों का दर्द बढ़ा दिया। वह पाकिस्तान का होकर रह गया जबकि बीबी भारत में रह गई। बूढ़ी-लड़खड़ाती जुबान में शमशेर ने दर्द बयां किया। कहने लगा कि वह पाकिस्तान में भिखारियों जैसी जिंदगी बसर कर रहा है। बीवी सलामत ने अल्लाह से उम्र के अंतिम दौर में शौहर के साथ रहने की मन्नत मांगी है।

समाज की घिसी-पिटी परंपरा को तोड़ बेटी के इस कदम ने पेश की मिसाल




जयपुर.‘मां अकेले थोड़े रहेगी, मैं अपने पास रखूंगी, मेरे पापा के लिए बेटा ही तो हूं, पापा मुझे ही तो जिम्मेदारी देकर गए हैं। जब तक जीऊंगी, पिता के हर सपने, उनकी हर जिम्मेदारी को निभाऊंगी।’

ये शब्द ज्योति माथुर के हैं, जिसके सिर पिता की पगड़ी बंधी। मंगलवार को महेश नगर अवधपुरी प्रथम में ज्योति के ससुराल में पगड़ी की रस्म हुई। पिता मुकेश बिहारी माथुर की मृत्यु के बारह दिन पूरे होने पर इकलौती बेटी ज्योति के सिर पगड़ी बांधी गई। इस दौरान ज्योति के परिजन, ननिहाल पक्ष, ससुराल पक्ष व कई समाजबंधु कार्यक्रम में शामिल हुए।

दस अगस्त को लंबी बीमारी के बाद मुकेश बिहारी माथुर की मृत्यु के बाद ज्योति ने न केवल मुखाग्नि दी, बल्कि पगड़ी बंधवाकर परिवार के पोषण की जिम्मेदारी भी अपने सिर ओढ़ ली। मेरठ से आए ज्योति के मामा सुभाष, विनोद, प्रमोद व दिनेश ने परंपरागत तरीके से पगड़ी की रस्म पूरी की।

ज्योति को इसकी प्रेरणा उसकी मां सरोज कुमारी, पति भास्पेंद्र माथुर, ससुर नरेंद्र बिहारी माथुर, ताऊ चांद बिहारी व ताऊजी की बेटी निशा माथुर से मिली। ज्योति के पिता सादुलपुर में रेलवे में टीसीएम के पद पर कार्यरत थे। पिछले चार माह से वे कैंसर से पीड़ित थे। ज्योति ही पिता को चूरू से जयपुर लाई और अपने ससुराल में रहते हुए पिता की दिन रात सेवा की। ज्योति माथुर संस्कृत में एमए तक पढ़ी हैं।

बेटों के बराबर आई बेटियां

संभवत जयपुर में यह पहला मौका रहा, जब किसी बेटी ने मुखाग्नि से लेकर पगड़ी तक की रस्म अदा की। हिंदू परंपरानुसार पिता की मौत के बाद मुखाग्नि देने और पगड़ी का हकदार सिर्फ पुत्र ही होता है, पर अब ऐसा नहीं है। पुत्र नहीं तो पुत्र के समान पली बढ़ी बेटियां पीछे नहीं रहेंगी।

राज ठाकरे के भाषण की जांच शुरू, फूल देने वाले कांस्टेबल को लगी हथकड़ी

मुंबई। बी.डी. मार्ग पुलिस स्टेशन में राज ठाकरे के मोर्चे का आयोजन करने वाले मनसे महासचिव शिरीष सावंत व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है। यह मामला मुंबई पुलिस एक्ट की धारा 135 के तहत दर्ज किया गया है।

गौरतलब है कि मुंबई पुलिस ने राज ठाकरे को आजाद मैदान में सभा करने की अनुमति दी थी। परंतु उन्होंने गिरगांव चौपाटी से पहले एक विशाल मोर्चा निकाला।

जिसकी अनुमति पुलिस ने मनसे को नहीं दी थी। बता दें कि मुंबई हाईकोर्ट ने गिरगांव चौपाटी पर सम्मेलन करने या फिर सभा करने पर पहले ही रोक लगाई हुई है।

हाईकोर्ट के इसी आदेश का हवाला देते हुए पुलिस ने राज ठाकरे को गिरगांव चौपाटी से मोर्चा निकालने की अनुमति देने से इनकार किया था। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है, जब मुंबई पुलिस ने राज ठाकरे की पार्टी के किसी पदाधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया हो।

इससे पहले मुंबई मनपा चुनाव के वक्त जब शिवाजी पार्क में राज ठाकरे को सभा करने की अनुमति नहीं मिली थी, तब भी उन्होंने अदालत के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस प्रकरण में राज के खिलाफ अदालत की अवमानना करने का मामला दर्ज किया गया है।

मनसे कार्यकर्ताओं ने जब उत्तर भारतीय विद्यार्थियों की पिटाई की थी। उस प्रकरण में भी राज ठाकरे के खिलाफ महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में पुलिस ने उनके खिलाफ हिंसा भड़काने का मामला दर्ज किया था।

इनमें से ज्यादातर मामलों में राज को सशर्त जमानत मिली हुई है, परंतु वे अपने चाचा शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की तरह अदालत व पुलिस की कार्रवाई की परवाह किये। मौका मिलने पर आपत्तिजनक बयानबाजी करते रहे हैं।

कुरान का संदेश

अशोक गहलोत जादूगर के साथ बाज़ीगर भी है जो खतरनाक रास्तों को पार करना जानते है

राजस्थान का एक जादूगर जिसे एक नट की तरह पतली डोरी पर बेलेंस बनाकर सरकार के पांच साल का सफर तय करने का खतरनाक ना मुमकिन काम दिया गया है जिसे अब तक तो इस जादूगर ने बहतरीन तरीके से आधे से ज्यादा रास्ता पार कर लिया है ...जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे है राजस्थान की सियासत के जादूगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ......जिन्होंने विकट परिस्थितियों और बिगड़े हालातों में भी राजस्थान में कोंग्रेस की सरकार बनाई ..अल्पमत को बहुमत में बदला और आज भी वोह बढ़ी सावधानी से सरकार चला रहे है उनका यह कदम सही मायनों में एक रस्सी पर जेसे बाज़ीगर बेलेंस बनाकर चलता है उसकी तरह है जिसमे सावधानी हटी के दुर्घटना घटी लेकिन यह करिश्मा अशोक गहलोत खूब अच्छी तरह से करना जानते है और इसीलियें लाख प्रयासों के बावजूद भी विपक्ष और उनके विरोधी उनका कुछ बिगड़ नहीं पा रहे है गहलोत ने सरकार का यह सफर इस रस्सी पर पूरा बेलेंस बनाकर बखूबी पार किया है और अब तो बस मंजिल करीब है ..राजस्थान के लोग गहलोत की इसी अदा को जादूगरी ..गाधीगिरी कहते है और गहलोत मुस्कुरा कर पारदर्शी प्रशासन ..बेटी बचाव ..बेटी पढ़ो ..भ्रष्टाचार भगाओ ..सभी को न्याय दो का नार ही नहीं देते बलके इसी क्रियान्वित भी करके बताते है ..इसीलियें तो कहते हैं के कुछ बात है के हस्ती मिटती नहीं हमारी वरना बरसों सर दुश्मन रहा है दोरे जहाँ हमारा .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

मियामर ..असम के मामले में राष्ट्रपति के नाम कोटा कलेक्टर को ज्ञापन दिया

कोटा के आम मुसलमानों की तरफ से आज कोटा शहर काजी की सदारत में जिला कलेक्टर के जरिये महामहीम राह्त्र्पति महोदय को आसाम और मियामर मामले में दो अलग अलग ज्ञापन देकर वहां की स्थिति सूधारने के सफलतम प्रयास करने की मांग की है ....कोटा शहर क़ाज़ी अनवर अहमद की सदारत में जिला कलेक्टर जी एल गुप्ता के जरिये राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है के असम में बदले की भावना से निशाना बनाकर मुसलमानों का एकतरफा नरसंहार किया जा रहा है उन्हें पुनर्वासित नहीं किया गया है इसलियें दोषी लोगों को दंडित करवाया जाए और जो लोग डर खोफ के माहोल में है उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए क्षतिपूर्ति राशी दी जाए पुनर्वास शिविर लगाये जाये और योजनाबद्ध तरीके से जो लोग हमला कर रहे है उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए जिन निर्दोषों को झूंठे मुकदमों में बंद किया है उन्हें छोड़ा जाए ..ज्ञापन में कहा गया है के इस मामले में महामहीम राज्यपाल महोदय को आवश्यक कार्यवाही के आदेश जारी किये जाये ..इसी तरह से दुसरे ज्ञापन में राष्ट्रपति महोदय से अपील की गयी है की म्यामार के प्रधानमन्त्री को भारत में स्थित उनके राजदूत के जरिये अमन और इन्साफ का पैगाम पहुंचाया जाए और मियामार में सामूहिक नरसंहार और हिंसा के दोषी लोगों को दंडित करवाने के लिए कहा जाए मियामर में शांति स्थापित करने के लियें भारत से शांति सेना भेजी जाए और वहां के जो पीड़ित है उनके पुनर्वास के लियें भारत से भी राहत सामग्री भिजवाई जाये ..ज्ञापन में यह भी कहा गया है के अगर मियामर सरकार भारत के निर्देशों को नहीं मानती है तो उससे मेट्रिक सम्बन्ध तोड़ कर वहा दखल देने के लियें संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि के जरिये कार्यवाही करने का दबाव बनाया जाये ....शहर काजी अनवर अहमद के साथ एडवोकेट अख्तर खान अकेला .गुलशेर अहमद ..डोक्टर जफर प्रगति ....खलील इंजीनियर शफी भाई सहित नायब क़ाज़ी जुबेर अहमद साथ थे ...शहर काजी साहब ने एक अन्य ज्ञापन देकर आई जी कोटा रेंज अमृत कलश से हाल ही में ईद के एक दिन पहले रंगबाड़ी कब्रिस्तान में तोड़फोड़ करने वालों को दंडित करवाने और भविष्य में धार्मिक स्थलों और कब्रिस्तानों की सुरक्षा के लियें आवश्यक कार्यवाही की मांग की ..आई जी कोटा रेंज ने इस मामले में शीघ्र ही गम्भीर कदम उठाने की बात कही है ..जिला वक्फ कमेटी कोटा के सद्र अज़ीज़ अंसारी और तबरेज़ पठान ने भी इस मामले में प्रथक से ज्ञापन दिया है .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

चंद पलों की विष्णु पूजा का उपाय पूरी करे भरपूर

PICS: चंद पलों की विष्णु पूजा का उपाय पूरी करे भरपूर दौलत व शांति की चाह

शास्त्रों के मुताबिक जगतपालक भगवान विष्णु का स्वरूप सौम्य व सात्विक यानी कोमल व सरल है। यही वजह है कि वर्तमान में चल रहे अधिकमास में सांसारिक नजरिए से भगवान विष्णु की उपासना सुख, आनंद, प्रेम, शांति के साथ शक्ति देने वाली मानी गई है।

धार्मिक परंपराओं में तरह-तरह की पूजा सामग्रियों से विष्णु पूजा के विधि-विधान बताए गए हैं। किंतु यहां बताई जा रही भगवान विष्णु की एक ऐसी पूजा जिसमें न किसी पूजा सामग्री की जरूरत होती है, न ही किसी प्रतिमा की।

भगवान विष्णु की यह पूजा मन के भावों से की जाती है। इसे मानस पूजा भी कहते हैं। खासतौर पर अधिकमास (18 अगस्त से शुरू) में मानस पूजा का फल पूजा सामग्रियों से की गई पूजा से भी शुभ और ज्यादा माना गया है। इस पूजा में कोई भी व्यक्ति मन के भावों से जितनी चाहे जितनी मात्रा में और अच्छी पूजा सामग्रियां भगवान विष्णु को चढ़ा सकता है। इसमें भावनाएं ही अहम होतीं हैं। तस्वीरों के साथ जानिए ऐसी ही अद्भुत विष्णु मानस पूजा का सरल उपाय, जिसमें भगवान की मूर्ति या पूजा सामग्रियां होना जरूरी नहीं है -

विनायकी चतुर्थी आज, इस सरल विधि से करें ये व्रत




भगवान गणेश सभी दु:खों को हरने वाले हैं। इनकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी व्रत कहते हैं। इस बार यह व्रत 21 अगस्त, मंगलवार को है। विनायकी चतुर्थी का व्रत इस प्रकार करें-

- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि काम जल्दी ही निपटा लें।

- दोपहर के समय अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।

- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं।

- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।

- पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।

-ब्राह्मण भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करने के पश्चात् संध्या के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें। संभव हो तो उपवास करें।

व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।

दम्पति ने तलाक लेने के 50 वर्ष बाद 85 की उम्र में दोबारा शादी करके लोगों को हैरत में डाल दिया है।


न्यूयार्क. अमेरिका में एक दम्पति ने तलाक लेने के 50 वर्ष बाद 85 की उम्र में दोबारा शादी करके लोगों को हैरत में डाल दिया है।

बफेलो न्यूज में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान युवावस्था में परिणय सूत्र में बंधने वाले रोनाल्ड डेविस और लीना हेन्डर्सन ने 20 वर्षों के वैवाहिक जीवन पर सफर तय किया। इस बीच उनके चार बच्चे भी हुए। बदलते समय में दोनों के बीच अलगाव की दीवार खडी हो गई और उन्होंने तलाक का रास्ता चुन लिया वर्ष 1964 में दोनों के संबंधों में तलाक की मुहर लग गई।

जीवन के रास्ते अलग हुए तो दोनों ने अलग चलना ही मुनासिब समझा। रोनाल्ड ने दूसरी शादी कर ली वहीं लीना ने भी दूसरा जीवन साथी तलाश लिया, लेकिन इसे दोनों का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि शादी के बाद रोनाल्ड की पत्नी की मौत हो गई और दूसरी ओर लीन का दूसरा पति भी ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रहा।

1996 में एक पारिवारिक कार्यक्रम के दौरान रोनाल्ड और लीना की मुलाकात हुई। अंतत. दोनों ने फिर एक होने के फैसला लिया और गत शनिवार को 85 वर्षीय इन बुजुर्गो ने एक दूसरे से दूसरी बार शादी कर ली। इस फैसले से उनकी संतानें और अन्य पारिवारिक सदस्य प्रसन्न नजर आए।

लीना की सबसे छोटी बेटी रेनिटा चैडविक ने बताया कि तलाक के बाद भी उसकी मां के मन में पिता के लिए कोई कडवाहट नहीं थी। वे हमेशा अपने पूर्व पति के बारे में अच्छी बातें ही किया करती थीं। वही रेनिटा के पिता रोनाल्ड का भी यही हाल था। दूसरी शादी के बाद भी अपनी पहली पत्नी के लिए उनके मन में स्नेह था। रेनिटा कहती है 50 वर्षों बाद दोबारा शादी के इस निर्णय से पूरा कुनबा प्रसन्न है।

इस उम्र में दोबारा शाही करने के बाबत पूछे जाने पर रोनाल्ड ने कहा, "हम ईश्वर के शुक्रगुजार हैं कि हम इतना लंबा जिए और अंततः साथ हैं।"

क्यों सरकार सीएजी की रिपोर्ट को दरकिनार नहीं कर सकती


नई दिल्ली.कोयला आवंटन घोटाले को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर बवाल मचा हुआ है। नीलामी के जरिए कोयला खदानों के आवंटन न होने और मनमाने आवंटन की वजह से सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया है। लेकिन सीएजी रिपोर्ट के सामने आने के बाद तीखी आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार ने अपने बचाव में कहा है कि सीएजी संविधान में उनके लिए दिए गए दायरे में काम नहीं कर रहे हैं और उन्हें सरकार की नीतियों पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायण सामी ने बीते शनिवार को कहा था, 'सीएजी के पास सरकार की नीतियों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीएजी ने सरकार के इस अधिकार पर टिप्पणी की है, जो पूरी तरह से गैरजरूरी था। यह सरकार को मिले जनादेश के भी खिलाफ है।' केंद्र सरकार ने 1.76 करोड़ रुपये के 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की रिपोर्ट सामने आने पर भी ऐसी ही बातें की थीं।

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