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02 सितंबर 2012

इस करिश्माई श्रीकृष्ण मंत्र से पूरी करें सफलता और दौलत की चाह



 

अक्सर कई लोग परिवार, कार्यक्षेत्र या समाज में बड़ों से काम से जुड़ी इस तरह की नसीहत सुनते हैं कि 'काम करो और आगे बढ़ो', 'काम से मतलब रखो', 'अपने काम पर ध्यान दो'। इनको सुनकर कुछ लोग इनका मतलब स्वार्थपूर्ति से जोड़ नकारात्मक दिशा में जाते हैं जबकि इन बातों में जीवन की वास्तविकता व सकारात्मकता जुड़ी है।
दरअसल, इन बातों में सकारात्मक पहलू ढूंढे तो कर्म के बूते जीवन को सफल बनाने के ही सबक भगवान श्रीकृष्ण ने पस्त पड़े अर्जुन व जगत को कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में विराट स्वरूप दिखाकर सिखाए। यही वजह है कि भगवान के विराट स्वरूप का स्मरण मात्र ही सुख, संपत्ति, शांति और सफलता दिलाने वाला माना गया है।खासतौर पर अधिकमास में एक विशेष मंत्र तो बहुत ही चमत्कारी माना गया है। इस मंत्र के पांच चरण भगवान कृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन कराते हैं। इस मंत्र के स्मरण से पहले स्नान से पवित्र होकर श्रीकृष्ण को मात्र गंध, फूल चढ़ाकर माखन का भोग लगाएं और नीचे लिखा मंत्र जप कर धूप, दीप से आरती करें। इस मंत्र जप से कृष्ण पूजा और आरती अपार सुख-संपत्ति, ऐश्वर्य और वैभव देने वाली होती है। जानिए यह मंत्र -
ऊँ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।
शास्त्रों के मुताबिक इस मंत्र के पहले पद क्लीं से पृथ्वी, दूसरे पद कृष्णाय से जल, तीसरे पद गोविन्दाय से अग्रि, चौथे पद गोपीजनवल्लभाय से वायु और पांचवे पद स्वाहा से आकाश की रचना हुई। इस तरह यह श्रीकृष्ण के विराटस्वरूप का मंत्र रूप में स्मरण है।

सोने की किताब: कभी ब्रिटिश हुकूमत की थी शान, अब दीमक कर रहे निवास



 

नई दिल्ली। करीब डेढ़ सौ साल पुरानी हरदयाल लाइब्रेरी के शेल्फ में वर्षो से सोने जड़ी ऐसी अनमोल किताबें भगवान भरोसे हैं जो कभी ब्रिटिश हुकूमत की शान हुआ करती थीं।
इन किताबों की खासियत यह है कि इन किताबों की उम्र बढ़ाने के लिए हर पन्ने को सोने की परतों से मढ़ा गया है। ऐसी किताबें विश्व साहित्य में अतिदुर्लभ हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन किताबों को ऑनलाइन कर दिया जाए तो इनसे करोड़ों की आमदनी मुमकिन है।  
यदि इनकी नीलामी की जाए तो भी किताबों के कद्रदान इसके लिए करोड़ों की बोली लगा सकते हैं। हालांकि लाइब्रेरी इसके पक्ष में नहीं है। फिलहाल भारत में ऐसी इक्की-दुक्की किताबें हैदराबाद के सोनारगंज संग्रहालय, कोलकाता के राष्ट्रीय संग्रहालय और दिल्ली के नेशनल आर्काइव में मौजूद हैं। ऐसी करीब एक दर्जन किताबें इस लाइब्रेरी के रेफरेंस रूम में दीमक की चपेट में हैं।  
भगवान भरोसे हैं ये किताबें
राव ने बताया कि विदेशी लाइब्रेरियों में तो ऐसी किताबों के लिए बीमा की व्यवस्था होती है, लेकिन यहां किताबों को जीर्ण-शीर्ण हालत में छोड़ दिया गया है।
यदि इस लाइब्रेरी में आग लग गई तो इन किताबों को बचाने के लिए किसी तरह का अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था नहीं है। हर महीने कीटनाशक ट्रीटमेंट कराना जरूरी होता है। लेकिन धन के अभाव में वर्षो से यह भी संभव नहीं हो पा रहा और किताबें दीमक की चपेट में हैं।
लाइब्रेरी के लिए इनकी सुरक्षा चुनौतीपूर्ण 
सोने की किताबों की सुरक्षा लाइब्रेरी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। प्रबंधन को इनके गायब होने का डर हमेशा सताता रहता है। मुख्य लाइब्रेरियन मधुकर राव ने बताया कि सदियों पुरानी ऐसी किताबें अब अति विशिष्ट श्रेणी में गिनी जाती हैं जिनके रखरखाव के लिए धन की अत्यंत आवश्यकता है।  
यही नहीं इनके चोरी होने का डर भी हमेशा लगा रहता है। हालांकि लाइब्रेरी के स्टाफ इन किताबों पर विशेष नजर रखते है। उन्होंने जानकारी दी कि इन किताबों के पन्ने इतने नाजुक हो चुके हैं कि इन्हें एक विशेष तकनीक वाले लैमिनेशन से मजबूत करने की जरूरत है।
एक किताब के लैमिनेशन पर करीब दस से बीस हजार रुपए का खर्च आएगा। हरदयाल लाइब्रेरी में मौजूद सोने से मढी यह किताबें अब दीमक की चपेट में हैं।

जानिए अजमेर दरगाह का दिलचस्प इतिहास, और भी बहुत कुछ!


PHOTOS:जानिए अजमेर दरगाह का दिलचस्प इतिहास,  और भी बहुत कुछ!
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि माना जाता है कि ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती साहिब सन 1195 ई में मदीना से भारत आए थे। ख्वाजा साहिब ऐसे व़क्त भारत में आए, जब मोहम्मद गौरी की फौज पृथ्वी राज चौहान से पराजित होकर वापस गजनी की ओर भाग रही थी। उन लोगों ने ख्वाजा साहिब से कहा कि आप आगे न जाएं। आगे जाने पर आपके लिए ख़तरा पैदा हो सकता है, चूंकि मोहम्मद गौरी की पराजय हुई है। मगर ख्वाजा साहिब नहीं माने। वह कहने लगे, चूंकि तुम लोग तलवार के सहारे दिल्ली गए थे, इसलिए वापस आ रहे हो। मगर मैं अल्लाह की ओर से मोहब्बत का संदेश लेकर जा रहा हूं। थोड़ा समय दिल्ली में रुककर वह अजमेर चले गए और वहीं रहने लगे। वह जब 97 वर्ष के हुए तो उन्होंने ख़ुद को घर के अंदर बंद कर लिया। जो भी मिलने आता, वह मिलने से इंकार कर देते। नमाज अता करते-करते वह एक दिन अल्लाह को प्यारे हुए, उस स्थान पर उनके चाहने वालों ने उन्हें दफ़ना दिया और क़ब्र बना दी। बाद में उस स्थान पर उनके चाहने वालों ने मकबरा बना दिया, जिसे आजकल ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती का मकबरा कहते है।

'नहीं चलने दूंगा हिंदी न्यूज चैनल'


मुंबई। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने  हिंदी न्यूज चैनलों को निशाने पर लेते हुए कहा कि यदि चैनलों ने उन्हें गलत तरीके से पेश करना जारी रखा तो वे महाराष्ट्र में हिंदी समाचार चैनलों को चलने नहीं देंगे।
राज ठाकरे ने रविवार को कहा कि बिहार के बारे में मैंने गलत नहीं कहा है।  उन्होंने बिहार के नेताओं को चेतावनी दी कि उन्हें धमकी न दी जाए। पार्टी आगे क्या कर सकती है सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के नेता महाराष्ट्र को नियम व कानून न सिखाएं।
वे भी कानून जानते हैं। राज ने कहा कि देश के हर नागरिक को देश के किस्सी भी हिस्से में जाकर रोजी-रोटी कमाने का अधिकार है। परंतु कानून यह भी है कि जिस राज्य में मजदूर जाते हैं वहां सबसे पहले श्रम विभाग में पंजीकरण कराएं। उन्होंने सवाल उठाया कि राज्य में आनेवाले कितने बिहारी श्रम विभाग में पंजीकरण कराते हैं?
आखिर बिहार ही क्यों जाते हैं अपराधी? :
राज के मुताबिक जोगेश्वरी में रहनेवाले अब्दुल कादिर को बिहार से गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह नागपुर के एक दंपति के बेटे का अपहरण कर बिहार ले जाया गया था।
आखिर सर्वाधिक अपराधी बिहार से ही ताल्लुक क्यों रखते हैं। अपराध करने के बाद वे बिहार ही क्यों जाते हैं। गुजरात व अन्य राज्य में क्यों नहीं जाते? यह जांच का विषय है।
यहां के नेताओं में एकजुटता नहीं :
उन्होंने कहा कि उत्तरभारतीय नेता उनके बयान का गलत अर्थ निकालकर देश में तनाव पैदा कर रहे हैं। राज ने कहा कि कर्नाटक के प्रति इस तरह की भाषा का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता?
क्योंकि वहां उन्हें सबक सिखा दिया जाएगा। वजह साफ है कि कर्नाटक के सभी नेता राज्य के मुद्दे पर एकजुट रहते हैं। महाराष्ट्र में एकजुटता नहीं दिखाई देती। उन्होंने सवाल उठाया कि उनके बयान पर इतना बवाल मचाया जा रहा है।
परंतु बिहार के मुख्य सचिव नवीन कुमार के संबंध में क्यों कुछ नहीं कहा जाता।  राज ने कहा कि नवीन कुमार का पत्र मिला की नहीं। इस संबंध में गृहमंत्री आरआर पाटील को जानकारी नहीं है।
जबकि मुंबई पुलिस आयुक्त सत्यपाल सिंह के मुताबिक नवीन कुमार का पत्र प्राप्त हुआ है। राज ने कहा कि इसलिए मैं कहता हूं कि आबा गृहमंत्री के लायक नहीं हैं। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

सोनिया गांधी का दौरे के दिन आखिर क्यों लगानी पड़ी थी चन्द्रभान को दौड़!



 

जयपुर.यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के मदरामपुरा दौरे के समय हुई एक घटना ने सत्ता और संगठन के बीच तालमेल के दावों पर सवाल उठा दिए हैं। मदरामपुरा में सोनिया के दौरे के समय प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान की गाड़ी का पास ही नहीं बनाया गया था। इसीलिए चंद्रभान को सोनिया गांधी तक पहुंचने के लिए मदरामपुरा के कीचड़ भरे गड्ढों से बचते हुए दौड़ लगानी पड़ी।प्रदेशाध्यक्ष को गाड़ी का पास नहीं बनने के बारे में आखिर में तब पता चला जब सोनिया का काफिला मदरामपुरा से रवाना हो गया।
इस पूरे प्रकरण में रोचक तथ्य यह है कि सोनिया के दौरे से पहले पुलिस सुरक्षा में लगे अफसरों ने पास बनवाने के लिए बाकायदा प्रदेश कांग्रेस से लिखित में गाड़ियों के नंबर मांगे थे। इसके बावजूद दौरे वाले दिन खुद प्रदेशाध्यक्ष की गाड़ी का ही पास नहीं बनाया। सोनिया गांधी के गुरुवार को बाड़मेर दौरे के कारण चंद्रभान मुख्यमंत्री के साथ पहले दिन ही बाड़मेर चले गए थे। बाड़मेर से शुक्रवार को सोनिया गांधी के साथ ही वे जयपुर पहुंचे।
बाड़मेर में भी उन्हें सोनिया के साथ मंच पर तो बैठाया, लेकिन बोलने का मौका नहीं दिया। एयरपोर्ट से मदरामपुरा तक वे सोनिया गांधी के साथ चलने वाले कारकैड की गाड़ियों से आ गए। मदरामपुरा से वापस एयरपोर्ट तक जाने के लिए प्रदेशाध्यक्ष ने जब गाड़ी के बारे में पूछा तब उन्हें पता लगा कि पीसीसी की उनकी गाड़ी का तो पास ही नहीं बना।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी प्रोटोकॉल के हिसाब से प्रदेशाध्यक्ष की गाड़ी का पास ससम्मान उनका तक पहुंचना चाहिए था, यह घटना पीसीसी चीफ के प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। कांग्रेस में संभवत: यह पहली घटना है जब पार्टी के सत्ता में रहते हुए प्रशासन ने प्रदेशाध्यक्ष की गाड़ी का पास नहीं बनाया हो। दौरे की व्यवस्था में लगे अधिकारियों और नेताओं ने घटना से अनभिज्ञता जाहिर की है।
राजनीतिक प्रेक्षक इस घटना को कांग्रेस राजनीति में चल रही उठापटक से जोड़कर देख रहे हैं। साथ ही इस घटना में कांग्रेस नेताओं और आला प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा रहा है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चंद्रभान ने पूरे घटनाक्रम को मंजूर किया है लेकिन इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
..तो इसीलिए लगानी पड़ी चंद्रभान को दौड़
कांग्रेस पदाधिकारियों के पास बनाने में भी आनाकानी
सोनिया गांधी के मदरामपुरा दौरे के समय कांग्रेस पदाधिकारियों के पास बनाने में भी सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारियों ने आनाकानी की थी। दौरे की तैयारियों को लेकर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हुई बैठक में यह मुद्दा उठा तब खुद प्रदेशाध्यक्ष को उच्च स्तर पर बात करनी पड़ी, इसके बाद चुनिंदा पदाधिकारियों के मदरामपुरा दौरे के पास बने। गाड़ियों के पास बनाने के बारे में भी प्रशासन ने नंबर मांगे थे, पीसीसी ने प्रदेशाध्यक्ष की गाड़ी के नंबर भेजे थे
किसके इशारे पर नहीं बना प्रदेशाध्यक्ष की गाड़ी का पास?
सोनिया के दौरे के समय कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की गाड़ी का पास नहीं बनने पर कांग्रेस में तीखी प्रतिक्रिया है। कई नेताओं ने इस पर नाराजगी जताई है। प्रदेश कांग्रेस में यह सवाल उठाया जा रहा है कि प्रदेशाध्यक्ष की गाड़ी का पास आखिर किसके इशारे पर रोके गए?

यूपी में यहां हमलावर गजनवी का भांजा पूजा जाता है



बहराइच। सालार मसूद गाजी यहीं मारा गया था। महमूद गजनवी का भांजा। उसकी पूरी फौज जिस जगह जंग में मारी गई, वह अब दूर तक फैली पुरानी कब्रों का एक बड़ा इलाका है। सालार मसूद की कब्र की प्रसिद्धि वक्त के साथ एक सूफी संत की शक्ल में हो गई। लोग यहां मन्नतें मांगने के लिए आने लगे। अब यह हर रोज सैकड़ों श्रद्धालुओं की चहल-पहल से आबाद जगह है। यहां सवा सौ कर्मचारियों का अमला देखभाल करता है।

महमूद गजनवी ने भारत पर 17 हमले किए। मथुरा, विदिशा और सोमनाथ समेत कई प्राचीन शहरों और मंदिरों की तबाही उसके नाम दर्ज है। लेकिन उसके शुरुआती हमले यूपी के इसी इलाके में हुए थे। यह इलाका उसकी फौजों ने कई बार रौंदा। 1032 में उसका भांजा सालार मसूद भी यहां आया। स्थानीय राजा सुहैलदेव ने 17 स्थानीय हिंदू राजाओं की संयुक्त सेना के साथ उसका मुकाबला किया। तुर्की, अफगान और मुगल शासकों के खिलाफ हुई तमाम लड़ाइयों में बहराइच की यह जंग भारत के इतिहास में बेहद अहम मानी जाती है। सुहैलदेव के मुकाबले में सालार मसूद की सेना टिक नहीं सकी। उसके साथ उसके सारे प्रमुख सरदार यहां मारे गए। जिस जगह इनकी कब्रें बनीं वह गंजे-शहीदां कहलाती है। गंजे शहीदां यानी शहीदों का गंज। शहीद यानी मौत के मुंह में गए वे हमलावर जो काफिरों से जंग में मरे। मसूद को गाजी मियां भी कहते हैं। गाजी मतलब इस्लाम के लिए लड़ने वाला

श्मशान से इंसान की हड्डियां और राख चोरी कराता था अमन बाबा!



 

अमृतसर। शहर में पिछले महीने हुए चर्चित रोजी हत्याकांड का आरोपी तांत्रिक विकास शर्मा उर्फ अमन बाबा श्मशान से इंसान की हड्डियों और चिता की राख चोरी करवाकर उनकी तस्करी भी कराता था। चौंकाने वाला यह खुलासा ग्रीन एवेन्यू में रहने वाली बलजिंदर कौर उर्फ रोजी की मां कुलबीर कौर ने किया है। उनका आरोप है कि रोजी अमन बाबा की काली करतूतों का राज जान गई थी, इसलिए उसने उनकी बेटी की हत्या कर दी। कुलबीर कौर का कहना है कि वह इस बारे में पुलिस को बता चुकी है। अमन के विभिन्न ठिकानों के बारे में भी पुलिस को बताया जा चुका है, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है।
कुलबीर कौर ने बताया कि अमन का साथी कुलदीप श्मशान के कर्मियों की मिलीभगत से देर रात या अल सुबह अधजली चिताओं में से हड्डियां निकाल लेते थे। वहीं राख तो किसी भी समय वहां से निकाल ली जाती। रोजी ने कुलबीर कौर को बताया था कि अमन को हादसों में मरने वालों व कुंवारों के शरीर की राख व हड्डियों की कीमत अधिक मिलती थी। कुंवारी लड़कियों की चुटकी भर राख की कीमत पांच हजार रुपए रहती थी। कुलबीर के मुताबिक रोजी ने उसे बताया था कि अमन इन हड्डियों व राख की सप्लाई पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल व उत्तराखंड के कई तांत्रिकों को करता था। इन्हीं तांत्रिकों से वह काले इलम करवाता था। अमन चार वर्ष से हड्डियों व राख की स्मगलिंग कर रहा था। रोजी ने अपनी मां को बताया था कि उसे पूरा यकीन है कि अमन सिर्फ चाटीविंड श्मशान से ही नहीं बल्कि पंजाब के कई गांवों के श्मशानों से राख व हड्डियों की सप्लाई करता है।
तांत्रिक क्रियाओं में होता है इस्तेमाल
अमन हड्डियों और राख का इस्तेमाल तांत्रिक क्रियाओं के लिए करते थे। इस इलम के लिए वह अपने ग्राहकों से दस से 50 हजार रुपए तक लेते थे।
21 अगस्त हो हुई हत्या
ग्रीन एवेन्यू निवासी बलविंदर उर्फ रोजी की 21 अगस्त को अमन ने अपने साथी प्रधान की मदद से गला घोट कर हत्या कर दी थी। पुलिस को गुमराह करने के लिए अमन ने आधा दुपट्टा रोजी के गले और आधा पंखे से लटका दिया था। पुलिस ने अमन पर हत्या का केस दर्ज किया था।
पांच साल पहले हुई थी अमन बाबा से रोजी की दोस्ती
रोजी ने पांच साल पहले किसी चैनल में तांत्रिक अमन बाबा का विज्ञापन देखा। वह तब पारिवारिक कारणों से परेशान थी जिनके समाधान के लिए वह बाबा के क्रिस्टल चौक स्थित आफिस में उससे मिली। वहीं से शुरू हुई इनकी दोस्ती। रोजी से अमन बाबा ने उसका फोन नंबर लिया व उसकी परेशानी का समाधान करने का आश्वासन देते हुए उस मनोवैज्ञानिक ढंग से डील किया। इसके बाद दोनों की नजदीकियां बढ़ती गई।
धोखाधड़ी का भी आरोप
अमन बाबा, यह वो शख्स है जो खुद को बड़ा तांत्रिक बताता है। थाना सिविल लाइन में उसके खिलाफ एक धोखाधड़ी और एक हत्या का केस भी दर्ज है। अमन के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली और कोलकाता में भी आफिस बना रखे हैं। अमृतसर-जालंधर में उसके दो घर हैं।
हाई-फाई लाइफ स्टाइल
जानकारों का कहना है कि अमन जब भी उन्हें मिलता था, इसके पास हर बार अलग ही कार होती थी। कार का नंबर भी वीवीआईपी होता था। लोगों के मुताबिक उसकी किसी कार का नंबर 0002, 0001, 0007 था। इसके पास जो मोबाइल नंबर थे, वो भी सारे वीवीआईपी। किसी नंबर के अंदर में पांच जीरो तो किसी के अंत में 00007। कपड़ों की बात करें तो वह ब्रांडेड जींस, टी शर्ट डालता था।
नहीं मिलता मोक्ष!
दुग्र्याणा तीर्थ के राधा वल्लभ मंदिर के पुजारी हरगोबिंद के मुताबिक श्री गरुड़ पुराण के मुताबिक अंतिम संस्कार के बाद अगर किसी भी व्यक्ति की अस्थियां व राख पूर्ण रूप से गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी में प्रवाहित नहीं की जाती तो उसे मोक्ष नहीं मिलता। मोक्ष के लिए उसकी पूरी अस्थियां जल प्रवाह होनी चाहिए।

रोजी की मां ने नहीं बताई यह बात
- सोहन लाल, जांच अधिकारी
सवाल : अमन बाबा और कुलदीप प्रधान की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो पाई?
जवाब: अमन की गिरफ्तारी के लिए जालंधर स्थित उसके घर रेड की थी, लेकिन वह वहां नहीं मिला। उसके जिस ठिकाने का पता लगता है, वहां रेड की जाती है। क्योंकि कुलदीप प्रधान के घर का किसी को पता नहीं है, इसलिए वह जहां काम करता था, वहां भी रेड की गई थी लेकिन वह भी वहां नहीं मिला।
सवाल : रोजी की मां का कहना है कि उसने आपको बताया था कि अमन हड्डियों व श्मशान से राख की तस्करी कर रहा है तो इस काले धंधे में उसके साथ कौन-कौन थे?
जवाब : मुझे रोजी की मां ने ऐसा कुछ नहीं बताया, लेकिन अगर ऐसा है तो वो तो उसकी गिरफ्तारी के बाद ही पता चल सकेगा।
सवाल : उसके जहां दफ्तर थे, वहां रेड की गई क्या?
जवाब : हां, वहां रेड की गई है और उसे सील भी कर दिया गया है।
कमिश्नर को पता नहीं
॥ यह हैरानी वाली बात है कि यह सारा कारोबार चलाया जा रहा था। मामला गंभीर है और मैं इस मामले की जांच के लिए संबंधित अधिकारी को कहता हूं ताकि इस सारे मामले का खुलासा हो सके।
- राम सिंह, पुलिस कमिश्नर

बेसहारा को नहीं मिल रहा न्याय : मुख्य न्यायाधीश



 

जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने कहा कि आजादी के कई दशक बाद भी गरीब बेसहारा, आदिवासियों, अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। विधिक सेवा प्राधिकरण को चाहिए कि बिना पक्षपात ऐसे लोगों को पैरवी के लिए योग्य वकील मुहैया कराए, ताकि प्राधिकरण का निशुल्क न्याय दिलवाने का उद्देश्य साकार हो सके।

वे राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर की ओर से रविवार को इफेक्टिव इंप्लीमेंटेशन ऑफ लीगल सर्विसेज प्रोग्राम विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में बोल रहे थे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हालांकि विधिक सेवा प्राधिकरण बिना फीस सामाजिक और आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को कानूनी सहायता देता है।

प्राधिकरण ने हाल ही निशुल्क विधिक सहायता लेने की पात्रता भी 50 हजार से बढा़कर 1.25 लाख रु तक की सालाना आय वालों के लिए कर दी है। प्राधिकरण बेसहारा लोगों को न्याय दिलाने में और संवेदनशील बने। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायाधीश दलीप सिंह, राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश एनके जैन प्रथम और न्यायाधीश अजय रस्तोगी ने विभिन्न विधिक पहलुओं पर जानकारी दी।

सरकार दर्ज करवाती है सबसे अधिक मुकदमे

सेमिनार में मौजूद राज्य के मुख्य सचिव सीके मैथ्यू और डीजीपी हरीश चंद्र मीणा से मुखातिब होते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोर्ट में सबसे अधिक मुकदमे सरकार दर्ज करवाती है। कार्यपालिका को कोर्ट में छोटे-छोटे मुकदमे दर्ज नहीं करवाने चाहिए। मोटर व्हीकल एक्ट, कृषि, राजस्व व पारिवारिक मामलों को लोक अदालत या प्रशासनिक स्तर पर ही निपटाने के प्रयास किए जाएं।

वकील भी समझे जिम्मेदारी

विधिक सेवा प्राधिकरण पैरवी के लिए ऐसे वकील नहीं नियुक्त करे,जो प्राधिकरण से फीस मिलने के बाद भी पैरवी पर नहीं पहुंचते हैं। प्राधिकरण बिना पक्षपात के ऐसे नए वकीलों को मौका दे,जो योग्य हों।

प्रभाव में आई राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011

प्राधिकरण की ओर से मुलजिम पक्ष के साथ पीड़ित पक्ष को राहत देने के लिए राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 प्रभाव में लाई गई है। जिसमें अपराध के शिकार व्यक्ति को उसकी क्षमता के मुताबिक प्राधिकरण की ओर से मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है।

ये हुए सेमिनार में शामिल

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली,राज्य सरकार के विभिन्न विभाग के अधिकारी व राज्य के समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष व सचिव और जिला व सेशन न्यायाधीश व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मौजूद थे।

कुरान का संदेश

प्रतिभावान छात्रा सुश्री जोया खान ने प्रशासनिक सम्मान में पक्षपात की शिकायत माहिर आज़ाद चेयरमेन राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग से की और फिर फफक पढ़ी

 एक प्रतिभावान छात्रा  सुश्री जोया खान  जिला प्रशासन द्वारा    सम्मान कार्यक्रम में उसके साथ हुई पक्षपात की शिकायत राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन माहिर  से करते हुए फफक पढ़ी ...सुश्री जोया खान ने दसवीं बोर्ड में कड़ी महनत लगन के साथ मेरिट में स्थान प्राप्त किया और उसकी प्रतिभा को देख कर शिक्षा विभाग की सिफारिश पर उसे दसवीं में मेरिट में आने पर जिला प्रशासन ने जिला समारोह में सम्मानित कर दिया .....सुश्री जोया के होसले बुलंद थे उसने बारवीं क्लास में भी कड़ी मानत और लगन से पढाई की नतीजा उसने फिर मेरिट  में स्थान प्राप्त किया ..बाहरवीं में मेरिट में आने पर सुश्री जोया को फिर सम्मानित करने के लियें जिला प्रशासन  से सिफारिश की ....लेकिन आप जिला प्रशासन का पक्षपात देखिये उसे सम्मानित नहीं किया पुंछने  पर कहा के जोया को तो पहले सम्मानित किया  जा  चुका है इसलियें इस बार सम्मानित नहीं किया जा सकता ...है न मजेदार बात दसवीं की मेरिट  में आने पर सम्मान दसवीं का था लेकिन बाहरवीं की मेरिट  का सम्मान कोटा का  जिला प्रशासन शिक्षा विभाग की अनुशंसा के बाद भी हड़प गया .....आज राजस्थान में अल्प्न्सख्यक समाज के साथ पक्षपात के खिलाफ सुनवाई करने वाले आयोग अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन माहिर आज़ाद कोटा में अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी के कार्यक्रम में आये तो सुश्री जोया ने उसकी पीड़ा माहिर आज़ाद से ब्यान की और वोह रो पढ़ी ..सुश्री जोया ने माहिर आज़ाद को इन्साफ की उम्मीद में लिखित में शिकायत पत्र दिया है अब देखते है के सुश्री जोया पुत्री रहीम खान को उसके साथ हुए पक्षपात के मामले में इन्साफ कब और केसे मिलता है ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक प्रतिभावान 

अल्फ्लाह सोसाइटी का प्रतिभावान सम्मान समारोह में होसला अफजाई रही

राजस्थान अल्पसंख्यक  के  चेयरमेन  माहिर आज़ाद ने आज यहाँ अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी के प्रतिभावान छात्र छात्राओं के  समारोह  बोलते हुए कहा के अल्प्स्नखाय्क बच्चों का रूह्जान पढाई की तरफ बढ़ा है लेकिन अभी हमे अल्पसंख्यकों के कोलेज और यूनिवर्सिटियां भी स्थापित करना है इस तरफ स्कूल और कोलेज संचालकों को क़दम बढाना चाहिए ........माहिर आज़ाद ने कहा के अल्पसंख्यक बच्चे अब डोक्टर इंजिनियर तो है है साथ ही आई ऐ एस और आई पी एस सहित राज्य प्रशासनिक सेवा  भी आ रहे है ..उन्होंने कोटा के प्रतिभावान छात्र छात्राओं की होसला अफजाई करते हुए कहा के बढो खूब पढो सरकार ने बिना ब्याज के लोगन की व्यवस्था भी की है और छात्रवृत्तिया भी सरकार दे रही है इसलियें किस तरह की कोई अड़चन तुम्हारे सामने नहीं है ...कार्यक्रम में बोलते हुए माहिर आज़ाद ने कहा के कोटा नगर विकास न्यास से आप लोग सांसद इजय्राज सिंह  से कोशिश करवाकर मुफ्त जमीन आवंटन का प्रस्ताव पारित करवाकर भिजवा दो मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार से इसे पारित करवाने की ज़िम्मेदारी में लेता हूँ ...कार्यक्रम में बोलते हुए सांसद इजय्राज सिंह जी ने कहा के मुझे ख़ुशी है के कोटा में पढ़ी का माहोल है और सभी बच्चे महनत और लगन से पढ़ कर कोटा का नाम रोशन कर रहे है उन्होंने कहा के दुनियावी शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी सीखना जरूरी है और माता पिता की सेवा आदर सम्मान भी साथ में होना चाहिए ..उन्होंने कहा के पढाई के बाद अब हमारे भारत में ही रोज़गार के अच्छे बहतर  अवसर है ..इसलियें अब विदेशों में जाने की  नहीं है उन्होंने सोसाइटी के ज़िम्मेदारों से ग्रामीण शिक्षा क्षेत्र में भी जाग्रति कार्यक्रम चलाने का आह्वान किया ..कार्यक्रम में बोलते हुए कोटा के शहर काजी अनवर अहमद ने दुनियावी शिक्षा  के साथ साथ नेतिक शिक्षा पर भी जोर दिया उन्होंने कहा के मजहब ही शालीनता सिखाता है और हमारे जीवन की यही बुनियाद है इसे कभी नहीं छोड़ना चाहिए ...कार्यक्रम में रफ़ीक बेलियम इस्लाम खान जाकिर रिज़वी ने भी प्रतिभावान लोगों से पढ़ें और फिर पढ़ने का आह्वान किया ..समारोह में डोक्टर चिश्ती ..डोक्टर इकबाल ..डॉक्टर  अर्शी इकबाल ..परवेज़ खान सहित  आबिद कागज़ी ..वक्फ कमेटी के चेर्य्में हाजी अज़ीज़ अंसारी को भी सम्मानित किया गया ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राज्यपाल ने एडवोकेट अख्तर खान अकेला को 15 सूत्रीय कमेटी में नियुक्त किया

राजस्थान की राज्यपाल महामहीम ने  अशोक गहलोत की   पर राजस्थान में अल्पसंख्यकों की जिला स्तर पर पन्द्राह सूत्रीय कार्यक्रम की समीक्षा  लियें   जिलेवार समिति का गठन किया है जिसमे कोटा जिले में एडवोकेट अख्तर  अकेला सहित तीन लोगों को  नामज़द किया है ......राजस्थान में प्रधानमन्त्री के  कल्याणकारी कार्यक्रमों की समीक्षा और सञ्चालन व्यवस्था की देखरेख के लियें जिला स्तर पर कमेटियों का गठन किया गया है ...राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन माहिर आज़ाद ने इस मामले में माननीय मुख्यमंत्री जी को सुझाव दिए थे ...राजस्थान सरकार के उप सचीव आर सी गुप्ता ने महामहीम के निर्देशों पर 28 जिलों में 74 लोगों को नामज़द किया है जिसमे कोटा से एडवोकेट अख्तर खान अकेला .....कथुन के आबिद हुसेन बुनकर और इकराम खान को नियुक्त किया है ..राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमेन माहिर आज़ाद ने राज्यसरकार  द्वारा  जारी आदेश  दिशा निर्देशों के साथ एडवोकेट अख्तर खान अकेला को देकर प्रधानमन्त्री द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा और आवश्यक दिशानिर्देश देने के कार्य करने के लियें कहा ..एडवोकेट अख्तर खान अकेला की नियुक्ति पर कोटा जिला वक्फ कमेटी के सदर हाजी अज़ीज़ अंसारी ...सचीव आबिद हुसेन अब्बासी एडवोकेट ......राजस्थान अल्पसंख्यक मामलात फ्रंट के अध्यक्ष एजाज़ खान अज्जू भाई सहित कई लोगों ने बधाई देते हुए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है .....एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने अपनी इस नियुक्ति पर राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक और अल्पसंख्यक आयोग के चेर्य्में मोआहैर आज़ाद का आभार जताया है ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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